New Delhi, 05 अक्टूबर (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले सप्ताह 7 से 10 अक्टूबर तक ऑस्ट्रेलिया की यात्रा करेंगे। यह लगभग 12 वर्ष बाद भारतीय रक्षा मंत्री की पहली ऑस्ट्रेलिया यात्रा होगी। इससे पहले साल 2013 में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की थी। पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के बाद सबसे पहले भारत आने वाले विदेशी मेहमानों में ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री और उप प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्लेस थे, जो 04 जून को भारत दौरे पर आए थे।
रक्षा मंत्री ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाएंगे
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 7-10 अक्टूबर तक ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाएंगे, जिसका उद्देश्य भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करना और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना है। दोनों देशों ने 2020 में व्यापक रणनीतिक साझेदारी की थी और 2021 में एक म्यूचुअल लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में विविधता आई है।
मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद रिचर्ड मार्लेस भारत आने वाले पहले क्वाड रक्षा मंत्री थे। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच डिफेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और समुद्री क्षमताओं जैसी टेक्नोलॉजी में डिफेंस सेक्टर के सहयोग में विविधता लाने पर सहमति जताई गई थी। रक्षा मंत्री मार्लेस की यात्रा के दौरान भारत ने ऑस्ट्रेलिया को चीन के साथ संबंधों को लेकर पाकिस्तानी सेना के साथ किसी भी तरह के संपर्क को लेकर आगाह किया था। बाद में ऑस्ट्रेलियाई मीडिया से बात करते हुए मार्लेस ने कहा था कि ऑस्ट्रेलिया के पाकिस्तान के साथ मामूली रक्षा संबंध हैं। इस यात्रा के दौरान दोनों पक्ष सह-उत्पादन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तथा समुद्री क्षमताओं जैसी तकनीकों में रक्षा उद्योग सहयोग में विविधता लाने पर सहमत हुए थे।
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने अपनी भारत यात्रा के पहले दिन की शुरुआत चाय पीने की भारतीय परंपरा को अपनाते हुए मालचा मार्ग पर जाकर एक दुकान में एक कप चाय पीकर की थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक में रिचर्ड मार्लेस ने कहा था कि हम आपकी सरकार और प्रधानमंत्री मोदी तथा उनके नेतृत्व के प्रति बहुत आभारी हैं, जिसने हमारे दोनों देशों के बीच संबंधों को एक बिल्कुल अलग स्तर पर पहुंचा दिया है। हमें लगता है कि भारत के साथ हमारा रणनीतिक तालमेल पहले कभी इतना नहीं रहा, जितना कि अब है। यह दोस्तों के साथ मिलकर काम करने का समय है और हम निश्चित रूप से भारत को उसी नजरिए से देखते हैं। आपके साथ हमारे संबंध सर्वोच्च प्राथमिकता वाले हैं।
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