(प्रशांत सिन्हा) 

देश में कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली और गुरुनानक देव की जयंती मनाई जा रही है। गुरुपर्व का सिख धर्म में बहुत महत्व है। हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरुनानक जयंती मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा का हिन्दू ओर सिख धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन को गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है तो वहीं इस दिन ही प्रकाश पर्व भी मनाया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने के बाद दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है एवं पापों का नाश होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इस दिन देवलोक पर हाहाकार मचाने वाले त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का संहार किया था और उसके वध के खुशी में देवताओं ने इस दिन दीपावली मनाई थी।

त्योहारों, उत्सवों के माह कार्तिक की अंतिम तिथि देव दीपावली है। कार्तिक माह के प्रारंभ से ही दीप दान एवं आकाशदीप प्रज्वलित करने की व्यवस्था के पीछे गायत्री मंत्र में आवाहित प्रकाश से धरती को आलोकित करने का भाव रहा है क्योंकि शरद ऋतु से भगवान भास्कर की गति में परिवर्तन होता है। इसके चलते दिन छोटा होने लगता है और रात बड़ी यानी अंधेरे का प्रभाव बढ़ने लगता है। इसलिए इससे लड़ने का उद्दम भी है दीप जलाना।

सिख पंथ के संस्थापक गुरुनानक देव की जयंती पर सभाओं का आयोजन किया जाता है और इन सभाओं में गुरुनानक देव के द्वारा दी गई शिक्षाओं के बारे में बताया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और लंगर का आयोजन किया जाता है। श्री गुरु नानक जी ने सम्पूर्ण विश्व का अन्याय, अत्याचार एवं शोषण के विरूद्ध एक जुट होने का मार्ग दिखाया है। गुरु नानक जी ने ” किरत करो, वंड छको ” जैसे उपदेश देकर समाज को स्वाभिमान के साथ अपने पैरों पर खड़ा होने में समर्थ किया। गुरुनानक जी ने स्वयं खेती कर युवाओं को बहुत बड़ा संदेश दिया था सामाजिक सरसता के लिए गुरु जी का जाति धर्म की संकुचित दीवारें तोड़ने के लिए संगत पंगत का आह्वान, काम की प्रतिष्ठा बढ़ाने और बांट कर खाने का सिद्धांत अत्यंत प्रासंगिक है। गुरुनानक जी का जीवन, चिंतन व दर्शन काल की सीमा से परे है।

प्रकाश पर्व अंधकार से लड़ने का संदेश देता है लेकिन केवल अंधेरे से नहीं बल्कि उस तमस से भी जो हमारे मन मस्तिष्क में घर लेता है। कोई भी समाज हो उसे भौतिक समृद्धि के साथ आत्मिक शान्ति भी चाहिए होती है। इसकी प्राप्ति तब होती है जब मन के कलुष को दूर करने की चेष्टा की जाती है। हमें अपने सामाजिक परिवेश की भी चिंता करनी है और बिगड़ते हुए पर्यावरण की भी। वास्तव में पर्यावरण को बचाकर ही हम देव दीपावली को ऋतु परिवर्तन के पर्व के रूप में मनाते रह सकते हैं।

0Shares

(प्रशांत सिन्हा)

बिहार की चुनावी नतीजे ने कांग्रेस में आंतरिक संघर्षों का खुलासा किया। बिहार के नतीजों का कांग्रेस से आह्वान आत्मचिंतन करने का है इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।

कांग्रेस पार्टी में आंतरिक कलह रुक रुक कर सामने आ रही है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का बगावती रूप भी देखा जा चुका है। कपिल सिब्बल के बाद अब वरिष्ठ नेता गुलाब नबी आज़ाद भी पार्टी के आलाकमान पर निशाना साध चुके हैं। बिहार चुनाव मे मिली हार के बाद गुलाम नबी ने कहा है कि दल का पूरा ढांचा ध्वस्त हो चुका है, कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क भी टूट चुका है। उन्होंने यह भी कहा है कि कांग्रेस सबसे नीचे स्तर पर खड़ी है। कुछ दिन पहले ही दल के 23 नेताओं द्वारा शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर परिवर्तन को लेकर चर्चा हुई थी।

अब समय आ गया है कि कांग्रेस आत्मचिंतन करे। ऐसा प्रतीत होता है कि नेहरू-गांधी परिवार की खातिर पार्टी स्वयं अपने अस्तित्व को मिटाने पर तुली हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस के विकास मे नेहरु – गांधी परिवार का योगदान अतुलनीय है लेकिन यह अतीत की बात है और अतीत को वर्तमान में ढोना लाभकारी नहीं होता। उन्हे परिवार के बाहर से कुशल व्यक्ति को लाना होगा। पार्टी को समझना चाहिए कि कांग्रेस क्षेत्रीय दल नहीं है। उनकी आज भी अखिल भारतीय स्तर पर उसकी मौजूदगी है। ऐसे मे वह खोई हुई सियासी जमीन हासिल करनी चाहिए। बस इसके लिए उसे कुछ फैसले करने होंगे।

कांग्रेस पार्टी को गांधी-नेहरु परिवार से इत्तर अपनी पहचान बनानी होगी। देश की सबसे पुरानी पार्टी का गौरव कांग्रेस को प्राप्त है। केंद्र और राज्यों में लंबे समय तक कांग्रेस का शासन भी रहा है लेकिन हमेशा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक ही परिवार से बनते आ रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस नेतृत्व को लेकर तरह तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। दल में नेताओं का असंतोष बढ़ता जा रहा है।लोग परिवार के अलावा अध्यक्ष की मांग करने लगे हैं। ऐसे में पार्टी की आलाकमान को इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। दल मजबूत हो इसके लिए परिवार और पुत्र मोह का त्याग करना ही होगा। दल को अपने उन नेताओं का सम्मान करना होगा जिन्होंने अपना पूरा जीवन कांग्रेस को समर्पित कर दिया।

कांग्रेस को चाहिए कि वह प्रधान मंत्री पर व्यक्तिगत हमले करना छोड़ उन्ही मसलों पर ध्यान केन्द्रित करे जहां प्रधान मंत्री और उनकी पार्टी असहज महसूस करती है या उनमें सरकार का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर है। इससे न केवल कांग्रेस सही निशाना लगा पाने मे सक्षम हो सकेगी बल्कि सरकार को भी सुधार के लिए प्रोत्साहित करने का काम करेगी जो कि लोकतंत्र मे एक रचनात्मक विपक्ष की भुमिका के लिए आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है। इससे कांग्रेस की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। कांग्रेस को अपने कार्यकर्ता के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए अपने आप को बदलने की जरूरत है।

भारत जैसे विशाल एवं विविधता भरे लोकतंत्र में विपक्ष में ऐसा दल आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है जो स्वयं सशक्त हो और अपने आचरण एवं व्यवहार से सत्ता पक्ष को हमेशा याद कराता रहे कि किसी भी सूरत में निरंकुश नहीं हो सकता। लोकतंत्र की सफलता के लिए यही आदर्श व्यवस्था मानी भी जाती है। भारत ने जिस ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली अपनाई है वहां तो विपक्ष “शैडो कैबिनेट” जैसी व्यवस्था को अपनाता है जहां विपक्षी नेता सत्ता पक्ष के मंत्रियों के कामकाज पर औपचारिक एवं व्यवस्थित ढंग से निगरानी रखते है। इससे लोकतांत्रिक प्रणाली के सुचारू रूप से संचालन में मदद मिलती है। हालांकि यह सब तभी संभव जब विपक्षी दल स्वयं मजबूत हो, सकारात्मक और स्वस्थ बहस हो और संसदीय भाषा का प्रयोग हो। लोक हित के मुद्दों पर सत्ता पक्ष का साथ देने में किसी प्रकार की राजनैतिक द्वेष आगे नहीं आना चाहिए और सत्ता पक्ष को किसी भी अमान्य और अलोकतांत्रिक कार्य करने से रोकना चाहिए। लेकिन चिंता का विषय तब बन जाता है जब विपक्षी दल ही संगठनात्मक कमजोरी और कमजोर शीर्ष नेतृत्व से गुजर रहा हो। बेहतर तो यह होगा कि कांग्रेस पार्टी जो कि इस समय विपक्ष की भूमिका में है अपने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव लाए।

यह लेखक के निजी विचार है।

राजनीतिक, सामाजिक और अन्य विषयों पर आलेख आप भी हमें भेज सकते हैं. अपने आलेख हमें chhapratoday@gmail.com पर भेजें, आलेख के साथ अपनी तस्वीर और संक्षिप्त परिचय भी भेजें.   

0Shares

(प्रशांत सिन्हा)

26 नवंबर को संविधान दिवस का आयोजन राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए. संविधान को जानने में ही भारतीय लोकतंत्र का भविष्य निहित है. सरकारें भी मानती हैं आम जनता के बीच उनके मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरुकता की आवश्यकता है. इसका प्रसार आम जनता के बीच होना चाहिए ताकि भारतीय नागरिक होने के नाते लोग अपने दायित्वों का निर्वाह बेहतर तरीके से कर सकें.

संविधान में मूल कर्तव्य है. मूल अधिकारों का दायरा बड़ा है. वैसे ही मूल कर्तव्य की व्यापकता भी है. अधिकार भोग के साथ कर्तव्य पालन भी प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है.

संविधान ( अनुच्छेद 51 ए ) में मूल कर्तव्यों की सूची है. कुल 11 मौलिक कर्तव्य इस प्रकार है :

* संविधान का पालन करें और उनके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज, और राष्ट्र गान का आदर करें.

* स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें.

* भारत की संप्रभुता, एकता व अखंडता की रक्षा करें.

* देश की रक्षा करें और बुलाए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें.

* भारत के सभी भागों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का विकास करें जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे है और ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरूद्ध है.

* समन्वित संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और संरक्षण करें.

* वन, झील, नदी और वन्य जीव आदि प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें. प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें.

* वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवता ज्ञानिजन तथा सुधार की भावना का विकास करें.

* सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें.

* व्यक्तिगत व सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों के उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें ताकि राष्ट्र निरंतर प्रगति व उपलब्धि की नवीन ऊंचाईयां छू सकें.

विश्व का सबसे बड़ा सविधान भारत का संविधान का उद्देश्य ” हम भारत के लोग ” की ऋद्धि सिद्धि और समृद्धि है. संविधान पूर्ण दस्तावेज है. भारत का संविधान लचीला और नरम है.

संविधान स्वयं शक्ति संपन्न नहीं होता. डॉक्टर अम्बेडकर ने 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अंतिम भाषण में ठीक कहा था ” संविधान चाहे जितना अच्छा हो यदि उसे संचालित करने वाले बुरे है तो वह निश्चित ही बुरा ही जाता है. डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने कहा था ” संविधान किसी बात के लिए उपबंध करे या न करे देश का कल्याण उन व्यक्तियों पर निर्भर करेगा जो देश पर शासन करेगा.

जनता और शासक दोनों के द्वारा समय समय पर दुरुपयोग हुआ है. न तो शिक्षित जनता और न ही राजनैतिक दलों के तमाम लोगों को संविधान की जानकारी है. इसलिए संविधान के प्रति जागरूकता लाने के लिए समय समय पर कार्यक्रमों की आयोजन करना चाहिए.
संविधान मानने और जानने में ही भारतीय लोकतंत्र का भविष्य निहित है.

0Shares

Dear Readers/Viewers,
May #Diwali the festival of lights illuminate your life and bring the shower of glory, prosperity, health & peace.
सम्मानित पाठकों/दर्शकों,
रौशनी के त्योहार #दिवाली पर आपका जीवन खुशियों से जगमग हो, आपको धन, यश, कीर्ति, स्वास्थ्य और शांति मिले.
Yours Team Chhapra Today | छपरा टुडे
Follow us on #Facebook, #Twitter, #YouTube, #Instagram @ChhapraToday
0Shares

“मैं अपनी असफलता का मालिक हूं अगर मैं कभी असफल नहीं होता तो मैं इतना सब कुछ कैसे सीखता।”

-चंद्रशेखर वेंकट रमन

भौतिकी शास्त्र में ‘रमन प्रभाव’ के खोजकर्ता व नोबेल पुरस्कार से सम्मानित देश के पहले वैज्ञानिक भारत रत्न डॉ. सी वी रमन की आज जयंती है.

दक्षिण भारत के त्रिचुनापल्ली में पिता चंद्रशेखर अय्यर व माता पार्वती अम्मा के घर में 7 नवंबर 1888 को जन्मे भौतिक शास्त्री चंद्रशेखर वेंकट रमन उनके माता पिता के दूसरे संतान थे.

क्‍या है रमन इफेक्‍ट
दरअसल, जब प्रकाश की किरणें किसी जगह से गुजरती हैं तो उनमें से ज्‍यादातर की वेवलैंथ एक समान ही रहती है. लेकिन कहीं कहीं पर इसमें बदलाव दिखाई देता है. यह बदलाव उसके अंदर मौजूद अणुओं की सरंचना के बारे में बताता है. इन किरणों की वेवलैंथ में ये बदलाव उनकी ऊर्जा में परिवर्तन के कारण होता है. ऊर्जा में बढ़ोतरी हो जाने से तरंग की लंबाई कम हो जाती है और ऊर्जा में कमी आने से तरंग की लम्बाई बढ़ जाती है. इस परिवर्तन को स्कैनर की मदद से ग्राफ के रूप में रिकॉर्ड किया जाता है. इसके बाद इसके विश्‍लेषण के जरिए उस चीज के बारे में जानकारी हासिल की जाती है. सीवी रमन की इस खोज का सबसे दिलचस्‍प पहलू ये भी है कि उन्‍होंने ये खोज उस वक्‍त की थी जब उनके पास उन्‍नत किस्‍म के उपकरण नहीं थे. इस शोध में इस्‍तेमाल कुछ उपकरण तो उन्‍होंने खुद ही बनाए थे.

0Shares

नीरज सोनी  

अकेला चना क्या भाड़ फोड सकता है? यह सवाल हमेशा दिमाग में उठता है जब हम सरकारी तंत्र की मार खाते हैं. लेकिन लोकतंत्र में ऐसे कई चने हुए जिन्होंने अकेले ही घड़े रूपी सरकार को तोड़ दिया. जयप्रकाश नारायण एक ऐसे ही शख्स थे जिन्होंने अपनी जिंदगी देश के नाम कर दी और अकेले दम पर तत्कालीन इंदिरा गाँधी की सरकार को दिन में तारे दिखला दिए.

देश में समाजवादी आंदोलन में अहम भूमिका निभाने और लोकतंत्र को दोबारा जिंदा करने वाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण की कल 118 वीं जयंती है। उनके निधन को 43 बरस बीत चुके हैं, लेकिन आज तक उनके व्यक्तित्व का सही तरीके से यह आकलन नहीं हो पाया है कि उनकी मूल राजनीतिक विचारधारा क्या थी, वह देश में किस तरह की राजनीतिक प्रणाली चाहते थे? किसी भी तरह का चुनाव लड़े बिना आखिर वह किस लोकशाही की बात करते थे?

भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण छात्र जीवन से ही महात्मा गांधी की विचाराधारा से प्रभावित थे और 18 वर्ष की उम्र में असहयोग आंदोलन में शरीक हो गए थे, जयप्रकाश नारायण का नाम जब भी जुबां पर आता है तो यादों में रामलीला मैदान की वह तस्वीर उभरती है जब पुलिस जयप्रकाश को पकड़ कर ले जाती है और वह हाथ ऊपर उठाकर लोगों को क्रांति आगे बढ़ाए रखने की अपील करते हैं. जयप्रकाश नारायण ही वह शख्स थे जिनको गुरू मानकर आज के अधिकतर नेताओं ने मुख्यमंत्री पद तक की यात्रा की है. लालू यादव, नीतीश कुमार, मुलायम सिंह यादव, राम विलास पासवान, जार्ज फर्नांडिस, सुशील कुमार मोदी जैसे तमाम नेता कभी जयप्रकाश नारायण के चेले माने जाते थे लेकिन सत्ता के लोभ ने उन्हें जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से बिलकुल अलग कर दिया.

निःसंदेह जयप्रकाश नारायण जैसे सपूतों को पाकर भारत माँ ने अपनी कोख की अवश्य सराहना की होगी. मानवता के मूल्यों को और स्वयं मानवता को अन्धकार से निकालकर प्रकाश में लाने के लिए जयप्रकाश जी ने जीवन भर संघर्ष किया, जूझे पर झुके नहीं पथ से मुड़े नहीं. मातृभूमि का कण- कण बोल उठा जयप्रकाश शतायु हो जनवरी 1921 ई. में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में पटना में एक विशाल सभा हुई उनके भाषण का जयप्रकाश जी पर बहुत गहरा असर पड़ा. उन्होंने दूसरे दिन ही कॉलेज छोड़ दिया, और अपने ससुर जी की सलाह पर राजेन्द्र बाबू की निगरानी में सदाकत आश्रम में चल रहे विद्यापीठ में चले गए. इंटर का इम्तिहान दिया और ऊँचे नम्बरों से इंटर पास किया. बम्बई में अक्टूबर 1934 ई. को कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी को बकायदा कायम किया गया. जयप्रकाश जी उस नई पार्टी के जनरल सेक्रेटरी नियुक्त किये गए. 7 मार्च 1940 ई. की शाम को जयप्रकाश नारायण जी गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस उन्हें जमशेदपुर जेल ले गयी और वहाँ उन्हें चाईवास जेल में बंद कर दिया गया. ‘‘ भारत छोड़ो आन्दोलन’’ के दौरान जयप्रकाश जी हजारीबाग़ जेल में बंद थे. इस जनक्रांति के आन्दोलन में भाग लेने के लिए उनकी आत्मा छटपटा रही थी. उन्होंने जेल से भागने का निश्चय किया. 6 नवम्बर 1942 को दिवाली के अवसर पर जेल के सभी कर्मचारियों और कैदियों के लिए दावत और नाच गाने के कार्यक्रम का आयोजन किया गया. राम वृक्ष बेनीपुरी जी इस कार्यक्रम का संचालन कर रहे थे.

उसी समय जयप्रकाश जी जान की बाज़ी लगाकर नई धोती की रस्सी बनाकर छः मिनट में जेल की दीवार लांघ गए और बाहर निकल गए. बारह घंटे तक रामवृक्ष बेनीपुरी जी ने जयप्रकाश जी बीमारी का बहाना कर के किसी को पता नहीं चलने दिया कि वे जेल से भाग गए है. ब्रिटिश सरकार ने जयप्रकाश जी को जिन्दा या मुर्दा पकड़वाने के लिए दस हजार का ईनाम रखवाया.

उन्होंने नेपाल में आज़ाद दस्ते का गठन किया.1943 ई. में उन्हें एक बार फिर चलती ट्रेन से उन्हें और डॉ. लोहिया को गिरफ्तार कर लिया गया. गांधी जी ने यह साफ़ कर दिया कि दोनों की रिहाई के बिना अंग्रेज सरकार से कोई भी समझौता संभव नहीं है इसके फलस्वरूप दोनों को 1946 ई. में रिहा कर दिया गया. 1954 ई. में उन्होंने गया और बिहार में विनोवा भावे के सर्वोदय आन्दोलन में जीवन समर्पण की घोषणा की .जयप्रकाश जी ने तत्कालीन लोकनीति के पक्ष में राजनीति छोड़ दिया.1960 ई. में वे पुनः राजनीति में आ गए. 1974 ई. में किसानों के बिहार आन्दोलन में उन्होंने सक्रीय भूमिका निभाई.

बिगडती तबियत के बावजूद उन्होंने तात्कालीन सरकार इंदिरा गाँधी के प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध और भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन किया. उनके नेतृत्व में गुजरात में पीपुल्स पार्टी ने चुनाव जीता. 1975 ई. में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो आन्दोलन के दौरान वे 600 व्यक्तियों के साथ बंदी बना लिए गए. 7 महीने जेल में रहने के बाद तबियत खराब होने की वजह से उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया. उनका निधन 8 अक्टूबर 1979 ई. को ह्रदय रोग और मधुमेह के कारण हुआ.

उनके निधन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उनके सम्मान में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की….

यह लेखक के निजी विचार है | लेखक नीरज सोनी  

0Shares

Chhapra: भारत रत्न लोकनायक जय प्रकाश नारायण की 118वीं जयंती पर उन्हें आज याद किया जा रहा है.

‘लोक नायक’ के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनेता थे. उन्हें मुख्यतः 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है. भारत सरकार ने उन्हें सन 1998 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा. सन 1965 में उन्हें समाज सेवा के लिए ‘मैगसेसे’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. वर्ष 1957 में उन्होंने राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया पर 1960 के दशक के अंत में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे. जे.पी. इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे और गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने 1977 में विपक्ष को एकजुट कर इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया.

नज़र डालते है लोकनायक के जीवन पर

जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गाँव में हुआ. उनके पिता का नाम हर्सुल दयाल श्रीवास्तव और माता का नाम फूल रानी देवी था. वो अपनी माता-पिता की चौथी संतान थे. जब जयप्रकाश 9 साल के थे तब वो अपना गाँव छोड़कर कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लेने के लिए पटना चले गए. स्कूल में उन्हें सरस्वती, प्रभा और प्रताप जैसी पत्रिकाओं को पढने का मौका मिला. उन्होंने भारत-भारती, मैथिलीशरण गुप्त और भारतेंदु हरिश्चंद्र के कविताओं को भी पढ़ा. इसके अलावा उन्हें ‘भगवत गीता’ पढने का भी अवसर मिला.

1920 में जब जयप्रकाश 18 वर्ष के थे तब उनका विवाह प्रभावती देवी से हुआ. विवाह के उपरान्त जयप्रकाश अपनी पढाई में व्यस्त थे इसलिए प्रभावती को अपने साथ नहीं रख सकते थे इसलिए प्रभावती विवाह के उपरांत कस्तूरबा गांधी के साथ गांधी आश्रम मे रहीं. मौलाना अबुल कलाम आजाद के भाषण से प्रभावित होकर उन्होंने पटना कॉलेज छोड़कर ‘बिहार विद्यापीठ’ में दाखिला ले लिया. बिहार विद्यापीठ में पढाई के पश्चात सन 1922 में जयप्रकाश आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए. अमेरिका जाकर उन्होंने जनवरी 1923 में बर्कले विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. अमेरिका में अपनी पढाई का खर्चा उठाने के लिए उन्होंने खेतों, कंपनियों, रेस्टोरेन्टों इत्यादि में कार्य किया. इसी दौरान उन्हें श्रमिक वर्ग के परेशानियों का ज्ञान हुआ और वे मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित हुए. इसके पश्चात उन्होने एम.ए. की डिग्री हासिल की पर पी.एच.डी पूरी न कर सके क्योंकि माताजी की तबियत ठीक न होने के कारण उन्हें भारत वापस लौटना पड़ा.

जयप्रकाश नारायण जब 1929 में अमेरिका से लौटे तब स्वतंत्रता संग्राम तेज़ी पर था. धीरे-धीरे उनका संपर्क जवाहर लाल नेहरु और महात्मा गाधी से हुआ और वो स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने. 1932 मे सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान जब गांधी, नेहरु समेत अन्य महत्वपूर्ण कांग्रेसी जेल चले गए तब उन्होने भारत के अलग-अलग हिस्सों मे आन्दोलन को दिशा दी. ब्रिटिश सरकार ने अन्ततः उन्हें भी मद्रास में सितंबर 1932 मे गिरफ्तार कर लिया गया और नासिक जेल भेज दिया. नासिक जेल में उनकी मुलाकात अच्युत पटवर्धन, एम. आर. मासानी, अशोक मेहता, एम. एच. दांतवाला, और सी. के. नारायणस्वामी जैसे नेताओं से हुई। इन नेताओं के विचारों ने कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (सी.एस.पी) की नींव रखी. जब कांग्रेस ने 1934 मे चुनाव मे हिस्सा लेने का फैसला किया तब कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी ने इसका विरोध किया.

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया और ऐसे अभियान चलाये जिससे सरकार को मिलने वाला राजस्व रोका जा सके. इस दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 9 महीने की कैद की सज़ा सुनाई गई. उन्होने गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच मतभेदों को सुलझाने का प्रयास भी किया. सन 1942 में ‘भारत छोडो’ आंदोलन के दौरान वे हजारीबाग जेल से फरार हो गए थे.

आजादी के बाद कई सरकारों ने घोटाले और षड़यंत्र किए जिनसे देश और समाज का बहुत नुकसान हुआ. देश में महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी व्याप्त थी ऐसे समय में जय प्रकाश नारायण ने आगे आकर युवाओं के माध्यम से जनता को एकत्रित किया. उन्होंने कहा ये सारी समस्याएं तभी दूर हो सकती हैं, ‘जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति-’सम्पूर्ण क्रान्ति’ आवश्यक है।” उनके अहिंसावादी आंदोलन की सूरत को देखकर कुछ लोगों ने उन्हें आजाद भारत के गांधी की उपाधि दी थी.

जे.पी. आन्दोलन बिहार से शुरू होकर पूरे भारत में कब फैल गया पता ही नहीं चला. जे.पी. एक जमाने में कांग्रेस के सहयोगी थे लेकिन आजादी के लगभग दो दशक बाद आई इंदिरा गांधी सरकार के भ्रष्ट व अलोकतांत्रिक तरीकों ने उन्हें कांग्रेस और इंदिरा के विरोध में खड़ा कर दिया. इसी बीच सन 1975 में अदालत में इंदिरा गांधी पर चुनावों में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया और जयप्रकाश ने विपक्ष को एकजुट कर उनके इस्तीफे की मांग की. इसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल लागू कर दिया और जे.पी. समेत हजारों विपक्षी नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया.

जनवरी 1977 को इंदिरा गाँधी सरकार ने आपातकाल हटाने का फैसला किया. मार्च 1977 में चुनाव हुए और लोकनायक के “संपूर्ण क्रांति आदोलन” के चलते भारत में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी.

आन्दोलन के दौरान ही उनका स्वास्थ्य बिगड़ना शुरू हो गया था. आपातकाल में जेल में बंद रहने के दौरान उनकी तबियत अचानक 24 अक्टूबर 1976 को ख़राब हो गयी और 12 नवम्बर 1976 को उन्हें रिहा कर दिया गया. मुंबई के जसलोक अस्पताल में जांच के बाद पता चला की उनकी किडनी ख़राब हो गयी थी जिसके बाद वो डायलिसिस पर ही रहे. जयप्रकाश नारायण का निधन 8 अक्टूबर, 1979 को पटना में मधुमेह और ह्रदय रोग के कारण हो गया.

0Shares

(प्रशांत सिन्हा)

भारत वर्ष गांधी, जयप्रकाश, लोहिया, बिनोभा के अहिंसा एवं राजनीति में नैतिक मर्यादाओं की वजह से जाना जाता है। बीसवीं सदी में भारत में जितने महापुरुष पैदा हुए उसमें जयप्रकाश नाम अग्रणी पंक्ति में आता है। जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताबदियारा में हुआ था। जिस दिन उनका जन्म हुआ था वह विजयादशमी का दिन था।

जयप्रकाश नारायण ( जेपी ) 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के नायक और आज़ादी के बाद भारतीय समाजवादी आंदोलन के महानायक थे। राजनीति से मोहभंग होने के बाद सर्वोदय के हो चुके जेपी ने वक़्त की पुकार सुनकर राजनीति में वापसी करते हुए भ्रष्टाचार और तानाशाही के खिलाफ संघर्ष को नेतृत्व प्रदान कर देश में लोकतंत्र बहाल कराया।

आज राजनीति मूल्य हीनता का शिकार बनती जा रही है। आने वाली पीढ़ी को विरासत में स्वच्छ राजनीति देना समाज के लिए बहुत ज़रूरी है। इसके लिए जयप्रकाश जैसे नेता की जीवनी नई पीढ़ी को अवगत कराना जरूरी है। निश्चय ही इससे अच्छी राजनीति की शुरुआत होगी।

बचपन से लेकर अंतिम स्वास तक जयप्रकाश क्रियाशील रहे। उनके क्रिया कलाप के क्षेत्र सदैव बदलते रहे। उनकी सोच भी विभिन्न दिशाओं में रही। वे कभी मार्क्सवादी रहे कभी गांधीवादी तो कभी समाजवादी। उन्होंने अपने पुराने विचारों को त्यागने में देर नहीं की।

यद्दपी जयप्रकाश बाबू को जीवन में अनेक असफलताओं से सामना हुआ किन्तु उन्होंने कभी हार नहीं मानी। असफलताओं ने सीख ही दी और जब जब देश ने उन्हें आवाज़ दी वे एक नए विचार को साथ लेकर राष्ट्र के सामने आए। उन्हें सत्ता की सुख सुविधाएं अपनी ओर आकृष्ट नहीं कर सकी। वे सत्ता को सही अर्थ में आम जनता के हांथों में सौंपने के पक्षधर थे।

गांधी की तरह जेपी को भी संसदीय लोकतंत्र में कम आस्था थी। वह इस ढांचे को बदलना चाहते थे। इसलिए सत्ता के विकेंद्रीकरण के पक्षधर थे। जेपी कहते थे कि सत्ता कुछ व्यक्तियों के हांथ में होने के बजाए पूरे समुदाय के हांथ में होनी चाहिए। जेपी समझ चुके थे कि सत्ता मिलने के बाद कोई राष्ट्रहित का नहीं सोचता। इसलिए जेपी ने जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने ” Right to recall ” का नाम दिया।

वह सच्चे समाजवादी थे। लोग राजनीति में उतरते है और सत्ता दौर में शामिल हो जाते हैं। जेपी ने इस नियम को तोड़ा। वे ज़िन्दगी के आखिरी क्षण तक राजनीति में रहे लेकिन हमेशा सत्ता को ठुकराया। वह चाहते तो सत्ता के शिखर तक आसानी से पहुंच जाते। सत्ता का शिखर उन्हें निमंत्रण दे दे कर थक गया। तभी तो लोगों ने पूरे में से और दिल की गहराई से ” लोक नायक ” की उपाधि दी। जयप्रकाश जी के भाषण सुनने और उन्हें देखने वालों के लिए पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान और दिल्ली का रामलीला मैदान छोटा पड़ जाता था। जेपी को जो लोकनायक की पदवी जनता द्वारा मिली थी वह उसके पूरी तरह हकदार थे।

“सम्पूर्ण क्रांति” जयप्रकाश जी का विचार और नारा था जिसका आह्वान उन्होंने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए किया था। लोक नायक ने कहा था कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियां शामिल हैं : राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सात क्रांतियां को मिलाकर सम्पूर्ण क्रांति होती है।

आज देश को भावी पीढ़ी से इसी सम्पूर्ण क्रांति की मशाल को देश के घर घर में पहुंचाने की अपेक्षा है।

यह लेखक के निजी विचार है | लेखक प्रशांत सिन्हा के अन्य ब्लॉग को पढने के लिए लिंक को क्लिक करें http://prashantpiusha.blogspot.com

0Shares

मेष- आज आपका मन काफी चंचल रहेगा जिसके कारण आपको निर्णय लेने में काफी परेशानी होगी। इस वजह से कोई भी महत्वपूर्ण काम पूरा नहीं कर पाएंगे। प्रतिस्पर्धियों का सामना करना पड़ेगा लेकिन नए काम को करने की प्रेरणा मिलेगी। आप किसी बौद्धिक या तार्किक चर्चा में भाग लेंगे। आज छोटी यात्रा होने की संभावना है। महिलाओं को आज वाणी पर नियंत्रण रखने की सलाह दी जाती है। साहित्य लेखन के लिए अच्छा दिन होने के कारण आप अपनी प्रतिभा लेखन में दिखा सकते हैं।

वृष- आज आपके सोचे हुए सभी काम पूरे हो जायेंगे ।आपके लिये बहुत-सी चीज़ें आज फायदेमंद हो सकती हैं ।विवाहितों के लिये आज का दिन बढ़िया है ।आपको अपने जीवनसाथी से पूरा सपोर्ट मिलेगा ।शिक्षा से जुड़ी आपकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी ।अगर आप किसी मेडिकल कॉम्पिटीशन की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको अपनी मेहनत का फल जल्द ही सफलता के रूप में मिलेगा । इनकम के एक्स्ट्रा सोर्स से बैंक बैलेंस बढ़ेगा ।काम के लिये आपकी ऊर्जा बनी रहेगी ।व्यायाम नियमित रूप से करने पर सेहतमंद रहेंगे ।किसी कन्या के पैर छूकर आशीर्वाद लें, आप सभी कामों में सफल होंगे ।

मिथुन- मिथुन राशि वालों के लिए आज का दिन अच्छा बीतेगा. करियर में सफलता मिलेगी। नौकरीपेशा वाले लोग अपने काम से दूसरों को प्रभावित करेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी।  व्यापार में पूरे दिन लाभ के योग बने रहेंगे।  पारिवारिक संबंध यथावत रहेंगे। आर्थिक लाभ होगा। अपने मन में आने वाले नकारात्मक विचारों को खत्म करने की कोशिश करें। आपका दांपत्यजीवन अच्छा रहेगा।

कर्क राशि – आज खास काम के लिए आपके मन में नया विचार आ सकता है ।आप उस पर जल्द ही काम भी शुरू कर सकते हैं। आज दिन खत्म होते आपको कुछ तनाव महसूस हो सकता है। इसलिए दफ्तर के काम को पूरा करने की रूपरेखा जरूर बना लें। शाम को बच्चों के साथ समय बिताएंगे ।इससे आप राहत महसूस करेंगे ।प्रॉपर्टी के लिये आपको कोई अच्छी डील मिल सकती है ।मां दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ाएं, आपकी सभी परेशानियाँ दूर होगी।

सिंह- आज व्यापार में लाभ और आय में वृद्धि होगी। उत्तम भोजन प्राप्त होंगे। मित्रों के साथ स्मरणीय स्थान पर जा सकते हैं। स्त्री मित्र आज विशेष सहायक बनेंगे। पुत्र के साथ मिलने का अवसर मिलेगा। बुजुर्गों तथा बड़े भाई- बहनों का सहयोग प्राप्त होगा। कोई शुभ प्रसंग हो सकता है। वैवाहिक जीवन बेहतर रहेगा तथा पत्नी का सहयोग मिलेगा। नई वस्तुओं की खरीदारी के लिए आज का दिन उत्तम है।

कन्या- कन्या राशि के लोगों के लिए आज का दिन लाभकारी रहेगा। व्यापार में लाभप्रद सौदे होंगे। आय के नए स्रोत विकसित होंगे। नौकरीपेशा वाले लोगों को पदोन्नती का समाचार मिल सकता है। पारिवारिक खर्च में बढ़ोतरी होगी। पारिवारिक जीवन खुशहाल रहेगा। पारिवारिक वातावरण खुशनुमा रहेगा तथा पत्नी के साथ भी अच्छा वक्ता बीतेगा। व्यावसायिक कार्य से बाहर जाना हो सकता है।

तुला  – आज बिजनेस के सिलसिले में आपको यात्रा करनी पड़ सकती है ।किसी से बात करते समय आपको विनम्र स्वभाव का प्रयोग करना चाहिए ।इससे लोगों पर आपका प्रभाव पड़ेगा। अगर आप बिल्डर हैं, तो आज आपको बहुत ही सोच-समझ कर निवेश करना चाहिए। किसी प्रोजेक्ट पर काम करने से पहले आपको पहले वर्क प्लान तैयार करना चाहिए। इससे आपको काम में फायदा मिलेगा। सेहत के मामले में आप खुद को थका हुआ महसूस कर सकते हैं ।आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की जरूरत है ।अपने मस्तक पर चंदन का तिलक लगाएं, आपका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा ।

 वृश्चिक- आज अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। कफ, सांस या पेट की परेशानी हो सकती है। आज शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ्य रहेंगे। क्रोध पर नियंत्रण रखना होगा। किसी भी अनैतिक काम तथा सरकार विरोधी कामों से दूर रहें अन्यथा आप मुसीबत में आ सकते हैं। पानी से दूर रहें। आज आप खर्च ज्यादा करेंगे।

धनु –धनु राशि वालों के लिए आज का दिन शुभ है। आज आप आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे।  अपने गुणों से दूसरों को प्रभावित करेंगे। कारोबार की स्थिति अच्छी रहेगी। सामाजिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी. परिवार के साथ कहीं घूमने निकल सकते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में आपको कामयाबी हासिल होगी ।लोग आपके काम की प्रशंसा करेंगे ।नए लोगों से मुलाकात लाभदायक रहेगी ।

मकर – आज आपको दूसरों से अपनी पर्सनल बात शेयर करने से बचना चाहिए ।किस्मत का साथ मिलने में थोड़ी परेशानी आ सकती है ।आज ऑफिस में आपको ध्यान से काम करने की जरूरत है । आप किसी सामाजिक कार्य में अपना हाथ बंटा सकते हैं। उचित दिशा में मेहनत से आपको सफलता जरूर मिलेगी । इस राशि के छात्रों को कोई खुशखबरी मिल सकती है ।पढ़ाई के प्रति आपकी रुचि बढ़ सकती है । आर्थिक रूप से किसी भी फैसले के लिये आपको बड़ा ही सतर्क रहकर काम करना चाहिए । अपने ईष्टदेव को प्रणाम करें, आपकी सभी समस्याएं दूर होगी।

कुंभ- आपका आज का दिन परेशानी भरा रहेगा। वैचारिक रूप से काफी व्यग्र रहने के कारण कोई भी महत्त्वपूर्ण निर्णय नहीं लेना ही हितकर होगा। यात्रा- प्रवास में परेशानी हो सकती है। निर्धारित कार्य पूरा नहीं होने के कारण आपको काफी निराशा होगी। मन अशांत बनेगा। पेट- दर्द सताएगा। संतान की तबीयत या पढ़ाई के संबंध में चिंता रहेगी।

मीन- मीन राशि वालों के लिए आज का दिन शुभ रहेगा।  लंबे समय से प्रयासरत कामों में सफलता मिलेगी. नए लोगों से मुलाकात होगी।  कारोबार में लाभकारी सौदे होंगे। समाजिक प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होगी। घर-परिवार वालों के साथ समय बिताएंगे। किसी भी तरह के दस्तावेज को करने में सावधानी रखें। ऐसी परिस्थिती उत्पन्न हो सकती है जो आपके मानहानि का कारण बनें। स्त्री तथा पानी से सावधान रहें।

0Shares

इतिहास ने अपने अन्दर कई घटनाओं को समेट कर रखा है. इस सेक्शन के माध्यम से हम आपको इतिहास के इन पन्नों में छिपे घटनाओं से रूबरू कराते है. आइये आज के इतिहास को जानते है.

1791: भौतिक विज्ञानी और रसासनशास्‍त्री माइकल फैराडे का निधन हुआ था.

1965: भारत पाकिस्तान के बीच की लड़ाई में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र की पहल पर युद्ध विराम हुआ.

1980: ईरान और इराक़ के बीच तीन हफ़्तों से चल रही छिटपुट झड़पों के बाद इसी दिन पश्चिम एशिया के दो देशों के बीच एक लंबी जंग की शुरुआत हुई थी.

1988: नेशनल ज्‍योग्राफिक मैगजीन का प्रकाशन शुरू हुआ.

2002: फ्रांस ने आइवरी कोस्ट में अपनी सेना भेजी.

2011: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और पटौदी के नवाब मंसूर अली खान पटौदी का निधन हुआ.

0Shares

मेष राशि

आपके रुके हुए काम पूरे होंगे। छात्रों के लिए आज का दिन अनुकूल रहने वाला है। खासतौर पर साइंस से जुड़े छात्रों के लिए फायदेमंद रहेगा। माता-पिता के साथ संबंध बेहतर होंगे। कोई बड़ा ऑफर मिलने से धन लाभ होने की संभावना है। आप परिवार वालों के साथ अच्छा समय बिताने का प्लान बनायेंगे। व्यापारी वर्ग को अचानक धन लाभ हो सकता है, जिससे आप का आर्थिक पक्ष पहले की अपेक्षा और भी अधिक मजबूत होगा।

वृष राशि
आय के नए स्रोत सामने आयेंगे। ऑफिस में किसी बड़े अधिकारी का सहयोग प्राप्त होगा। दाम्पत्य जीवन में मधुरता आयेगी। सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स के लिए दिन बेहतरीन रहने वाला है। आपको लाभ के कुछ अवसर प्राप्त होंगे। सुबह उठकर जॉगिंग पर जाने से दिनभर खुद को तरोताजा महसूस करेंगे। आपको अपनी मेहनत का फल अवश्य मिलेगा। किसी नए कॉन्टैक्ट से आपको फायदा होगा। कुछ लोगों को आपकी उदारता पसंद आयेगी। आपकी मेहनत रंग लायेगी।

मिथुन राशि
दोस्त आपसे किसी काम के लिए मदद मांग सकते हैं। परिवार में आपके गुणों की प्रशंसा होगी। किसी नयी तकनीक के द्वारा आपके व्यापार में वृद्धि होने की संभावना है। साथ ही उत्पादन कार्य भी बढ़ सकता है। अपने पार्टनर के साथ आप डिनर करने का प्रोग्राम बनायेंगे। जो लोग संगीत गायन के क्षेत्र से जुड़े हैं, उन्हें किसी बड़ी जगह परफॉर्मॆंस करने का मौका मिलेगा। संतान सुख की प्राप्ति होगी। आपके साथ सब अच्छा होगा।

कर्क राशि
आपको ऑफिस में अपने आसपास के लोगों से थोड़ा संभलकर रहने की जरूरत है। वे आपका काम बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। किसी भी काम में बड़ों की सलाह लेना बेहतर रहेगा। आप अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव करेंगे। ये बदलाव आपके लिए फायदेमंद रहेगी। बिजनेस में आपको विरोधियों से बचकर रहना चाहिए। खुद को फिट रखने के लिए आपको योग करना चाहिए। आपके प्रेम-संबंधों में मिठास आयेगी। आपका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा।

सिंह राशि
आप किसी नए काम को करने की सोचेंगे। करियर के मामले में चीज़ें बेहतर होने के आसार है। सेहत के प्रति आपको थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। फास्ट फूड खाने से आपको बचना चाहिए। किसी बड़ी डील को करने से पहले आपको सोच-समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए। घर वालों के साथ किसी बात को लेकर थोड़ा मनमुटाव हो सकता है। बिजनेस में नए लोगों से जुड़ने का मौका मिलेगा। आपकी सभी परेशानियां दूर होगी।

कन्या राशि
कुछ ऐसे लोगों से मुलाकात होगी, जो आपके करियर के लिए मददगार रहेंगे। आप परिवार वालों की इच्छा पूरी करेंगे, जिसमें आपको सफलता मिलेगी। आपके कुछ नए दोस्त बनेंगे। आपको कुछ नये बिजनेस प्रपोजल मिल सकते हैं। जीवनसाथी के साथ आपके रिश्तों में मधुरता बरकरार रहेगी। थोड़ी मेहनत से आपको किसी काम में सफलता मिलेगी। आपकी सकारात्मक सोच हितकर साबित होगी। बहुत से लोग आपके विचारों और बातों से सहमत होंगे। कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी।

तुला राशि 
इनकम के नए सोर्स प्राप्त होंगे। आपको व्यापार में उम्मीद से कुछ कम ही लाभ होगा। कुछ मामलों में साथ काम करने वाले लोगों से सहयोग नहीं मिल पायेगा। आप अपने जीवन को और बेहतर बनाने के लिए कोशिश करेंगे। ऑफिस में काम का बोझ थोड़ा बढ़ सकता है। अपने काम में जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। घर की सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होगी। बड़े-बुजुर्ग को अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए। आपके सभी समस्याओं का समाधान निकलेगा।

वृश्चिक राशि
आपको कोई अच्छी खबर मिलेगी। ऑफिस में कोई नया काम मिलेगा, जिसे आप पूरा करने में सफल रहेंगे। शाम को परिवार वालों के साथ मौज-मस्ती में समय बितायेंगे, जिससे पारिवारिक जीवन खुशहाल बनेगा। माता-पिता के साथ धार्मिक स्थल पर जाने का प्लान करेंगे। प्लान सफल रहेगा। मैनेजर पोस्ट के लोगों के लिए दिन शानदार रहेगा। काम में सफलता मिलेगी।  कामकाजी महिलाओं को ऑफिस में अपने बॉस से प्रोत्साहन मिलेगा। कोई गंभीर बात या विचार आपके मन में चलता रहेगा। आपका दिन अच्छा रहेगा।

धनु राशि
किसी काम के सिलसिले से की गई यात्रा फायदेमंद रहेगी। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा। परिवार में किसी रिश्तेदार के आगमन से घर में खुशी का माहौल बनेगा। आपकी मुलाकात कुछ खास लोगों से होगी। आपके सोचे हुए काम पूरे होंगे। आप अपने लक्ष्य के बारे में विचार करेंगे। ऑफिस में आपके जूनियर आपसे काम सीखना चाहेंगे। जो लोग मार्केटिंग के फील्ड से जुड़े हैं, उन्हें अच्छे क्लांइट मिलेंगे। कुल मिलाकर दिन उत्तम रहेगा।

मकर राशि
कारोबार से जुड़े रुके हुए जरूरी काम पूरे होने की संभावना है। लोगों से कुछ नई बात सीखेंगे। जीवनसाथी की अपेक्षाएं पूरी होगी। आपका मन प्रसन्न रहेगा। आपको किसी अजनबी लोगों पर भरोसा करने से बचना चाहिए। आपको अपनी योजनाओं के प्रति गोपनीयता बनाएं रखने की जरूरत है। मित्रों से मिलने उसके घर जायेंगे, जिससे आपकी दोस्ती और भी अधिक मजबूत होगी। आप किसी सामाजिक कार्य का हिस्सा बनेंगे। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा। आपके सारे काम बनेंगे।

कुंभ राशि
जीवनसाथी के साथ समय बितायेंगे। कार्यक्षेत्र में लोगों से पूरा-पूरा सहयोग प्राप्त होगा। इनकम के नए रास्ते खुलेंगे। बच्चे माता-पिता के साथ मंदिर जायेंगे। बायोलॉजी स्टूडेंट्स के लिए दिन बेहतर रहने वाला है। किस्मत आप पर मेहरबान रहेगी।  जिसकी आपको बहुत दिनों से तलाश थी। जो लोग टूर एंड ट्रेवल्स के बिजनेस से जुड़े है, उनके बिजनेस में तेजी से वृद्धि होगी। रिश्ते बेहतर होंगे।

मीन राशि
किसी जरूरी काम में आपको भाई-बहन का सपोर्ट मिलेगा। अपने परिवार वालों के साथ आप कुछ बेहतरीन पलों का आनंद उठायेंगे। आप खुद को उर्जावान महसूस करेंगे। करियर में तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे। हर जगह आपकी प्रसंशा होगी। बिजनेस के लिहाज से की गई यात्राएं आपके लिये लाभकारी होगी। आपकी रचनात्मक प्रतिभा खुलकर सामने आयेगी। आपकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर रहेगी। मेहनत का पूरा नतीजा मिलेगा। आपको सभी काम में सफलता मिलेगी।

0Shares

इतिहास ने अपने अन्दर कई घटनाओं को समेट कर रखा है. इस सेक्शन के माध्यम से हम आपको इतिहास के इन पन्नों में छिपे घटनाओं से रूबरू कराते है. आइये आज के इतिहास को जानते है.

1938: सितंबर को अफ्रीका के तट के पास द ग्रेट हरिकेन पैदा होने लगा. इसकी तीव्रता लगातार बढ़ती गई. ये तूफान अमेरिका के पूर्वी तट पर लॉन्ग आइलैंड पर पहुंचा.

1971: ब्रिटेन की शाही वायु सेना का एक विमान कैम्ब्रिजशर शहर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जिसमें एक पुरुष और दो लड़कों की मौत हो गई.

1998: अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और मोनिका लेविंस्की के प्रेम प्रकरण से संबंधित वीडियो टेप जारी हुआ था.

2000: भारत एवं ब्रिटेन के बीच बेहतर संबंध के लिए लिबरल डेमोक्रेटिक फ्रेंड्स इंडिया सोसायटी की स्थापना हुई.

0Shares