Sawan Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, खासकर जब यह व्रत श्रावण मास (सावन) में पड़ता है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और ऐसे में प्रदोष व्रत का पुण्य और भी ज्यादा बढ़ जाता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, चाहे वो कृष्ण पक्ष की हो या शुक्ल पक्ष की। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा खास तौर पर प्रदोष काल (संध्या समय) में की जाती है। मान्यता है कि इस समय शिवलिंग पर जलाभिषेक और मंत्रों के जाप से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं।
सावन प्रदोष व्रत 2025 की तारीखें
इस साल सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस दौरान दो प्रमुख प्रदोष व्रत पड़ेंगे- 22 जुलाई 2025 (मंगलवार)- कृष्ण पक्ष त्रयोदशी भौम प्रदोष व्रत, 6 अगस्त 2025 (बुधवार)- शुक्ल पक्ष त्रयोदशी बुध प्रदोष व्रत। बता दें कि जब प्रदोष व्रत सोमवार को हो तो उसे सोम प्रदोष, मंगलवार को भौम प्रदोष और शनिवार को शनि प्रदोष कहा जाता है।
प्रदोष व्रत कैसे रखें, जानिए आसान विधि
- सुबह स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर या शिवलिंग के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें।
- दिन भर फलाहार या केवल जल से उपवास रखें। कुछ श्रद्धालु निर्जल व्रत भी रखते हैं।
- शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग का अभिषेक करें।
पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री
- बेल पत्र
- गंगाजल
- दूध, दही, शहद, घी
- भस्म, चंदन, धतूरा
- फूल, दीप, धूपबत्ती
- नैवेद्य (भोग) आदि
जाप करने के लिए प्रमुख मंत्र
ॐ नमः शिवाय (शिव पंचाक्षरी मंत्र)
महा मृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा, रुद्राष्टक, लघु रुद्र पाठ आदि
प्रदोष व्रत कब और कैसे खोलें?
प्रदोष व्रत का पारण (व्रत खोलना) अगले दिन सुबह किया जाता है
- पहले स्नान करें
- फिर शिव जी की पूजा करें
- किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं या गरीबों को दान दें
- इसके बाद व्रत खोलें
सावन प्रदोष व्रत 2025 शिव भक्ति का एक दुर्लभ अवसर है। जो भी श्रद्धा से इस दिन व्रत रखता है और नियमपूर्वक पूजा करता है, उसे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि सुख-समृद्धि और मानसिक शांति भी देता है।
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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