बिहार में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए अनलॉक- 7 में लगाए गए प्रतिबंध को आगे भी जारी रखने का फैसला लिया गया है. 16 नवंबर से 22 नवंबर तक के लिए गाइडलाइन्स जारी की गई है. जिसमें विवाह समारोह में डीजे और बारात पर रोक जारी रखी गई है. हालांकि नये आदेश में अतिथियों की संख्या का कोई जिक्र नहीं किया गया है.

शादी-विवाह के लिए मंगल तिथियां सामनेआ चुकी है. चातुर्मास के दौरान बंद रहे शादी-विवाह, मुंडन जैसे शुभ काम देवउठनी एकादशी (14 नवंबर 2021) से शुरू हो गये हैं. लेकिन लगन के इस दौर में भी लोगों को सावधानी बरतनी ही होगी. सरकार ने कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए पहले की तरह अभी 22 नवंबर तक के लिए बारात और डीजे पर रोक लगा दी है. नये आदेश में इसका जिक्र नहीं किया गया है कि समारोह में अतिथियों की संख्या कितनी होगी. लेकिन समारोह में कोविड गाइडलाइन्स के अनुकूल व्यवहार करने की सलाह दी गई है.

विवाह की पूर्व सूचना कम से कम तीन पहले अपने स्थानीय थाने में देनी होगी. वहीं सभी तरह के सामाजिक, राजनीतिक, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों के लिए जिला प्रशासन की अनुमति भी अनिवार्य रुप से लेनी होगी. सिनेमाहॉल के लिए भी अभी सतर्कता बरतने का निर्देश जारी किया गया है. 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ ही सिनेमाहॉल संचालित किये जाएंगे.

क्लब, जिम और स्विमिंग पूल में भी क्षमता से आधी संख्या में ही लोगों को जाने की अनुमति रहेगी. रेस्तरां और खाने की दुकानों में भी क्षमता से 50 प्रतिशत लोगों को ही बैठाने की अनुमति दी गई है. वहीं सभी प्राइवेट और सरकारी कार्यालयों में कोराना वैक्सीन का डोज ले लिये लोगों को ही प्रवेश दिया जाएगा. सार्वजनिक परिवहनों में सीट की संख्या इतने ही लोगों को बैठाया जा सकेगा.खड़े रहकर यात्रा करने की इजाजत नहीं मिलेगी. वहीं बाजार में शारीरिक दूरी और मास्क के नियमों का पालन नहीं करने पर कार्रवाई होगी.

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पटना: संविधान निर्माण समिति के प्रथम अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की उपेक्षा पर राज्यसभा के पूर्व सांसद और भाजपा के संस्थापक सदस्य आरके सिन्हा ने नाराजगी जताई। साथ ही डॉ सच्चिदानंद को मृत्योपरांत भारतरत्न देने के लिए अनुशंसित करने की पुरजोर मांग बिहार सरकार से की।

डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए शनिवार को पूर्व सांसद ने कहा कि डॉ सच्चिदानंद सिन्हा 1891 में मात्र 20 वर्ष की आयु में बैरिस्टर बन गए थे। जब वह बैरिस्टर की पढ़ाई करके पानी के जहाज से स्वदेश लौट रहे थे तब किसी ने उनसे मजाक में यह कह दिया था कि भारत के नक्शे में बिहार कहां है, यह बताइए। उस समय बिहार बंगाल प्रान्त का ही एक भाग था।

डॉक्टर सिन्हा को यह बात दिल में चुभ गई। आखिर वह बिहार को नक्शे पर दिखाते तो कैसे? पटना आते ही उन्होंने बिहार को अलग करने का आंदोलन शुरू कर दिया। 20 वर्षों के अथक जन आंदोलन और कानूनी लड़ाई के बाद 1911 में बिहार को अलग राज्य की मान्यता मिली। यह डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा की लड़ाई का ही नतीजा था।

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बिहार सरकार से पुरजोर मांग की कि बिहार विधान सभा परिसर में, उनके गृह जिले आरा में और जन्मस्थान ग्राम मुरार, डुमराव में डॉ. सिन्हा की आदमकद प्रतिमा लगाई जाये। साथ ही बिहार सरकार उनके को नाम “मृत्योपरान्त भारतरत्न” के लिये अनुशंसित करे। सिन्हा ने कहा कि जब कोलकाता विश्वविद्यालय से अलग होकर बिहार में पहला विश्वविद्यालय पटना विश्वविद्यालय बना था, तब डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा ही इस प्रथम विश्वविद्यालय के कुलपति बनाये गये और नौ वर्षों तक लगातार उप-कुलपति रहे । इसलिए यह उचित होगा कि पटना या पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का नाम डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा विश्वविद्यालय किया जाये। प्रेस वार्ता में पूर्व मंत्री रणजीत सिन्हा भी उपस्थित थे।

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पटना: बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने वालों के लिए अच्छी खबर है।बिहार में शिक्षक के 45852 पदों पर बीपीएससी के माध्यम से बहाली की जाएगी। यह बहाली बीपीएससी के जरिये लिए जायेंगे। बिहार में जिलावार भी बहाली की जानी है, इसे लेकर शिक्षा विभाग ने अपनी सूची को तैयार कर लिया है। इस संबंध में सरकार जल्द ही नोटिस निकालेगी, इसके बाद ऑनलाइन बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी।

बीपीएससी के माध्यम से बिहार में 40,518 शिक्षक तथा 5,334 प्रधानाध्यापक की नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए सीटें बांट दी गयी है। शिक्षक के पदों पर चयन लिखित परीक्षा के माध्यम से होगी।शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुसार सभी जिलों से रोस्टर क्लियरेंस की रिपोर्ट आने के बाद उसकी विभागीय स्तर पर समीक्षा होगी। रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाएगा कि सरकार की ओर से लागू आरक्षण के फार्मूले के तहत किस जिले में कितने सीटें किस कोटि में आरक्षित हुईं हैं। जिसके बाद सभी सृजित पदों पर प्रधान शिक्षक एवं प्रधानाध्यापकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी।

बिहार के अररिया में 1327, अरवल में 335, औरंगाबाद में 1093, बांका में 1220, बेगूसराय में 738, भागलपुर में 902, भोजपुर में 1139, बक्सर में 651, दरभंगा में 1424, पूर्वी चंपारण में 1914, गया में 1697, गोपालगंज में 1055, जमुई में 828, जहानाबाद में 547, कैमूर में 612, कटिहार में 1115, खगडिय़ा में 544, किशनगंज में 812, लखीसराय में 473, मधेपुरा में 810, मधुबनी में 1883, मुंगेर में 536, मुजफ्फरपुर में 1632, नालंदा में 1352, नवादा में 963, पटना में 1984, पूर्णिया में 1354, रोहतास में 1271, सहरसा में 754, समस्तीपुर में 1540, सारण में 1436, शेखपुरा में 247, शिवहर में 216, सीतामढ़ी में 1107, सिवान में 1209, सुपौल में 1047, वैशाली में 1112, पश्चिम चंपारण में 1639 पदों पर बहाली होनी है।

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पटना: पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के सीतापुर-तप्पा खजूरिया-परसेण्डी स्टेशनों के बीच प्री-नाॅन इंटरलॉकिंग व नाॅन इंटरलॉकिंग का काम होना है. इससे 16 से 24 नवंबर तक इस रेलखंड से गुजरने वाली पूमरे की 11 स्पेशल ट्रेनें बदले मार्ग से चलेंगी. 05621 कामाख्या-आनंद विहार टर्मिनस 18 नवंबर को, 05251 दरभंगा-जलंधर सिटी 20 नवंबर को, 04653 न्यू जलपाई गुड़ी-अमृतसर 19 नवंबर को, 05211 दरभंगा–अमृतसर 18, 20 व 22 नवंबर को, 04697 बरौनी-जम्मूतवी 21 नवंबर को चलेगी.

05655 कामाख्या-श्रीमाता वैष्णो देवी कटरा 21 नवंबर को, 04009 बापूधाम मोतिहारी-आनंद विहार टर्मिनस ट्रेन 21 व 23 नवंबर को बदले रास्ते से चलेगी. अमृतसर से 19 नवंबर को चलने वाली 02408 अमृतसर-न्यू जलपाई गुड़ी, जम्मूतवी से 19 नवंबर को चलने वाली 04698 जम्मू तवी-बरौनी, जालंधर सिटी से 21 नवंबर को चलने वाली 05252 जलंधर सिटी-दरभंगा, अमृतसर से 20 व 22 नवंबर को चलने वाली 05212 अमृतसर-दरभंगा स्पेशल ट्रेन रोजा-सीतापुर-बुढ़वल के स्थान पर बदले मार्ग रोजा-लखनऊ-बुढ़वल के रास्ते चलेगी.
छठ पूजा संपन्न होने के बाद वापसी के लिए रेलवे की ओर से चलाये स्पेशल ट्रेनों में भीड़ बढ़ने लगी है. शुक्रवार को पटना जंक्शन पर आरपीएफ ने लाइन लगा कर यात्रियों को ट्रेन में चढ़ाया.ताकि ट्रेन में चढ़ने के दौरान भगदड़ की स्थिति नहीं हो. छठ पूजा में आनेवाले अब अपने-अपने जगहों पर वापस लौटने लगे हैं. पटना जंक्शन पर आरपीएफ ने छठ स्पेशल ट्रेन पटना-पुणे, पटना-आनंद विहार टर्मिनस व राजगीर-आनंद विहार टर्मिनस में यात्रियों की भीड़ को देखते हुए लाइन लगा कर चढ़ाया.

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पटना:  बिहार के पूर्णिया में पूर्व जिला पार्षद की ओर से नौ दिन पूर्व ही उनकी हत्या की आशंका जताने के बाद प्राथमिकी दर्ज कराने के बावजूद भी पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इसे लेकर अब विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बिहार पुलिस को जदयू का कार्यकर्ता बताया है।

तेजस्वी ने शनिवार को ट्वीट करते हुए लिखा है कि जिला पार्षद ने बिहार पुलिस यानी जदयू पुलिस सह कार्यकर्ता को लिखित शिकायत की थी कि जदयू की बिहार सरकार में मंत्री लेसी सिंह का भतीजा उनकी हत्या करवा सकता है लेकिन जदयू पुलिस अपना कार्यकर्ता वाला फर्ज़ निभाने में तत्पर रही और उसकी हत्या हो गयी। तेजस्वी ने लिखा कि बिहार से अच्छा कानून का राज कहीं होगा क्या, जहां पुलिस ही नागरिकों और निर्वाचित विपक्षी जनप्रतिनिधियों की हत्या करवाती हो, जहाँ पुलिस ही शराब की तस्करी करती हो, जहाँ पुलिस ही थानों से शराब बेचती हो, जहां पुलिस सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता के रूप मेन कार्य करती हो?

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Patna: राज्य के सरकारी विद्यालयों में पंचायती राज और नगर निकायों के लेकर माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत साढ़े तीन लाख शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों के वेतन में इजाफा हुआ है. अब उनके 15 प्रतिशत बढ़े हुए वेतन के भुगतान हेतु जल्द ही वेतन निर्धारण होगा. वेतन निर्धारण आनलाइन कैलकुलेटर से होगा. आनलाइन कैलकुलेटर तैयार कराया जा रहा है.

शुक्रवार को शिक्षा विभाग के उप सचिव अरशद फिरोज द्वारा जारी आदेश के मुताबिक 15 प्रतिशत बढ़े हुए वेतन का भुगतान एक अप्रैल, 2021 के प्रभाव से होगा. एक अप्रैल, 2021 के प्रभाव से शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि होगी. यहां बता दें कि पंचायती राज और नगर निकायों के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए 5,200 से 20,200 के वेतनमान के साथ ग्रेड पे क्रमश: 2,000, 2,400 एवं 2,800 लागू है. यह भी प्रविधान है कि उन्हें समय-समय पर राज्य सरकार के कर्मियों के अनुरूप घोषित महंगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता, मकान किराया भत्ता एवं देय वार्षिक वेतन वृद्धि देय होगा. साथ ही ग्रेड पे की देयता उनकी सेवा के दो वर्ष पूरा होने के बाद देय होगा. शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए पे-मैट्रिक्स तय है. इस बीच शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के वर्तमान वेतन संरचना में सुधार के लिए राज्य सरकार ने एक अप्रैल, 2021 के प्रभाव से उनके मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि का आदेश 29 अगस्त, 2020 को जारी किया था. उसके बाद वेतन निर्धारण के लिए गत मार्च में फाइल वित्त विभाग को भेजी गई थी. वित्त विभाग के परामर्श के बाद शिक्षा विभाग ने वेतन निर्धारण का आदेश जारी किया है.

शिक्षा विभाग तैयार कर रहा आनलाइन कैलकुलेटर

आदेश के मुताबिक पे मैट्रिक्स के तहत शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के मूल वेतन में 1.15 से गुणा कर जो राशि आएगी, उसे पे मैट्रिक्स के सापेक्ष अथवा ठीक ऊपर के लेवल के अनुसार निर्धारित करते हुए एक अप्रैल, 2021 से वित्तीय लाभ अनुमान्य होगा. वेतन निर्धारण के लिए शिक्षा विभाग आनलाइन कैलकुलेटर तैयार कर रहा है.

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Patna :  बीपीएससी द्वारा राज्य के प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में सृजित 45,852 पदों पर प्रधानाध्यापकों की बहाली को लेकर शिक्षा विभाग ने तैयारी तेज कर दी है. इनमें 40,518 प्रधान शिक्षक और 5,334 प्रधानाध्यापक के पदों पर नियुक्ति की अधियाचना भेजने की तैयारी है. शिक्षा विभाग को संबंधित पदों पर बहाली के लिए अधिकांश जिलों से आरक्षण संबंधी रोस्टर क्लियरेंस की रिपोर्ट आ गई है. जिन जिलों से रिपोर्ट नहीं मिली है उनके जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को अविलंब देने को कहा गया है.

प्रारंभिक विद्यालयों में पहली बार प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति होनी है. इसी तरह नवस्थापित माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में भी प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति होनी है, जो लिखित परीक्षा के आधार पर होगी. नियुक्त होने वाले प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक सीधे शिक्षा विभाग के अधीन होंगे. शिक्षा विभाग के मुताबिक सृजित पदों का सभी 38 जिलों के बीच बंटवारा करते हुए रोस्टर क्लियरेंस के निर्देश के साथ जिलों को भेजे गये थे. इसकी रिपोर्ट 23 अक्तूबर तक ही मांगी गयी थी. लेकिन, मियाद पूरी होने के बावजूद सभी जिलों ने रिपोर्ट नहीं भेजी थी. इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (स्थापना) को रोस्टर क्लियरेंस रिपोर्ट देने को कहा है.

प्रधान शिक्षकों के जिलावार पदों की संख्या

अररिया में 1327, अरवल में 335, औरंगाबाद में 1093, बांका में 1220, बेगूसराय में 738, भागलपुर में 902, भोजपुर में 1139, बक्सर में 651, दरभंगा में 1424, पूर्वी चंपारण में 1914, गया में 1697, गोपालगंज में 1055, जमुई में 828, जहानाबाद में 547, कैमूर में 612, कटिहार में 1115, खगडिय़ा में 544, किशनगंज में 812, लखीसराय में 473, मधेपुरा में 810, मधुबनी में 1883, मुंगेर में 536, मुजफ्फरपुर में 1632, नालंदा में 1352, नवादा में 963, पटना में 1984, पूर्णिया में 1354, रोहतास में 1271, सहरसा में 754, समस्तीपुर में 1540, सारण में 1436, शेखपुरा में 247, शिवहर में 216, सीतामढ़ी में 1107, सिवान में 1209, सुपौल में 1047, वैशाली में 1112, पश्चिम चंपारण में 1639 पद.

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भागलपुर: भागलपुर में बियाडा के औद्योगिक क्षेत्र में जमीन की कीमत जल्द कम होगी। बनारस के तर्ज पर भागलपुर में सिल्क और हैंडलूम के विकास के लिए 50 करोड़ से लेकर 100 करोड़ रुपए तक का निवेश होगा। चाहे भागलपुर की बंद पड़ी इकाइयां हों या पुराने उद्योग, इसमें जान फूंकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने ये सभी बातें शुक्रवार को भागलपुर के जिला समाहरणालय में आयोजित उद्योग संवाद कार्यक्रम में कही।

उद्योग संवाद का आयोजन जिले में नए उद्योगों की स्थापना से लेकर बंद पड़ी इकाइयों और पुराने उद्योगों की समस्याओं को दूर करने के मकसद से किया गया। उद्योग संवाद में जिले के सभी संबंधित अधिकारियों को बुलाया गया ताकि उद्योग की समस्याएं सुनकर तत्काल उसका हल किया जा सके। उद्योग संवाद में जिले की बहुत सी औद्योगिक इकाइयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उद्योग संवाद में बुनकरों की भी समस्याएं सुनी गई। भागलपुर के उद्योग जगत की समस्याएं सुनने के बाद बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि उद्योग संवाद में जो भी दिक्कतें सामने आई हैं, उसे तत्काल ही जिले के सभी संबंधित अधिकारियों के साथ चर्चा कर समाधान करने की कोशिश हुई है।

उन्होंने कहा कि जिले में उद्योग का विकास उनकी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है। जबसे उन्होंने उद्योग मंत्री का पद संभाला है उनकी एक ही फिक्र है कि उद्योगों की स्थापना कैसे हो। उन्होंने कहा कि वो बड़े उद्योगों की स्थापना की कोशिश में हैं तो बुनकरों की भी हर संभव मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बुनकरों के लिए कार्यशील पूंजी की व्यवस्था की गई है तो आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर पूरे देश में 75 खादी – हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट हाट लगाने के लिए भी कोशिशें चल रही हैं। उन्होंने कहा कि खादी – हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट हाट का आयोजन सीएसआर फंड से किया जाएगा। इसके लिए पब्लिक सेक्टर कंपनियों के साथ बिहार में उद्योग लगाने वाली नई कंपनियां भी सहयोग करेंगी।

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पटना: नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) बाढ़ थर्मल पावर स्टेशन के 660 मेगावाट की तीसरी इकाई से वाणिज्यिक प्रचालन की उद्घोषणा के साथ ही इस प्लांट की तीसरी इकाई से विद्युत उत्पादन शुक्रवार मध्य रात्रि (12 बजे) शुरू हो जाएगी।

बाढ़ परियोजना के कार्यकारी निदेशक व परियोजना प्रमुख,एसएन. त्रिपाठी ने बताया कि परियोजना की 660 मेगावॉट की तीसरी इकाई 12 नवंबर आधी रात से वाणिज्यिक उत्पादन के शुरुआत के साथ एनटीपीसी बाढ़ की कुल उत्पादन क्षमता 1,320 मेगावाट बढ़कर 1,980 मेगावाट हो गई है । इसके साथ इस इकाई से अतिरिक्त 401 मेगावॉट विद्युत की आपूर्ति भी बिहार को आज आधी रात से होने लगेगी और यह इकाई बिहार में बिजली की खपत में लगातार बढ़ रही मांग को पूरी करने में निश्चित तौर पर सहायक होगी । इस परियोजना की 660 मेगावॉट की चौथी व पांचवी इकाईयों का निर्माण कार्य भी युद्ध स्तर पर जारी है। इन यूनिट्स से भी तय समय के भीतर विद्युत उत्पादन शुरू करने के लिए टीम बाढ़ प्रयासरत है ।

इस अवसर पर इस उपलब्धि को साझा करते हुए एनटीपीसी पूर्वी क्षेत्र-1 के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक, प्रवीण सक्सेना के बताया कि टीम बाढ़ व सहायक एजेंसियों ने कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच इस उपलब्धि को जिस कार्य कुशलता और परियोजना प्रबंधन के नए प्रतिमानों के साथ हासिल किया है वह अद्वितीय है तथा इसके लिए सभी संबंधित बधाई के पात्र हैं। हम सभी को टीम- स्प्रिट के साथ-साथ योजनाबद्ध तरीके से इसके चौथी व पांचवे इकाईयों को भी समयबद्ध तरीके से लाने के लिए अभी से ही तय रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा ।

वर्तमान में एनटीपीसी के पूर्वी क्षेत्र-1 के तहत बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में कुल 8 परियोजनाएं में से 7 परियोजनाओं की 9,960 मेगावाट की विद्युत उत्पादन क्षमता है, जबकि 4,490 मेगावाट से भी अधिक की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। वर्तमान में एनटीपीसी से बिहार को 4,575 मेगावाट से भी अधिक का विद्युत का आबंटन है।

देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी एनटीपीसी देश की 25 प्रतिशत से भी अधिक बिजली जरूरतों को पूरा करने में एक अग्रणी व प्रभावी भूमिका निभा रही है और आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। वर्तमान में एनटीपीसी की 74 विद्युत संयंत्रों, जिनमें 31 से भी अधिक अक्षय व नवीकरणीय ऊर्जा संबन्धित परियोजनाएं शामिल हैं। इनके माध्यम से 67,657.5 मेगावाट की स्थापित क्षमता है। देश भर में स्थित कंपनी की विभिन्न परियोजनाओं में 16,500 मेगावॉट की थर्मल क्षमता से अधिक के अलावा 5,000 से भी अधिक मेगावाट की सौर परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।

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पटना: गंगा का जलस्तर घटने से गांधी सेतु के पूर्वी लेन के सुपरस्ट्रक्चर का निर्माण कार्य तेजी से शुरू हो गया है. साथ ही गंगा किनारे स्थित पिलरों पर डेक स्लैब के निर्माण की गति भी पहले से बढ़ी है. कई जगह स्टील ट्रश को चढ़ाने का काम पूरा हो चुका है जबकि कई जगह तेजी से काम हो रहा है. कुछ जगह डेक स्लैब को ढाला भी जा चुका है. यदि इसी गति से निर्माण कार्य जारी रहा तो इसे जून 2022 की घोषित तिथि से पहले ही पूरा कर लिया जायेगा.

गंगा नदी के भीतर गांधी सेतु के छह पिलर (पिलर संख्या 39 से 45 तक) स्थित हैं. इन पर कैंटलीवर तकनीक से पुल बनाया जा रहा हैं. इसके अंतर्गत सेतु के दोनों ओर से नदी के भीतर स्थित पिलरों पर स्टील ट्रश को बिछाने ओर डेक स्लैब बनाने का काम हो रहा है. इसके अंतर्गत इन दिनों पिलर संख्या 38 से 39 और 45 से 44 की आेर काम हो रहा है. पिलर संख्या 40 से 44 तक जेटी और बार्ज की मदद से स्टील ट्रश के इरेक्शन का काम शुरू किया गया है.

गांधी सेतु के 46 में से छह पिलरों पर स्टील ट्रश इरेक्शन के बाद डेक स्लैब को ढालने का काम भी पूरा हो चुका है. इनमें पिलर संख्या एक से चार तक और 27 से 30 तक शामिल है. 13 पिलरों पर स्टील इरेक्शन का काम पूरा हो गया है और सुपर स्ट्रक्चर का पूरा स्टील फ्रेम तैयार हाे चुका है. इनमें पिलर संख्या पांच से नौ, 31 से 38 और 44 से 46 तक शामिल हैं. बाकी अन्य पिलरों पर स्टील ट्रश इरेक्शन का काम चल रहा है.

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पटना: बालू खनन पर लगी रोक हटा ली गयी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिहार सरकार को बड़ी राहत मिली है. राज्य खनन विभाग को निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बालू खनन पर रोक से राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है. बालू खनन को लेकर राज्य सरकार ने जो फैसला किया था, उसको एनजीटी ने अपने गाइडलाइन के खिलाफ माना था और इसी वजह से बालू खनन के आदेश पर रोक लगा दी गयी थी. इससे बिहार सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को बालू खनन की अनुमति दे दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस रोक से सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है. बालू खनन के मुद्दे से निबटते समय पर्यावरण की सुरक्षा मानकों को सुरक्षित करने के लिए यह आदेश बहुत जरूरी था. जिस तरह अवैध खनन हो रहा था और लोगों के बीच संघर्ष देखा जा रहा था, इससे कई लोगों की जाने भी गयी हैं. इन बिन्दुओं पर विचार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला लिया है.

विभाग के प्रधान सचिव हरजोत कौर ने बताया कि 16 जिलों में बंदोबस्ती का प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल ने 1 अक्टूबर को मंजूर किया था. 8 जिलों में 50 फ़ीसदी अतिरिक्त शुल्क के साथ बंदोबस्ती होनी थी, लेकिन कोर्ट का फैसला आने के बाद अब इस पर आगे बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. अब सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बालू खनन पर लगी रोक को हटाने का निर्देश दे दिया है.

बिहार सरकार के फैसले पर ग्रीन ट्रिब्यूनल की आपत्ति के बाद राज्य में बालू घाटों की निविदा प्रक्रिया को रोक दिया गया था. बालू खनन के लिए टेंडर की प्रक्रिया 8 जिलों में चल रही थी, लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद सरकार ने फिलहाल इस पर अंतिम रोक लगा दी थी. निविदा प्रक्रिया पर रोक से जुड़ा आदेश खान एवं भूतत्व विभाग ने जारी किया था. विभाग में ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से 25 अक्टूबर को पारित किए गए आदेश के आधार पर रोक लगायी थी.

सरकार के इस फैसले के बाद पटना के अलावा भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास, गया, जमुई और लखीसराय में निविदा की प्रक्रिया रोक दी गयी थी. ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस निविदा प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे. ट्रिब्यूनल का कहना था कि पुराने पर्यावरण प्रमाणपत्रों के आधार पर बालू घाटों की निविदा कैसे की जा सकती है. ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में कानूनी सलाह ली और विवाद से बचने के लिए निविदा की प्रक्रिया को तत्काल स्थगित कर दिया.

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पटना/मुजफ्फरपुर (एजेंसी): बिहार में शराब से मौतों का सिलसिला रुक नहीं रहा है। जिले के कांटी थाना क्षेत्र के सिरसिया और बरियारपुर गांव में मंगलवार को एक-एक कर 10 लोगों की तबीयत बिगड़ गई, जिसमें से चार की मौत हो गई है। छह लोगों का इलाज चल रहा है।

तबीयत बिगड़ने के बाद परिजनों ने आनन-फानन में अस्पताल भेजा। इलाज के दौरान दो लोगों की सोमवार देर रात और दो की मंगलवार एक बजे दिन के करीब मौत हो गई। इलाके में चर्चा है कि शराब पार्टी के बाद इन सभी की तबीयत बिगड़ी थी। इसके बाद इन सभी को आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया गया था।

पंचायत चुनाव को लेकर उम्मीदवारों द्वारा इलाके में प्रचार प्रसार जोरों पर है। इसी दौरान पार्टी हुई थी। एहतियातन पुलिस ने इलाके में जांच पड़ताल शुरू कर दी है। इलाजरत लोगों के परिजनों से बातचीत और पूछताछ कर रही है, जिससे सच्चाई सामने आए।

एसपी जयंत कांत ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि मृतकों की पहचान अशोक राय (50), सुमित कुमार उर्फ गोपी (28) दिलीप राय (50) और रामबाबू राय उर्फ सिखिल (65) के रूप में हुई है। छह लोगों का इलाज चल रहा है।

एसएसपी जयंत कांत ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ उनके परिजनों के बयान आने के बाद ही पूरा मामला साफ होगा। फिलहाल जिस तरह से घटना घटी है, हाल ही में इसी तरह की घटना जिले के सरैया में भी घटी थी। एसएसपी ने बताया कि इलाके में छापेमारी चल रही है और पूरे घटनाक्रम पर पुलिस की नजर बनी हुई है।

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