ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश), 11 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से कुछ दूर यहां इंडिया एक्सपो मार्ट में सेमीकॉन इंडिया-2024 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऊर्जा परिवर्तन और स्थिरता अब वैश्विक चर्चा के केंद्र में है।

भारत स्वच्छ और हरित ग्रह बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ”हम हरित ऊर्जा पर अपनी पेरिस प्रतिबद्धता को पूरा करने वाले जी 20 देशों में से पहले थे। यह प्रतिबद्धता 2030 के लक्ष्य से नौ साल पहले ही पूरी कर ली गई। पिछले 10 वर्ष में भारत की स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले एक दशक में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 3,000 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है। लेकिन हम ऐसी उपलब्धियों पर आराम नहीं कर रहे । हम मौजूदा समाधानों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम नए और नवोन्वेषी क्षेत्रों पर भी विचार कर रहे हैं। यहीं पर हरित हाइड्रोजन तस्वीर में आती है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”हरित हाइड्रोजन विश्व के ऊर्जा परिदृश्य में एक आशाजनक वृद्धि के रूप में उभर रहा है। यह उन उद्योगों को डी-कार्बोनाइजिंग करने में मदद कर सकता है जिन्हें विद्युतीकृत करना मुश्किल है। मुझे विश्वास है कि यह सम्मेलन बेहतरी के लिए कई विचारों के आदान-प्रदान में मदद करेगा। अतीत में मानवता को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हर बार, हमने सामूहिक और नवीन समाधानों के माध्यम से प्रतिकूलताओं पर विजय प्राप्त की। सामूहिक और नवोन्वेषी कार्यों की इसी भावना के साथ हम एक स्थायी भविष्य की ओर आगे बढ़ेंगे।”

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन भारत को सेमीकंडक्टर डिजाइन, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी विकास के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। इस विजन के अनुरूप, सेमीकॉन इंडिया-2024 का आयोजन किया गया है। इसका समापन 13 सितंबर को होगा। इसका विषय शेपिंग द सेमीकंडक्टर फ्यूचर है।

इस तीन दिवसीय सम्मेलन में भारत की सेमीकंडक्टर संबंधी रणनीति और नीति का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें भारत को सेमीकंडक्टर के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने की परिकल्पना की गई है। इसमें वैश्विक सेमीकंडक्टर दिग्गजों के शीर्ष नेतृत्व की भागीदारी देखने को मिलेगी। इस सम्मेलन में 250 से अधिक प्रदर्शक और 150 वक्ता हिस्सा ले रहे हैं।

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नई दिल्ली, 10 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाले वाहनों को अब 20 किलोमीटर के दायरे में आवाजाही के लिए कोई टोल शुल्क नहीं देना हाेगा। अगर यात्रा की दूरी 20 किलोमीटर से अधिक है, तभी यात्रा के दाैरान तय की गई दूरी के लिए शुल्क लिया जाएगा। इसे लेकर सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने साेमवार को अधिसूचना जारी की।

मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रहण) नियम, 2008 में हाल ही में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य टोल संग्रहण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।

मंत्रालय द्वारा अधिसूचना के तहत “राष्ट्रीय परमिट वाहन के अलावा किसी यांत्रिक वाहन का चालक, स्वामी या प्रभारी व्यक्ति जो राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, बाइपास या सुरंग का उपयोग करता है, तब उससे ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रहण प्रणाली के तहत एक दिन में प्रत्येक दिशा में बीस किलोमीटर की यात्रा तक शून्य-उपयोगकर्ता शुल्क लिया जाएगा। यदि यात्रा की गई दूरी बीस किलोमीटर से अधिक है, तो वास्तविक यात्रा की गई दूरी के लिए शुल्क लिया जाएगा।”

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नई दिल्ली, 09 सितंबर (हि.स.)। देश में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि हो गई है। एक दिन पहले ही संदिग्ध मरीज को अस्पताल में आइसोलेट किया गया था। उसके सैंपल की जांच में एमपॉक्स वायरस की पुष्टि हुई है। ये जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वह इस मामले पर कड़ी नजर बनाए हुए है और लोगों को नही घबराने की सलाह दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस मरीज को अस्पताल में आइसोलेशन और कड़ी निगरानी में रखा हुआ है और फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है।

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कोलकाता, 09 सितंबर (हि.स.) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने स्थानीय रथींद्र मंच में आयोजित प्रबोधन वर्ग में अपने संबोधन में स्वयंसेवकों को बड़ी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि आप अगर संघ में आते हैं तो सेवा भाव से आइए। राष्ट्र के लिए समर्पित रहिए। अगर आप सोचेंगे कि यहां आकर नेता बनेंगे और टिकट मिलेगा तो यह भूल जाइए।

उन्होंने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर भी विचार रखे। संघ प्रमुख ने सरकार को सलाह दी कि जनगणना के आंकड़ों का उपयोग विभिन्न विकास योजनाओं के लिए किया जाना चाहिए। यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि इन आंकड़ों का दुरुपयोग वोट बैंक की राजनीति के लिए न हो।

संघ के पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों के लिए रविवार रात आयोजित विशेष कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि विभिन्न विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं के लिए समाज के विभिन्न तबकों के आंकड़ों की आवश्यकता पड़ सकती है। परंतु इस बात की गारंटी होनी चाहिए कि यह डेटा राजनीतिक लाभ के लिए न इस्तेमाल हो।

संघ प्रमुख ने संबोधन में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर भी चर्चा की। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की पहल ‘मिशन साहसी’ का जिक्र किया, जो समाज के हर क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि देश में भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानूनों की आवश्यकता है।

डॉ. भागवत ने शिक्षा व्यवस्था की औपनिवेशिक मानसिकता पर भी चिंता व्यक्त की और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में समग्र शिक्षा के “डिकोलोनाइजेशन” (औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति) की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में ऐसे बदलाव किए जाने चाहिए, जो हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति को समझने और आगे बढ़ाने में सहायक हों।

सरसंघचालक ने “राष्ट्रहित सर्वोपरि” और “वसुधैव कुटुंबकम” के सिद्धांतों पर आधारित संघ के दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में ‘स्वबोध’ (आत्मबोध) की भावना होनी चाहिए और समाज को संघ और उसके कार्यों को हर वर्ग से समझने का प्रयास करना चाहिए।

स्वतंत्रता संग्राम में संघ की भूमिका पर चर्चा करते हुए भागवत ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार और अनुशीलन समिति के प्रमुख क्रांतिकारियों जैसे त्रैलोक्यनाथ चक्रवर्ती के बीच के संबंधों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्रीय मेडिकल कॉलेज कोलकाता में अपने प्रवास के दौरान क्रांतिकारियों के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में संघ की भूमिका का भी उल्लेख किया।

संघ प्रमुख भागवत ने बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि 1943 हो या 1971 या उसके बाद जब भी ऐसी स्थिति बनी बांग्लादेश के हिंदू भाग कर भारत आए। इस बार पहली बार ऐसा हुआ कि वहां से हिन्दू भागे नहीं बल्कि संगठित होकर सड़कों पर उतरे। यह अच्छे संकेत हैं। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा, “अगर आपके पास एक थीम है, तो हमारे पास एक टीम है। और अगर आपके पास एक टीम है, तो हमारे पास एक थीम है।” उनके इस संदेश ने संघ के कार्य करने के तरीके और विचारधारा को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। सरसंघचालक ने एक बार फिर से संघ के विचारों और दृष्टिकोण को समाज के सामने रखा, और संघ के सेवा भाव और राष्ट्रभक्ति को और अधिक सशक्त रूप से सामने लाने का आह्वान किया।

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बाड़मेर, 03 सितंबर (हि.स.)। राजस्थान में बाड़मेर जिले के उत्तरलाई एयरबेस के पास भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान क्रैश हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। विमान में दो पायलट थे। दोनों सुरक्षित है। एयरफोर्स ने हादसे की पुष्टि करते हुए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदे दिए गए हैं।

वायुसेना ने एक्स हैंडल पर लिखा है, “बाड़मेर सेक्टर में नियमित रात्रि प्रशिक्षण मिशन के दौरान भारतीय वायुसेना के मिग-29 में गंभीर तकनीकी खराबी आ गई। इसके कारण पायलट को विमान से बाहर निकलना पड़ा। पायलट सुरक्षित हैं और किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं।”

पुलिस के अनुसार सोमवार रात करीब 10 बजे फाइटर प्लेन रहवासी ढाणी से दूर जाकर क्रैश हो गया। विमान के क्रैश होने के बाद तेज धमाके के साथ आग लग गई। हादसे की सूचना मिलने पर बाड़मेर कलेक्टर निशांत जैन, जिला पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा सहित जिले के प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मीणा के अनुसार कलेक्टर का कॉल आया था कि कवास के पास फाइटर प्लेन क्रैश हुआ है। दोनों पायलट सुरक्षित हैं। जहां विमान क्रैश हुआ, उसके पास आबादी वाला इलाका है। पायलट प्लेन को आबादी से दूर खेत की तरफ ले गए। हादसे के बाद 400 मीटर एरिया को एयरफोर्स ने सीज कर दिया है। दोनों पायलटों ने विमान क्रैश होने से पहले ही इजेक्ट (विमान से बाहर निकलना) कर लिया था।

ग्रामीण नीमराज ने बताया कि हम खाना खाकर घर के बाहर बैठे थे। इसी दौरान तेज धमाका हुआ और धुआं उठने लगा। ऐसा लगा जैसे कि बिजली गिरी हो। इसी दौरान पास की ढाणी से कॉल आई तो हम वहां पहुंचे। वहां देखा तो फाइटर प्लेन था, जिसमें आग लगी हुई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार एक पायलट क्रैश वाली जगह से 1 किलोमीटर पहले ही फाइटर प्लेन से निकल गया था। दूसरा पायलट शहीद हुकम सिंह की ढाणी के पास मिला। दोनों सुरक्षित हैं।

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-बंगाल में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार सजग रहे
-महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों पर कानून का त्वरित पालन हो, उनकी सुरक्षा के लिए समग्रता में प्रयास हो
-आरक्षण में परिवर्तन के लिए प्रभावित होने वालों की सहमति और सहभागिता आवश्यक

नई दिल्ली, 2 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने साफ तौर पर कहा है कि जातिगत जनगणना का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों का सर्वांगीण विकास होना चाहिए, न कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसे संवेदनशील विषय को उभारना चाहिए।

रा.स्व.संघ की समन्वय बैठक के बाद एक सवाल के जवाब में अ.भा. प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने साफ किया कि देश व समाज की एकता और अखंडता हमेशा से हमारी प्राथमिकता रही है। राजनीतिक लाभ के लिए देश और समाज को बांटने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। आरक्षण के विषय पर भी संघ की नीति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि हम हमेशा से संविधान प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था का समर्थन करते आए हैं। इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन संबंधित पक्षों और लाभार्थियों को विश्वास में लेकर ही करना चाहिए। यहां भी उद्देश्य राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के बाद पालक्काड में आयोजित पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब में संघ के प्रचार प्रमुख ने कहा कि समाज के सभी वर्गों के उत्थान और उनके लिए योजना बनाने के समाज के सभी वर्गों के आंकड़े जुटाना अनुचित नहीं है। यह पहले भी किया जाता रहा है। पर इसका उद्देश्य समाज में विभेद पैदा करना नहीं होना चाहिए।

पालक्काड में 31 अगस्त से 02 सितम्बर तक चली संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में सभी ज्वलंत राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर व्यापक और चर्चा हुई। बैठक में बांग्लादेश के हालात और पश्चिम बंगाल में हुई घटना पर भी चर्चा हुई है। सुनील आंबेकर ने बताया कि बैठक में बंगाल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ हुए घटनाक्रम पर भी चर्चा हुई है। संघ का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ देशभर में हो रहे अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। इसके लिए सख्त कानूनों और शीघ्र न्याय के अलावा समाज में जागरुकता, परिवारों में संस्कार, शिक्षा पर ध्यान और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ ने अपने शताब्दी वर्ष ( 100 वर्ष पूर्ण) होने पर जो पंच अभियान चलाने का निश्चय किया है, उसमें कुटुम्ब प्रबोधन और सामाजिक समरसता को प्राथमिकता दी है, जिसमें इन दोनों सामाजिक चुनौतियों का समाधान निहित है।

संघ की समन्वय बैठक में बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई और उस पर व्यापक चर्चा की गई। संघ का कहना है कि वैश्विक स्तर से लेकर भारत के अनेक सामाजिक संगठनों ने भारत सरकार को प्रतिवेदन सौंपे हैं। हमारा मानना है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार को बांग्लादेश सरकार से संवाद बनाए रखना चाहिए और पुरजोर तरीके से उठाना चाहिए।

महिला सशक्तीकरण के बारे में पत्रकार वार्ता के शुरूआत में ही संघ के प्रचार प्रमुख ने बताया कि समन्वय बैठक में कुल 300 प्रतिनिधियों में 32 महिला प्रतिनिधि सम्मिलित हुईं। गत एक वर्ष में पूरे देश में मातृशक्ति के 472 सम्मेलन आयोजित किए गए, जिसमें 5 लाख 75 हजार से अधिक माताओं-बहनों ने भागीदारी की। भारतीय चिंतन दृष्टि से समाज के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और उनके सशक्तीकरण के लिए महिला सम्मेलनों में गंभीर चिंतन हुए हैं। समन्वय बैठक में उस पर आगे की योजना पर विचार हुआ है। उन्होंने बताया कि बैठक में आने वाले समय में पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती और रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती को व्यापक स्तर पर धूमधाम से मनाने की कार्ययोजना पर भी विचार हुआ।

प्रचार प्रमुख ने बताया कि बैठक में तमिलनाडु में चल रही मिशनरी गतिविधियों पर ध्यान दिलाया गया। इसमें बताया गया कि बड़े स्तर पर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इस पर आगे जमीनी हालात जानने के लिए रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी। इसके साथ ही हाल ही में वायनाड में आए भूस्खलन में संघ और सेवाभारती के कार्यकर्ताओं के सेवाकार्यों की जानकारी दी गई, साथ ही पर्यावरण संरक्षण पर भी विचार किया गया।

संघ की समन्वय बैठक में शामिल सभी संगठनों ने संघ के शताब्दी वर्ष के दौरान अपने अपने क्षेत्र में किस प्रकार योजना बनाकर पंच परिवर्तन के लिए कार्य करेंगे, इसकी कार्ययोजना प्रस्तुत की। संघ ने अपने शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन का आधार मानकर जिन पांच आयामों को निर्धारित किया है, वे हैं- (1) स्व का बोध (2) नागरिक कर्तव्य (3) पर्यावरण (4) सामाजिक समरसता और (5) कुटम्ब प्रबोधन। इन पांच आयामों से ही देश और समाज का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित है।

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-शीर्ष कोर्ट ने राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करने के लिए सभी पक्षों से मांगे सुझाव

नई दिल्ली, 02 सितम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल खड़ा किया है। जस्टिस बीआर गवाई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सिर्फ आरोपित होने के आधार पर किसी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि इसे लेकर वो राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करेगा। मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर में चाकू मारने के आरोपित बच्चे के पिता के घर पर बुलडोजर कार्रवाई पर कहा कि एक पिता का बेटा अड़ियल हो सकता है लेकिन उसके लिए उसका घर गिरा दिया जाए, यह तरीका सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी के दोषी साबित होने के बाद भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई के संबंध में दिशा-निर्देश बनाए जाने की जरूरत है। कोर्ट ने राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करने के लिए सभी पक्षों से सुझाव मांगा।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा केवल नगर निगम के कानून के अनुसार ही किया जा सकता है। यहां याचिकाकर्ता अदालत के सामने गलत ढंग से मामले को रख रहे हैं। बुलडोजर की कार्रवाई नियमों का पालन करते हुए की गई है। मेहता ने कोर्ट के समक्ष रखे गए मामलों का हवाला देते हुए कहा कि नोटिस बहुत पहले जारी किए गए थे और लोग पेश नहीं हुए। तब जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि अगर किसी की कोई कमी भी हो तो उसका फायदा नहीं उठाना चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा कि अगर निर्माण अनधिकृत है, तो ऐसे मामलों में भी कार्रवाई कानून के अनुसार होना चाहिए।

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कोलकाता, 01 सितंबर (हि.स.)। बंगाल की खाड़ी में रविवार सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए।

रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.1 मापी गई। हालांकि अभी तक किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार भूकंप का केंद्र बंगाल की खाड़ी में 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। सुनामी को लेकर कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है।

अमेरिका के यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार भूकंप का केंद्र केंद्रशासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह के परका गांव से 135 किमी दूर समुद्र तल से 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। हालांकि, ये पहला मौका नहीं है जब बंगाल की खाड़ी में भूकंप के झटके महूसस किए गए हैं।

इस साल अप्रैल महीने में भी यहां 4.2 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

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-जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन

-शीर्ष अदालत के 75 वर्ष पूरे, डाक टिकट व सिक्का जारी

नई दिल्ली, 31 अगस्त (हि.स.)।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को यहां जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्का जारी किया। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आयोजित सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा, ” सुप्रीम कोर्ट ने सदैव राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा। सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है, यह भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की यात्रा है।

उन्होंने कहा कि इस यात्रा में संविधान निर्माताओं और न्यायपालिका के अनकों मनीषियों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसमें उन करोड़ों देशवासियों का भी योगदान है, जिन्होंने हर परिस्थिति में न्यायपालिका पर अपना भरोसा अडिग रखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसलिए सुप्रीम कोर्ट के यह 75 वर्ष मदर ऑफ डेमोक्रेसी के गौरव को और बढ़ाते हैं। इसलिए इस अवसर में भी गर्व और प्रेरणा भी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा, समाज की गंभीर चिंता है। देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं, लेकिन हमें इसे और सक्रिय करने की जरूरत है। महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे, आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही बड़ा भरोसा मिलेगा।”

उन्होंने कहा,” न्याय में देरी को खत्म करने के लिए बीते एक दशक में कई स्तर पर काम हुए हैं। पिछले 10 वर्षों में देश ने न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लगभग आठ हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। पिछले 25 साल में जितनी राशि न्यायिक बुनियादी ढांचा पर खर्च की गई, उसका 75 प्रतिशत पिछले 10 वर्ष में ही हुआ है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारे लोकतंत्र में न्यायपालिका संविधान की संरक्षक मानी गई है। यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि हमारी सुप्रीम कोर्ट, हमारी न्यायपालिका ने इस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन का प्रयास किया है। आजादी के बाद न्यायपालिका ने न्याय की भावना की रक्षा की। जब-जब देश की सुरक्षा का प्रश्न आया तब न्यायपालिका ने राष्ट्रहित सर्वोपरि रखकर एकता की रक्षा की।” उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है- विकसित भारत, नया भारत। नया भारत यानी- सोच और संकल्प से एक आधुनिक भारत। हमारी न्यायपालिका इस विजन का मजबूत स्तम्भ है।

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– इंजन की डिजाइन और उत्पादन के लिए बेंगलुरु में स्थापित होगी संयुक्त उद्यम कंपनी
– नया संयुक्त उद्यम भारत-फ्रांस के बीच वर्तमान सहयोग के क्षेत्र को और विस्तार देगा

नई दिल्ली, 30 अगस्त (हि.स.)। अब स्वदेशी मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों और डेक-आधारित मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों के लिए भारत में ही इंजन बनाए जाएंगे। इसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने शुक्रवार को फ्रांसीसी कंपनी के साथ एक समझौता किया है। इंजन की डिजाइन और उत्पादन के लिए बेंगलुरु में संयुक्त उद्यम कंपनी स्थापित की जाएगी। नया संयुक्त उद्यम भारत-फ्रांस के बीच वर्तमान सहयोग के क्षेत्र को और विस्तार देगा।

फ्रांसीसी कंपनी सफल हेलीकॉप्टर इंजन प्राइवेट लिमिटेड (एसएएफएचएएल) के साथ आज किये गए समझौते के तहत विकसित किये जाने वाले इंजन अगली पीढ़ी के हेलीकॉप्टरों में लगाए जाएंगे। इन इंजनों को ‘अरावली’ का नाम पश्चिमी भारत में शक्तिशाली पर्वत श्रृंखला से लिया गया है, जो महत्वपूर्ण इंजन प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की देश की आकांक्षाओं का प्रतीक है। कंपनी का पहला उद्देश्य नई पीढ़ी के 13 टन वाले भारतीय मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच) के लिए इंजन बनाना है। इसका नौसैनिक संस्करण डेक आधारित मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (डीबीएमआरएच) भी बनाया जाना है। एचएएल ने इंजन के संयुक्त डिजाइन, विकास, निर्माण और आपूर्ति शुरू करने के लिए एक एयरफ्रेमर अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) सीबी अनंतकृष्णन ने कहा कि फ्रांसीसी कंपनी सफल के साथ यह साझेदारी भारत के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्रों में तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह सहयोग न केवल आईएमआरएच और डीबीएमआरएच प्लेटफार्मों की परिचालन क्षमताओं को सुनिश्चित करेगा, बल्कि महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास के व्यापक लक्ष्य में भी योगदान देगा। फ्रांसीसी कंपनी सफ्रान पहले से ही भारत के एएलएच, एलसीएच और एलयूएच में लगने वाले इंजनों के डिजाइन, विकास और उत्पादन में सहयोग कर रही है।

एचएएल के मुताबिक इंजन की डिजाइन और उत्पादन के लिए बेंगलुरु में संयुक्त उद्यम कंपनी स्थापित की जाएगी, जिससे भारत-फ्रांस के बीच वर्तमान सहयोग के क्षेत्र को और विस्तार मिलेगा। यह संयुक्त उद्यम रणनीतिक अनुबंध के तहत अपनी-अपनी मूल कंपनियों के साथ अत्याधुनिक इंजन प्रौद्योगिकियों पर काम करेगा, जिससे बेहतर प्रदर्शन, विश्वसनीयता और परिचालन दक्षता सुनिश्चित होगी। इस सहयोग में अत्याधुनिक डिजाइन, उन्नत विनिर्माण प्रक्रियाएं और उच्चतम वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए कठोर परीक्षण प्रोटोकॉल शामिल हैं।

एचएएल ने भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 13 टन वजन वाले भारतीय मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर को डिजाइन किया है। भारतीय नौसेना के लिए अलग से डेक आधारित मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर विकसित किया जा रहा है, जिसका वजन 12.5 टन होगा। इन हेलीकॉप्टरों को विभिन्न और चुनौतीपूर्ण वातावरण में संचालित करने के लिए तैनात किया जाएगा। भविष्य में अपतटीय संचालन, उपयोगिता और वीवीआईपी परिवहन के लिए नागरिक बाजार में विस्तार की भी योजना बनाई गई है, जिसके बाद रखरखाव मरम्मत ओवरहाल (एमआरओ) गतिविधियां भी होंगी।

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बिहारशरीफ, 28 अगस्त (हि.स)। राज्य खेल अकादमी राजगीर नालन्दा का उद्घाटन राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर गुरुवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कियाा।

उद्घाटन के अवसर पर राज्य के कुल 9 अन्तर्राष्ट्रीय खिलाडियों को उनके उपलब्धि के अनुसार नगद पुरस्कार एवं सम्मान दिया गया। नवनिर्मित हॉकी टर्फ पर भारतीय महिला हॉकी टीम जो एशियन गेम्स विजेता है ।

इस मौके पर प्रदर्शनी मैच का भी आयोजन किया गया जिसके उपरांत भारतीय महिला हॉकी टीम 01 सितम्बर, 2024 तक उक्त परिसर में अभ्यास करेगी तथा उनके साथ राज्य के चार एकलव्य केन्द्रों के हॉकी प्रशिक्षुओं को खेलने का अवसर मिलेगा।

राज्य खेल अकादमी-सह-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के आधुनिक क्रिकेट स्टेडियम, राजगीर, नालन्दा, बिहार की कुल लागत लगभग 750 करोड रूपये है। इसका निर्माण कार्य भवन निर्माण विभाग, बिहार, पटना द्वारा कराया गया है।

इसके निर्माण हेतु कार्यकारी एजेन्सी शापुरजी पोलोनजी एण्ड कम्पनी प्रा०लि० है। राज्य खेल अकादमी के प्रथम निदेशक के रूप में रविन्द्रण शंकरण मौजूद थें।

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नई दिल्ली, 28 अगस्त (हि.स.)। कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना से पूरे देश में गुस्सा और नाराजगी का माहौल है। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कोलकाता की इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

राष्ट्रपति ने अपने बयान में कहा है कि यह मात्र घटना नही ंहै, अपराधों की श्रृंखला का हिस्सा है। उन्हाेंने देशवासियाें से अपील करते हुए कहाकि आइए, हम सामूहिक रूप से कहें कि अब बहुत हो गया। राष्ट्रपति का यह बयान तीन पेज का है। जिसे एक्स पर साझा किया गया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की वीभत्स घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जब मुझे इस बारे में पता चला तो मैं स्तब्ध और भयभीत हो गई।

इससे भी अधिक निराशाजनक बात यह है कि यह अपनी तरह की एकमात्र घटना नहीं थी; यह महिलाओं के खिलाफ अपराधों की श्रृंखला का हिस्सा है।

कोलकाता में जब छात्र, डॉक्टर और नागरिक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब भी अपराधी अन्य जगहों पर घूम रहे थे। पीड़ितों में किंडरगार्टन की लड़कियां भी शामिल हैं। कोई भी सभ्य समाज बेटियों और बहनों के साथ इस तरह के अत्याचार की अनुमति नहीं दे सकता।

राष्ट्र का आक्रोशित होना तय है, और मैं भी। हमें अपनी बेटियों के प्रति यह दायित्व है कि हम उनके भय से मुक्ति पाने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करें। फिर हम सामूहिक रूप से अगले रक्षाबंधन पर उन बच्चों की मासूम जिज्ञासा का दृढ़ उत्तर दे सकेंगे। आइए, हम सामूहिक रूप से कहें कि अब बहुत हो गया।”

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