हरिद्वार, 20 सितंबर (हि.स.)। माँ शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र इस बार 22 नवम्बर से आरंभ हो रहे हैं। सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस बार एक नवरात्र अधिक होगा। चतुर्थी तिथि में वृद्धि के चलते नवरात्रि इस बार दस दिन के होंगे। इन नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी, जो की शुभ माना जाता है।
22 सितम्बर से 1 अक्टूबर तक चलने वाले नवरात्र पर्व को लेकर ज्योतिषियों के अनुसार, हाथी पर सवार माता दुर्गा का आगमन सुख, समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है। यह संकेत देता है कि देश और घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहेगी। ऐसे अवसर पर घटस्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस साल प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को रात 01: 23 बजे से 23 सितंबर को 02: 55 बजे तक रहेगा। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06: 09 से 08: 06 बजे तक है। इसके अतिरिक्त अभिजित मुहूर्त सुबह 11.49 से दोपहर 12.38 तक रहेगा। घटस्थापना की कुल अवधि लगभग 49 मिनट की है।
ज्योतिष के मुताबिक मां दुर्गा को हाथी पर सवार होकर धरा पर आना न केवल व्यक्तिगत जीवन में समृद्धि और सुख का संकेत देता है, बल्कि समाज और देश में भी स्थिरता और खुशहाली का प्रतीक होता है।
इइन नवरात्र में 22 सितंबर प्रतिपदा, 23 सितंबर द्वितीया, 24 सितंबर तृतीया, 26 व 27 सितंबर चतुर्थी, 27 सितंबर पंचमी, 28 सितंबर षष्ठी, 29 सितंबर महा सप्तमी, 30 सितंबर महा अष्टमी व 1 अक्टूबर को महा नवमी मनायी जाएगी, जबकि 2 अक्टूबर विजयादशमी पर्व का आयोजन होगा।
इस बार कलश स्थापना के समय 22 सितंबर को प्रातःकाल से शाम 07.59 बजे तक शुक्ल योग रहेगा, जिसके बाद ब्रह्म योग शुरू होगा। शुक्ल योग को कार्यसिद्धि और मंगलकारी योग माना जाता है। ऐसे में इस समय किए गए कलश स्थापना और मां दुर्गा के आह्वान को विशेष फलदायी बताया गया है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो पर्वत की पुत्री और नवदुर्गा का प्रथम रूप हैं।
शारदीय नवरात्र को लेकर अभी से बाजारों में रौनक दिखायी देने लगी है। पजा सामग्री के बाजार सजने लगे हैं। इसके साथ ही मां दुर्गा की प्रतिमाएं भी जगह-जगह बिक्री के लिए सजी हुई हैं।
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