विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर मनाया गया मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे 

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर मनाया गया मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे 

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर मनाया गया मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे 

Chhapra : सेहत केंद्र, राजेंद्र कॉलेज के तत्वावधान में मंगलवार दिनांक 28 मई 2024 को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस अर्थात मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. सुशील कुमार श्रीवास्तव ने करते हुए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज के दिवस की सार्थकता इस बात में हैं कि माहवारी से जुड़ी मिथ्या धारणाओं से आज की युवतियों को जागरूक करने एवम उनकी जरूरतों पर खुल कर चर्चा करने में हैं।

कार्यक्रम में मंच संचालन करते हुए सेहत केंद्र के नोडल पदाधिकारी डॉ जया कुमारी पांडेय ने कहा कि माहवारी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिससे हर महिला को हर महीने जुजरना पड़ता हैं।यह महिलाओं के लिए एक नितांत आवश्यक मानी जाने वाली प्रक्रिया हैं, हालाकि इस दौरान उन्हें कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इस दौरान साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, अन्यथा कई तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं माहवारी के दिनों में कपड़े से काम चलाती हैं, जिसे स्वच्छ और सुरक्षित नहीं माना गया है, इस अज्ञानता से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं और यहां तक कि सर्वाइकल कैंसर, प्रजनन मार्ग में संक्रमण, सहित कई अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसके लिए हम सभी को सम्मिलित प्रयास द्वारा अपने आस पास की महिलाओं को जागरूक करना होगा।

मुख्य वक्ता डॉ रश्मि ने विस्तार से माहवारी के दौरान क्या क्या विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, जैसे कि संतुलित आहार, साफ सफाई, योग एवम व्यायाम पर प्रकाश डाला। साथ ही युवतियों को प्राकृतिक रूप से जीवन जीने हेतु प्रेरित किया जिससे उनका शारीरिक एवम मानसिक स्वास्थ्य अच्छा हो और वे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बेहतर कर सके। इस कार्यक्रम में सम्मिलित छात्राओं ने अपने माहवारी से संबंधित व्यक्तिगत प्रश्न पूछे, जिसका प्रो. पूनम एवम डॉ. रश्मि ने जवाब दिया। साथ ही अंत में प्रो. पूनम ने कहा की माहवारी के दौरान स्वच्छता एक महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र हैं, जिसके माध्यम से वंचित महिलाओं के जीवन स्तर को सुधारा जा सकता हैं। इसके लिए सरकारी प्रयासों के साथ ही हम सभी को अपने आस पास की महिलाओं को सजग बनाना होगा। जिससे समावेशी समाज की संकल्पना साकार हो।

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