माँ शब्द जीवन में असीम शांति प्रदान करता है. माँ जीवनदायिनी है. माँ के आँचल में जो सुकून प्राप्त होता है. उसकी अनुभूति ह्रदय को शीतलता प्रदान करती है. माँ का अपनी संतानो के प्रति समर्पण और सेवाभाव समाज के लिए प्रेरणा का केंद्र है. माँ अपने अंदर के प्यार को अपने संतानों पर जिस प्रकार न्यौछावर करती है वो माँ शब्द की सार्थकता को सिद्ध करता है. हर माँ को अपनी संतान से आपार प्रेम होता है, पर इस संसार में कुछ माँ ऐसी भी हैं जिन्होंने अनाथ और अपनों द्वारा ठुकराए बच्चों को अपनी माँ से भी बढ़ कर प्यार दिया है जो ‘माँ और मातृत्व’ की भावनाओं का एक अनूठा उदहारण है.
छपरा के बाजार समिति उमा नगर स्थित नारायणी सेवा संस्थान नामक दत्तक ग्रहण केंद्र की कोडिनेटर 32 वर्षीया श्वेता कुमारी भी अनाथ बच्चों के प्रति मातृत्व का जो भाव समर्पित कर रही है वो अद्भुत है. मनोविज्ञान में स्नातक श्वेता कुमार पटना की रहने वाली है. शुरू में तो इन्होंने संस्था को रोजगार का जरिया समझ कर ज्वाइन किया पर समय के साथ उनको अनाथ बच्चों के साथ इतना लगाव हो गया कि इन्होंने पूर्ण रूप से संस्था के साथ जुड़कर इन अनाथ बच्चों को अपनी ममता का सानिध्य प्रदान करने का निश्चय कर लिया.
2 वर्ष पुराने इस दत्तक केंद्र में अभी कुल 19 बच्चे है जिन्हें संस्थान द्वारा पोषित किया जा रहा है. सरकारी मान्यता प्राप्त इस दत्तक केंद्र में अनाथ बच्चों को मातृत्व का अहसास करा रही श्वेता कुमारी स्वयं भी एक 6 वर्षीय बच्चे की माँ है जो इस वक्त पटना में अपने दादा-दादी और पिता के साथ है. अपने बच्चे से दूर रहकर अनाथ बच्चों की परवरिश करने का श्वेता कुमारी का संकल्प समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है.
इस दत्तक केंद्र में कुल 19 बच्चे है जिनका पूरी तरह से देखभाल किया जाता है और इन्हें अभिभावकों का सानिध्य मिल सके इसके लिए ऑनलाइन गोद लेने की व्यवस्था भी की जाती है. इस दत्तक केंद्र से अबतक कुल 28 बच्चों को गोद लिया जा चूका है. संस्था में श्वेता कुमारी के सहयोग के लिए कुल 10 स्टाफ भी नियुक्त किये गए हैं. दत्तक केंद्र प्रबंधन पूरी जिम्मेवारी के साथ इन बच्चों के बेहतर भविष्य निर्माण के लिए कटिबद्ध है.
नारायणी सेवा संस्थान को सरकारी सुविधाएं भी समय-समय पर प्राप्त होती रहती है. संस्था का समर्पण और सेवाभाव सराहनीय है. अपने असली माँ-बाप द्वारा ठुकराये जा चुके इन अनाथों को माँ का प्यार दे रही श्वेता कुमारी का त्याग और समर्पण ‘मदर्स डे’ को और भी खास बना देता है.

 
									 
									 
									 
									 
									 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																 
									
																																




 
                         
                         
                         
				 
				 
				 
				 
				 
				 
				