जातीय जनगणना समग्र विकास के लिए, राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहींः RSS

जातीय जनगणना समग्र विकास के लिए, राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहींः RSS

-बंगाल में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार सजग रहे
-महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों पर कानून का त्वरित पालन हो, उनकी सुरक्षा के लिए समग्रता में प्रयास हो
-आरक्षण में परिवर्तन के लिए प्रभावित होने वालों की सहमति और सहभागिता आवश्यक

नई दिल्ली, 2 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने साफ तौर पर कहा है कि जातिगत जनगणना का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों का सर्वांगीण विकास होना चाहिए, न कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसे संवेदनशील विषय को उभारना चाहिए।

रा.स्व.संघ की समन्वय बैठक के बाद एक सवाल के जवाब में अ.भा. प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने साफ किया कि देश व समाज की एकता और अखंडता हमेशा से हमारी प्राथमिकता रही है। राजनीतिक लाभ के लिए देश और समाज को बांटने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। आरक्षण के विषय पर भी संघ की नीति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि हम हमेशा से संविधान प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था का समर्थन करते आए हैं। इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन संबंधित पक्षों और लाभार्थियों को विश्वास में लेकर ही करना चाहिए। यहां भी उद्देश्य राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के बाद पालक्काड में आयोजित पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब में संघ के प्रचार प्रमुख ने कहा कि समाज के सभी वर्गों के उत्थान और उनके लिए योजना बनाने के समाज के सभी वर्गों के आंकड़े जुटाना अनुचित नहीं है। यह पहले भी किया जाता रहा है। पर इसका उद्देश्य समाज में विभेद पैदा करना नहीं होना चाहिए।

पालक्काड में 31 अगस्त से 02 सितम्बर तक चली संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में सभी ज्वलंत राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर व्यापक और चर्चा हुई। बैठक में बांग्लादेश के हालात और पश्चिम बंगाल में हुई घटना पर भी चर्चा हुई है। सुनील आंबेकर ने बताया कि बैठक में बंगाल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ हुए घटनाक्रम पर भी चर्चा हुई है। संघ का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ देशभर में हो रहे अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। इसके लिए सख्त कानूनों और शीघ्र न्याय के अलावा समाज में जागरुकता, परिवारों में संस्कार, शिक्षा पर ध्यान और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ ने अपने शताब्दी वर्ष ( 100 वर्ष पूर्ण) होने पर जो पंच अभियान चलाने का निश्चय किया है, उसमें कुटुम्ब प्रबोधन और सामाजिक समरसता को प्राथमिकता दी है, जिसमें इन दोनों सामाजिक चुनौतियों का समाधान निहित है।

संघ की समन्वय बैठक में बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई और उस पर व्यापक चर्चा की गई। संघ का कहना है कि वैश्विक स्तर से लेकर भारत के अनेक सामाजिक संगठनों ने भारत सरकार को प्रतिवेदन सौंपे हैं। हमारा मानना है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार को बांग्लादेश सरकार से संवाद बनाए रखना चाहिए और पुरजोर तरीके से उठाना चाहिए।

महिला सशक्तीकरण के बारे में पत्रकार वार्ता के शुरूआत में ही संघ के प्रचार प्रमुख ने बताया कि समन्वय बैठक में कुल 300 प्रतिनिधियों में 32 महिला प्रतिनिधि सम्मिलित हुईं। गत एक वर्ष में पूरे देश में मातृशक्ति के 472 सम्मेलन आयोजित किए गए, जिसमें 5 लाख 75 हजार से अधिक माताओं-बहनों ने भागीदारी की। भारतीय चिंतन दृष्टि से समाज के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और उनके सशक्तीकरण के लिए महिला सम्मेलनों में गंभीर चिंतन हुए हैं। समन्वय बैठक में उस पर आगे की योजना पर विचार हुआ है। उन्होंने बताया कि बैठक में आने वाले समय में पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती और रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती को व्यापक स्तर पर धूमधाम से मनाने की कार्ययोजना पर भी विचार हुआ।

प्रचार प्रमुख ने बताया कि बैठक में तमिलनाडु में चल रही मिशनरी गतिविधियों पर ध्यान दिलाया गया। इसमें बताया गया कि बड़े स्तर पर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इस पर आगे जमीनी हालात जानने के लिए रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी। इसके साथ ही हाल ही में वायनाड में आए भूस्खलन में संघ और सेवाभारती के कार्यकर्ताओं के सेवाकार्यों की जानकारी दी गई, साथ ही पर्यावरण संरक्षण पर भी विचार किया गया।

संघ की समन्वय बैठक में शामिल सभी संगठनों ने संघ के शताब्दी वर्ष के दौरान अपने अपने क्षेत्र में किस प्रकार योजना बनाकर पंच परिवर्तन के लिए कार्य करेंगे, इसकी कार्ययोजना प्रस्तुत की। संघ ने अपने शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन का आधार मानकर जिन पांच आयामों को निर्धारित किया है, वे हैं- (1) स्व का बोध (2) नागरिक कर्तव्य (3) पर्यावरण (4) सामाजिक समरसता और (5) कुटम्ब प्रबोधन। इन पांच आयामों से ही देश और समाज का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित है।

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