Chhapra: जिलाधिकारी राजेश मीणा एवं पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार के द्वारा शारदीय नवरात्र के आगमन के साथ दुर्गा पूजा एवं विजयादशमी/दशहरा त्यौहार के शांतिपूर्ण एवं सौहार्द्र के साथ मनाए जाने के संबंध में जिलास्तरीय शांति समिति की बैठक समाहरणालय सभागार में आयोजित की गई।

जिलाधिकारी द्वारा उपस्थित शांति समिति के सदस्यों को बताया गया कि 26 सितंबर से कलश स्थापना के साथ नवरात्रि का प्रारंभ हो गया है, जिसका समापन 5 अक्टूबर को होना है। 2 अक्टूबर को सप्तमी, 3 अक्टूबर को महाष्टमी, 4 अक्टूबर को महानवमी एवं 5 अक्टूबर को विजयादशमी मनाया जाएगा। कई स्थानों पर दुर्गा पूजा के अवसर पर स्थाई पूजा स्थलों या अस्थाई पंडालों में माता की प्रतिमा भी बैठाई जाती है और मेले भी आयोजित किए जाते हैं। कहीं-कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। ऐसी स्थिति में पूरे सतर्कता एवं सजगता के साथ आपसी भाईचारे एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में त्यौहार को मनाने के लिए शांति समिति की बैठक रखी गई है।ताकि किसी भी प्रकार के लापरवाही से विधि व्यवस्था की समस्या या तनाव की स्थिति न उत्पन्न हो जाए।

इस अवसर पर जिलास्तरीय शांति समिति के गणमान्य सदस्यों ने अपनी बात रखते हुए अनुरोध किया कि दुर्गा पूजा एवं दशहरा के अवसर पर विभिन्न स्थलों पर मेले का आयोजन किया जाता है। विभिन्न थानों से आए हुए गणमान्य व्यक्तियों ने प्रशासन को आश्वस्त किया कि इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ गंगा जमुनी तहजीब को ध्यान में रखते हुए मनाया जाएगा।

इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि कोविड प्रतिबंधों के शिथिल होने के बाद व्यापक पैमाने पर त्यौहार मनाया जा रहा है। त्यौहार को देखते हुए विशेष रूप से अलर्ट रहने का निर्देश सभी प्रतिनियुक्त किए गए दंडाधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों को दिया गया है। सभी संवेदनशील स्थलों पर संयुक्त आदेश द्वारा दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति कर दिए जाने की जानकारी दी गई।

जिलाधिकारी ने डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध होने की जानकारी देते हुए कहा कि लाउडस्पीकर का प्रयोग अनुमति के साथ किया जा सकता है। पूजा के दौरान अश्लील गाने बजाने की अनुमति नहीं है। अश्लील एवं भद्दे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित न किया जाएं। अगर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना है, तो इसके लिए संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी से अनुमति लिया जाए।

जिलाधिकारी ने शांति समिति के सदस्यों को जानकारी दी कि पूजा पंडाल के आयोजन पर रोक नहीं है, लेकिन इसके लिए थाना स्तर से अनुमति लेना अनिवार्य है। जुलूस भी निकालने के लिए थाना से अनुज्ञप्ति लेनी होगी और इसके रूट का सत्यापन थानेदार द्वारा स्वयं करने के उपरांत अपनी अनुशंसा के साथ अनुमंडल पदाधिकारी को अनुमोदन हेतु भेजेंगे।

पुलिस अधीक्षक ने निर्देश दिया कि कोई भी पूजा समिति हथियार के साथ जुलूस नहीं निकालेंगे। इसकी अनुमति कदापि नहीं दी जाएगी। जुलूस निर्धारित मार्ग पर ही चले और इसके साथ दंडाधिकारी और पुलिस बल अनिवार्य रूप से लगाया जाए। सांप्रदायिक सौहार्द्र को भंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

जिलाधिकारी ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में मेले और पूजा के आयोजन में सावधानी और सतर्कता बरतनी आवश्यक है। सभी पूजा पंडालों में अग्निशमन यंत्रों एवं सीसीटीवी की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाए। अस्थाई विद्युत संयोजन भी विद्युत आपूर्ति विभाग से प्राप्त किया जाए, चोरी छुपे बिजली का प्रयोग पूजा में कदापि ना किया जाए। पूजा के आयोजन में स्वयंसेवकों की संख्या अच्छी होनी चाहिए। सभी स्वयंसेवक पहचान पत्र लगाकर उपस्थित रहें। पंडालों में प्रवेश एवं निकासी का मार्ग अलग-अलग रहे।

पूजा में लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु डीजे के प्रयोग की मनाही है। अश्लील गाने कदापि ना बजाएं। प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी एवं पुलिस बल भी लोगों को आवश्यकता पड़ने पर मार्गदर्शन देंगे एवं भीड़ को नियंत्रित करते रहेंगे।

पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट रूप से बतलाया कि डीजे प्रतिबंधित है, आपत्तिजनक गाने भी नहीं बजने चाहिए। शांति समिति के सदस्य हमारे ही अंग हैं, अतः प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन कराना उनका भी दायित्व है। इस समय नगर पालिका निर्वाचन भी संपन्न हो रहा है। ‌ अतः इसको देखते हुए विशेष रुप से सतर्क रहने की आवश्यकता है, ताकि सामाजिक एवं सांप्रदायिक तनाव की स्थिति नहीं उत्पन्न हो।

जिलाधिकारी ने शांति समिति के सदस्यों को जानकारी दी कि महत्वपूर्ण स्थलों पर रैपिड एक्शन टीम तैनात रहेगी। सभी डॉक्टर एवं हॉस्पिटल के स्टाफ भी तैयारी मोड में रहेंगे। अग्निकांड को रोकने के लिए फायर बिग्रेड भी तैयार रहेगी।
प्रतिमाओं के विसर्जन स्थल के संबंध मे जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार बहते हुए जल में प्रतिमा का विसर्जन ना कर अस्थाई तालाब में प्रतिमा का विसर्जन किया जाए। संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी विसर्जन हेतु अस्थाई तालाब का निर्माण कर उसमें पर्याप्त जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराएंगे। सभी पूजा समितियों को प्रशासन द्वारा निर्मित अस्थाई तालाबों में प्रतिमा का विसर्जन करना होगा।

बिना वीडियोग्राफी और दंडाधिकारी के साथ कोई विसर्जन जुलूस ना निकले यह सुनिश्चित कराया जाएगा। निर्धारित समय तक सभी पूजा समिति प्रतिमा का विसर्जन कार्य संपन्न कर लेंगे।

उक्त बैठक में उप विकास आयुक्त अमित कुमार, अपर समाहर्ता डॉक्टर गगन, जिला स्तरीय पदाधिकारीगण, थाना प्रभारीगण, एवं जिला शांति समिति के सदस्य व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आतंकी गतिविधियों में लिप्त पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने के केन्द्र सरकार के साहसिक फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने महागठबंधन सरकार को चुनौती दी कि यदि हिम्मत है तो वह आरएसएस पर प्रतिबंध लगाये।

सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद आतंकी संगठन के लोगों का मजहब देखकर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। राजद, कांग्रेस और जदयू के नेता प्रतिबंधित पीएफआई को पॉलिटिकल कवर देने के लिए इसकी तुलना आरएसएस जैसे देशभक्त और अनुशासित संगठन से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 12 जुलाई को फुलवारीशरीफ में एनआइए के छापे से पीएफआई के आतंकी नेटवर्क और 2047 तक भारत की धर्मनिरपेक्षता को कुचल कर इसे मुस्लिम राष्ट्र बनाने के हिंसक इरादों की जानकारी मिली थी। इतने गंभीर मामले की जांच नीतीश सरकार एनआइए को सौंपना नहीं चाहती थी। उसे अपना “वोट बैंक” बचाना देश की सुरक्षा और धर्मनिरपेक्षता से ज्यादा जरूरी लग रहा था।

मोदी ने कहा कि आतंकवाद पर लालू-नीतीश सरकार के नरम रवैये के कारण बिहार में कई आतंकी मॉड्यूल पनपते रहे। उन्होंने कहा कि राजद के शिवानंद तिवारी को “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे में कोई देशद्रोह नहीं दिखता और जदयू के ललन सिंह पीएफआइ की आतंकी गतिविधियों के सबूत मांग रहे हैं। यही लोग कभी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धरमैया सरकार ने भीषण दंगों के बाद दर्ज 160 प्राथमिकी वापस लेकर पीएफआइ के 1600 से ज्यादा दंगाइयों को छोड़ दिया, जिससे इस संगठन का दुस्साहस लगातार बढ़ा। आज भी कांग्रेस इस नापाक संगठन का बचाव कर रही है, जबकि पीएफआइ को सीरिया, अफगानिस्तान और बांग्लादेश तक से आतंकी फंडिंग के सबूत मिल चुके हैं।

देश-दुनिया के इतिहास में 28 सितंबर की तारीख अहम वजहों से दर्ज है। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के लिए यह यादगार तारीख है। ‘जिंदगी अपने दम पर जी जाती है, दूसरे के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं।’- रोमांच जगाने वाली ऐसी ही शख्सियत से जुड़ा है इस तारीख का इतिहास। 28 सितंबर, 1907 को भगत सिंह का जन्म हुआ। आज कुछ ही नाम ऐसे हैं जिन्हें भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों के लोग सम्मान से देखते हैं। भगत सिंह इन्हीं में से एक हैं। पंजाब के एक किसान के घर जन्मे भगत सिंह को बचपन से ही पढ़ने- लिखने का बड़ा शौक था। लाहौर में स्कूली शिक्षा के दौरान उन्होंने यूरोप के अलग अलग देशों में हुई क्रांति के बारे में पढ़ा। इसका भगत सिंह पर गहरा असर पड़ा। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक सामाजवादी सोच जगी। धीरे- धीरे वो कुछ संगठनों से जुड़ गए। उन्हें लगा कि क्रांति अगर यूरोप को बदल सकती है तो हिंदुस्तान को क्यों नहीं बदल सकती।

1928 में लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ हो रहे जुलूस के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों ने लाठीचार्ज का आदेश दिया। लाठीचार्ज में पंजाब केसरी अखबार के संपादक लाला लाजपत राय की मौत हो गई। पंजाब में गरम दल के नेता लाला लाजपत राय का खासा प्रभाव था। उनकी मौत ने भगत सिंह को झकझोरा। भगत सिंह ने अपने साथियों शिवराम राजगुरु, सुखदेव ठाकुर और चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले अधिकारी की हत्या की साजिश रची।

अगले ही साल 1929 में भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त और राजगुरु के साथ असेंबली में बम धमाके की योजना बनाई। भगत सिंह और बटुकेश्वर ने एक एक बम फेंका। धमाके में किसी की मौत नहीं हुई लेकिन ये बड़ी खबर बन गई। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। देर सबेर राजगुरु को भी गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में कैद रहने के दौरान भगत सिंह ने डायरी और किताबें भी लिखी। उनकी डायरी से पता चला कि वो कार्ल मार्क्स, फ्रीडरिश एंगेल्स और लेनिन के विचारों से प्रभावित थे। हालांकि भगत सिंह ने कभी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता नहीं ली।

अदालती सुनवाई के दौरान भगत सिंह ने अपनी बात अखबारों के जरिए दुनिया भर तक पहुंचाने की कोशिश की। अदालत ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई। 23 मार्च, 1931 को लाहौर जेल में तीनों को फांसी दे दी गई। शाम को दी गई फांसी की खबर अगले दिन ब्रिटेन के द ट्रिब्यून अखबार में पहले पन्ने की पहली खबर थी।

इसके अलावा आज से ठीक 94 साल पहले 28 सितंबर, 1928 की बात है। स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक सर एलेक्जेंडर फ्लेमिंग अपनी लैब में काम कर रहे थे। एक एक्सपेरिमेंट के दौरान अचानक उन्हें एक फंगस दिखा। उस फंगस पर की गई रिसर्च ने पूरी दुनिया में इलाज के तरीके को बदलकर रख दिया। दरअसल सर फ्लेमिंग की उस रिसर्च से ही दुनिया को पहली एंटीबायोटिक मेडिसिन पेनिसिलिन मिली थी।

एलेक्जेंडर फ्लेमिंग के इस आविष्कार को 20वीं सदी के सबसे बड़े इन्वेंशन में गिना जाता है। 06 अगस्त, 1881 को स्कॉटलैंड में जन्मे एलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने 1906 में सेंट मैरी हॉस्पिटल मेडिकल स्कूल से डिग्री ली। इसके बाद रॉयल आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में चले गए। पहले विश्वयुद्ध के बाद 1928 में वे फिर सेंट मैरी मेडिकल स्कूल लौट आए। यहीं उन्होंने पेनिसिलिन की खोज की।

फ्लेमिंग अपनी रिसर्च के लिए एक पेट्री डिश इस्तेमाल कर रहे थे। एक दिन उन्होंने देखा कि उस डिश में पड़ी जैली में फंगस (फफूंद) लग गई थी। जहां पर भी ये फंगस थी, वहां सभी बैक्टीरिया मर गए थे। रिसर्च करने पर पता चला कि फफूंद पेनिसिलियम नोटाटम थी। अचानक हुई इस घटना को फ्लेमिंग ने कई बार दोहराया। सबसे पहले उन्होंने पेनिसिलियम की उस दुर्लभ किस्म को उगाया। फिर इस फंगस से निकाले गए रस को बैक्टीरिया पर डालकर देखा। इससे उन्होंने पता लगाया कि फंगस से निकले रस से बैक्टीरिया मर जाते हैं। पेनिसिलिन ही दुनिया का पहला एंटीबायोटिक है। इसे डॉक्टरों ने इंसानों को होने वाली कई संक्रामक बीमारियों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए प्रयोग किया। इस एंटीबायोटिक का इस्तेमाल आज भी बड़े पैमाने पर होता है।

भारत रत्न लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में पंडित दीनानाथ मंगेशकर और शेवंती के घर हुआ। लता के पिता मराठी संगीतकार, शास्त्रीय गायक और थियेटर एक्टर थे, जबकि मां गुजराती थीं। बचपन से ही लता को घर में गीत-संगीत और कला का माहौल मिला और वे उसी ओर आकर्षित हुईं। पांच वर्ष की उम्र से ही लता को उनके पिता संगीत का पाठ पढ़ाने लगे। 1942 में पिता की मौत के बाद लता पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। तब लता ने हिंदी-मराठी फिल्मों में अभिनय भी किया। मराठी फिल्मों में गाना भी शुरू किया। तब से शुरू हुआ सिलसिला कुछ साल पहले तक जारी रहा। उन्होंने 20 भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं। 2001 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इससे पहले उन्हें पद्मभूषण (1969), दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1989) और पद्म विभूषण (1999) से पुरस्कृत किया गया। तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और आठ बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। मध्य प्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर के नाम पर पुरस्कार भी स्थापित किया है।

स्पेस एक्स को आज कौन नहीं जानता। 2002 में एलन मस्क द्वारा शुरू की गई स्पेस एक्स आज स्पेस की दुनिया में जाना माना नाम है। स्पेस एक्स के नाम पर आज के दिन 2008 में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई थी। 28 सितंबर, 2008 को स्पेस एक्स ने फॉल्कन-1 को लॉन्च किया था। इसी के साथ फॉल्कन-1 धरती की कक्षा में जाने वाला दुनिया का पहला प्राइवेट रॉकेट बन गया था।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1838ः भारत में मुगलों के अंतिम सम्राट बहादुरशाह जफर की ताजपोशी। पिता की मृत्यु के बाद वह सिंहासन पर बैठे।
1887ः चीन के ह्वांग-हो नदी में बाढ़ से करीब 15 लाख लोग मरे।
1923ः इथोपिया ने राष्ट्र संघ की सदस्यता छोड़ी।
1928ः अमेरिका ने चीन की राष्ट्रवादी च्यांग काई-शेक की सरकार को मान्यता दी।
1950ः इंडोनेशिया संयुक्त राष्ट्र का 60वां सदस्य बना।
1958ः फ्रांस में संविधान लागू।
1977: जापानी रेड आर्मी ने जापान एयरलाइंस के एक विमान को भारत के ऊपर हाईजैक कर लिया। 156 लोग उसमें सवार थे।
1994ः एतोमिया के जल पोत के तुर्क सागर में डूब जाने से 800 लोगों की मृत्यु।
1997ः अमेरिकी अंतरिक्ष शटल अटलांटिक रूसी अंतरिक्ष केन्द्र ‘मीर’ से जुड़ा।
2000ः सिडनी ओलिंपिक में 200 मीटर की दौड़ के स्वर्ण पदक का ख़िताब मोरियाना जोंस तथा केंटेरिस ने जीता।
2001ः अमेरिका, ब्रिटिश सेना एवं सहयोगियों ने ‘ऑपरेशन एंड्योरिंग फ़्रीडम’ प्रारंभ किया।
2002: लखनऊ में राजनीतिक रैली में भाग लेकर लौट रहे हजारों लोगों के बीच रेलवे स्टेशन पर भगदड़। 14 लोगों की मौत।
2003ः यान रूस की धरती पर सुरक्षित उतरा।
2004ः विश्व बैंक ने भारत को विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहा।
2006ः जापान के नवनिर्वाचित एवं 90वें प्रधानमंत्री के रूप में शिंजो आबे ने शपथ ली।
2007ः मेक्सिको के तटीय क्षेत्रों में चक्रवाती तूफान लोरेंजो ने भारी तबाही मचाई।
2009ः स्टार खिलाड़ी सानिया मिर्जा पैन पैसिफिक ओपन के पहले राउंड में हार के बाद बाहर।
2015: भारत ने अपनी पहली स्पेस ऑब्जर्वेटरी और 6 सैटेलाइट्स को लॉन्च किया।
2015: उत्तर भारत में मोहम्मद अखलाक को गोमांस खाने के संदेह के चलते गांववालों ने पीट-पीटकर मार दिया।
2016ः अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान और भारत ने इस्लामाबाद में नवंबर 2016 में होने वाले सार्क सम्मेलन में भाग लेने से इनकार किया।
2018ः सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी सदियों पुरानी पाबंदी को हटाया।

जन्म
551 ईसा पूर्वः चीन के दार्शनिक कनफ्यूसियस।
1746ः अंग्रेज प्राच्य विद्यापंडित और प्राचीन भारत संबंधी सांस्कृतिक अनुसंधानों के प्रारम्भकर्ता विलियम जोंस।
1885ः हिन्दी के साहित्यकार और सरस्वती पत्रिका के संपादक श्री नारायण चतुर्वेदी।
1836ः आध्यात्मिक गुरु शिरडी साईं बाबा
1896ः पत्रकार और क्रांतिकारी भावनाओं के व्यक्ति रामहरख सिंह सहगल।
1907ः क्रांतिकारी भगत सिंह।
1909ः अभिनेता पी. जयराज।
1921ः प्रसिद्ध शिक्षाविद्, हिंदी लेखक, साहित्यिक आलोचक और समाज सुधारक कल्याण मल लोढ़ा।
1929ः ख्यातिलब्ध भारतीय पार्श्वगायिका लता मंगेशकर।
1949ः भारत के 41वें प्रधान न्यायाधीश राजेन्द्र मल लोढ़ा।
1982ः प्रसिद्ध भारतीय निशानेबाज अभिनव बिन्द्रा।
1982ः अभिनेता रणबीर कपूर।

निधन
1895ः फ्रांस के प्रसिद्ध जैव वैज्ञानिक लुईस पाश्चर।
1953ः प्रसिद्ध अमेरिकी खगोलशास्त्री एडविन हब्बल ।
1983ः केरल के पूर्व मुख्यमंत्री सीएच मुहम्मद कोया।
2008ः हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार शिवप्रसाद सिंह।
2012ः भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्र।
2015ः हिन्दी के प्रसिद्ध कवि वीरेन डंगवाल।

दिवस
भगत सिंह जयंती
विश्व रैबीज दिवस

दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को साल 2020 का दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। साठ और सत्तर के दशक में बड़े पर्दे पर राज करने वाली दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख हिंदी सिनेमा का वह नाम हैं, जिन्होंने अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों को जीता और हिंदी सिनेमा को बुलंदियों पर पहुंचाया।

2 अक्टूबर 1942 को गुजरात में जन्मी आशा पारेख की माँ मुस्लिम और पिता गुजराती थे। आशा पारेख ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर फिल्म ‘आसमान’ से साल 1952 से की थी। बतौर एक्ट्रेस आशा पारेख की पहली फिल्म थी ‘दिल देके देखो’, जो बेहद सफल हुई थी। लगभग 80 फिल्मों में बतौर एक्ट्रेस काम कर चुकीं आशा पारेख की तमाम फिल्में बेहद पसंद की गईं। जिनमें ‘जब प्यार किसी से होता है’, ‘घराना’, ‘भरोसा’, ‘मेरे सनम’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘दो बदन’, ‘उपकार’, ‘शिकार’, ‘साजन’, ‘आन मिलो सजना’ प्रमुख है। आशा ने 1995 में अभिनय से रिटायरमेंट ले लिया। साल 1972 में आशा पारेख को उनकी फिल्म कटी पतंग के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड मिला और फिल्मों में योगदान के लिए फिल्मफेयर का ही लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2002 में मिला।आशा को 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें और भी कई अनगिनत पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

आशा पारेख की निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने शादी नहीं की है। कहा जाता है आशा पारेख आमिर खान के चाचा नासिर हुसैन को काफी पसंद करती थी, लेकिन नासिर पहले से शादीशुदा थे। ऐसे में आशा ने जीवन भर अविवाहित रहने का फैसला लिया। नासिर हुसैन के साथ आशा ने ‘दिल देके देखो’, ‘तीसरी मंजिल’ और ‘कारवां’ सहित 7 फिल्मों में साथ काम किया। आशा पारेख साल 1998 से 2001 तक सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष रहीं।

आशा पारेख की इन्हीं उपलब्धियों के मद्देनजर ही उन्हें साल 2020 के लिए भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।

पटना: बिहार सरकार ने छह आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया है। गृह विभाग ने आज इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अनुसार 1995 बैच की आईपीएस अधिकारी और अपर पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) पटना आर. मलारविझी का तबादला अपर पुलिस महानिदेशक (कमजोर वर्ग), अपराध अनुसंधान विभाग, पटना में किया गया है।

1996 बैच के पुलिस अधिकारी और अपर पुलिस महानिदेशक (कमजोर वर्ग), अपराध अनुसंधान विभाग, पटना को अपर पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) पटना भेजा गया है। उन्हें अपर पुलिस महानिदेशक, नागरिक सुरक्षा, पटना का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है।

2007 बैच के पुलिस अधिकारी और पुलिस उप-महानिरीक्षक, बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस (उत्तरी मंडल) मुजफ्फरपुर दलजीत सिंह को अतिरिक्त प्रभार पुलिस उप-महानिरीक्षक (ड.नि.) अपराध अनुसंधान विभाग, पटना भेजा गया है। 2010 बैच के पुलिस अधिकारी और पुलिस अधीक्षक, रेल, पटना प्रमोद कुमार मंडल को पुलिस अधीक्षक, रेल मुजफ्फरपुर भेजा गया है।

2013 बैच के पुलिस अधिकारी और नगर पुलिस अधीक्षक,गया राकेश कुमार को समादेष्टा, अश्वरोही विशेष सशस्त्र पुलिस ,आरा भेजा गया है। 2013 बैच के पुलिस अधिकारी और पुलिस अधीक्षक, रेल, मुजफ्फरपुर अशोक कुमार प्रसाद को नगर पुलिस अधीक्षक, गया भेजा गया है।

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार दोपहर संपन्न हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 16 एजेंडों पर मुहर लगाई गई। बैठक में संविदा पर विशेष सर्वेक्षण अमीन के 6,300, विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी के 259, विशेष सर्वेक्षण कानूनगो के 518, लिपिक के 518 पदों को स्वीकृति दी गई। इसके अलावा वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय में 27 पद, अरवल मंडल कारा में 102 पद और पालीगंज उपकारा के विभिन्न कोटि के 98 और गृह विभाग में 200 पद सहित कुल 8,022 पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई।

नीतीश सरकार ने फार्मेसी और नर्सिंग की पढ़ाई कर रहें छात्रों को भी दुर्गा पूजा और दीपावली का तोहफा दिया है। मेडिकल छात्रों के तर्ज पर फार्मेसी और नर्सिंग छात्र-छात्राओं को इंटर्नशिप दिया जाएगा। इन छात्रों को 1500 रुपये छात्रवृति के तौर पर दिया जाएगा। आज हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगाई गयी है। बिहार वक्फ न्यायाधिकरण पटना के लिए एक ड्राइवर के पद का सृजन किया गया है।

कैबिनेट की बैठक में राज्य के जलाशयों में समग्र मात्स्यिकी विकास के लिए बिहार राज्य जलाशय मात्स्यिकी नीति 2020 की स्वीकृति दी गयी है। वित्तीय वर्ष 2022-23 अंतर्गत आकस्मिकता निधि से 43 करोड़ 93 लाख 85 हजार अग्रिम की स्वीकृति दी गयी है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण विकास विभाग की मांग संख्या-42 के अंतर्गत राज्यांश मद में तीन सौ चालीस करोड़ रुपये की राशि की आकस्मिकता निधि से अग्रिम की स्वीकृति दी गयी है।

नगरपालिका चुनाव और मतगणना प्रक्रिया का लाइव वेबकास्टिंग कराये जाने का फैसला लिया गया है। इसके लिए आईटीआई लिमिटेड को एजेन्सी के रूप में काम करने की स्वीकृति दी गयी है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग क अंतर्गत बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य योजना मद से 363 करोड़ 26 लाख 85 हजार रुपये खर्च किया जाएगा।

नीतीश सरकार ने बिहार विधानमंडल (सदस्यों के वेतन, भत्ता और पेंशन) नियमावली, 2006 के नियम 15 में संशोधन की स्वीकृति दी गयी है। साथ ही बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सचिव के पद पर अनुभवी पदाधिकारी विनोद कुमार निदेशक सह कार्यकारी सचिव की सेवानिवृत्ति के बाद संविदा क आधार पर 01 अक्टूबर, 2022 से एक वर्ष के लिए नियोजन किया गया है जबकि बिहार न्यायिक सेवा के पदाधिकारियों का 01 जनवरी, 2016 से वेतन पुनरीक्षण को कैबिनेट ने स्वीकृति दी है।

शारदीय नवरात्रि धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है। उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता हैं। नवरात्रि पर्व के नौ दिनों के दौरान आदिशक्ति जगदम्बा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। ये नौ दिन वर्ष के सर्वाधिक पवित्र दिवस माने गए हैं। इन नौ दिनों का भारतीय धर्म एवं दर्शन में ऐतिहासिक महत्व है और इन्हीं दिनों में बहुत सी दिव्य घटनाओं के घटने की जानकारी हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों में मिलती है। माता के इन नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है-शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चन्द्रघन्टा, कुष्माण्डा, स्कन्द माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

नवरात्रि से हमें अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई के जीत की सीख मिलती हैं। यह हमें बताती है की इंसान अपने अंदर की मूलभूत अच्छाइयों से नकारात्मकता पर विजयी प्राप्ती और स्वयं के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कैसे कर सकता है भारतीय जन-जीवन में धर्म की महत्ता अपरम्पार है। यह भारत की गंगा-जमुना तहजीब का ही नतीजा है कि सब धर्मों को मानने वाले लोग अपने-अपने धर्म को मानते हुए इस देश में भाईचारे की भावना के साथ सदियों से एक साथ रहते चले आ रहे हैं। यही कारण है कि पूरे विश्व में भारत की धर्म व संस्कृति सर्वोतम मानी गयी है। विभिन्न धर्मों के साथ जुड़े कई पर्व भी है जिसे भारत के कोने कोने में श्रध्दा भक्ति और धूमधाम से मनाया जाता है। उन्ही में से एक है नवरात्रि।

वसन्त की शुरूआत और शरद ऋतु की शुरूआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है। त्योहार की तिथियां चन्द्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती है। यह पूजा वैदिक युग से पहले प्रागैतिहासिक काल से है। नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किये गए है। यह पूजा उनकी ऊर्जा और शक्ति की की जाती है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख को हटानेवाली होता है।त्यौहार के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है। तीसरे दिन महिला परिपक्वता के चरण में पहुच गयी है उसकी पूजा की जाती है।

नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी-समृद्धि और शांति की देवी की पूजा करने के लिए समर्पित है। आठवे दिन पर एक यज्ञ किया जाता है। नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उन नौ जवान लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुंची है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े, वस्तुयें, फल प्रदान किये जाते है। शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस पर्व से जुड़ी एक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने एक भैंस रूपी असुर अर्थात महिषासुर का वध किया था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया। उसको वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा। महिषासुर ने अपने साम्राज्य का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देख देवता विस्मय की स्थिति में आ गए। महिषासुर ने सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु, चन्द्रमा, यम, वरुण और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए और स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं की महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और कहा जाता है कि इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गई थी। इन नौ दिन देवी महिषासुर संग्राम हुआ और अन्त में महिषासुर का वध कर महिषासुर मर्दिनी कहलायीं।

नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ है। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।

Chhapra: शहर के विभिन्न पूजा स्थल एवं स्थापित मंदिर मे मंगलवार को मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की गई। पूरा शहर दुर्गा सप्तशती पाठ मंत्रो से गुंजायमान रहा। 

शारदीय नवरात्र मे शक्ति की आराधना के लिए व्रत,उपवास रखकर श्रद्धा के साथ मनाते है।  मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। नवरात्र के दूसरे दिन इनकी पूजा की जाती है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमंडल धारण किए हैं।

पूर्वजन्म में देवी ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया।देवी ने कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं।

इसीलिए उनका एक नाम अपर्णा भी है।इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया।कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया।देवता,ऋषि, सिद्धगण,मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य का सराहना की और कहा-हे देवी, आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं।देवी ब्रह्मचारिणी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल, कमल, श्वेत और सुगंधित पुष्प प्रिय हैं। ऐसे में नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा को गुड़हल, कमल, श्वेत और सुगंधित पुष्प अर्पित करें। मां दुर्गा को नवरात्रि के दूसरे दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से दीर्घायु का आशीष मिलता है। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन जरूर अर्पित करें।

 

जलालपुर: प्रखंड के उच्चतर माध्यमिक जलालपुर में 21सितंबर को चाकू बाजी के दौरान सहपाठी छात्रों द्वारा एक छात्र आदित्य तिवारी की हत्या किए जाने के बाद से बंद चल रहे विद्यालय को पुन:पटरी पर लाने के लिए विद्यालय परिसर मे प्रबुद्ध जनों के साथ शिक्षकों की बैठक आयोजित की गई.

जिसमे हाई स्कूल में पठन-पाठन शुरू करने के लिए शांति सह निगरानी समिति का गठन किया गया. जिसकी देखरेख में बुधवार से विद्यालय मे विधिवत पठन-पाठन व परीक्षा फॉर्म भरने का काम शुरू किया जाएगा.

इस आशय की जानकारी देते हुए विद्यालय के वरीय शिक्षक प्रभातेश पांडेय ने बताया कि मंगलवार को विद्यालय परिसर में प्रखंड क्षेत्र के प्रबुद्ध जनों की बैठक आयोजित की गई. जिसमें 12 सदस्य निगरानी समिति का गठन किया गया. जिसकी देखरेख में बुधवार से पठन-पाठन व फार्म भरने का काम शुरू किया जाएगा. निगरानी समिति के सदस्य विद्यालय के शिक्षक व छात्रों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर पठन-पाठन विधिवत शुरू कराएंगे.

निगरानी समिति ने यह तय किया है कि सभी शिक्षक समय से उपस्थित रहेंगे. कोई भी कोचिंग विद्यालय अवधि में नहीं चलेगा. विद्यालय के कोई भी शिक्षक कोचिंग नहीं चलाएंगे. बैठक में घटना के दिन की बात सभी शिक्षकों ने बताई. शिक्षकों ने कहा कि घटना के समय विद्यालय मे दसवी की सावधिक परीक्षा चल रही थी.जैसे ही इस सम्बन्ध मे सूचना मिली. पीड़ित को शिक्षकों ने अस्पताल पहुंचाया. जिसका फोटो और सीसीटीवी फुटेज में तस्वीरें दर्ज हैं.

निगरानी समिति के सदस्यों ने जब यह पूछा कि मृतक छात्र व उसके साथियों ने 3 दिन पहले खतरे होने की अंदेशा जताते हुए विद्यालय प्रशासन को सूचना दी थी. पर शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. शिक्षकों ने कहा कि हमारे यहां महज 6 घंटे के लिए विद्यार्थी आते हैं. जबकि 18 घंटे विद्यार्थी अपने घर पर रहते हैं, उन्हे अपने माता पिता को सूचना देना चाहिए.

बहरहाल शांति सह निगरानी समिति की पहल पर विद्यालय एक बार फिर बुधवार से गुलजार होगा. गठित निगरानी समिति में रजनी कांत दुबे, विवेकानंद तिवारी, जोहुर मियां, उमेश तिवारी, ललन देव तिवारी, नागेंद्र राय, वंशीधर तिवारी, भटकेसरी मुखिया प्रतिनिधि प्रभात पांडेय सहित 12 व्यक्ति शामिल हैं.

वही बैठक मे बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ सारण छपरा के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव, सचिव विद्यासागर विद्यार्थी, संयुक्त सचिव डॉ० दीनबंधु मांझी, कोषाध्यक्ष डा० रज़नीश कुमार, परीक्षा अध्यक्ष मनोज कुमार द्विवेदी, जिला कार्यसमिति सदस्य मिथलेश कुमार भी उपस्थित रहे.

Chhapra: रिविलगंज थाना क्षेत्र के मेथवलिया में एक तेज रफ्तार कार ने 5 बच्चों ठोकर मार दी. जिससे बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए. जिन्हे आनन फानन अस्पताल इलाज के लिए भर्ती कराया गया. जहां 2 बच्चों की मौत हो गई. इस घटना से आक्रोशित लोगों ने छपरा सीवान मुख्य मार्ग को जाम कर दिया. प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंच लोगों को समझाने बुझाने में जुटी है.

बताया जा रहा है कि बच्चे दुर्गा पूजा के पंडाल निर्माण को लेकर सड़क किनारे खड़े थे तभी सिवान की ओर से आ रही तेज रफ्तार अनियंत्रित कार ने ठोकर मार दी जिससे बच्चे घायल हो गए. इसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया. जहां नागेंद्र राय के 11 वर्षीय पुत्र सोहित कुमार और सुरेश राय के 8 वर्षीय पुत्र कृष कुमार की इलाज के क्रम में मौत हो गई. जिसके बाद शव गांव में पहुंचने के बात सड़क को जाम कर विरोध जताया गया. साथ ही प्रशासन से मुआवजा की मांग की जा रही है. वही दुर्घटना ग्रस्त कार मौके पर पलट गई है. स्थानीय लोगों ने बताया कि चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है.

खबर लिखे जाने तक सड़क जाम थी.

Chhapra: निक लगेगा हो रूपवा हो माई.. जैसे भक्ति गीतों पर सांस्कृतिक प्रस्तुति से सभी भाव विभोर हो गए। मौका था नवरात्र की पूर्व संध्या पर स्थानीय एसडीएस महाविद्यालय के प्रांगण में आयोजित भजन संध्या का। जिसमे महाविद्यालय, एसडीएस स्कूल और आर एन सिंह इवनिंग कॉलेज के छात्रों ने रंगारंग प्रस्तुति दी।

आयोजक डा राकेश कुमार सिंह ने बताया कि विगत प्रति वर्ष यह आयोजन होता है। कार्यक्रम का यह रजत जयंती वर्ष था। जिसे लेकर वृहद तैयारी की गई थी। कार्यक्रम के दौरान लगभग 3 दर्जन प्रस्तुतियां हुई. जिससे माहौल भक्तिमय हो गया.  

हरिद्वार: सारण सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी की माता का देहांत हो गया। वो 88 वर्ष की थी। पिछले कई दिनों से वह अस्वस्थ चल रही थी और दिल्ली के अस्पताल में चिकित्सारत थी। वह सांसद रुडी के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर ही उनके साथ रहती थी और इलाजरत थी।

उन्होंने 25 सितम्बर (रविवार) को अस्पताल में ही सुबह के 11.59 बजे अंतिम सांस ली। निधन की खबर लगते ही दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए कई गणमान्य लोग आये जिसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील मोदी, बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, बिहार सरकार में मंत्री संजय झा, पूर्व सांसद संदीप दिक्षित भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयन्त पाण्डा, राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन, सांसद रामेश्वर डूडी, सांसद डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह, सांसद अनुभव मोहन्ती, केसी त्यागी, डी राजा, हनन मौला, मधु गौड़ याक्षी, ने अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की।

इस दौरान बिहार के राज्यपाल फागु सिंह चौहान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनविस समेत कई राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों ने भी दूरभाष पर रूडी से बात कर उन्हें सांत्वना दिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी रूडी की माता जी के दाह संस्कार मर हरिद्वार पहुंचे।

हरिद्वार में कनखल घाट पर जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने स्वयं उपस्थित हो पूरे विधि विधान से दाह संस्कार करवाया। इस दौरान कई अन्य साधू संत भी उपस्थित हुए।

इस संदर्भ में श्री रुडी के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रभा सिंह जी अत्यंत ही धर्मपरायण महिला थी। हर वर्ष कई पर्व त्यौहार करती थी जिसमें प्रमुखता से छठ व्रत था। वह हरिहर आश्रम, हरिद्वार के भारत माता मंदिर – समन्वय सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित प्रभु प्रेमी संघ चैरिटेबल ट्रस्ट की वरिष्ठ साधिका भी थी और जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज के आश्रम में नियमित आती-जाती रहती थी। स्वामी जी भी उनको अपनी माता समान ही मानते थे। यही कारण है कि उनकी अस्वस्थता की जानकारी मिलते ही पर दुरभाष से बातचीत कर उनके स्वास्थ्य की पल-पल की जानकारी लेते रहे।

मिली सूचना के अनुसार रूडी के पिता का देहांत तभी हो गया था जब रुडी मात्र 7 वर्ष के थे। तीन पुत्र और दो पुत्रियों का पालन-पोषण की जिम्मेदारी माता प्रभा सिंह के कंधो पर आ गया लेकिन वह अपने कर्तव्यपथ से विमुख नहीं हुई। पिता की तरह अनुशासन और माता का लाड़-प्यार उन्होंने बच्चों को दिया। सभी सुशिक्षित और देश की प्रगति में योगदान देने वाले है। उनकी इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में हो। सोमवार को हरिद्वार में ही उनका अंतिम संस्कार हुआ। प्रभा सिंह जी अपने पिछे पांच पुत्र-पुत्रियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ कर गई है जिसमे बड़े पुत्र रणधीर प्रताप सिंह, पुत्री चित्रा सिंह, रेखा सिंह, पुत्र सुधीर प्रताप सिंह और सबसे छोटे पुत्र राजीव प्रताप रुडी है।