Chhapra: कोविड-19 कोरोना वायरस को लेकर देश में संपूर्ण लॉक डाउन है. लॉक डाउन के दौरान मुस्लिम समुदाय का सबसे पवित्र महीने रमजान शुरू हो गया है. रमजान के पहले दिन बच्चों ने भी रोजा रखा. घर वालों ने सेहरी से लेकर इफ्तार तक विशेष ख्याल रखा.

9 वर्षीय सादिया तबस्सुम ने कहा कि मैं कई वर्षों से रोजा रख रही हूं. मुझे रोजा रखना अच्छा लगता है. रमजान महीना साल में एक बार आता है. वही मोहम्मद सूफिया अली ने कहा कि रमजान बरकतों का महीना है. लॉक डाउन की वजह से स्कूल की छुट्टी भी है. इसलिए इस बार में पूरा रोजा रखूंगा.

वहीं 8 वर्षीय माज़ आलम ने कहा कि हम सब करोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहे हैं. हम सबको इससे मिलकर लड़ना है. घर में रहकर अल्लाह की इबादत करनी है और नमाज पढ़ना है. यह समय गुनाहों के तौबा करने का है. अपने मुल्क और दुनिया के लिए दुआ कर रहे हैं.

Chhapra: कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. मुसलमानों का पवित्र रमजान का महीना 24 या 25 अप्रैल से शुरू होने की संभावना है. मुसलमानों को शुरुआती हफ्ते का रोजा लॉकडाउन के बीच ही रखना होगा और तरावीह की नमाज पढ़ने से लेकर बाकी इबादत भी अपने-अपने घरों से करनी होगी.

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मुस्लिम समुदाय के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है रमजान का महीना

मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समाज के लोग पूरे एक महीने खुदा की इबादत करते हैं. मुसलमान दिन में पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत और दिन में रोजा रखकर करते है. सुबह सहरी और शाम को सूरज ढलने के बाद एक इफ्तार करते हैं. इसके अलावा मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान में तरावीह की विशेष नमाज को सामूहिक रूप अदा करते हैं.

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भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मस्जिदें पूरी तरह से है बंद

दरअसल कोरोना संक्रमण के चलते भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मस्जिदें पूरी तरह से बंद हैं. मुसलमानों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल मक्का और मदीना तक बंद है. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए सरकार और मुस्लिम धर्मगुरुओं के द्वारा मुस्लिम समुदाय से अपने-अपने घरों से नमाज पढ़ने और इबादत करने की अपील लगातार की जा रही है.

(कबीर की रिपोर्ट) रमज़ान का महीना गुरुवार से शुरू हो रहा है. बुधवार की शाम चाँद का दीदार हुआ. बुधवार की रात से मस्जिदों में तरावीह शुरू हो गयी और गुरुवार से पहला रोजा रखा जायेगा.

इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से नौवां महीना सबसे पाक होता है, जो कि रमजान का महीना है. इस्लाम धर्म में अच्छे इंसान को बखूबी परिभाषित किया गया है. इसके लिए मुसलमान होना ही काफी नहीं, बल्कि बुनियादी पांच कर्तव्यों को अमल में लाना आवश्यक है.

पहला इमान, दूसरा नमाज, तीसरा रोजा, चौथा हज और पांचवां जकात. इस्लाम में बताए गए इन पांच कर्तव्य इस्लाम को मानने वाले इंसान से प्रेम, सहानुभूति, सहायता तथा हमदर्दी की प्रेरणा स्वतः पैदा कर देते हैं. जिसका मतलब है रुकना. जकात इसी महीने में अदा की जाती है.

इस बार रमज़ान के पूरे महीने में 5 जुमे पड़ेंगे. पहला जुमा रमज़ान शुरू होने के अलगे दिन 18 मई को पड़ेगा वहीं, 15 जून को आखिरी जुमा होगा, जिसे अलविदा जुमा कहा जाता है.

आपको बता दें रमज़ान का पाक महीना पूरे 30 दिनों का होता है, इस पूरे महीने रोज़े रखे जाते हैं.

छपरा: रमज़ान शुरू होते ही शहर के बाज़ारों में रौनक बढ़ गयी है, दुकाने सज गयी हैं. छपरा के खनुआ बाज़ार पर सुबह और शाम खरीददारी को लेकर काफी भीड़ देखी जा रही है.

रोजेदार सेहरी और इफ्तार के खरीददारी के लिए बाज़ार में देखे जा रहे है. जिससे बाजार में रौनक बढ़ गयी है. रमजान के दौरान इफ्तार और सेहरी के लिए जरूरी सामानों की इन दिनों खरीदारी हो रही है. नान रोटी, रुहफ्ज़ा, लच्छा आदि की बिक्री बढ़ गयी है.

हम आप तक पहुंचा रहे है छपरा के बाज़ार नें सामानों के भाव.

1. लच्छा- 60-100 रूपये प्रति किलो

2. रुमाली सेवई (सादा)- 70 रूपये प्रति किलो

3. रुमाली सेवई (भुना)- 80 रूपये प्रति किलो

4. पिनखाजूड़- 250-300 रूपये प्रति किलो

5. मुरब्बा- 80 रूपये प्रति किलो

6. नान रोटी- 12-20 रूपये प्रति पीस

7. बखरखानी- 35-40 रूपये प्रति पीस