बारिश नहीं होने से किसान परेशान, खेतों में नमी की कमी ने बुआई पर डाला असर
Chhapra: आम तौर पर किसानों को किसानी करने में दिक्कतें आती ही हैं, लेकिन सावन के इस महीने में हालात और भी ज्यादा खराब हो गए हैं। समय पर बारिश नहीं होने के कारण किसान बेहद परेशान हैं। खेतों में नमी नहीं होने से फसलों की बुआई प्रभावित हो रही है। जहां अब तक धान और मक्का की बुआई 100 प्रतिशत पूरी हो जानी चाहिए थी, वहीं यह आंकड़ा 50 प्रतिशत के पास भी नहीं पहुंच सका है। लगातार बारिश नहीं होने की वजह से खेत सूखे पड़े हैं, जिससे बुआई की प्रक्रिया पिछड़ गई है।
“न बारिश हो रही, न बिजली मिल रही”
किसानों का कहना है कि न तो बारिश हो रही है और न ही समय पर बिजली आ रही है। खेतों को जरूरत के अनुसार पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में खेती पिछड़ रही है और किसानों की परेशानियां भी बढ़ती जा रही हैं।
एक किसान ने नाराजगी जताते हुए कहा, “लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन कोई किसान की ओर ध्यान नहीं देता। किसान को हर दिन जूझना पड़ता है। गरीब किसान, गरीब ही रह जा रहा है। हर चीज़ का समाधान निकल गया, लेकिन खेती की समस्या का अब तक कोई ठोस हल नहीं निकला। पता नहीं निकलेगा भी या नहीं।”
रिमझिम बारिश से मक्का को राहत, धान को नहीं मिला लाभ
हाल ही में हुई हल्की बारिश से मक्का की फसल को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन किसानों का कहना है कि धान की रोपाई के लिए यह बारिश नाकाफी है। धान की अच्छी रोपाई के लिए लगातार चार से पांच घंटे की मूसलधार बारिश जरूरी होती है, जो अब तक नहीं हो सकी है।
मड़ुआ, मसूरिया और बाजरा की खेती विलुप्ति की कगार पर
वर्तमान समय खरीफ फसलों का है। इनमें मक्का, धान, मड़ुआ, मसूरिया और बाजरा प्रमुख हैं। हालांकि अब मक्का और धान की खेती को ही प्रमुखता दी जा रही है। पहले जहां मड़ुआ और बाजरे की खेती बड़े पैमाने पर होती थी, अब इन फसलों का प्रचलन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।
शहरी पलायन और खेतों से दूरी बनी बड़ी वजह
ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे शहरी पलायन और खेती से जुड़ाव की कमी के चलते खेतिहर मजदूरों की संख्या घटती जा रही है। इसका सीधा असर परंपरागत फसलों पर पड़ा है, जो अब विलुप्ति की कगार पर हैं।
पैकेट भी खेत से ही भरते हैं: एक किसान
इस विषय पर एक बुजुर्ग किसान ने कहा, “लोग खेती छोड़ शहर भाग रहे हैं, लेकिन ये नहीं समझ रहे कि शहर के ईंट-पत्थर से पेट नहीं भरता। लाख कमाओ, लेकिन रोटी खेत से ही आती है। नई पीढ़ी पैकेट वाले खाने पर आ गई है, पर ये पैकेट भी खेत से ही भरते हैं।”
इस बार सावन में न तो बादलों ने साथ दिया और न ही व्यवस्था ने। नमी की कमी से बुआई पिछड़ गई है और किसान भारी संकट में हैं। ऐसे में जरूरत है कि किसानों को समय पर संसाधन, बिजली और सिंचाई की सुविधा दी जाए, ताकि वे आने वाले समय में फसल की उम्मीद से फिर जुड़ सकें।