Chhapra: कलम के देवता चित्रगुप्त की पूजा धूमधाम से की गई. शहर के कामता सखी मठ, रामलीला मठिया के साथ साथ कायस्थ परिवारजनों ने अपने अपने घरों में कलम दवात की पूजा भगवान चित्रगुप्त की आराधना की. भगवान चित्रगुप्त से सुख संपत्ति और धन्य धान्य की वृद्धि के साथ सम्पूर्ण जगत को रोग मुक्त करने का आशीर्वाद मांगा गया.

इस अवसर पर कायस्थ जनों ने विशेष रूप से गुड़ अदरख चरणामृत, खजुली का प्रसाद वितरण किया.

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Chhapra: श्री चित्रगुप्त समिति की बैठक मोहन नगर में कैलाशपति प्रसाद की अध्यक्षता में शुक्रवार को संपन्न हुई. जिसमें चित्रगुप्त पूजा धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया गया.

इस अवसर पर मोहन नगर इकाई का गठन किया गया. जिसके संरक्षक प्रोफेसर डॉ केपी श्रीवास्तव एवं कैलाशपति प्रसाद मनोनीत किया गया. वही अंजनी कुमार पांडेय को अध्यक्ष बीके श्रीवास्तव एवं बसकी नाथ को उपाध्यक्ष अधिवक्ता आशुतोष कुमार को महासचिव जबकि सलिल रंजन एवं अमर कुमार को सचिव तथा रूपेश रंजन को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है.

साथ ही शनिवार को चित्रगुप्त पूजा धूमधाम से मनाने का भी निर्णय लिया गया. आयोजन अंजनी कुमार पांडेय के निवास स्थान पर आयोजित होगा. जिसमें संध्या 3 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा. इसके अलावा संगठन को मजबूत करने का भी निर्णय लिया गया.

बैठक में कैलाशपति प्रसाद प्रो केपी श्रीवास्तव, अंजनी कुमार पांडे, अधिवक्ता आशुतोष कुमार, विजय कुमार श्रीवास्तव, रुपेश नंदन, सलील रंजन, सागर कुमार, डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.

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Chhapra: धनतेरस को लेकर बाजार सज चुका है. झाड़ू से लेकर बर्तन औऱ इलेक्ट्रिक से लेकर आभूषण तक का बाजार गुलजार है. सुबह से ही शहर के मुख्य बाजार साहेबगंज, सोनारपट्टी, गुदरी बाजार, मौना चौक, हथुआ मार्केट, सलेमपुर में रौनक है. बर्तन बाजार, इलेक्ट्रॉनिक्स मार्किट, सोनारपट्टी की दुकानों में ग्राहकों की भीड़ है. धनतेरस के अवसर पर इस बार भी ग्राहकों को लुभावने वादों के साथ उपहार दिए जा रहे है. सबसे ज्यादा उपहार गहनों की खरीददारी पर है. वही मोबाइल बाजार में भी तेजी है.

कोरोना के बाद बाज़ारो में महगांई की मार है. जरूरत के सामानों के साथ साथ अन्य सामग्रियों के दाम आसमान पर है. ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवार की दिवाली फ़ीकी ही दिख रही है. हालांकि धनतेरस और दिवाली पर झाड़ू खरीदकर ही इस त्यौहार को मनाने का प्रयत्न कर रहे है.हालांकि गोवर्धनपूजा के बाद लग्न का मौसम शुरू होने वाला है जिसको लेकर ग्राहक धनतेरस पर गहनों की खरीददारी कर उपहारों का लाभ लेने के मूड में है. कुल मिलकर मंहगाई के बीच बाजार में उछाल दिख रहा है.

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युगाब्ध-5123, विक्रम संवत 2078, राष्ट्रीय शक संवत-1943, सूर्योदय 06.20, सूर्यास्त 05.33, ऋतु – शरद

कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी, सोमवार, 01 नवम्बर 2021 का दिन आपके लिए कैसा रहेगा। आज आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन हो सकता है, आज आपके सितारे क्या कहते हैं, यह जानने के लिए पढ़ें आज का भविष्यफल।

मेष राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। व्यावसायिक क्षेत्र में अनुकूल वातावरण मिलने के योग बन रहे हैं। आज का प्रत्येक कार्य बिना विघ्न के संपन्न होगा। गृहस्थ जीवन में उग्र वातावरण बना रहेगा। आध्यात्मिक प्रवृत्ति में रुचि रहेगी। कार्यालय में आपका प्रभाव बना रहेगा। मध्याह्न के बाद आपके मन पर नकारात्मक विचारों का आक्रमण होने से मन में हताशा रहेगी। घर के कार्यों के पीछे धन का खर्च होने की संभावना है। पूंजी-निवेश हेतु शेयर बाजार आपके लिए अनुकूल रहेगा।

वृषभ राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कारोबार मध्यम रहेगा और कार्यभार की अधिकता रहेगी, कठिन परिश्रम से कार्य फसल होंगे। धार्मिक कार्यों में भाग लेंगे तथा धार्मिक यात्रा पर भी जा सकते हैं, जिसमें अधिक धन खर्च होने की संभावना रहेगी। कोर्ट-कचहरी के कार्य सफल होंगे। पुण्य कार्य के पीछे धन का व्यय होगा। ईश्वर की आराधना आपके मन को शांति प्रदान करेगी। मध्याह्न के बाद आपके प्रत्येक कार्य सरलतापूर्वक संपन्न होंगे। गृहस्थ जीवन अच्छा रहेगा। शारीरिक स्वास्थ्य भी बना रहेगा।

मिथुन राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। व्यावसायिक क्षेत्र में भी लाभ होगा। शेयर और प्रॉपर्टी में निवेश लाभदायक रहेगा। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति छाई रहेगी। विवाहोत्सुकों को योग्य साथी मिलने की संभावना है। किसी मनोहर स्थल पर प्रवास हो सकता है। पुराने मित्रों से मुलाकात होगी, जो लाभदायक रहेगी। धार्मिक कार्यों के पीछे धन का खर्च अधिक होगा। आय की अपेक्षा खर्च की मात्रा अधिक होगी। सेहत का ध्यान रखने की आवश्यकता है।

कर्क राशि :- आज का दिन लाभदायी है। कायक्षेत्र में अच्छा माहौल रहेगा और व्यापार-व्यवसाय में अपेक्षित सफलता मिलने की संभावना रहेगी। आकस्मिक धनलाभ से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। धार्मिक कार्यों में रुचि ले सकते हैं। आनंद-प्रमोद और मनोरंजक प्रवृत्तियां दिनभर चलती रहेंगी। घर की साज-सजावट में नयापन लाएंगे। वाहन-सुख भी मिलेगा। सामाजिक प्रसंग में कहीं बाहर जाने का प्रसंग उपस्थित होगा। रमणीय स्थान पर प्रवास का आनंद ले सकेंगे।

सिंह राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। व्यापार को विकसित करने की ओर अधिक ध्यान देंगे। नई योजनाएं और विचारधारा की नवीनता से व्यापार प्रगति की दिशा में अग्रसर होने लगेगा। फिर भी कार्य में सफलता मिलने में विलंब हो सकता है। मध्याह्न के बाद व्यापार के अनुकूल वातावरण सर्जित होगा। इसी कार्य के लिए कहीं बाहर जाने की संभावनाएं भी उपस्थित हो सकती हैं। पदोन्नति के योग हैं। आपकी कार्यपद्धति से उच्च अधिकारी भी आप पर प्रसन्न रहेंगे। पिता और बड़ों से लाभ की आशा है।

कन्या राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। नकारात्मक विचारों को मन से निकाल देने पर हताशा से उबर पाएंगे। अनैतिक और अप्रमाणिक कार्य विपत्ति में डाल सकता है, इसलिए संभव हो तो उससे दूर रहें। आकस्मिक प्रवास का योग है। मध्याह्न के बाद अच्छी समय अच्छा बीतेगा। लेखन या साहित्यिक प्रवृत्ति में विशेष रुची रहेगी। व्यापार में विकास होने से नई योजनाएं भी अमल में आएंगी। वाद-विवाद से बचें।

तुला राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। किसी के साथ भावनात्मक संबंध से बंध सकते हैं और उस संबंध में आज कुछ अधिक भावनाशील रहेंगे। आनंद-प्रमोद तथा मनोरंजक प्रवृत्ति से मन प्रफुल्लित रहेगा। इस प्रवृत्ति में मित्रों का सहकार मिलने से मनोरंजन का आनंद दुगुना हो जाएगा। मध्याह्न के बाद स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। वाहन चलाते समय सावधानी बरतें। क्रोध पर संयम रखें। वाणी उग्र न हो जाए, इसका भी ध्यान रखें। नए कार्य को प्रारंभ करने के लिए समय अच्छा नहीं है।

वृश्चिक राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। कारोबार अच्छा चलेगा और आर्थिक लाभ होगा। व्यापार के विस्तार की नई योजनाएं शुरू कर सकते हैं, जिनमें सफलता मिलेगी। धन प्राप्ति का प्रबल योग है। नौकरी में पदोन्नति हो सकती है और आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी। परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा। अच्छे वस्त्र और अच्छे खान-पान से मन प्रफुल्लित रहेगा। मनोरंजक प्रवृत्ति से मन प्रफुल्लित रहेगा। छोटे प्रवास या पर्यटन पर जा सकते हैं। सेहत का ध्यान रखें।

धनु राशि :- आज का दिन शुभ फलदायी रहेगी। कारोबार में समय अनुकूल रहेगा और आर्थिक लाभ की स्थिति बनेगी। व्यापार में विकास होने से मन में आनंद छाया रहेगा। वस्त्राभूषणों की खरीदी आपके लिए रोमांचक और आनंददायी रहेगी। कला के प्रति आपकी अभिरुची विशेष रहेगी। घर की साज-सजावट में नयापन लाएंगे। वाहन-सुख भी मिलेगा। परिवार का माहौल अच्छा रहेगा और परिजनों का भरपूर सहयोग मिलेगा। खान-पान में संयम रखें।

मकर राशि :- आज का दिन आपके लिए मध्यम फलदायी रहेगा। कारोबार में छोटी-छोटी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। संपत्ति सम्बंधित दस्तावेजों को लेकर सावधानी रखना होगा। सोच-समझकर और किसी की सलाह लेकर किया गया निवेश लाभदायक रहेगा। क्रोध पर नियंत्रण रखें, अन्यथा परिवार में कलह होने की संभावना रहेगी। दाम्पत्य जीवन खुशहाल रहेगा। स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हो सकते हैं। विद्यार्थियों के लिए समय अनुकूल है।

कुम्भ राशि :- आज का दिन व्यवसायियों के लिए अनुकूल है। कारोबार अच्छा चलेगा और आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी। हालांकि, कार्यभार की अधिकता रहेगी, जिससे मानसिक और शारीरिक रूप से थकान का अनुभव होगा। गृहस्थ जीवन में उलझे हुए प्रश्नों का निराकरण मिलेगा और संपत्ति से जुड़े कार्यों का भी रास्ता निकलेगा। भाई-बहनों के साथ सम्बंधों में प्रेम बना रहेगा। मध्याह्न के बाद कार्य में प्रतिकूलताओं में वृद्धि होगी। परिवारजनों के साथ मतभेद रह सकता है।

मीन राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। वाणी पर संयम रखने से अन्य लोगों के साथ मनमुटाव के प्रसंगों को टाल सकेंगे। आध्यात्मिक विचार और प्रवृत्तियों में दिनभर मन लगा रहेगा। फिर भी विद्यार्थियों के पढऩे-लिखने में एकाग्रता रखनी पड़ेगी। मध्याह्न के बाद चिंताओं के निवारण करने के उपाय मिलने से मानसिक शांति का अनुभव होगा। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थता बनी रहेगी। प्रतिस्पर्धा की इच्छाएं फलीभूत नहीं हो पाएंगी।

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Chhapra: हनुमान जयंती समारोह का 54 वां अधिवेशन शहर के मारुति मानस मंदिर में शुरू हो गया है. अधिवेशन 3 नवंबर तक चलेगा.

अधिवेशन में देश के जाने-माने प्रवचनकर्ता प्रवचन को पहुंचेंगे. इस अधिवेशन में जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री रत्नेश जी, सन्यासिनी पंछी देवी, कृष्णानंद त्रिपाठी, वैराग्य नंद जी परमहंस, सुधीर जी व्यास, ओम प्रकाश मिश्रा, संजय त्रिपाठी और शिववचन जी प्रवचन करेंगे.

कार्यक्रम की शुरुआत रामार्चा पूजा के साथ हुई. इसके साथ ही 26 दिसंबर से 3 नवंबर तक हनुमान जी की विशेष आरती, रामचरितमानस का सामूहिक नवाह परायण, पुरुष सूक्त एवं श्री सूक्त से हवन, उपदेश एवं प्रवचन होंगे. उपदेश एवं प्रवचन दोपहर 2:00 बजे से संध्या 5:30 बजे तक और शाम 7:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक होंगे.

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– महागौरी के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, त्रिकोण परिक्रमा कर की मंगलकामना

मीरजापुर: शारदीय नवरात्र के अष्टमी तिथि को महागौरी स्वरूप मां विंध्यवासिनी के दर्शन को विंध्यधाम में आस्था का संगम दिखा। भक्तों ने दर्शन-पूजन कर पुण्य की कामना की।

मंगला आरती के बाद भक्तों के दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हुआ, जो अनवरत चलता रहा। अष्टभुजा और कालीखोह मंदिरों पर भी अन्य दिनों की अपेक्षा बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन किए। इन मंदिरों में मत्था टेकने के बाद भक्त त्रिकोण परिक्रमा को निकल पड़े। शारदीय नवरात्र के अष्टमी तिथि को मां का दर्शन पूजन करने के लिए गैर प्रांतों के श्रद्धालु मंगलवार की रात में ही विंध्यधाम पहुंच गए थे। विंध्यधाम के होटलों और अतिथिगृहों में विश्राम के बाद श्रद्धालु गंगा स्नान मां विंध्यवासिनी के दर्शन को मंदिर की तरफ निकल पड़े और कतारबद्ध हो गए। सुबह जैसे-जैसे दिन ढलता गया श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई।

मंगलवार की रात महानिशा पूजा होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु विंध्यधाम पहुंचे। मां विंध्यवासिनी, मां काली व मा अष्टभुजा के दर्शन के बाद शिवपुर स्थित रामेश्वरम मंदिर और रामगया घाट स्थित तारा मंदिर में दर्शन-पूजन कर त्रिकोण परिक्रमा पूरी की। त्रिकोण मार्ग पर सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था रही।

रामगया घाट श्मशान, तारा मंदिर व भैरो कुण्ड में हुई तंत्र साधना

महानिशा की रात तंत्र साधना के लिए विंध्यधाम के विभिन्न स्थलों पर तांत्रिकों का जमावड़ा लग गया था। ऐसी मान्यता है कि विंध्यधाम में वाम मार्गी और दक्षिण मार्गी दोनों साधक अपनी-अपनी साधना विधि से तंत्र साधना कर सकते हैं। दोनों साधकों को अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है। इसीलिए यहां दोनों मार्गों के साधक फल की प्राप्ति के लिए तंत्र साधना के लिए महानिशा की पूजा में जुटते हैं। विंध्यधाम के शिवपुर स्थित रामगया श्मशान घाट, तारा मंदिर, अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित भैरो कुण्ड समेत अन्य साधना स्थलों पर तंत्र साधकों ने साधना कर अपने ईष्ट को प्रसन्न करने का उपक्रम किया। तंत्र साधना के मद्देनजर विभिन्न साधना स्थलों के आसपास पुलिस का कड़ा पहरा रहा। रात्रि में प्रकाश के लिए अलास्का लाइट लगाई गई थी, ताकि कोई अप्रिय घटना न होने पाए।

महानिशा में तंत्र साधना का अलग ही महत्व

महानिशा में विंध्यधाम में तंत्र साधना का अपना अलग ही महत्व है। रामगया घाट श्मशान घाट, तारा मंदिर, काली खोह, भैरो कुण्ड, चितवा खोह, मोतिया तालाब, गेरुआ तालाब आदि स्थानों पर साधक साधना में जुटे रहे।

विध्य पर्वत पर रही रौनक

शारदीय नवरात्र के अष्टमी के दिन विंध्य पर्वत पर रौनक रही। त्रिकोण करने वाले भक्तों की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा दोगुनी रही। कालीखोह मंदिर से अष्टभुजा मंदिर होते हुए तारा मंदिर जाने वाले मार्ग पर पूरे दिन भक्तों की टोली दिखी।

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युगाब्ध-5123, विक्रम संवत 2078, राष्ट्रीय शक संवत-1943
सूर्योदय 06.14, सूर्यास्त 06.02, ऋतु – वर्षा

आश्विन शुक्ल पक्ष चतुर्थी/पंचमी, रविवार, 10 अक्टूबर 2021 का दिन आपके लिए कैसा रहेगा। आज आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन हो सकता है, आज आपके सितारे क्या कहते हैं, यह जानने के लिए पढ़ें आज का भविष्यफल।

मेष राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। कारोबार मध्यम रहेगा। किसी के भी साथ धन से सम्बंधित व्यवहार न करें। किसी भी विवाद में पडऩे से बचना होगा। मन एकाग्र करने का प्रयास कीजिएगा। आज खर्च पर संयम रखना होगा। स्वजनों के व्यवहार से मन दुखी हो सकता है। मध्याह्न के बाद आपके स्वास्थ्य में सुधार होगा। मानसिक रूप से भी आप स्वस्थ महसूस करेंगे। मित्रों से उपहार आदि मिलेंगे। परिवारजनों से सुख भी आज अच्छा मिलेगा। आध्यात्मिक प्रवृत्तियों में भी धन लगा रहेगा।

वृषभ राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कार्यक्षेत्र क्षेत्र में सफलता मिलेगी और धनलाभ की स्थिति रहेगी। कार्य सफल होने से मन प्रफुल्लित रहेगा। आध्यात्मिकता के प्रति रुझान बढ़े। धार्मिक कार्यों में भाग ले सकते हैं। नकारात्मक विचारों को मन से निकालना होगा, वरना परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं। वाणी पर संयम रखें। अनापेक्षिक धन-व्यय होने की संभावना रहेगी। परिवार का माहौल आपके अनुकूल रहेगा। सेहत को लेकर सावधान रहना होगा। विद्यार्थियों को विद्या प्राप्ति में विघ्न आ सकता है।

मिथुन राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। व्यवसाय में आर्थिक लाभ और नौकरी में तरक्की के योग रहेंगे और बुजुर्गों के आशीर्वाद से कार्यों में सफलता मिलेगी। आकस्मिक धनलाभ के योग भी रहेंगे, लेकिन व्यावसायिक स्थल पर अधिकारियों की वजह से परेशान हो सकते हैं। धन का व्यय अधिक होगा। संतानों की चिंता सताएगी। परिवार का माहौल अच्छा रहेगा। व्यापार में भी वातावरण अनुकूल रहेगा। स्वास्थ्य में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकता है। धार्मिक यात्रा का आयोजन हो सकता है।

कर्क राशि :- आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। कारोबार अच्छा चलेगा और धनलाभ की स्थिति रहेगी। कार्यक्षेत्र में सहयोगियों-परिजनों का भरपूर सहयोग मिलेगा, जिससे कार्य आसानी से पूरे होंगे। आकस्मिक धनलाभ की भी संभावना रहेगी। विवाह के उत्सुक युवकों को जीवनसाथी मिलने का योग है। सामाजिक कार्यों में बढ़-चढक़र हिस्सा लेंगे, जिससे समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। परिजनों के साथ आनंदपूर्वक समय व्यतीत होगा। स्वास्थ्य का ध्यान और वाणी पर संयम रखें।

सिंह राशि :- आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। कार्यक्षेत्र में काम की अधिकता रहेगी, लेकिन अपने प्रयासों से कार्यों में सफलता मिलेगी। भागदौड़ अधिक करनी पड़ेगी, जिससे शारीरिक और मानसिक रूप से थकान का अनुभव करेंगे। अनावश्यक खर्च अधिक होने की संभावना रहेगी। आनंद-प्रमोद के पीछे धन का व्यय होगा। क्रोध पर नियंत्रण एवं वाणी पर संयम रखें, अन्यथा किसी विवाद में फंस सकते हैं। परिवार का माहौल अच्छा रहेगा। खान-पान का ध्यान रखें।

कन्या राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। व्यावसायिक क्षेत्र में सफलता के योग बन रहे हैं। कारोबार में अच्छा मुनाफा होगा। हालांकि, काम की अधिकता रहेगी, लेकिन कड़ी मेहनत से कार्य सफल होंगे। परिवार का माहौल आपके अनुकूल रहेगा और परिजनों के साथ आनंदपूर्वक समय बीतेगा। परिजनों-मित्रों के साथ पर्यटन की भी संभावना है। अनावश्यक धन-व्यय की अधिकता रहेगी। क्रोध पर नियंत्रण एवं वाणी पर संयम रखना होगा, वरना विपरीत परिस्थितियां बन सकती हैं। सेहत अच्छी रहेगी।

तुला राशि :- आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। व्यापार-धंधा अच्छा चलेगा। सहकर्मियों का सहयोग मिलेगा और कार्यक्षेत्र में सभी कार्य आसानी से सफल होंगे, जिससे धनलाभ की स्थिति रहेगी। कार्यों में सफलता मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। सामाजिक कार्यों में भाग लेंगे, जिससे समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। परिवार का वातावरण अनुकूल रहेगा, जिससे शारीरिक-मानसिक रूप से आनंद का अनुभव करेंगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और दिन मनोरंजन में बीतेगा। यात्रा पर भी जा सकते हैं।

वृश्चिक राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कार्यक्षेत्र में छोटी-छोटी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कार्यभार की अधिकता रहेगी और दिन भागदौड़ में बीतेगा। बौद्धिक चर्चा में भाग ले सकते हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के प्रति रुझान बढ़ेगा। व्यावसायिक स्थल पर वातावरण आपके अनुकूल रहेगा। परिवार में भी आनंद का वातावरण रहेगा। सेहत को लेकर सावधानी रखने की आवश्यकता है। यात्रा पर जाने से बचें। वाहन चलाते समय सतर्क रहें।

धनु राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। कारोबार में आर्थिक लाभ की संभावना रहेगी। कार्यभार की अधिकता रहने से मानसिक रूप से व्यग्रता का अनुभव होगा। जिद्दी वाला रवैया छोडऩा होगा, अन्यथा परेशानी में पड़ सकते हैं। क्रोध पर नियंत्रण एवं वाणी पर संयम रखना होगा, अन्यथा वाद-विवाद में फंस सकते हैं। अनावश्यक खर्च पर नियंत्रण रखें और नये काम की शुरुआत करने से बचें। परिवार का माहौल अच्छा रहेगा। संबंधित बीमारियों से सावधान रहें। यात्रा को टालें।

मकर राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। गृहों की स्थिति आपके अनुकूल बनने से आकस्मिक धनलाभ के योग रहेंगे। कारोबार अच्छा चलेगा और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। पुराने मित्रों से मुलाकात होगी, जो लाभदायक रहेगी। मन प्रफुल्लित रहने से मानसिक रूप से हल्का महसूस करेंगे। परिवार का माहौल अच्छा रहेगा और परिजनों का भरपूर सहयोग मिलेगा। मित्रों के साथ घनिष्टता बढ़ेगी। जमान-मकान की खरीदी और कोर्ट-कचहरी के कार्यों से बचना होगा। विद्यार्थियों के लिए समय अच्छा है।

कुम्भ राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। व्यावसायिक गतिविधियों में परेशानियां आ सकती हैं, लेकिन कठिन परिश्रम से कार्यों में सफलता मिलेगी और धनलाभ की स्थिति रहेगी। कार्यक्षेत्र में काम की अधिकता रहने से शारीरिक और मानसिक रूप से थकान का अनुभव कर सकते हैं। क्रोध पर नियंत्रण एवं वाणी पर संयम रखना होगा। परिवार का माहौल आपके अनुकूल रहेगा, लेकिन ध्यान रहे कि आपकी बातों से किसी को ठेस न पहुंचे। सेहत को लेकर सतर्क रहें।

मीन राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। व्यापार-धंधा अच्छा चलेगा और धनलाभ की स्थिति रहेगी। परिजनों और सहयोगियों की मदद से सभी कार्यों में सफलता मिलेगी। सामाजिक कार्यों में भाग लेंगे, जिससे समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। शारीरिक रूप से भी स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। पारिवारिक जीवन में सुख-संतोष का अनुभव होगा। व्यवसाय में भी यश की प्राप्ति होगी। अधिकारी वर्ग आपके कार्य की सराहना करेंगे। व्यवसाय को लेकर किसी यात्रा पर जा सकते हैं।

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Chhapra: शारदीय नवरात्र की शुरुआत के साथ ही कलश स्थापना कर त्यौहार की शुरुआत हो गई है। शारदीय नवरात्र और कलश स्थापना के साथ ही चौक, चौराहों, बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर चहल पहल बढ़ गई है और स्थायी एवं अस्थायी दुकानें सजने लगी है।

जिले के सुप्रसिद्ध अम्बिका भवानी मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. सभी मंदिरों की सजावट की जा रही है. शारदीय नवरात्र के प्रारम्भ होते ही गुरुवार को दिनभर कलश स्थापना की धूम मची रही और पूरा माहौल भक्ति और श्रद्धा में बदला रहा। 

दुर्गापूजा समिति के सदस्यों ने उत्साह और उमंग के बीच निर्माणाधीन पंडालों में कलश स्थापना की और मां दुर्गा के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की पूजा की। शैलपुत्री पर्वत राज हिमालय की पुत्री हैं और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना के दौरान लाल सिंदूर, अक्षत चढ़ाकर धूप, दीप और कपूर के दिये जलाकर मां शैलपुत्री की पूजा की गई और मां दुर्गा का पाठ किया गया।

नौ दिनों तक चलने वाले शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के अलग अलग नौ रूपों की पूजा को लेकर भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच खासा उत्साह है। बीते वर्ष कोरोना को लेकर दुर्गापूजा के त्यौहार पर कुछ रोक लगे थे किंतु इस बार कुछ अधिक छूट मिलने से उत्साहित पूजा समिति के सदस्यों ने दुर्गापूजा को उल्लास और उमंग के साथ मनाने में पूरी ताकत झोंक दी है।

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वाराणसी: रेलवे प्रशासन द्वारा नवरात्रि मेला के अवसर पर श्रद्धालु यात्रियों की होने वाली अतिरिक्त भीड़ को ध्यान में रखते हुए उनकी सुविधा हेतु 06 से 20 अक्टूबर 2021 के मध्य निम्न लिखित गाड़ियों का मैहर स्टेशन पर 02 मिनट का अतिरिक्त ठहराव प्रदान किया गया है.

इन डाउन गाड़ियों का बढ़ा समय

– लोकमान्य तिलक टर्मिनस से 06 से 18 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 01055 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 03.28 बजे पहुँच कर 03.30 बजे छूटेगी।

– लोकमान्य तिलक टर्मिनस से 07 से 19 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 01059 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-छपरा विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 03.28 बजे पहुँचकर 03.30 बजे छूटेगी।

– चेन्नई से 09 से 18 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 02669 चेन्नई-छपरा विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 21.13 बजे पहुँचकर 21.15 बजे छूटेगी।

– सिकन्दराबाद से 06 से 19 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 02791 सिकन्दराबाद-दानापुर विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 05.13 बजे पहुँचकर 05.15 बजे छूटेगी।

– वलसाड से 09 से 16 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 09051 वलसाड-मुजफ्फरपुर विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 15.38 बजे पहुँचकर 15.40 बजे छूटेगी।

– सूरत से 06 से 18 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 09045 सूरत-छपरा विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 02.38 बजे पहुँचकर 02.40 बजे छूटेगी।

अप गाड़ियां

– गोरखपुर से 08 से 20 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 01056 गोरखपुर-लोकमान्य तिलक टर्मिनस विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 20.58 बजे पहुँचकर 21.00 बजे छूटेगी।

– छपरा से 07 से 18 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 01060 छपरा-लोकमान्य तिलक टर्मिनस विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 20.58 बजे पहुँचकर 21.00 बजे छूटेगी।

– छपरा से 06 से 18 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 02670 छपरा-चेन्नई विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 07.38 बजे पहुँच कर 07.40 बजे छूटेगी।

– दानापुर से 07 से 20 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 02792 दानापुर-सिकन्दराबाद विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 23.53 बजे पहुँचकर 23.55 बजे छूटेगी।

– मुजफ्फरपुर से 11 से 18 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 09052 मुजफ्फरपुर-वलसाड विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 11.58 बजे पहुँचकर 12.00 बजे छूटेगी।

– छपरा से 08 से 20 अक्टूबर, 2021 तक चलने वाली 09046 छपरा-सूरत विशेष गाड़ी मैहर स्टेशन पर 20.48 बजे पहुँचकर 20.50 बजे छूटेगी।

नवरात्रि मेला के अवसर पर उपरोक्त के अतिरिक्त 09039/09040 बान्द्रा टर्मिनस-बरौनी-बान्द्रा टर्मिनस विशेष गाड़ी का 02 मिनट का अस्थाई ठहराव 07 से 15 अक्टूबर, 2021 तक इन्दरगढ़ स्टेशन पर प्रदान किया जायेगा।

09039 बान्द्रा टर्मिनस-बरौनी विशेष गाड़ी इन्दरगढ़ स्टेशन पर 13.45 बजे पहुँचकर 13.47 बजे छूटेगी। इसी प्रकार वापसी यात्रा में 09040 बरौनी-बान्द्रा टर्मिनस विशेष गाड़ी इन्दरगढ़ स्टेशन पर 11.08 बजे पहुँचकर 11.10 बजे छूटेगी।

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-आज हुई सुनवाई में प्रदेश सरकार को चार धाम यात्रा के लिए मिली उम्मीद से बड़ी राहत
-कल से चार धाम यात्रा पर जा सकेंगे अधिकाधिक यात्रा, कर सकेंगे अपनी मनोकामना पूरी

नैनीताल (agency): उत्तराखंड के नैनीताल स्थित उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने चारधाम यात्रा के मामले में उत्तराखंड सरकार को उम्मीद से भी बड़ी राहत दी है। उच्च न्यायालय ने आज अपने फैसले में पहले दिए चार धाम यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की संख्या के आदेश पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है।

इस मामले में सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में श्रद्धालुओं की संख्या में प्रतिबंध हटाने या प्रतिदिन तीन से चार हजार श्रद्धालुओं को आने की अनुमति देने के पूर्व के आदेश में संशोधन या आदेश को वापस लेने की मांग की थी। लेकिन न्यायालय ने सरकार की व्यवस्थाओं से संतुष्ट होकर इसकी संख्या के प्रतिबंध को पूरी तरह से हटाकर सरकार को एक बड़ी राहत दे दी है।

पीठ ने मंगलवार को याचिका पर अंतिम सुनवाई करते हुए चारों धाम में यात्रियों के निर्धारित संख्या में जाने पर लगी रोक को हटा दिया है। अब श्रद्धालु असीमित संख्या में चार धाम यात्रा पर जा सकेंगे। अलबत्ता शासन को यात्रियों से कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित कराना होगा। नयी व्यवस्था 6 अक्टूबर से लागू होगी।

आज इस मामले में सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि वर्तमान समय में प्रदेश में कोविड के नए मामले नहीं के बराबर आ रहे हैं, इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित करने के आदेश में संशोधन किया जाए। यह भी कहा कि धराधाम यात्रा समाप्त होने में अब 40 दिन से भी कम दिन बचे हैं, इसलिए जितने भी श्रद्धालु यहां आना चाहते हैं, उन्हें आने दिया जाना चाहिए। श्रद्धालुओं के न आने के कारण स्थानीय लोगों की रोजी रोटी पर खतरा भी उत्पन्न हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार न्यायालय और कोविड के पूर्व में दिए गए दिशा-निर्देशों का यथासंभव पालन करा रही है।

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अनादि काल से शक्ति की उपासना अनेक रूपों में की जाती रही है। वैसे तो शक्ति की उपासना कभी भी की जा सकती है, लेकिन इसके लिए श्रेष्ठ समय नवरात्रि का माना जाता है। इसी क्रम में शारदीय नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो रही है और गुरुवार को ही पूर्ण होगी। एक तिथि क्षय होने से इस बार नवरात्रि आठ दिनों की रहेगी, जिसके कारण इस बार गुरु का विशेष योग बन रहा है। यह विशेष योग दशकों बाद बना है।

वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युंजय तिवारी ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रतिवर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व गुरुवार, 07 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, जो 14 अक्टूबर को दुर्गा महानवमी तक मनाया जाएगा। वहीं, 15 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।

क्या है गुरु का विशेष योग ?
ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु ज्ञान और बुद्धि के देवता होते हैं और उन्हें सभी देवताओं का गुरु माना जाता है। इसी कारण उन्हें देवगुरु की उपमा प्राप्त है। इस वर्ष गुरुवार को नवरात्रि का शुरू और समाप्त होना शुभ माना जा रहा है। ऐसा संयोग कई दशकों में एक बार बनता है।

उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा बुधवार, 06 अक्टूबर को शाम 4.34 बजे से शुरू होकर गुरुवार दोपहर 1.46 बजे तक रहेगी। इसी दिन सुबह घटस्थापना की जाएगी और मां की आराधना प्रारंभ हो जाएगी।

नवरात्रि क्यों 8 दिन की मनाई जाएगी ?
डॉ. मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि इस बार तृतीया तिथि एवं चतुर्थी एक ही दिन यानी शनिवार, 09 अक्टूबर को पड़ रही है, जिसके कारण चतुर्थी का क्षय हो गया है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के अलग-अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है। इस बार एक दिन में दो तिथि पड़ने के कारण चंद्रघंटा एवं कुष्मांडा की पूजा एक ही दिन की जाएगी। यही कारण है कि नवरात्रि आठ दिन मनाई जाएगी।

 

एजेंसी इनपुट 

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(हृदयनारायण दीक्षित)
भारत में पूर्वजों पितरों के प्रति श्रद्धाभाव रहा है। वैदिक आस्था के अनुसार पितृयज्ञ में पितर पुत्रों के प्रेम में आते हैं। ऐसे यज्ञों का विशेष विधि विधान है। यह विधान अथर्ववेद के रचनाकाल से बहुत प्राचीन है। कहते हैं, “हमने यज्ञ विज्ञान अपने पितरों से ही सीखा है। सभी पितर यहां कुश आसन पर बैठे।”

यज्ञ विधान ही क्यों राष्ट्रजीवन के सभी कर्तव्यों के पालन की निष्ठा व विधि सांस्कृतिक निरंतरता से प्राप्त हुई है। पितरों पूर्वजों के प्रति राष्ट्र की श्रद्धा भी प्राचीन है। अथर्ववेद में कहते हैं “सभी पितामह आदि पूर्वज, उसके बाद मृत्यु को प्राप्त सभी पितरगण और वैभव संपन्न वर्तमान वरिष्ठों को नमस्कार है- इदं पितृभ्यो नमो, अस्त्ववद्य ये पूर्वासो ये अपरास ईयुः।” यह सूक्त ऋषि कवि अथर्वा का है। एक मंत्र (वही 58) में कहते हैं “अथर्वा, अंगिरा और भृगु आदि पितरगण भी पधारे हैं।” अथर्वा की पितर रूप में उपस्थिति आश्चर्यजनक है। पितरों के आह्वान में आश्चर्यजनक श्रद्धाभाव है। आहूत महानुभावों में यम भी हैं। कहते हैं, “हे यमदेव! अंगिरा आदि पितरों सहित आप इस यज्ञ में आएं। हम आपके साथ आपके पिता विवस्वान को भी आमंत्रित करते हैं। सब कुश आसन पर बैंठे।” (वही 59-60)

पूर्वजों के प्रति श्रद्धा स्वाभाविक है। यह श्रद्धाभाव अंधविश्वास नहीं है। प्रकृति प्रवाह में निरंतरता है। जो जाता है, वह प्रकट जीवन से अदृश्य हो जाता है। अदृश्य होना समाप्त होना नहीं है। वैदिक परंपरा में व्यक्त व अव्यक्त का उल्लेख है। व्यक्त प्रत्यक्ष है और अव्यक्त अदृश्य। अदृश्य अव्यक्त का भी अस्तित्व है। वैदिक ऋषि मृत्यु के बाद भी जीवन की निरंतरता पर विश्वास करते हैं। वे मृत्यु को प्राप्त पितरों, पूर्वजों का अस्तित्व मानते हैं। इसी पितर परंपरा में अनेक ऋषि भी हैं। अथर्ववेद के कवि ऋषि “पूर्वजों, मार्गद्रष्टा, ऋषियों व पूर्वकाल में हो चुके सभी महानुभावों को नमस्कार करते हैं- इदं नमः ऋषिभ्यः पूर्वजेभ्यः पूर्वेभ्यः पथिकृद्म्यः।” (अथर्ववेद 18.2.2) यह मंत्र ऋग्वेद में भी है। अथर्ववेद में कहते हैं “पूर्वज कवियों ने तपस्वी जीवन जिया है और श्रेष्ठ जीवन की सहस्त्रों विधियों का विकास किया है। (18.2.18)

पूर्वजों के मृत्यु के बाद के अस्तित्व पर प्रश्न उठाए जा सकते हैं लेकिन पितरों पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व आदरभाव का औचित्य है। श्रद्धा भाव है। पूर्वजों के प्रति श्रद्धा भाव से श्राद्ध कर्म का विकास हुआ। श्रद्धाभाव है। अमूर्त है। श्राद्ध श्रद्धा का व्यक्त कर्मकाण्ड है। श्राद्ध कर्मकाण्ड का विकास अथर्ववेद के अंत्येष्टि यज्ञ से हुआ। पतंजलि ने श्रद्धा को चित्त की स्थिरिता या अक्षोभ से जोड़ा है। श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध है। भारत में पूर्वजों पितरों के प्रति श्रद्धा की स्थाई भावना है। नवरात्रि उत्सवों के 15 दिन पहले से पूरा पखवारा पितर पक्ष कहलाता है। संप्रति यही पितर पक्ष चल रहा है। इस समय को पितरों के प्रति श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

लोकमान्यता है कि इस पक्ष में पूर्वज पितर आकाश लोक आदि से उतरकर धरती पर आते हैं। 15 दिन पितरों के प्रति गहन श्रद्धा भाव में रहने का सुख निराला है। वैदिक निरूक्त में श्रत और श्रद्धा को सत्य बताया गया है। पितरों का आदर प्रत्यक्ष मानवीय गुण है। हम पितृपंक्ति का विस्तार हैं। पितर और पूर्वज हमारे इस संसार में जन्म लेने का उपकरण हैं। वे थे, इसलिए हम हैं। वे न होते, तो हम न होते। उन्होंने पालन पोषण दिया, स्वयं की महत्वाकांक्षाएं छोड़ी। उन्होंने हमारी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए तमाम कर्म किए। वे सदा सर्वदा नमस्कारों के योग्य हैं।

पूर्वजों ने श्रद्धा भाव को श्राद्ध कर्म बनाया। पिता, पितामह और प्रपितामह के लिए अन्न भोजन जल आदि के अर्पण तर्पण का कर्मकाण्ड बनाया। विश्वास किया जाता है कि श्राद्ध कर्म में अर्पित भोजन पितरों को मिलता है। वे प्रसन्न होते हैं और सन्तति को सभी सुख साधन देते हैं। ऐसे कर्मकाण्ड आधुनिक वैज्ञानिक चेतना की संगति में नहीं आते। लेकिन ऐसे कर्मकाण्ड निरूद्देश्य नहीं होते। सभ्य समाज में पितरों का आदर होता ही है, होना भी चाहिए। श्राद्धकर्म को लेकर चलने वाली बहस पुरानी है। मत्स्य पुराण (19.2) में प्रश्न है कि क्या श्राद्ध का भोजन मृत पूर्वजों द्वारा खाया जाता है ? जो मृत्यु के बाद अन्य शरीर धारण कर चुके होते हैं ?” यह प्रश्न वैज्ञानिक है। बड़ी बात है कि पुराणों में भी भौतिकवादी प्रश्न हैं। इस प्रश्न का उत्तर भी दिया गया है, “पिता, पितामह और प्रपितामह को वैदिक मंत्रों में क्रमशः वसु, रूद्र और आदित्य देव के समान माना गया है। वे नाम परिचय सहित उच्चारण किए गए मंत्रों आहुतियों को पितरों के पास ले जाते हैं। यदि पितर सत्कर्म के कारण देवता हो गए हैं तो वह भोजन आनंद रूप में उनके पास पहुंचता है, यदि पशु हो गए हैं तो भोजन घास हो जाता है, यदि सर्प जैसे रेंगने वाली योनि में हैं तो यह भोजन वायु आदि के रूप में उन्हें मिलता है।”

मत्स्य पुराण के प्रश्न तत्कालीन समाज के यथार्थवादी तर्क हैं। पुराण में इनके उत्तर श्राद्ध समर्थकों के स्पष्टीकरण माने जा सकते हैं। श्राद्ध परम्परा पुरानी है। पुनर्जन्म पर विश्वास की बातें भी ऋग्वेद अथर्ववेद में हैं। संतानों द्वारा प्रेषित भोजन पितरों तक पहुंच जाने में पुनर्जन्म के सिद्धांत से झोल पैदा हुई। पहले बात साफ थी कि मृतात्माएं श्राद्धकर्म का भोजन पाती हैं। पुनर्जन्म सिद्धांत के कारण आत्मा के नए शरीर धारण की बात आई। आर्य समाज श्राद्धकर्म के पक्ष में नहीं है। बेशक उसने वैदिक दर्शन को प्रतिष्ठा दी लेकिन उसके सामने ऋग्वेद में पितरों के उल्लेख की समस्या थी। आर्य समाज ने ऋग्वैदिक पितरों को मृत नहीं माना। उन्हें जीवित वानप्रस्थी बताया। समस्या शतपथ ब्राह्मण के रचनाकार के सामने भी थी। यहां मंत्र है “यह भोजन पिता जी आपके लिए है।” याज्ञवल्क्य की व्यवस्था है “वसु, रूद्र और आदित्य हमारे पितर हैं। वे श्राद्ध के देवता हैं। पितरों का ध्यान वसु रूद्र और आदित्य के रूप में ही करना चाहिए। वृहदारण्यक उपनिषद् में याज्ञवल्क्य ने शाकल्य को रूद्र और वसु का अर्थ समझाया है। यहां पृथ्वी, आकाश आदि वसु हैं, प्राण, इन्द्रियां मन आदि रूद्र हैं। आदित्य प्रकाश हैं। पितर श्रद्धा यहां प्रकृति की शक्तियों के प्रति ही दिखाई पड़ती है।

ऋग्वेद के दसवें मण्डल (सूक्त 14) में मृत पितरों पर रोचक विवरण हैं। कहते हैं “यम (नियम) व्यवस्था को कोई बदल नहीं सकता। जिस मार्ग से हमारे पूर्वज गये हैं, उसी मार्ग से सभी मनुष्य जायेंगे। अन्ततः सबको यम के पास जाना ही पड़ता है।” मृत पिता से कहते हैं “जिस पुरातन मार्ग से पूर्वज पितर गये हैं, आप भी उसी से गमन करें।” फिर यज्ञ कर्म की चर्चा है। यम से प्रार्थना है कि “आप अंगिरा आदि पितरजनों सहित हमारे यज्ञ में आएं।” आगे (सूक्त 15) पितरों को नमस्कार निवेदन करते हैं, “जो पितामह आदि पितर पूर्वज या उसके बाद मृत्यु को प्राप्त पितर हैं, या जो फिर से उत्पन्न हो गए हैं। उन सबको नमस्कार है – इदं पितृभ्यो नमः अस्त्वद्य ये पूर्वासो या उपरास ईयुः।” फिर कहते हैं, “हे पितरों! हमारे आवाहन पर आप आएं।” यही सारी बातें अथर्ववेद में भी हैं। पूर्वजों पितरों का सम्मान और मृत होने के बावजूद स्मरण करना आनंददायी है। पूर्वजों का आदर भारत की संस्कृति का उच्चतर मूल्य है। इसी तरह वरिष्ठों का सम्मान भी। लेकिन बीते 20-25 वर्ष से वृद्धों का आदर भी घटा है। सांस्कृतिक परंपरा ऐसी नहीं है। हम सबको पूर्वजों, अग्रजों का आदर करना चाहिए।

(लेखक उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हैं।)

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