Chhapra: श्रावण का शुरू हो गया है. लेकिन शिव भक्त इस बार भी शिवालयों में पूजन नहीं कर सकेंगे. कोरोना के कारण लगातार दूसरे साल ऐसी स्थिति हुई है जब श्रावण में मंदिर बंद है.   

जिले में श्रावण मास के प्रथम सोमवारी पर स्थानीय गंगा घाटों पर सम्भावित भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने कड़ी निगरानी शुरू कर दी है. 

कोरोना महामारी के कारण सरकार ने सामूहिक गंगा स्नान समेत शिवालयों में पूजा पाठ को प्रतिबंधित किया है. पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की है. इस तरह के इंतजाम में बैरीकेडिंग, पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति और गस्त शामिल है.

हालांकि सारण जिला करोना शून्य की स्थिति में है, इसके बावजूद प्रशासन कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता. ऐसे में सख्ती से इस बार मंदिर के पुजारियों के साथ व्यापारी भी घाटे में रहेंगे.

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– प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हो रहे निर्माण कार्य
– महामारी के कारण यात्रा पर पड़ रहा बुरा असर

रुद्रप्रयाग(एजेंसी): केदारनाथ आपदा को आज पूरे आठ साल का समय हो चुका है और इन आठ सालों में केदारनाथ की तस्वीर भी काफी बदल चुकी है। धाम में पुनर्निर्माण का कार्य आज भी जारी है। केदारनाथ पुनर्निर्माण में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान का अहम योगदान रहा है। आपदा के बाद संस्थान ने धाम के लिए गौरीकुण्ड से केदारनाथ पैदल मार्ग को तैयार किया। आपदा से ध्वस्त हो चुके 18 किमी का पदल मार्ग बनाया, जो अब काफी सुगम है और यात्रियों के लिए राहत भरा भी है।

इस पैदल मार्ग पर छानी कैंप, रुद्रा प्वाइंट, लिनचैली, बड़ी लिनचैली बनाई गई है, जहां पर आपदा के बाद से तीर्थ यात्रियों के लिए रहने की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा केदारनाथ धाम में आपदा के बाद हैलीपेड निर्माण, मंदिर परिसर, आस्था पथ, मंदाकिनी पुल निर्माण, पांच तीर्थ पुरोहित भवनों के साथ ही मंदाकिनी व सरस्वती नदी किनारे सुरक्षा निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है, जबकि अभी भी धाम में शंकराचार्य समाधि स्थल, तीर्थ पुरोहित भवन, अस्पताल, पुलिस भवन के साथ ही अन्य कार्य होने बाकी हैं, जिनका कार्य चल रहा है। लेकिन धाम में मौसम खराब होने से कार्य समय पर नहीं हो पाते हैं।

इन दिनों धाम में वुड स्टोन कंपनी शंकराचार्य समाधि स्थल व डीडीएमए की ओर से अस्पताल भवन, पुलिस चौकी का कार्य किया जा रहा है। यहां प्रशासनिक अधिकारियों के लिए रहने के लिए भवन भी बनाये जा रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाय तो आपदा के बाद केदारनाथ में बहुत तेजी से कार्य हुए हैं, लेकिन केदारनाथ यात्रा के अहम पड़ाव गौरीकुण्ड में आपदा के बाद सिर्फ सुरक्षा निर्माण कार्य के अलावा कुछ नहीं हो सका। यहां पर गर्म कुंड का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है। ऐसे में यहां के लोगों में सरकार और शासन के प्रति आक्रोश बना हुआ है।

केदारनाथ आपदा में हजारों लोगों ने गंवाई जान

केदारनाथ से आई वह प्रलयकारी आपदा में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई तो लाखों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा। प्रलयकारी आपदा ने केदारनाथ से लेकर रुद्रप्रयाग तक भारी तांडव मचाया। आपदा में मरने वालों का आंकड़ा 4400 बताया गया है, लेकिन लोगों की माने तो दस हजार से ज्यादा लोग इस आपदा में कालकलवित हो गए। केदारघाटी के साठ प्रतिशत लोग केदारनाथ यात्रा पर ही निर्भर रहते हैं। यात्रा के दौरान घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी, होटल, ढाबा चलाकर सालभर की आमदनी कमाते थे। इस आपदा में केदारघाटी के कई गांवों के सैकड़ों लोग मरे थे, जिनकी याद में आज भी उनके परिजनों के आंखों में आंसू देखे जा सकते हैं।

केदारनाथ आपदा को आठ साल का समय हो चुका है और लोग उस भयानक मंजर को भूलाकर अपने काम-काज में लगे हुए हैं। केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य भी जोरों से चल रहे हैं। अब केदारपुरी आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित हो गई है। धाम के चारों ओर आपदा के बाद थ्री लियर प्रोटेक्शन दीवार का निर्माण किया गया है। आपदा के आठ वर्ष बाद केदारनाथ धाम पूरी तरह बदल चुका है। धाम में पहले के मुकाबले अब काफी बेहत्तर सुविधाएं सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही हैं। हालांकि कोरोना काल में यात्रियों के दर्शन पर रोक लगी हुई है लेकिन कोरोना से पहले केदारनाथ यात्रा ने नई ऊंचाईयों को छुआ है।

आपदा के बाद शुरुआत के दो वर्षों में जरूर यात्रियों की संख्या कमी रही, लेकिन इसके बाद यात्रा ने सभी नए व पुराने रिकार्ड तोड़ दिए। पहली बार वर्ष 2019 में दस लाख से अधिक यात्री दर्शनों को आए। यात्रा से जुड़े हजारों व्यापारियों ने अच्छी आमदनी कर अपनी आजीविका चलाई। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत होने वाले कार्य भी अब अंतिम चरण में हैं।

16 व 17 जून वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा की तबाही का मंजर काफी खौफनाक था। उस समय हुई तबाही को देख कर उम्मीद कर पाना मुश्किल था कि अब कभी निकट भविष्य में केदार बाबा की यात्रा शुरू भी हो पाएगी या नहीं, लेकिन पिछले आठ वर्षों में केदारनाथ यात्रा ने जो नए रिकॉर्ड बनाए हैं, उससे केदारनाथ यात्रा को नया मुकाम मिला है। आपदा से अब केदारपुरी पूरी तरह उबर चुकी है और आपदा से पहले के मुकाबले यहां पर यात्रियों को बेहत्तर सुविधाएं मिलत रही हैं, चाहे वह स्वास्थ्य से संबंधित हो या फिर अन्य। कम समय में ही केदारनाथ के पुनर्निर्माण कार्यों को विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद पूरा करना सरकारी तंत्र की धाम के प्रति जवाबदेही के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लगातार पुर्ननिर्माण कार्यों की मानेटरिंग करना मुख्य कारण रहा है।

केदारनाथ आपदा के बाद मंदिर के ठीक पीछे से मंदाकिनी व सरस्वती नदी रूख मंदिर की ओर मुड़ गई। जिससे तबाही काफी अधिक हो गई। अब सरकार ने मंदिर के ठीक पीछे मंदकिनी व सरस्वती नदी पर 390 मीटर लंबी 18 फीट ऊंची व दो फीट चौड़ी कंक्रीट की थ्री लियर दीवार बनाई है। जिसके चलते आपदा की दृष्टि से केदारनाथ धाम काफी सुरक्षित हो गया है। मंदाकिनी नदी व सरस्वती नदी पर भी सुरक्षा दीवार बनाई गई है, जिससे नदी का कटाव को रोक दिया गया है। इससे भी धाम काफी सुरक्षित हो गया है।

आपदा के समय गौरीकुंड हाइवे रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक कई स्थानों पर पूरी तरह बह गया था, अब इस हाइवे को आलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है। जिसमें कटिंग का कार्य पूरा हो चुका है। यहां पर यात्रियों के रहने के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं जुटाई गई हैं। सात हजार यात्री यहां पर रह सकते हैं। सरकार ने तीर्थपुरोहितों के लिए भवनों का निर्माण केदारनाथ में कराया है। इतना ही नहीं यात्रियों के रहने के लिए शानदार कॉटेज का निर्माण किया गया है। आपदा के बाद भीमबली से केदारनाथ तक 10 किमी नया रास्ता तैयार किया गया। जिसमें छोटी लिनचोली, लिनचोली, रुद्रा प्वाइंट समेत कई छोटे बाजार बन चुके हैं। केदारनाथ पैदल मार्ग भी पहले के मुकाबले काफी अच्छा व सुरक्षित हो गया है। पूरे मार्ग पर रेलिंग लगाई गई है जबकि मार्ग भी तीन से चार मीटर तक चौड़ा किया गया है। लिनचोली, छोटी लिनचोली, रुद्रा प्वाइंट समेत कई पड़ाव विकसित कर यहां यात्रियों के रहने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। सरकार द्वारा जुटाई गई व्यवस्थाओं का नतीजा ही है कि अब केदारनाथ में रिकॉर्ड यात्री इस बार उमड़ रहे हैं। आपदा से पहले भी इतनी बड़ी संख्या में केदारनाथ यात्री नहीं आते थे जितनी संख्या में गत वर्ष यात्री केदारनाथ धाम पहुंचे। केदारनाथ धाम में यात्रा सीजन में सात हजार से अधिक यात्रियों के रहने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है।

केदारनाथ आपदा के बाद से धाम में पुनर्निर्माण कार्य कर रहे वुड स्टोन कंपनी के प्रबंधक मनोज सेमवाल ने बताया कि धाम में आपदा के बाद नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने कार्य किया और आपदा के दो से तीन सालों के भीतर केदारनाथ में तेजी से कार्य करते हुए यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं जुटाई गई। अब धाम में वुड स्टोन कंपनी, डीडीएमए विभाग कार्य कर रहा है।

प्रभारी मंत्री डाॅ धन सिंह रावत ने कहा कि केदारनाथ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत कार्य हो रहे हैं। धाम में निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग की जा रही है।

हालांकि आपदा के आठ साल गुजर जाने के बाद भी केदारनाथ यात्रा के अहम पड़ाव गौरीकुण्ड में एक भी विकास कार्य नहीं हुए हैं। यहां पर ना ही समुचित पार्किंग का निर्माण हो सका है और ना ही तप्त कुंड एव गर्म कुंड का निर्माण हो सका है। ऐसे में गौरीकुण्ड की जनता खुद को ठगा सा महसूस कर रही है।

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जम्मू: जम्मू-कश्मीर प्रशासन रियासी जिले में प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर के पास देश का सर्वश्रेष्ठ पौराणिक थीम पार्क स्थापित करने की योजना बना रहा है और इस परियोजना के लिए निवेशकों की मांग की है।

अत्याधुनिक पार्क का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश में पर्यटकों और नागरिकों के समग्र अनुभव में सुधार के अलावा आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाना और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्थानीय रोजगार पैदा करना है। देश और विदेश से लगभग एक करोड़ श्रद्धालु त्रिकुटा पहाड़ियों के ऊपर बसे वैष्णो देवी मंदिर में सालाना आते हैं, जम्मू से 43 किलोमीटर दूर कटरा शहर तीर्थयात्रा के लिए आधार शिविर के रूप में सेवा करता है।

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साहसिक, पौराणिक कथाओं, शिक्षा और मनोरंजन की दृष्टि के आधार पर प्रशासन के अधिकारियों और श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने परियोजना के लिए तीन संभावित स्थानों की पहचान की है दो स्थान मंदिर के पास और एक अन्य कटरा बस स्टॉप से 10 किमी की दूरी पर।

अधिकारियों ने कहा कि पार्क मंदिर के रास्ते में आएगा और पूरी तरह से जुड़ा होगा। अधिकारियों ने कहा कि यह तीर्थयात्रियों के लिए दर्शन के बाद मनोरंजक गतिविधियां प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार आउटडोर और इनडोर कला और मनोरंजन, दुकानों, खेल और गतिविधियों, सवारी और खेल, भोजन और पेय जैसे अन्य लाभ भी प्रदान करेगी।

उन्होंने कहा कि निवेशक केंद्रीय क्षेत्र की योजना के लाभ और जम्मू-कश्मीर सरकार से कई अन्य रियायतों के लिए पात्र होंगे, जिसमें विस्तार के प्रावधान के साथ 25 साल के लिए वैध अनुबंध भी शामिल है।

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– मंदिर निर्माण के नींव में 40-45 लेयर डाली जानी है

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए चल रहे नींव भराई का कार्य तेजी गति से चल रहा है. मंदिर के नींव के चार लेयर का निर्माण पूरा कर लिया गया है. नींव में 44 लेयर में भरी जानी है. उक्त जानकारी श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने सोमवार को दी.

महामंत्री चपत राय ने मंदिर निर्माण के संबंध में बताया कि मंदिर के नींव में चार लेयर एक के ऊपर एक 400 फीट लम्बाई, 300 फीट चौड़ाई की परत बिछाई गई है. बताया कि एक लेयर 12 इंच मोटी बिछा कर रोलर से दबाया जाता है. जब 2 इंच दबकर लेयर 10 इंच हो जाती है. तब दूसरी लेयर बिछाते हैं. उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण में 40-45 लेयर डालनी हैं. इसे आरसीसी कहेंगे. चार लेयर पूरी हो गई.

मिली जानकारी के अनुसार एलएंडटी की सहयोगी निर्माण एजेंसी राजस्थान की मेसर्स बालाजी कंस्ट्रक्शन कंपनी मंदिर निर्माण में न्यू भराई का काम में लगाई गई है. बालाजी के 50 मजदूर काम पर लग गए हैं. यह रात की शिफ्ट में भी 12 घंटे काम करते हैं. अब तक राम मंदिर की नींव भराई के लिए खोदे गए 40 फीट गहरे गड्ढे में चार लेयर तक की भराई पूरी हो चुकी है. अब मंदिर की पांचवीं लेयर का निर्माण शुरु किया जाना है.

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इस वर्ष का पहला खग्रास चंद्रग्रहण 26 मई बुधवार को लगने वाला हैं जिसके समय और सूतक काल को लेकर लोगों में काफी असमंजस बना हुआ है. यह चंद्रग्रहण भारतीय समय के अनुसार दोपहर तीन बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और इसका मध्य शाम चार बजकर 49 मिनट पर होगा. शाम छह बजकर 23 मिनट पर यह समाप्‍त होगा. इस खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक बुधवार सुबह छह बजकर पंद्रह मिनट पर शुरू होगा.

इस खग्रास चंद्रग्रहण के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि  यह चंद्रग्रहण सायंकाल चन्द्रोदय के समय नागालैंड, मिज़ोरम, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल, त्रिपुरा, पूर्वी उड़ीसा, मणिपुर तथा मेघालय में ग्रस्तोदय रूप में  कुछ समय के लिए दिखाई देगा. भारत के अन्य शेष भागों उत्तरी, उत्तर – पश्चिम वा दक्षिण भारत में यह नहीं दिखाई देगा.

भारत के पूर्वीय राज्यों में जहाँ जहाँ खग्रास चंद्रग्रहण दिखाई देगा, वहां पर ही जप तप, पूजा पाठ, दान पुण्य का सूतक आदि का विचार होगा, अन्यत्र राज्यों में नहीं होगा. उन्‍होंने बताया कि भारत के अन्य शेष  उत्तरी, उत्तर – पश्चिम व दक्षिण भारत में यह नहीं दिखाई देगा. जैसे जम्मूकश्मीर, लद्दाख, हिमाचल, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार आदि राज्यों में इस खग्रास चंद्रग्रहण का ग्रहण संबंधित बातों जैसे गर्भवती महिलाओं को, स्नान, दान, जप, तप, माहात्म्य का सूतक आदि का विचार नहीं होगा. इस दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगे.

भारत के अलावा दिखाई देगा भारत के पूर्वी प्रदेशों के अलावा यह चंद्रग्रहण सिंगापुर, जापान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, दक्षणी- पूर्वी एशिया, दक्षिणी- कोरिया, फ़िलीपीन्ज,ऑस्ट्रेलिया दक्षिणी अमरीका प्रशांत महासागर एवं हिन्द महासागर में दिखाई देगा.

ग्रहण का फल: भारत के पूर्वीय प्रदेशों जहाँ जहाँ खग्रास चंद्रग्रहण दिखाई देगा, वहां पर इसका विशेष प्रभाव होगा. उड़ीसा, बिहार, बंगाल के पूर्वी प्रदेशों में कुछ वरिष्ठ राजनीतिक लोगों के लिए यह चंद्रग्रहण ठीक नहीं होगा. विभिन्न देशों में युद्ध, प्रजा के अनेक रोगों से पीड़ित होने, रोग भय, ब्राह्मणों में भी भय का माहौल होगा, शराबियों को कष्ट होगा, पूर्वी एशियाई  देशों में उपद्रव होगा, खाने पीने की वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होगी, भूकंप आयेगा.

ग्रहण का राशियों पर पड़ेगा ये प्रभाव

यह खग्रास चंद्रग्रहण अनुराधा नक्षर, शिव योग तथा वृश्चिक राशि में  लगने जा रहा है.

मेष : सुख की प्राप्ति होगी.
वृष : स्त्री कष्ट.
मिथुन : रोग, कष्ट एवं भय
कर्क : मान हानि होगी
सिंह : सभी कार्यों में सफलता मिलेगी
कन्या : धन लाभ एवं कार्य सिद्ध होंगे
तुला : धन की हानि होगी
वृश्चिक : शरीर को कष्ट एवं चिंता
धनु : धन की हानि होगी.
मकर : धन लाभ एवं कार्य सिद्ध होंगे
कुम्भ : चोट, कष्ट एवं भय होगा
मीन : संतान को कष्ट होगा और चिंता होगी.

इस दिन वैशाख पूर्णिमा दिवा व्रत, श्रीबुद्ध एवं श्रीछिन्नमस्तिका जयंती भी है. इस दिन पूजा, पाठ, जप, तप, दान, पुण्य व्रत आदि कर सकते हैं.

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केदारनाथ/देहरादून: ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट विधि विधान पूर्वक मंत्रोच्चारण के साथ आज सोमवार मेष लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र में प्रात: पांच बजे खुल गये हैं. कपाट खुलने की प्रक्रिया प्रात: तीन बजे से शुरू हो गयी थी. रावल भीमाशंकर एवं मुख्य पुजारी बागेश लिंग तथा देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह एवं जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग मनुज गोयल ने पूर्व द्वार से मंदिर के मुख्य प्रांगण में प्रवेश किया तथा मुख्य द्वार पर पूजा अर्चना की. मंत्रोच्चार के पश्चात ठीक पांच बजे भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिये गये. मंदिर के कपाट खुलने के पश्चात मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने स्यंभू शिवलिंग को समाधि से जागृत किया तथा निर्वाण दर्शनों के पश्चात श्रृंगार तथा रूद्राभिषेक पूजाएं की गयी.

श्री केदारनाथ धाम में भी प्रथम रुद्राभिषेक पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से की गयी तथा जनकल्याण की कामना की गयी. कोरोना महामारी को देखते हुए चारधाम यात्रा अस्थायी तौर पर स्थगित है. धामों में केवल पूजापाठ संपन्न हो रहे हैं. यात्रियों को आने की अनुमति नहीं है. केदारनाथ के कपाट खुलते समय पूजापाठ से जुड़े चुंनिंदा लोग मौजूद रहे. धाम में मौसम सर्द है. मंदिर के कुछ दूरी पर बर्फ मौजूद है तथा रास्ते में कहीं- कहीं हिमखंड नजर आ रहे हैं.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर प्रसन्नता व्यक्त की है तथा देशवासियों की आरोग्यता की कामना की है. उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण अस्थाई तौर पर यात्रा स्थगित है. फिलहाल सभी लोग वर्चुअली दर्शन करें तथा अपने घरों में पूजा-अर्चना करें.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि कोरोना महामारी समाप्त होगी तथा शीघ्र चारधाम यात्रा शुरू होगी. उल्लेखनीय है कि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की पहल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से जनकल्याण की भावना के साथ सभी धामों में प्रथम पूजा संपन्न करवायी जा रही है.

श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर ऋषिकेश के दानीदाता सौरभ कालड़ा ग्रुप द्वारा श्री केदारनाथ मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के पश्चात केदारनाथ मास्टर प्लान कार्यों में अधिक गति आयेगी.

कपाट खुलने के दौरान कोरोना बचाव मानकों का पालन किया गया. मास्क, सेनिटाइजर, थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य किया गया. उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने कपाट खुलने के लिए एसओपी के अनुसार व्यापक दिशा निर्देश जारी किये हैं. केदारनाथ में जिला प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ तथा स्वास्थ्य विभाग, विद्युत, जल संस्थान की टीम अपना कार्य कर रही हैं.

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को प्रात:4 बजकर 15 मिनट पर खुलेंगे. आज श्री योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी तथा तेलकलश (गाडू घड़ा) श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेगा. तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट आज दोपहर में खुल रहे है जबकि चतुर्थ केदार रुद्रनाथ जी के कपाट भी आज खुल रहे हैं. द्वितीय केदार मदमहेश्वर जी के कपाट 24 मई को खुल रहे हैं जबकि गुरूद्वारा श्री हेमकुंड साहिब एवं श्री लक्ष्मण मंदिर के कपाट खुलने की तिथि अभी निश्चित नहीं है.

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जलालपुर: प्रखंड के जलालपुर बाजार स्थित आध्यात्मिक चेतना केंद्र में शुक्रवार को अक्षय तृतीया के अवसर पर भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई.

कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए उपस्थित जनों ने उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया तथा वैश्विक महामारी कोरोना से मुक्ति के लिए भगवान परशुराम से प्रार्थना की.

मौके पर सुन्दरकांड व विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी किया गया. केंद्र के अध्यक्ष दिग्विजय पांडेय ने बताया कि अक्षय तृतीया स्वयंसिद्ध मुहुर्त है जिसमे किया गया कार्य सदा मंगलकारी होता है. आज के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, महा पराक्रमी व सत्य के रक्षक भगवान परशुराम जी का अवतार हुआ था.

वे शस्त्र व शास्त्र के महान ज्ञाता थे. उनकी जयंती पर हम सभी मानव पर आई सबसे बड़ी विपदा से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करते हैं.

मौके पर विवेक मिश्रा, सुमन मिश्रा, विजय पांडेय राधेश्याम गुप्ता प्रभाकर तिवारी सत्य प्रकाश तिवारी, शैलेंद्र साधु भी थे. वही देवरिया मे भगवान परशुराम की जयन्ती मनाई गई. उपस्थित जनो ने उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया तथा भारत को कोरोना मुक्त करने की प्रार्थना की. मौके पर अखिलेश्वर पांडेय, गोलू पांडेय, भोलू पांडेय, गोपेश पांडेय, मुन्ना पांडेय, राजू पाठक भी थे.

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Chhapra: शुक्रवार को ईदल फितर का पर्व सादगी एवं एहतराम के साथ मनाया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते पर्व पर इसकी छाया स्पष्ट रूप से बनी रही. मुस्लिम भाइयों ने अपने अपने घरों में ईद की नमाज अदायगी की. फिर एक दूसरे को मुबारकबाद दी.

सोशल मीडिया पर ईद मुबारक का सुबह से ही जोर बना रहा. माहे रमजान में गुरूवार शाम को ईद का चांद दिखने के बाद आज शहर में ईद – उल- फितर शुक्रवार को शहर में मनायी जा रही है.

कोराना महामारी के चलते शहर की तमाम मस्जिदों में जहां पर संक्षिप्त मुस्लिम भाईयों ने कोविड गाइड लाइन के तहत नमाज अदा की जबकि अधिकांश मुस्लिम भाईयों ने अपने घरों में ईद की नमाज सुबह अदा करके देश और दुनिया में अमन चैन की दुआएं अल्ला ताला से की.

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देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने कोरोना संक्रमण के फैलाव को देखते हुए चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया है। मगर चारों धामों के कपाट निर्धारित समय पर खुलेंगे। मंदिरों में पूर्जा-अर्चना होगी लेकिन किसी भी श्रद्धालु को दर्शन करने की अनुमति नहीं होगी। केवल रावल, पुजारी और पुरोहित ही पूजा-अर्चना करेंगे। हेमकुंड साहिब की धार्मिक यात्रा पहले भी स्थगित हो चुकी है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गुरुवार को चारधाम यात्रा के स्वरूप को लेकर बैठक बुलाई गई थी। बैठक में  पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मस्य मंत्री सतपाल महाराज भी मौजूद रहे। कोविड महामारी के बीच आगामी चारधाम यात्रा को उत्तराखंड सरकार ने स्थगित करने का निर्णय किया।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पत्रकारों से कहा कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए चारधाम यात्रा को वर्तमान समय में बंद करने का निर्णय लिया गया है। चारों धाम के कपाट अपने तय समय पर खुलेंगे। केवल पुजारी और पुरोहित ही धामों में पूजा करेंगे। देश और राज्य के किसी भी यात्री को वहां जाने की अनुमति नहीं होंगे।
चारों धामों के कपाट खोलने की तिथि घोषित हो चुकी है।  विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई को भक्तों के लिए खोले जाएंगे। बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 18 मई को खुलेंगे। यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई को खोले जाएंगे। उत्तरकाशी जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे। केदारनाथ समेत चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल फिर अप्रैल-मई में भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। 

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नई दिल्ली: देश में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन रोक दिया गया है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को रोकने के साथ ही कहा है कि हालात में सुधार होते ही इसे फिर शुरू किया जाएगा।

इस वर्ष बाबा अमरनाथ की यात्रा 28 जून से शुरू होकर 22 अगस्त चलेगी, जिसके  लिए 15 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन शुरु हो गया था। जम्मू कश्मीर बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और यस बैंक की  शाखाओं में पंजीकरण प्रक्रिया की गई थी।, अब इस पर रोक लगा दी गई है।

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Chhapra: कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण बुधवार को रामनवमी की पूजा घरों में आयोजित की गई. भक्तो द्वारा संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए घरों में ही पूजा पाठ किया गया. उधर रामनवमी पर प्रति वर्ष निकलने वाली शोभायात्रा भी इस बार स्थगित रही.

राज्य सरकार के निर्देश पर जनमानस के लिए मंदिरों में पूजा पाठ करने पर प्रतिबंध है. ऐसे में लोग घरों में ही पूजा करते दिखे. चैत्र नवरात्र के नौवें दिन भक्तो ने माता की भी पूजा अर्चना कर वर्त्तमान में कोरोना संक्रमण के समाप्ति के साथ लोगों के स्वास्थ्य कुशलता का आशीर्वाद मांगा.

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रामनवमी पर विशेष: मानवता का सबसे सुंदर व साकार स्वप्न हैं श्रीराम

रामनवमी विशेष: राम और रामराज्य

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