सढ़वारा में अष्टयाम सह रुद्राभिषेक यज्ञ शुरू

Isuapur:  प्रखंड के सढ़वारा-चहपुरा बाजार स्थित पौराणिक बाबा बिंदेश्वर नाथ धाम शिव मंदिर के प्रांगण में रविवार को सार्वजनिक अखंड अष्टयाम सह रुद्राभिषेक यज्ञ की शुरुआत हुई।

आचार्य वीरेंद्र तिवारी, राजदेव दुबे, विजेंद्र तिवारी, ब्रिजकिशोर ओझा, नृपेन्द्र ओझा के वैदिक मंत्रोच्चारण से वतावरण भक्तिमय बना हुआ है। मुख्य यजमान के रूप में संतोष कुमार राय तथा उनकी धर्मपत्नी बिंदु देवी थीं।

यज्ञ का संचालन कर रहे समाजसेवी रिटायर्ड शिक्षक सुरेश प्रसाद श्रीवास्तव, अमित कुमार शर्मा, शिक्षक विकास कुमार साह, राहुल कुमार, अंकित कुमार, विश्वास शर्मा, कृष्णा साह, सूरज सिन्हा, सोनी देवी, अजय पटेल, गुरुदेव राय का कहना था कि स्थानीय बिंदलाल प्रसाद द्वारा 1840 ई में इस पांच मंजिला मंदिर का निर्माण कराया गया था।

जीर्ण शीर्ण अवस्था में हो जाने पर पुनः 1934 में स्थानीय ब्रजभूषण प्रसाद द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। तब से इस मंदिर का रख रखाव तथा देख भाल कमेटी द्वारा की जाती है। इस मौके पर दिवंगत महात्माओं जिन्होंने मंदिर का निर्माण तथा जीर्णोधार कराया है उन्हें श्रद्धापूर्वक याद व नमन किया गया।

लोगों का कहना था कि सैकड़ों बर्ष पुराने इस मंदिर में महाशिवरात्रि, सावन के महीने तथा तेरस की तिथि को हजारों श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। भगवान भोलेनाथ भक्तों की मन वांछित इच्छा भी पूरी करते हैं। इन तिथियों को यहां भव्य मेला भी लगता है।

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सावन महीने में अपने ससुराल कनखल में निवास करते हैं भगवान शिव

हरिद्वार: हरिद्वार से सटी पौराणिक नगरी कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सम्मिलित न होने के बावजूद श्रावण मास में प्रमुख तीर्थ बन जाता है। ऐसा इस मान्यता के कारण है कि भगवान भोलेनाथ सावन के महीने में कनखल के दक्षेश्वर मंदिर में निवास करते हैं। दक्षेश्वर नाम सती के पिता व भगवान शिव के ससुर राजा दक्ष प्रजापति के नाम पर रखा गया है। दक्ष चौदह प्रजापतियों में से एक हैं जो निर्माण, रचना व प्रजनन के देव माने गए हैं और हिंदू पौराणिक कथाओं में जीवन के रक्षक भी हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती ने शिव को पिता द्वारा यज्ञ में न बुलाने से कुपित होकर यज्ञ अग्नि में स्वयं को भस्म कर लिया था। जिससे क्रोधित भगवान शिव ने कनखल पहुंच कर अपने गण वीरभद्र को प्रकट किया और उन्होंने राजा दक्ष का शीश काट डाला। लेकिन जब ब्रह्मा आदि देवों ने शिव को राजा दक्ष का सृष्टि में महत्व समझाया तो भगवान शिव ने दक्ष के काटे गए शीश पर बकरे का शीष रोपण कर उन्हें पुनः जीवित कर दिया। जिसके बाद राजा दक्ष ने भगवान भोलेनाथ से अपने किये पर क्षमा मांगी और वचन लिया कि श्रावण माह में शिव अपनी ससुराल कनखल में ही रहेंगे।

मान्यता है कि भगवान शिव अपने ससुर को दिये इस वचन को निभाने हर सावन कनखल में विराजते हैं। जिसके कारण दक्षेश्वर महादेव मंदिर का महत्व सावन में विशेष रूप से बढ़ जाता है। इस कथा के कारण हरिद्वार कनखल ज्वालापुर में सावन में दामाद सत्कार के पर्व के आयोजन की परंपरा भी है। कनखल स्थित महानिर्वाणी अखाड़ा दक्षेश्वर महादेव मंदिर का प्रबंधन करता है।

अखाड़े के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज कहते हैं कि राजा दक्ष को जीवन प्रदान करने के बाद स्वयंभू शिवलिंग के रूप में भगवान शिव कनखल में प्रकट हुए और उनका यह शिवालय दक्षेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मान्यता है कि यह शिवलिंग ब्रह्मांड का प्रथम स्वयंभू शिवलिंग है, जो भक्तों को अभय प्रदान करता है। सावन में कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर में जो भी भक्त भगवान शिव के शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करते हैं और बेलपत्र, पुष्प, तिल ,चावल, दूध, दही, शहद और पंचगव्य से पूजन अर्चन करते हैं, उनके सारे कष्ट दूर होते हैं। वे मोक्ष प्राप्त कर शिवलोक वासी हो जाते हैं।

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श्रावणी मेला में कई नई सुविधाओं की हुई शुरुआत, कांवरियों में प्रसन्नता

भागलपुर: विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा कई नई सुविधाओं की शुरुआत की गई है। जिससे कांवरियों के बीच हर्ष एवं उल्लास का माहौल दिख रहा है। नई सुविधाओं में नमामि गंगे घाट पर निःशुल्क लॉकर की सुविधा कांवरियों के लिए उपलब्ध कराई गई है, कांवरिया गण स्नान से पूर्व लॉकर में रुपए पैसा, मोबाइल, एटीएम अन्य कीमती सामान रखकर निश्चिन्त होकर गंगा में स्नान कर बाबा पर जलाभिषेक करने का संकल्प के साथ गंगा जल लेकर आते हैं और पुनः लॉकर से सामान आदि लेकर आगे चल पड़ते हैं। नमामि गंगे घाट एवं सीढ़ी घाट पर जाली युक्त बैरिकेडिंग लगाई गई है। जिससे गंगा स्नान शत प्रतिशत सुरक्षित हो गया है। कांवरियों के ठहरने के लिए के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सौजन्य से जिला प्रशासन द्वारा नमामि गंगे घाट पर 4000 आवासन क्षमता वाले जर्मन हैंगर का निर्माण किया गया है।

पर्यटन विभाग बिहार सरकार के सौजन्य से जिला प्रशासन भागलपुर द्वारा भागलपुर के धांधी बेलारी में 200 आवासन क्षमता वाला टेंट सिटी का निर्माण करवाया गया है। वहीं नगर विकास एवं आवास विभाग के सौजन्य से 4000 आवासन क्षमता वाला टेंट सिटी का निर्माण किया जा रहा है। भागलपुर जिला प्रशासन द्वारा सड़क के दोनों ओर विशेष व्हाइट पेंट कराया गया है ताकि धूप में भी कांवरियों को पक्की सड़क पर चलने में सुविधा रहे, उल्लेखनीय है कि धूप में सड़क गर्म हो जाने के कारण कांवरियों का पैर जलने लगता था। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग भागलपुर के द्वारा नमामि गंगे घाट, धांधी बेलारी एवं कांवरिया पथ में स्वच्छ पे जल के लिए वाटर कूलर, वाटर एटीएम और जल टैंकर की व्यवस्था की गई है।‌

एसडीआरएफ टीम एवं प्रशिक्षित गोताखोरों द्वारा निरंतर दोनों घाटों की निगरानी मोटरबोट एवं नावों से की जा रही है। नगर परिषद सुलतानगंज द्वारा इस वर्ष तीन पालियों में सफाई कर्मी की प्रतिनियुक्ति की गई है, जो लगातार सफाई के कार्य में लगे हुए हैं। जिससे सुलतानगंज सहित संपूर्ण मेला क्षेत्र साफ एवं स्वच्छ दिख रहा है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सौजन्य से होर्डिंग्स एवं फ्लेक्स के माध्यम से मेला क्षेत्र में सभी नियंत्रण कक्षों दूरभाष संख्या एवं जिला प्रशासन भागलपुर द्वारा आवश्यकता सामग्रियों की निर्धारित दर के साथ साथ महत्वपूर्ण जन कल्याणपुरी योजनाओं को जगह-जगह पर प्रदर्शित किया गया है। जिससे कांवरियों को इस साल सही दर पर सभी सामान मिल रहा है।

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इसुआपुर के बाबा लालदास मठिया पर मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व

इसुआपुर: रविवार को बाबा लालदास के मठिया पर निर्वाण संघ के सौजन्य से गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया गया. निर्वाण संघ के सभी सदस्यों एवं अन्य श्रद्धालुओं ने अपने गुरु व मार्गदर्शक आचार्य सत्येंद जी के प्रति अहोभाव प्रकट किया तथा गुरु दक्षिणा भेंट की. उक्त अवसर पर सांसद जनार्दन सिग्रीवाल भी पधारे और उन्होंने आचार्य को सम्मानित किया.

उनके साथ जिला पार्षद प्रियंका सिंह एवं समाजसेवी धीरज सिंह भी उपस्थित रहे. विदित हो कि निर्वाण संघ द्वारा मठिया परिसर में भव्य शेड का निर्माण करवाया गया है जिसका उद्घाटन भी कल आचार्य सत्येन्द्र जी के द्वारा किया गया.

भजन एवं प्रवचन के अद्भुत संगम के रूप में गुरु पूर्णिमा उत्सव अद्भुत रहा. रवीश कुमार सानू, भगवान शर्मा, पुरुषोत्तम कुमार, विभा, सुरेश शर्मा, ज्ञानचंद यादव, डी के सिंह इत्यादि कलाकारों नेभजनों की प्रस्तुति दी.

कार्यक्रम को सफल बनाने में विनोद प्रसाद, राजेश प्रसाद, अमीर साह, पप्पू कुमार, श्याम प्रसाद, नवल किशोर चौबे, सोनू इत्यादि का सराहनीय सहयोग रहा.

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पटना, 22 जुलाई (हि.स.)। श्रावण मास की शुरुआत हो गई है। ऐसे में आज पहली सोमवारी को उत्तर बिहार का देवघर कहे जाने वाला बाबा गरीब स्थान मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए सारण जिले के पहलेजा घाट से जल लेकर करीब एक लाख कांवड़िये मुजफ्फरपुर पहुंचे हैं।

सोमवार सुबह मुजफ्फरपुर में बाबा गरीब नाथ धाम में श्रावणी मेला का विधिवत उद्घाटन बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं मुजफ्फरपुर के प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने किया। उनके साथ मंत्री केदार गुप्ता और अन्य नेता भी शामिल हुए। जिला प्रशासन ने श्रावणी मेला की पूरी तैयारी की है।

सावन के पहले सोमवार से पूर्व ही रविवार को हजारों हजार कांवड़िये गरीब नाथ मंदिर पहुंच चुके थे। रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि से ही बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं।

जलाभिषेक के दौरान कांवरियों को कहीं भी किसी भी प्रकार की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े इसको लेकर मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन और मुजफ्फरपुर पुलिस अलर्ट मोड पर है।

पूरे मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी लगाए गए हैं। पूरे मंदिर परिसर की निगरानी जिले के वरीय अधिकारी के द्वारा की जा रही है।

मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक ने बताया कि साधारण और डाक बम के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गयी है। रात बारह बजे से अरघा से जलाभिषेक शुरू हुआ जो सोमवार की दोपहर तक जारी रहेगा।

उल्लेखनीय है कि झारखंड बंटवारे के बाद से गरीब स्थान को बिहार का देवघर कहा जाता है। जहां सावन हर सोमवार को लाखों की संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं।

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Chhapra:सावन माह की पहली सोमवारी को जिले के शिवालयों और मंदिरों में शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही।

सुबह से ही शिव भक्त शिवालय पहुंचकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की। शिवालयों में जलाभिषेक के लिए भक्तो ने कतारबद्ध होकर शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ भांग धतूरा और फूल के साथ पूजा अर्चना की।

इस दौरान पूरा मंदिर परिसर हर हर महादेव, जय शिव शंकर,बाबा भोलेनाथ की जय की नारों से वातावरण गुंजायमान रहा।

इधर सावन की पहली सोमवारी को लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से से सुरक्षा के विशेष इतजाम किए गए। सभी मंदिरों में पुलिस अधिकारियों के साथ पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति विधि व्यवस्था संधारण को लेकर की गई थी। 

जिला प्रशासन के निर्देश पर दंडाधिकारी के साथ पुलिस अधिकारियों और बलों की प्रतिनियुक्ति रही, जो व्यवस्था बनाए रखने में तल्लीन दिखे।

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गुरू पूर्णिमा के अवसर पर गुरू पुजन कार्यक्रम का हुआ आयोजन

Chhapra: गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शहर के पार्वती आश्रम में गुरु पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. शहर सहित गांव से हजारों लोगों ने मंदिर पहुंच माता के दर्शन और पूजा पाठ किया.

पूजा को लेकर अहले सुबह ही भक्तों की कतारें लग चुकी थी. वही मंदिर मे भक्तों के लिए प्रसाद का भी वितरण किया जा रहा था जिसमे खिचड़ी दी जा रही थी.

इसके आलावे मेला का आयोजन भी किया गया था. जिसका बच्चों ने खूब लुफ्त उठाया.

 

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श्रद्धा और भक्ति का पर्व सावन इस साल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पिछले 72 सालों में पहली बार सावन सोमवार के दिन प्रारंभ होकर सोमवार को ही संपन्न होगा। यही नहीं, इस दौरान सावन में पांच सोमवार पड़ रहे हैं, जो भगवान शिव की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस अवधि में श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। सावन के सोमवार को और भी विशेष माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन पवित्र दिनों में किए गए जलाभिषेक और पूजा-पाठ से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

72 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन की शुरुआत और समाप्ति दोनों दिन का ही सोमवार होना एक दुर्लभ संयोग है। आखिरी बार ऐसा 72 साल पहले हुआ था। इस विशेष अवसर पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करना और उनका ध्यान लगाना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

पांच सोमवार लाएंगे शुभ फल

सावन में पांच सोमवार पड़ना और भी शुभ संकेत माना जा रहा है। कि इस सावन में साधना करने और भगवान शिव की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।

पांचों सोमवार की तिथियां

पहला सोमवार – 22 जुलाई 2024
दूसरा सोमवार – 29 जुलाई 2024
तीसरा सोमवार – 05 अगस्त 2024
चौथा सोमवार – 12 अगस्त 2024
पांचवां सोमवार – 19 अगस्त 2024

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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देवघर, 20 जुलाई (हि.स.)। श्रावणी मेला 22 जुलाई से मेला शुरू होगा। मेले में आने वाले कांवरियों को बेहतर सुविधा देने के लिए जिला व मंदिर प्रशासन की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। भक्तों को इस दौरान हर साल की तरह अरघा के माध्यम से जलार्पण कराया जायेगा।

22 जुलाई को कांचा जल पूजा के बाद बाबा मंदिर में अरघा लगया जायेगा। उसके बाद बाबा की दैनिक सरदारी पूजा होगी। दैनिक सरदारी पूजा संपन्न होने के बाद पुरोहित समाज के लोग भी अरघा के माध्यम से ही पूजा करेंगे। बाबा मंदिर में लगने वाले मुख्य व तीन बाह्य अरघा की मरम्मत का कार्य पूरा हो चुका है। कोलकाता से अरघा की मरम्मत व इसकी पॉलिश का काम पूरा होने के बाद बाबा मंदिर में पहुंचा दिया गया।

मंदिर मुख्य प्रबंधक ने अरघा का निरीक्षण कर इसे सुरक्षित रखवा दिया। मेले में चार अरघा से होगा जलार्पण बाबा मंदिर में श्रावणी मेले के दौरान चार अरघा लगाया जायेगा। एक मुख्य अरघा जो बाबा मंदिर के मंझला खंड में लगेगा। यहां पर आम कतार तथा कूपन लेकर आये भक्त जलार्पण व बाबा का दर्शन कर बाहर निकलेंगे। वहीं तीन बाह्य अरघा जो की निकास द्वार के पास नीर कुंड के निकट लगाया जायेगा।

यहां पर असहाय व कम समय में जलार्पण की चाहत रखने वाले लोग जलार्पण करेंगे। इस अरघा का जल पाइप लाइन के माध्यम से नीर कुंड के रास्ते बाबा पर अर्पित होगा। वहीं कांवरिये बाबा मंदिर की छत पर लगे बड़े एलइडी स्क्रीन में देख बाबा का दर्शन कर सकेंगे।

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नई दिल्ली, 7 जुलाई (हि.स.)। उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की पारंपरिक रथयात्रा रविवार से शुरू हो रही है। इसका आयोजन हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होता है और भगवान जगन्नाथ दशमी तिथि तक जन सामान्य के बीच रहते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलराम और बहन देवी सुभद्रा के साथ रथ पर विराज कर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। जगन्नाथ रथयात्रा का भव्य आयोजन 10 दिनों तक चलता है।

हर वर्ष पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। हिंदू धर्म में इस रथयात्रा का विशेष महत्व है। इसमें भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र संग साल में एक बार प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं। जहां कुछ दिनों के लिए रहेंगे। इसमें भगवान जगन्नाथ अपनी बहन और भाई संग पूरे नगर का भ्रमण करते हैं। रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम जी चलते हैं। उनके पीछे पद्म ध्वज रथ पर देवी सुभद्रा व सुदर्शन चक्र होते हैं। अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी चलते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष अथवा गरुड़ध्वज कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा जी का वही स्वरूप आज भी जगन्नाथपुरी में है, जिसे स्वयं विश्वकर्मा जी ने बनाया था।

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बहुत भव्य तरीके से निकाली जाती है। श्रद्धालुओं द्वारा रथ खींचने का नजारा अद्भुत होता है। रथयात्रा के दौरान श्रद्धालु ढोल, नगाड़े, तुरही और शंखध्वनि करते हैं। पूरे वर्ष श्रद्धालु इस विशेष अवसर का इंतजार करते हैं।

 

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Chhapra: जय भोला भंडारी सेवा दल के द्वारा बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 250 यात्रियों का दूसरा जत्था अमरनाथ के लिए रवाना हुआ। 

कोषाध्यक्ष अमित मेडिकल, उप सचिव मंटु बाबा ने हरी झंडी दिखा ट्रेन से जत्थे को रवाना किया। छपरा जंक्शन पर विशाल भंडारे का आयोजन भी हुआ। 

सभी यात्रियों को चन्दन तिलक लगाने के बाद भंडारे का प्रसाद ग्रहण कराया गया। छपरा जंक्शन पर भोले के भक्तों के साथ अन्य यात्री भी हर्ष उल्लास से भड़ गए।

जय भोले, हर हर महादेव, जय बाबा अमरनाथ बर्फानी, जय शिव के नारों से पूरा जंक्शन गूंज उठा। 

आपको बताते चले कि इस सेवा दल द्वारा उधमपुर जम्मू-कश्मीर में भंडारा भी लगाया जाता है। य़ह बिहार का पहला भंडारा है जो अमरनाथ यात्रा मार्ग पर लगता है। इस वर्ष चौथे विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। इस जत्थे का नेतृत्व- शिव रस्तोगी, संत रस्तोगी, रन विजय, श्याम, पवन, निरज सिंह, श्याम किशोर के द्वारा किया जा रहा है।

इस आयोजन में सेवा दल के सदस्य राजेश (रिबक) केदार, धनु, कन्हैया लाल, प्रकाश कुमार, शम्भु, गुड्डू, विक्की ठंडा इत्यादि सदस्यों ने भाग लिया।

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Chhapra: गौतम स्थान मंदिर के महंत रामदयालु दास के 13वीं श्राद्ध कर्म के अवसर पर नए महंत प्रभुनाथ दास को सैकड़ो संतो एवं शिष्यों के बीच में मंहत के दायित्व पर स्थापित किया गया।

इस अवसर पर अरुण पुरोहित धर्म प्रचारक ने कहा कि महर्षी गौतम आश्रम जहां प्रभु राम ने आकर अहिल्या का उद्धार किया इस पवित्र तपोस्थली की मिट्टी से हम चंदन करते हैं, वंदन करते हैं।

नए मंहत को उनके दायित्व का बोध कराया। तपोस्थली की सुरक्षा एवं भारत के मानचित्र पर पर्यटक स्थल बनाने के लिए सतत प्रयास किया जाएगा।

इस अवसर पर देश भर से उनके शिष्य दिल्ली, लखनऊ, सिवान, देवरिया, उत्तर प्रदेश, कोलकाता से पहुंचे।

बड़ी संख्या में महिलाएं बहनों की भी उपस्थित रही। अरुण पुरोहित ने कहा कि जल्द ही स्थानीय कमेटी का गठन किया जाएगा। सारण जिला के समाजसेवी बलराम सिंह अधिवक्ता एवं पारस नाथ अधिवक्ता सहित तमाम मठ के मठाधीश एवं गण्यमान्य लोगों की उपस्थिति रही।

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