नई दिल्ली (एजेंसी): सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर अंतरिम आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर बैन का उसका पहले का आदेश लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गलत प्रभाव के मद्देनजर दिया गया था। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र और राज्य की एजेंसियों की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो इस पर अमल सुनिश्चित करें। दूसरों की जिंदगी की कीमत पर उत्सव मनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

कोर्ट ने कहा कि दीपावली और अन्य त्यौहारों जैसे गुरुपर्व इत्यादि पर रात आठ बजे से दस बजे तक पटाखे चलाए जा सकेंगे। क्रिसमस और नववर्स के अवसर पर रात 11 बजकर 55 मिनट से रात 12 बजकर तीस मिनट तक पटाखे चलाए जा सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी इलाके विशेष मे प्रतिबंधित सामग्री वाले पटाखों के उत्पादन या बिक्री की बात सामने आती है तो ऐसे में वहां के चीफ सेकेट्री, होम सेकेट्री, कमिश्नर , डीएसपी, एसएचओ तक की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी। इसे गंभीरता से लिया जाएगा। कोर्ट आदेश को धता बताने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया है कि सभी पटाखों पर बैन नहीं है। सिर्फ उन्ही पटाखों पर बैन लगाया गया है जो कि लोगों के ख़ासकर बुजुर्गों और बच्चों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।

28 अक्टूबर को कोर्ट ने पटाखों पर रोक लगाने के आदेश का उल्लंघन करने पर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि पटाखों पर बैन पर हमारा आदेश व्यापक जनहित में दिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि इसे इस तरह से नहीं प्रोजेक्ट नहीं किया जाना चाहिए कि हमने किसी उत्सव विशेष के लिए पटाखों को बैन किया था। कोर्ट ने कहा था कि हम किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं है। हम लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए यहां बैठे हैं। कोर्ट ने कहा था कि हम उत्सव के खिलाफ नहीं है, पर उत्सव मनाने की आड़ में लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ की इजाज़त नहीं दी जा सकती। हम देख रहे हैं कि बाजारों में पटाखे बिक रहे है, जबकि हमने सिर्फ ग्रीन पटाखों की इजाज़त दी है। एजेंसियों की जवाबदेही बनती है कि वो पटाखों पर रोक सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा था कि हम सीबीआई से कहेंगे कि वो उन पटाखा निर्माताओं के खिलाफ जांच करे जो फर्जी ग्रीन पटाखे बेच रहे हैं। किसी को इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है।

6 अक्टूबर को ग्रीन पटाखों के नाम पर पुराने पटाखे बेचने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वो पटाखा बैन का कोर्ट के आदेश का पालन करें। कोर्ट ने कहा था कि हम जीवन की कीमत पर उत्सव मनाने की इजाजत नहीं दे सकते। उत्सव के समय शोर वाले पटाखे कहां से प्राप्त कर सकते हैं।

29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगाने के उसके आदेश का पालन नहीं करने पर देश के छह पटाखा बनानेवाली कंपनियों को अवमानना नोटिस जारी किया था। ये पटाखा निर्माता कंपनियां हैं मेसर्स स्टैंडर्ड फायरवर्क्स, मेसर्स हिन्दुस्तान फायरवर्क्स, मेसर्स विनायक फायरवर्क्स इंडस्ट्रीज, मेसर्स श्री मरिअम्मन फायरवर्क्स, मेसर्स श्री सूर्यकला फायरवर्क्स और मेसर्स सेल्वा विनयागर फायरवर्क्स। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई, चेन्नई के ज्वायंट डायरेक्ट की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पटाखा निर्माता कंपनियां अभी भी बेरियम नाईट्रेट का और उसके दूसरे लवणों का इस्तेमाल पटाखा बनाने में कर रही हैं। पटाखा निर्माता कंपनियां पटाखों के लेबल पर उसमें शामिल सामग्री का उल्लेख नहीं करती हैं। ऐसा करना कोर्ट के पहले के आदेश का खुला उल्लंघन है।

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– डीआरडीओ और वायुसेना ने स्वदेशी लॉन्ग रेंज बम का किया सफल परीक्षण
– रक्षा मंत्री और डीआरडीओ अध्यक्ष ने स्वदेशी विकास में बताया मील का पत्थर

नई दिल्ली: स्वदेशी रूप से विकसित लॉन्ग रेंज बम (एलआरबी) का शुक्रवार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायुसेना की टीम ने लड़ाकू विमान से सफल परीक्षण किया। एलआर बम ने विमान से लॉन्च होने के बाद निर्दिष्ट सीमा के भीतर सटीकता के साथ लंबी दूरी पर भूमि-आधारित लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा।

रक्षा प्रवक्ता के अनुसार एलआर बम ने परीक्षण के दौरान मिशन के सभी उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया। उड़ीसा के एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर में तैनात इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (ईओटीएस), टेलीमेट्री और राडार सहित कई रेंज सेंसर से बम की उड़ान और प्रदर्शन पर निगरानी रखी गई। एलआर बम को डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाओं के समन्वय में हैदराबाद स्थित डीआरडीओ प्रयोगशाला, रिसर्च सेंटर इमरत (आरसीआई) ने डिजाइन और विकसित किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, आईएएफ और सफल उड़ान परीक्षण से जुड़ी अन्य टीमों को बधाई देते हुए कहा कि यह गाइडेड लॉन्ग रेंज बम (एलआरबी) भारतीय सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने टीमों को अपने संदेश में कहा कि लंबी दूरी के बम के सफल उड़ान परीक्षण ने स्वदेशी विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर चिह्नित किया है।

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नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ जंग में कारगर टीकाकरण अभियान में देश ने 104 करोड़, 82 लाख टीके लगाने का आंकड़ा पार कर लिया है। पिछले 24 घंटे में 74 लाख से ज्यादा टीके लगाए गए।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक शुक्रवार सुबह तक राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को अब तक 109 करोड़ 63 लाख टीके की खुराक नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा चुकी है। राज्यों के पास अभी भी 12 करोड़, 31 लाख टीके की खुराक मौजूद हैं।

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नई दिल्ली: दुनियाभर में अपने प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग के मामले में सरकारों और नियामकों की आलोचना झेल रही दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक इंक ने अपना नाम बदलकर मेटा कर लिया है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग ने इसका ऐलान किया है।

मार्क जुकरबर्ग ने वर्चुअली आयोजित फेसबुक के कनेक्ट सम्मेलन में फेसबुक का नया नाम ‘मेटा’ यानी ‘मेटावर्स’ करने का ऐलान किया। जुकरबर्ग ने बताया कि भविष्य के लिए डिजिटल रूप से हो रहे बदलाव को शामिल करने के प्रयास के तहत उनकी कंपनी को अब नए नाम ‘मेटा’ के तौर पर जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि फेसबुक के सभी ऐप्स और तकनीकी अब इस नए ब्रांड के तहत साथ आएंगे। हालांकि, जुकरबर्ग ने स्पष्ट किया कि इससे कॉरपोरेट स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हम सोशल मीडिया कंपनी के रूप में जाने जाते हैं।

फेसबुक सीईओ ने कहा, ‘हमारा डीएनए उस कंपनी का है, जो लोगों को जोड़ने के लिए टेक्नोलॉजी बनाती है। मेटावर्स, सोशल नेटवर्किंग की तरह ही अगला फ्रंटियर है। अब से हम मेटावर्स-फर्स्ट होने जा रहे हैं, फेसबुक-फर्स्ट नहीं।’ फेसबुक इंक का स्टॉक एक दिसंबर से एक नए टिकर, एमवीआरएस के तहत कारोबार शुरू करेगा। जुकरबर्ग ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले दशक में मेटावर्स एक अरब लोगों तक पहुंच जाएगा, सैकड़ों अरब डॉलर के डिजिटल कॉमर्स की मेजबानी करेगा और लाखों क्रिएटर्स एवं डेवलपर्स के लिए नौकरियों का सपोर्ट देगा।

उल्लेखनीय है कि मार्क जुकरबर्ग ने करीब 17 वर्ष पूर्व साल 2004 में फेसबुक की शुरुआत की थी। जुकरबर्ग का मानना है कि अब फेसबुक का भविष्य मेटावर्स में है। मेटावर्स के जरिए इंटरनेट इस्तेमाल करने का तरीका बदल जाएगा और कंप्यूटर के सामने बैठने की बजाय एक हेडसेट के जरिए आभासी दुनिया में घुस सकेंगे। यह बहुत हद तक वीआर की तरह है, जिसका इस्तेमाल अभी गेमिंग में होता है। हालांकि, वर्चुअल वर्ड का इस्तेमाल काम, खेल, कंसर्ट्स, सिनेमा ट्रिप्स या महज हैंग आउट के लिए भी किया जा सकता है।

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प्रख्यात गांधीवादी, नौजवानों के प्रेरणा स्रोत, राष्ट्रीय युवा योजना के संस्थापक, राष्ट्रीय एकता-अखण्डता के प्रतीक और भाई जी के नाम से विख्यात डा.एस एन सुब्बाराव के निधन पर गाजियाबाद के इंदिरापुरम के नीति खण्ड में तीसरी सरकार अभियान के प्रणेता, प्रख्यात चिंतक डा.चंद्र शेखर प्राण के आवास पर एक शोक सभा आयोजित हुई।

इसकी अध्यक्षता जाने-माने गांधी वादी और समूचे देश में बा-बापू 150 अभियान के अंतर्गत बापू के विचारों की अलख जगाने वाले रमेश चंद्र शर्मा ने की। शोक सभा में अनुयायियों-समर्थकों के अलावा अनेक पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और गांधीवादियों ने भाग लिया। सभा में उपस्थित जनों ने स्मृति में दो मिनट का मौन रख उनको अपनी भावभीनी श्रृद्धांजलि अर्पित कीं।

सभा में उपस्थित जनों ने भाई जी को युगदृष्टा, आजीवन समूचे देश में शिविरों के माध्यम से देश की एकता और अखण्डता की अलख जगाने वाला अप्रतिम योद्धा की संज्ञा देते हुए कहा कि उनका सम्पूर्ण जीवन देश को समर्पित था। वह प्रतिपल देश के कल्याण और युवा पीडी़ को संस्कारवान बनाने के बारे में सोचते रहते थे। यही नहीं देशभर में जहां-जहां युवाओं के शिविर आयोजित होते थे, उनमें जीवन किस तरह अनुशासित हो, आचरण की सभ्यता दैनंदिन जीवन में व्यवहार में किस तरह फलित हो ,इस बाबत न केवल संदेश देते थे बल्कि उनमें देशभक्ति की भावना चिरस्थायी बनी रहे, इसकी शपथ भी दिलाते थे। आज उनका सादगी पूर्ण आदर्शमयी जीवन हम सबके लिए कीर्ति स्तंभ की तरह है जो हमें सत्य के आलंबन की प्रेरणा देता है। हम सबका दायित्व है कि हम उनके बताये मार्ग पर चलकर उनके सपनों का भारत बनायें। यही उनको हम सबकी सच्ची श्रृद्धांजलि होगी।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से डा. चंद्रशेखर प्राण, गांधीवादी रमेश भाई, प्रख्यात सर्वोदयी कार्यकर्ता, शिक्षाविद राजा अरविंद सिंह कुशवाहा, महोबा, जाने-माने गांधीवादी लेखक डा.अनिल दत्त मिश्रा, डा.प्रकाश त्यागी, जोधपुर, महंत भाई तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता अभय प्रताप, नागेन्द्र प्रसाद, प्रख्यात पर्यावरण कार्यकर्ता, समाजसेवी प्रशांत सिन्हा, बिहार, वरिष्ठ पत्रकार शिव कुमार मिश्र और पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत सहित अनेकों हित चिंतकों-अनुयायियों की उपस्थिति उल्लेखनीय थी।

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डॉ. बलराम भार्गव
भारतीय राष्ट्रीकय अनुसंधान संस्थाान (ICMR) के महानिदेशक भारत ने कोरोना वैक्सी्नेशन में 100 करोड़ डोज लगाने का आंकड़ा छूकर एक नया कीर्तिमान बनाया है. विश्वन में लगी 700 करोड़ वैक्सी न में से सातवां हिस्साक भारत का है. खास बात यह रही है कि भारत ने सिर्फ टीकाकरण ही नहीं किया बल्कि दो-दो सफल वैक्सी्न निर्माण के बाद विश्वस में आपूर्ति के साथ-साथ भारत में टीकाकरण की रफ्तार को बनाए रखना अपने आप में बड़ी सफलता रही है.

भारत में 100 करोड़ खुराकों के टीकाकरण के लिए सबसे पहला श्रेय मैं हमारे स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर को देना चाहता हूं. जिन्होंने अथक प्रयास मेहनत और समर्पण के साथ ही महामारी के जटिल समय में भी बिना किसी विश्राम के अपने स्वास्थ्य को जोखिम में डालकर काम किया. यह सफलता या ऐतिहासिक पड़ाव उन सभी के सामूहिक प्रयास की वजह से हासिल हुआ है. दूसरा पिछले कई दशक से नवजात शिशु और माताओं के लिए संचालित किए जाने विश्व के सबसे बड़े नियमित टीकाकरण अभियान की बदौलत हमारी स्वास्थ्य सेवा टीम को टीकाकरण के संदर्भ में बड़ा अनुभव प्राप्त हुआ. जिसने टीकाकरण के लिए मनोबल को बढ़ाया.
तीसरा टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार के विभिन्न आयामों के एक समग्र लक्ष्य ने इस यात्रा में सहयोग दिया. सरकार की विभिन्न इकाइयां जैसे नीति आयोग, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, नेगवैग विशेषज्ञ समूह, सुसंगठित समितियां और अन्य मंत्रालयों का स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ सहयोग आदि ने एकजुट होकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है.

सौ करोड़ टीकाकरण के इस कीर्तिमान को स्थापित करने में सरकार की जरूरतों के अनुसार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप, सार्वजनिक और निजी भागीदारी के साथ काम करने की क्षमता को भी प्रदर्शित किया है. जिसके परिणामस्वरूप अनिश्चितताओं के इस समय में भी जीत मिली है. चाहे वह कोविन प्लेटफार्म को स्थापित करना हो या फिर व्यवहारिकता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न श्रेणी समूहों के लोगों के टीकाकरण को प्राथमिकता देना हो. बड़े और व्यापक टीकाकरण अभियान में छोटे निर्णयों को भी ध्यान में रखा गया. जिसके परिणाम स्वरूप सौ करोड़ टीकाकरण का मुकाम हासिल किया गया. इन सबसे बढ़कर देश ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति अपनी एक स्पष्ट प्रतिबद्धता दिखाई और इसके बेहतर परिणाम मिले.

इस तरह से वैक्सीन को बनाने और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ काम करने से एक दूसरे के प्रति विश्वास और क्षमताओं पर भरोसा पहले से अधिक बढ़ा है. इस पूरे चरण में दो तरीके से काम किया गया. पहला आईसीएमआर का भारत बायोटेक पर भरोसा बढ़ा. दूसरा भारत बायोटेक का आईसीएमआर पर भरोसा बढ़ा.

वैक्सीन विकास पर काम करने की शुरूआत के समय से ही आईसीएमआर-भारत बायोटेक ने यह स्पष्ट कर लिया था कि किसी भी तरह के वैज्ञानिक परीक्षण या विकास को एक वैज्ञानिक आधार के साथ किया जाएगा और किए गए काम के दस्तावेजों को साइंटिफिक जर्नल वैज्ञानिक शोध पत्रिका में प्रकाशित कराया जाएगा. अब जैसा कि हमें पता है कि कोवैक्सिन के वैज्ञानिक प्रमाणों पर प्रकाशित 15 से अधिक शोध पत्रों की अंतराष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं ने प्रशंसा की है. यह सभी शोधपत्र वैज्ञानिक साहित्य जगत में वैश्विक स्तर पर वैक्सीन शोध विकास और प्रमाणिकता के लिए जाने जाते हैं फिर चाहे वह वैक्सीन का परीक्षण पूर्व विकास हो, छोटे जानवरों पर वैक्सीन का शोध हो, हैम्सटर अध्ययन हो, बड़े जानवरों पर वैक्सीन ट्रायल आदि हो.

इन शोध पत्रिकाओं में वैक्सीन विकास के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के परिणाम लंबे समय से प्रकाशित होते रहे हैं. वैक्सीन परीक्षणों के इन अध्ययनों में अल्फाए बीटाए गामा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की प्रमाणिकता को भी प्रभावी तरीके से शामिल किया गया.

सबसे पहले तो वैक्सीन विकास के अनुभव से हमें इस बात का आत्मविश्वास बढ़ा है कि भारत अब फार्मेसी ऑफ वर्ल्ड से कहीं अधिक वैक्सीन सुपरपॉवर में भी आगे है. महामारी के बुरे दौर के बीच वैक्सीन विकास के अनुभव से प्राप्त आत्मविश्वास से हम आगे भी अन्य बीमारियों के लिए नये वैक्सीन का निर्माण कर सकेंगे. यह केवल भारतीय आबादी के लिए ही नहीं बल्कि विश्व की आबादी के लिए भी किया जाना चाहिए क्योंकि हमारे सभी प्रयासों का अंर्तनिर्हित सिद्धांत वसुधैव कुटुंबकम या दुनिया एक परिवार है का है.

दूसरा एक दशक से भी अधिक समय से हम जेनेरिक दवाओं को बनाने के लिए पॉवर हाउस के रूप में जाने जाते रहे हैं. कोविड-19 का यह अनुभव मूल्य श्रंखला को आगे बढ़ाने और विशिष्ट होने के लिए दवा की खोज या वैक्सीन खोज में नया प्रतिमान स्थापित करने के लिए प्रेरित करेगा. इस अनुभव का अधिक से अधिक फायदा उठाने के लिए हमें शिक्षा और उद्योगों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर काम करना होगा. इंजीनियरिंग के क्षेत्र में यह पहले से ही किया जा रहा है, जहां आईआईटी में प्रोफेसर परामर्श करते हैं और नये प्रयोग किए जाते हैं. इस तरह का प्रयोग अभी बायो मेडिकल और चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में नहीं किया गया है. इन जगहों में हमारे शिक्षाविदों को प्रोत्साहन देना होगा और उनके द्वारा बनाई गई बौद्धिक संपदा से लाभ उठाने की आवश्यकता होगी ताकि वे नये प्रयोगों के बारे में प्रेरित हो सकें. ऐसे सभी रास्ते हमें अभी स्थापित करने हैं.

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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना वैक्सीनेशन का आंकड़ा 100 करोड़ होने पर देश को संबोधित किया और कहा कि कल 21 अक्टूबर को भारत ने 1 बिलियन, 100 करोड़ वैक्सीन डोज़ का कठिन लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया है. इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्यशक्ति लगी है, इसलिए ये सफलता भारत की सफलता है, हर देशवासी की सफलता है. दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना, वैक्सीन खोजना, इसमें दशकों से उनकी expertise थी. भारत, अधिकतर इन देशों की बनाई वैक्सीन्स पर ही निर्भर रहता था. आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं. भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का, 1 बिलियन का आंकड़ा पार किया, उसकी सराहना भी हो रही है. लेकिन, इस विश्लेषण में एक बात अक्सर छूट जाती है कि हमने ये शुरुआत कहां से की है. भारत के लोगों को वैक्सीन मिलेगी भी या नहीं? क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति-भांति के सवाल थे, लेकिन आज ये 100 करोड़ वैक्सीन डोज, हर सवाल का जवाब दे रही है. जब 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर सवाल उठने लगे। क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी.

पीएम मोदी ने कहा कि सबको साथ लेकर देश ने ‘सबको वैक्सीन-मुफ़्त वैक्सीन’ का अभियान शुरू किया. गरीब-अमीर, गांव-शहर, दूर-सुदूर, देश का एक ही मंत्र रहा कि अगर बीमारी भेदभाव नहीं नहीं करती, तो वैक्सीन में भी भेदभाव नहीं हो सकता! इसलिए ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर VIP कल्चर हावी न हो. कोरोना महामारी की शुरुआत में ये भी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि भारत जैसे लोकतंत्र में इस महामारी से लड़ना बहुत मुश्किल होगा. भारत के लिए, भारत के लोगों के लिए ये भी कहा जा रहा था कि इतना संयम, इतना अनुशासन यहां कैसे चलेगा? लेकिन हमारे लिए लोकतन्त्र का मतलब है-‘सबका साथ’. भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम विज्ञान की कोख में जन्मा है, वैज्ञानिक आधारों पर पनपा है और वैज्ञानिक तरीकों से चारों दिशाओं में पहुंचा है. हम सभी के लिए गर्व करने की बात है कि भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम, Science Born, Science Driven और Science Based रहा है.

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नई दिल्ली: देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 98 करोड़, 67 लाख कोरोनारोधी टीके लगाए जा चुके हैं। इस अभियान में पिछले 24 घंटों में 87 लाख से ज्यादा टीके लगाए गये।

 

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को अब तक 102 करोड़,02 लाख टीके की खुराक नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा चुकी है। राज्यों के पास अभी भी 10 करोड़, 42 लाख टीके की खुराक मौजूद है।

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पंचकूला (एजेंसी): बहुचर्चित रंजीत सिंह हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को गुरमीत राम रहीम सहित 5 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई।

हरियाणा की विशेष सीबीआई कोर्ट के जज डॉक्टर सुशील कुमार गर्ग ने रंजीत सिंह हत्याकांड मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम सहित 5 दोषियों को सजा सुनाई। मामले में मुख्य आरोपित गुरमीत राम रहीम को सीबीआई की विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में अन्य दोषी कृष्ण, सबदिल, जसवीर और अवतार को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 19 साल बाद मृतक रंजीत सिंह के परिवार को इंसाफ मिला। कोर्ट ने राम रहीम पर 31 लाख का जुर्माना लगाया जबकि अन्य सभी दोषियों पर पचास-पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया। 12 अक्टूबर को कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील की मांग पर 18 अक्टूबर का समय दे दिया था।

रंजीत सिंह की हत्या के मामले में डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सिंह को सीबीआई कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के मार्फत पेश किया गया। अन्य आरोपितों कृष्ण लाल, अवतार, सबदिल और जसबीर प्रत्यक्ष रूप से पंचकूला स्थित हरियाणा की विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश किये गए।

कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस व अर्ध सैनिक बल तैनात था। इससे पहले पांचों दोषियों को सीबीआई कोर्ट द्वारा रंजीत हत्याकांड मामले में दोषी करार दिया जा चुका है। इनकी सजा का ऐलान 12 अक्टूबर को किया जाना था लेकिन बचाव पक्ष की ओर से जजमेंट पूरी तरह से ना पढ़ पाने की वजह से 12 अक्टूबर की सुनवाई टाल दी गई थी। करीब 19 साल तक चली अदालती कार्यवाही के दौरान कुल 250 बार इस केस में सुनवाई हुई और 61 लोगों की गवाही हुई।

10 जुलाई, 2002 को डेरे की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रंजीत सिंह की गोली मारकर हत्या करने के मामले में सीबीआई द्वारा कुल छह आरोपित बनाए गए। उनमें गुरमीत राम रहीम के अलावा सबदिल, जसवीर, अवतार, कृष्ण लाल तथा इंद्रसेन थे। इंद्रसेन की पिछले साल मौत हो चुकी है। पांचवा आरोपित कृष्ण लाल पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में सजा काट रहा है। छठा व मुख्य आरोपित गुरमीत राम रहीम है, जो पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साध्वी यौन शोषण मामले में सजा काट रहा है।

सीबीआई कोर्ट ने डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम और कृष्ण कुमार को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने) के तहत दोषी करार दिया था। अवतार, जसवीर, सबदिल को भी अदालत ने धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षडयंत्र रचना) तथा आर्म्स एक्ट के तहत दोषी करार दिया था।

राम रहीम साध्वियों से दुष्कर्म और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में जेल में ही है। 27 अगस्त, 2017 को दो साध्वियों से दुष्कर्म के जुर्म में राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। तब से वह रोहतक की सुनारिया जेल में है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में 16 साल बाद 2019 में उम्रकैद की सजा हुई। डेरे के साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का मामला भी सीबीआई कोर्ट में चल रहा है।

हाईकोर्ट के जज ने भी खुद को सुनवाई से हटाया था
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने केस में खुद को सुनवाई से हटा लिया था। जस्टिस ने कारण देते हुए कहा था कि वर्ष 1986-88 में रंजीत सिंह और उसके पिता सरपंच जोगिंदर सिंह की तरफ से वे दो सिविल मामलों की कुरुक्षेत्र कोर्ट में पैरवी कर चुके हैं। ऐसे में वे इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहते हैं। जस्टिस सांगवान ने मामले की सुनवाई किसी अन्य बेंच को करवाने के लिए केस चीफ जस्टिस को भेज दिया था।

जांच एजेंसियां अलर्ट
रंजीत सिंह हत्याकांड में सजा के ऐलान को लेकर आज पुलिस, सीआईडी, आईबी सहित सभी जांच एजेंसियों की तरफ से पंचकूला के चप्पे चप्पे पर नजर रखी जा रही थी। पुलिस ने 17 नाके लगाकर शहर की सुरक्षा में 700 जवानों को तैनात किया था। जिला अदालत के बाहर भी पुलिस के जवान बड़ी संख्या में तैनात रहे। सोमवार को को आने वाले फैसले के मद्देनजर पंचकूला में जहां सीबीआई कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाई गई थी, वहीं कोर्ट की तरफ जाने वाले सभी रास्तों पर नाकेबंदी की गई थी।

इसके पहले डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त, 2017 को पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया था। जब उसे दोषी करार दिया गया था, तो हरियाणा और राजस्थान में भड़की हिंसा में 33 लोगों की मौत हुई थी। हिंसा के दौरान सरकारी एवं निजी संपत्ति काे भी काफी नुकसान हुआ था। 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। पंचकूला में 100 से अधिक वाहन आग के हवाले कर दिए गए थे।

यह था पूरा मामला
डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे और कुरुक्षेत्र जिले के खानपुर कोलिया गांव के रहने वाले रंजीत सिंह की 10 जुलाई, 2002 को हत्या हुई थी। वह अपने घर से कुछ ही दूरी पर जीटी रोड के साथ लगते अपने खेतों में कामगारों को चाय पिलाकर वापस घर जा रहे थे। हत्यारों ने अपनी गाड़ी जीटी रोड पर खड़ी रखी और वे धीरे से खेत से आ रहे रंजीत सिंह के पास पहुंचे और काफी नजदीक से उन्हें गोलियों से छलनी कर फरार हो गए। सिरसा डेरे के प्रबंधन को यह शक था कि साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी रंजीत सिंह ने अपनी बहन से लिखवाई थी। पुलिस की जांच से असंतुष्ट होकर रंजीत के पिता ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग के लिए याचिका दायर की थी। तब सीबीआई ने जांच के बाद आरोपितों पर केस दर्ज किया था और 2007 में चार्ज फ्रेम किए थे। मामले का मुख्य आरोपित गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में है, जो दो साध्वियों के यौन शोषण के जुर्म में 20 साल की सजा और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहा है।

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नई दिल्ली: महंगाई के मुद्दे को लेकर कांग्रेस केन्द्र सरकार पर लगातार हमलावर है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने कहा कि देश में महंगाई इतनी बढ़ गई है कि लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। राहुल ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि चुनाव-वोट और राजनीति से कहीं अधिक जरूरी है जनता के हित। कांग्रेस जनता के साथ खड़ी है और उनके मुददों को लगातार उठाती रहेगी। राहुल ने कहा कि वर्तमान में महंगाई से लोग त्रस्त हैं। केन्द्र सरकार इसे नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल है।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। प्रियंका ने कहा कि केन्द्र सरकार ने वादा किया था कि हवाई चप्पल पहनने वाले लोग भी हवाई जहाज से सफर करेंगे। लेकिन भाजपा सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम इतने बढ़ा दिए कि अब हवाई चप्पल पहनने वाले और मध्यम वर्ग के लोगों का सड़कों पर सफर करना मुश्किल हो रहा है ।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस भाजपा सरकार पर महंगाई, रोजगार सहित किसानों के मुद्दों को लेकर लगातार हमलावर है। बीते दिनों संपन्न हुई कांग्रेस कार्यसमित की बैठक में भी ये मुद्दे छाए रहे।

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बीकानेर: सेवा को सही रूप में परिभाषित करने वाले बीकानेर के जाने-माने भामाशाह का जन्मदिन रविवार को रक्तदान के साथ मनाया गया। भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक महावीर रांका के जन्मदिन पर पार्क पैराडाइज में 1028 जनों ने रक्तदान कर उन्हें शुभकामनाएं दी।

रामझरोखा कैलाश धाम के महंत महामंडलेश्वर सरजूदासजी महाराज ने रांका को शुभाशीष प्रदान करते हुए कहा कि सेवा कार्यों में महावीर रांका जैसा उत्साह और कहीं नहीं देखा गया। रक्तदान शिविर में रक्तदाताओं का उत्साहवर्धन करने पहुंचे पूर्व संसदीय सचिव डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने कहा कि हजारों जनों द्वारा रक्तदान कर जन्मदिन की शुभकामनाएं देना महावीर रांका के व्यक्तित्व को दर्शाता है। भाजपा के पवन महनोत ने बताया कि पूर्व यूआईटी चैयरमेन महावीर रांका के जन्मदिन पर 1028 जनों ने रक्तदान किया जिनका ब्लड पीबीएम सहित पांच अलग-अलग संस्थाओं ने एकत्र किया।

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गाजियाबाद: विजय नगर थाना क्षेत्र के सिद्धार्थ विहार स्थित प्रतीक ग्रैंड हाई राइज सोसायटी की 25वीं मंजिल से गिरकर दो जुड़वा भाइयों की मौत हो गई। उनकी उम्र 14 साल थी। पुलिस का कहना है कि जिस वक्त ये हादसा हुआ उस वक्त दोनों भाई फ्लैट की बालकनी में खेल रहे थे। तभी अचानक नीचे गिर गए। पुलिस ने दोनों भाइयों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

पुलिस क्षेत्राधिकारी महिपाल सिंह ने रविवार को बताया कि सिद्धार्थ विहार स्थित प्रत्येक ग्रेंड हाय राइज़ सोसाइटी में शिव नारायण सिंह रहते हैं। वह बाहर गए हुए थे। रात्रि में उनके जुड़वा पुत्र सत्यनारायण सिंह व सूर्य नारायण सिंह बालकनी में खेल रहे थे कि अचानक दोनों नीचे गिर गए। उनके चीखने की आवाज सुनकर सुरक्षा गार्ड मौके पर पहुंचे। पूरी कॉलोनी में अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की है। उन्होंने ने बताया कि मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की जांच की जा रही है।

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