उत्तर रेलवे मुरादाबाद रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (कोचिंग) सुधीर सिंह ने बताया कि गोरखपुर-अमृतसर-गोरखपुर के बीच साप्ताहिक फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन (अप-डाउन) 14 अक्टूबर से 11 नवम्बर के बीच चलाई जाएगी। इसके साथ छपरा-देहली-छपरा के बीच सप्ताह में दो बाद फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन (अप-डाउन) 3 अक्टूबर 10 नवम्बर के बीच चलाई जाएगी।

गोरखपुर-अमृतसर के बीच चलने वाली रेलगाड़ी संख्या 05005 फेस्टिवल स्पेशल साप्ताहिक ट्रेन 14 अक्टूबर शुक्रवार को गोरखपुर दोपहर से 2 बजकर 40 मिनट पर चलेगी और उसी दिन रात्रि 12 बजकर 45 मिनट मुरादाबाद पहुंचेगी और अगले दिन सुबह साढ़े नौ बजे अमृतसर पहुंचेगी। रेलगाड़ी संख्या 05006 फेस्टिवल स्पेशल साप्ताहिक ट्रेन 15 अक्टूबर शनिवार को अमृतसर से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर चलेगी और उसी दिन रात्रि में 9 बजकर 45 मिनट पर मुरादाबाद पहुंचेगी और अगले दिन सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर गोरखपुर पहुंचेगी।

छपरा-दिल्ली के बीच सप्ताह में दो बार चलने वाली रेलगाड़ी संख्या 05315 फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन 3 अक्टूबर सोमवार को छपरा से सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर चलेगी और अगले दिन सुबह 7 बजकर 55 मिनट पर मुरादाबाद पहुंचेगी। उसी दिन सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर दिल्ली जंक्शन पहुंचेगी। यह रेलगाड़ी सप्ताह में दो बार सोमवार और गुरुवार को छपरा से चलेगी। दिल्ली-छपरा के बीच सप्ताह में दो बार चलने वाली रेलगाड़ी संख्या 05315 फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन 4 अक्टूबर मंगलवार को देहली जंक्शन से दोपहर 2 बजे चलेगी और उसी दिन शाम 5 बजकर 10 मिनट पर मुरादाबाद पहुंचेगी। अगले दिन दोपहर में 1 बजकर 20 मिनट पर छपरा पहुंचेगी। यह रेलगाड़ी सप्ताह में दो बार मंगलवार और शुक्रवार को छपरा से चलेगी।

0Shares

हरिद्वार: सारण सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी की माता का देहांत हो गया। वो 88 वर्ष की थी। पिछले कई दिनों से वह अस्वस्थ चल रही थी और दिल्ली के अस्पताल में चिकित्सारत थी। वह सांसद रुडी के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर ही उनके साथ रहती थी और इलाजरत थी।

उन्होंने 25 सितम्बर (रविवार) को अस्पताल में ही सुबह के 11.59 बजे अंतिम सांस ली। निधन की खबर लगते ही दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए कई गणमान्य लोग आये जिसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील मोदी, बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, बिहार सरकार में मंत्री संजय झा, पूर्व सांसद संदीप दिक्षित भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयन्त पाण्डा, राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन, सांसद रामेश्वर डूडी, सांसद डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह, सांसद अनुभव मोहन्ती, केसी त्यागी, डी राजा, हनन मौला, मधु गौड़ याक्षी, ने अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की।

इस दौरान बिहार के राज्यपाल फागु सिंह चौहान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनविस समेत कई राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों ने भी दूरभाष पर रूडी से बात कर उन्हें सांत्वना दिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी रूडी की माता जी के दाह संस्कार मर हरिद्वार पहुंचे।

हरिद्वार में कनखल घाट पर जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने स्वयं उपस्थित हो पूरे विधि विधान से दाह संस्कार करवाया। इस दौरान कई अन्य साधू संत भी उपस्थित हुए।

इस संदर्भ में श्री रुडी के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रभा सिंह जी अत्यंत ही धर्मपरायण महिला थी। हर वर्ष कई पर्व त्यौहार करती थी जिसमें प्रमुखता से छठ व्रत था। वह हरिहर आश्रम, हरिद्वार के भारत माता मंदिर – समन्वय सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित प्रभु प्रेमी संघ चैरिटेबल ट्रस्ट की वरिष्ठ साधिका भी थी और जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज के आश्रम में नियमित आती-जाती रहती थी। स्वामी जी भी उनको अपनी माता समान ही मानते थे। यही कारण है कि उनकी अस्वस्थता की जानकारी मिलते ही पर दुरभाष से बातचीत कर उनके स्वास्थ्य की पल-पल की जानकारी लेते रहे।

मिली सूचना के अनुसार रूडी के पिता का देहांत तभी हो गया था जब रुडी मात्र 7 वर्ष के थे। तीन पुत्र और दो पुत्रियों का पालन-पोषण की जिम्मेदारी माता प्रभा सिंह के कंधो पर आ गया लेकिन वह अपने कर्तव्यपथ से विमुख नहीं हुई। पिता की तरह अनुशासन और माता का लाड़-प्यार उन्होंने बच्चों को दिया। सभी सुशिक्षित और देश की प्रगति में योगदान देने वाले है। उनकी इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में हो। सोमवार को हरिद्वार में ही उनका अंतिम संस्कार हुआ। प्रभा सिंह जी अपने पिछे पांच पुत्र-पुत्रियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ कर गई है जिसमे बड़े पुत्र रणधीर प्रताप सिंह, पुत्री चित्रा सिंह, रेखा सिंह, पुत्र सुधीर प्रताप सिंह और सबसे छोटे पुत्र राजीव प्रताप रुडी है।

0Shares

सीमांचल में गृहमंत्री अमित शाह की जनभावना रैली, नीतीश और लालू पर साधा निशाना

Purniya: गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्णिया में जन भावना सभा को संबोधित करते हुए बड़ा ऐलान कर दिया. गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि 2024 में बीजेपी की सरकार बनने पर बिहार को देश का सबसे विकसित राज्य बनाएंगे. बिहार के युवाओं में मेहनत करने का जोश है मगर बिहार आज तक विकसित नहीं हुआ.

आज जहां जहां बीजेपी की पूर्ण सरकार है वहां देखकर आईए वहां क्या स्थिति है. आपने भाजपा को हमेशा वोट दिया लेकिन लंगड़ी सरकार बनाई. एक बार भाजपा को पूर्ण बहुमत दे दीजिए हम बिहार को देश का सबसे विकसित राज्य बनाएंगे.

पूर्णिया में जन भावना सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आगाह करते हुए कहा कि वो नीतीश कुमार से बचके रहे नहीं तो कल वो उन्हें भी छोड़ देंगे और कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ जाएंगे. क्योंकि नीतीश बाबू की यह पुरानी आदत है. यह कोई नहीं बात नहीं है इससे पहले भी नीतीश ने कई लोगों के साथ ऐसा किया है.

अपने दो दिवसीय सीमांचल दौरे के दौरान अमित शाह शुक्रवार को पूर्णिया पहुंचे. जहां जन भावना सभा को उन्होंने संबोधित किया. इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर उन्होंने जमकर हमला बोला. उनके निशाने पर नीतीश और लालू प्रसाद थे.

उन्होंने कहा कि मेरे बिहार आने से लालू और नीतीश की जोड़ी को पेट में दर्द हो रहा है वे कह रहे हैं कि अमित शाह झगड़ा लगाने आए हैं. जबकि झगड़ा लगाने का काम मेरा नहीं लालू यादव का है.

नीतीश पर हमला बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि नीतीश जी ने कभी राजद के पीठ में खंजर घोंपा था आज बीजेपी के पीठ में छूरा घोंप लालू के गोद में जा बैठे है. जबसे बिहार में इन दोनों भाईयों के नेतृत्व में सरकार बनी बिहार में डर और भय का माहौल बना हुआ है. हालांकि सीमांचल हिन्दुस्तान का हिस्सा है किसी को डरने की जरूरत नहीं है.

नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री है. इसलिए डरने की कोई जररूत नहीं है. भाजपा को धोखा देकर लालू की गोद में बैठकर सत्ता का मजा नीतीश कुमार ले रहे हैं. नीतीश बाबू कान खोलकर सुन लीजिए आपने अपने राजनीतिक करियर में सबके साथ यही किया सभी को आपने धोखा दिया. लालू जी आप भी याद रखिएगा की कल के डेट में आपको भी छोड़कर नीतीश कुमार कांग्रेस का दामन थाम लेंगे. नीतीश ने जार्ज फर्नांडिश के साथ भी धोखा किया. शरद यादव के साथ भी धोखा किया जिसके बाद बीजेपी, जीतन राम मांझी और रामविलास पासवान को धोखा दिया.

अब बीजेपी को धोखा देकर लालू के पास चले गये. लालू नीतीश दोनों को कहना चाहता हूं आप जो दल बदल कर रहे हैं यह धोखा बिहार की जनता और जनादेश के साथ धोखा है. जनता ने लालू के साथ जाने के लिए वोट नहीं दिया था. सीमावर्ती जिले में एक आशंका बनी हुई है. मैं कहता हूं कि कोई डरियेगा नहीं मोदी जी की सरकार है डरने का नहीं.

0Shares

ऑटो ड्राइवर की लग गई 25 करोड़ की लॉटरी, टैक्स काटकर मिलेगी इतनी रकम

Desk: कहते है किस्मत में जो लिखा रहता है वह होकर ही रहता है, समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नही मिलता. किस्मत पर भरोसा करने वाले कई लोगों को छप्पर फाड़कर बंपर जीत भी मिलती है.

रविवार को केरल के एक ऑटो ड्राइवर के साथ किस्मत ने ऐसा ही सुखद संयोग बनाया है. इस ऑटो ड्राइवर ने पिछले सप्ताह शनिवार को लॉटरी का एक टिकट खरीदा. तब उसे भी शायद पता हो कि यह लॉटरी टिकट उसकी किस्मत को बदलने वाला है. अगले दिन यानी रविवार को जब लॉटरी जीतने वालों के नाम का ऐलान हुआ तो उसमें इस ऑटो ड्राइवर का भी नाम शामिल था. यह जानकर आप भी हैरान हो सकते हैं कि ऑटो ड्राइवर को लॉटरी में कोई छोटी-मोटी रकम नहीं बल्कि सीधे 25 करोड़ रुपये की जीत मिली.

केरल स्टेट लॉटरी डिपार्टमेंट ने ओनम बंपर 2022 का रिजल्ट रविवार को दोपहर के 02 बजे जारी किया. ओनम बंपर 2022 का पहला पुरस्कार 25 करोड़ रुपये का था.

यह पुरस्कार मिला तिरुवंनतपुरम के श्रीवराहम के एक ऑटो ड्राइवर अनूप को. अनूप फिलहाल ऑटोरिक्शा चलाकर आजीविका कमा रहे थे. इससे पहले उन्होंने एक होटल में शेफ का काम किया था.

अनूप ने शनिवार की रात को भगवती एजेंसी से लॉटरी का टिकट खरीदा. केरल लॉटरी के अनुसार, अनूप ने TJ750605 नंबर का लॉटरी टिकट लिया था. संयोग से जब ड्रॉ निकला तो यही टिकट सबसे बड़े पुरस्कार यानी 25 करोड़ रुपये वाला था. इस तरह अनूप एक झटके में करोड़पति बन गए. हालांकि अनूप को यह पूरी रकम नहीं मिलने वाली है. चूंकि भारत में लॉटरी से हुई कमाई पर भारी-भरकम टैक्स देना पड़ता है, अनूप को भी टैक्स काटने के बाद बाकी की रकम मिलेगी. उन्हें टैक्स काटकर 15 करोड़ 75 लाख रुपये मिलने वाले हैं.

0Shares

कौशल दीक्षांत समारोह में PM मोदी बोले- युवा, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल अभियान’ के कर्णधार

Desk: पीएम मोदी ने शनिवार को विश्वकर्मा जयंती के विशेष अवसर पर ‘कौशल दीक्षांत समारोह’ में देशभर के ITI के छात्र-छात्राओं को विशेष संदेश दिया। अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा, आज मेरा सौभाग्य है कि मुझे देशभर के लाखों ITI के छात्र-छात्राओं से बातचीत करने का अवसर मिला है।

ITI के 9 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का कौशल दीक्षांत समारोह

पीएम मोदी ने कहा, 21 वीं सदी में आगे बढ़ रहे हमारे देश में आज एक नया इतिहास रचा गया है। पहली बार ITI के 9 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का कौशल दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया है। 40 लाख से ज्यादा स्टूडेंट हमारे साथ वर्चुअल माध्यम से भी जुड़े हुए हैं। पीएम मोदी इस सभी को कौशल दीक्षांत समारोह की बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी।

विश्वकर्मा जयंती कौशल की प्राण प्रतिष्ठा का पर्व

उन्होंने कहा, विश्वकर्मा जयंती कौशल की प्राण प्रतिष्ठा का पर्व है। जैसे मूर्तिकार कोई मूर्ति बनाता है लेकिन जब तक उसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती वो भगवान का रूप नहीं कहलाती। आज हम सभी के लिए गर्व की बात है कि आज विश्वकर्मा जयंती के दिन आपके कौशल की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, आपके कौशल को मान्यता मिल रही है।

विश्वकर्मा जयंती सच्चे अर्थ में श्रम करने वाले व्यक्ति का सम्मान

पीएम मोदी ने बताया कि विश्वकर्मा जयंती सच्चे अर्थ में श्रम करने वाले व्यक्ति का सम्मान है, श्रमिक का दिन है। हमारे यहां श्रमिक के कौशल में ईश्वर का अंश देखा गया है, उसे विश्वकर्मा के रूप में देखा गया है। यानि आपके पास आज जो कौशल है, स्किल है, उसमें भी कहीं न कहीं ईश्वर का अंश है। मैं समझता हूं कि यह आयोजन भग्वान विश्वकर्मा को हमारी एक भावभिनि कौशलांजिली की तरह है। कौशलांजिली कहो या कर्मांजिली कहो विश्वकर्मा जयंती से अद्भुत दिवस और क्या हो सकता है। बीते 8 वर्षों में देश ने भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से अनेक नई योजनाएं शुरू की है।

कौशल से नव निर्माण के पथ पर पहला कदम

पीएम मोदी ने कहा आज का दिन सोने में सुहागा है क्योंकि आज भगवान विश्वकर्मा की जयंती भी है और कौशल दीक्षांत समारोह भी। यह कौशल दीक्षांत समारोह अपने कौशल से नव निर्माण के पथ पर आपका पहला कदम और विश्व कर्मा जयंती का पुण्य अवसर कितना अद्भुत संयोग है। पीएम ने कहा, मैं विश्वास से कह सकता हूं कि आपकी ये शुरुआत जितनी सुखद है, आपके आने वाली कल की यात्रा भी उतनी ही सृजनात्मक होगी। इन्हीं शब्दों के साथ पीएम मोदी ने सभी छात्रों और सभी देशवासियों को भगवान विश्वकर्मा की जयंती की शुभकामनाएं दी।

भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से नई योजनाएं की शुरू

पीएम मोदी ने कहा, बीते 8 वर्षों में देश ने भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से नई योजनाएं शुरू की हैं, ‘श्रम एव जयते’ की अपनी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास किया है। आज देश एक बार फिर स्किल को सम्मान दे रहा है, स्किल डवलपमेंट पर भी उतना ही जोर दे रहा है।

बीते 8 वर्षों में ITI’s में 4 लाख से ज्यादा नई सीटें जोड़ी गईं

उन्होंने बताया कि हमारे देश में पहला ITI, 1950 में बना था। इसके बाद के सात दशकों में 10 हजार ITI’s बने। हमारी सरकार के 8 वर्षों में देश में करीब-करीब 5 हजार नए ITI’s बनाए गए हैं। बीते 8 वर्षों में ITI’s में 4 लाख से ज्यादा नई सीटें भी जोड़ी गई हैं।

स्किल डवलपमेंट के साथ ही, युवाओं में सॉफ्ट स्किल्स का होना जरूरी

पीएम मोदी ने कहा, स्किल डवलपमेंट के साथ ही, युवाओं में सॉफ्ट स्किल्स का होना भी उतना ही जरूरी है। ITIs में अब इस पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। युवा जब स्किल के साथ सशक्त होकर निकलता है, तो उसके मन में ये विचार भी होता है कि कैसे वो अपना काम शुरू करें। स्वरोजगार की इस भावना को सहयोग देने के लिए, आज आपके पास बिना गारंटी लोन दिलाने वाली मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं की ताकत भी है।

युवा, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल अभियान’ के कर्णधार

पीएम मोदी बोले, आप सभी युवा, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल अभियान’ के कर्णधार हैं। आप भारत के उद्योग जगत की बैकबोन की तरह हैं और इसलिए विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने में, आपकी बड़ी भूमिका है।

आपने आज जो सीखा है, वो आपके भविष्य का आधार जरूर बनेगा, लेकिन आपको भविष्य के हिसाब से अपने कौशल को अपग्रेड भी करना पड़ेगा इसलिए, बात जब स्किल की होती है, तो आपका मंत्र होना चाहिए- ‘स्किलिंग’, ‘री-स्किलिंग’ और ‘अप-स्किलिंग’।

फाइल फोटो

0Shares

देश को जन्मदिन पर PM मोदी ने दिया अनोखा उपहार, 70 साल बाद भारत में दौड़ेंगे चीते

Desk: पीएम मोदी ने 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन के मौके पर देश को अनोखा उपहार भेंट किया है। दरअसल, पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बने विशेष बाड़ों में रिहा किया है।

पीएम मोदी ने देशवासियों को दिया अहम वीडियो संदेश

इस अवसर पर पीएम मोदी ने देशवासियों को वीडियो संदेश भी दिया। उन्होंने कहा, मानवता के सामने ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब समय का चक्र हमें अतीत को सुधार कर नए भविष्य के निर्माण का मौका देता है। आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है। दशकों पहले जैव विविधता की जो सदियों पुरानी कड़िया टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने मौका मिला है। आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं और मैं ये भी कहूंगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो चुकी है। मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

चीते प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारीयों का कराएंगे बोध

आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा, विशेष रूप से मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का भी धन्यवाद करता हूं जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं। मुझे विश्वास है कि ये चीते न केवल प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारीयों का बोध कराएंगे बल्कि हमारे मानवीय मूल्यों और परंपराओं से भी अवगत कराएंगे।

जब हम अपनी जड़ों से दूर होते हैं तो बहुत कुछ खो बैठते हैं

पीएम मोदी ने कहा, जब हम अपनी जड़ों से दूर होते हैं तो बहुत कुछ खो बैठते हैं, इसलिए ही आजादी के इस अमृतकाल में हमने अपनी विरासत पर गर्व और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति जैसे पंच प्राणों के महत्व को दोहराया है। पिछली सदियों में हमने वह समय भी देखा है जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन और आधुनिकता का प्रतीक मान लिया गया था।

1947 में जब केवल आखिरी तीन चीते बचे थे…

पीएम मोदी ने बताया कि 1947 में जब केवल आखिरी तीन चीते बचे थे तो उनका भी साल के जंगलों में निष्ठुरता व गैर जिम्मेदारी से शिकार कर लिया गया। यह दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। आज आजादी के अमृत काल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। अमृतमय तो वो सामर्थ्य होता है जो मृत को भी पुनर्जीवित कर देता है।

चीतों को भारत की धरती पर पुनर्जीवित करने में लगाई भरपूर ऊर्जा

उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि आजादी के अमृत काल में कर्तव्य और विश्वास का यह अमृत हमारी विरासत को हमारी धरोहरों को और अब चीतों को भी भारत की धरती पर पुनर्जीवित कर रहा है। इसके पीछे हमारी वर्षों की मेहनत है। एक ऐसा कार्य राजनीतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, उसके पीछे भी हमने भरपूर ऊर्जा लगाई।

चीता एक्शन प्लान किया तैयार

पीएम मोदी ने आगे जोड़ते हुए कहा, इसके पीछे एक विस्तृत चीता एक्शन प्लान तैयार किया गया। हमारे वैज्ञानिकों ने लंबी रिसर्च की। साउथ अफ्रीकन और नामीबियाई एक्सपर्ट के साथ मिलकर काम किया। हमारी टीम वहां गई, वहां के एक्सपर्ट्स भी भारत आए। पूरे देश में चीतों के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र के लिए वैज्ञानिक सर्वे किए गए और तब कूनो नेशनल पार्क को इस शुभ शुरुआत के लिए चुना गया। उन्होंने कहा, आज हमारी वो मेहनत परिणार्थ के रूप में हमारे सामने है।

प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी होता है सुरक्षित

यह बात सही है कि जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है। कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे तो यहां का ग्रास लैंड इको सिस्टम फिर से रिस्टोर होगा, बायोडायवर्सिटी और बढ़ेगी, आने वाले दिनों में यहां इको टूरिज्म बढ़ेगा, विकास की नई संभावनाएं जन्म लेंगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, लेकिन मैं आज सभी देशवासियों से एक आग्रह करना चाहता हूं कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा, सहयोग करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। अंतर्राष्ट्रीय गाइडलाइन पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है।

किसी पूरी जीवित जाति का अस्तित्व मिट जाए हमें कैसे स्वीकार हो सकता है ?

पीएम मोदी ने कहा, दुनिया आज जब प्रकृति और पर्यावरण की ओर देखती है तो सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बात करती है लेकिन प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी भारत के लिए ये केवल सस्टेनेबिलिटी और सिक्योरिटी के विषय ही सिर्फ हैं ऐसा नहीं है। हमारे लिए ये हमारी सेंसिबिलिटी और प्यूरीचैलिटी का भी आधार है। हम वो लोग हैं जिनका सांस्कृतिक अस्तित्व ”सर्वम खल्विदं ब्रह्म”, इस मंत्र पर टिका हुआ है। अर्थात संसार में पशु, पक्षी, पेड़, पौधे, जड़, चेतन जो कुछ भी है वो ईश्वर का ही स्वरूप है, हमारा अपना ही विस्तार है। हम वो लोग है जो कहते हैं ”परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति” अर्थात खुद के फायदे को ध्यान में रखकर जीना वास्तविक जीवन नहीं है। वास्तविक जीवन वो जीता है जो परोपकार के लिए जीता है। इसलिए हम जब खुद भोजन करते हैं, उसके पहले पशु-पक्षियों के लिए अन्न निकालते हैं। पीएम मोदी ने कहा, हमारे आसपास रहने वाले छोटे से छोटे जीव की भी चिंता करना हमें बचपन से सिखाया जाता है। हमारे संस्कार ऐसे हैं कि कहीं अकारण किसी जीव का जीवन चला जाए तो हम अपराध बोध से भर जाते हैं फिर किसी पूरी जीवित जाति का अस्तित्व ही अगर हमारी वजह से मिट जाए, ये हमें कैसे स्वीकार हो सकता है ?

इकोनॉमी और इकोलॉजी कोई विरोधाभासी क्षेत्र नहीं

पीएम मोदी ने कहा हमारे यहां कितने बच्चों को यह पता तक नहीं होता है कि जिस चीता के बारे में सुनकर वो बड़े हो रहे हैं, वो उनके देश से पिछली शताब्दी में ही लुप्त हो चुके हैं। आज अफ्रीका के कुछ देशों में और ईरान में चीता पाए जाते हैं लेकिन भारत का नाम उस लिस्ट से बहुत पहले हटा दिया गया था। आने वाले समय में बच्चों को इस विडंबना से गुजरना नहीं पडे़गा। वे चीता को अपने ही देश में कूनो नेशनल पार्क में दौड़ता देख पाएंगे। चीता के जरिए आज हमारे जंगल और जीवन उसका एक बड़ा शून्य भर रहा है। आज 21वीं सदी का भारत पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि इकोनॉमी और इकोलॉजी कोई विरोधाभासी क्षेत्र नहीं है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही देश की प्रगति भी हो सकती है। यह भारत ने दुनिया को करके दिखाया है। आज एक और हम विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में शामिल हैं तो साथ ही देश के वन क्षेत्रों का विस्तार भी तेजी से हो रहा है। साल 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद से देश में करीब-करीब 250 नए संरक्षित क्षेत्र जोड़े गए हैं। हमारे यहां एशियाई शहरों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है। आज गुजरात देश में एशियाई शहरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। इसके पीछे दशकों की मेहनत, research-based policies और जन-भागीदारी की बड़ी भूमिका है।

टाइगर की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे समय से पहले हासिल किया है। असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है। हाथियों की संख्या भी पिछले वर्षों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है

पीएम मोदी ने कहा, आज देश में 75 वेटलैंड्स को रामसर साइट्स के रूप में घोषित किया गया है, जिनमें 26 साइट्स पिछले 4 वर्षों में ही जोड़ी गई हैं। देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा, और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा।

भारत में 70 साल बाद लाए गए चीते

उल्लेखनीय है कि भारत में 70 साल के अंतराल के बाद चीतों का इंतजार खत्म हुआ है। करीब 11 घंटे का सफर करने के बाद ये चीते भारत पहुंचे थे। इनमें पांच मादा और तीन नर चीतों को मॉडिफाइड बोइंग 747 विमान की मदद से नामीबिया की राजधानी होसिया से भारत लाया गया पर्यावरण और वन मंत्रालय के निर्देश पर वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान यानि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया था।

क्या है चीते की खूबी ?

चीता दुनिया का सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर है। ये 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। आज पूरी दुनिया में सिर्फ 7,000 के करीब ही चीतें बचे हैं। चीता भारत में खुले जंगल और घास के मैदान के पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में मदद करेगा। यह जैव विविधता के संरक्षण में मदद करेगा और जल सुरक्षा, कार्बन पृथक्करण और मिट्टी की नमी संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे बड़े पैमाने पर समाज को लाभ होगा।

कब और कैसे गायब हुए थे चीते ?

लेकिन क्या भारत में कभी चीते थे ही नहीं? ऐसा नहीं है…, मौजूदा समय में विश्व में करीब 7,000 चीते हैं। लेकिन भारत में आखिरी बार चीता साल 1948 में देखा गया था। छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 73 साल पहले एक वयस्क चीता और दो शावकों का शिकार किया। उन्होंने इसकी तस्वीरें बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी को भेजी थीं। 1947 में अपने शिकार के साथ खड़े महाराजा की चीतों के साथ यह तस्वीर भारतीय इतिहास में अंतिम साबित हुई। आखिरकार 1952 में सरकार ने अधिकारिक तौर पर चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया।

0Shares

नई दिल्ली, 13 सितंबर (एजेंसी): सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो उस व्यक्ति को दस लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करे, जिसने दावा किया कि उसे एक गुप्त मिशन के लिए पाकिस्तान भेजा गया था। वहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया और 14 साल तक जेल में रखा गया। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया।

राजस्थान निवासी महमूद अंसारी ने दायर याचिका में कहा था कि उसे 1966 में डाक विभाग में नियुक्त किया गया था। भारत सरकार के स्पेशल ब्यूरो ऑफ इंटेलिजेंस ने उन्हें 1972 में राष्ट्र के प्रति अपनी सेवाएं देने का प्रस्ताव किया, जिसके बाद उसे गुप्त ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान में प्रतिनियुक्त किया गया था।

याचिकाकर्ता के मुताबिक उसने सौंपे गए काम को दो बार पूरा किया। हालांकि जब तीसरी बाद पाकिस्तान भेजा गया तो दुर्भाग्य से उसे पाकिस्तानी रेंजरों ने पकड़ लिया। 23 दिसंबर, 1976 को उसे जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी गिरफ्तारी के बाद उसका कोर्ट मार्शल किया गया और पाकिस्तानी आफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धारा 3 के तहत मुकदमा चलाया गया। उसे 14 साल की सश्रम कैद की सजा सुनाई गई। 1989 में जब उसे पाकिस्तान की जेल से रिहा किया गया तो उन्होंने अपनी सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि उनकी सेवाओं को 31 जुलाई, 1980 को समाप्त कर दिया गया था, जिसे वे समय पर चुनौती नहीं दे सके।

कैट ने भी 2000 में उनकी बहाली और वेतन के भुगतान की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। 2017 में राजस्थान हाई कोर्ट ने भी काफी देर होने और अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं होने का हवाला देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी। उसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

0Shares

हैदराबाद: तेलंगाना के सिकंदराबाद में रूबी रतन होटल में कल देररात आग लगने से आठ लोगों के मौत हो गई और अन्य 13 घायल हो गए। मृतकों की संख्या बढ़ने की पुलिस ने आशंका जताई है। पुलिस का कहना है कि अग्निकांड की जांच की जा रही है।

पुलिस आयुक्त सीवी आनंद ने अनुमान जताया है कि आग होटल के बेसमेंट में रूबी इलेक्ट्रिक व्हीकल के शोरूम में एक बाइक की बैटरी के फटने से लगी। इसके बाद आग पूरी बिल्डिंग में फैल गई। पुलिस के अनुसार जब आ लगी तब वहां करीब 25 पर्यटक थे। आग की लपटों में घिरने और धुआं के कारण आठ लोगों की मौत हो गई। मृतकों में एक महिला भी है। करीब 13 लोग घायल हो गए हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कुछ लोगों ने होटल की खिड़की से नीचे कूदकर जान बचाने की कोशिश में घायल हो गए। आसपास के लोगों ने सबसे पहले मौके पर पहुंचकर कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस होटल में 25 कमरे हैं। 12 से अधिक कमरों में पर्यटक ठहरे थे।

दमकल विभाग की गाड़ियों ने आग बुझाते हुए करीब 15 लोगों को बचाया। तीन मृतकों की पहचान हो गई है। उनमें चेन्नई के सीतारमण, बिहार के वीरेंद्र कुमार और विजयवाड़ा के हरीश कुमार हैं। घायलों को हैदराबाद के सरकारी गांधी अस्पताल, यशोदा अस्पताल और अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

0Shares

नई दिल्ली: कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से परेशान है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि देश को जलाने वाले प्रतीकात्मक रूप से एक निक्कर के जलते दिखाए जाने पर इतने परेशान क्यों हैं? उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं उन्हें पुतला जलाने से परेशानी क्यों है? और वे हमसे जवाब क्यों मांग रहे हैं? रमेश ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से भाजपा परेशान हैं।

रमेश ने कहा कि दरअसल बात ये है कि जिन लोगों ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का विरोध किया था उन्हें आज भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से जलन हो रही है। क्योंकि भारत एकजुट हो जाएगा तो इनकी नफरत की दुकान बंद हो जाएगी।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने एक तस्वीर ट्वीट की थी। इस तस्वीर में आरएसएस की पोशाक रही हाफ पैंट में आग लगी दिखाई दे रही है और लिखा गया है कि देश को नफरत के माहौल से मुक्त करने के लिए भाजपा-आरएसएस द्वारा किए गए नुकसान की भरपाई के लिए कांग्रेस एक-एक कदम आगे बढ़ रही है। कांग्रेस के इस ट्वीट पर भाजपा ने आपत्ति जताई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा नहीं कर रहे। यह ‘भारत तोड़ो’ और ‘आग लगाओ यात्रा’ है।

0Shares

– राज्य सरकार ने दाखिल किया हलफनामा, केंद्र सरकार को दो हफ्ते का मिला समय

प्रयागराज: काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट अगली सुनवाई 28 सितम्बर को करेगा। यह आदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद व सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की पांच याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है।

याचिकाओं में वाराणसी की अदालत के विवादित स्थल का सर्वे कराने एवं सिविल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी गई है जिसमें दो याचिकाओं की बहस पूरी हो चुकी है। अन्य की सुनवाई जारी है। राज्य सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया। सरकार का कहना है कि वह कानून व्यवस्था कायम रखने व कोर्ट आदेश का अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्र सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा गया। उस दिन आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक की विस्तृत रिपोर्ट व्यक्तिगत हलफनामे के जरिए दाखिल होगी। कोर्ट ने केन्द्र सरकार को समय देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 28 सितम्बर तय की है।

0Shares

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निर्माण समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये। ट्रस्ट ने श्रीरामलला के मंदिर में कोई कमी न रह जाए इसके लिये हर बिंदु पर चर्चा कर रहे हैं।

सागौन लकड़ी के बनाए जाएंगे दरवाजे
ट्रस्ट के तय किया कि मंदिर के दरवाजे सागौन लकड़ी होंगे, जिसमें सुंदर और बारीक नक्काशी की जाएगी। मंदिर में कुल 14 भव्य दरवाजे सागौन लकड़ी के बनाए जाएंगे, जिसमें रामलला के गर्भगृह में एक बड़ा दरवाजा होगा।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण में कुल 14 दरवाजे बनाए जाने हैं। यह दरवाजे खास लकड़ियों से बनाए जाएंगे। जिन पर सुंदर डिजाइन होगी जो भव्यता बढ़ाएंगे। मंदिर के पहले तल में 13 दरवाजे लगेंगे। रामलला के गर्भगृह में एक बड़ा दरवाजा लगेगा। यह दरवाजे किन लकड़ियों के होंगे इनकी डिजाइन क्या होगी इसको लेकर भी ट्रस्ट की बैठक में मंथन किया गया है। तय हुआ कि मंदिर की चौखट व बाजू संगमरमर का होगी। दरवाजे महाराष्ट्र के जंगलों से सागौन की लकड़ियों से मंदिर से बनाए जाएंगे।

निर्माण में करीब 1800 करोड़ खर्च होंगे
ट्रस्ट महामंत्री राय ने बताया कि मंदिर निर्माण की भव्यता को देखते हुए खर्च बढ़ गया है। अनुमान के मुताबिक मंदिर निर्माण में करीब 1800 करोड़ खर्च होंगे। एक अनुमान के मुताबिक मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में अब तक 400 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि मन्दिर निर्माण में पैसे की कोई दिक्कत नहीं है। राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर के भक्तों ने अब तक करीब 5500 करोड़ रुपए का दान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को किया जा चुका है। पहले हमने अनुमान लगाया था कि मंदिर निर्माण में करीब 1000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। पर अब यह अनुमान गलत साबित हो रहा है। मंदिर का 30 प्रतिशत से ज्यादा का काम पूरा हो चुका है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में मकर संक्रांति के बाद गर्भगृह में रामलला विराजेंगे। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। उस समय सूर्य दक्षिणायन रहते हैं। इस दौरान शुभ कार्यों का निषेध रहता है। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। मकर संक्रांति के बाद जो भी शुभ तिथि व मुहूर्त होगा, उसी दिन गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके बाद भक्त गर्भगृह में रामलला का दर्शन कर सकेंगे।

उन्होंने बताया कि अभी तिथि को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। ट्रस्ट और मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय संयुक्त बैठक के बाद चंपत राय ने कहा कि मंदिर का ग्राउंड फ्लोर दिसंबर 2023 तक बन जाएगा। पहले हमारा अनुमान था कि भूतल का आधा हिस्सा ही तैयार हो पाएगा लेकिन काम की गति व इंजीनियरों से चर्चा के बाद यह बात सामने आई है। उन्होंने अभी तिथि को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।

उन्होंने बताया कि पूरे मंदिर की परिक्रमा करने के दौरान भक्त थक सकते हैं। इसलिए परकोटे के परिपथ में उनके बैठने से लेकर पेयजल की भी व्यवस्था की जाए इस पर चर्चा हुई है। बताया कि परकोटा छह एकड़ में बनेगा। परकोटे में माता सीता, गणेश सहित रामायण के कई पात्रों के मंदिर बनने हैं। इन मंदिरों की ऊंचाई कितनी हो इसको लेकर मंथन हुआ है, यह मुख्य मंदिर से कम ही रखी जाएगी। मंदिर के ऊपर चढ़ने के लिए रेलिंग कैसी बने, पत्थर की बने या धातुओं की इसको लेकर भी चर्चा हुई। कुछ धातुएं काली हो जाती हैं, कुछ लंबे समय तक चलती हैं। मंदिर की मजबूती के साथ सुंदरता भी कम न हो हमारा ऐसा प्रयास है।

ट्रस्ट सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि कष्ट अपना भाई लात भी तैयार कर चुका है। गठन के समय ट्रस्ट का बाइलॉज नहीं बनाया गया था। बाय बाद में विधि विशेषज्ञों की विशेष राय और उनकी देखरेख में तैयार किया जा रहा है। जन्मभूमि परिसर में कुल 7 मंदिर बनाए जाने पर भी विचार हैं जिसे फाइनल किया गया ।

बैठक में ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि, सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, महंत दिनेंद्र दास, आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा सहित टाटा, एलएंडटी व ट्रस्ट के इंजीनियर शामिल रहे।

0Shares

 

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री श्री भुपेंद्र यादव ने कूनो नेशनल पार्क की तैयारियों का लिया जायज़ा

चीतों की वापसी एक ऐतिहासिक कदम: भूपेंद्र यादव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे। इसके मद्देनजर कूनो नेशनल पार्क में युद्धस्तर पर तैयारियां चल रही हैं। इसी क्रम में रविवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने कूनो नेशनल पार्क में चल रही तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने उस फेंसिंग बाढ़ को भी देखा जहां पर नामीबिया से आये चीतों को 30 दिन के लिए क्वारंटीन में रखा जाएगा। साथ ही श्री यादव ने अधिकारियों से तैयारियों के संबंध में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अधिकारियों को समुचित दिशा निर्देश भी दिए।

 

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री के साथ केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कूनो नेशनल पार्क में तैयारियों का जायजा लिया।

इस अवसर पर सी पी गोयल, महानिदेशक वन एवं स्पेशल सेक्रेटरी, डॉक्टर एसपी यादव, अपर महानिदेशक, एनटीसीए और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने फ्रंटलाइन स्टाफ, चीता मित्र, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के यंग वैज्ञानिकों और सैकड़ों विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। उन्होंने कहा कि चीतों की वापसी एक ऐतिहासिक कदम है। इससे पर्यावरण संतुलन को कायम रखने में आसानी तो होगी ही साथ ही स्थानीय लोगों में खुशहाली का संचार होगा। प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर कूनो नेशनल पार्क के बीच से बहने वाली कूनो नदी इसे न केवल और भी अधिक खूबसूरत बना देती है, बल्कि इसके सपाट और चौड़े तटों पर खिली हुई धूप में अठखेलियां करते मगरमच्छ यहां आने वाले लोगों को रोमांचित कर देते है। कूनो नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के 174 पक्षियों की प्रजातियां मौजूद है, वहीं सैंकड़ों प्रजातियां वन्य जीवों की हैं। पक्षियों की 12 प्रजातियां तो दुलर्भ श्रेणी में मानी गई हैं।

केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के निर्देश पर वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें 10 स्थलों के सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया।

कूनो के राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में लगभग दो दर्जन चीतों के रहवास के लिए उपयुक्त है। इसके अतिरिक्त करीब 3 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र दो जिलों श्योपुर और शिवपुरी में चीतों के स्वंच्छद वितरण के लिए उपयुक्त हैं।

0Shares