Raksha Bandhan 2025: हर साल सावन की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के प्यार, सुरक्षा और भरोसे का त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उसकी लंबी उम्र, सफलता और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई, अपनी बहन को जीवन भर उसकी रक्षा का वादा करता है। राखी का यह पवित्र बंधन न सिर्फ खून के रिश्तों में बंधे भाई-बहनों तक सीमित है, बल्कि यह उन सभी लोगों को जोड़ता है जो दिल से एक-दूसरे को परिवार मानते हैं, चाहे वह चचेरे-ममेरे भाई-बहन हों, दोस्त हों या कोई ऐसा जो भाई जैसा लगता हो।
रक्षाबंधन का महत्व: केवल राखी नहीं, भावना का प्रतीक
‘रक्षा’ का मतलब होता है सुरक्षा और ‘बंधन’ यानी एक बंधन। इस त्योहार में दोनों ही भावनाएं गहराई से जुड़ी होती हैं। राखी बांधने का अर्थ सिर्फ एक धागा बांधना नहीं है, बल्कि यह उस विश्वास को बांधना है जो दो दिलों के बीच होता है। बहन जब भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो वह उसके लिए दुआ करती है, उसकी सफलता, खुशी, स्वास्थ्य और जीवन की हर मुश्किल से उसकी रक्षा के लिए। बदले में भाई यह वचन देता है कि वह हर परिस्थिति में अपनी बहन की ढाल बनेगा। आज के समय में भी यह त्योहार बेहद प्रासंगिक है, क्योंकि यह हर उस रिश्ते को मजबूत करता है जो स्नेह, सम्मान और विश्वास पर टिका है।
रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथाएं
राखी से जुड़ी कई कहानियां हैं जो हिंदू धर्मग्रंथों और लोककथाओं में दर्ज हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की है। एक बार श्रीकृष्ण को हाथ में चोट लग गई थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया था। इसी भाव से भावुक होकर श्रीकृष्ण ने वचन दिया था कि वे हर हाल में द्रौपदी की रक्षा करेंगे और यह वचन उन्होंने चीरहरण के समय निभाया भी।
यमराज और यमुनाजी की कथा
एक और प्रसिद्ध कथा यमराज और यमुनाजी की है। कहते हैं कि एक बार यमुनाजी ने यमराज को राखी बांधी थी और उनकी लंबी उम्र की कामना की थी। इससे प्रभावित होकर यमराज ने उन्हें अमरत्व का वरदान दे दिया। इन कहानियों से पता चलता है कि राखी एक साधारण धागा नहीं, बल्कि आशीर्वाद और रक्षा का एक पवित्र सूत्र है।
2025 में कब है रक्षाबंधन का त्योहार? राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन 2025 में शनिवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से होगी और इसका समापन 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे पर होगा। ऐसे में राखी बांधने का शुभ समय 9 अगस्त को सुबह से दोपहर 1:24 बजे तक माना गया है। पंचांग के अनुसार, राखी बांधने का सबसे उत्तम समय सुबह 5:47 बजे से लेकर दोपहर 1:24 बजे तक है। खासकर हिंदू मान्यता में “अपराह्न काल” यानी दिन का तीसरा हिस्सा राखी बांधने के लिए सबसे शुभ होता है।
भद्रा काल में राखी बांधने से बचें
राखी बांधने से जुड़ी एक जरूरी बात यह भी है कि इसे भद्रा काल में नहीं बांधना चाहिए। भद्रा को अशुभ समय माना गया है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। इसलिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि राखी भद्रा समाप्त होने के बाद ही बांधी जाए।
रक्षाबंधन का त्योहार सिर्फ एक धागे का नहीं, बल्कि भावनाओं का, सुरक्षा के वादे का और एक गहरे रिश्ते की पहचान का त्योहार है। यह दिन न सिर्फ भाई-बहन को करीब लाता है, बल्कि समाज में भी रिश्तों की मिठास और भरोसे को मजबूत करता है। राखी के इस पर्व पर आप भी अपने किसी खास को यह पवित्र सूत्र बांधकर अपने रिश्ते को और मजबूत बना सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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