नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को कोविड-19 से जुड़े विषयों पर अमेरिका के साथ चर्चा के लिए न्यूयॉर्क पहुंच गए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने विदेश मंत्री का स्वागत किया।

इस संबंध में ट्वीट कर त्रिमूर्ति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 1 जनवरी 2021 को शामिल होने के बाद विदेश मंत्री की यह पहली न्यूयॉर्क यात्रा है।

विदेश मंत्री 28 मई तक अमेरिकी यात्रा पर रहेंगे। विदेश मंत्री का वहां संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन से मुलाकात का कार्यक्रम है।

विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार जयशंकर द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े विषयों पर अमेरिकी कैबिनेट सदस्यों और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्री भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक और कोविड से संबंधित सहयोग पर दो बार व्यापार मंचों से बातचीत भी करेंगे।

उल्लेखनीय है कि भारत देश में कोविड के हालात और तत्काल वैक्सीन आवश्यकताओं को देखते हुए विभिन्न अमेरिकी कंपनियों के साथ निरंतर संपर्क में है।A valid URL was not provided.

 

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संयुक्त राष्ट्र: इसरायल-फिलिस्तीन के बीच पिछले एक सप्ताह चल रहे हिंसा और संघर्ष को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि भारत, यरुशलम और ग़ज़ा में जारी हिंसा को लेकर चिंतित है। सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद भारतीय दूत टीएस तिरूमूर्ति ने कहा कि भारत हर तरह की हिंसा की निंदा करता है और तत्काल तनाव ख़त्म करने की अपील करता है।

भारतीय दूत तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत फ़िलिस्तीनियों की जायज़ माँग का समर्थन करता है और दो-राष्ट्र की नीति के ज़रिए समाधान को लेकर वचनबद्ध है।उन्होंने कहा कि भारत ग़ज़ा पट्टी से होने वाले रॉकेट हमलों की निंदा करता है, साथ ही इसरायली बदले की कार्रवाई में भी बहुत बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे गए हैं, जिनमें औरतें और बच्चे भी शामिल हैं जो बहुत दुखद है। इस हमले में एक भारतीय नागरिक की मौत हो गई है जो अश्कलोन में एक परिचारिका थीं, हमें उनके निधन से गहरा दुख पहुँचा है। 

यह पहला मौक़ा है जब भारत ने इसरायल और फ़लस्तीनियों के बीच जारी ताज़ा संघर्ष के बारे में खुलकर अपना पक्ष सामने रखा है, इससे पहले भारत की ओर से कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया था। भारतीय दूत ने कहा कि तत्काल तनाव घटाना समय की माँग है ताकि स्थिति न बिगड़े और नियंत्रण से बाहर न हो जाए।उन्होंने कहा कि यरुशलम लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है, भारत से हज़ारों लोग यरूशलम आते हैं क्योंकि यहाँ वह गुफ़ा है जिसमें भारत के सूफ़ी संत बाबा फ़रीद ध्यान किया करते थे। भारत ने इस गुफा का संरक्षण किया है। 

उन्होंने कहा कि यरुशलम के धार्मिक स्थलों पर ऐतिहासिक रूप से चली आ रही यथास्थिति का सम्मान किया जाना चाहिए जिनमें हरम शरीफ़ और टेंपल माउंट भी शामिल है।उनका कहना है कि ताज़ा संघर्ष के बाद इसराइल और फ़लस्तीनी प्रशासन के बीच बातचीत दोबारा शुरू करने की ज़रूरत और बढ़ गई है। ताजा हमले में 26 अन्य की मौतइजरायल ने रविवार को गाजा सिटी में हवाई हमले में तीन इमारतों को गिरा दिया और हमले में कम से कम 26 लोग मारे गए। 

इजराइल और हमास के बीच एक सप्ताह पहले शुरू हुए संघर्ष के दौरान एक दिन में यह सबसे भीषण हमला है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि हमले में मारे गए लोगों में 10 महिलाएं और आठ बच्चे भी थे, जबकि 50 लोग घायल हो गए। इससे पहले इजरायली सेना ने कहा कि उसने दक्षिणी शहर खान यूनिस में अलग हवाई हमले में गाजा के शीर्ष हमास नेता याहिया सिनवार के आवास को जमींदोज कर दिया था।

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नई दिल्ली: फिलिस्तीन के गाजा पट्टी से इजरायल के दक्षिणी शहर इश्केलों पर हुए मिसाइल हमले में एक भारतीय नर्स सौम्या संतोष की मौत हो गई है। भारतीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने सुश्री सौम्या संतोष के परिवार के साथ बात करके गाजा से रॉकेट हमलों के दौरान भारतीय नर्स के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। साथ ही यरूशलेम में इन हमलों और हिंसा की निंदा करते हुए दोनों पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है।

इजरायली मीडिया के अनुसार 21 वर्षीय सौम्या संतोष केरल के इडुक्की जिले की रहने वाली थी। वह पिछले 10 वर्षों से वहां चिकित्सा सेवा प्रदान कर रही थी। मिसाइल हमले के समय वह अपने पति और बच्चे के साथ अपने फ्लैट पर थी।मिसाइल हमले के समय परिवार एक सुरक्षित आश्रय स्थल पर जाने की तैयारी कर रहा था। मीडिया के अनुसार मिसाइल हमले में सौम्या के अलावा एक अन्य महिला की भी मौत हुई है। साथ ही अनेक लोग घायल हुए हैं।

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच पिछले कुछ दिनों से संघर्ष चल रहा है। उग्रवादी संगठन हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल पर दर्जनों मिसाइल दागी हैं। वहीं इसराइल ने जवाब में गाजा को निशाना बनाया है। इसी बीच क्षेत्र में जारी हिंसा पर भारत ने चिंता व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने कहा है कि संबंधित पक्षों को संयम बरतना चाहिए। साथ ही जेरूसलम और आसपास के क्षेत्र में यथास्थिति में बदलाव से बचना चाहिए।

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वॉशिंगटन: अमेरिका में सबसे बड़ी तेल पाइपलाइन कंपनी पर साइबर हमला होने के बाद प्रशासन की ओर से आपातकाल की घोषणा कर दी गई है।

इस पाइपलाइन से कंपनी रोजाना पूर्वी तट के किनारे बसे राज्यों में पेट्रोल, डीजल और दूसरी गैसों की सप्लाई करती है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि वह साइबर हमले की शिकार हो गई है। सभी ऑपरेटिंग सिस्टम हैक कर लिये गए हैं।

परिवहन विभाग की ओऱ से कहा गया है कि इस घोषणा से गैसोलीन, डीजल, जेट ईंधन और अन्य परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों के तत्काल परिवहन की आवश्यकता उत्पन्न होने पर आपातकालीन स्थितियों को आवश्यक राहत प्रदान की जाती है।

आपातकालीन घोषणा से प्रभावित राज्यों में सड़क मार्ग से ईंधन पहुँचाया जा सकता है। इनमें अलबामा, अर्कनसास, कोलंबिया, डेलावेयर,फ्लोरिडा, जॉर्जिया, केनटुकी आदि राज्य शामिल है।

कोलोनियल की ओर से कहा गया है कि उन्होंने कुछ छोटी डिलीवरी लाइन खोली हैं लेकिन मेन सिस्टम को अभी भी बैक अप नहीं मिल सका है और जल्द ही हमारा मुख्य सिस्टम बहाल हो जाएगा। 

वाणिज्य सचिव गीना रायमोंडो ने कहा है कि सप्लाई में किसी भी प्रकार की बाधा ना आए, इसके लिए प्रशासन काम कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका में यह साइबर हमला होने के बाद गैस की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर जल्द ही पाइपलाइन को फिर से न हीं खोला गया तो गैस की कीमतें और बढ़ सकती हैं, क्योंकि तेल की कीमतें सोमवार को एक प्रतिशत से अधिक पहले ही बढ़ गईं।

 

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मॉस्को: विश्व में कोविड-19 महामारी के बीच कुछ खबरें राहत देने वाली है। इनमें सिंगल डोज की स्पूतनिक लाइट वैक्सीन को रूस सरकार से मंजूरी मिली है। यह वैक्सीन 79.4 फीसदी असरदार है। इससे पहले जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने सिंगल डोज कोविड वैक्सीन बनाई है और उसके ट्रालय जारी हैं।

जानकारी के अनुसार रूस ने कोविड-19 सिंगल डोज वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है। यह उसी स्पूतनिक फैमिली की नई वैक्सीन है, जिसका अभी यूरोप और अमेरिका को छोड़कर दुनिया के 60 देशों में इस्तेमाल हो रहा है।

वहीं भारत भी स्पूतनिक-वी को आपात परिस्थितयों के लिए मंजूरी दे चुका है और एक मई को इसकी पहली खेप भारत आ चुकी है।  मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा स्पूतनिक लाइट को तैयार किया गया है। इसे रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) ने वित्तीय सहायता प्रदान की है।

आरडीआईएफ के सीईओ किरिल दिमित्रिएव ने गुरुवार को बताया कि दुनिया भर में इसकी कीमत 10 डॉलर (करीब 730 रुपए) से कम रहेगी। ज्ञात रहे कि स्पूतनिक-वी के निर्माण में आरडीआईएफ ने वित्तीय सहायता प्रदान की थी। स्पूतनिक लाइट वैक्सीन को तीन फेज के ट्रायल में सात हजार लोगों को शामिल किया गया। यह रूस, यूएई और घाना में हुआ था। नतीजों में पाया गया कि यह वैक्सीन वायरस के सभी नए स्ट्रेन पर असरदार है और यह डबल डोज वैक्सीन से अधिक असरदार है।वैक्सीन के फायदेयह 79.4 फीसदी असरदार है। वैक्सीन लगवाने वाले सभी लोगों में 10 दिन बाद ही एंटीबॉडीज 40 गुना तक बढ़ जाती है। वैक्सीन लगवाने वाले सभी लोगों में कोरोना वायरस के S-प्रोटीन के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स डेवलप हुआ। इस वैक्सीन के सिंगल डोज होने की वजह से बड़ी आबादी वाले देशों में वैक्सीनेशन रेट बढ़ाया जा सकेगा। जिन लोगों को पहले कोरोना संक्रमण हो चुका है, ये वैक्सीन उन पर भी असरदार है।

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बीजिंग: अंतरिक्ष में चीन के बेकाबू हुए राकेट ने दुनिया की चिंताएं बढ़ा दी हैं. चीनी राकेट लांग मार्च 5बी पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है जो तबाही मचा सकता है. पृथ्वी के वायुमंडल में आठ मई को प्रवेश करने वाले इस राकेट को लेकर पूरे विश्व में चिंता है.

अमेरिकी सरकार ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि 21 टन का यह राकेट आठ मई के आसपास पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सकता है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस राकेट के वायुमंडल में पुन: प्रवेश की संभावित की तारीख बताते हुए कहा कि फिलहाल यह बता पाना मुश्किल है कि यह पृथ्वी के वायुमंडल में किस क्षेत्र से प्रवेश करेगा.

स्पेस ट्रैक पर इस रॉकेट की स्थिति के बारे में नियमित जानकारी दी जा रही है. इसके बारे में जैसे-जैसे जानकारी मिल रही है, सरकार उसे भी उपलब्ध करवाती जा रही है. अन्य सेटेलाइट ट्रैक्टर्स ने भी 100 फीट लंबे और 16 फीट चौड़े राकेट के बारे में बताया है. इसे 2021-035बी नाम दिया गया है. यह प्रति सेकंड चार मील की
गति से चल रहा है.

अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता माइक हावर्ड ने कहा कि अमेरिकी स्पेस कमांड की निगरानी में यह मामला है. चीन के राकेट की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है, लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल में इसके पुन: प्रवेश के कुछ घंटे पहले ही पता चल सकेगा कि यह किस जगह से प्रवेश करेगा.

पिछले सप्ताह अंतरिक्ष में चीन के आगामी स्पेस स्टेशन के पहले बिल्डिंग ब्लाक तिआनहे को भेजने के लिए लांग मार्च 5बी का इस्तेमाल किया था.

तिआनहे को चीन के हैनान प्रांत स्थित सेंटर से लांग मार्च 5बी के जरिये 29 अप्रैल को लांच किया गया था. यह चीन का सबसे बड़ा
करियर राकेट है.

अंतरिक्ष मामलों के विशेषज्ञ जोनाथन मेगडोबल ने बताया कि यह अच्छे संकेत नहीं हैं. पिछली बार लांग मार्च 5बी राकेट छोड़ा था तो इसमें से धातु की बड़ी छड़ें आकाश में निकली थी, जिसके धरती पर टकराने के दौरान आइवरी कोस्ट में इमारतों को नुकसान पहुंचा था. कई छड़ें आकाश में ही जल गईं, लेकिन कुछ हिस्से धरती पर ही गिरे थे. हालांकि तब इससे जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ था.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह आगे बढ़ रहा है, उससे यह न्यूयार्क और मैड्रिड तथा दक्षिण में चिली या न्यूजीलैंड की ओर से प्रवेश कर सकता है. फिलहाल यह अनुमान है, क्योंकि इसका यात्रा मार्ग अनिश्चित है.

हालांकि उम्मीद है कि पृथ्वी के टकराने से पहले ही इसका अधिकांश हिस्सा जलकर खाक हो जाएगा.
जो हिस्सा नहीं जलेगा, वह भी समुद्र या किसी खुले स्थान पर ही गिरेगा. मगर इसके बावजूद जान-माल के नुकसान का अंदेशा बना हुआ है.

विशेषज्ञों के अनुसार यह धीमी गति से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है. यदि यह भीड़ या आबादी वाले इलाके में गिरा तो गंभीर नुकसान हो सकता है.

 

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नई दिल्ली: ​इंडोनेशिया में प्रशिक्षण अभियान के दौरान बुधवार को बाली द्वीप के नजदीक समुद्र में 53 लोगों के साथ डूबी पनडुब्बी केआरआई नंगला को खोजने में भारतीय नौसेना मदद करेगी। इंडोनेशियाई नौसेना का सहयोग करने के लिए गुरुवार को भारतीय नौसेना ने अपने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हिकल (डीएसआरवी) को विशाखापत्तनम से तत्काल रवाना कर दिया है।
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता के मुताबिक लापता पनडुब्बी को खोज निकालने में इंडोनेशियाई नौसेना की मदद के लिए यह कदम उठाया गया है। भारतीय नौसेना को अंतरराष्ट्रीय सबमरीन एस्केप और बचाव संपर्क कार्यालय के माध्यम से इंडोनेशियाई पनडुब्बी के समुद्र में डूबने के बारे में जानकारी मिली थी। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता विवेक मधवाल के मुताबिक भारत दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल है जो डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हिकल (डीएसआरवी) के माध्यम से डूबी पनडुब्बी की खोज और बचाव करने में सक्षम है। भारतीय नौसेना का डीएसआरवी सिस्टम 1000 मीटर की गहराई तक पनडुब्बी का पता लगा सकता है, जो उसके अत्याधुनिक साइड सोनार (एसएसएस) और रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (आरओवी) का उपयोग करता है।
उन्होंने बताया कि इंडोनेशियाई नौसेना का सहयोग करने के लिए विशाखापत्तनम से भेजे गए डीएसआरवी का उपयोग पनडुब्बी को आपातकालीन आपूर्ति प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है। प्रवक्ता के अनुसार इंडोनेशिया भेजी गई भारतीय डीएसआरवी प्रौद्योगिकी और क्षमताओं के मामले में नवीनतम है। लन्दन की कंपनी मेसर्स जेम्स फिश डिफेंस द्वारा आपूर्ति की गई यह प्रणाली भारत के पश्चिम और पूर्वी तट पर किसी भी संकट से निपटने, उच्च परिचालन उपलब्धता और शुरुआती प्रतिक्रिया देने के लिए बनाई गई है। भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के ढांचे के तहत परिचालन सहयोग की मजबूत साझेदारी है। दोनों नौसेनाओं ने अतीत में नियमित रूप से अभ्यास किया है और तालमेल एवं अंतर विकसित किया है जो मौजूदा मिशन के लिए महत्वपूर्ण है।
इंडोनेशियाई राष्ट्रीय सशस्त्र बलों के कमांडर हादी जाहजंतो के मुताबिक बाली द्वीप के करीब उत्र में करीब 95 किलोमीटर दूर समुद्र में उनकी पनडुब्बी केआरआई नंगला लापता हो गई है, जिसमें 53 लोग सवार थे। दुर्घटना के समय यह पनडुब्बी गुरुवार को होने वाले प्रक्षेपास्त्र दागने के एक अभ्यास के लिए तैयारी कर रही थी। इस अभ्यास में सेना प्रमुख और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल होने वाले थे। हादी जाहजंतो इंडोनेशियाई वायु सेना में एक एयर चीफ मार्शल हैं जो वर्तमान में इंडोनेशियाई राष्ट्रीय सशस्त्र बलों के कमांडर हैं। 
उन्होंने भारत से मदद मांगते हुए यह भी जानकारी दी कि इंडोनेशियाई नौसेना ने पनडुब्बी की तलाश के लिए इलाके में जंगी पोत तैनात किए हैं। खोज और राहत के लिए सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया से भी मदद गई मांगी है जिनके पास पनडुब्बी सहायता वाहन हैं। समुद्र में डूबी यह पनडुब्बी जर्मनी में बनी थी और 1980 के दशक से नौसेना की सेवा में है। इंडोनेशिया की नौसेना के बेड़े में अभी कुल पांच पनडुब्बियां हैं और 2024 तक इनकी संख्या बढ़ाकर आठ करने की योजना है।
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अमेरिकी अंतिरिक्ष एजेंसी NASA ने सफलता की एक नई छलांग लगाई है. NASA के रोबोट हेलीकॉप्टर ने मंगल ग्रह पर सोमवार तड़के पहली उड़ान भरकर इतिहास रच दिया है. धरती से परे किसी दूसरे ग्रह पर इस तरह की यह पहली उड़ान है. छोटे आकार का यह हेलीकॉप्टर उड़ान के दौरान दस फीट की ऊंचाई पाने में सफल रहा.

नासा ने कहा कि इस सफलता से सौर मंडल के मंगल समेत दूसरे ग्रहों पर खोज के नए तरीकों का मार्ग प्रशस्त हो सकता है. इस बीच इस प्रोजेक्ट की मैनेजर मिमि आंग ने कहा कि हम अब यह कह सकते हैं कि इंसान दूसरे ग्रह पर रोटरक्राफ्ट उड़ा सकते हैं।’ नासा ने बताया कि कार्बन फाइबर के ब्लेड घूमने लगे और इनजेनयुटी नाम के हेलीकॉप्टर ने लाल ग्रह की सतह को छोड़कर उड़ान भरी. करीब दस फीट की ऊंचाई के बाद यह वापस लैंड कर गया और यह सब करीब 30 सेंकेंड का रहा. इस मिशन को लॉस एंजिलिस के पास स्थित नासा के जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी से संचालित किया गया. नासा ने इस मिशन की कुछ तस्वीरें जारी की हैं, जबकि वीडियो में हेलीकॉप्टर को धूल के बीच उड़ान भरते देखा गया.

लगभग 1.8 किलोग्राम का यह रोबोट रोटरक्राफ्ट अपने चार कार्बन फाइबर ब्लेड के सहारे उड़ान भरने में सक्षम है. इसके ब्लेड 2400 राउंड प्रति मिनट की दर से घूम सकते हैं. यह स्पीड धरती पर मौजूद हेलीकॉप्टरों के ब्लेड की गति से लगभग आठ गुना ज्यादा है.

नासा ने मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश में गत 18 फरवरी को पर्सिवेरेंस नामक अपना रोवर उतारा था. इसके साथ ही यह हेलीकॉप्टर भी लाल ग्रह पर पहुंचा था.

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ढाका: बांग्लादेश में भारत के उच्चायोग ने बांग्लादेश में अपने सभी वीजा केंद्रों पर परिचालन को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। उच्चायोग ने यह घोषणा बुधवार को करते हुए कहा कि 14 अप्रैल से बांग्लादेश सरकार द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन के मद्देनजर वीजा संचालन को निलंबित कर दिया गया है।

मार्च 2020 में बांग्लादेश में कोविड-19 महामारी के कारण 6 महीने से अधिक समय तक निलंबित रहने के बाद पिछले साल अक्टूबर 2020 में वीजा संचालन फिर से शुरू हुआ था।

बांग्लादेश में भारतीय वीजा आवेदन केंद्रों से पर्यटक वीजा को छोड़कर सभी श्रेणियों के तहत वीजा जारी किया जा रहा था।  वर्ष 2019 में, बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग द्वारा 16 लाख से अधिक वीजा जारी किए गए थे। बांग्लादेश भारत में विदेशी पर्यटकों की सबसे बड़ी संख्या भेजता है।

बुधवार 14 अप्रैल से शुरू होने वाले देशव्यापी तालाबंदी के दूसरे चरण में बांग्लादेश सरकार ने सभी कार्यालयों, बसों, रेलवे, जलमार्ग और उड़ानों सहित सार्वजनिक परिवहन को बंद करने का आदेश दिया है। जिसमें लोगों को आपातकालीन स्थिति के अलावा अपने घरों से बाहर निकलने से मना किया गया है।  

बांग्लादेश में कोविड संक्रमण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। बुधवार को बांग्लादेश में 96 लोगों की मौत के साथ देश में अबतक मरने वालों की संख्या 9987 हो गई है। 

 

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वॉशिंगटन: अमेरिका में भारत के प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक एवं संस्कृति शिक्षक रहे डॉ. मोक्षराज ने एक आनलाइन संगोष्ठी में कहा कि इतिहास में ईसा पूर्व (बीसी) एवं ईसा पश्चात् (एडी) लिखना समस्त प्राचीन सभ्यताओं के इतिहास के साथ छलावा है। एक संप्रदाय विशेष के लोगों ने छल-कपट एवं निर्ममतापूर्वक अनेक देशों को अपना ग़ुलाम बनाया था। 

डॉ. मोक्षराज ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाले भारतीय नव वर्ष के उपलक्ष्य में “नववर्ष एवं भारत” विषय पर आयोजित वेबिनार में कहा कि एक संप्रदाय विशेष की उन मान्यताओं को थोपना जिनका वास्तविक इतिहास ही संदिग्ध रहा है, वह भारत के संदर्भ में नितांत अन्यायपूर्ण था। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति एवं इतिहास करोड़ों वर्ष पुराने हैं, जिनमें 8 लाख 69 हज़ार वर्ष पहले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, 5153 वर्ष पूर्व अर्थात् द्वापर के अंत तक श्रीकृष्ण तथा 2077 वर्ष पहले के महान प्रतापी राजा विक्रमादित्य के हस्ताक्षर विद्यमान हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी आक्रान्ता द्वारा भारत को न केवल लूटना बल्कि उस पर ईसापूर्व ईसा पश्चात् लिखने-लिखाने का षड्यंत्र नियोजित करना, पूरी तरह सांप्रदायिक दुस्साहस था। वेबिनार का आयोजन आर्यसमाज मेट्रोपॉलिटन वाशिंगटन डीसी ने किया था।

डॉ. मोक्षराज ने कहा कि अब भारत सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रूप से पूर्णतः स्वतंत्र, सक्षम एवं सशक्त है, अतः इस ग़ुलामी की कालिख को धोकर हमें अपने ऋषि-मुनियों एवं पूर्वजों की धरोहर का संरक्षण करना चाहिए, जिसमें सृष्टि एवं मनुष्य की उत्पत्ति के 1,96,08,53,122 वर्ष की गणना को वैज्ञानिक ढंग व्यक्त किया गया है। ईसापूर्व व पश्चात् लिखने के साम्प्रदायिक एवं राजनैतिक छल से कल्प व मन्वंतर की गणना के साथ-साथ श्रीरामाब्द श्रीकृष्णाब्द, विक्रमसंवत् एवं अन्य युनानी, ग्रीक, ईरानी, चीनी, अरबी तथा अन्य देशस्थ पूर्वजों की कालगणना को भी भारी उपेक्षा का सामना करना पड़ा है।

संगोष्ठी से पूर्व हवन किया गया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता सत्यपाल खेड़ा ने एवं कार्यक्रम का संचालन आर्यसमाज की मंत्री अनुपमा शर्मा ने किया। संगोष्ठी में वर्जीनिया से राजीव शर्मा, नवनीत शर्मा शारदा, राजेन्द्र शर्मा गौड़ ,ओम्प्रकाश आर्य, वीरेंद्र आर्य, नैना एवं सुशील बत्रा आदि ने भाग लिया।

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लंदन: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पति प्रिंस फिलिप का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 99 वर्ष के थे और पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे। बकिंघम पैलेस ने बयान जारी कर बताया कि विंडसर कासल में उन्होंने सवेरे अंतिम सांसें लीं।

बयान में कहा गया है कि बहुत दुख के साथ महारानी ने अपने पति, हिज़ रॉयल हाईनेस द प्रिंस फ़िलिप, ड्यूक ऑफ़ एडिनबरा के निधन की घोषणा की है। प्रिंस फ़िलिप ने विंडसर कैसेल में शुक्रवार सुबह आख़िरी सांस ली।

प्रिंस फिलिप ने तबीयत के चलते साल 2017 में शाही समारोहों से खुद को दूर रखने का ऐलान किया था और तब से सार्वजनिक रूप से कम ही नजर आते थे। इंग्लैंड में कोरोना वायरस के कारण हाल में लगे लॉकडाउन के दौरान वह लंदन के पश्चिम में स्थित विंडसर कासल में महारानी के साथ रह रहे थे। 

प्रिंस फिलिप से एलिजाबेथ की शादी 1947 में हुई थी। इसके पांच साल बाद एलिजाबेथ महारानी बनी थीं। प्रिंस फिलिप का जन्म ग्रीस के कॉर्फू टापू पर 1921 में हुआ था। 

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि प्रिंस फिलिप ने अनगिनत युवाओं के जीवन को प्रेरित किया है। उन्होंने शाही परिवार और राजतंत्र को इस तरह दिशा दी जिससे शाही परिवार हमारे राष्ट्रीय जीवन की ख़ुशियों में संतुलन बनाए रखने के लिए निर्विवाद रूप से एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्था बना रहा।

हिन्दुस्थान समाचार

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के पति प्रिंस फिलिप के निधन पर दुख जताया। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पति प्रिंस फिलिप का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 99 वर्ष के थे। 
राष्ट्रपति कोविंद ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि भारत के प्रशंसक और मित्र प्रिंस के निधन का समाचार पाकर गहरा दुख हुआ। मेरे विचार और प्रार्थना महारानी और शाही परिवार के सदस्यों के साथ हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे।  
उपराष्ट्रपति वेंकैया ने ट्वीट कर कहा कि प्रिंस फिलिप- ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के निधन से दुखी हूं। उन्हें सशस्त्र बलों में उनके विशिष्ट कैरियर, अपने देश के लिए प्रेरणादायक सेवा और परोपकारी पहल पर उनके अनुकरणीय कार्य के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और शाही परिवार के सभी सदस्यों के प्रति मेरी संवेदना है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शाश्वत शांति प्रदान करें।  
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि प्रिंस फिलिप के निधन पर मेरे विचार ब्रिटिश लोगों और शाही परिवार के साथ हैं। उनका सैन्य में विशिष्ट करियर था और कई सामुदायिक सेवा पहलों में वे सबसे आगे थे। भगवान उनकी आत्मा को शांति मिले।  
हिन्दुस्थान समाचार
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