Tech/Auto: गुजरात के हंसतपुर से मंगलवार को एक नया इतिहास लिखा गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां सुजुकी मोटर प्लांट से कंपनी की पहली इलेक्ट्रिक कार ई-विटारा (E-Vitara) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। खास बात यह है कि भारत में बनी यह कार अब यूरोप, जापान समेत 100 से ज्यादा देशों में भेजी जाएगी।

पीएम मोदी ने कहा- अब जब ये गाड़ियां दुनिया की सड़कों पर दौड़ेंगी, तो उन पर लिखा होगा मेड इन इंडिया।

क्यों खास है ये लॉन्च?

  • यह मारुति की पहली ग्लोबल इलेक्ट्रिक कार है।
  • अब भारत में ही बैटरी और हाइब्रिड टेक्नोलॉजी बनने लगी है।
  • देश में पहली बार बैटरी सेल और इलेक्ट्रोड का निर्माण हो रहा है।
  • पुराने वाहनों को हाइब्रिड एम्बुलेंस में बदलने का भी काम शुरू।

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश

मोदी ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि प्रदूषण और ईंधन संकट का समाधान हैं। उन्होंने बताया कि मारुति सुजुकी ने महज छह महीने में हाइब्रिड एम्बुलेंस का प्रोटोटाइप बना दिया है और इसके लिए सरकार ने करीब 11 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है।

Make In India का नया चेहरा

मारुति लगातार चार साल से देश की सबसे बड़ी कार निर्यातक है और अब इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्यात के साथ ‘मेक इन इंडिया’ का नया चेहरा बन रही है।

आगे का Roadmap

प्रधानमंत्री मोदी ने सभी राज्यों को आमंत्रण दिया- आइए, रिफॉर्म्स की स्पर्धा करें, प्रो-डेवलपमेंट पॉलिसीज की स्पर्धा करें, गुड गवर्नेंस की स्पर्धा करें।

आगे उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा जोर देना होगा।

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Ahmedabad, 26 अगस्त (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात के हंसलपुर स्थित सुजुकी मोटर प्लांट से कंपनी के पहले वैश्विक बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) ‘ई-विटारा’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। भारत में निर्मित यह इलेक्ट्रिक कार यूरोप और जापान जैसे उन्नत बाजारों सहित 100 से अधिक देशों में निर्यात की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब दुनिया के दर्जनों देशों में जब यह इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर दौड़ेंगे, तो उस पर लिखा होगा ‘मेड इन इंडिया’।

प्रधानमंत्री ने सुजुकी के पहले वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन ‘ई-विटारा’ का लोकार्पण किया

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गणेश उत्सव के इस उल्लास में आज भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ यात्रा में नया अध्याय जुड़ गया है। आज से भारत में बने इलेक्ट्रिक वाहन 100 देशों को निर्यात किए जाएंगे और हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड की मैन्युफैक्चरिंग भी शुरू हो रही है। यह दिन भारत और जापान की दोस्ती को नया आयाम देने वाला है। प्रधानमंत्री ने इस उपलब्धि के लिए देशवासियों, जापान और सुजुकी कंपनी को बधाई दी।

उन्होंने कहा कि आज मारुति अपनी टीन एज (किशोरावस्था) में प्रवेश कर रही है। यह पंख फैलाने और सपनों की उड़ान भरने का कालखंड है। गुजरात में मारुति के इस नए चरण का मतलब है कि आने वाले दिनों में कंपनी नए पंख फैलाएगी और नई उमंग के साथ आगे बढ़ेगी। मोदी ने याद किया कि 2012 में जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब हंसलपुर में मारुति सुजुकी को जमीन आवंटित की गई थी। उस समय भी विजन आत्मनिर्भर भारत और ‘मेक इन इंडिया’ का था। आज वही प्रयास देश के संकल्पों को साकार कर रहे हैं।

 

भारत के पास लोकतंत्र की शक्ति है, जनसंख्या का लाभ है और विशाल कुशल कार्यबल है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास लोकतंत्र की शक्ति है, जनसंख्या का लाभ है और विशाल कुशल कार्यबल है। यही वजह है कि भारत हर साझेदार के लिए विन-विन सिचुएशन प्रस्तुत करता है। आज जापानी कंपनी सुजुकी भारत में निर्माण कर रही है और यहां बनी गाड़ियां वापस जापान को निर्यात की जा रही हैं। यह भारत और जापान के रिश्तों की मजबूती का प्रतीक है और ग्लोबल कंपनियों के भरोसे को भी दर्शाता है।

मोदी ने कहा कि मारुति सुजुकी जैसी कंपनियां अब मेक इन इंडिया की ब्रांड एंबेसडर बन चुकी हैं। लगातार चार साल से मारुति भारत की सबसे बड़ी कार निर्यातक है। अब इसी पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहन निर्यात की भी शुरुआत हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन पारिस्थितिकी तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बैटरी है। कुछ साल पहले तक भारत पूरी तरह आयातित बैटरियों पर निर्भर था। इसी चुनौती को देखते हुए 2017 में टीडीएसजी बैटरी प्लांट की नींव रखी गई थी। अब इस संयंत्र में तीन जापानी कंपनियां मिलकर पहली बार भारत में बैटरी सेल और इलेक्ट्रोड का निर्माण कर रही हैं। इससे आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को नई ताकत मिलेगी और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों के कारोबार में गति आएगी।

इलेक्ट्रिक वाहन केवल विकल्प नहीं बल्कि कई समस्याओं का समाधान हैं: प्रधानमंत्री

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन केवल विकल्प नहीं बल्कि कई समस्याओं का समाधान हैं। हाल ही में उनकी सिंगापुर यात्रा के दौरान उन्होंने पुराने वाहनों और एम्बुलेंस को हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने की संभावना रखी थी। मारुति सुजुकी ने इस चुनौती को स्वीकार किया और छह माह में एक वर्किंग प्रोटोटाइप तैयार किया। प्रधानमंत्री ने स्वयं हाइब्रिड एम्बुलेंस का प्रोटोटाइप देखा और बताया कि लगभग 11 हजार करोड़ रुपये की इस योजना में ई-एम्बुलेंस के लिए भी बजट निर्धारित है। इससे प्रदूषण घटेगा और पुराने वाहनों को नया विकल्प मिलेगा।

मोदी ने जोर देकर कहा कि क्लीन एनर्जी और क्लीन मोबिलिटी ही भविष्य है। भारत ऐसे प्रयासों से विश्वसनीय केंद्र बन रहा है। आज पूरी दुनिया आपूर्ति शृंखला व्यवधान से जूझ रही है, लेकिन भारत ने पिछले दशक में जो नीतियां बनाई हैं, वे आज देश के लिए बेहद कारगर साबित हो रही हैं।

भविष्य के उद्योगों, विशेषकर सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में सेवा का अवसर मिलने के बाद से ही मेक इन इंडिया अभियान को गति दी गई और वैश्विक व घरेलू कंपनियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया। आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। ऐसे समय में हर राज्य को आगे आकर अवसर का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने सभी राज्यों को आमंत्रण दिया- आइए, रिफॉर्म्स की स्पर्धा करें, प्रो-डेवलपमेंट पॉलिसीज की स्पर्धा करें, गुड गवर्नेंस की स्पर्धा करें।

उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के निर्माण की गति को और तेज करने में सभी को योगदान देना होगा। भारत जिन क्षेत्रों में अच्छा कर रहा है, उनमें और बेहतर प्रदर्शन करने का लक्ष्य है। इसी कारण मिशन मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य के उद्योगों, विशेषकर सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, भारत में जापान के राजदूत ओनो केइची, सुजुकी मोटर कॉर्प के अध्यक्ष तोशीहिरो सुजुकी, मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हिसाशी ताकेउची और चेयरमैन आरसी भार्गव भी उपस्थित थे।

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अहमदाबाद, 26 अगस्त (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात के हंसलपुर स्थित सुजुकी मोटर प्लांट से कंपनी के पहले वैश्विक बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) ‘ई-विटारा’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। भारत में निर्मित यह इलेक्ट्रिक कार यूरोप और जापान जैसे उन्नत बाजारों सहित 100 से अधिक देशों में निर्यात की जाएगी।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने हंसलपुर में सुजुकी की ईवी विनिर्माण सुविधा का दौरा किया और अहमदाबाद जिले के हंसलपुर में टीडीएस लिथियम-आयन बैटरी संयंत्र में हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड के स्थानीय उत्पादन का उद्घाटन किया। यह संयंत्र टॉशिबा, डेंसो और सुजुकी का संयुक्त उपक्रम है। इसके माध्यम से बैटरी मूल्य का 80 प्रतिशत से अधिक भारत में ही निर्मित होगा, जिससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल मिलेगा।

कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एमडी एवं सीईओ) हिसाशी ताकेउची सहित अन्य शीर्ष अधिकारी भी उपस्थित थे।

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नई दिल्ली, 17 अगस्त (हि.स.)। नासा के एक्सिओम-4 अंतरिक्ष मिशन के पायलट और भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अमेरिका से रविवार तड़के भारत लौटने पर गर्मजोशी भरा स्वागत किया गया। उनके साथ गगनयान मिशन के बैकअप अंतरिक्ष यात्री प्रशांत बालकृष्णन नायर भी लौटे हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और बड़ी संख्या में पहुंचे छात्र-छात्राओं ने शुभांशु और नायर का स्वागत किया।

शुभांशु शुक्ला की स्वदेश वापसी को लेकर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा-भारत का अंतरिक्ष गौरव भारतीय धरती को छू गया क्योंकि भारत माता के प्रतिष्ठित सपूत, गगनयात्री शुभांशु शुक्ला आज तड़के सुबह दिल्ली पहुंचे।

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शुभांशु शुक्ला की स्वदेश वापसी पर खुशी जाहिर करते हुए इससे जुड़ी तस्वीरें साझा की हैं।

माना जा रहा है कि शुभांशु शुक्ला आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने के बाद अपने गृहनगर लखनऊ के लिए रवाना होंगे।

शुभांशु शुक्ला नासा के एक्सिओम-4 निजी अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा थे, जो 25 जून को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुआ और 26 जून को आईएसएस से जुड़ा। 18 दिनों के मिशन में उन्होंने अपने दूसरे अंतरिक्ष सहयोगियों के साथ 60 से अधिक प्रयोग और 20 जनसंपर्क सत्र किए। शुभांशु 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटे थे।

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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के संयुक्त मिशन नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) उपग्रह का बुधवार शाम 5.40 बजे सफल प्रक्षेपण किया गया। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) से प्रक्षेपित किया गया।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने निसार के सफल प्रक्षेपण पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि इस उपग्रह के माध्यम से चक्रवात, बाढ़ आदि जैसी आपदाओं के सटीक प्रबंधन में एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा। इसके अलावा इसकी कोहरे, घने बादलों, बर्फ की परतों आदि को भेदने की इसकी क्षमता विमानन और नौवहन क्षेत्रों के लिए भी काफी मददगार होगी। उन्होंने कहा कि “विश्वबंधु” की सच्ची भावना के अनुरूप निसार से प्राप्त इनपुट पूरे विश्व समुदाय को लाभान्वित करेंगे। उन्होंने इस पल पर गर्व करते हुए कहा कि वे आज अंतरिक्ष विभाग से जुड़े रहने पर गर्व महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इसरो के अथक प्रयास से देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक के बाद एक वैश्विक उपलब्धियां हासिल कर रही है।

तनिष्क छपरा- डाकबंगला रोड,
फोन-7644849600 , 8235892335

इसरो के मुताबिक निसार को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में भेजा गया। यह सैटेलाइट 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होगा। यह एक अत्याधुनिक रडार सैटेलाइट है, जो बादलों और बारिश के बावजूद 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकेगा। निसार उपग्रह का वजन 2,393 किलोग्राम है। जीएसएलवी-एस16 रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है। सैटेलाइट की खास बात यह है कि इसकी मदद से धरती के हर इंच पर नजर रखना संभव हो सकेगा।

निसार में दो रडार लगे हैं जिसमें एल-बैंड एसएआर जो लंबी तरंगों वाला रडार है जिसे नासा ने विकसित किया है। दूसरा एस-बैंड एसएआर छोटी तरंगों वाला रडार है जिसे इसरो ने विकसित किया है। नासा ने 12 मीटर का एंटीना और 9 मीटर का बूम भी बनाया है, जो अंतरिक्ष में खुलेगा। इसरो सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया और उसे नियंत्रित भी कर रहा है।

इसका उद्देश्‍य बाढ़, ग्‍लेशियर, कोस्‍टल इरोजन (तटीय क्षेत्रों में होने वाला कटाव) जैसी प्राकृतिक घटनाओं पर नजर रखना और उसकी पूर्व जानकारी देना है, पर इससे दुश्‍मन देशों की गतिविधियों पर भी पैनी नजर रखी जा सकेगी। यह सैटेलाइट भूस्खलन, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन की निगरानी में मदद करेगा।

यह सैटेलाइट किसी भी मौसम में और दिन-रात 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है। यह भूस्खलन का पता लगाने, आपदा प्रबंधन में मदद करने और जलवायु परिवर्तन की निगरानी करने में भी सक्षम है। इससे हिमालय और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में वनों में होने वाले बदलाव, पर्वतों की स्थिति या स्थान में बदलाव और हिमनद की गतिविधियों सहित मौसमी परिवर्तनों का अध्ययन किया जा सकेगा।

इस मिशन की योजना अमेरिका और भारत की अंतरिक्ष एजेंसियों ने 10 साल पहले मिलकर बनाई थी। विगत फरवरी में वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात के बाद इस मिशन को और तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया था। यह मिशन सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में जाने वाला जीएसएलवी रॉकेट का पहला मिशन है। यह श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से 102वां प्रक्षेपण है।

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नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि यह उद्योग देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्रों में से एक है।

उन्होंने कहा कि भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है। पहले यह इंडस्ट्री 7वें स्थान पर थी, लेकिन अब यह जापान को पीछे छोड़ चुकी है। अमेरिका की ऑटो इंडस्ट्री का आकार लगभग 78 लाख करोड़ रुपये है, चीन की 49 लाख करोड़ और भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का आकार अब 22 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। यह उद्योग देश के 4 करोड़ युवाओं को रोजगार देता है और 4.3 लाख करोड़ रुपये के आयात से जुड़ा है।

उन्होंने कहा कि यह इंडस्ट्री राज्य और केंद्र सरकार दोनों को सबसे अधिक जीएसटी राजस्व प्रदान करती है। देश की आर्थिक वृद्धि में इसकी अहम भूमिका है। सरकार का मिशन है कि इस उद्योग को दुनिया का नंबर एक बनाना है। जिस रफ्तार से यह उद्योग आगे बढ़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री वैश्विक स्तर पर पहले स्थान पर होगी।

उन्होंने कहा कि अब यह उद्योग केवल पारंपरिक ईंधनों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसमें इलेक्ट्रिक, एथेनॉल, मेथेनॉल, डीजल, एलएनजी, सीएनजी और हाइड्रोजन जैसे विकल्पों पर भी तेजी से काम हो रहा है। स्टार्टअप्स, रिसर्च और इनोवेशन इस सेक्टर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रहे हैं।

गडकरी ने कहा कि आज भारत में दोपहिया वाहनों का लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन निर्यात किया जा रहा है। बजाज, टीवीएस, हीरो और होंडा जैसी कंपनियां वैश्विक बाजार में भारत का नाम रोशन कर रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस दृष्टि का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण भारत को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का है। भारत में आज जिस तरह से रिसर्च, डिजाइन और गुणवत्ता में सुधार हुआ है, उसकी वजह से पूरी दुनिया भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर का सम्मान कर रही है।

उन्होंने ‘भारत एन-कैप’ की शुरुआत की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत अब वर्ल्ड क्लास सेफ्टी स्टैंडर्ड्स को अपना चुका है और वैश्विक स्तर पर पुरस्कार भी प्राप्त कर रहा है। आज दुनियाभर की ऑटोमोबाइल कंपनियां भारत में अपनी कारों की टेस्टिंग करवा रही हैं।

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देश-दुनिया के इतिहास में 20 जुलाई की तारीख खास घटना के साथ दर्ज है। यह वही तारीख थी जब नील आर्मस्ट्रांग के रूप में किसी इनसान ने पहली बार चंद्रमा की सतह पर कदम रखा। 56 साल पहले चांद पर पहुंचना, उसे करीब से देखना जैसी बहुत सी बातें लोगों को असंभव लगती थी, 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग ने इसे संभव कर दिखाया था।

16 जुलाई को अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में स्थित जॉन एफ कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से उड़ा नासा का अंतरिक्ष यान अपोलो-11 चार दिन का सफर पूरा करके उन्हें लेकर धरती के प्राकृतिक उपग्रह चांद पर लेकर पहुंचा। यह यान 21 घंटे 31 मिनट तक चंद्रमा की सतह पर रहा। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील ने वहां मून वॉक भी किया। उनके चांद पर उतरने के बाद एक अन्य अंतरिक्ष यात्री एडविन एल्ड्रिन भी चांद पर आ गए थे।

तब नील ने ऐतिहासिक घोषणा की थी, ”यह एक मनुष्य के लिए छोटा सा कदम है पर मनुष्यता के लिए बहुत बड़ी छलांग है। आज हम पूरी मानव सभ्यता की तरफ से चांद पर कदम रख रहे हैं।” नील ने चांद की सतह के बारे में कहा था कि वह बिल्कुल कोयले के चूरे जैसी है। जहां उनका यान उतरा वहां एक फुट गहरे गड्ढे भी हो गए। चांद का वह अनोखा नजारा नील के यान में लगे कैमरे में कैद हुआ था। उन्होंने सबसे पहले चांद की सतह की तस्वीरें लीं और फिर वहां की मिट्टी के नमूने भी एकत्रित किए। दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने चांद पर उतरकर अमेरिकी झंडा भी लहराया।

नील और एल्ड्रिन ने करीब 2.5 घंटे चांद की जमीन पर बिताए। इस ऐतिहासिक दिन को करीब 3.5 करोड़ लोगों ने टीवी पर देखा और रेडियो पर सुना। नील ने चांद पर तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन के हस्ताक्षर वाली पट्टिका भी लगाई थी। उस पट्टिका पर लिखा था, यहां धरती से मनुष्य ने जुलाई 1969 में पहली बार कदम रखा था। नील एयरोस्पेस इंजीनियर, नौसेना अधिकारी, परीक्षण पायलट और प्रोफेसर थे।

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Mumbai, 15 जुलाई (हि.स)। दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्‍क की इलेक्ट्रिक कार विनिर्माता कंपनी टेस्ला ने मंगलवार को अपना पहला शोरूम मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में खोल दिया। इस शोरूम को ‘एक्सपीरियंस सेंटर’ कहा जा रहा है। टेस्‍ला की Y मॉडल कार अब भारत में बिकेगी। कंपनी ने कार की शुरुआती कीमत 59.89 लाख रुपये (एक्स-शोरूम, मुंबई) रखी है, जो अमेरिका की तुलना में 28 लाख रुपये ज्यादा है।

भारतीय बाजार में उन्होंने मुंबई से अपनी शुरूआत करने की घोषणा की है

उद्घाटन समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र चाहता है कि टेस्ला, भारत में अपने अनुसंधान एवं विकास तथा विनिर्माण संयंत्र स्थापित करे। उन्‍होंने कहा कि टेस्ला ने सही राज्य और सही शहर में कदम रखा है, क्योंकि कई वर्षों से जिसका इंतजार हम कर रहे थे, वो कार आज टेस्ला ने मुंबई से लॉन्च की है। भारतीय बाजार में उन्होंने मुंबई से अपनी शुरूआत करने की घोषणा की है। टेस्ला मुंबई में एक्स्पीरियंस सेंटर के साथ-साथ डिलीवरी की व्यवस्था, लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था और सर्विसिंग की व्यवस्था ला रहा है। टेस्ला ने महाराष्ट्र और मुंबई को चुना, क्योंकि आज इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में महाराष्ट्र लीडर बन चुका है। मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में टेस्ला का पूरा इको-सिस्टम महाराष्ट्र में देखने को मिलेगा।


इलेक्ट्रिक कार विनिर्माता कंपनी टेस्ला ने शहर के मध्य बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में 4,000 वर्ग फुट में ‘एक्सपीरियंस सेंटर’ खोला है। हालांकि, अभी कार की डिलीवरी की टाइमलाइन या टेस्ट ड्राइव के विकल्प उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। टेस्ला के इस कदम को देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते बाजार की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है। इलेक्ट्रिक कार टेस्ला का मॉडल Y के दो वेरिएंट्स भारत में उपलब्ध हैं। इन दोनों की टॉप स्पीड 201 किमी प्रति घंटा है। इसमें मॉडल Y रियर व्हील ड्राइव (आरडब्ल्यूडी) की कीमत 59.89 लाख रुपये और मॉडल Y लॉन्ग रेंज (आरडब्ल्यूडी) की कीमत 67.89 लाख रुपये है। इन कीमतों में जीएसटी भी शामिल है। इनकी ऑन रोड कीमतें 61.07 लाख रुपये (मॉडल Y आरडब्ल्यूडी) और 69.15 लाख रुपये लॉन्ग रेंज आरडब्ल्यूडी तक है, जिसमें रोड टैक्स, फास्‍ट टैग और अन्य शुल्क शामिल हैं।

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नई दिल्ली, 25 जून (हि.स.)। भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण आया है जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम मिशन 4 के तहत अंतरिक्ष की ओर कदम बढ़ाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस मिशन में अमेरिका, हंगरी, पोलैंड और भारत के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक बनकर उभरे हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर किया पोस्ट

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पोस्ट में कहा, “ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने भारत के लिए अंतरिक्ष में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है, पूरा देश एक भारतीय की सितारों की यात्रा पर उत्साहित और गौरवान्वित है। उन्होंने और अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के एक्सिओम मिशन 4 के उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने साबित किया है कि दुनिया वास्तव में एक परिवार है- ‘वसुधैव कुटुम्बकम’। इस मिशन की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं, जो नासा और इसरो के बीच स्थायी साझेदारी को दर्शाता है। चालक दल द्वारा किए जाने वाले व्यापक प्रयोग वैज्ञानिक अध्ययन और अंतरिक्ष अन्वेषण की नई सीमाओं को जन्म देंगे।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस मिशन को लेकर अपनी खुशी व्यक्त की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस मिशन को लेकर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा, “हम भारत, हंगरी, पोलैंड और अमेरिका के अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष मिशन के सफल प्रक्षेपण का स्वागत करते हैं। भारतीय अंतरिक्ष यात्री, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय बनने की राह पर हैं। वह अपने साथ 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाओं, आशाओं और आकांक्षाओं को लेकर चल रहे हैं। मैं उन्हें और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को इस मिशन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं।”

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New Delhi: केंद्र सरकार आगामी 15 अगस्त से FASTag के नियम में बदलाव करने जा रही है। अब ₹3,000 की कीमत वाला FASTag आधारित वार्षिक पास शुरू किया जा है। यह पास सक्रिय होने की तिथि से एक वर्ष तक या 200 यात्राओं तक, जो भी पहले हो, वैध रहेगा।

सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस बात की जानकारी शेयर करते हुए कहा है कि यह पास केवल गैर-व्यावसायिक निजी वाहनों (कार, जीप, वैन आदि) के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है और यह देश भर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्बाध यात्रा को संभव बनाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि सालाना पास के लिए एक्टिवेशन या रिन्युल के लिए जल्द ही राजमार्ग यात्रा ऐप और NHAI/MoRTH की वेबसाइट्स पर एक अलग लिंक उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे प्रक्रिया सरल और सुगम होगी।

उन्होंने कहा कि यह नीति 60 किलोमीटर के दायरे में स्थित टोल प्लाज़ाओं को लेकर लंबे समय से चली आ रहें कन्सर्न्स को अंडरलाइन्ड करेगी और एक ही आसान ट्रांजैक्शन के जरिये टोल पेमेंट को सहज बनाएगी।

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नई दिल्ली, 18 जून (हि.स.)। एक्सिओम मिशन-4 के प्रक्षेपण (लॉन्चिंग) की नई संभावित सामने आ गई है। संभावित लॉन्च तिथि 22 जून हो सकती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज सुबह अपने एक्स हैंडल पर यह जानकारी देते हुए कुछ महत्वपूर्ण ब्योरा जारी किया है।

इसरो ने लिखा है, ”इसरो, पोलैंड और हंगरी की टीमों ने एक्सिओम मिशन -4 की संभावित लॉन्च टाइमलाइन के बारे में एक्सिओम स्पेस के साथ विस्तृत चर्चा की। इसके बाद, एक्सिओम स्पेस ने कई तत्परता मापदंडों का आकलन करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और स्पेसएक्स के साथ परामर्श किया।”

इसरो ने एक्स पर बताया कि स्पेसएक्स फाल्कन-9 लॉन्च वाहन, ड्रैगन अंतरिक्ष यान की तत्परता की स्थिति, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के ज्वेज्दा मॉड्यूल में मरम्मत, चढ़ाई गलियारे की मौसम की स्थिति और संगरोध में चालक दल के स्वास्थ्य और तैयारियों के आधार पर एक्सिओम स्पेस ने सूचित किया है कि अगली संभावित लॉन्च तिथि 22 जून 2025 है।”

एक्सिओम मिशन-4 की खास बात यह है कि नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस में मानव अंतरिक्ष उड़ान की निदेशक पैगी व्हिटसन वाणिज्यिक मिशन की कमान संभालेंगी, जबकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में काम करेंगे।

दो मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी परियोजना अंतरिक्ष यात्री स्लावोज उज्नान्स्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के टिबोर कपू हैं। चालक दल फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से फाल्कन-9 पर स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर सवार होकर उड़ान भरेगा।

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खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए आज रात बेहद खास होने जा रही है। इस दौरान आसमान में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के अवसर पर दुर्लभ खगोलीय घटना होगी, जिसमें आप आसमान में स्ट्राबेरी मून को चांदनी बिखेरते हुए देखेंगे।

आज शाम सूर्य के ढलते ही आकाश में पूर्णिमा का चंद्रमा उदित होगा। इसे स्‍ट्राबेरी मून नाम दिया गया है, जो कि पश्चिमी देशों में इस समय पकने वाली जंगली स्‍ट्राबेरी के कारण रखा गया है। पूर्णिमा की ठीक खगोलीय स्थिति दोपहर एक बजकर 13 मिनट पर होगी। उस समय भारत में दिन होगा।

कुछ देशों में इसे हॉट मून, रोज मून, मीड मून कहा जाता है। सूर्यास्‍त के बाद आप इसे पूर्व दिशा में उदित होता हुआ देख पाएंगे, जो कि मध्‍यरात्रि में आपके सिर के ऊपर आकर गुरुवार को सुबह सवेरे पश्चिम में अस्‍त हो जाएगा। इस पूर्णिमा पर चंद्रमा की पृथ्‍वी से दूरी चार लाख किलोमीटर से अधिक होने के कारण यह अपेक्षाकृत छोटा ही दिखेगा।

पूर्णिमा के चांद का महीने के बदलने और मौसम की जानकारी का समय बताने आकाशीय घड़ी के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। लगभग हर 20 साल में स्‍ट्राबेरी मून और समर सोलिस्‍टस की घटना एक साथ होती है। अगले साल स्ट्राबेरी मून 30 जून 2026 को होगा।

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