बिहार विस चुनाव: एनडीए और महागठबंधन के घोषणा पत्रों के केंद्र में आधी आबादी

बिहार विस चुनाव: एनडीए और महागठबंधन के घोषणा पत्रों के केंद्र में आधी आबादी

पटना, 01 नवम्बर (हि.स.) बिहार विधानसभा चुनाव में आधी आबादी की अहमियत हर राजनीतिक दल बखूबी समझ रहा है। इसलिए एनडीए और महागठबंधन के घोषणा पत्रों में महिलाओं को केंद्र में रखा गया है। लेकिन अहम प्रश्न यह है कि एनडीए के ‘संकल्प पत्र’ और महागठबंधन के ‘तेजस्वी प्रण’ में आधी आबादी से किए गए वादे कितने मजबूत और व्यवहारिक हैं? गौरतलब है कि बिहार में करीब 3.5 करोड़ महिलाएं मतदाता हैं, जो कुल 7.43 करोड़ वोटर के करीब 50 प्रतिशत से थोड़ा ही कम है।

एनडीए का ‘संकल्प पत्र’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी से ही बिहार का विकास संभव है। ऐसे में एनडीए ने अपने संकल्प पत्र में महिलाओं को ‘आर्थिक स्वावलंबन’ की दिशा में आगे बढ़ाने पर फोकस किया है।

महिला मिशन करोड़पति व लखपति दीदी योजना

मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना से महिलाओं को 2 लाख तक की सहायता राशि देने का वादा किया है। 1 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाएंगे, ‘मिशन करोड़पति के माध्यम से चिह्नित महिला उद्यमियों को करोड़पति बनाने की दिशा में काम करेंगे।’

महिलाओं को उद्यमी बनाने पर फोकस

‘मिशन करोड़पति’ के ज़रिए सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले 5 वर्षों में बिहार की महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनें, बल्कि उद्यमी बनकर करोड़पति वर्ग में प्रवेश करें। इसके लिए बैंक लोन, ट्रेनिंग और डिजिटल मार्केटिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा किया गया है।

मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना

एनडीए ने अपने संकल्प पत्र में यह भी कहा है कि महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने के लिए 2 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इससे महिलाएं अपना छोटा व्यवसाय, दुकान या उद्योग शुरू कर सकेंगी।

महागठबंधन का ‘बिहार का तेजस्वी प्रण’

‘बिहार का तेजस्वी प्रण’ के नाम से महागठबंधन ने अपना घोषणापत्र जारी किया है। तेजस्वी प्रण में आधी आबादी को केंद्र में रखकर कई घोषणाएं की गई हैं।

माई-बहिन मान योजना

इस योजना के तहत बिहार की हर महिला को मासिक 2,500 रुपये की वित्तीय मदद का वादा किया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि यह महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूती देगा और घर की महिला को ‘परिवार की वित्त मंत्री’ बनाएगा।

महागठबंधन ने वादा किया है कि राज्य की कम्युनिटी मोबिलाइजर जीविका दीदियों को नियमित सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा और उन्हें मासिक 30,000 रुपया वेतन मिलेगा। अभी ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से काम करती हैं, जिनकी कमाई बहुत कम है। तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी सरकार बनने पर इन दीदियों को ‘सम्मानजनक वेतन और सामाजिक सुरक्षा’ मिलेगी।

तेजस्वी ने कहा है कि महिला सुरक्षा के लिए हर जिले में महिला हेल्पडेस्क और विशेष महिला थाने सशक्त किए जाएंगे। साथ ही महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार से जोड़ने के लिए ‘महिला रोजगार मिशन’ शुरू किया जाएगा।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ आशीष वशिष्ट के अनुसार, कई महिला सशक्तीकरण योजनाओं के कारण सीएम नीतीश इस वर्ग में लोकप्रिय रहे हैं। बिहार में सवा करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के अंतर्गत आर्थिक मदद पा रही हैं। रही बात महागठबंधन की तो उनके वादों पर महिलाओं का उतना भरोसा होता दिखता नहीं है। वहीं राजद के शासन काल का जंगलराज प्रदेशवासी खासकर महिलाएं भूली नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश चुनाव सह प्रभारी केशव प्रसाद मौर्य की मानें तो एनडीए का संकल्प पत्र बिहार के उज्जवल भविष्य का रोडमैप है। इसमें किसान, नौजवान, माताएं–बहनें, गरीब, श्रमिक और हर प्रतिभाशाली वर्ग के उत्थान की झलक है, जबकि महागठबंधन का ‘तेजस्वी—प्रण’ महाझूठ का महापुलिंदा है। हमारा वादा निभाने लायक है, उनका सिर्फ हवा में उड़ने वाला जुमला है। जबकि महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा एवं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘इतिहास में पहली बार किसी गठबंधन का घोषणा पत्र केवल 26 सेकंड में जारी किया गया। एनडीए को बिहार के लिए संकल्प पत्र नहीं ‘सॉरी पत्र’ लाना चाहिए! 14 करोड़ जनता के लिए सॉरी पत्र!’

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