New Delhi: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के तीन जानेमाने हस्तियों को भारत रत्न देने की घोषणा की है.

इन तीन हस्तियों में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, डॉ. भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख शामिल है. डॉ. भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को मरणोपरांत भारत रत्न दिया जा रहा है. 

भारत के 13वें राष्ट्रपति थे प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे थे. अपने पांच दशकों के राजनीतिक जीवन में वह कई अहम पदों पर रहे. यूपीए सरकार में वह रक्षा, विदेश और वित्त मंत्री भी थे. वे कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार है.

गीतकार, संगीतकार, गायक, कवि और फिल्म-निर्माता भूपेन हजारिका
असम में जन्मे भूपेन हजारिका, गीतकार, संगीतकार, गायक, कवि और फिल्म-निर्माता थे. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर असम और पूर्वोत्तर भारत के संस्कृति और लोक संगीत को हिंदी सिनेमा के माध्यम से पेश किया था. हजारिका को 1975 में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1987), पद्मश्री (1977), और पद्मभूषण (2001) मिला था.

समाजसेवी नानाजी देशमुख
नानाजी देशमुख भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता थे. उनका पूरा नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था. नानाजी ने उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में काम किया. उन्हें इसके पूर्व पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चूका है.

भारत रत्न, देश का वो सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. जो असाधारण राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है.

 

Patna: महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के सूत्रधार राजकुमार शुक्ल, जननायक कर्पूरी ठाकुर और माउंटेन मैन दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन तीनों महापुरुषों को मंरोपरांत देश का शीर्ष सम्मान देने की सिफारिश राज्य सरकार के गृह विभाग ने केंद्र सरकार को दी है.

राजकुमार शुक्ल

राजकुमार शुक्ल चंपारण सत्याग्रह के लिए गांधी जी को बिहार लेकर पहुंचे थे. कांग्रेस के 1916 के लखनऊ अधिवेशन में उन्होंने गांधी जी को बिहार के किसानों की दुर्दशा से अवगत कराया था.

कर्पूरी ठाकुर
स्वतंत्रता सेनानी व शिक्षक कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्य मंत्री रहे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पिछड़ों के लिए कई कार्य किये थे. जिनमे पिछड़ों के लिए 27 फीसदी आरक्षण शामिल है. राजनीति में सेवा भावना के कगलते उन्हें जननायक कहा जाता है.

दशरथ मांझी
गया जिले के गहलौर के दशरथ मांझी ने पहाड़ों को काट कर रास्ता बनाया ताकि गांव वालों को किसी भी कार्य के लिए दूर के रास्ते से शहर जाने से बचाया जा सके. उन्होंने 360 फिट चौड़े 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काट कर रास्ता बनाया. इसके लिए उन्हें 22 साल का समय लगा. उनके इस कार्य से वैश्विक स्तर पर उनकी पहचान बनी.