{कश्मीरा सिंह}
विश्व के इतिहास में यह पहला अवसर है जब सेना के ऑपरेशन का नाम “ऑपरेशन सिन्दूर” दिया गया है। ऑपरेशन सिन्दूर उन महिलाओं को समर्पित है जिसकी माँग का सिन्दूर पोंछकर राख भर दिया गया है। बीते 22 अप्रैल को पहलगाम के वैसरन घाटी में खुशियाँ मनाने गए जोड़ों को अथाह दुख के सागर में डूबो कर अकेला और अधूरा कर दिया गया।
याद कीजिए, शुभम् द्विवेदी की पत्नी ऐशान्यी द्विवेदी का वीडियो, पति को गोली लगने के बाद उसने आतंकवादियों से कहा कि – “मुझे भी गोली मार दो।” आतंकियों ने उन्हें कहा था कि- “जाकर मोदी से कह देना।”
मोदी ने वही किया जिसकी दुनिया को उम्मीद नहीं थी।
याद कीजिए – लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल का वैसरन घाटी में पति के शव के पास बैठकर आँसू बहाते हुए। उनका विवाह 16 अप्रैल को हुआ था और 22 अप्रैल को उन्हें गोली मार दी गई। मात्र छह दिन के बाद ही विधवा हो गई हिमांशी। क्रूरता की हद को पार कर दिया था आतंकवादियों ने।
सबसे दुखद था धर्म पूछकर हत्या करना। यह एक खुली चुनौती थी कि भारत में रहना है तो कलमा पढ़ना होगा! इस्लाम स्वीकार करना होगा!
इसका सीधा अर्थ है नरसंहार का सहारा लेकर इस्लाम का प्रसार करना जो वे सदियों से करते आ रहे हैं।
मोदी जी ने आतंकवादियों की इस चुनौती को स्वीकार किया और वह किया जिसके बारे में दुनिया सोच भी नहीं पायी थी। सबसे सुखद और विश्वास दिलाने वाली बात है कि इस ऑपरेशन का कमांड दो महिला नायिकाओं लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को मिला, जिन्होंने सफलता पूर्वक ऑपरेशन सिन्दूर का संचालन किया। पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के नौ ठिकानों पर हमला करके उसे ध्वस्त कर दिया गया । नब्बे आतंकियों के मारे जाने की सूचना है।
यह तो बदला लेना हुआ। मोदी जी को इसके बाद की तैयारी भी करनी होगी ताकि आतंकी कभी सिर नहीं उठा सकें।
प्राचीन काल में जैसे असुरों को परास्त कर पाताल लोक भेज दिया गया था उसी तरह इन आतंकियों को भी जमींदोज कर देना चाहिए।
लेखक साहित्यकार हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)