छपरा : जिले में आई बाढ़ के दौरान बाढ़ राहत कार्य में जुटे नाव के मालिक को प्रशासन द्वारा परिश्रमिक का भुगतान कर दिया गया. बुधवार को सदर प्रखंड कार्यालय में अंचलाधिकारी विजय कुमार सिंह द्वारा सदर प्रखंड में आई बाढ़ के दौरान प्रयोग में लाये गए नाव के मालिकों को पारिश्रमिक के रूप में 3.50 लाख रूपये का चेक भुगतान किया गया.
सदर अंचलाधिकारी विजय कुमार सिंह ने बताया कि कुल 81 नाव मालिकों को निर्धारित किराया के आधार पर चेक निर्गत किया गया हैं. नाव मालिकों के बीच कुल 3 लाख 50 हजार रूपये के चेक वितरित किये गये हैं. हालांकि इसके बावजूद भी कई नाव मालिकों के परिश्रमिक का चेक का भुगतान किया जाना बाकि है.
इस अवसर पर बरहरा महाजी मुखिया, रायपुर बिनगांवा मुखिया के अलावे कोटवापट्टी रामपुर के मुखिया उपस्थित थे.

पटना: गंगा तट पर बसे राज्य के 12 जिलों में इन दिनों बाढ़ का कहर जारी है. बाढ़ का पानी गाँव से लेकर शहरों के कई इलाकों में भी फैल रहा है.

गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर और कटिहार जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. गंगा नदी के जलस्तर में हालांकि कमी दर्ज की जा रही है. जिससे हालात सुधारने की उम्मीद है. 

बाढ़ से राज्य के 12 जिलों के 73 प्रखंडों के 1,934 गांव की 31.33 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है. वही बाढ़ से अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है. शुक्रवार को गंगा के जलस्तर में कमी आई है. पटना के गांधीघाट पर गंगा के जलस्तर 50.01 मीटर तथा दीघाघाट में 51.58 मीटर दर्ज किया गया. गांधी घाट में गुरुवार को गंगा का जलस्तर 50.13 मीटर रहा.

आपदा प्रबंधन विभाग का दावा है कि बाढ़ से प्रभावित सभी जिलों में राहत और बचाव कार्य जारी है, हालांकि कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का आरोप है कि सरकार द्वारा राहत और बचाव कार्य नाकाफी है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना जिले के कई बाढ़ राहत शिविरों को जायजा लिया और वहां रह रहे बाढ़ पीड़ितों की समस्याएं सुनीं. मुख्यमंत्री ने बाढ़ पीड़ितों को उचित सुविधा मुहैया कराने का आश्वासन दिया.

छपरा: जिले में बाढ़ की विभीषिका से सभी त्रस्त हैं. जीवित हों या मृत सभी के लिए यह बाढ़ मुसीबत बन गया है. हर ओर बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है ऐसे में मृत शवों को दफ़नाने और उसके दाह संस्कार के लिए दो गज ज़मीन भी नहीं मिल रही है, जिससे की शवों का अंतिम संस्कार किया जा सके.

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सोनपुर से लेकर दिघवारा, डोरीगंज, छपरा शहर का निचला इलाका, ईनई, रिविलगंज, सेमरिया सहित मांझी तक सिर्फ पानी ही पानी है. यहाँ रहने वाले लोग अपने और अपने परिवार के जीवन को लेकर प्रतिदिन जेद्दोजेहद में जुटे हैं. नदी के घाट पूरी तरह से जलमग्न हैं और अगले एक माह तक घाटों से पानी कम होने के कोई आसार नही दिख रहे है.

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रिविलगंज के सेमरिया में स्थित जिले का एक मात्र शव दाह गृह विभागीय उपेक्षा का शिकार है. जिले के ग्रामीण इलाकों से प्रतिदिन सैकड़ों लोग मृत शवों के अंतिम संस्कार को लेकर शहर का रुख करते हैं. डोरीगंज घाट और रिविलगंज का सेमरिया घाट शवों के संस्कार के लिए जाना जाता है. ऐसा मानना है कि नदी किनारे शव के अंतिम संस्कार करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन इन दिनों जगह के आभाव में लोग सड़क पर ही शवों के अंतिम संस्कार करने को विवश हैं. जिससे न सिर्फ वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है.

Santosh Kumar/Surbhit Dutt/Kabir Ahmad

छपरा: जीवन भर मेहनत कर इंसान का एक ही सपना होता है कि वह अपने लिए एक आशियाना बनाये. ये आशियाना अगर उसके सामने तबाह हो जाये तो उसके दिल पर क्या बीत रही होगी उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता.

बाढ़ की त्रासदी झेल रहे जिले के कई ऐसे क्षेत्र है जहाँ किसी की झोपड़ी डूब गयी तो किसी का दो मंजिला मकान ध्वस्त हो गया. शहर के ब्रह्मपुर में बाढ़ के पानी के कटाव से क्षतिग्रस्त हुए भगवान प्रसाद का दो मंजिला मकान गुरुवार की रात धराशायी हो गया. बाढ़ के पानी ने उनके सपने के आशियाने को कुछ मिनटों में छीन लिया.

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Surabhit Dutt/Kabir Ahmad

(संतोष कुमार ‘बंटी’) दोपहर का समय था. उपर आसमान से चिलचिलाती धूप और नीचे पानी. पसीने से लथपथ सभी के चेहरे बस एक टक अपने आशियाने को निहार रहे थे. दूर तक फैली सफेद चादरों के बीच उम्मीद की लौ के बीच इनका आशियाना आत्मबल को बढ़ा रहा था, मानों कह रहा हो, मैं अभी तुम्हारे लिये जीवित हूँ. कभी साफ और कभी गंदगी का अंबार लिये नदी की लहरें आँखमिचौली करते हुए पास आती और चली जाती. बच्चों को तो एक खेलने का खिलौना मिल गया हो जब जी चाहा पानी में हंसी ठिठोली कर खेलने लगे.

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अपने मवेशियों के साथ पुल पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित

अर्जुन राय का पूरा परिवार सड़क पर लगें पानी के बीच चौकी पर दिन गुजारने की जुगत में है. लेकिन इसी बीच पानी में खेल रहे मोहन ने अचानक पास आकर कहा “माई खाए के दे भूख लागल बा” अपने बेटे की भूख देखकर माँ ने तुरंत रोटिया दे दी. बिना सब्जी और आचार के मोहन ने रोटी खाकर अपनी पेट की आग को ठंडा किया और फ़िर अपने दोस्तों में मग्न हो गया. दोपहर का समय था तो धीरे धीरे फिर सभी लोगों ने रोटिया खाई. 

शहर से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित निचला ईलाका कहने के लिए तो शहर का भाग हो सकता है लेकिन सरकारी दस्तावेजों में यह रिविलगंज प्रखंड क्षेत्र में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र की श्रेणी में है. पंचायत दिलीया रहीमपुर के सैकड़ो परिवार बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहे है. घर पानी में जलमग्न हो गया है. जितना हो सका लोगों ने अपने घरों से सामानों को बाहर किया और उसी के सहारें जीवन का निर्वाह हो रहा है. कुछ लोगों के घर पूरी तरह से पानी से तबाह हो चुकें है जिसके कारण वह बेघर हो चुके हैं. वही कुछ के मकान इन पीड़ितों की तरह आपना हौसला बुलंद कर पानी में भी डटे हुए है.DSCN0043 (1) 

अर्जुन राय का परिवार भी इन्हीं पीड़ितों में से एक है. घर पानी में और जरुरत के सामानों के साथ परिवार सड़क पर. पुरे दिन खुलें आसमान में दिन तो गुजर रहा है लेकिन रात की विभीषिका आंखों की नींद चुरा लेती है. जिंदगी के आख़िरी कदम पर अर्जुन की माँ घर के नजदीक सड़क के पानी में अपने चौकी पर पोते पोतियों के साथ रहने को विवश है. किसी जुगत से परिवार के पुरे दिन में एक बार ही भोजन बन रहा है. लेकिन आर्थिक तंगी से वह भी अब आस की मोहताज बनने वाली है. पुरे दिन जिन्दगीं के लिए एक दुसरें की जद्दोजहद देखकर दिन तो कट जा रहा है. लेकिन जिन्दगीं की असल जंग तो रात के साथ शुरू होती है. बच्चें अपनी थकान के साथ नींद की आगोश में चले जाते है लेकिन पानी की तेज डरावनी आवाज से बड़ों की नींद उड़ जाती है. ऊपर से सांप और बिच्छू का डर उनकी पलकों को झपकने तक नही देता है. विगत चार दिनों से बाढ़ की इस विभीषिका का दंश झेल रहे हजारों लोगों के जुबान पर बस यही शब्द है….

“दुनिया में आये है तो जीना ही पड़ेगा
जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा”

नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. बिहार में बाढ़ के हालात को लेकर नीतीश कुमार ने पीएम मोदी से करीब आधे घंटे बात की.

मुख्यमंत्री नीतीश ने फरक्का बांध का मुद्दा भी उठाया है.उनके मुताबिक फरक्का बांध में काफी मात्रा में गाद जमी हुई है, जिसकी वजह से बांध का पानी बिहार के अंदरुनी इलाकों में आ जाता है और यहां बाढ़ के हालात बन जाते हैं.


गौरतलब है कि बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. बिहार में गंगा नदी के बढ़े हुए जल स्तर और तेज जल प्रवाह के कारण इस नदी के किनारे अवस्थित जिलों बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर और कटिहार जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

छपरा (संतोष कुमार बंटी): छपरा शहर के कई क्षेत्र नदी के पानी से जलमग्न हो चुके है. गंगा,सोन और सरयु नदी के जलस्तर में हो रही वृद्धि के कारण शहर के निचले इलाको के बाद बाढ़ के पानी ने शहर का रुख किया है. शहर की हृदयस्थली नगरपालिका चौक, थाना चौक पर बाढ़ का पानी पहुँचना शहरवासियों के लिए शुभ संकेत नहीं है. उपर से सरकारी चेतावनी लोंगो को और सोचने पर मजबूर कर रही है. flood

प्रशासन इस आपदा से निपटने के लिए पिछले कई महीनो से योजना का निर्माण कर रही है लेकिन पानी बढ़ने के साथ ही उनकी योजनाओ और कार्यो की पोल खुल गयी है. जिसके कारण अब शहर भी लोंगो के लिए सुरक्षित नही दिख रहा है.

शहर में यहाँ तक पंहुचा बाढ़ का पानी

शहर के सबसे रिहायशी इलाके साहेबगंज में पानी पहुँच चुका है. सोनारपट्टी, करीम चक,राहत रोड, कटहरी बाग़, बुटनबाड़ी, दहियांवा, धर्मनाथ मंदिर, गुदरी, सरकारी बाजार, तिनकोंनिया यहाँ तक कि नगरपलिका चौक, थाना चौक और मौना चौक तक पानी पहुँच चुका है. नदियों में जिस तरह से वृद्धि हो रही है उसी तरह पानी दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा में आगे बढ़ रहा है.

 

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नगरपालिका चौक पर लगा बाढ़ का पानी

किन कारणों से शहर में रुका बाढ़ का पानी

नदी के जलस्तर में हुई बढ़ोतरी से निचले इलाको का प्रभावित होना स्वाभाविक है. लेकिन शहर के रिहायशी इलाकों में पानी का लगना प्रशासनिक और सरकारी विफलता का कारण है. 

कई दशक बाद नदी के जलस्तर में इतनी बढ़ोतरी हुई है. लेकिन कई वर्षो पूर्व ऐसी स्थिति को देख चुके लोंगो का कहना है कि चंवर पूरी तरह से खाली है ऐसे में शहर में बाढ़ का पानी आना चिंता का विषय है.

 

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अपनी किश्मत पर रोता खनुआ नाला, कचड़े से जाम

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पंकज कुमार अग्रवाल का कहना है कि एक समय था जब नदी से लेकर मौना चौक होते हुए नाले में नाव चला करती थी. बाढ़ का पानी इन्ही रास्तो से होकर चंवर में चला जाता था जिससे खेती होती थी. नाला को ख़त्म कर सुरक्षा के मद्देनजर पाइप लगाया गया. समय बदला और उस पाइप को हटा कर पुनः नाला बना दिया गया. लेकिन नगर परिषद् ने खनुआ नाला पर दुकान बना दिया. खनुआ नाला की आज तक कभी सफाई नही की गई जिससे आज शहर में बाढ का पानी आ गया है.

गोपाल प्रसाद का कहना है कि 70-90 के दशक में नदी का जलस्तर बढ़ता था. उस समय खनुआ नाला से पानी दो रास्ते से होकर जाता था. उन्होंने बताया कि सरकारी बाजार के समीप यह नाला दो भागो में बंट जाता था. एक सीधे मौना चौक के रास्ते होकर रामनगर के चंवर में जाता था और दूसरा तिनकोनिया, सिविल कोर्ट, नगरपालिका चौक, श्रीनंदन लाईब्रेरी के रास्ते जगदम कालेज के नजदीक रेलवे नाला में जाता था.

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प्राथमिक विद्यालय, ब्रहमपुर के प्रांगन में भरा बाढ़ का पानी
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सड़क पर खटिया लगा कर बैठे बच्चे, तस्वीर ब्रहमपुर की है.

नदी का पानी इन रास्तो से होकर ही सिविल कोर्ट पोखरा और शिल्पी पोखरा में जाता था. लेकिन यह रास्ता प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब अतिक्रमण कर लिया गया है. नाला पर कई लोगों ने दुकान तो कितनों ने घर बना लिया है.वही शिल्पी पोखरा का अस्तित्व अतिक्रमण से अब समाप्त होने के कागार पर है.  

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ऐसे में अगर नदी के जलस्तर में जब भी वृद्धि होगी तो अब शहर की सड़कों पर बाढ़ आना स्वाभाविक है. इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन को पहले जल निकासी के लिए खनुआ नाला की सफाई करनी होगीं साथ ही साथ शहर और उनसे सटे क्षेत्रो में बने पोखर को अतिक्रमण मुक्त कर सफाई करानी होगी.

छपरा: बाढ़ सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के छपरा इकाई द्वारा स्काउट के 50 से भी ज्यादा कैडेटों के साथ मिलकर शहर में एक जागरूकता रैली निकाली गई.

इस रैली के दौरान शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर बैनर-पोस्टर एवं हैंडविल के माध्यम से आम जनता को बाढ़ के संकट से निपटने के लिए जागरूक किया गया.कैडेटों द्वारा बाढ़ के दौरान जान-माल की सुरक्षा हेतु भी लोगों को कई उपाए बताए गए.

इस जागरूकता रैली के पश्चात शहर के होली क्रॉस स्कूल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें रेड क्रॉस की स्थानीय सेक्रेटरी जीनत जरीन मसीह ने युवाओं को बाढ़ सुरक्षा के कई प्रमुख उपाय बताते हुए सारण के बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में जाकर जागरूकता अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया.

इस कार्यक्रम में रेड क्रॉस छपरा के कोषाध्यक्ष सुरेश कुमार सिंह, ए.डी. मसीह, जितेंद्र कुमार समेत स्काउट के कई कैडेट उपस्थित रहे.