Chhapra: छपरा नगर भूमि स्वामी संगठन के सचिव अतुल कुमार ने प्रेस वार्ता में कहा कि छपरा नगर के सैकड़ों भू-स्वामीयो को जिला प्रशासन के द्वारा डबल डेकर पुल निर्माण हेतु अधिग्रहित की जाने वाली भूमि का मुआवजा नहीं दिया जाना. शहर की अधिकतम भूमि को टोपोलैण्ड-असर्वेक्षित के नाम पर सरकारी बताया जाना गलत है. अधिग्रहित की जाने वाली भूमि की सांत्वना राशि देने की बात कहीं गई है.
उपरोक्त बातों के विरोध में छपरा नगर भूमि स्वामी संगठन का निर्माण कर सभी भू-स्वामी इस संगठन के बैनर तले संगठित हुए हैं. जिला प्रशासन की मनमानी व अन्याय पूर्ण रवैया के खिलाफ एक निर्णायक मुहिम चलाई जा रही है.
उन्होंने बताया कि बिना छपरा की प्रभावित जनता से बात किए ऐसा फरमान जारी करना बहुत विचित्र बात है. हमारे दस्तावेजों को संज्ञान में लेते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने तुरंत राहत प्रदान किया. यह कार्य जिला प्रशासन हम से सीधे बात करके भी कर सकती थी. छपरा की धरती को टोपोलैण्ड साबित ही नहीं किया जा सकता है. जिला प्रशासन ने ही आरटीआई के माध्यम से जानकारी दी है कि हमारी जमीन तो टोपोलैंड नहीं है. प्रशासन को हम भू स्वामियों से मिलकर हमारे दस्तावेजों पर एक नजर डालनी चाहिए ताकि हम आपसी मतभेद भूलाकर छपरा के विकास कार्यों में संलग्न रहे.
संगठन के कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद परवेज ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 1898-99 के सर्वे मैप में जो रोड, नाला, गली, कुआं, पोखरा, पुलिस लाइन वगैरा अंकित किया गया है. वह आज भी छपरा शहर के जमीन पर मौजूद है. इससे यह साबित होता है कि छपरा शहर सर्वेक्षित भूमि है, ना की टोपोलैंड. प्रशासन द्वारा यह कहना कि छपरा की भूमि तो टोपोलैंड है. यह सरासर हास्यास्पद है.
संवाददाता सम्मेलन में नगर भूमि स्वामी संगठन के अध्यक्ष पाण्डेय शैलेश कुमार, मीडिया प्रभारी श्याम बिहारी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष शैलेश कुमार, दिवाकर गुप्ता, प्रशांत राज, संतोष कुमार सम्मिलित हुए.