—खास रवि महायोग में बाबा का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच षोडशोपचार पूजन

वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के पूर्व सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ललिताघाट पर गेरूआ वस्त्र धारण कर पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। गंगा में पुष्प अर्पित कर भगवान सूर्य को जल देने के बाद प्रधानमंत्री पूरे आस्था के साथ कलश में गंगा जल भर पैदल ही जेटी पर पहुंचे। यहां गीला वस्त्र बदलने के बाद नया वस्त्र परम्परागत धोती, कुर्ता, रेशमी दुपट्टा धारण कर प्रधानमंत्री कार से गंगाजल कलश लेकर मंदिर चौक तक गये। फिर डमरूओं के निनाद के बीच लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में हाजिरी लगाई।

अपने संकल्प को मूर्त रूप लेने पर प्रधानमंत्री ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बेहद खास रेवती नक्षत्र और रवि महायोग में आदि विशेशर के पावन ज्योर्तिलिंग पर गंगा जल सहित पवित्र नदियों के जल से जलाभिषेक किया। उनके प्रति अपार आस्था दिखाई। श्री काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में मंदिर के अर्चक पं.श्रीकांत मिश्र,डॉ नागेन्द्र पांडेय,पं.ओमप्रकाश मिश्र आदि ने मंत्रोच्चार के बीच बाबा का षोडशोपचार पूजन प्रारम्भ कराया। पूजन अर्चन के बाद प्रधानमंत्री को गर्भगृह के बाहर चौक पर शिवसंकल्प सूक्त का संकल्प दिलाने का कार्यक्रम तय था। प्रधानमंत्री ने बाबा से राष्ट्र उन्नति, विश्व कल्याण, के लिए मानस प्रार्थना की। फिर खास नक्षत्र में प्रधानमंत्री के धाम को राष्ट्र के लिए समर्पित करने का समय निश्चित था।

ज्ञात्वय है कि धाम के लोकार्पण का शुभ मुहूर्त अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण शिलान्यास के लिए मुहूर्त निकालने वाले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविण ने ही तय किया है। आचार्य द्रविण ने धाम लोकार्पण के शुभ मुहूर्त के बारे में कहा है कि विक्रम संवत 2078 शालिवाहनशक,1943 शुक्ल पक्ष दशमी तिथि सोमवार के दिन रेवती नक्षत्र और श्लेषा नाड़ी का काल 20 मिनट का है। इसी कालखंड में लोकार्पण सर्वोत्तम है। इस योग में धार्मिक कार्य होने से देश और समाज का सौभाग्य बढ़ेगा।

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New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी ट्विटर अकाउंट  में सेंधमारी की गई है.

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से रविवार तड़के ये जानकारी दी गई. दरअसल,

प्रधानमंत्री मोदी के ट्विटर हैंडल को हैक कर ट्वीट किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि ‘भारत ने आधिकारिक रूप से बिटकॉइन को कानूनी मान्यता दे दी है.’ इस शरारतपूर्ण ट्वीट को हटा दिया है और पीएम के अकाउंट को सुरक्षित कर लिया गया.

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– सीडीएस बिपिन रावत के निधन के कारण सादगीपूर्ण आयोजन
-कुल 387 कैडेट पास आउट,मित्र देशों के 68 युवा सैन्य अधिकारी
-सबसे अधिक उत्तरप्रदेश के 45 ,उत्तराखंड के 43 युवा पास आउट

देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में शनिवार को कड़े प्रशिक्षण के बाद पासिंग आउट परेड (पीओपी) की अंतिम पगबाधा को पार करते हुए 319 युवा अफसर बतौर लेफ्टिनेंट शरहद की निगहबानी के लिए भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा बन गए। बतौर रिव्यूइंग अफसर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जेंटलमैन कैडेट्स की सलामी ली।

परेड में सीडीएस जनरल बिपिन रावत को शामिल होना था। उनके निधन के चलते परेड के दौरान ड्रिल स्क्वायर पर मार्चपास्ट, अवार्ड ड्रिस्ट्रीब्यूशन, पीपिंग और ओथ सेरेमनी की रस्म को सादगी के साथ आयोजित किया गया। सीडीएस के निधन के बाद उत्तराखंड सरकार की ओर से राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक भी घोषित किया गया है।

इस बार कुल 387 जेंटलमैन कैडेट्स पास आउट हुए। इनमें 68 युवा सैन्य अधिकारी नौ मित्र देशों के हैं। उत्तराखंड के 42 युवा भी पास आउट हुए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार भी परेड के दौरान हर स्तर पर बेहद सतर्कता बरती गई।

शनिवार सुबह आईएमए की ऐतिहासिक चैटवुड बिल्डिंग के सामने ड्रिल स्क्वायर पर आयोजित पासिंग आउट परेड का बतौर रिव्यूइंग अफसर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने परेड का निरीक्षण कर पास जेंटलमैन कैडेट्स से सलामी ली। परेड के उपरांत आयोजित होने वाली पीपिंग और ओथ सेरेमनी के बाद पास आउट बैच के 387 जेंटलमैन कैडेट बतौर लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेना के अभिन्न अंग बन गए। इनमें 319 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थल सेना को मिले। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जेंटलमैन कैडेटों का उत्साहवर्धन कर उनके बेहतर भविष्य के लिए देश की सुरक्षा के लिए संदेश दिया।

इस मौके पर राज्यपाल ले.जनरल गुरमीत सिंह (सेनि),आइएमए के कमांडेंट ले.जनरल हरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, डिप्टी कमांडेंट मेजर जनरल आलोक जोशी समेत कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और कैडेट के स्वजन भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

सुबह नौ बजे के करीब परेड की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पौने दस बजे परेड का निरीक्षण किया। इस दौरान सधे हुए कदम और शानदार ड्रिल के साथ जेंटलमैन कैडेट सेना के बैंड की धुन के साथ कदमताल करते हुए देश भक्ति गीतों पर देश पर मर-मिटने की शपथ लेकर आगे बढ़ रहे थे। उनका अनुशासन और कड़ा प्रशिक्षण देखते ही बन रहा था। चौड़े सीने के साथ कैडेटों का एक-एक कदम प्रशिक्षण के कठिन तप को दिखा रहा था।

1971 को यादगार बनाने की थी तैयारी
वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सशस्त्र सेनाओं की जीत के पचास साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित हो रही परेड को यादगार बनाने की कई दिन पहले से तैयारी की जा रही थी। लेकिन दो दिन पहले तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत सेना और वायुसेना के 13 अधिकारियों और जवानों की मौत के बाद कार्यक्रम में बदलाव करना पड़ा।

319 में से 43 कैडेट्स उत्तराखंड से
आईएमए पीओपी में 319 में से 43 कैडेट्स उत्तराखंड से हैं। यूपी के कैडेट्स संख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा 45 रहे। भारतीय कैडेटों की संख्या का 14 फीसदी उत्तराखंड से है।

राज्यवार कैडेटों की संख्या
उत्तर प्रदेश 45,उत्तराखंड 43,हरियाणा 34,बिहार 26,राजस्थान 23,पंजाब 22,मध्य प्रदेश 20,महाराष्ट्र 20,हिमाचल प्रदेश 13,जम्मू कश्मीर 11,दिल्ली 11,तमिलनाडु 7,कर्नाटक 6,केरल 5,आंध्र प्रदेश 5,चंडीगढ 5,झारखंड 4,पश्चिम बंगाल 3,तेलंगाना 3,मणिपुर 2,गुजरात 2,गोवा 2,उड़ीसा 2,असम 2,मिजोरम 2,छत्तीसगढ़ 2,मिजोरम से 2 है।

आठ मित्र देशों के 68 युवा सैन्य अधिकारी
पासिंग आउट में आठ मित्र देशों के 68 युवा सैन्य अधिकारी रहे। अफगानिस्तान से 40, भूटान से 15, तजाकिस्तान 5, श्रीलंका 2, नेपाल 1, मालद्वीव 1, म्यांमार 1, तंजानिया 1, वियतनाम 1 और तुर्किमेनिस्तान से 1 कैडेट पासिंग आउट का अंग बने।

वर्ष 1932 से अकादमी का सुनहरा सफर
देहरादून स्थित प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) का वर्ष 1932 में 40 कैडेट के साथ सुनहरा सफर शुरू हुआ था। सैन्य अकादमी में परेड, साल में दो बार यानी जून और दिसंबर में आयोजित होती है। अकादमी के कड़े प्रशिक्षण और अनुशासन का लोहा मित्र देश भी मानते हैं। प्रथम बैच में फील्ड मार्शल सैम मानेक शा, म्यांमार के सेनाध्यक्ष स्मिथ डन और बाद में पाकिस्तान सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा पास आउट हुए थे। तब से यह संस्थान जांबाज युवा अफसरों की फौज तैयार कर रहा है। अकादमी की खास बात यह है कि मित्र देशों के भी कैडेट यहां प्रशिक्षण लेते हैं। इस साल देश-विदेश की सेना को 63 हजार, 668 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव इस संस्थान के साथ जुड़़ गया। अब तक अकादमी 33 मित्र देशों के दो हजार, 656 युवाओं को प्रशिक्षित कर चुका है। इस बार भी 68 विदेशी कैडेट आइएमए से पास आउट हुए।

सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
पीओपी को देखते हुए अकादमी के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। बाहरी क्षेत्र में सुरक्षा का जिम्मा दून पुलिस के पास था। चप्पे-चप्पे पर सेना के जवान तैनात रहे। पासिंग आउट परेड के दौरान पंडितवाड़ी से लेकर प्रेमनगर तक जीरो जोन रहा। इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग-72 (चकराता रोड) से गुजरने वाला यातायात प्रेमनगर एवं बल्लूपुर से डायवर्ट किया गया था।

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– एक दशक से भारतीय सेना के साथ सेवा में है पिनाकााा रॉकेट का पुराना लॉन्चर सिस्टम
– डीआरडीओ ने नया रॉकेट लॉन्चर सिस्टम मौजूदा जरूरतों के लिहाज से डिजाइन किया

नई दिल्ली: विस्तारित रेंज पिनाका (पिनाका-ईआर) मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर के नए सिस्टम का पोखरण रेंज में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। विभिन्न दूरियों से 24 रॉकेटों को विस्फोटक क्षमताओं के साथ दागा गया और सबने पूरी सटीकता तथा स्थिरता के साथ लक्ष्य को भेदा। रॉकेट लॉन्चर का पुराना सिस्टम पिछले एक दशक से भारतीय सेना के साथ सेवा में है। इस नई प्रणाली को सीमा बढ़ाने वाली उन्नत प्रौद्योगिकियों के साथ मौजूदा जरूरतों के लिहाज से डिजाइन किया गया है।

पिनाका की बढ़ी हुई मारक क्षमता तय हो जाने के बाद डीआरडीओ ने यह प्रणाली की प्रौद्योगिकी को भारतीय उद्योग को हस्तांतरित कर दी है। उद्योग साझीदार ने उक्त पिनाका एमके-1 रॉकेट का निर्माण किया। इसके उत्पादन और गुणवत्ता के लिए डीआरडीओ ने पूरा सहयोग किया था। इसके बाद विकसित रॉकेटों को क्षमता मूल्यांकन और गुणवत्ता प्रमाणीकरण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। सेना के साथ डीआरडीओ ने पिछले तीन दिनों के दौरान पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में इन रॉकेटों की मारक क्षमता का मूल्यांकन तथा परीक्षण किया। इस दौरान उन्नत मारक क्षमता वाले पिनाका रॉकेटों का परीक्षण विभिन्न विस्फोटक क्षमताओं के साथ भिन्न-भिन्न दूरी से किया गया। डीआरडीओ के मुताबिक विभिन्न दूरियों से 24 रॉकेटों को विस्फोटक क्षमताओं के साथ दागा गया और सबने पूरी सटीकता तथा स्थिरता के साथ लक्ष्य को भेदा।

पिनाका-ईआर की प्रौद्योगिकी का शुरुआती चरण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद अब उद्योग साझीदार रॉकेट प्रणाली की पूरी शृंखला के उत्पादन के लिए तैयार है। यह पिनाका-ईआर सिस्टम पुराने मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर का उन्नत संस्करण है। पहले वाले पिनाका रॉकेट एक दशक से भारतीय सेना में शामिल हैं। इस प्रणाली की डिजाइन को मारक दूरी बढ़ाने की उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ नई जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इन परीक्षणों का उद्देश्य यह परखना था कि प्रौद्योगिकी को उद्योग साझीदारों ने किस तरह अपनाया है। पिनाका रॉकेटों के लिये स्वदेशी स्तर पर विकसित फ्यूजों का भी परीक्षण किया गया। पुणे स्थित एआरडीई ने पिनाका रॉकेटों के लिये कई अलग-अलग तरह के फ्यूज विकसित किए हैं। लगातार उड़ान परीक्षणों में फ्यूज का प्रदर्शन सटीक रहा।

इस प्रणाली को डीआरडीओ की प्रयोगशाला आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) ने उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल), पुणे के साथ डिजाइन करके भारतीय उद्योग को स्थानांतरित कर दिया है। इनका विकास समर्पित स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के जरिये देश में पहली बार किया गया है। स्वदेशी स्तर पर विकसित ये फ्यूज, आयातित फ्यूजों की जगह लेंगे तथा इससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी। एआरडीई ने एडीएम के लिए लघु फ्यूज भी डिजाइन किए हैं। दोहरे उद्देश्य वाले डायरेक्ट-ऐक्शन सेल्फ डिस्ट्रक्शन (डीएएसडी) और एंटी-टैंक म्यूनिशन (एटीएम) फ्यूजों का मौजूदा उड़ान परीक्षणों के दौरान मूल्यांकन किया गया। इनके नतीजे भी संतोषजनक रहे। सभी परीक्षणों में सभी मिशन लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

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नई दिल्ली: अगले साल की शुरुआत में केन्द्र सरकार कोरोना रोधी टीके की अतिरिक्त खुराक (बूस्टर डोज) लगाने की अनुमति दे सकती है। शुक्रवार को संसदीय समिति की बैठक में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद(आईसीएमआर) ने कोरोना रोधी की बूस्टर खुराक देने की बात कही है।

शुक्रवार को नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने कहा कि ओमीक्रोन को देखते हुए बूस्टर डोज पर जल्दी ही कोई फैसला लिया जाएगा। इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि दिसंबर के अंत तक हर घर दस्तक कार्यक्रम के तहत देश के अधिकांश लोगों को कोरोना रोधी टीके की पहली डोज देने के बाद सरकार बूस्टर डोज लगाने की शुरुआत कर सकती है।

आईसीएमआर ने संसदीय समिति की बैठक में कहा है कि टीकाकरण के नौ महीने बाद बूस्टर डोज दी जा सकती है। यानि जिन लोगों ने कोरोना के दोनों खुराक नौ महीने पहले ली थी वे अब अतिरिक्त खुराक ले सकते हैं।

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—शिवमय हुई नगरी में विश्वनाथ धाम ललिता घाट से दशाश्वमेध घाट तक चली स्वच्छता की बयार
—देवालयों, कुंडों, गंगा घाट आदि की सफाई युद्ध स्तर पर
—रोशनी से जगमग बाबा धाम और शहर, अब मेहमानों के स्वागत की तैयारी

वाराणसी: सात वार और नौ त्योहार के जीवन दर्शन् को मानने वाले पर्व-उत्सवों के रसिया शहर काशी में अब अपने आराध्य काशीपुराधिपति के धाम के विस्तार और सुंदरीकरण को लेकर महापर्व सरीखा उत्साह चहुंओर दिखने लगा है। पूरे शहर में काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह की तैयारियों के साथ जगह—जगह चौराहों पर सोशल मीडिया में चर्चा हो रही है। लोगों का कहना है कि भव्य धाम के लोकार्पण के बाद अंतरराष्ट्रीय फलक पर अब काशी की तस्वीर नए कलेवर में दिखेगी।

वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मूर्त रूप देने में कोई कसर नही छोड़ा है। रात दिन की उनकी निगरानी और दिशा निर्देश पर जिला प्रशासन,सहयोगी मंत्रियों ने जिस तेजी से धाम के निर्माण और उसे संवारने का काम किया है वह सराहना योग्य है।

धाम के भव्य लोकार्पण के लिए जिला प्रशासन,भाजपा के साथ काशीवासी भी अपने मेहमानों के स्वागत के लिए देवालयों कुंडों, गंगा घाट आदि की सफाई में जुट गए हैं । पूरे शहर को रोशनी से सजाया जा रहा है। धाम के लोकार्पण के बाद काशी विश्वनाथ का प्रसाद घर-घर पहुंचाये जाने के लिए भी प्रशासनिक व्यवस्था हो रही है।

बताते चले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम अब पूर्णता की तरफ है। 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री विश्वनाथ धाम को शिवभक्तों के लिए समर्पित करेंगे। इसके लोकार्पण समारोह को यादगार बनाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार जुटी हुई है । सरकार की कोशिश है कि बदलती प्राचीन नगरी काशी और भारत की नई तस्वीर पूरी दुनिया देख सके।

वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कहा कि काशी के लिए ऐतिहासिक पल है। सैकड़ों साल बाद श्री काशी विश्वनाथ धाम का जीर्णोद्धार हो रहा है। भव्य लोकार्पण की तैयारी की जा रही है, ताकि देश और विश्व भर के लोग इस पल के साक्षी बनें और अपनी आने वाली पीढ़ियों को श्री काशी विश्वनाथ के जीर्णोद्धार के बारे में बता सकें।

उन्होंने बताया कि लोकार्पण समारोह के पूर्व शहर में साफ़-सफाई का अभियान चलाया जा रहा है। गंगा के घाटों और कुंडों की सफाई और साज-सज्जा किया जा रहा है। गंगा के दोनों किनारे क़रीब 11 लाख दीप जलाये जायेंगे। सरकारी भवनों को भी रोशनी से सजाया जा रहा है। मठ और मंदिरों को आकर्षक तरीके से सजाया जा रहा है। भजन संध्या का आयोजन हो रहा है। लोगों से अपने घरों पर लाइटिंग करने और लोकार्पण के दिन दीपों को जलाने की अपील की गई है। इस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान वाले भवनों को क्रमशः 51, 21 और 11 हज़ार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हर वार्ड में मंडली ने सुबह कीर्तन भजन शुरू कर दिया है। धाम के लोकार्पण के बाद काशी के हर घर में 13 से 16 दिसम्बर के बीच श्री काशी विश्वनाथ न्यास की तरफ से बाबा का प्रसाद और पुस्तिका भी वितरित की जाएगी।

महापौर डॉ मृदुला जायसवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री काशी विश्वनाथ धाम का उस दिन लोकार्पण करेंगे। इसी को लेकर पूरे काशी में उत्सव का माहौल है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को लेकर सभी काशी वासी खुश हैं ।

विश्वनाथ धाम ललिता घाट से दशाश्वमेध घाट तक चली स्वच्छता की बयार
श्री काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के पूर्व भव्य काशी व दिव्य काशी के संकल्प को साकार करने के लिए नमामि गंगे ने शुक्रवार को ललिता घाट कॉरिडोर परिसर से दशाश्वमेध घाट तक स्वच्छता अभियान चलाया । गंगा किनारे इधर-उधर बिखरा कचरा समेट कर कूड़ेदान तक पहुंचाया । कार्यकर्ताओं ने ललिता घाट सहित अन्य घाटों पर गंगा की तलहटी की भी सफाई की ।

श्रमदान के दौरान सदस्य एवं नागरिक जोश में ” हर हर महादेव “, आओ घर-घर अलख जगाएं – मां गंगा को निर्मल बनाएं ” का गगनभेदी उदघोष भी करते रहे । नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने इस दौरान कहा कि श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर सहित गंगा घाटों की भव्यता और दिव्यता का साक्षी पूरा विश्व बनेगा। इसलिए स्वच्छता बहुत जरूरी है । प्रधानमंत्री द्वारा दी गई स्वच्छता की प्रेरणा से श्री काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण से पहले ही काशी में स्वच्छता की बयार बह चली है । गंगा घाटों पर भी लोग हर हर महादेव का उद्घोष कर स्वच्छता को आत्मसात कर रहे हैं ।

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नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में अब तक कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट के 25 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। शुक्रवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान में 9, गुजरात में 3, महाराष्ट्र में 10, कर्नाटक में 2 और दिल्ली में एक मामला सामने आया है। यह कोरोना के कुल मामलों का 0.04 प्रतिशत है।

शुक्रवार को आयोजित प्रेसवार्ता में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि इन सभी मरीजों में हल्के लक्षण मिले हैं। उन्होंने बताया कि ओमीक्रोन अबतक विश्व के 59 देशों में फैल चुका है। विश्व में कुल 2,936 मामले सामने आ चुके हैं और 78,064 मामले संभावित हैं।

उन्होंने बताया कि ओमीक्रोन प्रभावित देशों से अबतक कुल 298 फ्लाइट्स आईं हैं। इनसे आने वाले कुल 58 हजार से ज्यादा यात्रियों का आरटीपीसीआर टेस्ट किया गया है। इसमें से 83 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। दूसरे देशों से आए यात्रियों में 13 यात्री कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिनका जीनोम सीक्वेंसिंग किया जा रहा है।

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– जनरल को सैन्य सम्मान के साथ 17 तोपों की सलामी से दी गई आखिरी विदाई
– अंतिम यात्रा के दौरान रास्ते भर तिरंगा लेकर हजारों लोगों का हुजूम चला
– दोनों बेटियों कृतिका और तारिनी ने धार्मिक रीति-रिवाज पूरे कर दी मुखाग्नि

नई दिल्ली: देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका का अंतिम संस्कार बरार स्क्वायर श्मशान घाट पर शुक्रवार शाम कर दिया गया। अंतिम यात्रा के दौरान रास्ते भर तिरंगा लेकर लोगों का हुजूम चला । सैन्य सम्मान के साथ 17 तोपों की सलामी देकर रावत दम्पति को अनंत यात्रा के लिए विदा किया गया। उनके अंतिम संस्कार की सारी व्यवस्था उसी गोरखा राइफल्स की यूनिट 5/11 ने संभाली, जिससे जनरल रावत ने अपना सैन्य सफर शुरू किया। सेना में आने के बाद उन्हें इसी यूनिट में कमीशन दिया गया और मरते दम तक उनकी वर्दी पर अनगिनत मैडल सजे।

इससे पहले जनरल रावत के सरकारी आवास पर देश के तमाम नेताओं, सैन्य अधिकारियों, गण्यमान्य लोगों और विदेशी सैन्य बलों के अधिकारियों ने पुष्पांजलि अर्पित की। बरार स्क्वायर श्मशान घाट तक अंतिम यात्रा के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सैकड़ों लोग तिरंगा लेकर उनके पार्थिव शरीर के साथ चले। सड़कों पर जगह-जगह होर्डिंग लगाई गईं। श्मशान घाट तक रास्ते भर लोग ‘सीडीएस बिपिन रावत अमर रहे’ के नारे लगाते रहे। लोगों ने न सिर्फ फूल बरसाए, बल्कि इस दौरान भारत माता के नारे भी लगाए। दिल्ली के नागरिकों ने ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, बिपिन जी का नाम रहेगा’ के नारे लगाए। अंतिम यात्रा जब श्मशान घाट पर पहुंची तो मातम धुन के बीच रावत दम्पति के पार्थिव शरीर सैन्य वाहन से उतारे गए।

श्मशान घाट पर फिर एक बार सीडीएस को श्रद्धांजलि देने का क्रम शुरू हुआ। भारतीय सैन्य बलों के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने श्रद्धांजलि दी। अंत्येष्टि के लिए जनरल रावत के पार्थिव शरीर को तीनों सेना प्रमुखों ने कन्धा दिया और भारतीय सैन्य बलों के बैंड दलों ने मातमी धुन बजाई। इसके बाद रावत दम्पति के पार्थिव शरीर एक ही चिता पर रखे गए।

दोनों बेटियों कृतिका और तारिनी ने माता-पिता के लिए धार्मिक रीति-रिवाज पूरे किये। अंतिम संस्कार से पहले सैन्य प्रोटोकॉल के अनुसार 17 तोपों की सलामी दी गई। सैन्य परंपरा के अनुसार त्रि-सेवाओं के बिगुलरों ने लास्ट पोस्ट और राउज खेला और इसके बाद जनरल रावत की दोनों पुत्रियों ने दोनों चिताओं को एक साथ मुखाग्नि दी। इस दौरान 800 जवान यहां मौजूद रहे।

भारतीय सैन्य बलों के पहले प्रमुख सीडीएस बिपिन रावत के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान सेना अपने शीर्ष अधिकारियों को भेजा। श्रीलंका सेना की ओर से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और श्रीलंकाई सेना के कमांडर जनरल शैवेंद्र सिल्वा शामिल हुए। उनके साथ पूर्व सीडीएस एडमिरल रवि विजेगुनारत्ने, (सेवानिवृत्त) भी रहे, जो भारत के नेशनल डिफेंस कॉलेज में सीडीएस रावत के कोर्समेट थे। सीडीएस बिपिन रावत के अंतिम संस्कार में नेपाली सेना का प्रतिनिधित्व उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल बाल कृष्ण कार्की ने किया। रॉयल भूटान सेना के प्रतिनिधि के रूप में उप मुख्य संचालन अधिकारी ब्रिगेडियर दोरजी रिनचेन शामिल हुए। वह चीफ ऑपरेशंस ऑफिसर के बाद रॉयल भूटान आर्मी के दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश सशस्त्र बल प्रभाग के प्रधान स्टाफ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल वेकर-उज-जमान ने भी भारत के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी रावत को विदाई दी।

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– रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोभाल ने भी एयरपोर्ट पर पहुंचकर पुष्पांजलि दी
– तीनों सेना प्रमुखों के अलावा वरिष्ठ सैन्य अफसरों ने जनरल रावत को श्रद्धांजलि देकर याद किया

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पालम एयरपोर्ट पहुंचकर भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत सभी वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान हेलीकॉप्टर हादसे में मारे गए सैन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के परिजन फफककर रो पड़े। तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में मारे गए सभी लोगों के पार्थिव शरीर गुरुवार रात को वायुसेना के विमान से दिल्ली लाकर पालम एयरबेस पर श्रद्धांजलि देने के लिए रखे गए हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोभाल ने भी एयरपोर्ट पर पहुंचकर पुष्पांजलि दी।

जनरल बिपिन रावत का बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में निधन हो गया था। इस हादसे में उनकी पत्नी मधुलिका समेत 12 और लोगों ने अपनी जान गंवा दी। जनरल रावत, उनकी पत्नी और अन्य 11 कर्मियों के पार्थिव शरीरों को भारतीय वायुसेना के विमान सी-130जे हरक्युलिस से आज रात दिल्ली लाया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और अन्य 11 सशस्त्र बलों के जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोभाल ने भी पुष्पांजलि देकर सीडीएस जनरल रावत की सेवाओं को याद किया।

जनरल रावत को श्रद्धांजलि देने के लिए तीनों सेना प्रमुखों के अलावा वरिष्ठ सैन्य अफसर पहले से ही एयरपोर्ट पर मौजूद थे। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और अन्य 11 सशस्त्र बलों के जवानों को श्रद्धांजलि दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए डोभाल ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत और अन्य सशस्त्र बलों के जवानों के परिवारों से मुलाकात करके सांत्वना दी। दोनों ने परिजनों को सरकार की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिया।

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– वायुसेना के विमान सी-130जे ने शाम 4 बजे 13 पार्थिव देह लेकर सुलूर एयरबेस से भरी थी उड़ान
– पार्थिव शरीर की अगवानी के लिए तीनों सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अफसर एयरपोर्ट पर रहे मौजूद

नई दिल्ली: तिरंगे में लिपटे ताबूतों में 13 पार्थिव शरीर गुरुवार रात को जब पालम एयरपोर्ट पर उतारे गए तो वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नाम हो गईं। तमिलनाडु में कुन्नूर के पास बुधवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर में मारे गए भारत के पहले सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी और अन्य 11 कर्मियों के पार्थिव शरीर को भारतीय वायुसेना के विमान सी-130जे हरक्युलिस से दिल्ली लाया गया है। जनरल रावत को श्रद्धांजलि देने के लिए तीनों सेना प्रमुखों के अलावा वरिष्ठ सैन्य अफसर एयरपोर्ट पर मौजूद थे।

सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य लोगों की बुधवार दोपहर तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में कुन्नूर के पास भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान चली गई। इन सभी को आज वेलिंग्टन के सैन्य अस्पताल में श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद सभी 13 पार्थिव शरीर तमिलनाडु में नीलगिरी जिले के मद्रास रेजिमेंटल सेंटर में रखे गए। आज सुबह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, तेलंगाना के राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन और सैन्य कर्मियों ने कुन्नूर में सभी मृतकों को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद भारतीय तिरंगे में लिपटे ताबूतों में पार्थिव शरीर नीलगिरी जिले के मद्रास रेजिमेंटल सेंटर से सजे-धजे सैन्य ट्रकों में सुलूर एयरबेस के लिए रवाना हुए।

नीलगिरी के मद्रास रेजिमेंट सेंटर से सुलूर एयरबेस ले जाते वक्त बिपिन रावत और अन्य सभी के अंतिम दर्शन के लिए सड़कों पर स्थानीय लोगों की भीड़ लग गई। लोगों ने न सिर्फ फूल बरसाए, बल्कि इस दौरान भारत माता के नारे भी लगाए। यहां से वायुसेना के विमान सी-130जे हरक्युलिस ने सीडीएस रावत, उनकी पत्नी मधुलिका, सीडीएस के पीएसओ ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार, लांस नायक बी साई तेजा, विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान, स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह, जूनियर वारंट ऑफिसर राणा प्रताप दास, जूनियर वारंट ऑफिसर अरक्कल प्रदीप, हवलदार सतपाल राय के पार्थिव शरीर लेकर आज शाम 4 बजे के करीब दिल्ली के लिए उड़ान भरी।

करीब चार घंटे बाद सी-130जे गुरुवार रात को जब पालम एयरपोर्ट पर उतरा तो वहां मौजूद तीनों सेना अध्यक्षों के साथ सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सीडीएस जनरल बिपिन रावत, मधुलिका रावत और अन्य 11 सैन्य अधिकारियों के पार्थिव शरीर की अगवानी करते समय सभी की आंखें भर आईं। सीडीएस की पत्नी मधुलिका रावत रक्षा पत्नी कल्याण संघ की अध्यक्ष भी थीं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज ही दिन में संसद को जानकारी दी थी कि भारत के पहले सीडीएस का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दुर्घटना में मारे गए अन्य कर्मियों का भी उचित सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

अब तक केवल तीन पार्थिव शरीरों की पहचान हो पाई है जिनमें जनरल बिपिन रावत, मधुलिका रावत और ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर हैं। इसलिए उनके पार्थिव शरीर अंतिम धार्मिक संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिए जाएंगे। दरअसल, हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए अन्य अधिकारियों और कर्मियों के शव इस कदर झुलसे हैं कि उन्हें पहचानना मुश्किल है, इसलिए बाकी शवों की पहचान डीएनए जांच से होगी और इसके बाद ही उनके परिजनों को सौंपे जाएंगे। इस हादसे में इकलौते बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की हालत अभी भी गंभीर है। उन्हें आज ही एक वाहन एम्बुलेंस (सड़क मार्ग से) से सुलूर ले जाया गया है ताकि आगे कमांड अस्पताल, बेंगलुरु ले जाया जा सके।

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मुंबई: शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा कि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत की हादसे में मौत के बारे में लोगों के मन में उठ रहे शक को प्रधानमंत्री को दूर करना चाहिए।

संजय राऊत ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया कि भारतीय सैन्यदल को आधुनिक बनाने में जनरल बिपिन रावत का महत्वपूर्ण योगदान है। साथ ही बिपिन रावत बहुत ही अलग तरह के इंसान थे। वे सैन्य संबंधित बैठकों में तकनीकी चीजों की बहुत सरल तरीके से जानकारी दिया करते थे। देश के इस सेनापति का एक हादसे में हम सबके बीच से चला जाना बेहद दुखदायक है, इससे भारत सरकार भी सकते हैं।

संजय राऊत ने कहा कि 1952 में इसी तरह के एक हादसे में सैन्य दल के कई वरिष्ठ अधिकारियों की मौत हो गई थी। उस समय तय किया गया था कि एक से अधिकारी एक साथ यात्रा नहीं करेंगे। इस घटना में दो वरिष्ठ अधिकारियों की मौत हुई है। बाकी सभी इनके मातहत अधिकारी थे। इसलिए इस घटना को लेकर लोगों के मन में शक पैदा हो रहे हैं।

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नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ जंग में कारगर टीकाकरण अभियान के तहत देश में पिछले 24 घंटे में करीब 75 लाख टीके लगाए गए। इसी के साथ देश में अबतक 130.39 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक गुरुवार सुबह तक राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को 140 करोड़ टीके की खुराक नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा चुकी है। राज्यों के पास अभी भी 19 करोड़ टीके की खुराक मौजूद है।

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