जयपुर, 19 मई (हि.स.)। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी सोमवार को राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में पहुंचे। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु सेना तथा सीमा सुरक्षा बल के साथ समन्वय में की गई संयुक्त कार्रवाइयों की समीक्षा के लिए कोणार्क कोर के अग्रिम क्षेत्रों में लौंगेवाला का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने सैनिकों की अनुकरणीय भूमिका के लिए बधाई दी है।

डिफेंस पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल निखिल धवन ने जानकारी दी कि जैसलमेर से कच्छ क्षेत्र तक फैले रेगिस्तान में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और बीएसएफ की ओर से त्वरित और समन्वित परिचालन प्रतिक्रिया देखी गई। इन संयुक्त कार्रवाइयों ने न केवल दुश्मन के इरादों को कुंद किया, बल्कि पश्चिमी मोर्चे पर परिचालन प्रभुत्व बनाए रखने में एक नया सामान्य भी स्थापित किया। ऑपरेशन सिंदूर के हिस्से के रूप में भारतीय सेना ने वायुसेना और सीमा सुरक्क्षा बल के साथ घनिष्ठ समन्वय में निगरानी परिसंपत्तियों और वायु रक्षा प्रणालियों की तेजी से तैनाती की। नागरिक प्रशासन के समर्थन के साथ संरेखित हथियार प्रणालियों और अन्य परिचालन सक्षमताओं की कैलिब्रेटेड स्थिति ने प्रभावी क्षेत्र वर्चस्व और संभावित खतरों को बेअसर करना सुनिश्चित किया।

कोणार्क कोर के सैनिकों के साथ बातचीत के दौरान सेना प्रमुख ने अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा में उनकी वीरता, अटूट प्रतिबद्धता और दृढ़ निश्चय की सराहना करते हुए एक उत्साही “शाबाश!” का आह्वान किया। उन्होंने सैनिकों की उनकी सतर्क कार्रवाइयों के लिए प्रशंसा की। कहा कि दुश्मन के ड्रोन घुसपैठ को सफलतापूर्वक बेअसर किया गया। जिसके कारण रेगिस्तानी क्षेत्र में दुश्मन द्वारा किसी भी दुस्साहस को प्रभावी ढंग से रोका।

जनरल द्विवेदी ने कमांडरों और इकाइयों की उनकी व्यावसायिकता, उच्च मनोबल और परिचालन योजनाओं के एकीकृत निष्पादन के लिए भी सराहना की। उन्होंने सेना की सम्मान की परंपरा और निर्णायक ताकत के साथ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए इसकी अडिग तत्परता पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करने और गतिशील सुरक्षा वातावरण के बीच उच्च परिचालन तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। सेना प्रमुख ने गर्मियों की चरम स्थितियों के बीच कठोर रेगिस्तानी इलाकों में सेवा करने वाले पुरुषों और महिलाओं के धैर्य की सराहना करते हुए राष्ट्रीय उद्देश्यों की रक्षा में उनकी अथक सेवा के लिए प्रशंसा व्यक्त की।

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नई दिल्ली,​ 19 मई (हि.स.)।​ ऑपरेशन ‘सिंदूर’ स्थगित होने के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ​सोमवार को सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़ाने के लिए​ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सूरतगढ़ सैन्य स्टेशन और नालिया वायु सेना स्टेशन ​पहुंचे। ​उन्होंने​ अग्रिम सैन्य ठिकानों का दौरा किया​ और सैनिकों ​से बातचीत ​के दौरान मौजूदा समय में उभरती सुरक्षा चुनौतियों के सामने परिचालन तत्परता पर जोर दिया।

राजस्थान के श्री गंगानगर में सूरतगढ़ सैन्य स्टेशन​ और गुजरात में नालिया में स्थित​ वायु सेना ​के नालिया एयर फोर्स स्टेशन​ में सीडीएस​ने कार्मिकों की परिचालन तैयारियों और उच्च मनोबल की सराहना की तथा भविष्य के खतरों का प्रभावी ढंग से जवाब देने की उनकी क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया।​ सीडीएस के साथ लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह, आर्मी कमांडर साउथ वेस्टर्न कमांड और एयर मार्शल नागेश कपूर, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, साउथ वेस्टर्न एयर कमांड भी थे।

ऑपरेशन ​’सिंदूर​’ के दौरान इस्तेमाल की गई नवीनतम और मजबूत वायु रक्षा प्रणालियों ​के बारे में सीडीएस​ को जानकारी दी गई। जनरल चौहान ने यात्रा के दौरान वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ रणनीतिक चर्चा भी की।​ इस यात्रा में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैनिकों के दिखाए गए अनुकरणीय साहस को गर्व की भावना ​के साथ दर्शाया गया।​ जनरल चौहान ने ऑपरेशन के दौरान सैनिकों की असाधारण वीरता और व्यावसायिकता की सराहना की।

पाकिस्तान ​की ओर से सुरक्षा भंग करने के कई प्रयासों को बेअसर करने में ​सैनिकों के दृढ़ साहस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वे सैन्य व्यावसायिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हैं। सीडीएस ने निर्णायक ताकत के साथ किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहने की आवश्यकता पर जोर दिया।​ अपने संबोधन ​में सीडीएस जनरल चौहान ने स्थानीय नागरिक प्रशासन को भी उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और ऐसी गंभीर स्थिति में सैन्य-नागरिक तालमेल के महत्व को रेखांकित किया।

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जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया रामपुर जिले का रहने वाले शहजाद

Lucknow , 19 मई (हि.स.)। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किए गये रामपुर जिले के रहने वाले शहजाद को यूपी एसटीएस ने लखनऊ की स्पेश्ल काेर्ट में पेश किया। कोर्ट ने आराेपित काे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।

शहजाद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया

एटीएस के मुताबिक शहजाद आईएसआई के लिए काम करता था। वह काफी समय से देश जुड़ी आंतरिक सुरक्षा की खुफिया जानकारी आईएसआई को पहुंचा रहा था। वह भारत में आईएसआई के एजेंटाें काे धन और सिम उपलब्ध कराता था। वह दो से तीन बार पाकिस्तान भी जा चुका है। एटीएस ने रविवार काे उसे गिरफ्तार किया और उसके घर से मिले तमाम साक्ष्यों को एकत्र कर लखनऊ ले आयी थी। पूछताछ के बाद एटीएस ने उसे सोमवार को स्पेशल कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। उधर शहजाद की पत्नी रजिया ने एटीएस के आरो​पों को निराधार बताया है।

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ईडी ने यूको बैंक के पूर्व चेयरमैन एसके गोयल को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली; प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यूको बैंक के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (एमडी) सुबोध कुमार गोयल को कोलकाता स्थित एक कंपनी से जुड़े 6,200 करोड़ रुपये से अधिक के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के आरोप में गिरफ्तार किया है। विशेष न्यायालय (पीएमएलए) ने गोयल को ईडी की हिरासत में भेज दिया है।

 

सुबोध कुमार गोयल को पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 16 मई को नई दिल्ली स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने सोमवार को जारी एक बयान में बताया कि यूको बैंक के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुबोध कुमार गोयल को पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 16 मई को नई दिल्ली स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया। गोयल को 17 मई को कोलकाता स्थि‍त विशेष धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां से ईडी ने यूको बैंक के पूर्व चेयरमैन एसके गोयल को किया गिरफ्तार

ईडी का आरोप है कि गोयल को सीएसपीएल से ‘रिश्वत के रूप में बड़ी रकम’ मिली

केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने इस जांच के तहत अप्रैल में गोयल और कुछ अन्य लोगों के परिसरों पर छापेमारी की थी। एजेंसी ने दावा किया कि यूको बैंक के सीएमडी के रूप में सुबोध कुमार गोयल के कार्यकाल के दौरान सीएसपीएल के लिए बड़ी ऋण सुविधाएं ‘स्वीकृत’ की गईं, जिन्हें बाद में उधारकर्ता समूह ने किसी अन्य काम में लगाया और ‘हेरफेर’ किया। ईडी का आरोप है कि इसके बदले में गोयल को सीएसपीएल से ‘रिश्वत के रूप में बड़ी रकम’ मिली। उसने कहा कि रिश्वत की इस रकम को वैध बनाने के लिए विभिन्न तरीके इस्तेमाल किए गए।

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नई दिल्ली, 18 मई (हि.स.)। राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उनकी अभियान टीम ने 18 मई को माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की।

इस टीम में 10 एनसीसी कैडेट्स (पांच लड़के और पांच लड़कियां) शामिल थे। इसके साथ चार अधिकारी, दो जूनियर कमीशन अधिकारी, एक महिला कैडेट प्रशिक्षक और 10 गैर-कमीशन अधिकारी भी थे।

चुने गए कैडेट्स नौसिखिए थे, जिन्हें देशभर से चुना गया था। इनका चयन और प्रशिक्षण प्रक्रिया बहुत कठोर थी। अपनी तैयारी के हिस्से के रूप में, उन्होंने माउंट एबी गामिन पर एक पूर्व-एवरेस्ट अभियान किया। अंतिम टीम में 15 कैडेट्स का चयन किया गया, जिन्होंने सियाचिन बेस कैंप में आर्मी माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट में सर्दी और तकनीकी प्रशिक्षण लिया। महीनों की प्रशिक्षण के बाद, दस कैडेट्स को माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए चुना गया।

इस टीम में कम उम्र के पर्वतारोही शामिल थे, जिनकी औसत आयु 19 वर्ष थी। चढ़ाई के विभिन्न चरणों में उनकी फिटनेस और अनुशासन के लिए नेपाल के शेरपाओं ने उनकी सराहना की।

कठिन मौसम और परिस्थितियों का सामना करते हुए, कैडेट्स ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा और एनसीसी ध्वज लहराया। यह अभियान 03 अप्रैल को नई दिल्ली से शुरू किया गया था। यह एनसीसी द्वारा माउंट एवरेस्ट की तीसरी चढ़ाई है, इससे पहले 2013 और 2016 में भी अभियान किए गए थे।

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नई दिल्ली, 18 मई (हि.स.)। संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के 17 सांसदों और दो संसदीय समितियों को संसद रत्न पुरस्कार 2025 के लिए चुना है। पुरस्कारों के लिए चयन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर की अध्यक्षता में बनी समिति ने किया है।

साल 2010 में संसद रत्न पुरस्कार शुरू किए गए थे। इसका विचार पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने दिया था और उन्होंने मई 2010 में चेन्नई में आयोजित पहले समारोह का उद्घाटन किया था। पुरस्कार प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन और ई-मैगजीन प्रेसेन्स की पहल पर दिए जाते हैं। हंसराज गंगाराम अहीर इस पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे।

प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार यह पुरस्कार समारोह जुलाई 2025 के अंतिम सप्ताह में नई दिल्ली में आयोजित होगा। इस बार चार सांसदों को विशेष पुरस्कार मिलेंगे, जिन्हें “संसदीय लोकतंत्र में निरंतर और उत्कृष्ट योगदान” के लिए चुना गया है। इनमें भरतृहरि महताब (ओडिशा), एन.के. प्रेमचंद्रन (केरल), सुप्रिया सुले और श्रीरंग बारणे (दोनों महाराष्ट्र) शामिल हैं।

महाराष्ट्र ने इस वर्ष सबसे ज्यादा सात पुरस्कार अपने नाम किए हैं। इन विजेताओं में स्मिता वाघ, अरविंद सावंत, नरेश म्हस्के, वर्षा गायकवाड़ और मेधा कुलकर्णी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश से प्रवीण पटेल और रवि किशन, झारखंड से निशिकांत दुबे और बिद्युत महतो, राजस्थान से पी.पी. चौधरी और मदन राठौर, तमिलनाडु से सी.एन. अन्नादुरई और असम से दिलीप सैकिया को भी सम्मानित किया जाएगा।

संसद रत्न पुरस्कारों की शुरुआत 2010 में की गई थी। अब तक 125 पुरस्कार दिए जा चुके हैं। ये पुरस्कार सांसदों के बहस, प्रश्न और निजी विधेयकों की संख्या जैसे प्रदर्शन मानकों के आधार पर दिए जाते हैं।

इस बार दो संसदीय स्थायी समितियाँ भी पुरस्कार पाएंगी– वित्त पर स्थायी समिति (अध्यक्ष भरतृहरि महताब) और कृषि पर स्थायी समिति (अध्यक्ष चरणजीत सिंह चन्नी)। इन समितियों को संसद में प्रस्तुत की गई रिपोर्टों के लिए चुना गया है।

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नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ नीतियों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के लिए सर्वदलीय सात प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है। ये प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों सहित प्रमुख सहयोगी देशों का दौरा करेगा।

संसदीय कार्य मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में की जा रही है, जो भारत की सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ निरंतर लड़ाई का प्रतीक है। प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य भारत के राष्ट्रीय संकल्प और आतंकवाद के सभी रूपों और स्वरूपों के खिलाफ उसके दृढ़ दृष्टिकोण को पेश करना है। ये प्रतिनिधिमंडल दुनिया को भारत के आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का मजबूत संदेश देंगे।

प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद

प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद, प्रमुख राजनीतिक हस्तियां और विशिष्ट राजनयिक शामिल होंगे। प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले सांसदों में शामिल हैं- शशि थरूर (कांग्रेस), रवि शंकर प्रसाद (भाजपा), संजय कुमार झा (जदयू), बैजयंत पांडा (भाजपा), कनिमोझी (द्रमुक), सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी) और श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना)।

सरकार के इस फैसले की सोशल मीडिया एक्स पर जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब महत्वपूर्ण क्षण आते हैं तो भारत एकजुट खड़ा होता है। उन्होंने इसे राजनीति से ऊपर राष्ट्रीय एकता का एक शक्तिशाली प्रतिबिंब बताया।

कांग्रेस नेता एवं विदेश मामलों से जुड़ी संसद की स्थाई समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा कि वह इस निमंत्रण के लिए सम्मानित महसूस करते हैं और राष्ट्रीय हित के मामले में अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं।

उल्लेखनीय है कि शशि थरूर ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद से विश्व भर में भारत की बात रखने वाले प्रमुख चेहरा बने हैं। उन्होंने कई विदेशी चैनलों से बातचीत में भारतीय सेना और राष्ट्र के रुप में भारत के समर्थ्य और संकल्प को दुनिया के समक्ष रखा है।

वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर जानकारी दी कि कांग्रेस ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के तौर पर चार सांसदों के नामों की पेशकश की है, जिनमें आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार शामिल हैं।

प्रतिनिधिमंडल के सदस्य एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह किसी पार्टी के बारे में नहीं है। यह एक महत्वपूर्ण कार्य है और मैं अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।

भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने इसे प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का प्रतीक बताया। संजय कुमार झा ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी के आतंकवाद के खिलाफ निरंतर प्रयासों का परिणाम है। सुप्रिया सुले ने भी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की और कहा कि हम एक राष्ट्र के रूप में आतंकवाद के खिलाफ खड़े हैं। श्रीकांत शिंदे ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता को दर्शाते हुए कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है जिसे वे पूरी निष्ठा से निभाएंगे।

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18 मई: इतिहास के पन्नों में दर्ज एक गौरवशाली दिन

आज का दिन भारतीय इतिहास में विज्ञान, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक चेतना के लिए एक मील का पत्थर है। 18 मई को भारत ने 1974 में राजस्थान के पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था। इस परीक्षण का कोडनेम “स्माइलिंग बुद्धा” रखा गया था और यह शांतिपूर्ण उद्देश्य से किया गया भूमिगत परीक्षण था। इस ऐतिहासिक घटना ने भारत को विश्व के परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल कर दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में यह सफलता भारत की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता और सामरिक क्षमता का प्रतीक बन गई

ऐसे हुई पोखरण परमाणु परीक्षण की शुरुआत

1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने यह परीक्षण किया था। इसका उद्देश्य था भारत की वैज्ञानिक क्षमता को प्रदर्शित करना और एक आत्मनिर्भर परमाणु नीति की ओर कदम बढ़ाना। परीक्षण को पूरी तरह गोपनीय रखा गया और इसे शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट के रूप में प्रस्तुत किया गया।

भारतीय वैज्ञानिकों की टीम:
इस परीक्षण के पीछे भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों का एक दल था, जिसमें डॉ. राजा रामन्ना, डॉ. होमी सेठना, और पी.के. अय्यंगार जैसे नाम शामिल थे। इस परीक्षण का सफल निष्पादन भारत की तकनीकी क्षमता और अनुसंधान की उत्कृष्टता का बेहतर परिचायक बना।

भारत के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया क्या रही ?

इस परीक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं। कुछ देशों ने इसका विरोध किया, जबकि कई ने भारत की वैज्ञानिक उपलब्धि को सराहा। इसके बाद भारत ने ‘नो फर्स्ट यूज़’ (पहले उपयोग न करने) की नीति अपनाई।

1998 में पोखरण का महत्व फिर से बढ़ा

24 साल बाद, 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में ही भारत ने पुनः परमाणु परीक्षण किए, जिन्हें पोखरण-II के नाम से जाना जाता है। इसके बाद भारत ने खुद को एक “परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र” घोषित किया।

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नई दिल्ली,16 मई (हि.स.)। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ स्थगित किये जाने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को गुजरात के भुज में स्थित वायु सेना स्टेशन पर वीर वायु योद्धाओं का हौसला बढ़ाने के लिए पहुंचे।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान में गिराई गई मिसाइलों की गूंज पूरी दुनिया ने सुनी : राजनाथ
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरजमीं पर पल रहे आतंक के अजगर को कुचलने के लिए भारतीय वायु सेना के लिए सिर्फ 23 मिनट काफी थे। हमारी एयर फोर्स एक ऐसी ‘स्काइफ़ोर्स’ है, जिसने अपने शौर्य, पराक्रम और प्रताप से आसमान की नई और बुलंद ऊंचाइयों को छू लिया है। जितनी देर में लोग नाश्ता-पानी निपटाते हैं, उतनी देर में आपने दुश्मनों का निपटारा कर दिया। आपने दुश्मन की सीमा के भीतर जाकर जो मिसाइल गिराई, उसकी गूंज पूरी दुनिया ने सुनी।

भुज एयरबेस 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ हमारी जीत का साक्षी रहा
रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी कल ही मैं श्रीनगर में सेना के अपने वीर जवानों से मिलकर लौटा हूं। कल मैं भारत के उत्तरी भाग में जवानों से मिला। आज मैं भारत के पश्चिमी भाग में वायु योद्धाओं और जवानों से मिल रहा हूं। दोनों ही मोर्चों पर हाई एनर्जी और हाई जोश देखकर आश्वस्त हो गया हूं कि भारत की सीमाएं आप सभी की मजबूत भुजाओं में पूरी तरह से सुरक्षित हैं। भुज का यह एयरबेस 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ हमारी जीत का साक्षी रहा है। यह भुज 1971 में भी पाकिस्तान के खिलाफ हमारी जीत का साक्षी रहा है। आज एक बार फिर यह भुज पाकिस्तान के खिलाफ हमारी जीत का साक्षी बना है। इसकी मिट्टी में देशभक्ति की खुशबू है, इसलिए यहां के जवानों में भारत की सुरक्षा का अडिग संकल्प है।

अब तक जो कुछ भी हुआ, वह सिर्फ एक ट्रेलर मात्र था। जब सही समय आएगा, तो हम पूरी पिक्चर भी दिखाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार और देश की जनता हर कदम पर, हर स्थिति में आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके सहयोग से हम इस पूरे क्षेत्र में आतंकवाद का समूल नाश करेंगे, ताकि कल को कोई भारत की संप्रभुता के खिलाफ आंख उठाने की भी हिमाकत न करे। अब हमने साफ कर दिया है कि अगर हमारी संप्रभुता को कोई नुकसान पहुंचाएगा, तो वह प्रहार भी झेलेगा। आतंकवाद का हम मजबूती से और जोरदार तरीके से जवाब देंगे। एक और बात मैं यहां साफ कहना चाहूंगा कि ऑपरेशन ‘सिंदूर’ अभी खत्म नहीं हुआ है। अब तक जो कुछ भी हुआ, वह सिर्फ एक ट्रेलर मात्र था। जब सही समय आएगा, तो हम पूरी पिक्चर भी दिखाएंगे।

वायु योद्धाओं का हौसला बढ़ाते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि अब आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई केवल सुरक्षा का विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय रक्षा सिद्धांत का हिस्सा बन चुकी है। हम आपके साथ मिलकर इस हाइब्रिड और छद्म युद्ध को जड़ से समाप्त करेंगे। आज के समय में पाकिस्तान को किसी भी तरह की आर्थिक सहायता आतंकवाद का वित्तपोषण से कम नहीं है। भारत यही चाहेगा कि आईएमएफ पाकिस्तान को अपनी एक बिलियन डॉलर की सहायता देने पर पुनर्विचार करे और आगे भी किसी भी तरह की सहायता देने से परहेज करे। उन्होंने कहा कि भारत नहीं चाहता कि जो फंडिंग हम आईएमएफ को करते हैं, वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान या किसी भी देश में आतंकी ढांचा बनाने में इस्तेमाल की जाए।

राजनाथ सिंह ने कहा कि लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद के मुरीदके और बहावलपुर स्थित आतंकी ढांचे को फिर से खड़ा करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। निश्चित रूप से आईएमएफ से आने वाले एक बिलियन डॉलर के बड़े हिस्से को इसमें इस्तेमाल किया जाएगा। क्या यह अंतरराष्ट्रीय संस्था से अप्रत्यक्ष वित्तपोषण नहीं माना जाएगा? आपने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढांचे के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की मगर पाकिस्तान फिर से इस कोशिश में लग गया है कि ध्वस्त हुए आतंकी ढांचे को फिर से खड़ा किया जाये। वहां की सरकार, पाकिस्तानी आम नागरिकों से लिया गया टैक्स जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन के आका मसूद अजहर को करीब चौदह करोड़ रुपये देने में खर्च करेगी।

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स्कूलों के आसपास तंबाकू की बिक्री, लगा 3250 रुपये का जुर्माना

धमतरी:  तंबाकू से होने वाले नुकसान को लेकर सरकार ने सख्त निर्देश दिए हुए हैं, इसके तहत स्कूल परिसर के 100 मीटर के दायरे में इन सामग्रियों का विक्रय प्रतिबंधित है। बावजूद उसके स्कूल च काॅलेज के आसपास 100 मीटर के दायरे में इनका विक्रय हो रहा है। जिलास्तरीय निरीक्षण दल द्वारा गुरुवार को धमतरी जिले और मगरलोड में स्कूल- काॅलेज के आसपास तंबाकू से संबंधित सामग्रियों का विक्रय करते हुए 31 दुकानों पर कार्रवाई की गई और इनसे 3250 रुपये का जुर्माना वसूल किया गया।

धमतरी शहर और मगरलोड में स्कूलों के आसपास तंबाकू और तंबाकू उत्पादों की बिक्री करने वाली दुकानों पर निरीक्षण दल द्वारा चालानी कार्रवाई की गई। स्कूलों के आसपास के 100 मीटर क्षेत्र में ऐसी 31 दुकानों पर छापामार कार्रवाई में तंबाकू उत्पादन बेचते पाए जाने पर तीन हजार 250 रुपये का जुर्माना भी वसूल किया गया है। जिलास्तरीय निरीक्षण दल ने यह कार्रवाई कोटपा एक्ट के प्रावधानों के तहत की है। निरीक्षण दल ने धमतरी शहर के रामबाग, गोकुलपुर, रूद्री और कलेक्टोरेट के आसपास के इलाके में यह कार्रवाई की है। इसके साथ ही मगरलोड विकासखंड मुख्यालय में भी तंबाकू उत्पादों के बिक्री पर कार्रवाई की गई है। यह कार्रवाई सार्वजनिक स्थान पर धुम्रपान करने वाले लोगों के साथ-साथ कोटपा एक्ट का उल्लंघन करने वाले जनरल स्टोरों, पान दुकानों, चाय दुकानों और किराना दुकानों में की गई है। कार्रवाई के दौरान निरीक्षण दल ने सभी दुकानों में तंबाकू नियंत्रण के लिए वैधानिक चेतावनी वाले बोर्ड लगाने के भी निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को गुटखा, तंबाकू या तंबाकू उत्पाद बेचने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। कार्रवाई करने वाले निरीक्षण दल में औषधि निरीक्षक संदीप सूर्यवंशी, लुकेश साहू और सामाजिक कार्यकर्ता विकास कुमार शामिल रहे हैं।

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नई दिल्ली, 14 मई (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से बुधवार को सीडीएस सहित तीनों सेना प्रमुखों ने मुलाकात की और उन्हें आतंकवाद के खिलाफ भारत के सफल ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों की कमांडर-इन-चीफ हैं।

राष्ट्रपति भवन के अनुसार इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों की वीरता और समर्पण की सराहना की करते हुए कहा कि उनके पराक्रम ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया को एक शानदार सफलता बना दिया।

उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आंतकवादियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी। भारतीय सशस्त्र बलों ने पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया था। इसमें 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे।

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पटना, 14 मई (हि.स.)। बिहार के नालंदा जिले के उतरथु गांव निवासी बीएसएफ जवान सिकंदर राउत जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हो गए। इस खबर से पूरे गांव में मातम छा गया।

कुछ महीने पहले तक झारखंड के रांची में पदस्थापित थे
सिकंदर राउत कुछ महीने पहले तक झारखंड के रांची में पदस्थापित थे। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए उन्हें कुपवाड़ा बुलाया गया। वहां तैनाती के दौरान एक आतंकी मुठभेड़ में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई और देश ने एक और जांबाज सपूत को खो दिया।

सिकंदर राउत के शहादत की खबर उनकी पत्नी को मोबाइल फोन पर एसएमएस के जरिए मिली। शहीद सिकंदर राउत के चचेरे भाई रामरतन राउत ने बताया कि सिकंदर को कुछ महीने पहले ही रांची से कुपवाड़ा भेजा गया था। वे हमेशा देश सेवा के लिए तत्पर रहते थे लेकिन इस बार उनकी वापसी शव के रूप में हो रही है।

पुलिस अधीक्षक भारत सोनी ने कहा कि अभी तक बीएसएफ या किसी वरीय अधिकारी से इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। बिंद थानाध्यक्ष चंदन कुमार सिंह ने भी कहा कि विभागीय स्तर पर उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है, लेकिन ग्रामीणों ने सूचना दी है कि सिकंदर राउत शहीद हो गए हैं। सिकंदर राउत दो भाइयों में छोटे थे और अपने पूरे परिवार के लाडले थे। उनकी 10 साल पहले शादी हुई थी और उनके दो बच्चे हैं। एक बेटा 8 साल और दूसरा 4 साल का है।

सिकंदर राउत का पार्थिव शरीर 15 मई को गांव लाया जाएगा, जहां उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। स्थानीय प्रशासन और सेना के अधिकारी अंतिम संस्कार में शामिल होंगे।

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