छपरा: सारण जिला जदयू के द्वारा बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए खाद्य सामग्री वितरण शिविर लगाया गया है.

बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र तरैया और पानापुर बाजार में जिला जदयू द्वारा सामग्री वितरण शिविर लगाया गया है. जहां बाढ़ पीड़ितों को चूड़ा, गुड़, सत्तू और अन्य खाद्य सामग्री प्रदान की जा रही है.

जदयू जिलाध्यक्ष अल्ताफ़ आलम राजू ने बताया कि शिविर 24 घंटे कार्यरत रहेगा. बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पार्टी की ओर से सुविधा सहायता मुहैया कराई जाएगी.

कैम्प का उद्घाटन जिलाध्यक्ष ने फीता काट कर किया.

इस मौके पर जदयू नेता शैलेन्द्र प्रताप सिंह, संतोष महतो, वैद्यनाथ प्रसाद विकल, नवल किशोर कुशवाहा, मो फ़िरोज उपस्थित थे.

पटना: गंगा तट पर बसे राज्य के 12 जिलों में इन दिनों बाढ़ का कहर जारी है. बाढ़ का पानी गाँव से लेकर शहरों के कई इलाकों में भी फैल रहा है.

गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर और कटिहार जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. गंगा नदी के जलस्तर में हालांकि कमी दर्ज की जा रही है. जिससे हालात सुधारने की उम्मीद है. 

बाढ़ से राज्य के 12 जिलों के 73 प्रखंडों के 1,934 गांव की 31.33 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है. वही बाढ़ से अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है. शुक्रवार को गंगा के जलस्तर में कमी आई है. पटना के गांधीघाट पर गंगा के जलस्तर 50.01 मीटर तथा दीघाघाट में 51.58 मीटर दर्ज किया गया. गांधी घाट में गुरुवार को गंगा का जलस्तर 50.13 मीटर रहा.

आपदा प्रबंधन विभाग का दावा है कि बाढ़ से प्रभावित सभी जिलों में राहत और बचाव कार्य जारी है, हालांकि कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का आरोप है कि सरकार द्वारा राहत और बचाव कार्य नाकाफी है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना जिले के कई बाढ़ राहत शिविरों को जायजा लिया और वहां रह रहे बाढ़ पीड़ितों की समस्याएं सुनीं. मुख्यमंत्री ने बाढ़ पीड़ितों को उचित सुविधा मुहैया कराने का आश्वासन दिया.

छपरा: जिले में बाढ़ की विभीषिका से सभी त्रस्त हैं. जीवित हों या मृत सभी के लिए यह बाढ़ मुसीबत बन गया है. हर ओर बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है ऐसे में मृत शवों को दफ़नाने और उसके दाह संस्कार के लिए दो गज ज़मीन भी नहीं मिल रही है, जिससे की शवों का अंतिम संस्कार किया जा सके.

इसे भी पढ़े: बाढ़ के बाद भी नहीं चेता नगरपरिषद, शहर की सफाई व्यवस्था बदहाल

सोनपुर से लेकर दिघवारा, डोरीगंज, छपरा शहर का निचला इलाका, ईनई, रिविलगंज, सेमरिया सहित मांझी तक सिर्फ पानी ही पानी है. यहाँ रहने वाले लोग अपने और अपने परिवार के जीवन को लेकर प्रतिदिन जेद्दोजेहद में जुटे हैं. नदी के घाट पूरी तरह से जलमग्न हैं और अगले एक माह तक घाटों से पानी कम होने के कोई आसार नही दिख रहे है.

इसे भी पढ़े: आशियाने को बाढ़ ने किया बर्बाद, मकान धराशायी

रिविलगंज के सेमरिया में स्थित जिले का एक मात्र शव दाह गृह विभागीय उपेक्षा का शिकार है. जिले के ग्रामीण इलाकों से प्रतिदिन सैकड़ों लोग मृत शवों के अंतिम संस्कार को लेकर शहर का रुख करते हैं. डोरीगंज घाट और रिविलगंज का सेमरिया घाट शवों के संस्कार के लिए जाना जाता है. ऐसा मानना है कि नदी किनारे शव के अंतिम संस्कार करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन इन दिनों जगह के आभाव में लोग सड़क पर ही शवों के अंतिम संस्कार करने को विवश हैं. जिससे न सिर्फ वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है.

Santosh Kumar/Surbhit Dutt/Kabir Ahmad

छपरा: बाढ़ के पानी के छपरा शहर में आने के बाद नगर परिषद् की सफाई व्यवस्था की पोल खुल गई है.  शहर को स्वच्छ रखने के तमाम वादे करने वाले नगरपरिषद की कार्यप्रणाली स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रही हैं.

बीते दिनों शहर के साहेबगंज, थाना चौक और नगरपालिका चौक जैसे व्यस्ततम इलाकों में बाढ़ का पानी आने की प्रमुख वजह नालों की समय पर सफाई नहीं होना है. शहर के अधिकतर मुहल्लों में नाला पूरी तरह जाम है जिसके चलते ही बाढ़ का पानी नालों में जाने के बजाये सड़कों पर बहने लगा.

इसे भी पढ़े: बाढ़ के पानी में बच्चे ले रहे तैराकी का मजा

बाढ़ के बाद भी नहीं चेता नगरपरिषद

बाढ़ के पानी का शहर में आने की प्रमुख वजह नालों की ठीक से सफाई नहीं होना ही है. शहर में बाढ़ का पानी आने से स्थिति बिल्कुल नारकीय हो गई है. नाले का कचड़ा पानी के साथ सड़क पर बह रहा है. इन सब से बीच नगरपरिषद् इस घटना से सबक लेने की जगह शहर की साफ़-सफाई में काफी ढिलाई बरत रहा है. अभी भी अधिकतर मुहल्लों में नाला जाम होने की वजह से बाढ़ का पानी जमा है. कई जगहों पर तो पानी के साथ तेज दुर्गन्ध ने आस-पास के लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. 

इसे भी पढ़े: आशियाने को बाढ़ ने किया बर्बाद, मकान धराशायी

आर्यसमाज स्कूल के गेट पर बह रहा नाले का पानी

छपरा के आर्यसमाज स्कूल के मेनगेट पर नाले का पानी सड़क पर बह रहा है. स्कूल में जाने का एक मात्र यह रास्ता छात्र-छात्राओं के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर रहा है. स्कूल जा रही छात्राओं को नाले के पानी से ही गुजर कर प्रांगण में जाना पड़ रहा है. नगर निगम बनने की दहलीज पर खड़ा छपरा नगरपरिषद बाढ़ की विभीषिका के बाद भी चेत नहीं सका है.

Prabhat Kiran Himanshu/Kabir Ahmad

छपरा: जीवन भर मेहनत कर इंसान का एक ही सपना होता है कि वह अपने लिए एक आशियाना बनाये. ये आशियाना अगर उसके सामने तबाह हो जाये तो उसके दिल पर क्या बीत रही होगी उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता.

बाढ़ की त्रासदी झेल रहे जिले के कई ऐसे क्षेत्र है जहाँ किसी की झोपड़ी डूब गयी तो किसी का दो मंजिला मकान ध्वस्त हो गया. शहर के ब्रह्मपुर में बाढ़ के पानी के कटाव से क्षतिग्रस्त हुए भगवान प्रसाद का दो मंजिला मकान गुरुवार की रात धराशायी हो गया. बाढ़ के पानी ने उनके सपने के आशियाने को कुछ मिनटों में छीन लिया.

इसे भी पढ़े: बाढ़ के बाद भी नहीं चेता नगरपरिषद, शहर की सफाई व्यवस्था बदहाल

देखे वीडियो⁠⁠⁠⁠

Surabhit Dutt/Kabir Ahmad

छपरा/सोनपुर: सोनपुर अंचल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का मंगलवार को जिलाधिकारी दीपक आनंद और पुलिस अधीक्षक पंकज कुमार राज ने जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने बाढ़ प्रभावित सोनपुर प्रखंड के विभिन्न राहत शिविरों का निरीक्षण किया.

डीएम ने राम सुन्दर दास काॅलेज, डीआरएम कार्यालय एवं छोवा गोदाम स्थित राहत कैम्प का निरीक्षण किया. उन्होंने बाढ़ पीड़ितों के साथ मुलाकात कर, उनकी समस्याओं की जानकारी प्राप्त की. वही राहत शिविर में जिलाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक ने बाढ़ पीड़ितों के साथ बैठकर भोजन भी किया.

इसके बाद जिलाधिकारी ने मीरदाहा विद्यालय, पहलेजा घाट, रामलखन दास आश्रम, नयागांव स्टेशन, शोभेपुर, हासिलपुर तथा दुधैला मोर पर राहत कैम्प नियमित रूप से चलाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि रामसुन्दर दास काॅलेज स्थित राहत कैम्प में 550, डीआरएम काॅलेज स्थित राहत शिविर में 600, छोवा गोदाम स्थित कैम्प में 750, मीरदाहा विद्यालय स्थित राहत कैम्प में 450, पहलेजा घाट स्थित राहत कैम्प में 750, रामलखन दास आश्रम स्थित राहत कैम्प में 250, नयां गांव स्टेशन राहत कैम्प में 500, शोभेपुर स्थित राहत कैम्प में 500, हासिलपुर स्थित राहत कैम्प में 300 तथा दुधैला स्थित राहत कैम्प में 300 बाढ़ पीड़ितों कों भात, दाल, सब्जी सहित भोजन स्टील के बरतन में दिया जा रहा है.

नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. बिहार में बाढ़ के हालात को लेकर नीतीश कुमार ने पीएम मोदी से करीब आधे घंटे बात की.

मुख्यमंत्री नीतीश ने फरक्का बांध का मुद्दा भी उठाया है.उनके मुताबिक फरक्का बांध में काफी मात्रा में गाद जमी हुई है, जिसकी वजह से बांध का पानी बिहार के अंदरुनी इलाकों में आ जाता है और यहां बाढ़ के हालात बन जाते हैं.


गौरतलब है कि बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. बिहार में गंगा नदी के बढ़े हुए जल स्तर और तेज जल प्रवाह के कारण इस नदी के किनारे अवस्थित जिलों बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर और कटिहार जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

छपरा (संतोष कुमार बंटी): छपरा शहर के कई क्षेत्र नदी के पानी से जलमग्न हो चुके है. गंगा,सोन और सरयु नदी के जलस्तर में हो रही वृद्धि के कारण शहर के निचले इलाको के बाद बाढ़ के पानी ने शहर का रुख किया है. शहर की हृदयस्थली नगरपालिका चौक, थाना चौक पर बाढ़ का पानी पहुँचना शहरवासियों के लिए शुभ संकेत नहीं है. उपर से सरकारी चेतावनी लोंगो को और सोचने पर मजबूर कर रही है. flood

प्रशासन इस आपदा से निपटने के लिए पिछले कई महीनो से योजना का निर्माण कर रही है लेकिन पानी बढ़ने के साथ ही उनकी योजनाओ और कार्यो की पोल खुल गयी है. जिसके कारण अब शहर भी लोंगो के लिए सुरक्षित नही दिख रहा है.

शहर में यहाँ तक पंहुचा बाढ़ का पानी

शहर के सबसे रिहायशी इलाके साहेबगंज में पानी पहुँच चुका है. सोनारपट्टी, करीम चक,राहत रोड, कटहरी बाग़, बुटनबाड़ी, दहियांवा, धर्मनाथ मंदिर, गुदरी, सरकारी बाजार, तिनकोंनिया यहाँ तक कि नगरपलिका चौक, थाना चौक और मौना चौक तक पानी पहुँच चुका है. नदियों में जिस तरह से वृद्धि हो रही है उसी तरह पानी दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा में आगे बढ़ रहा है.

 

flood 4
नगरपालिका चौक पर लगा बाढ़ का पानी

किन कारणों से शहर में रुका बाढ़ का पानी

नदी के जलस्तर में हुई बढ़ोतरी से निचले इलाको का प्रभावित होना स्वाभाविक है. लेकिन शहर के रिहायशी इलाकों में पानी का लगना प्रशासनिक और सरकारी विफलता का कारण है. 

कई दशक बाद नदी के जलस्तर में इतनी बढ़ोतरी हुई है. लेकिन कई वर्षो पूर्व ऐसी स्थिति को देख चुके लोंगो का कहना है कि चंवर पूरी तरह से खाली है ऐसे में शहर में बाढ़ का पानी आना चिंता का विषय है.

 

flood 3
अपनी किश्मत पर रोता खनुआ नाला, कचड़े से जाम

इसे भी पढ़े: डीएम कार्यालय से न्यायाधीश कॉलोनी तक पहुंचा बाढ़ के पानी

इसे भी पढ़े:  आपदा प्रबंधन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए तैयार किये फूड पैकेट

पंकज कुमार अग्रवाल का कहना है कि एक समय था जब नदी से लेकर मौना चौक होते हुए नाले में नाव चला करती थी. बाढ़ का पानी इन्ही रास्तो से होकर चंवर में चला जाता था जिससे खेती होती थी. नाला को ख़त्म कर सुरक्षा के मद्देनजर पाइप लगाया गया. समय बदला और उस पाइप को हटा कर पुनः नाला बना दिया गया. लेकिन नगर परिषद् ने खनुआ नाला पर दुकान बना दिया. खनुआ नाला की आज तक कभी सफाई नही की गई जिससे आज शहर में बाढ का पानी आ गया है.

गोपाल प्रसाद का कहना है कि 70-90 के दशक में नदी का जलस्तर बढ़ता था. उस समय खनुआ नाला से पानी दो रास्ते से होकर जाता था. उन्होंने बताया कि सरकारी बाजार के समीप यह नाला दो भागो में बंट जाता था. एक सीधे मौना चौक के रास्ते होकर रामनगर के चंवर में जाता था और दूसरा तिनकोनिया, सिविल कोर्ट, नगरपालिका चौक, श्रीनंदन लाईब्रेरी के रास्ते जगदम कालेज के नजदीक रेलवे नाला में जाता था.

flood 7
प्राथमिक विद्यालय, ब्रहमपुर के प्रांगन में भरा बाढ़ का पानी
flood 5
सड़क पर खटिया लगा कर बैठे बच्चे, तस्वीर ब्रहमपुर की है.

नदी का पानी इन रास्तो से होकर ही सिविल कोर्ट पोखरा और शिल्पी पोखरा में जाता था. लेकिन यह रास्ता प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब अतिक्रमण कर लिया गया है. नाला पर कई लोगों ने दुकान तो कितनों ने घर बना लिया है.वही शिल्पी पोखरा का अस्तित्व अतिक्रमण से अब समाप्त होने के कागार पर है.  

इसे भी पढ़े: आपदा प्रबंधन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए तैयार किये फूड पैकेट

ऐसे में अगर नदी के जलस्तर में जब भी वृद्धि होगी तो अब शहर की सड़कों पर बाढ़ आना स्वाभाविक है. इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन को पहले जल निकासी के लिए खनुआ नाला की सफाई करनी होगीं साथ ही साथ शहर और उनसे सटे क्षेत्रो में बने पोखर को अतिक्रमण मुक्त कर सफाई करानी होगी.

छपरा: बाढ़ सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के छपरा इकाई द्वारा स्काउट के 50 से भी ज्यादा कैडेटों के साथ मिलकर शहर में एक जागरूकता रैली निकाली गई.

इस रैली के दौरान शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर बैनर-पोस्टर एवं हैंडविल के माध्यम से आम जनता को बाढ़ के संकट से निपटने के लिए जागरूक किया गया.कैडेटों द्वारा बाढ़ के दौरान जान-माल की सुरक्षा हेतु भी लोगों को कई उपाए बताए गए.

इस जागरूकता रैली के पश्चात शहर के होली क्रॉस स्कूल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें रेड क्रॉस की स्थानीय सेक्रेटरी जीनत जरीन मसीह ने युवाओं को बाढ़ सुरक्षा के कई प्रमुख उपाय बताते हुए सारण के बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में जाकर जागरूकता अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया.

इस कार्यक्रम में रेड क्रॉस छपरा के कोषाध्यक्ष सुरेश कुमार सिंह, ए.डी. मसीह, जितेंद्र कुमार समेत स्काउट के कई कैडेट उपस्थित रहे.