Chhapra: अग्निकांड मानक संचालन प्रकिया के अनुरूप अग्निकांड से प्रभावित परिवारों को देय सहायता चौबीस घंटे के अंदर सभी प्रक्रिया पूर्ण कर उपलब्ध कराने का आदेश जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने सभी अंचलाधिकारियों को दिया है.
जिलाधिकारी ने कहा कि अग्निकांड प्रभावित परिवारों को राहत के रूप में पॉलिथिन सिट्स, खाद्यान्न, नगद एवं अन्य अनुदान देना है. आग लगने से प्रभावितों को नगद के रूप में तीन हजार रूपया प्रति परिवार, खाद्यान्न के लिए तीन हजार रूपया प्रति परिवार तथा क्षतिग्रस्त वस्त्रादि के लिए 3800 रूपया प्रति परिवार तथा मृतक के परिवार को चार लाख रूपया तत्काल देना हैरर
जिलाधिकारी ने कहा है कि भीषण अग्निकांड से प्रभावित व्यक्तियां के लिए विशेष राहत शिविर/केन्द्रों का संचालन करायी जाय. सभी अंचलाधिकारियों को अग्निकांड की घटना की जानकारी आपदा प्रवंधन के जिला आपात कालीन संचालन केन्द्र के दूरभाष सं0 06152-245023 पर अविलम्ब देने का निर्देश दिया.
अगलगी की सूचना संबंधित अनुमंण्डल क्षेत्र के अग्निषमन पदाधिकारियों को मोवाइल नं0 पर दी जाय. सदर छपरा अनुमंडल के फायर स्टेशन अधिकारी कन्हाई यादव 7764879767, मढ़ौरा अनुमंडल के जयराम सिंह 7765815261 एवं सोनपुर अनुमंडल के प्रमोद कुमार 7667240524 को सूचना शीघ्र दी जाय.
अग्निकांड के रोकथाम के लिए लोगों को करें जागरूक
जिलाधिकारी ने कहा कि अग्निकांड की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करें. दिन का खाना 9 बजे सुबह से पूर्व तथा रात का खाना शाम 6 बजे तक बना लें, कटनी के बाद खेत में छोड़े डंठलों में आग नही लगावें, हवन आदि का काम सुबह निपटा लें. भोजन बनाने के बाद चूल्हे की आग पूरी तरह से बुझा दें, रसोई घर यदि फूस का हो तो उसकी दीवाल पर मिट्टी का लेप अवश्य कर दें, रसोई घर की छत उँची रखी जाये. आग बुझाने के लिए बालू अथवा मिट्टी बोरे में भरकर तथा दो बाल्टी पानी अवश्य रखें. दीपक लालटेन मोमबत्ती को ऐसी जगहों पर न रखें जहाँ से गिरकर आग लगने की संभावना हो. शार्ट सर्किट की आग से बचने के लिए बिजनी वायरिंग की समय पर मरम्मत करा लें. मवेशियों को आग से बचाने के लिए मवेशी घर के पास पर्याप्त मात्रा में पानी का इंतजाम एवं निगरानी अवश्य करते रहें. घर में किसी भी उत्सव के लिए लगाये कनात अथवा टेण्ट के नीचे से बिजली के तार को न ले जायें, जलती हुई माचिस की तीली अथवा अधजली बीड़ी एवं सिगरेट पीकर इधर-उधर ना फेकें, जहाँ पर समाहिक भोजन इत्यादि का कार्य हो रहा हो, वहां पर दो से तीन ड्रम पानी अवश्य रखा जाये, भोजन बनाने का कार्य तेज हवा के समय नहीं किया जाये, खाना बनाते समय ढीले-ढाले और पॉलिस्टर के कपड़े पहनकर खाना ना बनायें, हमेशा सूती कपड़ा पहन कर ही खाना बनायें, ग्रामीण क्षेत्रों में हरा गेहूँ, खेसारी, छिमी भी बच्चे लेककर भूनते हैं.
ऐसे में आग लगाने से बचने के लिए उनपर निगरानी रखें. आग लगने पर समुदाय के सहयोग से आग बुझाने का प्रयास करें, फायर बिग्रेड एवं प्रशासन को तुरंत सूचित करें एवं उन्हें आग बुझाने में सहयोग करें, अगर कपड़ों में आग लगे तो उन्हें रोकने के लिए पहले रूको-लेटो-लुढ़कों सिद्धांत का प्रयोग करें.







