Chhapra: मुहर्रम का चांद दिखते ही इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नया साल शुरू हो गया. मुहर्रम शुरू होते ही मातम और मजलिसों का दौर भी शुरू हो गया. मरहूम बाबर साहब के इमामबाड़े में मुहर्रम की पहली मजलिस के साथ मजलिस का आगाज़ हुआ. जिसमे जनाब अकबर अली ने नौहा पड़ा, परेज नकवी ने सलाम पड़ा, तमाम मेम्बरान ने मातम किया और करबला के शहीदों को याद किया.

बताते चलें कि नया साल शुरू होने पर मुस्लिम समुदाय के लोग खुशी मनाने के बजाय इमाम हुसैन की याद में गम में डूब जाते हैं. पुरुष, महिला व बच्चे काले कपड़ों पहनते है, महिलाएं चूड़ी तोड़ देती हैं. मातम और मजलिस के जरिए गम मनाया जाता है.

0Shares

Chhapra: नवरात्र की पूर्व संध्या पर बुधवार को स्थानीय एस डी एस कॉलेज परिसर में भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आयोजन का विधिवत उद्घाटन प्राचार्य अरुण सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया.

भजन संध्या के दौरान बच्चों ने एक से बढ़ कर एक प्रस्तुति दी. जिसने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. वही शुम्भ निशुम्भ नृत्यनाटिका ने भाव विभोर किया. इसके साथ ही छोटा लंगूर नृत्य भी लोगों को खूब पसंद आया.

आपको बता दें कि एसडीएस द्वारा प्रति वर्ष भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.

0Shares

Chhapra: शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया. नव दिनों तक माता की आराधना में सभी जुटे रहेगें. नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ पूजा आराधना की शुरुआत होती है. नवरात्र पर गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना की गयी.

सुबह से लोग नदी से जल और मिट्टी लाकर कलश की स्थापना अपने अपने घरों में करने में व्यस्त दिखे. पूजा पंडालों में भी कलश स्थापित की जाती है.

नवरात्र के पहले दिन पर्वत राज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरुप में साक्षात् शैलपुत्री की पूजा होती है. इनके एक हाथ में त्रिशुल और दूसरे में कमल का पुष्प है. शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण नवदुर्गा का सर्वप्रथम स्वरुप शैलपुत्री कहलाता है.

बाज़ारों में रही रौनक
नवरात्र के आगमन को लेकर सभी लोग तैयारियों में जुटे है. शहर के तमाम बाज़ारों में बुधवार देर शाम तक लोग पूजा से जुड़े सामानों की खरीदारी करते देखे गए.

0Shares

Chhapra (Santosh kumar Banti / Kabir ): शहरवासी सलेमपुर चौक पर गौरी मठ में स्थापित माँ दुर्गा की दर्शन करेंगे. कोलकाता के प्रसिद्ध गौरी मठ बनाने का कार्य कारीगरों द्वारा दिन रात मेहनत कर पूरा किया जा रहा है.

पंडाल का निर्माण कर रहे कोलकाता के रानीघाट निवासी ज्योति दादा ने बताया कि गौरी मठ कोलकाता का प्रसिद्ध मठ है.

इस बार सलेमपुर चौक पर गौरी मठ में माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. पंडाल के निर्माण को लेकर दिन रात कारीगर भी कम कर रहे हैं. कारीगर सर्वजीत ने बताया कि विगत एक माह से गौरी मठ पंडाल निर्माण को लेकर कार्य किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि पंडाल निर्माण में 200 बांस का प्रयोग किया गया है.वहीं हजारों लकड़ी के बीट का प्रयोग पंडाल को मुख्य आकृति देने के लिए किया जायेगा.

इसे भी पढ़े: कोलकाता के मंदिर में विराजमान होगी नगरपालिका चौक की माँ दुर्गा की प्रतिमा

इसे भी पढ़े: गाँधी चौक कुछ ऐसा दिखेगा पंडाल, नाव पर सवार माँ की प्रतिमा होगी आकर्षण का केंद्र

इसे भी पढ़े: कुछ ऐसा दिखेगा तेलपा स्टैंड में बन रहा भव्य पंडाल

सर्वजीत ने बताया कि करीब 20 थान से अधिक कपड़ों का प्रयोग पंडाल लगाने में किया जायेगा. इसके बाद थर्मोकोल से इसकी सजावट की जाएगी. सर्वजीत ने बताया कि गौरी मठ पंडाल के निर्माण में करीब 5 लाख से अधिक की लागत आ रही है.

पंडाल में स्थापित की जाने वाली माता की मूर्ति भी इस बार काफी मनमोहक और सुन्दर होगी. माँ दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण कोलकाता के ही मालदा जिले के मूर्तिकारों द्वारा किया जा रहा है.

0Shares

Chhapra (Santosh Kumar Banti/ Kabir Ahmad): शहर के नगरपालिका चौक पर कोलकाता के मंदिर में माता की प्रतिमा स्थापित की जाएगी.

प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी शेर पर सवार माँ दुर्गा अपने आकर्षक रूप में भक्तों को दर्शन देंगी.माँ की प्रतिमा की स्थापना को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है.

 

छपरा टुडे डॉट कॉम ने नगरपालिका चौक पर बनाई जा रही पूजा पंडालों का जायजा लिया.

इसे भी पढ़े:गाँधी चौक कुछ ऐसा दिखेगा पंडाल, नाव पर सवार माँ की प्रतिमा होगी आकर्षण का केंद्र

इसे भी पढ़े: कुछ ऐसा दिखेगा तेलपा स्टैंड में बन रहा भव्य पंडाल

पूजा पंडाल का निर्माण कर रहे कोलकाता के रामघाट नादिया निवासी मुख्य कारीगर पुलीन सोमदार ने बताया कि इस बार बनाया जा रहा पूजा पंडाल काफी आकर्षक होगा.

उन्होंने बताया कि विगत वर्ष कोलकाता में महिला मंडल द्वारा बनवाये गए पंडाल की तर्ज पर यहां पंडाल बनाया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि विगत 17 दिनों से 12 कारीगर दिन रात मेहनत कर कार्य कर रहे है. पंडाल में 600 से अधिक बांस का प्रयोग किया गया है.

वही पंडाल को सजाने में करीब 30 थान कपड़ा लगाया जाएगा. साथ ही इसमें कई टन लकड़ी का प्रयोग किया जा रहा है और पंडाल निर्माण में लगभग 6 लाख रुपये की लागत आ रही है.

उन्होंने बताया कि कपड़ा लगाने का कार्य मंगलवार से प्रारंभ हो जाएगा.

पूजा पंडाल के निर्माण को लेकर दुर्गापूजा समिति नगरपालिका चौक के संयोजक ने बताया कि प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी आकर्षक तरीके से पूजा पंडाल को सजाया जाएगा.

नगरपालिका चौक के चारो तरफ रंग बिरंगी रौशनियों से सजाया जाएगा. झिलमिल रंगबिरंगी रौशनी के बीच मेले की रौनक देखने लायक होगी.

0Shares

Chhapra (Surabhit Dutt/Kabir): शहर के गाँधी चौक स्थित पूजा समिति के द्वारा विगत 29 सालों से पूजा पंडाल का निर्माण कराया जाता है. इस बार गत वर्ष की तुलना में भव्य पूजा पंडाल और मूर्ति का निर्माण कराया जा रहा है.

पूजा समिति के अध्यक्ष ब्रज नंदन सिंह ने छपरा टुडे डॉट कॉम से बात करते हुए बताया कि इस बार गत वर्षों की तुलना में बेहतरीन मूर्ति और भव्य पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. पंडाल कोलकाता के एक मंदिर की प्रतिमूर्ति होगी. जिसे कोलकाता से आये कारीगर निर्माण कर रहे है. पूजा समिति के द्वारा विगत 29 वर्षों से पंडाल निर्माण कराया जाता है और धूमधाम से माँ भगवती की पूजा होती है.

यहाँ देखे वीडियो 


नाव पर विराजमान होगी माँ की प्रतिमा
इस बार पंडाल में भक्तों को नाव पर विराजमान माँ की प्रतिमा के दर्शन करने का अवसर मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस बार पंडाल के निर्माण में साढ़े छह लाख रुपये की लागत आई है. पंडाल में लगभग चार हज़ार मीटर कपड़ा, लकड़ी, बांस, थर्मोकोल, आदि का प्रयोग हो रहा है. मूर्ति का निर्माण कोलकत्ता से आये मूर्तिकार बैजनाथ पंडित कर रहे है. वही रौशनी के लिए डिजिटल लाइट्स की व्यवस्था की गयी है. 

इसे भी पढ़े: कुछ ऐसा दिखेगा तेलपा स्टैंड में बन रहा भव्य पंडाल  

समिति के सदस्य दे रहे है योगदान 

पंडाल निर्माण में पूजा समिति के शम्भू राय, नितेश कुमार, मुकेश कुमार, पाठक बाबा, धनु जी आदि का सक्रीय योगदान दे रहे है.

हर साल होती है भव्य सजावट और लाइटनिंग 

आपको बताते चले कि गाँधी चौक पूजा समिति के द्वारा विगत वर्षों में कई बेहतरीन पंडाल बनाये गए है. जिनमे अक्षरधाम मंदिर, लालकिला, ताज महल, केदार नाथ आदि के थीम पर पंडाल बेहद पसंद किये गए थे. पंडाल में आकर्षक लाइटिंग हमेशा से आकर्षण का केंद्र रही है.  

0Shares

अमनौर ( नीरज कुमार शर्मा): दशहरा पूजा में इस बार अमनौर में माता वैष्णों देवी गुफा मंदिर के साथ साथ द्वादस ज्योति लिंग का भव्य दर्शन होगा.

विजय दशमी के दिन सवा किंटल लड्डू से माता रानी का होगा महाभोग किया जाएगा. साथ ही इस मौक़े पर विशाल शोभा यात्रा भी निकाली जायेगी.

दुर्गापूजा को लेकर तीन दिनों तक वृहद मेले का भी आयोजन किया जाएगा.
भक्त माता रानी के विभिन्न रुपों का दर्शन भी करेंगे. जिसकी तैयारी जोर तोर से प्रारंभ हो गई है.

माता वैष्णों देवी गुफा मंदिर के संस्थापक का कहना है कि पूजा को लेकर सभी तैयारी चल रही है.

माता वैष्णों देवी गुफा मंदिर के स्थापना के बाद अब यहाँ द्वादश ज्योति लिंग की स्थापना का लेकर कार्य प्रारंभ हो गया है.भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग का दर्शन हो पायेगा.

दुर्गापूजा के मौक़े पर यहाँ भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र चार सौ फिट लम्बा गुफा होगा. जिसका मुख्य द्वार विशाल राक्षस  मुह दरवाजा है. इससे होकर आगे बाण गंगा झील से गुजरकर गुफा के पहरेदार के रूप में बजरंग बली का दर्शन होगा.

गुफा के अंदर प्रथम दर्शन चरण पादुका मंदिर, दूसरा दर्शन अर्घ्य कुमारी मंदिर, तीसरा दर्शन पवित्र गुफा में माता वैष्णों देवी की दर्शन, गुफा के बाहर पच्चास फिट की ऊँचाई की चढ़ाई पर बाबा भैरो नाथ का दर्शन होगा.

इनके दर्शन के बाद ऊपर माँ दुर्गा का भव्य स्वरूप का भी दर्शन व पूजन भक्त कर सकेंगे.बाहर आने पर माता लक्ष्मी सरस्वती व् काली के दर्शन होंगे.

विजय दशमी के दिन माता रानी गुफा से बाहर आएगी.इसी दिन विशाल शोभा यात्रा के साथ अमनौर के पूरे क्षेत्र में माता भर्मण करेगी व भक्तों को दर्शन देगी.

जिसमे आस पास के दर्जनों गांव से लाखों लोग शामिल होंगे.

इसके बाद सौ मीटर आगे जनता मेला इसके आगे बजरंग चौक के पास विराट वीर हनुमान का दर्शन होगा.

0Shares

जीवित्पुत्रिका (जिउतिया) व्रत संतानों के स्वस्थ, सुखी और दीर्घायु होने के लिए माताएं करती हैं. व्रत आश्विन मास के कृष्णपक्ष की प्रदोषकाल-व्यापिनी अष्टमी के दिन किया जाता है.

जिउतिया व्रत की कथा:
माताएं इस व्रत को अपार श्रद्धा के साथ करती हैं. जीवित्पुत्रिका व्रत के साथ जीमूतवाहन की कथा जुडी है. कथा इस तरह है. गन्धर्वों के राजकुमार का नाम जीमूतवाहन था. वे बड़े उदार और परोपकारी थे. जीमूतवाहन के पिता ने वृद्धावस्था में वानप्रस्थ आश्रम में जाते समय इनको राजसिंहासन पर बैठाया, किन्तु इनका मन राज-पाट में नहीं लगता था. वे राज्य का भार अपने भाइयों पर छोड़कर स्वयं वन में पिता की सेवा करने चले गए. वहीं पर उनका मलयवती नाम की राजकन्या से विवाह हो गया.

एक दिन जब वन में भ्रमण करते हुए जीमूतवाहन काफी आगे चले गए, तब उन्हें एक वृद्धा विलाप करते हुए दिखी. इनके पूछने पर वृद्धा ने रोते हुए बताया, ‘मैं नागवंश की स्त्री हूं और मुझे एक ही पुत्र है. पक्षीराजगरुड़ के सामने नागों ने उन्हें प्रतिदिन भक्षण हेतु एक नाग सौंपने की प्रतिज्ञा की हुई है. आज मेरे पुत्र शंखचूड़ की बलि का दिन है.’

जीमूतवाहन ने वृद्धा को आश्वस्त करते हुए कहा, ‘डरो मत. मैं तुम्हारे पुत्र के प्राणों की रक्षा करूंगा. आज उसके बजाय मैं स्वयं अपने आपको उसके लाल कपड़े में ढककर वध्य-शिला पर लेटूंगा.’ इतना कहकर जीमूतवाहन ने शंखचूड़ के हाथ से लाल कपड़ा ले लिया और वे उसे लपेटकर गरुड़ को बलि देने के लिए चुनी गई वध्य-शिला पर लेट गए. नियत समय पर गरुड़ बडे वेग से आए और वे लाल कपड़े में ढके जीमूतवाहनको पंजे में दबोचकर पहाड़ के शिखर पर जाकर बैठ गए.

अपने चंगुल में गिरफ्तार प्राणी की आंख में आंसू और मुंह से आह निकलता न देखकर गरुड़जी बड़े आश्चर्य में पड़ गए. उन्होंने जीमूतवाहन से उनका परिचय पूछा. जीमूतवाहन ने सारा किस्सा कह सुनाया. गरुड़जी उनकी बहादुरी और दूसरे की प्राण-रक्षा करने में स्वयं का बलिदान देने की हिम्मत से बहुत प्रभावित हुए. प्रसन्न होकर गरुड़जी ने उनको जीवनदान दे दिया तथा नागों की बलि न लेने का वरदान भी दे दिया. इस प्रकार जीमूतवाहन के साहस से नाग-जाति की रक्षा हुई. तभी से पुत्र की सुरक्षा हेतु जीमूतवाहनकी पूजा की प्रथा शुरू हो गई.

0Shares

हिन्दू धर्म में पितृ ऋण सबसे बड़ा ऋण माना गया है. शास्त्रों में पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म का वर्णन किया गया है. आश्विन कृष्णपक्ष प्रथम से अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के काल को पितृपक्ष कहा जाता है. इस दौरान लोग पितरों की तृप्ति के लिए श्रद्धा से तर्पण या पिंडदान करते है.

शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने से व्यक्ति को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. जिससे घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है.

यमराज हर साल पितृ पक्ष या श्राद्ध में सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं, जिससे वो अपने लोगों के पास जाकर तर्पण यानि भोजन, जल आदि ग्रहण कर सकें. शास्त्रों के अनुसार पितर ही अपने कुल की रक्षा करते हैं पितृपक्ष या श्राद्ध को तीन पीढ़ियों तक करने का विधान बताया गया है.

पितृपक्ष 7 सितंबर से आरंभ होकर 20 सितंबर तक चलेगा.

 

 

0Shares

छपरा: दुर्गा पूजा को लेकर शहर में तैयारियां शुरू हो चुकी है. शहर की तमाम पूजा समितियों के द्वारा तैयारियां की जा रही है. मूर्तिकार मूर्ति के निर्माण में जुटे है. वही भव्य पंडालों का निर्माण भी शुरू हो चूका है.

दुर्गापूजा के अवसर पर प्रत्येक साल शहर के नगरपालिका चौक, सलेमपुर चौक, गाँधी चौक, पंकज सिनेमा के सामने, श्यामचक, गुदरी राय का चौक, कटरा, रथवाली दुर्गा आदि पूजा समितियों के द्वारा पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है.

नवरात्र के दौरान शहर के भक्ति पूर्ण वातावरण में इस बार लोगों को बेहतरीन पंडाल देखने को मिलेंगे. हर बार पूजा समितियों के द्वारा अपने-अपने पंडालों को बेहरतीन तरीके से निर्माण करने, साज-सज्जा और आकर्षक लाइटनिंग पर जोर दिया जाता है. इस बार भी सभी पूजा समिति पंडालों के निर्माण में जुटी है.

0Shares

नई दिल्ली: मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद का त्योहार मना रहे हैं. ईद साल में दो बार मनाई जाती है. एक ईद-उल-फितर (जिसे मीठ्ठी ईद कहा जाता है) और दूसरी ईद-उल-जुहा (जिसे बकरीद कहा जाता है) होती है.

बकरीद के दिन जानवर की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है, जिसमें से एक हिस्सा कुर्बानी करने वाला अपने घर में रख लेता है तो दो हिस्से रिश्तेदार और पड़ोसियों में बांटे जाते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई.

इस दिन लोग बधाई देने के लिए अपने सगे-संबंधियों से मिलने उनके घर जाते हैं. बकरीद के दिन सुबह नहाकर, नए कपड़े पहनकर मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ने मस्जिद जाते हैं. नमाज के बाद सब लोग एक दूसरे के गले लगकर ईद की बधाई देते हैं.

फाइल फोटो 

0Shares

छपरा: गणेश चतुर्थी के अवसर पर शुक्रवार को शहर के सोनार पट्टी में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गयी. शाम में पूजा पंडाल में वैदिक मंत्रोच्चार के साथमूर्ति की स्थापना हुई.

पंडाल को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया था. गणेशोत्सव 25 अगस्त से शुरु होकर पांच सितंबर अनंत चतुर्दशी तक चलेगा.

गणेश चतुर्थी का पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है.

0Shares