Chhapra: लोक आस्था का पर्व छठ के मौके पर घाटों की साफ-सफाई को लेकर छपरा के विधायक डॉ सी एन गुप्ता शनिवार को कई नदी घाटों का निरीक्षण किया.

उन्होंने साहेबगंज, सोनारपट्टी, रूपगंज, दहियावां समेत विभिन्न घाटों का जायजा लिया. घाटो की साफ-सफाई के प्रति गंभीरता को लेकर विधायक ने दूरभाष पर अधिकारियों को निर्देश दिया.

विधायक श्री गुप्ता ने कहा कि छठ पर्व की मान्यता इस इलाके में काफी है. हर घर में पर्व होता है. व्रतियों और श्रद्धालुओं को कठिनाई न हो इसके लिए प्रशासनिक पहल जरूरी है. घाट तक जाने वाले रास्तों को दुरूस्त किया जाना आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि नदी में पानी नहीं रहने के कारण अर्ध्य देने में लोगों को कठिनाई होगी. इसके लिए मशीन से नदी में गड्डा कराया जाय ताकि लोगों को सहुलियत हो.

इस मौके पर राजेश फैशन समेत कई कार्यकर्ता और नेता उपस्थित थे.

Chhapra: महापर्व चैत्र छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शनिवार से प्रारंभ है. महापर्व को लेकर रविवार को व्रती संध्या समय मे खरना की विधि सम्पन्न करेगी. खरना के बाद से ही व्रतियों द्वारा 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ हो जाएगा. सोमवार की संध्या व्रतियों द्वारा अस्ताचलगामी भगवान और मंगलवार की सुबह उदयीमान भगवान भाष्कर को अर्ध्य देने के साथ यह अनुष्ठान संपन्न होगा.

कोरोना वायरस को लेकर इस वर्ष अपने अपने घरों से ही व्रती छठ व्रत करेगे. पूरे देश के साथ जिले में भी लॉक डाउन है ऐसे में लोग घरों में ही रहकर इस व्रत को करेगे.

जिले के एकमात्र नारांव सूर्य मंदिर कमिटी ने भी इस चैत्र माह के छठ व्रत को आने घरों से ही मनाने का आह्वान किया गया है. मंदिर के आचार्य नंद किशोर तिवारी ने बताया है कि कोरोना वायरस के प्रति सभी को जागरूक रहने की जरूरत है.महापर्व छठ सूर्य उपासना का पर्व है लेकिन इसमें भीड़ को देखते हुए इस वर्ष चैत्र छठ में किसी तरह का कार्यक्रम सूर्य मंदिर नारांव में आयोजित नही होगा. उन्होंने सभी व्रतियों से अपने अपने घरों से ही भगवान की पूजा करने और घर से ही अर्घ्य देने का आह्वान किया है.

Chhapra: लोक आस्था का महापर्व चैत्र छठ प्रारंभ हो गया. महापर्व के पहले दिन नहाय खाय के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है. व्रतियों ने घरों में ही इस पर्व की शुरुआत की.

कोरोना वायरस के चलते व्रती इस बार घरों से ही भगवान की पूजा करने को तैयार है.

शहर में पूजा पाठ के समान बेचने वाली दुकानी खुली है, वही फल भी भरपूर मात्रा में मिल रहे है. हालांकि कुछ ग्रामीण इलाकों में फल की कम दुकान खुल रही है जिससे व्रती के परिवार वालो को थोड़ी दूर जाना पड़ रहा है. इसके बावजूद लोगो की आस्था भगवान के प्रति कायम है. इस पर्व को लेकर व्रतियों का कहना है कि वह जितना समान मिलेगा उसी से भगवान भाष्कर की पूजा अर्चना करेगी.

नहाय खाय के बाद व्रती खरना और फिर अस्ताचलगामी भगवान को प्रथम अर्घ्य देगी वही दूसरे दिन भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हो जाएगा.

फ़ाइल फ़ोटो

Chhapra: सूर्य उपासना के तीसरे दिन व्रतियों ने नदी घाट, तालाब एवं सरोवरों में खड़ा होकर अस्ताचलगामी भगवान को अर्घ्य दिया. व्रतियों ने पानी मे खड़ा होकर हाथ मे कलसुप और उसमे ईख, नारियल, नीबू, फल, फूल और ठेकुआ का भगवान का अर्घ्य दिया और परिवार को शुभ शांति एवं समृद्धि की कामना की.

अस्तचलगामी भगवान को अर्घ्य देने के लिए व्रतियों द्वारा सुबह में पकवान बनाया गया. दोपहर बाद व्रती परिवार के सदस्यों के साथ माथे पर दउरा लिए नदी घाट, सरोवर, तालाब पहुंचे. कइयों ने अपनी मन्नत के अनुसार लेट कर तथा गाजे बाजे के साथ नदी घाट पहुंचे और सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया.

महापर्व छठ को लेकर शहर से सटे सीढ़ी घाट, नेवाजी टोला, धर्मनाथ मंदिर, इनई, रिविलगंज, डोरीगंज और मांझी के दर्जनों घाट पर साफ सफाई और लाइटिंग की व्यवस्था आयोजकों द्वारा की गई थी.

महापर्व छठ में कोठयाँ के सूर्य नारांव मंदिर में हजारों व्रती भगवान को अर्घ्य देने पहुंचे.

व्रती चौथे दिन की उपासना में रविवार को भगवान भाष्कर को अर्घ्य देगी.

Bihar: आस्था के महापर्व छठ की छटा आम से लेकर खास तक दिख रही है. बिहार में जन्मे बसे और लगाव रखने वाले हरएक के लिए यह पर्व खास होता है. इस पर्व को मनाने के लिए, देखने के लिए और इसमें शामिल होने के लिए देश ही नही विदेशों से भी लोग अपने आप खिंचे चले आते है. आस्था के इस महापर्व में हर कोई अपनी अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर सेवा भाव मे जुट जाता है.

पत्रकारिता जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले एक दर्जन से अधिक पत्रकार भी इस महापर्व में शामिल होने अपने घर आते है.

इस बार एनडीटीवी के रविश कुमार आपने घर पहुंचे है. लंबे अर्से बाद छठ में घर आने की कसक उनके सोशल मीडिया पर दिख रही है. लोगो से मिलना, गांव जवार की बाते, ठेठ देशी अन्दाज में बतियाने वाले रवीश कुमार का मिट्टी से अलग ही जुड़ाव देखने को मिल रहा है.

छठ पर्व के पहले अर्घ्य के दिन उन्हें दउरा उठाने का मौका मिला. लेकिन इसे उठाने के पहले ही उन्हें एक बार फिर अपने को साबित करना पड़ा. इस बात को लेकर रवीश कुमार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है कि “छठ में गाँव आया हूँ . घर के लोग मेरी परीक्षा ले रहे थे कि मैं दौरा उठाऊँगा की नहीं. नंगे पाँव चलूँगा कि नहीं. सबको ग़लत साबित कर दिया. कितनी निगाहों और इम्तहानों से मेरी ज़िंदगी गुज़रती है, ख़ुद को उन सबसे मुक्त रखता हूँ लेकिन नंगे पाँव चलकर लोगों की तकलीफ़ को महसूस किया और दौरा उठा कर उस भार को जी लिया जो सबके हिस्से आता है. लोक पर्व में लोक होना पड़ता है. बहुत आनंद आया. आप सभी को छठ की बधाई. मुझे ज़मीन पर रखने के लिए भी शुक्रिया.”.

बेशक इन शब्दों ने बिहार और बिहारियों की कर्मठता, छठ के प्रति आस्था और शारीरिक क्षमता को बल दिया है. वास्तव में यह महापर्व छठ देश के कुछ लोगो के लिए भले ही एक पर्व त्यौहार हो लेकिन इसका महत्व सिर्फ बिहार और बिहारी जान सकते है.

Chhapra: चैती छठ नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. छठ पूजा को लेकर घाटों के निर्माण में जुटें समितियों के लिए नदी घाटों के नजदीक पानी नहीं होने से परेशनी हो रही है. छठ घाटों का निर्माण कृत्रिम तरिके से किया जा रहा है. इसके लिए जेसीबी की सहायता से रेत इकठ्ठा कर घाटों का निर्माण स्थानीय लोगों के द्वारा कराया जा रहा है.\

शहर के सभी नदी घाटों का बमुश्किल यही हाल है. व्रतियों को परेशानी ना हो इसके लिए समितियों के द्वारा अपने स्तर से तैयारियां करायी जा रही है. छठ पूजा में नदी घाटों के आलावे लोग छतों और तालाबों के किनारे भी पूजा करते है.

छपरा शहर के पूर्वी भाग स्थित नदी घाटों में छठ पूजा के लिए चल रही तैयारियों का हमारे संवाददाता कबीर ने जायजा लिया.

देखिये यह रिपोर्ट

लहलादपुर: मंगलवार को छठ का प्रसाद तैयार करने के दौरान चिंगारी उड़ने से एक फुसनुमा मकान में आग लग गयी. यह आग जनता बाजार थानाक्षेत्र के सिरिस्तापुर गांव निवासी मनन महतो के घर मे लगी. देखते ही देखते सारी संपत्ति सहित फुसनामा मकान धू-धू कर जलकर स्वाहा हो गया. मकान में रखे सारे समान ऐसे जला कि महतो एवं उनके परिवार को खाने के लिये अनाज जल गया.

घटना मंगलवार के सुबह आठ बजे की बतायी जाती है. बताया जाता है कि घटना के समय परिवार के सभी सदस्य छठ की तैयारी में व्यस्त थे. समाजसेवी देवनाथ शर्मा द्वारा सुधी लेते हुए सीओ, राजस्व कर्मचारी एवं मुखिया को आग में महतो की सारी संपत्ति स्वाहा होने की सूचना दी गईं. समाचार प्रेषण तक पीड़ित को प्रशासन या किसी जनप्रतिनिधि द्वारा सहायता दिये जाने की सूचना नहीं है.

Chhapra: आस्था का महापर्व छठ बुधवार को उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया. व्रतियों ने पानी मे खड़े होकर भगवान भाष्कर और माँ छठी की उपासना की और परिवार सहित समाज की सुख शांति और वृद्धि के लिए कामना की. इसके साथ ही व्रतियों ने पुनः अगले वर्ष आने की भी कामना की.

छठ घाटो पर एक तरफ जहां व्रती माँ छठी की उपासना में लीन दिखे वही युवा वर्ग अपनी सेल्फ़ी लेने में मग्न दिखा. छठ की पूरी तैयारी और घाटो पर ली गयी सेल्फी से पूरा सोशल मीडिया अपडेटेड है. फेसबुक से लेकर व्हाट्सएप, ट्विटर सहित अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर छठ से जुड़ी तस्वीर इस महापर्व को वैश्विक विस्तार में सहयोग कर रही है. दूर देश, प्रदेशों में बैठें अपनो को महापर्व से अवगत करा रही है.

छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार का पर्व माना जाता है लेकिन धीरे धीरे इसकी ख्याति में विस्तार हुआ है. वर्तमान समय मे देश के विभिन्न राज्यों में यह पर्व अब धूम धाम से मनाया जाता है. महापर्व छठ की छटा अब विदेशों तक पहुंच चुकी है. जहाँ जहाँ भी बिहार के रहने वाले लोग बसे है उन जगहों पर छठ का पर्व धूम धाम से मनाया जा रहा है.

Chhapra: आस्था के महापर्व के जश्न में सभी गोते लगा रहे है. चार दिवसीय महापर्व के तीसरे दिन संध्या पहर में अस्ताचलगामी भगवान को अर्घ्य दिया गया.

वही छठ घाटो से वापसी के बाद व्रतियों ने अपने अपने घरों में कोसी भरी गयी. घर के सभी सदस्यों के साथ व्रतियों ने कोसी भरी. इस अवसर पर व्रतियों और महिलाओं ने पारंपरिक छठ गीतों को भी गाया जा रहा था.

ऐसी मान्यता है कि अपने मन्नतों की पूर्ति होने के बाद छठ व्रती अनुष्ठान के तीसरे दिन प्रथम अर्घ्य देने के बाद अपने घर के आँगन एवं छत पर कोसी भराई की विधि पूरी की जाती है. दूसरे दिन प्रातः अनुष्ठान के चौथे दिन छठ घाट पर पुनः इन कोसी को भरा जाता है. जिसके बाद उदयीमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया जाता है.

Chhapra: आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है. अनुष्ठान के दूसरे दिन सोमवार को व्रतियों ने नदी, सरोवर एवं तालाबों में स्नान कर पूजा अर्चना की. स्नान ध्यान के बाद व्रति अब संध्या में भोजन की तैयारी करेगी.

व्रत के दूसरे दिन व्रती गुड़ की खीर, रोटी, पराठा एवं केला से खरना विधि को पूरा करती है. खरना विधि के साथ ही सूर्य आरधना के महापर्व छठ को लेकर 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारम्भ हो जाएगा.

Chhapra: दूर देश-विदेशों रहने वालों को हर समय अपनी मिट्टी की याद आती है. खासकर त्योहारों में तो अपने शहर देश से दूर रहना सभी को खलता है. ऐसे में जो जहाँ है वही से त्योहारों से जुड़ना चाहते है. डिजिटल क्रांति के इस युग में सोशल साइट्स ने दूरियाँ कम की है. लोग अपने शहर और वहां के त्योहारों को देख पा रहे है और उनसे जुड़ भी रहे है.

देश से दूर रहने वाले कई लोगों के छपरा टुडे डॉट कॉम को छठ के गीत अपनी आवाज़ में गाकर भेजें है. कनाडा के टोरंटो में रहने वाली सुमिता सिन्हा उनमे से एक है.

सुमिता ने भोजपुरी स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के गाए कई गीतों को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड कर हमें भेजा है. सुमिता कनाडा में आईटी कंसल्टेंट् है और मूल रूप से सारण की रहने वाली है. उनके पिता इंजिनियर व गाडा के चेयरमैन रह चुके है. वही उनके दादाजी छपरा के जाने माने वरिष्ठ अधिवक्ता थे.

कई वर्षों से अमेरिका में रहने के बावजूद अपने लोगों और अपनी संस्कृति से उनका जुड़ाव बना हुआ है. छठ पूजा के गीतों को गाकर उन्होंने अपने संस्कृति और परंपरा को जीवंत रखने की कोशिश की है. अपनी परंपराओं और संस्कृति से जुड़े रहना अपने आप में सराहनीय है.  

आप भी सुनिए (वीडियो साभार: Sumita Sugandha)

उन्होंने बताया कि मैथिली भाषा में छठ पूजा का एक पारंपरिक गाना गाने की कोशिश की है. यह गीत सुबह के अर्घ्य में गाया जाता है.

आप भी सुनिए.

 

Chhapra: छठ पूजा की महिमा और इसकी लोकप्रियता सर्वविदित है. दूर देश रहने वाले लोग भी छठ में अपने घर आते है और परिवार वालों के साथ छठ पूजा करते है.

लोक आस्था के इस महापर्व की शुरुआत आज से हो रही है. व्रतिया आज नहाय खाय के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत करेंगी.

नहाय-खाय पर व्रती स्नान आदि कर छठ का प्रसाद बनाएंगी और ग्रहण करेंगी.

छठ पूजा को लेकर बाज़ारों में भी रौनक बढ़ गयी है. सालों भर घर से दूर रहने वाले भी छठ में घर पहुंचे है और इस महापर्व को मनाने में जुटे है.

chhapratoday टीम की ओर से आप सभी को महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनायें.