अब आसमान में जमेगी लड़ाकू अमेरिकी ‘अपाचे’ और स्वदेशी ‘प्रचंड’ की जोड़ी

अब आसमान में जमेगी लड़ाकू अमेरिकी ‘अपाचे’ और स्वदेशी ‘प्रचंड’ की जोड़ी

– वजन में भारी होने से उच्च ऊंचाई पर पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते अमेरिकी अपाचे
– एलसीएच ‘प्रचंड’ पाकिस्तान-चीन की हिमालयी सीमाओं के लिए बेहतर अनुकूल होंगे

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना पहले से ही अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों पर भरोसा करती है। यह शक्तिशाली और भारी हथियार ले जाने में सक्षम होने के बावजूद वजन में भारी होने की वजह से उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते हैं। इसीलिए हलके लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की जरूरत को देखते हुए वायुसेना में शामिल किये गए एलसीएच ‘प्रचंड’ और अमेरिकी ‘अपाचे’ की जुगल जोड़ी आसमान में नया गुल खिलाएगी, जिससे पाकिस्तान और चीन के खिलाफ भारतीय वायुसेना और मजबूत हुई है।

इस लिहाज से मल्टी रोल वाले हलके लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ की जोधपुर में बनाई गई पहली ‘धनुष’ स्क्वाड्रन बहुत महत्वपूर्ण होगी।पठानकोट एयरबेस पर सितम्बर, 2019 में तैनात किए गए आठ लड़ाकू अपाचे हेलीकॉप्टरों की डिजिटल कनेक्टिविटी और अत्याधुनिक सूचना प्रणाली इसे और खतरनाक बनाती है। भारतीय सेनाओं की भविष्य की जरूरतों के हिसाब से विशेष तौर पर तैयार किये गए यह हेलीकॉप्टर दुर्गम स्थानों और सघन पर्वतीय क्षेत्रों में भी कारगर हैं। इसे कई तरह के बड़े बम, बंदूकों और मिसाइलों से लैस किया जा सकता है। हवा में उड़ान भरते वक्त और दुश्मन को चकमा देते वक्त भी अपाचे हेलीकॉप्टर पहाड़ियों और घाटियों में छिपे दुश्मन पर सटीक निशाना लगा सकता है। अचूक निशाने की वजह से हेलीकॉप्टर के एम्युनेशन्स (गोला-बारूद) बर्बाद नहीं होते हैं।

वायुसेना के बेड़े में शामिल अपाचे अपग्रेटेड वर्जन के हैं। इसकी तकनीक व इंजन को उन्नत किया गया है।फ्लाइंग रेंज 550 किलोमीटर में यह हेलीकॉप्टर 16 एंटी टैंक मिसाइल दागकर उसके परखच्चे उड़ा सकता है। इसे दुश्मन पर बाज की तरह हमला करके सुरक्षित निकल जाने के लिए इसे तेज रफ्तार बनाया गया है। 16 फीट ऊंचे और 18 फीट चौड़े अपाचे हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना जरूरी है। हेलीकॉप्टर के नीचे लगी बंदूकों से 30 एमएम की 1,200 गोलियां एक बार में भरी जा सकती हैं। अपाचे एक बार में 2:45 घंटे तक उड़ान भर सकता है। इन सब खूबियों के बावजूद वजन में भारी होने की वजह से उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में यह हेलीकॉप्टर पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते हैं।

पाकिस्तान और चीन का इलाका हिमालयी और सघन होने से वायुसेना को हलके लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की जरूरत थी, जो उच्च ऊंचाई वाले दुर्गम स्थानों और सघन पर्वतीय क्षेत्रों में भी पूरी क्षमता से काम कर सकें। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि स्वदेशी हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ उच्च ऊंचाई वाले पाकिस्तान और चीन की हिमालयी सीमाओं के लिए बेहतर अनुकूल होगा। एलसीएच ‘प्रचंड’ और अमेरिकी ‘अपाचे’ की जुगल जोड़ी आसमान में नया गुल खिलाएगी, जिससे पाकिस्तान और चीन के खिलाफ भारतीय वायुसेना और मजबूत हुई है। हालांकि, एलसीएच प्रचंड आधिकारिक तौर पर सोमवार को वायुसेना के बेड़े में शामिल हुआ है, लेकिन दो हेलीकॉप्टरों को अगस्त, 2020 में चीन के साथ सीमा पर भारतीय वायुसेना का समर्थन करने के लिए तैनात किया गया था।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपरी) की एक रिपोर्ट के अनुसार 2017-21 के बीच भारत विदेशों से हथियार खरीदने के मामले में दुनिया का शीर्ष आयातक था। उस समय रूस के साथ भारत के सभी हथियारों के आयात का लगभग आधा हिस्सा था। उस अवधि में फ्रांस ने भारत के हथियारों के आयात का लगभग एक चौथाई हिस्सा लिया। रिपोर्ट के अनुसार पहली बार वर्ष 2021 में विश्व सैन्य खर्च 2 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया। इसमें 2020 की तुलना में 0.7 प्रतिशत और 2012 की तुलना में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके विपरीत ‘आत्म निर्भरता’ की ओर बढ़ रहा भारत अब गुणवत्ता और किफायत दोनों ही संदर्भों में स्वदेशी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है।

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