Isuapur: गंडक के बढ़े जलस्तर ने सिर्फ पानापुर ही नही पड़ोस के कई अन्य प्रखंडों में भी अपना असर छोड़ा है. पहले बारिश और फिर बाढ़ दोनों के कारण निचले इलाकों में जलस्तर बढ़ गया है. पानी के बढ़ने के बाद प्रखण्ड के सभी चंवर पूरी तरह लबालब है वही पानी निचले इलाके के घरों तक पहुंच चुका है. घरों में पानी घुसने से आक्रोशित पीड़ितों ने रविवार को छपरा मशरख मुख्य पथ को जाम करते हुए आगजनी की.

प्रखंड के बेला बासुदेव नगर को लोगों ने मुख्य मार्ग को घंटो अवरुद्ध किया और प्रशासन से जलनिकासी का उपाय करने की मांग की. जिससे कि पानी दूसरी जगह जा सकें. सड़क जाम होने के कारण घंटों सड़कों पर वाहनें खड़ी रही. सड़क जाम के कारण इसुआपुर और मशरख दोनों तरफ कई किलोमीटर तक ट्रकों की कतार लगी रही. हालांकि स्थानीय प्रशासन के बातचीत और आश्वासन के बाद 3 घंटे के लंबे जाम के बाद पुनः यातायात बहाल हुई.

पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि बारिश और बाढ़ के बाद जलस्तर बढ़ा है. चंवर भरचुका है और अब उनके घरों में पानी है. उनका कहना है कि जलनिकासी के सभी रास्ते बंद कर दिए गए है जिससे कि पानी अन्य गांव के चंवर एवं खेतों में जा सकें. पानी की निकासी नही होने के कारण घरों में पानी बह रहा है और परिवार के लोग भयभीत है. प्रशासन जल निकासी के रास्ते को अतिक्रमण मुक्त कराकर साफ कराए जिससे कि पानी दूसरी जगह जा सकें.

Chhapra: अप्रैल का आधा माह बीतने को है. इसके साथ ही मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है. गर्मी बढ़ रही हों और तापमान भो तेजी के साथ उठ रहा है. रविवार को शहर का तापमान 38 डिग्री तक पहुंच गया. हालांकि शाम ने राहत दी.

कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जारी Lockdown के कारण लोग घरों में है जिसके कारण इसका असर सड़को पर नही दिख रहा है. धूप में तपिश है और तेज गर्मी भी. शहर के कई इलाकों में इस तापमान के बढ़ने का असर दिखने लगा है. शहरी क्षेत्रों के कई वार्ड में पानी की समस्या धीरे धीरे शुरू हो चली है. हालांकि यह समस्या अभी कुछ इलाकों में ही है लेकिन जैसे जैसे तापमान चढ़ेगा यह समस्या भी बढ़ेगी.

शहर के कई चौक चौराहों पर लगे चापाकल पानी नही दे रहे है कारण यह है कि Lockdown में यह चापाकल नियमित रूप से नही चल रहा है. अभी मई और जून के महीना बाकी है. अगर गर्मी और तापमान इसी तेजी के साथ बढ़ते रहे तो आने वाले दिनों में एक बार फिर बीते वर्ष की तरह स्थिति गंभीर होने वाली है.

Chhapra: अगर आप छपरा शहर की सड़कों पर चल रहे हैं तो आप अपने साथ पानी का बोतल जरूर रखें, जिससे कि प्यास लगने के दौरान आपकी प्यास बुझ सकें. खासकर यह जिम्मेवारी तब और बढ़ जाती है जब आपके साथ कोई छोटा बच्चा या फिर बुजुर्ग साथ मे हो. क्योकि छपरा शहर के किसी भी सड़क और आपको पानी के लिए चापाकल नही मिलेगा. अगर आपको कही चापाकल दिख भी गया तो उसमें से पानी नही निकलता है. हालांकि यह बात सिर्फ गर्मी के दिनों की नही है जाड़े और बरसात के दिनों में भी यह समस्या बनी होती है. लेकिन इस गंभीर समस्या पर ना तो नगर निगम और ना ही जिला प्रशासन कुछ कर रहा है. बीते दिनों नगर निगम द्वारा गर्मी के कारण पेयजल की आवश्यकता को देखते हुए शहर के चिन्हित 2 से 4 स्थानों पर मटका रखकर लोगो को पानी पिलाया जा रहा था, लेकिन यह हिंदी के उस कहावत के अनुसार थी कि ‘ऊँट के मुँह में जीरा के फोरन’ अब यह मटका पेयजल स्टॉल भी दिखाई नही दे रहा है. जनता प्यास और गर्मी से त्रस्त है और पदाधिकारी तथा नेता एसी और आरओ का पानी पीने में मस्त है.

भिखारी चौक…

छपरा शहर के मुख्य मार्ग के किनारों और चौक चौराहों पर पेयजल की समस्या आम बात है. शहर के पूर्वी छोड़ भिखारी ठाकुर चौक से शहर की शुरुआत होती है. शहर और ग्रामीण क्षेत्र का मिलाजुला परिवेश होने के कारण सड़क के किनारे और घर तथा दुकानों के सामने चापाकल मिल जाएगा जहाँ से आपकी प्यास बुझ जाएगी. लेकिन यह समस्या गांधी चौक से शुरू होती है.

गांधी चौक…एक

गांधी चौक पर सरकारी चापाकल देखने को तो मिलेगा लेकिन पानी शायद ही मिल जाये. इस चौराहें पर दिघवारा, डोरीगंज, भेल्दी, मकेर और गरखा जाने के लिए वाहन स्टैंड है जो अवैध है. लोगों की भीड़ और स्टैंड होने के कारण खाने पीने की दुकानों की संख्या ज्यादा है और सभी जगह दुकानों में चापाकल है जो आनेजाने वाले लोगो की प्यास बुझाते है. शाम होते ही दुकाने बंद और साथ साथ मिलने वाले पानी की व्यवस्था भी बंद. लेकिन सरकारी स्तर पर यहाँ ऐसा कुछ नही है जिससे कि इस रास्ते से होकर गुजरने वाले को चापाकल दिखे और वह अपनी प्यास बुझा ले.

मेवा लाल चौक…शून्य

यहाँ से यातायात व्यस्था के लिए एकल मार्ग शुरू होता है. मुमकिन है कि लोग भी अपनी सुविधा के लिए गाड़ी छोड़ पैदल यात्रा शुरू करते है. चौक संकीर्ण है बावजूद इसके यहाँ तीनों दिशाओं में कही भी एक चापाकल नही है. जिससे कोई पानी की जरूरत की पूरा करे. यहाँ तक कि इस चौक पर ड्यूटी करने वाले पुलिस कर्मियों को भी इस गर्मी में किसी दुकान से ही पानी मिलने की उम्मीद बनी रहती है. अगर दुकाने बंद रही तो किसी ना किसी घर से ही पानी को मांगकर अपनी प्यास बुझानी पड़ेगी.

मौना चौक…एक

मौना चौक शहर का व्यवसायिक केंद्र जहाँ पूरे दिन करोड़ो का कारोबार होता है. फल, सब्जी, मसाला और न जाने कितनी ऐसी चीजें जो यहाँ खरीदी और बेची जाती है. पूरे जिले से लोग खुदरा और थोक खरीददारी के लिये यहाँ पहुंचते है. लेकिन पानी का जरूरत सिर्फ एक चापाकल से पूरी होती है. चापाकल सरकारी जरूर है लेकिन इसकी देखभाल स्थानीय लोग अपने पैसे के सहयोग से करते है. यही कारण है कि इस पूरे बाजार में जहाँ सुबह 5 बजे से लेकर रात के बारह बजे तक लोग आते जाते है यह एक अकेला चापाकल लोगो की प्यास बुझाता है.

सलेमपुर चौक…एक

सलेमपुर चौक को मुख्य रूप से लोग कोर्ट कचहरी जाने के लिए प्रयोग करते है. भीड़ भी ज्यादा है. एक सरकारी चापाकल है जिससे कभी पानी निकलता है तो कभी नही.

नगरपालिका चौक…एक चापाकल

नगरपालिका चौक शासन प्रशासन का केंद्र स्थल यानी कि पूरा प्रशासनिक महकमा ही इस चौक के इर्द गिर्द दिखता है. नगर निगम कार्यालय भी इसी चौक पर है. प्रतिदिन इस चौक से होकर हजारों लोग आनाजाना करते है.धरना प्रदर्शन और राजनीतिक चर्चा भी इसी चौराहे पर होती है लेकिन सबो के बीच एक चापाकल ही लोगों की प्यास बुझाता है.

थाना चौक…शून्य

शहर का केंद्र बिंदु, नगर थाना, महिला थाना, कंट्रोल रूम, आयुक्त कार्यालय, पुलिस उपमहानिरीक्षक कार्यालय सब इसी चौक पर है. शहर का मुख्य मार्केट हथुआ मार्केट भी यही है लेकिन चापाकल की संख्या यहाँ एक भी नही है. चारों दिशाओं में किसी भी सड़क पर कई मीटर दूर तक यहाँ एक चापाकल नही है जिससे लोग अपनी प्यास बुझा सकें.

साहेबगंज चौक…शून्य

शहर का व्यवसायिक हब साहेबगंज चौक जो कपड़ो के मार्केट के रूप में जाना जाता है.थोड़ी दूर पर सोनारपट्टी भी है जिसके कारण यह खास केंद्र है.सरकारी स्तर पर यहाँ एक भी चापाकल नही है. यहाँ के मंदिर के बगल में एक चापाकल सरकारी है भी तो वह खराब अवस्था मे होने के कारण लोगो ने वहाँ अपनी दुकानें लगा दी.

साढा ढाला चौक… शून्य

ग्रामीण क्षेत्रों से आनेजाने की लिए एक मात्र चौक लेकिन सरकारी चापाकल की संख्या शून्य. यहाँ आने वाले लोगों की प्यास मिठाई दुकान के आगे लगे चापाकल से बुझती है.

योगिनियां कोठी चौक… शून्य

रेल ओवर ब्रिज बनने के बाद यह चौक शहर के लिए एक लाइफ लाइन की तरह काम करता है. ग्रामीण क्षेत्रों और बायपास सड़क से शहर में आने के लिए इसी चौक से गुजरना होता है. चौक पर मंदिर और मंदिर के बगल में एक चापाकल यही एक चापाकल लोगो की उम्मीद है जिससे उनकी प्यास बुझती है.

अस्पताल चौक और दारोगा राय चौक… शून्य

अस्पताल चौक पर भी सरकारी चापाकल की संख्या शून्य है. यहाँ से गुजरने वाले लोग या तो अस्पताल में लगे एक चापाकल या फिर पीर बाबा के मजार से ही पीने का पानी ले सकते है. दरोगा राय चौक की भी स्थिति यही है यहाँ भी सरकारी चापाकल नही है. इस चौक से पुराने पोस्टमार्टम घर जाने वाली सड़क में एक चापाकल है जो इस चौक पर बने नर्सिंग होम में ईलाज कराने आने वाले लोगो की प्यास बुझाता है.

प्रतिवर्ष लाखों खर्च के बाद भी नही हुई मुक्कमल व्यवस्था

शहर में पेयजल आपूर्ति के नाम पर प्रतिवर्ष नगर निगम द्वारा लाखों रुपये का खर्च किया जाता है. भीषण गर्मी को देखते हुए हाल ही में जिलाधिकारी ने सभी सरकारी चापाकल की मरम्मती और प्रत्येक वार्ड में चापाकल लगाने का निर्देश दिया था लेकिन यह निर्देश शायद फ़ाइल तक ही सीमित रह गया. शहर के मुख्य सड़क से गुजरने वाले लोग पेयजल समस्या से जूझ रहे है. अंदर मुहल्लों की हालत तो और खराब है. किसी तरह लोग पानी की खरीददारी कर अपना जीवन व्यतीत कर रहे है. सरकार और प्रशासनिक तंत्र जमीनी हक़ीक़त को जानने का प्रयास नही कर रही है और ना ही अपने दिए आदेशों पर हुई करवाई की जांच कर रही है.

बहरहाल जनता को ही अपने हक के लिये सरकार और महकमें को जगाना होगा, उन्हें जमीनी हकीकतों से रूबरू कराना होगा, तभी जाकर चौक चौराहों और गलियों में पीने का पानी सरकारी चापाकलों से मिल सकता है.

पानी के लिए कतार में खड़े लोग

Chhapra: ऊपर की तस्वीर मढ़ौरा प्रखंड के तेजपुरवा गाँव की है. जहां लोग पानी के लिए दर दर भटक रहे हैं. जिले के कई स्थानों पर संकट बढ़ते जा रहा है. पानी की समस्या से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. स्थिति यह है कि विभिन्न गांवो व पंचायतों में चापाकल सुख जाने के कारण लोगों को पीने योग्य पानी की घोर किल्ल्त का समाना करना पड़ रहा है.


रेलवे स्टेशन से पानी ला रहे लोग
लोग रेलवे स्टेशन पर लगे चापाकल से पानी भर रहे हैं. इसके लिए भी उन्हें कतार में लगना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को हो रही है जिन्हें घर से काफ़ी दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है. लोगों को खाना बनाने से लेकर नहाने तक के लिए पानी दूर दराज से ढोकर लाना पड़ रहा है.
वाटर लेवल का स्तर 22 से 25 फिट नीचे चला गया
जिले में वाटर लेवल का स्तर 22 से 25 फिट नीचे चला गया हैं. टीले तथा ऊंचे जगहों पर तो यह समस्या और बढ़ गयी हैं. मुख्यमंत्री की 7 निश्चय योजना के तहत आने वाले नल-जल योजना भी पूरी तरह से अव्यवस्थित नजर आ रही हैं. लोगों का कहना हैं कि ये योजना तो शुरू हुई हैं लेकिन इसका अभी लाभ नही मिल रहा हैं. कुछ लोगों ने कहा कि पाइप घर-घर दौर गयी हैं लेकिन पानी कि सप्लाई नही हो रही हैं. मालूम हो कि बिहार के कई जिलों में पानी की संकट उत्पन्न हो गई हैं, इसका सीधा असर पेयजल से लेकर सिंचाई तक पड़ रहा हैं.

Chhapra: बीती रात हुई बारिश से शहर के विभिन्न इलाकों में हुए जलजमाव के लिए नगर निगम के तीन कर्मियों को शो कॉज किया गया है. शहर में हुए जल जमाव के लिए नगर आयुक्त अजय सिन्हा ने नगर निगम के इन तीनों कर्मियों को शो कॉज नोटिस जारी किया है. जिसमें एक जमादार और दो वार्ड इंस्पेक्टरों को निगम की ओर से सो कॉज नोटिस भेजा गया है.

बारिश से पहले सभी नालों की सफाई के थे निर्देश, नही कराई सफाई

नगर आयुक्त अजय सिन्हा ने बताया कि बारिश से पहले नालों की सभी नालों की साफ़ सफाई के लिए निर्देश दिए गये थे. लकिन इन कर्मियों के लापरवाही से नालियों की सफाई नही हुई. जिस वजह से शहर के विभिन्न जगहों पर जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हुई है.

नगर आयुक्त द्वारा जारी किये गये शो कॉज नोटिस के बाद अब इन कर्मियों पर कार्रवाई होनी तय है. इसके अलावें नगर आयुक्त ने बताया कि जिस भी जमादार या वार्ड इन्पेक्टर के सम्बन्धित वार्ड में गंदगी या जलजमाव होगा उसके ऊपर कार्रवाई की जायेगी.

गौरतलब है कि शनिवार को रात भर हुई बारिश ने पूरे छपरा की सूरत बिगाड़ कर रख दी. शहर के कई मोहल्लों और सडकों पर घुटने भर पानी भर गया. कई इलाकों में जल जमाव की स्थिति पैदा हो गयी और जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया. साथ ही सड़कों पर पानी लगने से लोगों को काफी परेशानी झेलने पड़ी.

नगर आयुक्त ने निकलवाया पानी

जिसके बाद नगर आयुक्त अजय सिन्हा और कनीय अभियंता सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने शहर के विभिन्न इलाकों का दौरा किया. साथ ही कई स्थानों पर नालों की सफाई करा-कर पानी के निकासी की व्यवस्था भी कराई. नगर आयुक्त में राहत रोड पर लगने वाले पानी की निकासी के लिए मज़दूर लगाकर पानी निकलवाया. इस दौरान नगर आयुक्त ने पाया कि कर्मियों द्वारा नालियों की सफाई नहीं कराई गयी है. जिसके बाद यह एक्शन लिया गया है.

Chhapra: वार्ड संख्या 14 के सैकड़ों घरों में पानी का सप्लाई ठप है. जिससे लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. इस वार्ड में स्थित पानी टंकी का मोटर ख़राब होने से पूरे इलाके में पिछले चार-पांच दिनों से पानी का सप्लाई बंद हो गया है. जिससे इस भीषण गर्मी में सैकड़ों घर पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. पानी की जबरदस्त किल्लत होने से लोग बेहद परेशान हैं. इसके अलावे वार्ड में कई जगह हैंडपंप का जलस्तर गिरने से लोगों की समस्याएँ और बढ़ गयी हैं. लोगों को बाद इन्तेजार है कि पानी टंकी का मोटर जल्द से जल्द दुरुस्त हो  ताकि पानी की समस्या से निजात मिले.

इस समस्या पर वार्ड आयुक्त ने कहा की टंकी का मोटर जल्द से जल्द ठीक करा लिया जाएगा. ईद की छुट्टी होने के वजह से कार्य नही हो पाया है.

अमनौर: सारण तटबंध के निकटतम तीन पंचायत धर्मपुर जाफर, बसंतपुर बंगला, अमनौर कल्याण के लगभग एक दर्जन गाँव बाढ़ के चपेट में है. कुआरी, बगही, पशुरामपुर,निचले भाग, गुणा छपरा, डवर छपरा, निशंक विष्णुपुर, शाहपुर, गोसी अमनौर, पूर्ण रूप से बाढ़ के चपेट में आ गए है. कुआरी, परशुरामपुर, गुना छपरा गाँव के प्रखंड मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क के ऊपर से तीन चार फिट पानी तेज गति में गिर रही है, जिससे आवागमन मार्ग अवरुद्ध हो गया है. बगही नहर पुल के पास बाढ़ पीड़ित घर छोड़कर तंबू गाड़कर रह रहे है.

कुछ लोग पानी की धारा इतनी तेज है कि आस पास के गाँव को भी 24 घण्टा के अंदर आगोश में ले लेगी. ग्रामीण केले के नाव बनाकर आने जाने का संसाधन बनाए हुए है. ग्रामीण राहत के लिए भटक रहे है. बाढ़ पीड़ित को कोई राहत सामग्री नही वितरण की गई है. बीडीओ बैभव कुमार, सीओ मनोज श्रीवास्तव, थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार ने बाढ़ क्षेत्रो का भ्रमण करने के दौरान कहा कि जिला प्रसाशन से चार नाव, तिरपाल, राहत सामग्री की मांग की गई है. जल्द ही शिविर लगाकर राहत सामग्री की वितरण करने की बात कही.

छपरा: गर्मी ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है. ऐसे में सभी को ठंडे पानी की चाहत होती है. गर्मी के मौसम शुरू होते ही देसी फ्रिज यानी मटके की मांग बढ़ गयी है.

शहर से लेकर गांवों में लोग मटके खरीद रहे है. जिसे लेकर बाज़ारों मटकों की दुकान सज गयी है. बिजली नही होने पर फ्रिज तो काम नही करता पर देसी फ्रिज के ठंडे पानी से राहत मिलती है. मिट्टी के इन मटकों की मांग बढ़ने से इस व्यवसाय में लगे लोगों के आमदनी के श्रोत बढ़े है. प्लास्टिक के बर्तनों आदि के आने के बाद से कुम्हारों के व्यवसाय पर बड़ा असर पड़ा है.

मिट्टी के मटके में रखे पानी की सोंधी खुशबू आपको भी भा रही होगी. इस प्राकृतिक फ्रिज को गावों से लेकर शहरों और महानगरों के लोग गर्मियों के दिनों में उपयोग करते दीखते है.     

पटना: महाराष्ट्र के बाद अब बिहार भी धीरे-धीरे जलसंकट की और बढ़ रहा है.ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक दक्षिण बिहार के 17 जिलों में भू-जलस्तर में गिरावट आई है.लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2014 की तुलना में मार्च 2016 में राजधानी पटना समेत 17 जिलों के भू-जलस्तर में गिरावट आई है.

इन जिलों के भू-जलस्तर में आई है गिरावट

जांच रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी पटना, गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, कैमूर, सासाराम, नवादा, नालंदा,मुंगेर, भागलपुर, जमुई, शेखपुरा, लखीसराय और भोजपुर जिलों के भू-जलस्तर में गिरावट आई है.

क्या कहते हैं भू-गर्भ के जानकार

भू-जलस्तर में आई गिरावट पर विशेषज्ञों का मानना है कि जलस्तर के कम होने से चापाकल और कुँए तथा तालाबों के सूखने की स्थिति हो सकती है जिससे आम आदमी के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी संकट का सामना करना पड़ सकता है.