Chhapra: नगर थाना क्षेत्र के बड़ा तेलपा में अहले सुबह जमीनी विवाद में पड़ोसी ने धारदार हथियार के काट कर हत्या कर दिया. हत्या का कारण पूर्व से चले आ रहे जमीनी विवाद बताया जा रहा है. मौत की खबर मिलते ही घर में मातम छा गया. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में ले लिया है.

घटना के सम्बंध में बताया जाता है कि पूर्व से ही जमीन के विवाद में दो पक्षो में तनाव था. जिस मामले में एक पक्ष के अकबर अली और उसके परिजनों ने मोहमद हुसैन नाम के एक व्यक्ति को सुबह खेत घूमने के क्रम में तलवार से काट कर हत्या कर दी. हत्या के बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

प्रभात किरण हिमांशु की रिपोर्ट

आपराधिक गतिविधियों के लिए देश भर में चर्चित बिहार का जिला सीवान एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. इस बार चर्चा का केंद्र बना है पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड. सीवान के हिन्दुस्तान अखबार के प्रभारी की बीच बाजार गोली मार कर हत्या कर दी जाती है. हालांकि सीवान के लिए ऐसी घटनाएं कोई नई बात नहीं रही है पर अपनी कलम को ताकत बनाकर मुद्दों को उजागर करने वाले एक साहसिक पत्रकार को जिस प्रकार गोली मारी जाती है वो विरोध के निम्न स्तर का परिचायक है.

पत्रकार जब अपनी लेखनी से सच को उजागर करने का प्रयास करता है तो कई बार उससे प्रभावित लोगों में विरोधाभास झलकता है पर विरोध के रूप में किसी की हत्या कर देना सर्वथा अनुचित है.

13 मई की शाम सीवान में जो हुआ उससेआज पूरा देश सोंचने पर मजबूर है. अपराधियों के लिए भले ही ये हत्याकांड एक पेशेवर अपराध रहा हो पर उस अपराध से पत्रकारिता जगत एवं आम समाज में जो खौफ़नाक दर्द उठा है उसकी कराह सालों तक बरक़रार रहेगी.

दरअसल ये हुआ क्यों! पुलिस बता रही है कि हत्या में पेशेवर अपराधी संलिप्त हो सकते है. राजदेव रंजन मुख्यधारा के पत्रकार थे. 25 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय थे. ऐसे में अपनी बेबाक लेखनी से कई लोगों की नजर की किरकिरी बनना स्वाभाविक है. पूर्व में भी उनपर हमले हुए और कई बार धमकियां मिली पर हत्या करने का दुस्साहस अपराधी कभी जुटा नहीं सके. 13 मई को अपराधियों का दृष्टिकोण एकदम से बदल जाना और राजदेव रंजन की नृशंस हत्या कर देना विरोधाभास का परिणाम है या सोंची समझी साजिश का नतीजा पुलिस इसकी जाँच कर रही है.

सीवान में अपराध की घटना हो और बाहुबली पूर्व सांसद मो.शहाबुद्दीन की चर्चा ना हो ऐसा हो नहीं सकता. राजदेव रंजन हत्याकांड के बाद पुलिस सक्रिय हो गई है. शक की सुई मो.शहाबुद्दीन की ओर भी इशारा कर रही है. पर ऐसा क्यों है! हत्याकांड के बाद पुलिस शक के आधार पर पूर्व सांसद के करीबी शार्प शूटर मुंशी मियां को शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर से गिरफ्तार करती है. ये वही मुंशी मियां है जिसपर शहाबुद्दीन के इशारों पर कई हत्याओं में संलिप्त रहने का आरोप लग चूका है. पुलिस का ये मानना है कि हत्या के सूत्र सीवान जेल से जुड़े हो सकते हैं ऐसे में मो. शहाबुद्दीन को एहतियात के तौर पर सीवान जेल से भागलपुर जेल शिफ्ट कर दिया गया है. हालांकि प्रशासनिक कारणों का हवाला देकर सात अन्य कुख्यातों को भी बक्सर एवं मोतिहारी जेल शिफ्ट किया गया है पर अबतक हत्याकांड में संलिप्त लोगों को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी ऐसे में कैदियों का जेल ट्रान्सफर पुलिस की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है. अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अब भी मशक्कत कर रही है.

पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड का अपना एक राजनैतिक नजरिया भी है. विपक्ष इसे सरकार की नाकामी बताने में जुटा है. सरकार को कठघड़े में खड़ा करने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है. ऐसा होना स्वाभाविक भी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकार के परिवार के लिए ना तो कोई खास मुआवजे का ऐलान किया है ना ही उनके परिवार से मिलने तक की जहमत उठाई है. साथ ही छोटे बड़े किसी भी मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाले लालू प्रसाद यादव भी इस घटना क्रम से अबतक अपनी दूरी बनाये हुए हैं.

चुकि मो.शहाबुद्दीन राजद के नेता हैं और लालू यादव के खासमखास भी ऐसे में अगर शाहबुद्दीन जांच के घेरे में आते हैं तो नीतीश कुमार को इस मामले में डिफेंड करना मुश्किल हो सकता है. शायद यही कारण है कि सुशासन बाबू अब तक चुप्पी साधे हुए हैं. बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी इस मुद्दे का जिक्र कर चुके हैं.

इन सब के बीच दिवंगत राजदेव रंजन का परिवार न्याय के लिए इन्तजार में है. राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन की आँखे रो-रो कर सूख चुकी हैं. उनके बेटे और बेटियों को हौसले की जरूरत है. तमाम पत्रकार संगठन एवं उससे जुड़े लोग अपनी तरफ से पूरी कोशिश में जुटे है कि स्व.राजदेव के परिवार को आर्थिक सहायता और इन्साफ मिल सके. आज पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना राजदेव हत्याकांड वक्त के साथ कई सवाल खड़े कर चूका है. देखने वाली बात होगी कि जीत कलम की होती है या हमेशा की तरह गोलियों की आवाज से सच को दबाने का इरादा कामयाब होगा.

मुजफ्फरपुर: सिविल कोर्ट परिसर में सोमवार की सुबह उस समय अफरातफरी मच गयी जब पेशी के दौरान आए विचाराधीन कैदी पर जबरदस्‍त फायरिंग हुई. फायरिंग में विचाराधीन आरोपी की मौत हो गई.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट में सोमवार की सुबह पेशी के लिए आए विचाराधीन कैदी पर कुछ बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस फायरिंग में विचाराधीन कैदी की मौत हो गई. घटना को बाइक पर सवार दो की संख्या में आए अपराधियों ने अंजाम दिया.

जिस विचाराधीन कैदी की गोली मारकर हत्या की गई है, उसकी पहचान पंकज मार्केट के सरफराज हत्याकांड में मुख्य अभियुक्त सूरज के रूप में हुई है.

घटना की सूचना मिलने पर मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी, एसएसपी दल बल के साथ पहुंच कोर्ट पहुंचे और मामले की जांच में जुट गए.

छपरा: मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के विष्णुपुरा बाजार के समीप रविवार को एक ट्रक से साईकिल सवार को चोट लगने के बाद ग्रामीणों ने ट्रक ड्राईवर की पीट-पीट कर हत्या कर दी. ग्रामीणों ने ट्रक के ड्राईवर और खलासी को इतना मारा की ड्राईवर की मौत हो गयी. वही खलासी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया.

घटना के सम्बन्ध में बताया जाता है कि डोरीगंज की तरफ से छपरा आ रही एक ट्रक से साईकिल सवार को हल्की चोट लग गयी. फिर क्या था ग्रामीणों ने कानून अपने हाथ में लेते हुए ट्रक को घेर लिया और उसके ड्राइवर और खलासी को उतार जमकर धुनाई शुरू कर दी. जिससे की ड्राइवर की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी जबकि खलासी की स्थिति नाजूक देख किसी ने पुलिस को सूचना दी.

सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों को अस्पताल पहुँचाया. जहाँ ड्राइवर मृत्युंजय पांडेय को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. जबकि खलासी का इलाज अस्पताल में चल रहा है जिसकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है.