अब डिजिटल डेटा बेस से फाइलेरिया मरीजों की पहचान, उपचार और दवा वितरण की होगी सटीक निगरानी

अब डिजिटल डेटा बेस से फाइलेरिया मरीजों की पहचान, उपचार और दवा वितरण की होगी सटीक निगरानी

Chhapra: फाइलेरिया उन्मूलन के दिशा में सारण जिला स्वास्थ्य विभाग ने एक बड़ी पहल की है। अब फाइलेरिया मरीजों का डिजिटल डाटा बेस तैयार किया जा रहा है, जिससे मरीजों की वास्तविक स्थिति की निगरानी और बेहतर इलाज की योजना बनाना आसान होगा। इस कार्य के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन प्लेटफॉर्म (IHIP) पोर्टल का उपयोग किया जा रहा है।

जिला स्वास्थ्य समिति के अनुसार अब तक जिले के 12 हजार से अधिक फाइलेरिया मरीजों का डाटा आईएचआईपी पोर्टल पर अपलोड किया जा चुका है। इनमें हाथी-पांव (Lymphedema) और हाइड्रोसील दोनों प्रकार के मरीज शामिल हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस पोर्टल के माध्यम से प्रत्येक मरीज की रियल टाइम मॉनिटरिंग संभव हो सकेगी। मरीज का नाम, पता, बीमारी का प्रकार, उपचार की स्थिति और दी जा रही दवा जैसी जानकारी डिजिटल रूप में दर्ज की जा रही है। इससे मरीजों की निरंतर ट्रैकिंग, दवा वितरण, और इलाज में आने वाली बाधाओं की पहचान तेजी से की जा सकेगी।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि सारण में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम लगातार चलाए जा रहे हैं। वहीं डिजिटल डेटा बेस बनने से अब योजनाओं की समीक्षा और भविष्य की रणनीति तय करने में पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि जिले के सभी स्वास्थ्य उपकेंद्रों, पीएचसी और सीएचसी स्तर पर प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा मरीजों की पहचान और डेटा प्रविष्टि का कार्य किया जा रहा है। आने वाले समय में इस पोर्टल को जिला अस्पताल के साथ जोड़ा जाएगा, जिससे मरीजों को एकीकृत स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।

डिजिटल हथियार से फाइलेरिया पर वार:

यह पोर्टल फाइलेरिया मरीजों के लिए डिजिटल डैशबोर्ड तैयार करेगा, जिसमें मरीज की व्यक्तिगत जानकारी, बीमारी की गंभीरता, प्रभावित अंग, ग्रेडिंग, उपचार की स्थिति और दिव्यांगता प्रमाण-पत्र की स्थिति भी शामिल होगी। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस क्षेत्र में फाइलेरिया के कितने मरीज हैं और किसे किस स्तर की मदद की जरूरत है।

क्या है आईएचआईपी पोर्टल?

आईएचआईपी, भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक डिजिटल पहल है, जो विभिन्न बीमारियों की निगरानी को तकनीक के माध्यम से केंद्रीकृत और दक्ष बनाता है। यह पोर्टल फाइलेरिया जैसी दीर्घकालिक बीमारियों की ट्रैकिंग, रोगियों की पहचान, समय पर उपचार और रिपोर्टिंग के लिए उपयोगी उपकरण साबित होगा। अब वह समय गया जब फाइलेरिया मरीज नजर से ओझल हो जाते थे। इस पोर्टल से हर मरीज की स्थिति साफ़ तौर पर दिखाई देगी – कौन पीड़ित है, कब से, और क्या इलाज मिल रहा है। इसके आधार पर सरकार नीतिगत निर्णय भी बेहतर ले सकेगी।

पेपरलेस व्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम

इस प्रक्रिया के तहत अब मरीजों का विवरण रजिस्टरों में दर्ज करने की परंपरा खत्म होगी। पूरी प्रणाली पेपरलेस होगी, जिससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि डाटा की सुरक्षा और उपलब्धता भी बढ़ेगी। मोबाइल, टैबलेट या कंप्यूटर से अधिकारी कहीं से भी डाटा देख और अपडेट कर सकेंगे।

आईएचआईपी पोर्टल की मुख्य विशेषताएं

• रियल टाइम मरीज डैशबोर्ड
• पेपरलेस डेटा मैनेजमेंट
• ग्रेडिंग व अंग की स्थिति का रिकॉर्ड
• प्रमाण-पत्र ट्रैकिंग
• स्मार्ट ट्रैकिंग व रिपोर्टिंग

फाइलेरिया मरीजों की निगरानी में सार्थक कदम:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि अब हम फाइलेरिया जैसी बीमारी से सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि निगरानी और डेटा के स्तर पर भी लड़ेंगे। आईएचआईपी पोर्टल की मदद से हमें हर मरीज की पूरी प्रोफाइल एक जगह देखने को मिलेगी । उसे कब से तकलीफ है, कौन सा अंग प्रभावित है, क्या उसे दिव्यांगता प्रमाणपत्र मिल गया है या नहीं। इससे न सिर्फ हमारे फील्ड स्तर के कर्मचारियों को सही दिशा मिलेगी, बल्कि हम योजनाओं की प्रभावशीलता का भी मूल्यांकन बेहतर तरीके से कर सकेंगे।

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