Chhapra: जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ फारूक अली ने परसा स्थित प्रभुनाथ सिंह महाविद्यालय का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने महाविद्यालय से गायब शिक्षकों का एक दिन का हाज़िरी काटते हुए महाविद्यालय की व्यवस्था में सुधार लाने का निर्देश दिया.

कुलपति डॉ अली ने महाविद्यालय कर्मियों को अपनी गतिविधियों में भी सुधार लाने का निर्देश दिया.

शनिवार को कुलपति डॉ फ़ारुख अली अचानक प्रभुनाथ सिंह महाविद्यालय पहुंच गए. इस दौरान महाविद्यालय के करीब एक दर्जन शिक्षक अनुपस्थित थे.

कुलपति ने सभी अनुपस्थित शिक्षक एवं कर्मी का एक दिन का हाज़िरी काट दी. वही महाविद्यालय की लचर व्यवस्था को लेकर प्राचार्य पुष्पराज गौतम और बर्सर को फटकार लगाते हुए महाविद्यालय में विधि व्यवस्था में सुधार लाते हुए बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने का निर्देश दिया.

विगत दिनों जेपीवीवी में कुलपति के पद पर योगदान देने के बाद डॉ फ़ारुख अली लगातार विश्वविद्यालय के साथ महाविद्यालयों में शैक्षणिक व्यवस्था बेहतर करने के प्रयास में जुटे है. कुलपति द्वारा महाविद्यालय के ख़िलाफ़ प्राप्त शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है. कुलपति डॉ फ़ारुख अली द्वारा लगातार महाविद्यालयों का औचक निरीक्षण कर महाविद्यालयों की लचर स्थिति और शिक्षकों की गैरहाज़िरी को ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है.

बताते चले कि प्रभुनाथ सिंह महाविद्यालय छात्र संघ द्वारा महाविद्यालय में छात्रों की सुविधा का अभाव एवं ध्वस्त हो चुकी शैक्षणिक व्यस्था को लेकर शिकायत पत्र कुलपति को दिया गया था.

छपरा: बिना उचित कारण और आवेदन दिए बगैर मनमर्जी की छुट्टी पर रहने वाले सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की इस आदत पर लगाम लगाने की तैयारी शिक्षा विभाग ने शुरू कर दी है.

शिक्षकों के उपस्थिति की जांच के लिए विभाग द्वारा ‘गुणवत्ता पदाधिकारियों’ के नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इन पदाधिकारियों पर शिक्षकों के नियमित उपस्थिति बढ़ाने और विद्यालयों के मॉनिटरिंग की पूरी जिम्मेवारी रहेगी. भवन निर्माण और पोशाक राशी वितरण के व्यवस्थित अनुपालन के साथ-साथ विद्यालयों में शिक्षा एवं स्वच्छ्ता की गुणवत्ता को बढ़ाने के जिम्मेवारी गुणवत्ता पदाधिकारियों पर रहेगी.

गुणवत्ता पदाधिकारियों की नियुक्ति से बिना कारण अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर नजर रखी जा सकेगी.अधिकतर सरकारी विद्यालयों में बिना आवेदन छुट्टी मनाने वाले शिक्षकों की इस रवैये से शिक्षा-व्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है.