Chhapra: अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था लायंस क्लब छपरा सारण की युवा इकाई लियो क्लब छपरा सारण की नई कार्यकारिणी का गठन सत्र 2025 – 26 हेतु सोमवार को आयोजित एक नियमित बैठक में किया गया, जिसका कार्यकाल 01 जुलाई 2025 से शुरू हो चुका है।

बैठक लायंस पदाधिकारियों के नेतृत्व में की गई जिसमें मुख्य रूप से लियो क्लब के चेयरपर्सन लायन प्रमोद कुमार मिश्रा और लियो क्लब के चार्टर प्रेसिडेंट लायन डा मनोज कुमार वर्मा संकल्प मौजूद रहें।

क्लब के सदस्यों की सर्वसम्मति से नए अध्यक्ष के रूप में पिछले छह वर्षों से क्लब में अपनी सेवा दे रहे सदस्य लियो विशाल भास्कर को चुना गया वहीं लियो मोनू कुमार को सचिव तो महिला सशक्तिकरण को मजबूती देने के लिए लियो सुल्ताना प्रवीण को कोषाध्यक्ष की जिम्मेवारी दी गई। उपाध्यक्ष के रूप में क्लब के सक्रिय सदस्य लियो विकास कुमार पटेल को चुना गया।

नवचयनित अध्यक्ष विशाल भास्कर ने बताया कि लियो क्लब छपरा सारण हमेशा से सदस्यों के सहयोग से समाज कल्याण और युवाओं के हित में एक से बढ़कर एक कार्य करते आ रहा है और मैं विश्वास दिलाता हूं कि मेरे कार्यकाल में भी क्लब के द्वारा सभी प्रकार के सेवा कार्य जरूरतमंदों के कल्याण हेतु की जाएगी।

वहीं लायंस क्लब के पूर्व जिलापाल डॉ एस के पांडे ने नए अध्यक्ष को बधाई देते हुए कहा कि लियो विशाल भास्कर क्लब के सक्रिय सदस्य रहें हैं और पूर्ण विश्वास है कि लियो क्लब इनके नेतृत्व में छपरा शहर और आस पास के ग्रामीण क्षेत्र में भी युवाओं को जागरूक कर एक सही दिशा देने का प्रयास करेगी।

इस अवसर पर लायंस क्लब के अध्यक्ष लायन संजय आर्या, लियो क्लब के निर्वतमान अध्यक्ष लियो सुप्रीम, लियो आदिल खान, लियो धनंजय, लियो प्रकाश कुमार, लियो मनोज, लियो छोटू, लियो सूरज, लियो आशुतोष, लायन दिलीप चौरसिया, लायन अमर कुमार, लायन वासुदेव गुप्ता, लायन नागेन्द्र कुमार आदि सदस्य मौजूद थें, जिन्होंने नई टीम को बधाई दी ।

उक्त जानकारी लियो क्लब के को चेयरपर्सन लायन साकेत श्रीवास्तव ने दी।

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स्वतंत्रता दिवस समारोह में भारत सरकार के विशेष अतिथि होंगे मैथिली के युवा लेखक गुंजन श्री

सहरसा: आगामी 15 अगस्त को भारत सरकार द्वारा दिल्ली स्थित लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए मैथिली के युवा लेखक गुंजन श्री को आमंत्रित किया गया है। यह आमंत्रण प्रधानमंत्री युवा लेखक योजना के तहत चयनित लेखकों को मिला है। जिसके लिए रक्षा मंत्रालय एवं शिक्षा मंत्रालय कार्यालय द्वारा भी जारी किया गया है।

देशभर से चयनित 100 युवा लेखकों में से मैथिली भाषा से गुंजन श्री इकलौते लेखक हैं, जिन्हें यह आमंत्रण उनकी भाषायी लेखन यात्रा के लिए प्राप्त हुआ है। यह न सिर्फ मिथिला क्षेत्र बल्कि मैथिली भाषा के लिए भी महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। गुंजन श्री मधुबनी जिला के बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्राधीन रामनगर गांव निवासी मैथिली के लेखक कमल मोहन चुन्नू के पुत्र हैं और फिलवक्त पटना आईआईटी में कार्यरत हैं।

गुंजन श्री मैथिली भाषा साहित्य के प्रमुख युवा लेखक हैं। इनकी अब तक चार किताबें ‘प्रेमक टाइमलाइन’, ‘तरहथ्थी पर समय’, ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में मिथिला के दलित समाजक योगदान’ और ‘समय-संदर्भ’ प्रकाशित है।वहीं पांचवीं पुस्तक ‘मर्सी’, जो कि यात्रा संस्मरण, प्रकाशाधीन है।

उल्लेखनीय है कि गुंजन श्री इससे पूर्व राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में भी मैथिली भाषा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और अब तक 22 देशों में अपनी भाषा और साहित्य को लेकर संवाद कर चुके हैं।

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Adra Nakshatra: 22 जून से आद्रा नक्षत्र की शुरुआत हो चुकी है। यह न केवल भारतीय धर्म, संस्कृति और ज्योतिष में विशेष महत्व रखता है, बल्कि इससे जुड़ी कई लोक मान्यताएं भी प्रचलित हैं। विशेष रूप से बिहार में, आद्रा को पारंपरिक और प्राकृतिक रूप से मनाने की प्रथा चली आ रही है। इस अवसर पर सात्विक भोजन का विशेष महत्व होता है, जो शुद्धता और आंतरिक शांति का प्रतीक माना जाता है।

शास्त्रों में आद्रा का महत्व

शास्त्रों के अनुसार आर्द्रा नक्षत्र का सीधा संबंध भगवान शिव के रुद्र रूप से है। रुद्र, शिव जी का वह रूप है जो तेज, उग्र और संहारक माना जाता है। जब आर्द्रा नक्षत्र आता है, तो इसे रुद्र की विशेष उपस्थिति का समय माना जाता है। ऐसे समय में अगर कोई व्यक्ति भगवान रुद्र की पूजा करता है, व्रत रखता है और हल्का, सात्विक भोजन करता है, तो उसे मन की शांति, बीमारियों से सुरक्षा और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। इसी वजह से इस दिन ज्यादा तैलीय, मसालेदार या भारी भोजन से बचने की सलाह दी जाती है, ताकि शरीर और मन दोनों साफ-सुथरे और शांत बने रहें। यही अवस्था पूजा और ध्यान के लिए सबसे सही मानी जाती है।

आद्रा को लेकर लोक मान्यताएं

बिहार में यह लोक मान्यता प्रचलित रही है कि आर्द्रा नक्षत्र से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। इसी समय खेतों में धान का बीज डाला जाता है, जिससे खेती का मौसम विधिवत आरंभ होता है। इस अवसर पर महिलाएं घर पर दाल-पूरी, खीर और आम का सात्विक भोजन बनाकर अपने कुल देवी-देवताओं को भोग अर्पित करती थीं। चूंकि इस मौसम में आम प्रमुख फल होता है, इसलिए इसका विशेष महत्व माना जाता था।

आद्रा नक्षत्र को लेकर एक प्रसिद्ध लोक कहावत भी है:

“आदरा के बदरा बरिस गइलें आजु, इनर बरिसिहें कहिया”

इस कहावत के माध्यम से लोग इंद्र देव से वर्षा की प्रार्थना करते थे और कहते थे कि—आर्द्रा नक्षत्र का जो बादल था, उसकी बारिश तो हो गई, लेकिन हे इंद्र देव! आपकी कृपा की वह भरपूर वर्षा कब होगी, जिससे धान के खेतों को पूरी तरह जल मिल सके और फसल लग सके? हालांकि समय के साथ-साथ ये परंपराएं और मान्यताएं अब विलुप्त होती जा रही हैं। न तो यह कहावत अब सामान्य जन-जीवन में सुनाई देती है, और न ही वह पारंपरिक सात्विक भोजन संस्कृति पहले जैसी रह गई है।

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Chhapra: कत्थक नृत्यांगना कुमारी अनीषा को चिरांद कला रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीत कुमार गर्ग, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी डॉ विभा भारती समेत कई गणमान्य लोगों ने प्रदान किया।

कत्थक नृत्यांगना कुमारी अनिशा ने मनमोहक प्रस्तुति दी। उनकी कला साधना को सम्मानित करते हुए उन्हें ‘चिरांद रत्न सम्मान’ प्रदान किया गया। 

डोरीगंज चिरांद स्थित ऐतिहासिक बंगाली बाबा घाट पर भव्य गंगा महाआरती सह गंगा बचाओ संकल्प समारोह में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया। यह आयोजन गंगा, सरयू और सोन नदियों के संगम पर श्रद्धा, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए प्रत्येक वर्ष होता है।

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– 10 मई को सीतामढ़ी में सजेगा धर्म, संस्कृति और लोक जीवन का मंच
– राज्यपाल होंगे मुख्य अतिथि, धार्मिक और आध्यात्मिक हस्तियां बनेंगी साक्षी
– समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार की पहल पर भारत की सांस्कृतिक विविधता का महोत्सव

सीतामढ़ी, 06 मई (हि.स.)। जब देश वैश्विक सोच और आधुनिक जीवनशैली की ओर तेजी से बढ़ रहा है, तब ऐसी कौन-सी शक्ति है जो हमारी जड़ों से हमें जोड़े रखती है? वह शक्ति है- लोक संस्कृति, जो पीढ़ियों से समाज को दिशा देती आई है। इसी लोक परंपरा का सबसे उज्ज्वल प्रतीक हैं मां सीता… जिनके त्याग, धैर्य और मर्यादा ने न केवल धार्मिक कथा को जीवंत किया, बल्कि भारतीय समाज की आत्मा को भी आकार दिया। उनके आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे त्रेता युग में थे। आगामी 10 मई को सीतामढ़ी में आयोजित होने वाला सीता महोत्सव-2025 लोक संस्कृति के पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण अवसर है।

भारतीय भाषाओं की आवाज देश की एकमात्र बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार 10 मई को सीता महोत्सव-2025 के जरिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की विविधता को एकसूत्र में पिरोएगी। श्री जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम सीतामढ़ी का प्रेक्षागृह ‘लोक संस्कृति एवं लोकजीवन में मां सीता’ विषयक सीता महोत्सव-2025 का साक्षी बनेगा। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य मां सीता के जीवन और उनके लोकजीवन में योगदान को समर्पित करना है। हिन्दुस्थान समाचार समूह के अध्यक्ष अरविन्द भालचंद्र मार्डीकर कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार समूह के मुख्य समन्वयक राजेश तिवारी ने कहा कि सीता महोत्सव यह संदेश देगा कि अगर हमें एक मजबूत, नैतिक और एकजुट भारत चाहिए तो हमें अपनी लोक संस्कृति की ओर लौटना होगा- उस संस्कृति की ओर जिसकी जड़ें मां सीता के जीवन से सिंचित हैं। उन्होंने बताया कि लोक संस्कृति में मां सीता का स्थान अडिग है और सीता महोत्सव लोकजीवन में उनके योगदान को पुनः स्थापित करने का एक प्रयास है। यह कार्यक्रम भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को सम्मानित करने का भी आदर्श उदाहरण बनेगा और मां सीता के आदर्शों से जुड़कर समाज को नई दिशा देगा।

राज्यपाल समेत धार्मिक और आध्यात्मिक हस्तियां बढ़ाएंगी महोत्सव की शोभा

सीता महोत्सव में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान बतौर मुख्य अतिथि भाग लेंगे। वे इस अवसर पर मां सीता के जीवन और उनके योगदान को लेकर अपने विचार साझा करेंगे। साथ ही, पीठाधीश्वर श्री जानकी जन्मभूमि मंदिर पुनौराधाम के श्रीमहंत कौशल किशोर दास जी महाराज आशीर्वचन देंगे। मुख्य वक्ता सिद्धपीठ हनुमत निवास अयोध्या धाम के श्रीमहंत आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज, बगही धाम सीतामढ़ी के श्रीमहंत डॉ. शुकदेव दास जी महाराज और बतौर विशिष्ट अतिथि श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की अनन्त श्री विभूषित महामंडलेश्वर श्री मां योग योगेश्वरी यती जी जैसी धार्मिक और आध्यात्मिक हस्तियां भी मौजूद रहेंगी। महोत्सव में विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य सूचना आयुक्त पदुम नारायण द्विवेदी और भाग्य विधाता चैरिटेबल एवं ट्रस्ट (रजि.) के संस्थापक अध्यक्ष राम सुरेश चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष संतोष सुरेश चौधरी, निदेशक भाष्कर झा भी उपस्थित होंगे।

सजेगी सांस्कृतिक सुर संध्या, उदय और सुरेन्द्र छेड़ेंगे स्वर

इस महोत्सव में सांस्कृतिक सुरों की शाम भी सजेगी। बिहार के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित उदय कुमार मलिक और भजन गायक डॉ. सुरेन्द्र कनौजिया अपने संगीत से इस कार्यक्रम को और भी रंगीन करेंगे। उनकी मधुर और शास्त्रीय गायकी न केवल कार्यक्रम में रूहानी अहसास जोड़ेगी, बल्कि यह भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति सम्मान और श्रद्धा को भी नए स्तर तक पहुंचाएगी। सांस्कृतिक मंच पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के सुरों में गजब का जोश और ऊर्जा देखने को मिलेगी। शास्त्रीय संगीत और मां सीता के जीवन के मिले-जुले प्रभाव कार्यक्रम में चार चांद लगाएंगे।

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