पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेशवासियों से आग्रह किया है कि वे कोरोना गाइडलाइंस का पालन करें तभी हम इस बीमारी के चेन तोड़ने में सफल होंगे.

सीएम नीतीश ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि कोरोना से उत्पन्न अभूतपूर्व संकट की घड़ी में प्रदेशवासियों से आग्रह है कि शादी-विवाह जैसे खुशी के सामाजिक आयोजन, जिनमें कई जगहों के लोग जुटते हैं, को यदि कुछ समय के लिए स्थगित कर दें, तो कोरोना संक्रमण के चेन को तोड़ने में मदद मिलेगी। यह आपके परिवार और समाज के हित में होगा.
नीतीश कुमार ने कहा कि कोरोना महामारी से लोगों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार तत्परता के साथ जरूरी कदम उठा रही है. कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए जनहित में आज से 15 मई तक लॉकडाउन लगाने जैसा कठिन निर्णय भी लेना पड़ा है. कृपया गाइडलाइंस का पालन कर कोरोना से मुक्ति के प्रयास में सहयोग करें.

 

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Chhapra: सीवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की मौत के बाद राजद में मुस्लिम नेताओं में गुस्सा है.

शहाबुद्दीन के निधन के बाद जिस तरह का रवैया पार्टी ने अपनाया उसे लेकर मुस्लिम नेताओं में नाराजगी है. पार्टी में फूट पड़ने लगी है. इसे लेकर राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष सलीम परवेज ने इस्तीफा दे दिया है.

बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति रह चुके सलीम परवेज ने ना सिर्फ पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है बल्कि राजद से भी खुद को अलग कर दिया है. पार्टी से अलग होने के फैसले को लेकर उन्होंने मंगलवार को एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि डॉ. मो. शहाबुद्दीन से मेरा व्यक्तिगत संबंध था. वे मेरे अच्छे मित्र व भाई समान थे. उनके निधन से मर्माहत व स्तब्ध हूं.

राजद के शीर्ष नेताओं पर अनदेखी का आरोप लगते हुए सलीम परवेज ने कहा कि मो. शहाबुद्दीन पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे हैं.

उन्होंने पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई. राजद के लिए वह समर्पित नेता रहे हैं लेकिन उनके बीमार पड़ने, तिहाड़ में घटी घटनाओं, एम्स की जगह प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने, मृत्यू के बाद सस्पेंस बनाने, पार्थिव शरीर देने में आनाकानी करने को लेकर पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं की तरफ से चुप्पी साध ली गई. यह बेहद निराश करनेवाला था. यहां तक कि निधन के बाद भी पार्टी के किसी नेता ने शहाबुद्दीन के बेटे को कोई सहयोग नहीं दिया न सांत्वना दी.

अपने सच्चे सिपाही संस्थापक सदस्य और उसके परिवार के प्रति ऐसी उपेक्षा आपत्तिजनक है. ऐसे में इस पार्टी के साथ अब चलना संभव नहीं है.

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पटना: बिहार में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण और इससे हो रही मौतों में वृद्धि को देखते हुए राज्य सरकार के   15 मई तक लाॅकडाउन लगाने के फैसले पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जदयू ने लाॅकडाउन के निर्णय का स्वागत किया है तो सरकार में शामिल जीतनराम मांझी की पार्टी ‘ हम ‘ ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि लाॅकडाउन से गरीब तबका निराश  होगा। उनकी रोजी रोटी छिन जायेगी। सरकार को इसका ध्यान रखना चाहिए।

राजद ने लाॅकडाउन का समर्थन किया है। हालांकि प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार के लाॅकडाउन के निर्णय को हाईकोर्ट के दबाव में आकर लिया गया फैसला बताया है। तेजस्वी  ने मुख्यमंत्री नीतीश  कुमार के लाॅकडाउन वाले निर्णय से संबंधित ट्वीट के बाद ट्वीट कर लाॅकडाउन लगाने की टाइमिंग पर सवाल उठाया है। सरकार के फैसले की टाइमिंग पर तेजस्वी ने सरकार को घेरते हुए कहा है कि  15 दिन से समूचा विपक्ष लॉकडाउन करने की माँग कर रहा था लेकिन छोटे साहब अपने बड़े साहब के आदेश का पालन कर रहे थे कि 2 मई तक लॉकडाउन नहीं करना है। अब जब गाँव-गाँव, टोला – टोला संक्रमण फैल गया तब दिखावा कर रहे हैं। तेजस्वी ने सीएम नीतीश पर तंज कसते हुए कहा कि इस संकट काल में तो निम्नस्तरीय नौटंकी और राजनीति से बाहर आइये, बाज आइए। 

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पटना: बिहार में लॉकडाउन पांच मई से 15 मई तक के लिए लगाया गया है। सीएम नीतीश कुमार के ऐलान के बाद राज्य सरकार ने लॉकडाउन की गाइडलाइंस जारी कर दी है। अगले 15 मई तक बिहार के सारे सरकारी-गैर सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। दुकानें नहीं खुलेंगी और आम लोगों को बेवजह सड़कों पर आवागमन की अनुमति नहीं रहेगी।सरकार ने कुछ चीजों की छूट दी है।

राज्य के मुख्य सचिव, विकास आयुक्त, पुलिस महानिदेशक, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने मंगलवार को 12.15 बजे मीडिया से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत में कहा कि प्रदेश में कोरोना के लगातार मरीजों की संख्या बढ़ने और हाईकोर्ट के निर्देशों के आधार पर पांच से 15 मई तक लॉकडाउन लगाने का फैसला किया गया है। इस फैसले के अनुसार राज्य सरकार के सारे कार्यालय बंद रहेंगे। जिला प्रशासन, पुलिस, जल आपूर्ति, बिजली, स्वास्थ्य, दूरसंचार, डाक विभाग जैसी सेवाओं के दफ्तर को इसमें छूट रहेगी। अस्पताल, जांच लैब और दवा दुकानें खुली रहेंगी।

अधिकारियों ने कहा कि  सभी दुकानें और गैर सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। बैंकिग, बीमा, एटीएम, औद्योगिक इकाई, पेट्रोल पंप, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इससे छूट मिलेगी। किराना यानी खाने-पीने के सामान की दुकानें, फल और सब्जी की दुकानें, मांस-मछली, दूध और पीडीएस की दुकानें सुबह सात बजे से लेकर 11 बजे तक खुलेंगी। सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर आना-जाना पूरी तरीके से प्रतिबंधित रहेगा। आवश्यक काम से लोग घर से बाहर निकल सकते हैं लेकिन उसके लिए उन्हें बाजिव कारण का सबूत अपने पास रखना होगा। 

सार्वजनिक परिवहन में 50 प्रतिशत उपयोग की अनुमति रहेगी। सभी विद्यालय-महाविद्यालय, कोचिंग संस्थान, प्रशिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। रेस्टोरेंट और खाने की दुकाने बंद रहेगी। इनका संचालन केवल होमडीलिवरी रहेगा जो सुबह के नौ बजे से रात के नौ बजे तक अनुमान्य रहेगा। सभी धार्मिक स्थल आमजनों के लिए बंद रहेगा।

इसके अलावा सभी जिलाधिकारी अपने-अपने जिलान्तर्गत चिन्हित स्थानों पर सामुदायिक किचन स्थापित करेंगे। रोजगार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के अन्तर्गत और शहरी क्षेत्र में शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्य पर रोक नहीं रहेगी।

 

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Aara: जिले में बालू घाटों की बंदोबस्तधारी को मेसर्स ब्रॉडसन कामोडिटिज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बालूघाटों की बंदोबस्ती को सरेंडर करने के कारण सहायक खनन निदेशक प्रमोद कुमार ने सभी बालू घाटों को सील करते हुए घाटों के संचालन पर रोक लगा दिया है. साथ ही जिला खनन पदाधिकारी ने सभी अंचलाधिकारियों एवं थानाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि बालू घाटों का संचालन बंद रहने के दौरान किसी भी परिस्थिति में अवैध बालू उत्खनन, परिवहन एवं भंडारण पर पूर्ण रूप से रोक लगाना सुनिश्चित करेंगे.

अवैध बालू खनन, परिवहन एवं भंडारण पर रोक लगाने के उद्देश्य से कोइलवर थाना क्षेत्रांतर्गत झलकूनगर, इंग्लिशपुर तथा बड़हरा थाना क्षेत्रांतर्गत फुंहा एवं डोरीगंज के पास अस्थायी चेकपोस्ट बनाया गया है. जहां दंडाधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति भी की गयी है.

अनुमंडल पदाधिकारी एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी आरा एवं पीरो के अलावा जिला परिवहन पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि चेकपोस्ट पर वाहनों की जांच का नियमित पर्यवेक्षण करेंगे तथा नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों के विरूद्ध नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई करेंगे. अवैध बालू खनन को रोकने के उद्देश्य से सहायक निदेशक खनन के द्वारा फरहंगपुर, मानाचक (जमालपुर) एवं अन्य बालू घाटों पर जाने वाले रास्ते को कटवाया गया, ताकि अवैध उत्खनन और परिवहन पर रोक लगाया जा सके.

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मुज़फ़्फ़रपुर:  कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच चमकी बुखार के मामलों में हर रोज इजाफा हो रहा है। जिसकी वजह से अब जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है। एक तरफ जहां कोरोना का संक्रमण जिले में तेजी से ग्रामीण इलाकों में भी फैल रहा है तो दूसरी तरफ चमकी बुखार के मामले में हर रोज इजाफा हो रहा है।   

एसकेएमसीएच प्रशासन के द्वारा दिए गए ताजा अपडेट के अनुसार आज यानी सोमवार को एक चमकी बुखार के लक्षण वाले बच्चे में AES की पुष्टि हुई है जिसकी वजह से आंकड़ा अब 13 पहुंच गया है । इस वर्ष अब तक 13 बच्चों में AES पुष्टि हुई है। जिसमें से 2 बच्चे जान गवा चुके हैं । वही AES पुष्टि वाले तीन बच्चे एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में अभी भर्ती हैं ।च

मकी बुखार के लक्षण वाले दो सस्पेक्टेड बच्चे भी भर्ती हैं । वही लगातार बढ़ते चमकी बुखार के मामलों को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है ।समुचित इलाज के लिए एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में पूरी व्यवस्था है लेकिन लगातार मामले आने से कहीं ना कहीं जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं.

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पटना: राज्य में नाइट कर्फ्यू लगाने के बावजूद भी संक्रमण की रफ़्तार कम नहीं हो रही है। प्रतिदिन 11-12 हजार से ज्यादा मामले आ रहे हैं। ऐसे में सबकी निगाहें लॉकडाउन के विकल्प पर टिकी हुई हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद पटना की सड़क पर निकल कर स्थिति का जायजा लिया और निरीक्षण करने के बाद उन्होंने बिहार के दोनों उपमुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत बिहार सरकार के कई विभाग के अधिकारी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाई लेवल मीटिंग की।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तमाम गतिविधियों से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सीएम नीतीश जल्द ही कोई बड़ा कदम उठाने वाले हैं। बिहार में सरकार लॉकडाउन लगा सकती है।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोना संकट को देखते हुए नीतीश कुमार मंगलवार की बैठक में बिहार में 14 दिन का लॉकडाउन लगाने का फैसला ले सकते हैं। कल मंगलवार को आपदा प्रबंधन समूह की बैठक तय की गई है। माना जा रहा है कि मंगलवार को होने वाली बैठक में कई अहम निर्णय लिये जा सकते हैं। संक्रमण की रोकथाम के लिए कई नए आवश्यक निर्देश भी जारी होने की संभावना है।
बतादें कि डॉक्टरों के संगठन आईएमए ने बिहार में 15 दिन के लॉकडाउन की मांग की है। डॉक्टरों के संगठन का कहना है कि अगर लॉक डाउन नहीं किया गया तो कोरोना के भयावह रूप को रोक पाना संभव नहीं होगा। आईएमए अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद के अनुसार उन्होंने तो 15 दिन पहले ही देश में लॉकडाउन की मांग की थी लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया और आज नतिजा सबके सामने है। 
उधर, सोमवार को बिहार में कोरोना संक्रमण के चलते बिगड़ते हालात पर पटना हाईकोर्ट ने कड़ा एतराज जताया है और राज्य सरकार से पूछा है कि लॉकडाउन लगाने की क्या तैयारी है।अदालत ने सरकार से मंगलवार को जवाब देने को कहा है। 

 

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पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण के कारण बिगड़ते हालात को लेकर पटना हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई हुए कहा कि आपकी सरका पूरी तरह से विफल है। ऐसा न हो कि हमें ही आगे बढ़कर लॉकडाउन लगाना पड़े।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मंगलवार तक इस पर जवाब मांगा है कि बिहार में लॉकडाउन लगेगा या नहीं। इस पर सरकार की तरफ से आज कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया। इसके बाद जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह और जस्टिस मोहित कुमार साह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए मौखिक रूप कहा कि यह टोटल फेल्योर की स्थिति है। राज्य के अंदर संक्रमण बेकाबू है और सरकार सही तरीके से जवाब नहीं दे पा रही। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए यहां तक कह डाला कि ऐसा ना हो कि लॉकडाउन लगाने का आदेश कोर्ट को देना पड़े।

हाईकोर्ट की तरफ से फटकार लगने के बाद राज्य के महाधिवक्ता ललित किशोर ने तुरंत कहा कि वह सरकार के प्रमुख लोगों से संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं। हाईकोर्ट की नाराजगी से सरकार में हड़कंप मच गया है। दोनों जजों की खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार को वार रूम खोलने का निर्देश दिया। इस वार रूम में पांच विशेषज्ञों को रखने का फैसला किया गया है।

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Patna: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार देर शाम दोनों डिप्टी सीएम सहित प्रधान सचिव के साथ बैठक के बाद विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के फंड में से दो-दो करोड़ रुपये की कटौती करने का फैसला किया. सरकार ने इस तरीके से 600 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटा लिया है.

बिहार सरकार के योजना एवं विकास विभाग ने इस बाबत पत्र निकाला है. विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने जारी किये गये पत्र में कहा गया है कि कोरोना महामारी की बिहार में रोकथाम औऱ इससे संक्रमित लोगों के इलाज के बंदोबस्त के लिए सरकार ने फैसला किया है कि विधायक-विधानपार्षद सदस्यों के फंड से पैसे लिये जायें. अब उनके फंड से दो-दो करोड़ रुपये की राशि ली जायेगी, जिसे स्वास्थ्य विभाग के कोरोना उन्मूलन कोष में जमा किया जायेगा.

बिहार में अभी विधायकों की संख्या 242 है. वहीं, विधान पार्षदों की संख्या भी 70 के करीब है. दोनों की संख्या जोड़ कर 312 होती है. ऐसे में सरकार के कोरोना उन्मूलन कोष में 624 करोड़ रुपये जमा हो जायेंगे.

हालांकि, कई विधायक औऱ विधान पार्षदों ने पहले ही कोरोना से निपटने के लिए अपने फंड से पैसे देने का एलान कर रखा है. इनमें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव भी शामिल है. वैसे मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना से दो-दो करोड़ रुपये लेने के लिए आज जारी पत्र में कहा गया है कि इस दो करोड़ के अलावा भी कोई विधायक या विधान पार्षद पैसा देना चाहते हैं तो सरकार उसका स्वागत करेगी.

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पटनाः वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक्रेडिटेड नन एक्रेडिट प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया के पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर मानते हुए टीकाकरण कराने के निर्णय का स्वागत करते हुए हर सहयोग की पेशकश की है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनन्द कौशल ने कहा कि संगठन अपने गठन के साथ ही वेब पत्रकारों के हक़ हकूक की लड़ाई पूरी शिद्दत और खामोशी से लड़ती आई है, हमारे संघर्ष के ही परिणामों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है।

बिहार प्रदेश अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने कहा कि फैसला स्वागत योग्य है पर काफी देर से आया है, इसे टीकाकरण के पहले फेज में लाया जाना चाहिए था। संगठन वेब पत्रकारों के हितों की लड़ाई लड़ता रहेगा।

संगठन के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अमित रंजन ने कहा कि देर से लिया गया एक दुरुस्त फैसला है। संगठन इसका स्वागत करता है और इसके अनुपालन में संगठन हर सहयोग को तैयार है।

संगठन के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता निखिल केडी वर्मा ने कहा कि काश यह फैसला थोड़ा पहले आया होता तो तमाम साथी जो जो कोरोना की भेंट चढ़ गये आज हमारे साथ होते।

बताते चलें कि सीएमओ ने एक प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से जानकारी दी गयी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पत्रकारों के हित में राज्य सरकार का बड़ा निर्णय राज्य सरकार द्वारा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा एक्रिडिएटेड सभी पत्रकारों के साथ-साथ जिला जनसंपर्क पदाधिकारी द्वारा सत्यापित नन एक्रिडिएटेड पत्रकारों (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक,एवं वेब मीडिया आदि)को प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 टीकाकरण (Vaccination) हेतु फ्रंटलाइन वर्कर की श्रेणी में शामिल करने का निर्णय लिया गया है |

ऐसे सभी चिन्हित पत्रकारों को प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 का टीकाकरण किया जाएगा कोरोना संक्रमण (Corona Virus) के दौर में पत्रकार अपनी भूमिका का बेहतर निर्वहन कर रहे हैं और कोरोना संक्रमण के खतरों के प्रति भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं | इसी अनुसार सरकार ने बड़ा निर्णय पत्रकारों के हित में लिया है।

संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रजनीशकांत, माधो सिंह, अमिताभ ओझा, आशीष शर्मा ऋषि, द्विवेदी, कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश अश्क़, राष्ट्रीय सचिव सुरभित दत्त, मुरली मनोहर श्रीवास्तव, टी स्वामिनाथन, संयुक्त सचिव मधूप मणि पिक्कू, मनोकामना सिंह, डॉ. लीना, जितेन्द्र सिंह, डॉ. राजेश अस्थाना, अकबर इमाम, मंजेश कुमार, बिहार प्रदेश महासचिव रजनीकांत पाठक, पश्चिम बंगाल कमिटी अध्यक्ष चंद्रचूड गोस्वामी, महासचिव अनामिका डे सहित सैकड़ों सदस्य वेब पत्रकारोऔ ने इस निर्णय का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए बिहार सरकार और इसके मुखिया नीतीश कुमार के प्रति आभार व्यक्त किया है।

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Patna: राज्य सरकार ने त्रिपुरारी शरण को बिहार का मुख्य सचिव नियुक्त किया है. 1985 बैच के IAS अधिकारी त्रिपुरारी शरण अरुण कुमार सिंह की जगह लेंगे. जिनके कोरोना से निधन के बाद पद खाली था.
अरुण कुमार सिंह का शुक्रवार को कोरोना से निधन हो गया था.

वही दूसरी ओर 7 IAS अधिकारियों का तबादला भी किया गया है. संजीव कुमार सिन्हा को राजस्व परिषद अध्यक्ष-सह-सदस्य, सुधीर कुमार को मुख्य जांच आयुक्त, वंदना किनी को श्रम संसाधन अपर मुख्य सचिव का पदभार.

वही मिहिर कुमार सिंह को तिरहुत, प्रेम सिंह मीणा को भागलपुर और मनीष कुमार को दरभंगा प्रमंडल का आयुक्त बनाया गया है.

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पटना: बिहार में तेजी से बढ़ रहे वैश्विक महामारी के प्रकोप से छात्र, छात्राओं को बचाने के लिए राज्यपाल फागू चौहान ने शुक्रवार को एक  बड़ा कदम उठाया है. राजभवन ने यह निर्णय लिया है कि 31 मई 2021 तक सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को बंद रखा जायेगा. 
संयुक्त सचिव आईएएस राजकुमार सिन्हा की ओर से बिहार के सभी वाइस चांसलरों को यह आदेश शुक्रवार को जारी किया गया है कि जून के बदले मई महीने में ही प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में गर्मी की छुट्टी रहेगी.
संयुक्त सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. साथ ही इस पत्र में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि एक मई से 31 मई की अवधि में प्रस्तावित परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. ये परीक्षाएं अब एक जून से 15 जून के बीच ली जाएंगी.

 

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