Chhapra: स्थानीय सेंट्रल पब्लिक स्कूल छपरा के प्रांगण में पुलवामा में आतंकियों के हमले में सीआरपीएफ के 44 जवानों की शहादत के प्रति शोक सभा का आयोजन किया गया. जिसमें विद्यालय के बच्चों के साथ ही पूरा विद्यालय परिवार अश्रुपूर्ण नेत्रों से अमर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर आतंकी हमले की घोर निंदा की.

इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक डॉ हरेन्द्र सिंह, प्राचार्य मुरारी सिंह, प्रबंधक विकास कुमार, अश्विनी कुमार समस्त छात्रों और शिक्षकों ने आतंकी हमला का निंदा करते हुए सरकार से आतंकियों का सफाया करने का आग्रह कर अपनी सजल नेत्रों से अमर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की.

Chhapra: दीपावली से पहले रविवार को शहर के कचहरी स्टेशन स्थित दुर्गा मंदिर में 700 से अधिक दीप जलाकर देश के लिए शहीद सैनिकों को नमन किया गया. दीप जलाने का यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था लिओ क्लब के सदस्यों द्वारा किया गया था. इस दौरान क्लब के सदस्यों ने मंदिर परिसर में 700 से अधिक मिट्टी के दिये जलाकर वीर जवानों को नमन किया.

इस मौके पर मन्दिर को दियों  से खूबसूरती से सजाया गया था. इन दियों से निकलते लव से मंदिर जगमग नजर आ रहा था. इस कार्यक्रम के बाद क्लब के अध्यक्ष साकेत श्रीवास्तव ने बताया कि दीपावली से पहले एक दीपक शहीदों के नाम कार्यक्रम के तहत आज मंदिर परिसर को मिट्टी के दियों से सजाया गया है. आज उन वीर सैनिकों को याद किया गया है जो देश के लिए लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये.

इस पूरे कार्यक्रम के दौरान मौके दर्जनों की संख्या में लियो क्लब के सदस्य उपस्थित थे.

रक्सौल: भारत-पाक सीमा पर फायरिंग के दौरान शहीद हुए जवान जितेन्द्र कुमार का पार्थिव शरीर रक्सौल लाया गया है. यहां से उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव लाया गया है. शहीद पति का पार्थिव शरीर देखकर पत्नी बेहोश हो गयी. वहीं शहीद की बेटी बोली पापा आँखे खोलो. शहीद जितेन्द्र कुमार के अंतिम यात्रा में जन सैलाब उमड़ा है.

जितेन्द्र कुमार बीएसएफ में हेड कांस्टेबल के पद पर कश्मीर के आरएसपुरा सेक्टर में तैनात थे. आरएसपुरा सेक्टर में बीएसएफ चौकियों पर कल पाक ने निशाना बनाकर जबर्दस्त गोलीबारी की थी.

उधर पाकिस्‍तान की ओर से सीजफायर का उल्‍लंघन लगातार जारी है. आज अहले सुबह से जारी पाकिस्‍तानी गोलीबारी में बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया. शुक्रवार को बीएसएफ ने पाकिस्‍तान की ओर से की जा रही गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया. इसमें कई पाकिस्‍तानी सैनिकों के मारे जाने की भी खबर है. आज भी पाकिस्‍तानी गोलीबारी का बीएसएफ पूरी ताकत से जवाब दे रही है.

कुरुक्षेत्र: जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर के माछिल में पाकिस्तानी सेना की फायरिंग 17 सिख रेजिमेंट के जवान मंदीप सिंह शहीद हो गए. शहादत के बाद जवान मंदीप सिंह के पार्थिव शरीर के साथ आतंकियों ने बर्बरता की.

दिवाली से ठीक पहले बेटे की शहादत की खबर मिलते ही पूरे परिवार में मातम पसर गया. शहादत पर जवान मंदीप सिंह पत्नी बोली लड़ाई बन्द करो ताकि कोई और विधवा ना हो, या फिर आर-पार की करो.

बताते चलें कि शहीद मंदीप सिंह हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहनेवाले थे. साल 2008 में शहीद मंदीप सिंह सेना में भर्ती हुए थे. महज 27 साल की उम्र में मंदीप देश पर कुर्बान हो गए. मंदीप सिंह तकरीबन छह महीने पहले छुट्टी बिता कर गए थे और दीवाली पर उन्हें फिर से छुट्टियों पर आना था लेकिन सरहद पर तनाव के चलते उसकी छुट्टियां रद्द हो गईं थी.

सीवान (नवीन सिंह परमार): गया में सोमवार को नक्सलियों के साथ हुए मुठभेड़ में शहीद हुए सीवान के दरौली प्रखंड के खरदरा गांव के रवि कुमार सिंह का पार्थिव शरीर मंगलवार की रात्रि खरदरा गांव पहुंचा. बुधवार को सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में तिरंगे में लिपटा शहीद की अंतिम यात्रा खरदरा से चल कर सरयू नदी के तट दरौली पहुंचा.CRP

शहीद के अंतिम यात्रा में जहाँ प्रशासनिक अधिकारियों की काफिला चल रहा था. वही स्थानीय लोग विशेष कर के युवाओं का जन-सैलाब उमड़ पड़ा था. शहीद रवि सिंह का सीवान के दरौली घाट पर पुरे राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कर दिया गया. सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में शहीद के पिता मिथलेश सिंह ने जब अपने कलेजे के टूकङे को मुखाग्नि दिया तो पुरा वातावरण भारत माता की जय व शहीद रवि सिंह अमर रहे नारों गुंज ऊठा.

CRPF के जवानों ने दिया अपने दिवंगत साथी को दिया गॉड-ऑफ़-ऑनर

शहीद रवि के अंतिम संस्कार के पहले CRPF के द्वारा अपने शहीद साथी को अंतिम विदाई के रूप में गॉड-ऑफ़-ऑनर दिया गया. इस मौके पर ग्रुप कमांडेंट विनय राय, सहाय कमांडेंट मुरली झा, डिप्टी कमांडेंट सरवर खान अपने जवानों के साथ उपस्थित थे.

सीवान जिलाधिकारी ने दी सरकार की ओर से श्रद्धांजलि CRPF SIWAN 1

दरौली घाट पर ही सरकार की ओर से शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र समर्पित कर के सीवान जिलाधिकारी महेन्द्र कुमार ने अंतिम विदाई दी. इस मौके पुलिस अधीक्षक सौरभ कुमार साह, अपर पुलिस अधीक्षक अरविन्द कुमार, प्रशासन के अधिकारियों में BDO चंदन कुमार, CO संजीव कुमार सिन्हा, CO कमलेश कुमार, दरौली थानाध्यक्ष अशोक कुमार, आंदर थानाध्यक्ष धर्मेन्द्र कुशवाहा सहित दर्जनों की संख्या में स्थानीय नागरिक व जनप्रतिनिधि उपस्थित थे.

 

साभार: श्रीनारद मीडिया सर्विसेज, सीवान

श्रीनगर: पुलवामा जिले में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले और मुठभेड़ में रविवार को पैरा ट्रूपर्स के एक कैप्टन जवान शहीद हो गए. शनिवार को पंपोर इलाके में ईडीआई इमारत में शुरू हुए मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 3 जवान पहले ही शहीद और 10 अन्य घायल हो चुके हैं. गोलीबारी में एक स्थानीय नागरिक की भी मौत हो गई.

10वीं पैराट्रूपर्स टीम के 22 वर्षीय कैप्टन पवन कुमार मुठभेड़ में घायल हो गए थे. श्रीनगर के बादामीबाग में सेना के बेस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. उधर मुठभेड़ अब भी जारी है. पुलिस और सेना ने मिलकर आंतकियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है.

शनिवार दोपहर करीब 3:30 बजे काफिले पर हमला किया गया. रात होने के कारण सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन रोक दिया था. सुबह होते ही ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है. बीती रात से सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर रखा है. दो से तीन आतंकी एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टी‍ट्यूट (ईडीआई) की इमारत में छिप गए हैं. पुलिस के मुताबिक इमारत में करीब 100-120 लोग फंसे हुए थे. उन सबको सुरक्ष‍ित निकाल लिया गया है.

 

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नयी दिल्ली: सियाचिन में बर्फीले तूफ़ान के चपेट में आकर 35 फुट बर्फ के नीचे फंसे रहने का बाद बचाव दल द्वारा जिन्दा निकाले गए लांसनायक हनुमनथप्पा नहीं रहे. गुरुवार सुबह 11:45 बजे उन्होंने दिल्ली के सेना के आरआर अस्पताल में आखिरी सांस ली. 

लांस नायक #Hanamanthappa नहीं रहे….सेना के अस्पताल में भर्ती थे. सियाचिन हादसे में 6 दिनों तक दबे रहने के बाद उन्हें जिन्दा बाहर निकाला गया था. भारत माँ के इस वीर सपूत को हमारी श्रद्धांजलि….

Posted by Chhapra Today on Wednesday, February 10, 2016

इससे पहले खबर मिली थी कि उनकी हालत और बिगड़ गई है और वह गहरे कोमा में चले गए हैं. हनुमंतप्पा के शरीर के कई अंग काम नहीं कर रहे थे, उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया के लक्षण पाए गए थे, तथा उनके दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा थी. उनकी हालत बेहद गंभीर बताई गई थी.

हनुमंतथप्पा का सफ़र
33 साल के हनुमंतप्पा अक्टूबर 2002 में सेना से जुड़े. वे मद्रास रेजिमेंट की 19वीं बटालियन में रहे. अब तक की 13 साल की नौकरी में उन्होंने 10 साल बेहद चुनौती भरे इलाक़ों में गुजारी. 2003 से 2006 तक जम्मू-कश्मीर के माहोर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे. 2008 से 2010 के बीच फिर जम्मू-कश्मीर में 54, राष्ट्रीय राइफ़ल्स, मद्रास के साथ 2010 से 2012 के बीच पूर्वोत्तर में एनडीएफ़बी और उल्फ़ा से लड़े. अगस्त 2015 से सियाचिन में दिसंबर 2015 में 19,600 फुट ऊंची चौकी पर तैनाती हुई थी.