Chhapra: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात का 100 वा एपिसोड सम्पन्न हुआ।  इस अवसर पर छपरा के आर डी एम डिग्री कॉलेज परिसर में आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों लोग उपस्थित थे। 

उक्त मौके पर सारण भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष व बीजेपी राष्ट्रीय परिषद सदस्य अशोक कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के मन की बात को सुनने से समाज व राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा मिलती है तथा देश नव निर्माण में यह कारगर साबित होगा। 

उक्त मौके पर पूर्व मुखिया विनोद कुमार सिंह, शैलेन्द्र कुमार सिंह नागेंद्र सिंह, पंकज कुमार राय, उपनेस सिंह, धनन्जय सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए और मन की बात को सुना।

Chhapra:  श्री चित्रगुप्त समिति द्वारा गठित उप समिति की बैठक शनिवार को देर संध्या शहर के कटरा बरादरी स्थित राजीव श्रीवास्तव के आवास पर संयोजक कमल किशोर सहाय की अध्यक्षता एवं सदस्य प्रिंस राज की उपस्थिति में हुई।  जिसमें विचारोपरांत श्री चित्रगुप्त समिति के वार्ड 14 के वार्ड समिति का गठन किया गया।

संयोजक कमल किशोर सहाय ने बताया कि अरुण कुमार श्रीवास्तव को अध्यक्ष, राजीव श्रीवास्तव को सचिव सुनील कुमार वर्मा को कोषाध्यक्ष की जिम्मेवारी दी गई। वहीं समिति के सदस्य के रूप में कमल किशोर सहाय, दिलीप कुमार अधिवक्ता, अजीत कुमार वर्मा, रवीश कुमार श्रीवास्तव, विजय कुमार श्रीवास्तव, संजीव कुमार, गुंजन वर्मा, पंकज श्रीवास्तव को रखा गया है।

उप समिति के सदस्य प्रिंस राज ने बताया कि यह गठित वार्ड समिति काफी जुझारू एवं सामाजिक कार्यो के प्रति संकल्पित है।  जिसका परिणाम शीघ्र धरातल पर दिखने लगेगा। बताते चले कि श्री चित्रगुप्त समिति की आम सभा की बैठक में वार्ड गठन करने का निर्णय लिया गया था जिसके आलोक में गठित उपसमिति कार्यान्वयन कर रही है।

Chhapra: छपरा नगर निगम क्षेत्र में वार्ड नं० 23 से 45 तक डोर-टू- डोर एवं मुख्य पथ की सफाई हेतु चयनित एजेंसी को समन जारी किया है।

नगर आयुक्त द्वारा कहा गया है कि जुलाई, 2022 से आपके द्वारा कतिपय शर्तों के साथ नगर निगम से एकरारनामा एवं कार्यादेश निर्गत किया गया है। साथ ही उल्लेखित प्रासंगिक पत्रों में आपके द्वारा छपरा नगर निगम के एकरारनामा के शर्तों का उल्लंघन एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, 2016 का कतिपय बार उल्लंघन किया जा चुका है, इसके अलावा माह जुलाई, 2022 एवं अगस्त, 2022 में एजेंसी द्वारा सफाई कार्य सुचारू रूप से नहीं किये जाने, सड़क दोनों ओर कचड़ा फेंके जाने तथा NGT के मापदंड व ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 के निर्देशों की अवहेलना करने का दोषी पाया गया है। माह सितंबर, 2022 में (a) NGT के मानकों का उल्लंघन करने कार्य नहीं करने (b) ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 के अनुसार कार्य नहीं करने (c) QRT एवं हेल्पलाइन नहीं होने (d) अपूर्ण सफाई एवं रात्रि पाली में कार्य नहीं होने के लिये (e) घर-घर पृथक कूड़ा संग्रहण नहीं नहीं करने के लिए दोषी पाया गया है। माह अक्टूबर, 2022 में (a) ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 का पालन नहीं करना (b) सफाई पूर्ण एवं असंतोषजनक करने (c) QRT & हेल्पलाइन विस्तृत विवरण प्रस्तुत नहीं करने के लिये दोषी पाया गया है। माह नवंबर, 2022 में (a) दैनिक निरीक्षण में सफाई कार्य में पायी गयी अपूर्णता (b) NGT एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 के मानक का अनुपालन नहीं करने के लिए दोषी पाया गया है। (V) माह दिसंबर, 2022 में (a) अधूरा सफाई कार्य किये जाने (b) NGT एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 के मानक की पूर्णता नहीं करने (c) QRT एवं हेल्पलाइन सक्रिय नहीं करने के लिय दोषी पाये गये हैं । माह जनवरी, 2023 में अपूर्ण कार्य करने के लिये एवं NGT एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 के मानक का अनुपालन नहीं करने के लिये दोषी पाया गया है।

उन्होंने कहा कि उपरोक्त उल्लंघन स्पष्ट करता है कि आपके द्वारा एकरारनामा में दिए गये निर्देश माननीय ANGT का आदेश, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 का मार्गदर्शिका का अनुपालन लगातार नहीं किया जा रहा है। उपरोक्त के अतिरिक्त निम्न शिकायतें भी आपके विरुद्ध है। दिनांक 10.02.2023 को सशक्त स्थायी समिति की बैठक में एजेंसी के कार्य में असंतोष जताया गया । दिनांक 28.02.2023 को बोर्ड की बैठक में वार्ड नं० 23 से 45 तक के पार्षदों से एक-एक का मंतव्य माँगा गया, जिसमें सभी पार्षद आपके एजेंसी के सफाई कार्य से असंतुष्ट थे। पार्षदों ने आपके एजेंसी को हटाने साथ-साथ काली सूची में डालने का निर्णय लिया है।

नरगीस बानो, वार्ड पार्षद, वार्ड नं0 38 के द्वारा बताया गया कि आपके एजेंसी द्वारा भी कूड़ा का उठाव नहीं कराया जाता है और न ही सफाई कराई जाती है, जिसके चलते गंदगी व्याप्त रहती है। हेमंत कुमार, वार्ड पार्षद, वार्ड नं0 39 द्वारा बताया गया कि एजेंसी के कार्य से वे संतुष्ट नहीं हैं, इनके साथ की गई एकरारनामा को रद्द करने की मांग की गयी थी, जिसे सर्वसम्मति से पारित की गयी है। कृष्णा कुमार शर्मा, वार्ड पार्षद, वार्ड नं0 33 द्वारा बताया गया है कि आपके एजेंसी द्वारा गंगा नदी में कूड़ा गिराया जा रहा है, जो पर्यावरण दृष्टिकोण से उचित नहीं है।” दिनांक 20.04.2023 को सशक्त स्थायी समिति की बैठक में आपको सूचना के बावजूद आप बैठक में उपस्थित नहीं हुए जिसके चलते एजेंसी के कार्यों की समीक्षा नहीं हो सकी। विदित है कि एजेंसी का कार्यकलाप एकरारनामा के आधार पर अच्छा नहीं है। दिनांक 25.04.2023 के बोर्ड के बैठक में भी आप सूचना के बावजूद उपस्थित नहीं थे, जिसके कारण आपके कार्यों की समीक्षा नहीं हो सकी तथा सदस्यों ने एजेंसी के कार्यों के प्रति काफी क्षोभ था । स्पष्ट है कि आप बोर्ड की बैठक, सशक्त स्थायी समिति की बैठक का लगातार अवहेलना कर रहे हैं, जो बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 की सुसंगत धाराओं का उल्लंघन है।

 

उन्होंने कहा कि संज्ञान में यह लाया गया है कि सभी महत्वपूर्ण पर्व यथा छठ, दीपावली, दशहरा आदि पर्व पर सफाई कार्य को कोई न कोई बहाना बनाकर लगातार सफाई बाधित किये हैं, जो एकरारनामा का घोर लापरवाही एवं स्वेच्छाचारिता का प्रतीक है। आपके द्वारा 28 फरवरी, 2023 में अचानक कार्य को बंद कर दिया गया एवं 10 मार्च, 2023 तक लगातार बंद रखा गया जबकि उस दौरान होली एवं शब्- ए-बारात का पर्व था, जिसके चलते दोनों समुदाय के भावना को ठेस पहुँची है। लगातार 10-12 दिन हड़ताल में रहने के बावजूद आपके द्वारा पूर्ण माह का विपत्र मार्च, 2023 का भुगतान करने हेतु प्रस्तुत किया गया है, जो धोखाधड़ी एवं आपराधिक प्रवृति का परिचायक है ।

उन्होंने बताया है कि दिनांक 12.04.2023 को प्रभारोपरांत एजेंसी के कार्य के विरुद्ध लगातार शिकायत मिल रही है एवं एजेंसी द्वारा कई बार कार्य को बंद कर दिया गया है, जो विभिन्न समाचार पत्रों में भी प्रकाशित है। यह भी उल्लेख करना है कि दिनांक 19.04.2023 को अधोहस्ताक्षरी द्वारा बैठक में निदेश देने के बावजूद एजेंसी द्वारा अभी भी कचड़े का पृथकीकरण कार्य नहीं किया जा रहा है, सफाई मजदूरों को यूनिफ़ॉर्म एवं अन्य सुरक्षा उपकरण नहीं दिया जा रहा है, QRT कार्य नहीं कर रहा है, बायोमैट्रिक उपस्थिति नहीं बनाई जा रही है, वाहन में GPS नहीं लगा है, डोर-टू-डोर एवं मुख्य पथ का कचड़ा नहीं उठाया जा रहा है। वर्णित परिप्रेक्ष्य में उल्लेखित बिन्दुओं पर एजेंसी अपना स्पष्टीकरण दिनांक 02.05.2023 तक साक्ष्य सहित अधोहस्ताक्षरी को समर्पित करें क्यों नहीं कार्य में लापरवाही बरतने,  NGT के न्यायादेश में अनुपालन नहीं करने, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 का उल्लंघन करने, बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 के निहित निर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप में आपके एजेंसी के साथ की गई एकरारनामा को विखंडित करते हुये एजेंसी को काली सूची में डालने की कारवाई की जाये।

Chhapra: प्री पीएचडी परीक्षा के परीक्षा केंद्रों का जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो फारूक अली ने  निरीक्षण किया।

उन्होंने  बताया कि जयप्रकाश विश्विद्यालय में अन्य 56 विश्वविद्यालयों से परीक्षार्थी परीक्षा देने आये। शहर के जगदम महाविद्यालय, राजेंद्र महाविद्यालय, छपरा, गंगा सिंह महाविद्यालय और पी जी विभाग को परीक्षा केंद्र बनाया गया था। परीक्षा के लिए 1816 परीक्षार्थियों ने आवेदन किया था। जिनमे से 1299 परीक्षार्थी परीक्षा में उपस्थित हुए ।

परीक्षा के लिए सभी सेंटर पर पर्यवेक्षक की नियुक्ति की गयी थी और प्रशासन की तरफ से स्टैटिक मैजिस्ट्रेट की भी नियुक्ति की गयी थी। कदाचार करते हुए एक छात्र को निष्कासित भी किया गया है।

कुलपति ने कहा कि बहुत शीघ्र ही PAT 23 के लिए आवेदन आमंत्रित किये जायेंगे।

Chhapra: गंगा, सरयू और सोन नद के संगम पर स्थित विश्व का दुर्लभ पूरातात्विक स्थल एवं प्रयागराज जैसा आध्यातिमक-धार्मिक केंद्र चिरांद का वार्षिकोत्सव इसबार 3 जून 2023 को होगा। यह वार्षिकोत्सव गंगा दशहरा के बाद ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सरयू जयंती के अवसर पर पिछले पन्द्रह वर्षों से अनवरत आयोजित होता आ रहा है। वार्षिकोत्सव की तैयारी को लेकर चिरांद विकास परिषद के तत्वावधान में चिरांद गांव व सारण के गण्यमान्य लोगों की बैठक हुई।

इस बार के आयोजन पर विस्तार से जानकारी देते हुए परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी ने कहा कि गंगा की अविरलता उसकी सहायक नदियों के कारण थी। जब से इसकी सहायक नदियां संकट में हैं तब से भारत की संस्कृति व प्रकृति को संरक्षित करने वाली गंगा माता भी निर्बल हो गयी है। भव्य गंगा आरती से चिरांद के बंगाली बाबा घाट पर काशी और हरिद्वार का दर्शन कराने वाले इस आयोजन का इस बार का संकल्प है-गंगा की सहायक नदियों की अस्तित्व रक्ष। गंगा समग्र के साथ मिलकर हम अपने इस संकल्प को जनअभियान का रूप देंगे ताकि गंगा, सोन, सरयू, सोना, पुनपुन जैसी नदियों के सहारे जीवन वसर करने वालों के जीवन में संकट नहीं आए।

इस बार के आयोजन मंे युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इस अवसर पर होने वाले भव्य सांस्कृतिक आयोजन मंे सारण का गौरवशाली अतीत व सांस्कृतिक विरासत जीवंत होगा। बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं खेल मंत्री जीतेंद्र राय इस सारस्वत समारोह का उद्घाटनकर्ता एवं मुख्यअतिथि होंगे।

तैयारी के लिए आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता चिरांद विकास परिषद के संस्थापक सदस्य रघुनाथ सिंह ने की। बैठक में डोरीगंज थानाध्यक्ष सुधीर कुमार सिन्हा,बबुआजी महाराज, बिमल पाठक, बिपिन बिहारी रमण, सुशील कुमार पाण्डेय, श्याम बहादुर सिंह, श्री कान्त पाण्डेय, हरिद्वार सिंह, डाॅ शम्भूनाथ तिवारी, तारकेश्वर, सिंह, हरीमोहन , उदय चौधरी, राशेश्वर सिंह, चंदन कुमार सिंह, जुटी राय ,सिंह, सुमन साह, भरत पासवान, मुकेश सिंह, राजू कुमार, जजन यादव जी विजय जी, रूपेश पाण्डेय अमृत सागर आदि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपये का मुआवजा की घोषणा
पंजाब से शव लाने की व्यवस्था करने के लिए अधिकारियाें को दिए निर्देश

पटना: पंजाब के लुधियाना में जहरीली गैस से मरने वालों में पांच लोग बिहार के हैं। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लुधियाना के ग्यासपुरा जहरीली गैस से लोगों के मरने की घटना पर दुखद जताया।मुख्यमंत्री ने मृतकों में बिहार के लोगों के परिवार को मुआवजा देने की घोषणा के साथ ही पंजाब से उनके शव लाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को लुधियान में बिहार के गया जिले के रहने वाले एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने लुधियाना के जहरीली गैस लीक घटना में बिहार के मृतकों के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपये अनुदान देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने स्थानिक आयुक्त, नई दिल्ली को निर्देश दिया है कि पंजाब सरकार से आवश्यक समन्वय स्थापित कर मृतकों के पार्थिव शरीर को उनके घर तक लाने की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का रविवार को 100वां एपिसोड प्रसारित हुआ। कार्यक्रम को प्रधानमंत्री ने देशवासियों की भावनाओं और अभिव्यक्ति का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ ने इनकी सकारात्मकता और जनभागीदारी को उत्सव का रूप दिया है।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ का प्रत्येक एपिसोड विशेष रहा। 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे ‘मन की बात’ देशवासियों की अच्छाई और सकारात्मकता को मनाने का एक अनोखा पर्व बन गया।

‘मन की बात’ में उठाए गए विषयों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें उठाया गया हर मुद्दा जनआंदोलन बन गया। इसके पीछे लोगों का बड़ा योगदान रहा। इन विषयों में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, ‘स्वच्छ भारत’, ‘खादी के प्रति प्रेम’, प्रकृति की बात, ‘अमृत महोत्सव’ और अमृत सरोवर शामिल रहे। वहीं मन की बात में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का आना पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना।

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ को दूसरों के गुणों से सीखने का बड़ा माध्यम बताया और अपने मार्गदर्शक रहे लक्ष्मणराव ईमानदार को याद किया। उन्होंने कहा कि वकील साहब (लक्ष्मणरावजी) हमेशा कहते थे कि हमें दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ ने उन्हें भारत के लोगों से जुड़ने का एक मंच प्रदान किया है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें खाली-खाली महसूस हुआ करता था। वे देशवासियों से कट कर नहीं रह सकते। ‘मन की बात’ ने उन्हें इस चुनौती का समाधान दिया और लोगों से जुड़ने का रास्ता बनाया। ‘मन की बात’ उनके लिए ‘स्व से समष्टि’ और ‘अहम से वयम’ की यात्रा है।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान ‘मन की बात’ में उठाए विषयों को याद किया। साथ कहा कि भारत में पर्यटन क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहा है। हमारे प्राकृतिक संसाधन, नदियां, पहाड़, जलाशय और तीर्थ स्थल का स्वच्छ रहना बड़ा महत्वपूर्ण है। इससे पर्यटन क्षेत्र और अन्य उद्योगों को भी बढ़ावा मिलता है।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान यूनेस्को महानिदेशक से प्राप्त विशेष संदेश को भी साझा किया और कहा कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की भारत में प्राचीन परंपरा रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति और क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई का विकल्प इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने इस दौरान ऑल इंडिया रेडियो की पूरी टीम सहित ‘मायगोव’, मीडिया और देश की जनता का ‘मन की बात’ की सफलता के लिए आभार व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान ‘मन की बात’ को जीवंत बनाने में योगदान देने वाले कुछ लोगों से बातचीत भी की। इस दौरान उन्होंने हरियाणा के सुनील जागलान जिन्होंने ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान की शुरुआत की थी, से बातचीत की। सुनील ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी वजह से देश की बेटियों के चेहरे पर लगातार मुस्कान बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर की ‘पेंसिल स्लेट्स’ से जुड़ा कारोबार करने वाले मंजूर अहमद से भी बात की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ में शामिल किए जाने की वजह से उनके कारोबार में काफी वृद्धि हुई है और अब उनके यहां 200 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। उन्होंने कमल के रेशों से कपड़े बनाने वाली मणिपुर की विजयशांति देवी से भी बातचीत की। जिन्होंने बताया कि ‘मन की बात’ की वजह से उनका कारोबार काफी बढ़ा है और अब वह निर्यातक भी बन गई हैं।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में ‘हीलिंग हिमालयाज’ अभियान से जुड़े प्रदीप सांगवान से भी बातचीत की। उन्होंने बताया कि 2020 में ‘मन की बात’ में उनके अभियान का जिक्र होने से आज वह प्रतिदिन अगल-अलग स्थानों से 5 टन कचरा इकट्ठा कर पा रहे हैं। कार्यक्रम में आने से पहले वे इस अभियान को छोड़ने पर विचार कर रहे थे। उनके कार्य की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे हिमालय की चोटियों पर सच्चे अर्थ में साधना कर रहे हैं। उनके प्रयासों से अब पर्वतारोही स्वच्छता से जुड़े फोटो पोस्ट कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने एपिसोड का अंत उपनिषदों से प्राप्त ‘चरैवेति-चरैवेति’ यानी चलते रहो-चलते रहो के मंत्र से किया। उन्होंने कहा कि अमृत काल में देश की यही सकारात्मकता उसे आगे और नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

मुजफ्फरपुर: बिहार के उप मुख्यमंत्री सह स्वास्थ्यमंत्री तेजस्वी यादव शनिवार रात एक बजे अचानक श्रीकृष्ण जुबली मेडिकल कॉलेज (एसकेएमसीएच) पहुंच गए। तेजस्वी को देखकर अस्पताल में हड़कंप मच गया। उन्होंने अस्पताल में अव्यवस्था और गंदगी देखकर स्टाफ को फटकार लगाई। तेजस्वी ने कहा मिशन-60 के तहत लापरवाही करने वाले कर्मी व अधिकारी पर सख्त कार्रवाई होगी।

तेजस्वी यादव सीतामढ़ी महोत्सव का उद्घाटन कर पटना लौट रहे थे। इस दौरान उनका काफिला मीनापुर के स्थानीय विधायक मुन्ना यादव और अन्य राजद नेताओं के साथ एसकेएमसीएच पहुंच गया। तेजस्वी ने वार्डों का जायजा लिया। मरीजों और उनके परिजनों से सुविधाओं को लेकर बातचीत की। मौके पर मौजूद डॉक्टर और कर्मियों को समझाया। कइयों को हिदायत भी दी । वह करीब 30 मिनट यहां रहे। इसके बाद पटना रवाना हो गए।

Chhapra: शहर में डबल डेकर का निर्माण जारी है जो तमाम बाधाओं के कारण समय से पूरा तो नही हो होगा पर प्रशासन द्वारा एक सड़क को बंद रखा गया है। जिस कारण शहर में डाक बंगला रोड ही फिलहाल यातायात के लिए चालू है। जिससे इस सड़क पर अत्यधिक दबाव है।
जाम से रोज लोग जूझ रहें है, लेकिन कोई हल नहीं निकाला जाता, और तो और डाक बंगला रोड पर भी दारोगा राय चौक के पास आधे सड़क में निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। जो नमामि गंगे परियोजना का बताया जाता है।
अब ऐसे में सड़क संकरी हो गई है। अत्यधिक दबाव के कारण सुबह से ही इस सड़क पर जाम लग जा रही है। स्कूली बच्चे, एंबुलेंस, ऑफिस जाने वाले लोगों, प्रशासन और नेता लोगों को भी काम से जूझना पड़ रहा है। पास में अस्पताल है जहां एंबुलेंस लगता आती जाती है। जिसमे गंभीर मरीज होते हैं।
जाम से सभी को परेशानी हो रही है।
यहां जाम लगने पर पुलिस एक्टिव होती है पर पूर्व तैयारी नही दिखती, यातायात थाना तो है पर यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर उसका ध्यान नहीं है।
विकास के कार्य को लेकर जब एक सड़क बंद की गई है और सड़क का आभाव है ऐसे में दूसरे सड़क पर भी निर्माण शुरू करने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी पूरे होने पर सरकार 100 रुपये का सिक्का जारी करेगी।

इस विशेष सिक्के की गोलाई 44 मिलीमीटर होगी। यह चार धातुओं रजत, तांबा, निकिल और जस्ता का मिश्रण होगा। सिक्के के अग्र भाग के मध्य में अशोक स्तंभ का सिंह होगा। इसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा होगा। इसके किनारे भारत और अंग्रेजी में इंडिया (INDIA) लिखा होगा। शीर्ष के नीचे ₹ का चिह्न होगा और 100 अंकित होगा। पृष्ठ भाग (सिक्के के दूसरी तरफ) मन की बात की 100वीं कड़ी का प्रतीक चिह्न होगा।

इसमें ध्वनि तरंगों के साथ माइक्रोफोन की फोटो होगी। माइक्रोफोन के चित्र पर 2023 अंकित होगा। माइक्रोफोन के चित्र के ऊपर और नीचे हिंदी में क्रमश: ‘मन की बात 100’ और अंग्रेजी में ‘MANN KI BAAT 100’ लिखा होगा। सिक्के का वजन 35 ग्राम होगा।

बीजिंग, 29 अप्रैल (एजेंसी )। आबादी के मामले में भारत से पीछे होने और लगातार जनसंख्या घटने से चीन परेशान हो गया। अब चीन ने बड़ा फैसला लेते हुए अविवाहित महिलाओं को भी बच्चे पैदा करने की छूट देने का फैसला किया है। साथ ही लोगों को बच्चे पैदा करने को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए नए नियम भी बनाए जा रहे हैं।

पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र संघ ने आबादी के मामले में चीन के भारत से पिछड़ने का ऐलान किया था। वैसे भी चीन की जनसंख्या तेजी से कम हो रही है और देश में बूढ़े लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। शादी और बच्चों के लालन-पालन में होने वाले खर्च को देखते हुए चीन के लोग बच्चे पैदा करने से कतरा रहे हैं। ऐसे में चीन की सरकार को अपने कार्यबल में कमी आने का डर सता रहा है। यही कारण है कि चीन की सरकार ने लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया है। अब चीन एक और नया नियम बनाने जा रहा है, जिसके तहत अविवाहित महिलाएं न सिर्फ बच्चे पैदा कर सकेंगी, बल्कि कोई चिकित्सकीय समस्या होने की स्थिति में कानूनी तौर पर उपचार भी करा सकेंगी।

चीन के सिचुआन प्रांत में तो अविवाहित महिलाओं को बच्चे पैदा करने की अनुमति दी जा चुकी है। अब चीन की सरकार पूरे देश में इसे कानूनी तौर पर मान्यता देने की तैयारी कर रही है। साथ ही चीन की सरकार अविवाहित महिलाओं के गर्भवती होने पर मैटरनिटी लीव देने, बच्चे पैदा करने पर मिलने वाली सब्सिडी देने और साथ ही इनविट्रोफर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) उपचार की अनुमति देने की भी तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि यदि चीन की सरकार आईवीएफ उपचार को अविवाहित महिलाओं के लिए भी कानूनी दर्जा दे देती है तो ऐसी अविवाहित महिलाएं भी मां बन सकेंगी जो शादी करने की इच्छा नहीं रखतीं।

प्रो. संजय द्विवेदी
विराट भारतीय संस्कृति और परंपराओं में बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी एक विशेष महत्व रहा है। हमारा यह विश्वास रहा है कि जिस प्रकार अध्ययन मानसिक विकास में आवश्यक है, उसी तरह खेल शारीरिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारे जीवन में खेल और स्वास्थ्य का बहुत बड़ा योगदान है। खेल हमारे भीतर टीम भावना पैदा करते हैं। साथ ही इनसे हमारे अंदर, सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता, नेतृत्व कौशल, लक्ष्य निर्धारण और जोखिम लेने का आत्मविश्वास भी उत्पन्न होता है। शताब्दियों तक भारतीय ज्ञान, अध्ययन और अध्यापन परंपरा में खेलों को समान महत्व दिया गया, क्योंकि एक सुदृढ़ व्यक्तित्व का निर्माण तभी संभव है, जब उसमें एक ‘विचारशील मन’ और एक ‘सुगठित तन’, दोनों शामिल हों। हमारे प्राचीन गुरुकुलों में दी जाने वाली शिक्षा इसका प्रमाण है, जिसमें शास्त्रों-वेदों के अलावा विभिन्न प्रकार के खेल कौशलों की भी विधिवत शिक्षा दी जाती थी।

वर्ष 2014 में जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार सत्ता में आई, तो सरकार ने इस पर फिर से विचार करना शुरू किया। भारत जैसे देश में जहां अभी तक क्रिकेट जैसे औपनिवेशिक और एलीट खेल का दबदबा था, दूसरे खेलों को प्रोत्साहन दिया जाना शुरू हुआ। फिर देखते ही देखते, एथलेटिक्स, कबड्डी, आर्चरी, शूटिंग, रेसलिंग, जैवलिन थ्रो, वेटलिफ्टिंग जैसे अनेक खेलों में, जो अभी तक उपेक्षा झेल रहे थे, भारतीय खिलाड़ियों ने एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल करनी शुरू कीं। भारत देखते ही देखते, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पोर्ट्स सुपर पॉवर के रूप में उभरने लगा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में एक ऐसी खेल संस्कृति का उदय हुआ, जो अभूतपूर्व थी।

इसी संस्कृति को विराटता और व्यापकता देने के लिए सरकार ने 2018 में एक अभिनव अभियान का आरंभ किया, यह था ‘खेलो इंडिया गेम्स’। ‘खेलो इंडिया स्कूल गेम्स’ के नाम से शुरू की गई इस पहल की शानदार सफलता को देखते हुए इसे और विस्तार दिया गया। इसी साल भारतीय ओलंपिक संघ के इस पहल से जुड़ते ही इसे और मजबूती व लोकप्रियता मिली।

खेलो इंडिया का बढ़ता दायराः खेलों का सिलसिला बचपन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे आगे बढ़ाकर युवाओं को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। इस विचार से अगले ही साल, यानी 2019 से इसका नाम बदलकर ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स’ कर दिया गया। और इसमें भारतीय युवाओं की विशाल आबादी को भी शामिल कर लिया गया। बचपन के उत्साह और युवा शक्ति और सामर्थ्य ने मिलकर खेलो इंडिया को इतना व्यापक स्वरूप प्रदान कर दिया है कि यह देश के सर्वाधिक सफल अभियानों में गिना जाने लगा है। यह उपलब्धि हमें कोई अनायास ही हासिल नहीं हुई है, बल्कि इसके पीछे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की सृजनात्मक, कल्पनाशील व दूरदर्शितापूर्ण सोच व कड़ी मेहनत का बहुत बड़ा योगदान है। इसी सोच का परिणाम था कि प्रधानमंत्री ने अपने दूसरे कार्यकाल में खेल एवं युवा मंत्रालय की कमान अनुराग ठाकुर को सौपीं। ठाकुर का नाम इसलिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि खेलों के प्रति उनके विजन की तारीफ पूरा देश करता आया है।

खिलाड़ियों को मिली पहचानः ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स’, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है, एक ऐसी अभूतपूर्व योजना है जिसे भारतीय खिलाडि़यों के दीर्घकालीन विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए लागू किया गया है। खेलो इंडिया एथलीटों का चयन, खेलो इंडिया गेम्स, नेशनल चैंपियनशिप/ओपन सेलेक्शन ट्रायल्स में उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है। केंद्रीय खेल व युवा मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने पिछले साल लोकसभा में बताया था कि देश भर से 21 खेल विधाओं में 2,841 एथलीटों को ‘खेलो इंडिया एथलीट’ के रूप में चुना गया था। इन चुने हुए एथलीटों को खेलो इंडिया स्कॉलरशिप के लिए प्रतिस्पर्धा करने और अत्याधुनिक खेलो इंडिया अकादमियों में देश के सर्वश्रेष्ठ कोचों से प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया जाता है। साथ ही उन्हें दस हजार रुपये प्रतिमाह का जेब खर्च भी मिलता है।

अभी तक इस क्रम में 2017 और 2021 के बीच तीन ‘खेलो इंडिया स्कूल और यूथ गेम्स’, एक ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ और दो ‘खेलो इंडिया विंटर गेम्स आयोजित’ किए जा चुके हैं, जिनमें लगभग बीस हजार एथलीटों ने हिस्सा लिया था। खेलो इंडिया कार्यक्रम में अभी तक जिन खेलों का समावेश किया गया है, उनमें एथलेटिक्स, कबड्डी, कुश्ती, खो-खो, जूडो, जिम्नास्टिक, तीरंदाजी, टेबल टेनिस, तैराकी, निशानेबाजी, फुटबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, लॉन टेनिस, वालीबॉल, वेटलिफ्टिंग, हॉकी जैसे खेल शामिल हैं।

स्पोर्ट्स फॉर ऑल, स्पोर्ट्स फॉर एक्सीलेंसः खेलो इंडिया कार्यक्रम के प्रमुख निहित उद्देश्यों में ‘उत्कृष्टता के लिए खेल’ के साथ-साथ ‘सभी के लिए खेल’ को बढ़ावा देना, वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं में बड़े पैमाने पर युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पद्धति में खेल अकादमियों के माध्यम से खेल प्रतिभाओं की पहचान और पोषण व मार्गदर्शन तथा तहसील, जिला, व राज्य स्तर आदि पर खेल के बुनियादी ढांचे का निर्माण आदि शामिल हैं।

संक्षेप में कहें तो ‘खेलो इंडिया योजना’ एक ऐसा कार्यक्रम है, जो जमीनी स्तर पर भारत की खेल संस्कृति को मजबूत और पुनर्जीवित करता है और खेल प्रतिभाओं की पहचान, विकास और पोषण- प्रोत्साहन से खेल संस्कृति को विकसित करता है। यह कार्यक्रम वंचित और गरीब युवाओं को अनुत्पादक कार्यों के बजाय खेलों से जुड़कर विकास करने की सुविधा प्रदान करता है। यह योजना कितनी व्यापक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह राष्ट्रीय शारीरिक स्वास्थ्य अभियान के तहत 10 से 18 वर्ष के बीच के लगभग बीस करोड़ बच्चों को कवर करती है। इस योजना के आकार और उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार लगातार इसके लिए आवंटित राशि की मात्रा बढ़ा रही है। वर्ष 2021-22 में इसके लिए 657.71 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिन्हें वर्ष 2022-23 में बढ़ाकर 974 करोड़ रुपये कर दिया गया और चालू वित्त वर्ष (2023-24) में इसे 1045 करोड़ रुपये किया गया है।

(लेखक, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली में महानिदेशक हैं।)

इनपुट हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी