“मैं अपनी असफलता का मालिक हूं अगर मैं कभी असफल नहीं होता तो मैं इतना सब कुछ कैसे सीखता।”
-चंद्रशेखर वेंकट रमन
भौतिकी शास्त्र में ‘रमन प्रभाव’ के खोजकर्ता व नोबेल पुरस्कार से सम्मानित देश के पहले वैज्ञानिक भारत रत्न डॉ. सी वी रमन की आज जयंती है.
दक्षिण भारत के त्रिचुनापल्ली में पिता चंद्रशेखर अय्यर व माता पार्वती अम्मा के घर में 7 नवंबर 1888 को जन्मे भौतिक शास्त्री चंद्रशेखर वेंकट रमन उनके माता पिता के दूसरे संतान थे.
क्या है रमन इफेक्ट
दरअसल, जब प्रकाश की किरणें किसी जगह से गुजरती हैं तो उनमें से ज्यादातर की वेवलैंथ एक समान ही रहती है. लेकिन कहीं कहीं पर इसमें बदलाव दिखाई देता है. यह बदलाव उसके अंदर मौजूद अणुओं की सरंचना के बारे में बताता है. इन किरणों की वेवलैंथ में ये बदलाव उनकी ऊर्जा में परिवर्तन के कारण होता है. ऊर्जा में बढ़ोतरी हो जाने से तरंग की लंबाई कम हो जाती है और ऊर्जा में कमी आने से तरंग की लम्बाई बढ़ जाती है. इस परिवर्तन को स्कैनर की मदद से ग्राफ के रूप में रिकॉर्ड किया जाता है. इसके बाद इसके विश्लेषण के जरिए उस चीज के बारे में जानकारी हासिल की जाती है. सीवी रमन की इस खोज का सबसे दिलचस्प पहलू ये भी है कि उन्होंने ये खोज उस वक्त की थी जब उनके पास उन्नत किस्म के उपकरण नहीं थे. इस शोध में इस्तेमाल कुछ उपकरण तो उन्होंने खुद ही बनाए थे.

									
									
									
									
									
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																
									
																																





                        
                        
                        
                        
				
				
				
				
				
				
				
				
				
				