Chhapra: समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी ताजा रैंकिंग में सारण को गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार के मामले में पूरे बिहार में दूसरा स्थान मिला है. वहीं इस योजना के बेहतर संचालन लिए बिहार को पूरे देश मे दूसरा रैंक दिया गया है.

जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि ग्राम स्तर पर आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से सभी गर्भवती/धातृ महिलाओं जो 1 जनवरी 2017 या उसके बाद की तिथि से गर्भवती है उन्हें प्रथम जीवित संतान के लिए सशर्त नगद लाभ रुपया 5,000 की राशि का भुगतान तीन किस्तों में किया जा रहा है.

प्रथम किस्त के रुप में 1,000 रुपया गर्भावस्था के प्रथम त्रैमास में पंजीकरण के बाद दिया जाता है. दूसरी किश्त गर्भावस्था के छः माह पूरा होने पर कम से कम एक बार एन्टीनेटाल चेकअप कराने के बाद 2,000 रुपया दिया जाता है. जबकी तीसरे किश्त के रुप में 2,000 रुपया नवजात शिशु का जन्म पंजीकरण एवं बच्चे के टीकाकरण के बाद दिया जाता है.

सारण जिला में 11,274 लाभुकों को इसका लाभ दिया गया है. सारण जिला का दरियापुर, सोनपुर और परसा इसमे क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर हैं. वर्तमान में 6,944 लाभुकों को प्रथम, 2,854 लाभुको को द्वितीय एवं 526 लाभुकों को तृतीय किस्त की राशि उपलब्ध करायी गयी है.

योजना का लाभ लेने के लिए विहित आवेदन प्रपत्र भरकर जरुरी कागजात के साथ निकटतम आंगनबाड़ी केन्द्र या परियोजना कार्यालय में दिया जा सकता है. जिलाधिकारी ने राज्य में सारण को दूसरा स्थान प्राप्त होने पर संतोष व्यक्त करते हुए सभी संलग्न कर्मियों को और मेहनत करने की बात कही है.

 

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गड़खा: अंचल परिसर में उस समय अफरा तफरी मच गई जब एक युवक ने आत्मदाह का प्रयास करने लगा. अंचल गार्ड व अन्य कर्मियों ने उसे समझाने का प्रयास किया पर वो नहीं माना. स्थिति की गंभीरता को दखते हुए कुछ लोगों ने पंचायत प्रतिनिधियों को सूचना दी.

मौके पर पहुंचे मुखिया संघ के अध्यक्ष दिनेश कुमार राय और अन्य लोगों ने तत्परता दिखाते हुए युवक को समझा बुझाकर उसे शांत कराया. कुछ देर बाद सब इंस्पेक्टर दिनेश प्रसाद भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए.

पीड़ित युवक व रामपुर पंचायत के अढ़ूपुर गांव निवासी गुड्डू सिंह का कहना था कि कुछ वर्षों पहले उन्होंने जमीन बेची थी, लेकिन अंचल कार्यालय द्वारा उसका दाखिल-खारिज नहीं किया जा रहा है. पार्टी द्वारा उन पर दबाव बनाया जाता है. वे पिछले तीन वर्षों से इसके लिए अंचल कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं. दाखिल खारिज के एवज में सीओ और उनके हेड क्लर्क द्वारा पांच लाख रुपए घूस की मांग की जा रही है. तंग आकर उन्हें यह कदम उठाना पड़ा. उन्होंने बताया कि दाखिल खारिज के लिए उन्होंने तत्कालीन सीओ अश्विनी कुमार चौबे के समय भी काफी चक्कर लगाने पड़े, लेकिन उन्होंने टालमटोल कर काम नहीं किया. इसके बाद उनका तबादला हो गया. वर्तमान सीओ मो इस्माइल के यहां भी वे पिछले कई दिनों से इस कार्य के लिए चक्कर लगा रहे हैं. भू-स्वामी के नाते कार्यालय द्वारा उन्हें भी नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था, अन्यथा एक तरफा फैसला देने की बात कही गई थी. वे जवाब देने के लिए हाजिर भी हुए.

सारे कागजी कोरम होने के बावजूद जमीन का दाखिल खारिज नहीं किया जा रहा है. पूर्व में डीसीएलआर द्वारा भी अंचल कार्यालय को अग्रेतर कारवाई के लिए पत्र भेजा गया था. लेकिन अंचल कार्यालय द्वारा हमेंशा कोई न कोई बहाना बनाकर उसमें नया पेंच फंसा दिया जाता है. अब उन्हें आत्मदाह करने के अलावे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था, क्योंकि रिश्वत के तौर पर वे इतनी बड़ी रकम कहां से लाएं.

उधर सीओ मो इस्माइल ने बताया कि जिस जमीन की दाखिल खारिज की बात वह कह रहे हैं. वास्तव में यह जमीन उनकी है ही नहीं. उक्त जमीन को उन्होंने बेच दिया है. मामला कोर्ट में विचाराधीन है. विक्रेता का जमीन पर कब्जा भी नहीं है. रिश्वत मांगे जाने का आरोप पूरी तरह गलत और बेबुनियाद है.

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छपरा: पिछले दो दिनों से हड़ताल पर रहे सारण ज़िला पैथोलोजिस्ट एसोसिएशन ने तीसरे दिन हड़ताल को खत्म कर दिया है. शनिवार को आल इंडिया पैथोलोजिस्ट एसोसिएशन के जिला सचिव देवेंद्र प्रसाद के आश्वासन के बाद पैथलॉजिस्टों ने अपनी हड़ताल खत्म की है. जिसके बाद सभी पैथोलॉजिकल सेंटरों में फिर से मरीजों की जांच शुरू कर कर दी गयी.

हड़ताल को लेकर सारण ज़िला पैथोलॉजिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ एपी गौड़ ने बताया कि AIMLTA के डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटी ने आश्वासन दिया है कि 10 दिनों के अंदर कॉउन्सिल का गठन कर दिया जायेग. 

गौरतलब है कि सरकार की नीतियों के खिलाफ ज़िले सरकारी तथा ग़ैरसरकारी पैथोलोजिकल सेंटर स्ट्राइक पर चले गये थे. जिसके बाद हड़ताल के दूसरे दिन सरकारी लैबों ने खुद को लग कर लिया था.

एसोसिएशन की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द एमसीआई कॉउन्सिल का गठन करे. इसके अलावें लैब पाथोलॉजिस्टों के जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर को भी वैध करने की मांग की जा रही है.

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Chhapra: जिला निबंधन-सह-परामर्ष केंन्द्र का जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन के द्वारा शुक्रवार को निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के क्रम में जिलाधिकारी ने परामर्ष केन्द्र के चाहरदिवारी निर्माण कार्य की गति धीमी होने पर असंतोष जाहिर करते हुए कार्यपालक अभियंता भवन प्रमंडल को निदेश दिया कि निर्माण कार्य 15 दिनों के अंदर पूर्ण करायें.

निरीक्षण के क्रम में पाया गया कि कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा, सदर को पूर्व में दिये गये निदेष के बावजुद अभी तक परिसर के अंदर पेड़ लगवाने का कार्य नही किया गया है. इस पर जिलाधिकारी द्वारा खेद व्यक्त करते हुए कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा, सदर को निदेश दिया गया कि एक सप्ताह के अंदर जिला निबंधन-सह-परामर्श केन्द्र के अंदर तथा बाहर अथोचित स्थलों पर छायादार पेड़ लगवाएं.

डी.आर.सी.सी में सात निश्चय योजना के तह्त आने वाले छात्र-छात्राओं की सुविधा के मद्ेनजर परिसर के अंदर सही ढ़ग से कैन्टिन के संचालन हेतु जिला परियोजना प्रबंधक, जीविका को निदेश दिया गया कि योग्य जीविका समुह के सदस्यों का चयन कर परिसर के अंदर कैन्टीन का संचालन कराना सुनिश्चित कराया जाय ताकि उचित मूल्यों पर छात्र-छात्राओं, कर्मीयों को भोजन एवं नास्ता उपलब्ध कराया जा सके.

बिहार सरकार की अतिमहत्वकांक्षी सात निष्चय योजना तथा अन्य विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी आम जनों/विधार्थियों को उपलब्ध कराने के मद्ेनजर जिला जन-सम्पर्क पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि डी.आर.सी.सी परिसर के अंदर तथा बाहर उपयुक्त स्थलों पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाना सुनिश्चित करेंगे. निरीक्षण के क्रम में पाया गया कि विधार्थियों की सुविधा हेतु बनाये गये डिस्प्ले खराब है तथा टी.सी.यू (टोकन क्वाईन यूनिट) भी कार्य नही कर रहा है. प्रभारी पदाधिकारी को निदेष दिया गया कि अविलंब संबंधित एजेंसी से समन्वय स्थापित कर डिस्प्ले बोर्ड तथा टी.सी.यू बनवाना सुनिश्चित करेंगे. यदि नयी डिस्प्ले बोर्ड तथा टी.सी.यू लगाने की आवष्यकता पड़े तो अविलंब नया लगवाना सुनिष्चित करें।
जिलाधिकारी द्वारा प्रबंधक एवं सहायक प्रबंधक को निदेष दिया गया कि कुषल युवा कार्यक्रम के तह्त प्रषिक्षण प्राप्त आवेदकों को प्लेसमेंट हेतु मढ़ौरा डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री (जी.ई) के पदाधिकारियों से समन्वय स्थापित कर आवष्यक कार्रवाई करना सुनिष्चित करेंगे ताकि प्रषिक्षित युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सके. जिलाधिकारी द्वारा जिला योजना पदाधिकारी को निदेष दिया गया कि डी.आर.सी.सी के माध्यम से प्रषिक्षित युवाआें जिनका प्लेसमेंट अच्छे-अच्छे स्थानों पर कराया गया है उनका फोटो परिचय सहित उपयुक्त स्थान पर गैलरी बनवा कर लगाना सुनिष्चित करें ताकि उससे अन्य युवा भी सरकार के योजनाओं का लाभ उठा सके.

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Manjhi: जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन के आदेश के बाद शुक्रवार को बिहार तथा यूपी को सड़क मार्ग से जोड़ने वाला एन एच 19 पर बना जयप्रभा सेतु के सम्पर्क सड़क की मरम्मत की गयी. जिलाधिकारी ने इस सम्पर्क पथ को तीन दिन के भीतर ठीक करने का निर्देश दिया है. जिसके बाद संपर्क सड़क पर बने गड्ढो को कुछ जगहों पर ईट पत्थर से भरकर मरम्मत किया गया.इस दौरान एनएच के कार्यपालक अभियंता मनीष कुमार और सहायक अभियंता प्रमोद कुमार भी मौजूद रहे.

गौरतलब है कि तेज बरसात की वजह से तीन दिनों के भीतर सेतु के दोनों मुहानों के एप्रोच मार्ग का एक तिहाई हिस्सा ध्वस्त हो गया था. जिसके बाद मांझी में पड़ने वाले हिस्से की मरम्मती जिलाधिकारी के आदेश पर शुरू कर दी गयी.

अगर इसे समय रहते पूरी तरह से मरम्मत नहीं किया गया तो कुछ दिनों में इस सेतु पर आवागमन ठप होने की आशंका बन सकती है.

सन 2000 में शुरू हुआ था पुल

सम्पूर्ण क्रांति के महानायक जेपी के सपनो का सेतु पूर्व प्रधान मंत्री चंद्रशेखर के अथक प्रयास से वर्ष दो हजार में चालू हुआ. इससे पहले वर्ष 1987 में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री बीर बहादुर सिंह ने 1160 मीटर लंबे उक्त सेतु का शिलान्यास किया था. तब सेतु के निर्माण का लागत खर्च 26 करोड़ आंका गया था. 

जबकि वर्ष 1979 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री चंद राम में शिलान्यास के क्रम में सेतु निर्माण का लागत खर्च साढ़े ग्यारह करोड़ बताया था. हालांकि बनते बनते सेतु का लागत खर्च लगभग चालीस करोड़ हो गया. जयप्रभा सेतु देश का इकलौता सड़क पुल है. जिसके उद्घाटन की औपचारिकता आज तक पूरी नही हुई.

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पुल अब ज्यादा दिनों का मेहमान नही है. अब तो फोरलेन के लिए प्रस्तावित नये पुल का निर्माण तथा उद्घाटन होगा. उक्त सेतु से प्रतिदिन सैकड़ों छोटे बड़े वाहनों का परिचालन होता है पर किसी बड़े नेता अथवा पदाधिकारी की नजर इसकी बदहाली की तरफ नही जाती सरयू नदी पर बना यह सेतु आजकल शराब तस्करी तथा आत्महत्या व दुर्घटना जोन के रूप में खास तौर पर चर्चित है.

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Chhapra: शब्द ब्रम्ह है इससे बढ़कर कोई और मोहक रचना नही हो सकती. ऐसी सोंच रखने वाले सारण जिला के बद्री नारायण पांडेय अपने ही शब्दों को ख्याति दिलाने के लिये 80 वर्ष की उम्र में भी संघर्षरत हैं. हिंदी, अंग्रेजी, जर्मन, पारसी और संस्कृत जैसी पांच भाषाओं का शब्दकोश एक ही पुस्तक के अंतर्गत तैयार करने वाले बद्री नारायण पांडेय को जर्मन और ईरान के एम्बेसी ने इस कार्य हेतु जहां प्रोत्साहित किया और उन्हें अपने प्रयास में सफल होने की शुभकामना दी वहीं दूसरी ओर साहित्य व संस्कृति से दिनरात संवाद करने वाले अपने प्रदेश बिहार में ही उनकी इस प्रतिभा और बौद्धिकता को कोई मोल नही मिला. सात वर्ष पहले श्री पांडेय ने अपनी यह रिसर्च और इससे संबंधित पुस्तक बिहार सरकार और राजभाषा परिषद को भी भेजी थी लेकिन आज तक न इस उपलब्धि को संचित करने का कोई आश्वासन मिला और नाही उन्हें इस कार्य के लिये कोई साधुवाद दिया गया. हालांकि ऐसी नायाब कोशिश को सफलता के पंख नही मिलने के बावजूद बद्री नारायण पांडेय का आत्मविश्वास नही डगमगाया और अस्सी साल के उम्र में उनका मनोबल आज भी कुछ नया करने के लिये प्रयत्नशील है.

प्रकाशन के लिये भी नही मिला कोई बड़ा बैनर

छपरा शहर के हरदनबासु लेन में रहने वाले श्री पांडेय मिश्रीलाल साह आर्यकन्या मध्य विद्यालय के सेवानिवृत शिक्षक हैं. 1998 में रिटायर होने के बाद उन्होंने भाषाओं और शब्दों को लेकर रिसर्च शुरू कर दी. संस्कृत से लगाव था इसलिए इसके इर्दगिर्द शब्दों की समानता ढूंढने लगे. दस वर्षों की कठिन तपस्या के बाद साल 2010 में फाइव लैंग्वेज कॉनसाइज डिक्शनरी लिख डाली. हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद कोई बड़ा प्रकाशक नही मिला जो इसे प्रकाशित कर सके. छपरा के ही एक लोकल प्रकाशक श्री माधव मुद्रणालय ने इस शब्दकोश की अहमियत को समझते हुए इसे प्रकाशित करने का साहस दिखाया. शब्दकोश में 3781 शब्द हैं. हमसे बातचीत में उन्होंने बताया कि रिसर्च में आर्थिक हालात आड़े आते हैं. परिवार में उतनी सम्पन्नता नही है. जो पैसे बचते हैं बीमारी में खर्च हो जाते हैं. यदि सरकार संसाधन उप्लब्ध कराये तो इस शब्दकोश में 11 भाषाओं के शब्दों को शामिल किया जा सकता है.

अभी भी जारी है रिसर्च

तमाम कठिनाइयों और वृद्धावस्था के संघर्षों के बावजूद इनका रिसर्च जारी है. फिलहाल इन्होंने ‘जेंडर सिमिलरिटी ऑफ संस्कृत एंड जर्मन’ नामक शब्दकोश तैयार किया है जिसमें 5759 शब्दों का जिक्र है. यह रिसर्च मात्र चार माह में पूरा हुआ है. हालांकि अबतक इसे कोई प्रकाशक नही मिला है. कुछ पुराने मित्रों से संम्पर्क कर इसे प्रकाशित कराने की कोशिश में हैं. इनके पुत्र राजू पांडेय भी पिता के उपलब्धि को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश में लगे हैं. यदि इनकी बनायी डिक्शनरी बड़े बैनर द्वारा प्रकाशित हो जाये तो छात्रों को एक साथ पांच भाषाओं की जानकारी और उनके शब्दों को पहचानना आसान होगा. शोध छात्रों के लिये भी यह शब्दकोश काफी उपयोगी है.

प्रयास एक नजर में

लगभग 10 वर्षों के कठिन रिसर्च के बाद जब बद्री नारायण पांडेय ने अपने डिक्शनरी को प्रकाशित करने के लिये प्रयास शुरू किया तो कई बड़े प्रकाशकों ने इसमें अपना इंटरेस्ट नही दिखाया. अंत में एक स्थानीय प्रकाशक तैयार हुए और डिक्शनरी की कुछ प्रतियां छापी गयी. आर्थिक तंगी के कारण प्रचार-प्रसार नही हो सका जिस कारण बड़े स्तर पर डिक्शनरी प्रमोट नही हो सकी.

श्री पांडेय ने डिक्शनरी को राष्ट्रीय पटल पर प्रकाशित कराने के किये कई प्रयास किये. पहले उन्होंने इसे जर्मन और ईरान की दूतावास भेजा. वहां से उन्हें इस सार्थक प्रयास के लिये साधुवाद का एक पत्र भी आया और रिचर्स को आगे बढ़ाने की शुभकामना भेजी गयी. इससे उत्साहित होकर उन्होंने बिहार सरकार और राजभाषा परिषद को भी डिक्शनरी की एक कॉपी और रिसर्च से सम्बंधित कुछ मेटेरियल भेजा. हालांकि एक लंबा अंतराल बीत जाने के बाद भी अबतक बिहार सरकार व राजभाषा परिषद से कोई जवाब नही आया है.

डिक्शनरी संस्कृत, जर्मन, पारसी, अंग्रेजी और हिंदी के साढ़े तीन हजार से भी ज्यादा शब्द हैं. ऐसे में छात्रों के लिये यह काफी उपयोगी है. खासकर शोध छात्रों व अलग-अलग भाषाओं पर रिसर्च करने वाले विद्यार्थियों के लिये काफी उपयोगी साबित हो सकता है. बद्री नारायण पांडेय बताते हैं कि अबतक उनकी नजर में एक साथ पांच भाषाओं की डिक्शनरी नही आयी है. छपरा और आसपास के कुछ छात्र-छात्राओं को जब इस डिक्शनरी की जानकारी मिलती है तो वह उनके घर से खरीद कर ले जाते हैं. छात्रों का कहना है कि ऐसा शब्दकोश बाजार में कहीं उपलब्ध नही है. यदि दुकानें पर इसकी प्रतियां उपलब्ध हो और बड़ा प्रकाशक इसे प्रमोट करे तो छात्रों को काफी आसानी होगी.

अस्सी वर्षीय बद्री नारायण पांडेय का रिसर्च इस उम्र में भी जारी है. संसाधनों के अभाव में अकेले ही दिनरात अपने अगले प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. अभी संस्कृत और जर्मन की एक डिक्शनरी तैयार कर रहे हैं जो अंतिम चरण में है. इसके लिये प्रकाशक तलाश रहे हैं. अपने रिसर्च में व्यस्त रहने कारण उन्हें समाजिक गतिविधियों में शामिल होने का ज्यादा अवसर नही मिलता. रोटरी क्लब और लायंस क्लब जैसी संस्थाओं ने एक बार उनका सम्मान किया था. उसके बाद स्थानीय स्तर पर भी इनका हाल लेने कोई नही आया. तत्कालीन डीएम विनय कुमार से मिलकर इन्होंने अपने डिक्शनरी को प्रमोट कराने का आग्रह किया था लेकिन उसी बीच डीएम का तबादला हो गया और उनका प्रयास अधूरा रह गया”.

साभार: पत्रकार, प्रभात किरण हिमांशु के फेसबुक वॉल से

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Chhapra: पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को प्रदेश में अवैध रूप से संचालित सभी पैथोलॉजी लैबों को दो सप्ताह के भीतर बंद कराने का निर्देश दिया है. इसके आदेश के आलोक में राज्य सरकार के प्रधान सचिव संजय कुमार के द्वारा सिविल सर्जन को भेजे गए पत्र में जिले में अनाधिकृत रूप से बगैर मानक के चल रहे पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक सेंटर को 9 सितंबर तक बंद कराकर संस्थानवार रिपोर्ट भेजने का निदेश दिया गया है.

इस निदेश के आलोक में सिविल सर्जन ने सारण जिले में चल रहे 69 पैथोलॉजी लैब और 23 डायग्नोस्टिक सेंटर को बंद करने का निदेश जारी किया है. जिसके बाद इन लैबों को बंद कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है.

आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश एम आर शाह और न्यायमूर्ति रवि रंजन की खंडपीठ ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्ट एंड माईक्रोबायोलोजिस्ट की तरफ से दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए निर्देश दिए थे. इस मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी.

 

 

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Chhapra: दाउदपुर थाना क्षेत्र के मदन साठ गांव के समीप पशु तस्करी का मामला प्रकाश में आया है.

स्थानीय लोगो के मुताबिक गुरुवार को दो कंटेनर में पशुओं की तस्करी की जानकारी मिली थी जिसके आधार पर स्थानीय लोगो के द्वारा दोनो कंटेनर को रोककर उसकी जांच की गई.

दोनो कंटेनर में अंदर काफी संख्या में पशुओं को रखा गया था. आसपास के लोगो द्वारा कंटेनर से पशुओं को निकाला गया वही इस तस्करी में शामिल दोनो कंटेनर के चालक एवं सहकर्मी की जमकर धुनाई कर दी गयी. जिसमे तीन लोग बुरी तरह जख्मी हो गए.

उधर घटना स्थल पर मौजूद सभी लोग पुलिस अधीक्षक को बुलाने की मांग पर अड़े है.

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Isuapur:: गुरुवार को SC/ST एक्ट के विरोध में विभिन्न प्रखंडो में भी सवर्णों द्वारा बन्द का असर दिखा. इस दौरान इसुआपुर के छपियां पंचायत से होकर गुजरने वाले स्टेट हाईवे को पूरी तरह जाम कर दिया. इस वजह से गाड़ियों का आवागमन पूरी तरह ठप रहा.

इस दौरान लोगों ने बीच सड़क पर टायर जलाकर इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया. लोगों ने ट्रैक्टर व अन्य अवरोधक सामान रखकर आवाजाही बन्द कर दी. इस विरोध में भारी मात्रा में युवाओं मौजूद रहे . लोगों ने इस एक्ट के खिलाफ जम के नारेबाजी भी.

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छपरा: छपरा मढौरा पथ पर कुख्यात अपराधी रंजन कुमार सिंह को बुधवार की रात हुए गैंगवार में अपराधियों ने मौत के घाट उतार दिया गया है. घटना ज़िले के खैरा थाना क्षेत्र के फुटनी मोड़ और पेट्रोल पंप के बीच की है. जहां गंगवार में चली अंधाधुंध गोलियां चलायी गयीं. इसी गैंगवार में कुख्यात अपराधी रंजन कुमार सिंह मारा गया. अज्ञात अपराधी उसके शरीर मे गोली दागकर फरार हो गये.

जिसके बाद स्थानीय लोगों ने घायल अवस्था में उसे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने उसकी एक बाइक जब्त कर थाना ले गयी. बाइक बिना नम्बर प्लेट की पड़ी हुई थी.

मृतक के पास से उसके पुलिस ने एक मोबाइल बरामद किया है. मृतक इसुआपुर के कुख्यात अपराधी रंजन कुमार सिंह बताया गया है. वह शहर में स्वर्ण आभूषण व्यवसायी की हत्या कर 30 लाख रुपये की आभूषण लूट मामले में वांटेड था.

थानाध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि मृतक के नाम पता का सत्यापन किया जा रहा है इसकी जांच की जा रही है. घटना पुलिस जांच में जुट गयी है.

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Chhapra: महावीरी झंडा मेला एवं अखाड़ा को लेकर एसडीओ चेतनारायण राय एवं डीएसपी अजय कुमार सिंह ने शांति समिति की बैठक जनता बाजार थाना परिसर में किया.

एसडीओ श्री राय ने कहा कि अखाड़ा तथा जुलूस में हाथियों की संख्या कम रखी जाय तथा पागल हाथी से परहेज रखा जाय.

उन्होंने अखाड़ा निकालने हेतु समय पर ध्यान देने की बातें कही. जबकि डीएसपी श्री सिंह ने महावीरी झंडा मेला, अखाड़ा एवं जुलुस के दरम्यान सुरक्षा व्यवस्था हेतु आवश्यक निर्देश थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह को दिया.

बैठक में महावीरी मेला के दरम्यान श्री ढोंढनाथ मंदिर परिसर में स्थित स्थायी एवं अस्थायी दुकानें हटाने, महिला-पुरुष आरक्षी बल तैनात करने, शांति व्यवस्था कायम रखने आदि विन्दुओं पर चर्चा की गई.

बैठक में बीडीओ राघवेन्द्र कुमार, सीओ अजय कुमार, एसडीओ सदर चेतनारायण राय, डीएसपी अजय कुमार सिंह, प्रमुख पत्ति जीतेन्द्र कुमार सोनी, पूर्व प्रमुख रामाशीष यादव, डाo नगनारायण प्रसाद, मुखिया पंकज तिवारी, राकेश कुमार साह, सुशील कुशवाहा, राजबल सिंह कुशवाहा आदि ने भाग लिया.

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डोरीगंज: गंगा सरयू के जल स्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण सदर प्रखंड के दियारा व तटीय इलाकों में बाढ का पानी फैल गया. जिसमें दियारा के बरहारा महाजी, कोटवापट्टी रामपुर तथा रायपुर बिंदगांवा पंचायातों में

तेजी से बाढ का पानी फैल गया है. वहीं सदर के तटीय इलाकों में चिरान्द के दलित बस्ती भौरोपुर निजाम पंचायत व मुस्सेपुर पंचायत का नेहाला टोला का सड़क से संपर्क भंग हो गया है.

वहीं पश्चिमी बलुआ, पूर्वी बलुआ, पिपरा टोला, मौजमपुर पंचायत के फूलवरिया टोला, कवलिया टोला तथा डुमरी पंचायत के सिंगही में देर रात तक पानी फैलने की प्रबल आशंका है. जिसके कारण लोगों में दहशत का माहौल है. दलित बस्ती चिरांद के लोग सुबह से ही अपने घरों से पलायन करने के लिए साामान निकालते देखे गये.

हालांकि यहां की परेशानी खनुआ नाला से है. खनुआ नाला जाम के कारण हर वर्ष इन्हें परेशानी उठानी पड़ती है और महीनों उन्हें स्कूल के कैम्पस में दिन गुजारने की पड़ती है.

बढते जल स्तर के कारण तिवारी घाट, नौनिया टोला व पुरातात्विक स्थल चिरांद में कटाव जारी है. कटाव के कारण लोगों का घर गिरने के कगार पर है. समाचार
प्रेषण तक इन प्रभावित क्षेत्रों में जिला प्रशासन, राज नेता किसी भी कोई व्यवस्था या बचाव के उपाय नही दिख रहा है. चिरांद के सरपंच अजय पासवान, वार्ड सदस्य बच्चा पासवान, जयमंगल भक्त ने बताया कि महीनों से सरकार जिला प्रशासन से खनुआ नाले की उराही के लिए आवेदन दिया गया. यहां तक की भूख हड़ताल किया गया लेकिन नाले की उराही के बजाय संघर्ष कर रहे लोगाे पर प्राथमिकी दर्ज कर दी गयी है.

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