Chhapra: छपरा में कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है. वहीं वायरस से संक्रमित लोग भी तेजी से ठीक हो रहे है. सारण में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों में 236 लोग पूरी तरह ठीक हो चुके हैं.  उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है. सारण में अब मात्र 89 एक्टिव कोरोना संक्रमित मरीज है. वहीं कोरोना वायरस से अबतक तक जिले में 6 लोगों की मौत हो गई है. सारण में वायरस से लोगों के ठीक होने का एवरेज भी काफी बेहतर है और इसमें सुधार हो रहा है. जो की सारण के लिए राहत की बात है.

औसतन 10 दिन में ठीक हो जा रहे मरीज

छपरा सदर अस्पताल के SMO डॉक्टर रंजीतेश ने बताया कि छपरा में कोरोनावायरस मरीजों को ठीक होने में औसतन 10 दिन लग रहे हैं. कई मरीज 4 से 5 दिन में भी ठीक हो जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जो भी मरीज संक्रमित पाए जा रहे हैं उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कर सेंट्रल गवर्नमेंट की गाइडलाइन के तहत इलाज किया जा रहा है ठीक होने के बाद अस्पताल से मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जा रहा है.

लगभग मरीजों में कोई लक्षण नहीं

डॉक्टर रंजीतेश बताते हैं कि छपरा में जितने भी मरीज मिल रहे हैं लगभग मरीजों में कोरोनावायरस का कोई लक्षण नहीं है. इक्का-दुक्का मरीज को हल्की बुखार जैसे सिम्पटम हैं. लेकिन बाकी सभी मरीजों को कोई लक्षण नहीं है. इन सभी को सदर अस्पताल के आइसोलेशन सेंटर में रखकर इलाज किया जा रहा है और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर डिस्चार्ज कर दिया जा रहा है. अस्पताल से डिस्चार्ज करने के बाद उन्हें कुछ दिनों तक होम क्वारन टाइन में रहने का निर्देश दिया जा रहा है.

छपरा में उठी लॉक डाउन करने की मांग

सारण जिले में हर रोज मामले पर रहे लेकिन छपरा शहर में कोई कोविड -19 का मामला काफी तेजी से बढ़ रहा है. बिहार के कई जिलों में कुछ दिनों के लॉकडाउन लगा दिया गया है छपरा में 45 मामले आने के बाद लॉक डाउन लगाने की मांग कर रहे हैं. जिस तरह से कोरोनावायरस तेजी से बढ़ रहा है. लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.

कायाकल्प कार्यक्रम योजना के तहत किया गया कार्यतय मानकों के सापेक्ष 70 प्रतिशत उपलब्धि पर सांत्वना पुरस्कार

Chhapra: प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2014 में शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान को सफ़ल बनाने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में बेहतर साफ-सफाई, स्वच्छता एवं संक्रमण नियंत्रण हेतु कायाकल्प अवार्ड कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है।

जिला स्तर पर 50 लाख तक का अवार्ड

सदर अस्पताल में बेहतर साफ-सफाई, स्वच्छता एवं संक्रमण रोकथाम के स्तर के मूल्यांकन के लिए कुल 500 मानक तैयार किए गए हैं। जबकि प्रखंड स्तर पर कुल 250 मानक तैयार किए गए हैं। तय मानकों के अनुरूप जिला स्तरीय एवं प्रखंड स्तरीय अस्पतालों का मूल्यांकन कर उन्हें पुरस्कृत करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कायाकल्प अवार्ड कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। इस कार्यक्रम के तहत राज्य में बेहतर प्रदर्शन करने वाले किन्हीं दो जिला स्तरीय अस्पतालों को पुरस्कृत करने का प्रावधान है।

इसमें पहले स्थान पर रहने वाले जिला स्तरीय अस्पताल को 50 लाख एवं दूसरे स्थान पर रहने वाले अस्पताल को 20 लाख रुपए देने का प्रावधान है। राज्य स्तर पर किन्हीं दो बेहतर प्रदर्शन करने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं अनुमंडलीय अस्पताल को भी अवार्ड के रूप में धनराशि दी जाएगी। इसमें पहले स्थान पर रहने सीएचसी या एसडीएच को 15 लाख एवं दूसरे स्थान पर रहने वाले अस्पताल को 10 लाख रुपए देने का प्रावधान है। साथ ही जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रथम स्थान पाने वाले स्वास्थ्य केंद्र को 2 लाख रुपए देने का प्रावधान है।

70 प्रतिशत उपलब्धि पर सांत्वना पुरस्कार

तय मानकों के सापेक्ष 70 प्रतिशत उपलब्धि पर सांत्वना पुरस्कार दिए जाने का भी प्रावधान बनाया गया है। सांत्वना पुरस्कार के रूप में सदर अस्पताल को 3 लाख, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों या अनुमंडलीय अस्पतालों को 1 लाख एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को 50 हजार रुपए दिए जाते हैं।

25 प्रतिशत धनराशि स्वास्थ्य कर्मियों में वितरित

अवार्ड के रूप में प्राप्त कुल धनराशि का 75 प्रतिशत अस्पताल के सुदृढीकरण में खर्च किए जाते हैं। जबकि स्वास्थ्य कर्मियों के बेहतर कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए कुल राशि का 25 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों के बीच वितरित किए जाते हैं।
तीन स्तर पर किया जाता है मूल्यांकन कायाकल्प अवार्ड के लिए कुल तीन स्तर पर मूल्यांकन किए जाते हैं। जिला स्तरीय अवार्ड के लिए आंतरिक मूल्यांकन के बाद जिला स्तर पर गठित गुणवत्ता मूल्यांकन टीम के द्वारा स्वास्थ्य केंद्र का मूल्यांकन किया जाता है।

उसके बाद राज्य स्तरीय टीम द्वारा चिन्हित स्वास्थ्य केंद्र का दौरा कर केंद्रीय टीम को रिपोर्ट भेजी जाती है। केंद्रीय टीम द्वारा दौरा कर जिला स्तरीय अवार्ड को फ़ाइनल किया जाता है। जबकि प्रखंड स्तरीय पुरस्कार के लिए सर्वप्रथम आंतरिक मूल्यांकन होता है। इसके बाद पीयर मूल्यांकन होता है जिसमें दूसरे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के द्वारा चिन्हित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का मूल्यांकन किया जाता है। आखिरी में जिला गुणवत्ता मूल्यांकन टीम द्वारा पुरस्कार घोषित किए जाते हैं।

इन मानकों पर तय होते हैं पुरस्कार

• अस्पताल की आधारभूत संरचना
• साफ-सफाई एवं स्वच्छता
• जैविक कचरा निस्तारण
• संक्रमण रोकथाम
• अस्पताल की अन्य सहायक प्रणाली
• स्वच्छता एवं साफ़-सफाई को बढ़ावा देना

  •  जिले में  7 अगस्त से चलाया जायेगा अभियान

Chhapra: सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग द्वारा शुक्रवार को कार्यालय में फाइलेरिया नियंत्रण के लिए मीडिया कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला को संबोंधित करते जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि फाइलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जिले में 7 से तक सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके लिए जिले में 39 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

1468 कर्मियों की टीम करेगी काम

जिले में फाईलेरिया उन्मूलन अभियान के लिए टीम का गठन कर लिया गया है। 1468 कर्मियों की टीम बनायी गयी है। प्रत्येक दस आशा कार्यकर्ताओं पर एक सुपरवाईजर की प्रतिनियुक्ति की गयी है। एक टीम छह दिन हीं काम करेगी। प्रत्येक आशा को एक दिन करीब 50 घर में दवा खिलाने का लक्ष्य दिया गया है। सभी आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि दस बजे के बाद हीं दवा खिलाना है ताकि कोई कोई खाली पेट दवा न खाये। प्रत्येक आशा को 50 घरों में दवा खिलाने पर 600 रूपये दिया जायेगा।

सेवन करने वाले लोगों की उँगलियों पर की जाएगी मर्किंग

शत-प्रतिशत लक्षित समूह को दवा सेवन सुनिश्चित कराने के मकसद से इस बार के एमडीए कार्यक्रम में कुछ नए बदलाव किए गए हैं। अब पोलियो अभियान की तर्ज़ पर एमडीए कार्यक्रम के दौरान भी दवा सेवन करने वाले लोगों के बाएँ हाथ की तर्जनी नाखून पर मर्किंग की जाएगी। इसके लिए सभी लक्षित ज़िलों में मार्कर की उपलब्धता सुनिश्चित कराई गयी है।4940 मार्कर उपलब्ध कराया गया है।

2 साल से कम उम्र के बच्चे एंव गर्भवती महिलाओं को नहीं दी जायेगी दवा

डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि 2 साल से अधिक सभी लोगों को फाइलेरिया की दोनों दवा खिलाई जाएगी। 2 साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रूप से पीड़ित लोगों को यह दवा नहीं खिलाई जाएगी।

आशा एवं आँगनवाड़ी सेविका-सहायिका घर-घर जाकर खिलायेंगी दवा

अभियान को सफल बनाने हेतु आशा एवं आँगनवाड़ी सेविका-सहायिका घर-घर जाकर लक्षित समुदाय को फाइलेरिया की दवा खिलाएगी। साथ ही आशा एवं आंगनवाड़ी यह सुनश्चित करेंगे कि उनके सामने ही लोग दवा का सेवन करें।

खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें

लोग खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें. कभी-कभी खाली पेट दवा खाने से भी कुछ समस्याएं होती है। लोगों में फाइलेरिया की दवा सेवन के साइड इफ़ेक्ट के बारे में कुछ भ्रांतियाँ है जिसे दूर करने की सख्त जरूरत है। फाइलेरिया की दवा सेवन से जी मतलाना, हल्का सिर दर्द एवं हल्का बुखार हो सकता है जो शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी के मरने के ही कारण होता है। यदि दवा खाने से कोई साइड इफ़ेक्ट होता है तो उसके उपचार के लिए एंटासीड कीट की भी व्यवस्था की गयी है।

डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियाँ खिलाई जायेगी

इस अभियान में डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियाँ लोगों की दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी. एलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है।

क्या है फाइलेरिया

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ दीपक कुमार ने बताया किया इसे हाथीपावं रोग के नाम से भी जाना जाता है। बुखार का आना, शरीर पर लाल धब्बे या दाग का होना एवं शरीर के अंगों में सूजन का आना फाइलेरिया की शुरूआती लक्ष्ण होते हैं। यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका (लिम्फैटिक) प्रणाली को नुकसान पहुँचाता है। फाइलेरिया से जुडी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा( पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील(अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को इसके कारण आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।

इस दौरान सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च से सहायक राज्य प्रबंधक रंजीत कुमार के साथ प्रवीण कुमार, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. दीपक कुमार, सीफॉर के डिविजनल कॉर्डिनेटर मीडिया गणपत आर्यन, डिविजनल कॉर्डिनेटर प्रोग्राम अमन कुमार, पीसीआई के जिला समन्वयक मानव कुमार, भीबीडी सुधीर कुमार सिंह समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।

60 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों की चिकित्सा की होगी विशेष व्यवस्था
 नेशनल प्रोग्राम और हेल्थ केयर ऑफ एल्डरली योजना के तहत बनेगा जिरियाट्रिक वार्ड 

Chhapra:   सदर अस्पताल में 45 लाख रुपए की लागत से 10 बेड की जिरियाट्रिक वार्ड का निर्माण कराया जाएगा. जिसमें 60 वर्ष से अधिक उम्र के मरीजों को जिरियाट्रिक वार्ड में उपचार की विशेष व्यवस्था होगी. पहले से उच्च चिकित्सा संस्थानों में ही जिरियाट्रिक वार्ड की व्यवस्था थी, लेकिन अब आम जनों की सुविधा के लिए सरकार ने यह पहल शुरू की है.

वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने का सरकार ने संकल्प लिया है, जिसके तहत भारत सरकार की स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल प्रोग्राम और हेल्थ केयर ऑफ एल्डरली योजना के तहत जिरियाट्रिक वार्ड बनाया जाएगा. इस योजना के लिए सरकार ने गैर आवर्ती मद से राशि का आवंटन किया है. सदर अस्पताल में जिरियाट्रिक वार्ड की सुविधा बहाल होने से वरिष्ठ नागरिकों को चिकित्सा सेवा का समुचित लाभ मिल सकेगा.

60 वर्ष से अधिक उम्र की अवस्था में होने वाली बीमारियों के इलाज की इसमें विशेष व्यवस्था की जाएगी. इलाज के साथ- साथ जीवन शैली में सुधार का भी उपाय किया जायेगा.

अलग से डॉक्टरों की होगी पोस्टिंग

सदर अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद ने बताया कि 45 लाख की लागत से जिरियाट्रिक वार्ड का निर्माण कराया जाएगा. इसके लिए अलग से विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती करने की योजना है. जिरियाट्रिक वार्ड बनाने के लिए सरकार ने 45 लाख की  राशि का आवंटन कर दिया है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में इस वार्ड को चालू वित्तीय वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. सारण प्रमंडलीय मुख्यालय के छपरा सदर अस्पताल इस सुविधा के बहाल हो जाने से आम जनों को काफी सहुलियत होगी. इस वार्ड में वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखते हुये सुविधाओं को विकसित करने का निर्देश दिया गया है. वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखते हुए उनके उपयोग के अनुकूल शौचालय का निर्माण कराने का निर्देश दिया गया है. साथ ही रैंप का भी निर्माण कराया जाना है. वार्ड में वॉशरूम की भी व्यवस्था रहेगी जिसमें कॉल-बेल की भी व्यवस्था रहेगी.

बुजुर्ग मरीजों को टहलने की होगी व्यवस्था

ग्राउंड फ्लोर पर बनने वाले इस वार्ड के समीप वरिष्ठ नागरिकों टहलने के लिए खुले जगह की भी व्यवस्था होगी. साथ ही वैसे मरीजों जो चलने में असमर्थ होंगे,  उन्हें व्हील चेयर पर बैठा कर घुमाने के लिए स्थान का प्रबंध करने का निर्देश दिया गया है. वॉशरूम आधुनिक होगा जिसमें कॉल बेल की भी सुविधा रहेगी.

इन बीमारियों का होगा इलाज

सिविल सर्जन माधवेशर झा ने बताया कि इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए आवश्यक कदम उठाया गया है. सदर अस्पताल इस सुविधा के बहाल हो जाने से आम जनों को काफी सहुलियत होगी. वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए वैसे सभी बीमारियों को चिन्हित किया गया है, जो 60 वर्ष की आयु के बाद होती है. भारत सरकार की स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल प्रोग्राम और हेल्थ केयर ऑफ एल्डरली योजना के तहत जिरियाट्रिक  वार्ड में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया, पार्किंसंस, अल्जाइमर, हृदय रोग, नेत्र रोग का इलाज की व्यवस्था करेगी. साथ ही इस वार्ड में उनके जीवन शैली में परिवर्तन कर बीमारियों का निदान करने के लिए अन्य उपाय भी किए जाएंगे.

  • फाइलेरिया उन्मूलन में आशा एवं आंगनबाडी सेविका करेंगी सहयोग, बैठक में दी गयी जानकारी
  • 7 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम की होगी शुरुआत,  घर-घर जाकर खिलाई जाएगी दवा

Chhapra:  फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में 7 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम की शुरूआत होगी। इसको लेकर सोमवार  को जिला मलेरिया पदाधिकारी के कार्यालय में सभी बीएचएम एवं बीसीएम की बैठक की गई एवं कार्यक्रम के लिए प्रस्तावित गतिविधियों के विषय में जानकारी एवं निर्देश दिये गए।

इस अवसर पर सिविल सर्जन माधवेश्वर झा ने बताया फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 7 अगस्त से शुरू होने वाली सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम को सफ़ल बनाने के लिए सभी आशा, आंगनवाड़ी सेविका, एएनएम सहयोग करेंगी। इसके लिए सभी बीएचएम एवं बीसीएम की आशा एवं आंगनवाड़ियों की बैठक कर फाइलेरिया पर चर्चा करेंगे। साथ ही आशा एवं आंगनवाड़ियां अपने क्षेत्र में लक्षित समूह को दवा खिलाने के लिए सामुदायिक जागरूकता का भी सहारा लेंगी। अधिक से अधिक लोगों को फाइलेरिया के विषय में जागरूक करने के लिए आशा, आंगनवाड़ी अपने आस-पास की महिलाओं को भी जागरूक करेंगी।

सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए जिला मलेरिया पदाधिकारी दिलीप सिंह ने बताया कि इस अभियान में डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियाँ लोगों की दी जाएगी। 2 से 5 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी। एलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है। डीईसी की गोली खाली पेट नहीं खाना है। अभियान में आशा एवं आंगनवाड़ी घर-घर जाकर लक्षित लोगों को दवा खिलायेंगी।कार्यक्रम मे सिविल सर्जन माधेश्वर झा डीएमओ दिलीप सिंह, वी भीवीडी सुधीर कुमार सिंह जिला सामुदायिक उत्प्रेरक ब्रजेन्द्र कुमार सिंह, पीसी आई के जिला समन्वयक मानव कुमार उपस्थित थे।

यह होंगे लक्षित समूह

हर व्यक्ति को इन दवाओं का सेवन करना है। केवल गर्भवती महिलाओं, दो साल से कम उम्र के बच्चों एवं गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को यह दवा सेवन नहीं करना है

* दो साल से पाँच साल तक के बच्चे  भी फाइलेरिया दवाओं का सेवन कर सकते हैं

* स्वास्थ्य कर्मी की निगरानी में ही दवा का सेवन करना है

Chhapra: सदर अस्पताल परिसर में स्वास्थ्य कर्मियों को आगलगी से होने वाली घटनाओं से बचाव का प्रशिक्षण जिला अग्निशमन विभाग के द्वारा दिया गया.

अग्निशमन कर्मियों के द्वारा मॉक ड्रिल कर घटना से बचने के उपाय सभी को बताया गया. वही आग पर सुरक्षित काबू पाने का सही तरीका बताते हुए मौके पर उपस्थित स्वास्थ्य कर्मियों से मॉक ड्रिल करवाया गया.

इस अवसर पर सीएस डॉ मधेश्वर झा, सदर अस्पताल के मैनेजर, अग्निशमन विभाग की ओर से कन्हैया यादव, विनोद कुमार तथा विदेशी पासवान सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे.

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Chhapra: जिले के 6.5 लाख बच्चों को विटामिन ए का सिरप पिलाया जाएगा. इसके तहत सघन विटामिन ए खुराक कार्यक्रम की शुरुआत जिले के नगरा प्रखंड स्थित आंगनबाड़ी केंद्र से शुरू की गई. जहां सिविल सर्जन मधेश्वर झा ने बच्चों को सिरप पिलाकर इस कार्यक्रम की शुरुआत की.

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17 से 20 जलाई तक चलेगा कार्यक्रम

इसके तहत 17 से 20 जुलाई तक जिले के 6.5 लाख बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें 9 महीने से लेकर 5 साल तक के बच्चों को यह खुराक पिलाया जाएगा. इसके तहत सदर अस्पताल समेत जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी इसकी सुविधा उपलब्ध कराई गई है. वहीं 18 से 20 जुलाई तक आशा एवम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर बच्चों को विटामिन ए की खुराक बच्चों को पिलाई जाएगी.

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विटामिन ए कार्यक्रम के बारे में डॉ रंजितेश ने बताया कि 1 साल तक के बच्चों को एक एमएल, वही 1 साल से 5 साल तक के बच्चों को 2 ml खुराक दी जाएगी. इसके लिए सदर अस्पताल समेत पूरे जिले में पूरी तरह से तैयारी है. बच्चों को घर घर जाकर खुराक पिलाया जाएगा.

इन रोगों से होगा बचाव

आपको बता दें कि विटामिन ए से त्वचा के इन्फेक्शन समेत रतौंधी जैसे बीमारियों से बचाव होता है विटामिन ए की कमी से यह सभी बीमारियां होती हैं साथी साथ रोगों से लड़ने की क्षमता में भी वृद्धि आएगी.

Chhapra: छपरा सदर अस्पताल में चल रहे बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के कार्यक्रमों का जायजा लेने अमेरिकी टीम छपरा पहुंची. टीम ने छपरा सदर अस्पताल के विभिन्न विभागों का जायजा लिया.

खासकर उनके द्वारा चलाए जा रहे कालाजार और शिशु स्वास्थ्य के कार्यक्रमों का टीम के सदस्यों ने गहन अध्ययन किया और व्यवस्था के प्रति संतोष जाहिर किया.

इस मौके पर जांच टीम ने इमरजेंसी वार्ड में पैथोलॉजिकल जांच सेवा केंद्र का उद्घाटन किया.

इसके पहले टीम ने सारण जिले के दरियापुर, गड़खा, परसा तथा तरैया, बनियापुर समेत कई प्रखंडों का निरीक्षण किया और गांवों में जाकर कालाजार मरीजों से मुलाकात की.