IRCTC से टिकट बुक करने वाले रेल यात्री ध्यान दें, पढ़ें IRCTC ने ट्वीट कर दी जानकारी

Delhi: अगर आप भी ट्रेन में सफर करने से पहले ऑनलाइन टिकट बुकिंग करते हैं या फिर आपको कहीं जाने के लिए टिकट बुकिंग करानी है तो यह खबर आपके लिए जरूरी है.

IRCTC ऐप के जरिए टिकट बुकिंग करने से पहले आप ये खबर पढ़ लें. IRCTC ने ऐप के बारे में ट्वीट करके प्रमुख जानकारी दी है.

आइए आपको बताते हैं क्या है खास

IRCTC ने अपने ऑफिशियल ट्विटर पर लिखा है कि क्या आप टिकट बुक करने का आसान, जल्दी वाला और सुविधाजनक तरीका देख रहे हैं तो IRCTC रेल कनेक्ट ऐप को तुरंत डाउनलोड करें. आप इसके जरिए सिर्फ 3 चरणों में अपना टिकट बुक कर सकते हैं. टिकट बुकिंग की यह सुविधा 24*7 उपलब्ध है.

IRCTC Rail Connect App के बारे में जानिए

मौजूदा उपयोगकर्ताओं के लिए लॉगिन करना काफी आसान है.

पैसेंजर की डिटेल्स को सेव करें फ्यूचर करने के लिए

आगामी यात्राओं के लिए अलर्ट प्राप्त करें

मल्टीपल पेमेंट ऑप्शन

ट्रेन इंक्वॉयारी और बुकिंग

चेक करें ऑफिशियल वेबसाइट

ट्रेन टिकट बुकिंग के लिए आप ऑफिशियल वेबसाइट https://www.irctc.co.in/nget/train-search पर विजिट कर सकते हैं. Indian Railways के टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म IRCTC से टिकट बुकिंग को प्रोत्साहित करने को कहा है. इसके साथ ही इसने डिजिटल पेमेंट का समर्थन किया.

इस तरह आधार से अपने आईआरसीटीसी अकाउंट को करें लिंक-

आधार को आईआरसीटीसी अकाउंट से लिंक करने के लिए सबसे पहले आप IRCTC की ऑफिशियल वेबसाइट  http://irctc.co.in पर क्लिक करें.

इसके बाद अपने अकाउंट पर साइन इन करें.

इसके बाद आप My Account ऑप्शन पर क्लिक करें.

इसके बाद आधार लिंक के ऑप्शन पर क्लिक करें.

इसके बाद आधार कार्ड में अपना नाम और आधार नंबर नंबर दर्ज करें.

इसके बाद Send ऑप्शन पर क्लिक करें.

इसके बाद आपके Registered Mobile नंबर पर OTP आएगा जिसे आप दर्ज करें.

इसके बाद आपका KYC का प्रोसेस पूरा हो जाएगा.

इसके बाद आपके पास Confirmation लिंक भेजा जाएगा.

इसके बाद अकाउंट से Logout करके वापस Login करें.

इसके बाद आप KYC, आधार लिंक का स्टेटस चेक करें.

आपका अकाउंट आधार से लिंक (Aadhaar Card Link with IRCTC Account) हो जाएगा.

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नई दिल्ली: भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के लिए बाजार नियामक सेबी के पास मसौदा दस्तावेज दाखिल कर दिया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि एलआईसी मार्च के पहले हफ्ते में पूंजी बाजार में अपना आईपीओ ला सकती है। इसे देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ माना जा रहा है।

सूत्रों ने रविवार को बताया कि इससे पहले सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी के बोर्ड ने आईपीओ मसौदे को अपनी मंजूरी दे दी। सूत्रों के मुताबिक एलआईसी बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद इस दस्तावेज को सेबी के पास रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) के लिए दाखिल किया गया है। सेबी की मंजूरी मिलने के साथ ही एलआईसी मार्च के पहले हफ्ते में अपना आईपीओ ला सकती है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के आईपीओ लाने के लिए पिछले साल सितंबर में 10 मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति की थी, जिसमें गोल्डमैन सैक्स, सिटीग्रुप और नोमुरा भी शामिल हैं। वहीं, कानूनी सलाहकार के तौर पर सिरिल अमरचंद मंगलदास को नामित किया गया है। इससे पहले आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जुलाई 2021 में एलआईसी के विनिवेश को मंजूरी दी थी।

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– वायुसेना के उच्चाधिकारियों की सुरक्षा का दायित्व गरुड़ कमांडो फोर्स पर
– कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी तैनात हैं गरुड़ कमांडोज
नई दिल्ली: भारत के सबसे खूंखार माने जाने वाले 127 ‘गरुड़ कमांडो’ शनिवार को मरून बेरेट सेरेमोनियल परेड के बाद भारतीय वायुसेना को मिल गए। एयरफोर्स के विशेष बल ‘गरुड़ कमांडो फोर्स’ का प्रशिक्षण पूरा होने पर शनिवार को चांदीनगर के गरुड़ रेजिमेंटल ट्रेनिंग सेंटर (जीआरटीसी) में पासिंग आउट परेड हुई जिसकी सलामी पश्चिमी वायु कमान के वरिष्ठ अधिकारी एयर वाइस मार्शल पीएस करकरे ने ली। वायुसेना के उच्चाधिकारियों की सुरक्षा का दायित्व भी गरुड़ कमांडो फोर्स पर ही है। इसके अलावा गरुड़ कमांडोज को कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी तैनात किया गया है।

जीआरटीसी के कमांडेंट विंग कमांडर त्रिलोक शर्मा ने मुख्य अतिथि करकरे का स्वागत किया और विभिन्न प्रशिक्षण पहलुओं पर संक्षिप्त जानकारी दी। मुख्य अतिथि ने गरुड़ रेजिमेंटल ट्रेनिंग सेंटर से ढाई साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद सफलतापूर्वक पास होने पर गरुड़ सैनिकों को बधाई दी। युवा सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने बदलते सुरक्षा परिदृश्य के साथ तालमेल रखने के लिए विशेष बलों के कौशल के प्रशिक्षण और सम्मान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सफल गरुड़ प्रशिक्षुओं को मरून बेरेट, गरुड़ प्रवीणता बैज और विशेष बल टैब और मेधावी उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं को ट्राफियां प्रदान कीं। एलएसी सूर्यवंशी शिवचरण अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंडर ट्रॉफी प्रदान की गई।

खतरनाक हथियारों से लैस भारतीय वायुसेना के ये कमांडो दुश्मन को खत्म करने के लिए जाने जाते हैं। इनकी ट्रेनिंग ऐसी होती है कि ये बिना कुछ खाए हफ्ते तक संघर्ष कर सकते हैं। पासिंग आउट समारोह के दौरान ‘गरुड़ सेना’ ने कॉम्बैट फायरिंग, होस्टेज रेस्क्यू, फायरिंग ड्रिल, असॉल्ट एक्सप्लोसिव्स, बाधा क्रॉसिंग ड्रिल, वॉल क्लाइम्बिंग, स्लाइथरिंग, रैपलिंग और मिलिट्री मार्शल आर्ट्स जैसे विभिन्न कौशल का प्रदर्शन किया। कमांडो ट्रेनिंग में इन्हें उफनती नदियों और आग से गुजरना, बिना सहारे पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है। भारी बोझ के साथ कई किलोमीटर की दौड़ और घने जंगलों में रात गुजारनी पड़ती है।

गरुड़ कमांडो फोर्स वायुसेना के सभी बेसों के अलावा वायुसेना के दूसरे महत्वपूर्ण ऑफिसों की भी सुरक्षा करती है। वायुसेना के उच्चाधिकारियों की सुरक्षा का दायित्व भी गरुड़ कमांडो फोर्स पर ही है। इसके अलावा गरुड़ कमांडोज को कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी तैनात किया गया है। जम्मू-कश्मीर एयर बेस पर 2001 में आतंकी हमले के बाद 2003 में गरुड़ कमांडो फोर्स बनाने का फैसला लिया गया था, लेकिन 6 फरवरी, 2004 को इन्हें भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। गरुड़ कमांडो को 2019 से जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल विशेष अभियान प्रभाग में भी तैनात करना शुरू किया गया है।

भारत और चीन के बीच 2020 में लद्दाख में शुरू हुए तनाव के बाद गरुड़ कमांडोज को लद्दाख में रणनीतिक महत्व की चोटियों पर तैनात किया गया था। उनकी जिम्मेदारी चीनी हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान करना है। गरुड़ कमांडो कॉर्पोरल गुरसेवक सिंह 2016 में पठानकोट हमले के दौरान शहीद हुए थे और उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। 18 नवंबर, 2017 को कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारने वाले गरुड़ कमांडो कॉर्पोरल जेपी निराला को मरणोपरांत शांति काल में वीरता का सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र प्रदान किया गया है।

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– भारतीय सेना ने सभी जवानों के पार्थिव शरीर उनके पैतृक स्थानों को भेजे
– भारी बर्फबारी के बाद 14,500 फीट की ऊंचाई पर हुआ था हिमस्खलन

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में बर्फीले तूफान में फंसकर शहीद हुए सेना के सातों जवानों के पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक स्थान भेज दिए गए। इससे पहले तेजपुर वायुसेना स्टेशन पर गजराज कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल रविन खोसला और अन्य सैन्य अधिकारियों ने भारतीय सेना की ओर से सभी बहादुरों को अंतिम सम्मान दिया। 14 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके में पिछले कुछ दिनों से खराब मौसम के साथ भारी बर्फबारी होने के बाद हिमस्खलन की यह घटना मैमी हट इलाके के पास हुई थी।

अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में 06 फरवरी की शाम को बर्फीले तूफान में सेना का गश्ती दल फंस गया था। पश्चिम कामेंग जिले की पुलिस के मुताबिक हिमस्खलन की यह घटना तवांग जिले के जंग पुलिस स्टेशन के तहत एलएसी के साथ जंगदा बस्ती से लगभग 35 किलोमीटर दूर के मैमी हट इलाके के पास हुई। जब सेना के इस गश्ती दल से संपर्क स्थापित नहीं हो सका तो फौरन एक एक्सपर्ट टीम क्विक रेस्पॉन्स के लिए मौके पर भेजी गई। विशेष टीमों के एयरलिफ्टिंग के साथ ही तुरंत खोज और बचाव अभियान शुरू किया गया था। भारतीय सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 19 जेएके राइफल्स के सभी सात जवानों की पार्थिव देह 08 फरवरी को बरामद की थीं।

हिमस्खलन में शहीद हुए सैनिकों में हवलदार जुगल किशोर, राइफलमैन अरुण कट्टला, अक्षय पठानिया, विशाल शर्मा, राकेश सिंह, अंकेश भारद्वाज, जीएनआर (टीए) गुरबाज सिंह हैं। सैनिकों की पार्थिव देह आगे की औपचारिकताओं के लिए हिमस्खलन स्थल से निकटतम सैन्य अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। सभी तरह की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद सैनिकों की पार्थिव देह आज तेजपुर वायुसेना स्टेशन पर लाई गईं, जहां भारतीय सेना की ओर से गजराज कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल रविन खोसला और अन्य सैन्य अधिकारियों ने सभी बहादुरों को अंतिम सम्मान दिया। इसके बाद शहीदों की पार्थिव देह को पंजाब, हिमाचल प्रदेश, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर राज्यों में उनके मूल पैतृक स्थानों अखनूर, कठुआ, धारकलां, खुर, बाजीनाथ, कांगड़ा, घमारवीन और बटाला भेजा गया।

सेना ने यह भी कहा कि उच्च ऊंचाई पर तैनात जवान परिचालन चुनौतियों का सामना करने के लिए हाईटेक गैजेट्स, सर्विलांस ड्रोन, नाइट विजिल कैमरा, थर्मल इमेजिंग ट्रेसर, हेलीकॉप्टर, स्नो स्कूटर, हिमस्खलन डिटेक्टर का उपयोग करते हैं। 14 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके में पिछले कुछ दिनों से खराब मौसम के साथ भारी बर्फबारी हो रही थी। इस बार डारिया हिल में बर्फबारी ने 34 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यहां इससे पहले 1988 में इतनी बर्फबारी हुई थी। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा शहर में दो दशक बाद बर्फबारी हुई है।

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नई दिल्ली: मशहूर उद्योगपति राहुल बजाज का शनिवार को निधन हो गया। बजाज समूह के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज ने 83 साल की आयु में पुणे स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। राहुल बजाज लंबे वक्त से कैंसर से पीड़ित थे। उनके योगदान के लिए उन्हें साल 2001 में पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था।

राजस्थान के मारवाड़ी परिवार में पैदा हुए राहुल बजाज का जन्म 10 जून, 1938 को बंगाल प्रेसीडेंसी में हुआ था। उनका संबंध राजस्थान में सीकर जिले के काशीकाबास से था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से पूरा करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र (ऑनर्स) डिग्री और बंबई विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली थी। इसके बाद राहुल बजाज ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से अपना एमबीए पूरा किया था।

उल्लेखनीय है कि दिग्गज उद्योगपति राहुल बजाज ने पिछले साल 29 अप्रैल, 2021 को बजाज ऑटो के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए यह पद छोड़ा था। बजाज साल 1972 से समूह के चेयरमैन पद पर पर कार्यरत थे।

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर अंतरिम रोक के हाईकोर्ट के आदेश पर कोई भी हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अभी आया भी नहीं है। इस मसले को इतने बड़े पैमाने पर उठाने की जरूरत नहीं है। स्थानीय मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि क्या हो रहा है, हम सब जानते हैं, उचित समय पर हम हस्तक्षेप करेंगे।

बेंगलुरु के मोहम्मद आरिफ के अलावा कर्नाटक के मस्ज़िद, मदरसों के संगठन ने भी याचिका दायर की है। याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को मुस्लिम लड़कियों से भेदभाव बताया गया है और आदेश पर तत्काल रोक की मांग की गई है।

बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को कहा था कि अगली सुनवाई तक स्कूल में धार्मिक ड्रेस पहनकर स्कूल नहीं आएं। हाईकोर्ट इस मसले पर 14 फरवरी को सुनवाई करने वाला है।

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नई दिल्ली: विदेश से आने वाले यात्रियों को 14 फरवरी से सात दिनों के अनिवार्य पृथकवास पर नहीं रहना होगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को इस संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी किए। संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार हवाई अड्डे पर कोरोना की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव दिखाने पर सात दिनों के अनिवार्य पृथकवास की आवश्यकता नहीं होगी।

इस संबंध में गुरुवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने जानकारी दी कि मंत्रालय ने विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं, इनका पूरी लगन से पालन करें, सुरक्षित रहें और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश को मजबूत करें।

संशोधित दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि अगर य़ात्रियों के पास पूर्ण टीकाकरण प्रमाण पत्र है तो उन्हें आरटी-पीसीआर की अनिवार्य 72 घंटे की रिपोर्ट दिखाना भी आवश्यकता नहीं होगा। ओमिक्रोन वैरिएंट से प्रभावित देशों से भी ‘एट रिस्क’ मार्किंग को भी हटा दिया है।

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन हाई कोर्ट के लिए 16 जजों की नियुक्ति की है। इसी के साथ राष्ट्रपति ने जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी को मद्रास हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया है।

आज जारी नोटिफिकेशन में राष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जज के रूप में जिन सात नामों को नियुक्ति किया है, उनमें कोनाकांति श्रीनिवास रेड्डी ऊर्फ श्रीनिवास रेड्डी, गन्नामनेनी रामकृष्ण प्रसाद, वेंकटेश्वरुलु निम्मागड्डा, तारलादा राजशेखर राव, सत्ती सुभाष रेड्डी, रवि चीमालापति और वैदिबोयाना सुजाता शामिल हैं।

राष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज के रूप में जिन सात नामों को नियुक्त किया है, उनमें मनिंदर सिंह भाटी, द्वारकाधीश बंसल, मिलिंद रमेश फड़के, अमरनाथ (केसरवानी), प्रकाश चंद्र गुप्ता और दिनेश कुमार पालीवाल शामिल हैं। राष्ट्रपति ने उड़ीसा हाई कोर्ट के जज के रूप में जिन सात नामों को नियुक्ति किया है, उनमें वी नारासिंह, बिराजा प्रसन्ना सतपथी और मुराहरि श्रीरमन शामिल हैं।

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– अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में इस बार बर्फबारी ने तोड़ा 34 साल पुराना रिकॉर्ड

– सेना के जवान चीन-पाकिस्तान सीमा के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों की शीत लहर में तैनात

नई दिल्ली: बर्फीले तूफान में 06 फरवरी की शाम से लापता सेना के गश्ती दल का अभी तक पता नहीं चल सका है। अरुणाचल प्रदेश के कामेंग जिले में हिमस्खलन के बाद फंसे सेना के 7 जवानों को तलाशने में मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश पुलिस की टीम भी जुट गई। 19 जेएके राइफल्स के जवानों को खोजने के लिए पहले से ही सेना ने बचाव कार्य चला रखा है और बचाव कार्यों में सहायता के लिए विशेष टीमों को एयरलिफ्ट किया गया है। हिमस्खलन के बाद जब सेना के इस गश्ती दल से संपर्क स्थापित नहीं हो सका तो फौरन एक एक्सपर्ट टीम क्विक रेस्पॉन्स के लिए मौके पर लगाई गई। उस टीम में शामिल विशेषज्ञ लापता जवानों की तलाश में जुटे हैं।

पश्चिम कामेंग जिले की पुलिस के मुताबिक यह घटना तवांग जिले के जंग पुलिस स्टेशन के तहत एलएसी के साथ जंगदा बस्ती से लगभग 35 किलोमीटर दूर के मैमी हट इलाके के पास हुई है। मंगलवार सुबह से पुलिस की एक टीम भी सेना के तलाशी अभियान में शामिल हो गई है। 6 फरवरी को मैमी हट के पास हिमस्खलन की चपेट में आने से 19 जेएके राइफल्स के सात सैन्यकर्मी फंस गए हैं। घटना के बाद सेना के अधिकारियों ने जंग थाने को सूचना दी थी लेकिन यह क्षेत्र बहुत दूर है और बर्फबारी के कारण सभी सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। इस बार डारिया हिल में बर्फबारी ने 34 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यहां इससे पहले 1988 में इतनी बर्फबारी हुई थी। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा शहर में दो दशक बाद बर्फबारी हुई है।

तेजपुर स्थित रक्षा पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने कहा कि वर्तमान में खोज और बचाव अभियान जारी है। बचाव अभियान में सहायता के लिए विशेष टीमों को एयरलिफ्ट किया गया है। पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में भारी बर्फबारी के साथ खराब मौसम देखा जा रहा है। सर्दियों के महीनों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गश्त करना मुश्किल हो जाता है। सैन्य कर्मियों के साथ पहले भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं। अरुणाचल प्रदेश के तवांग स्थित भारत-चीन की सीमा पर 21 दिसंबर को भारी बर्फबारी हुई थी जिसने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। हिमस्खलन के बाद जब सेना के इस गश्ती दल से संपर्क स्थापित नहीं हो सका तो फौरन एक एक्सपर्ट टीम क्विक रेस्पॉन्स के लिए मौके पर लगाई गई। उस टीम में शामिल विशेषज्ञ लापता जवानों की तलाश में जुटे हैं।

मई 2020 में सिक्किम में हिमस्खलन की चपेट में आने से सेना के दो जवानों की मौत हो चुकी है। पिछले साल अक्टूबर में उत्तराखंड की 7,120 मीटर ऊंची छोटी माउंट त्रिशूल पर चढ़ाई करने गए नौसेना के 20 सदस्यीय दल में से नौसेना के चार पर्वतारोही शहीद हो गए थे। इसी तरह 2019 में सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन के कारण सेना के छह जवानों की मौत हो गई थी, जबकि अन्य जगहों पर इसी तरह की घटनाओं में 11 अन्य मारे गए थे। इन घटनाओं के बाद सरकार ने संसद में दिए बयान में कहा था कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों के कर्मियों को पहाड़ों के हिमाच्छादित इलाकों में जीवित रहने और हिमस्खलन जैसी किसी भी घटना का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाता है।

सेना ने यह भी कहा कि उच्च ऊंचाई पर तैनात जवान परिचालन चुनौतियों का सामना करने के लिए हाईटेक गैजेट्स, सर्विलांस ड्रोन, नाइट विजिल कैमरा, थर्मल इमेजिंग ट्रेसर, हेलीकॉप्टर, स्नो स्कूटर, हिमस्खलन डिटेक्टर का उपयोग करते हैं। सैनिकों को उच्च तकनीक वाले उपकरण प्रदान किए गए हैं जिसमें पाकिस्तान के साथ सीमा पर चरम स्थितियों से निपटने के लिए ट्रैकर और वर्दी शामिल हैं। भारतीय सेना के जवान चीन और पाकिस्तान की सीमा के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 5-10 फीट बर्फ और माइनस 5 से 20 डिग्री सेल्सियस तक की शीत लहर में तैनात हैं। भारतीय सेना के जवान कठोर मौसम और पहाड़ी इलाकों के बावजूद जम्मू-कश्मीर में एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) की रक्षा कर रहे हैं। सैनिकों को विशेष रूप से कम ऑक्सीजन के स्तर के साथ समुद्र तल से लगभग 10 हजार फीट की ऊंचाई पर कठोर मौसम की स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

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– सेना प्रमुख ने आर्टिलरी सम्मेलन में वरिष्ठ गनर अधिकारियों के साथ बातचीत की

– खुद को ताकतवर बनाने के लिए रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी के प्रयासों को सराहा

नई दिल्ली: भारतीय सेना अब चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में ऊंचाई वाले पहाड़ों पर के-9 वज्र तोप तैनात करने की योजना बना रही है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने मंगलवार को हैदराबाद में द्विवार्षिक आर्टिलरी सम्मेलन के दौरान वरिष्ठ गनर अधिकारियों के साथ बातचीत की। उन्होंने ‘इन स्ट्राइड विद द फ्यूचर’ में खुद को ताकतवर बनाने के लिए रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी के ठोस प्रयासों को सराहा।

भारतीय सेना उत्तराखंड और चीन के साथ सीमा साझा करने वाले देश के पूर्वोत्तर राज्यों में स्वदेशी के-9 वज्र हॉवित्जर तैनात करने की योजना बना रही है। भारतीय सेना दुर्गम पर्वतीय इलाकों में तैनात करने के लिए 200 के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों का ऑर्डर देने की तैयारी कर रही है। फिलहाल इन स्वदेशी तोपों की एक रेजिमेंट यानी 20 तोपें 12 से 16 हजार फीट ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चीन के खिलाफ तैनात हैं। 38 किलोमीटर दूर तक मारक क्षमता वाली यह के-9 वज्र तोप 15 सेकंड में 3 गोले दाग सकती है। लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत दक्षिण कोरिया की कंपनी के सहयोग से 100 तोपों का निर्माण गुजरात के हजीरा प्लांट में किया है जिन्हें सेना को सौंपा जा चुका है।

चीन सीमा पर गोलाबारी के लिए सेना ने ऊंचाई वाले इलाके में पिछले साल पूरी रेजिमेंट तैनात करने से पहले परीक्षण के तौर पर कुछ तोपों को तैनात किया था। लद्दाख सेक्टर में हॉवित्जर का सफलतापूर्वक परीक्षण किए जाने के बाद 200 के-9 वज्र हॉवित्जर तोप खरीदने का निर्णय लिया गया है। 38 किलोमीटर से अधिक दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम इस स्वदेशी तोप ने सेना के तोपखाने को मजबूत किया है। भारत की विशिष्ट विशेषताओं के साथ तोप का वज्र संस्करण कठिन और विस्तारित फील्ड परीक्षणों के दौरान भारतीय सेना की जरूरतों के अनुरूप पूरी तरह से उभरा। लार्सन एंड टुब्रो ने कहा कि ‘के9 वज्र-टी’ सिस्टम के निर्माण में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है।

रक्षा मंत्रालय ने 2017 में दक्षिण कोरिया की कंपनी हानवा टेकविन से के-9 वज्र-टी 55मिमी/52 कैलिबर तोपों की 100 यूनिट (पांच रेजिमेंट) आपूर्ति के लिए 4 हजार 500 करोड़ रुपये का करार किया था। शुरुआती 100 तोपों का ऑर्डर मूल रूप से पंजाब के मैदानी इलाकों और अर्ध-रेगिस्तान के लिए था जिसमें पूरी तरह तैयार मिलीं 10 तोपों को नवम्बर, 2018 में सेना में शामिल किया गया था। बाकी 90 टैंक ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने सूरत के हजीरा प्लांट में तैयार किए हैं। फैक्टरी में तैयार किया गया 100वां टैंक एलएंडटी ने 18 फरवरी, 2021 को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को सौंपा था।

सेना अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में ऊंचाई वाले पहाड़ों पर तैनाती के लिए अलग से 200 के-9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर का ऑर्डर करने की तैयारी कर रही है। लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का ऑर्डर देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने फाइलों को स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। भारतीय निजी क्षेत्र की रक्षा फर्म लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को दिया जाने वाला यह महत्वपूर्ण ऑर्डर अब तक का सबसे बड़ा होगा। यह ऑर्डर सेना के आधुनिकीकरण के साथ ही औद्योगिक रक्षा उद्योग को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए बूस्टर डोज भी साबित होगा।

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नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में थोड़ी और कमी आई है। मंगलवार सुबह तक पिछले 24 घंटों में कोरोना के 67 हजार 597 नए मरीज मिले। इस बीच कोरोना को मात देने वालों की संख्या एक लाख, 80 हजार, 456 रही। हालांकि, इस अवधि में 1188 संक्रमितों की मौत हो गई।

मंगलवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना से ठीक होने वालों की कुल संख्या चार करोड़, 08 लाख , 40 हजार, 658 है। इस दौरान रिकवरी रेट में सुधार के साथ यह बढ़कर 96.46 प्रतिशत हो गया है। देश में एक्टिव मरीजों की संख्या घटकर 09 लाख, 94 हजार 891 तक पहुंच गयी है। दैनिक संक्रमण दर 5.02 प्रतिशत है।

आईसीएमआर के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 13 लाख, 46 हजार से ज्यादा टेस्ट किए गए। अबतक कुल 74 करोड़, 29 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं।

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सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रखर हिमायतीः स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, कानूनविद्, शिक्षाविद्, लेखक और इतिहासकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का भारत के नवनिर्माण में अहम स्थान है।

सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार कार्यक्रम के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष रहे केएम मुंशी, संविधान सभा में ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य के साथ कई दूसरी उप समितियों के भी सदस्य रहे। 1938 में भारतीय विद्या भवन की स्थापना के लिए भी उनका स्मरण किया जाता है। उन्हें मुंबा देवी संस्कृति महाविद्यालय सहित कई दूसरे शिक्षण संस्थानों की स्थापना का श्रेय जाता है। वे कुलपति, राज्यपाल सहित कई महत्वपूर्ण समितियों के अध्यक्ष के रूप में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं दीं। 08 फरवरी 1971 को उनका निधन हो गया।

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान 29 दिसंबर 1887 में बांबे राज्य (आज गुजरात) में पैदा हुए केएम मुंशी का कहना था कि भारतीय संस्कृति कोई जड़ वस्तु नहीं, यह चिंतन का सतत प्रवाह है। वे मानते थे कि अपनी जड़ों को पकड़े रहना है, लेकिन बाहर की हवा का निषेध नहीं करना है।

केएम मुंशी बांबे से विधि स्नातक होने के बाद वकालत की और 1915 में गांधीजी से प्रभावित होकर आजादी के आंदोलन में सक्रिय हो गए। सविनय अवज्ञा आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन सहित महात्मा गांधी के दूसरे स्वतंत्रता कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और कई माह जेल में रहे।

गुजराती और अंग्रेजी के अच्छे लेखक होने के बावजूद केएम मुंशी को हिंदी से खासा अनुराग था। राष्ट्रीय हितों के लिए वे हमेशा हिंदी के साथ मजबूती से खड़े रहे। उन्होंने हंस पत्रिका के संपादन में मुंशी प्रेमचंद का सहयोग किया। उन्होंने 50 से अधिक पुस्तकें लिखीं जिसमें उपन्यास, कहानी, नाटक, इतिहास से संबंधित हैं। 1956 में उन्होंने अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की।

अन्य अहम घटनाएंः

1897ः पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म।

1925ः सुप्रसिद्ध ठुमरी गायिका शोभा गुर्टू का जन्म।

1939ः पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेम्स माइकल लिंगदोह का जन्म।

1941ः मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह का जन्म।

1951ः हिंदी के मंचीय कवि अशोक चक्रधर का जन्म।

1963ः भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का जन्म।

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