परिवार नियोजन कार्यक्रम में उत्कृष्ट योगदान देने वाले चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को मिला पुरस्कार
• पुरूष नसबंदी में छपरा सदर अस्पताल और महिला बंध्याकरण में मकेर को मिला पहला स्थान
• कंडोम वितरण में सदर प्रखंड को मिला प्रथम पुरस्कार
• परिवार नियोजन कार्यक्रम पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

Chhapra: मातृ-शिशु स्वास्थ्य की नींव परिवार नियोजन कार्यक्रम में उत्कृष्ट योगदान देने वाले चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों, एएनएम, आशा और स्वास्थ्य संस्थानों को सम्मानित किया गया। छपरा सदर अस्पताल के जिला स्वास्थ्य समिति सभागार में आयोजित कार्यशाला के दौरान सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने प्रशस्ति पत्र और अवार्ड देकर सम्मानित किया। इस दौरान परिवार नियोजन के उपलब्धियों, चुनौतियों और आगामी कार्य योजना पर चर्चा की गयी। जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने परिवार नियोजन के उपलब्धियों पर पीपीटी के माध्यम से चर्चा की।

इस दौरान पुरूष नसबंदी में सदर अस्पताल छपरा को पहला स्थान, मांझी सीएचसी को दूसरा तथा एकमा सीएचसी को तीसरा स्थान का पुरस्कार दिया गया। वहीं महिला बंध्याकरण में मकेर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को पहला, दिघवारा को दूसरा तथा अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर को तीसरा आवार्ड मिला।

सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने पीपीएस में रेफरल अस्पताल बनियापुर को आवार्ड दिया गया। पीपीआईयूसीडी में पीएचसी नगरा को पहला, सीएचसी परसा को दूसरा तथा सीएचसी दरियापुर को तीसरा स्थान मिला। डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आईयूसीडी में सीएचसी इसुआपुर को पहला, पीएचसी लहलादपुर को दूसरा तथा रेफरल अस्पताल मढौरा को तीसरा पुरस्कार दिया गया है। वहीं अंतरा में पानापुर को अवार्ड मिला है। पीएआईयूसीडी में सीएचसी जलालपुर और अमनौर को पुरस्कृत किया गया।

कंडोम वितरण में सदर प्रखंड को पहला स्थान:
पुरस्कार वितरण समारोह में सदर प्रखंड को सबसे अधिक कंडोम वितरण करने के मामले में पहला स्थान हासिल होने पर पुरस्कार दिया गया। वहीं रेफरल अस्पताल तरैया को दूसरा स्थान मिला है। अगर प्रेग्नेंसी कीट जांच की बात करें तो मशरक को पहला और रिविलगंज को दूसरा स्थान मिला है। इसके अलावां उत्कृष्ट योगदान करने वाले चिकित्सकों और कर्मियों को सम्मानित किय गया। जिसमें सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. आरएन तिवारी, बनियापुर के डॉ. सरिता सिन्हा, गड़खा के डॉ. मेहा कुमारी, मशरक के डॉ. कविता सिंह, मढौरा के कंचन कुमारी, एकमा के रिंकी कुमारी, गड़खा प्रभावती कुमारी, अमनौर माला कुंअर, सोनपुर के संजू देवी और सदर अस्पताल के बबिता कुमारी को सम्मानित किया गया।

सम्मानित करने से सकारात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना का होता है विकास :
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि काम करने वालों को सम्मानित करने से एक सकारात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना का विकास होता है। ऐसी प्रतिस्पर्धा से स्वास्थ्य के क्षेत्र में समुदाय को काफी फायदा मिलता है। उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों की सराहना करते हुए कहा बेहतर काम और मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार ही इस मिशन को सफल बना रहा है। आशा कार्यकर्ता ही स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बिंदु हैं। परिवार नियोजन ही नहीं बल्कि जो भी स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। उनकी सफलता में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका बेहद अहम है। इसलिए उन्हें सतत प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उत्कृष्ट काम को सम्मान मिलना चाहिए। इस मौके पर डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, डीएमएनई ब्रजेश कुमार, सीफार के डीपीसी गनपत आर्यन, पीएसआई इंडिया के राजीव कुमार, मुरलीधर, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम समेत अन्य मौजूद थे।

मिशन परिवार विकास अभियान को सफल बनाएं:
डीपीएम अरविन्द कुमार ने कहा कि मिशन परिवार विकास अभियान कार्यक्रम के तहत आगामी 10 मार्च से 29 मार्च तक विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। लेकिन 10 मार्च से 16 मार्च तक दंपति संपर्क पखवाड़ा आयोजित किया जाएगा, जबकि 17 मार्च से 29 मार्च तक परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा आयोजित किया जाएगा। इस अभियान को सफल बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है।

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Chhapra: तीन दशकों से वैश्विक स्तर पर नेत्र स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत प्रमुख संगठन क्योर ब्लाइंडनेस प्रोजेक्ट ने भारत के निम्न आय वाले क्षेत्रों से उपचार योग्य अंधापन समाप्त करने के लिए अपने पैन-इंडिया अभियान की शुरुआत की है। इस महत्वाकांक्षी पहल के तहत, संगठन ने बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल को अपने साझेदार के रूप में चुना है। 

यह बहु वर्षीय साझेदारी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में नेत्र देखभाल की क्षमता बढ़ाने, नेत्र स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने और सबसे वंचित समुदायों को नि:शुल्क दृष्टि बहाल करने वाली सर्जरी प्रदान करने पर केंद्रित है। अखंड ज्योति की मजबूत जमीनी उपस्थिति और विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए, यह पहल लाखों लोगों को नेत्र स्वास्थ्य सेवाओं से लाभान्वित करने के लिए एक टिकाऊ और प्रभावशाली प्रणाली स्थापित करेगी।

दृष्टि बहाल करने और जीवन को बदलने का साझा संकल्प

यह साझेदारी अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के विजन 2030 के साथ पूरी तरह मेल खाती है, जिसका उद्देश्य है:
• 20 लाख (2 मिलियन) लोगों की दृष्टि बहाल करना।
• 1.2 करोड़ (12 मिलियन) वंचित आबादी की नि:शुल्क नेत्र जांच करना।
• बिहार में वार्षिक नेत्र सर्जरी क्षमता को 4 लाख तक बढ़ाना, जिससे राज्य की अत्यावश्यक नेत्र देखभाल आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
• फुटबॉल टू आईबॉल प्रोग्राम के माध्यम से 1,500 ग्रामीण लड़कियों को शिक्षा, ऑप्टोमेट्री प्रशिक्षण, और रोजगार प्रदान कर सशक्त बनाना।

बिहार, जो भारत के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है, को नेत्र स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ रहा है, जहां प्रति व्यक्ति नेत्र चिकित्सकों, नेत्र अस्पतालों और सर्जरी की क्षमता की न्यूनतम उपलब्धता है। लाखों लोग उपचार योग्य अंधापन से पीड़ित हैं, और यह पहल न केवल उनकी दृष्टि बहाल करेगी बल्कि रोजगार सृजन, जीवन स्तर में सुधार और संपूर्ण समुदायों के उत्थान में भी योगदान देगी।

साझेदारी पर नेताओं के विचार

पैट्रिक एमरी, एसोसिएट वाइस-प्रेसिडेंट, एशिया, क्योर ब्लाइंडनेस प्रोजेक्ट, ने कहा कि हम अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के साथ साझेदारी कर गर्व महसूस कर रहे हैं, जो बिहार में जमीनी स्तर पर प्रभावी नेत्र देखभाल प्रदान करने का शानदार रिकॉर्ड रखता है। साथ मिलकर, हम इस राज्य से उपचार योग्य अंधापन समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी वित्तीय या भौगोलिक बाधाओं के कारण अपनी दृष्टि से वंचित न रहे।

अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के सीईओ और कार्यकारी ट्रस्टी, मृितुंजय तिवारी, ने कहा पिछले दो दशकों से, अखंड ज्योति ने सबसे वंचित समुदायों तक विश्वस्तरीय नेत्र देखभाल पहुँचाने का कार्य किया है। यह साझेदारी बिहार से उपचार योग्य अंधापन समाप्त करने के हमारे मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है। क्योर ब्लाइंडनेस प्रोजेक्ट की वैश्विक विशेषज्ञता और हमारी मजबूत जमीनी उपस्थिति के साथ, हम लाखों लोगों के जीवन पर दीर्घकालिक प्रभाव डालने के लिए तैयार हैं।

नई आशा और सहयोग के लिए आह्वान

यह सहयोग बिहार में नेत्र स्वास्थ्य के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगा, जो यह दर्शाता है कि किस प्रकार साझेदारी के माध्यम से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। जैसे-जैसे यह पहल आगे बढ़ेगी, दोनों संगठन समर्थकों, दाताओं और हितधारकों को इस अभियान में शामिल होने और लाखों लोगों तक रोशनी पहुँचाने के इस मिशन में योगदान देने के लिए आमंत्रित करते हैं।

क्योर ब्लाइंडनेस प्रोजेक्ट के बारे में

क्योर ब्लाइंडनेस प्रोजेक्ट एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है, जो 1995 से उपचार योग्य अंधापन समाप्त करने के लिए समर्पित है। 30 देशों में अपनी उपस्थिति के साथ, इसने नेत्र देखभाल की उच्च प्रभावशाली योजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों की दृष्टि बहाल की है। अब, संगठन ने भारत में पैन-इंडिया ऑपरेशन्स की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य देश के निम्न-आय वाले क्षेत्रों से उपचार योग्य अंधापन को पूरी तरह समाप्त करना है।

अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के बारे में

2005 में स्थापित, अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल भारत का प्रमुख ग्रामीण नेत्र अस्पताल है, जो उच्च गुणवत्ता वाली, बड़े पैमाने पर नेत्र देखभाल सेवाएं प्रदान करता है। अब तक 10 लाख से अधिक दृष्टि पुनर्स्थापन सर्जरी की जा चुकी हैं, जिनमें से 75% सर्जरी नि:शुल्क की गई हैं। अस्पताल का “फुटबॉल टू आईबॉल प्रोग्राम” न केवल लड़कियों को ऑप्टोमेट्री में प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि उन्हें समुदाय में नेतृत्वकर्ता और बदलाव का वाहक भी बना रहा है।

यह साझेदारी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के नेत्र स्वास्थ्य परिदृश्य को पुनर्परिभाषित करेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि हर व्यक्ति, चाहे उसकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, अपनी दृष्टि प्राप्त करने का अधिकार रखता है।

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Chhapra: कालाजार के खात्मे के लिए जिले में विभागीय स्तर पर कवायद जारी है। लोगों को जागरूक करने से लेकर कालाजार की रोकथाम के लिए कीटनाशक के छिड़काव का काम शुरू कर दिया गया है। जिले के 20 प्रखंडों के 239 गांवों में कालाजार उन्मूलन को लेकर दवा का छिड़काव किया जायेगा। फिलहाल कुछ प्रखंडों मे दवा का छिड़काव शुरू किया जा चुका है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 20 प्रखंडों के 157 पंचायत में 239 गांवों के 176275 घरों में दवा का छिड़काव किया जायेगा। इसके लिए 52 टीम का गठन किया गया है। अभियान 18 फरवरी से शुरू होकर 19 अप्रैल अगले 60 दिनों तक प्रथम चरण का छिड़काव होगा। छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें, घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर 6 फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं एवं छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें, छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें,ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एस.पी) का असर बना रहे। इस दौरान लोगों को मच्छरदानी लगाकर सोने, घरों के आसपास साफ-सफाई रखने और नालियों को साफ रखने के लिए स्वास्थ्य कर्मी के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा। ताकि, लोगों को वेक्टर जनित रोग जैसे कालाजार, मलेरिया, डेंगू से बचाव के लिए प्रेरित किया जा सके।

कालाजार के कारण 
वीडीसीओ अनुज कुमार ने बताया कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है।

सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :
कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।

कालाजार के लक्षण 
• लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना
• वजन में लगातार कमी होना
• दुर्बलता
• मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना
• व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है
• प्लीहा में नुकसान होता है

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Chhapra: कालाजार उन्मूलन को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। इस दिशा में विभिन्न स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में कालाजार उन्मूलन को लेकर जेनेवा स्वीट्जरलैंड की अंतर-राष्ट्रीय टीम के द्वारा छपरा सदर अस्पताल का निरीक्षण किया गया।

टीम में ड्रग्स फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव (डीएनडीआई) संस्था की ओर से जेनेवा स्विट्जरलैंड की हेड ऑफ एक्सट्रनल रिलेशन एन्ना, एक्सट्रनल रिलेशन मैनेजर अनुप्रिया, हेड ऑफ ऑपरेशन अमित और आईपीसी कोर्डिनेटर राजकिशोर शामिल थे। टीम के सदस्यों ने सदर अस्पताल स्थित कालाजार वार्ड, सेंटर ऑफ एक्सिलेंस, जांच घर और एमसीएच अस्पताल का निरीक्षण किया।

इस दौरान मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं, कालाजार रोगियों की पहचान, इलाज, और जांच से संबंधित जानकारी इक्कठा की गयी। जिसमें सारण में कालाजार उन्मूलन के लिए किये जा रहे प्रयास, मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं, मरीजों की संख्या, पिछले पांच साल डाटा और डक्यूमेंट की जांच की गयी। साथ जिले के अमनौर सीएचसी में टीम के द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों का क्षमतावर्धन किया गया। कालाजार मरीजों की पहचान, इलाज से संबंधित जानकारी दी गयी। इस दौरान विभिन्न बिंदुओं पर जांच की गयी और आवश्यक सुझाव दिया गया।

कालाजार मरीजों में कमी लाने का प्रयास

वीडीसीओ अनुज कुमार ने बताया कि सारण जिला कालाजार उन्मूलन की ओर अग्रसर है। सारण में सभी प्रखंडों में प्रति दस हजार के जनसंख्या पर 1 मरीज से अधिक नहीं होना चाहिए इससे बरकरार रखा गया है। साथ हीं इसे तीन साल तक सस्टेन भी रखा गया है। सारण जिले के सभी प्रखंडों में एन्डमिसिटी रेट 0.5% से नीचे है।

उन्होने बताया कि सारण में पिछले साल 2024 में 60 वीएल और 30 पीकेडीएल के मरीज मिले थे। वहीं इस साल 2025 में 2 वीएल और 2 पीकेडीएल के मरीज मिले हैं। कालाज़ार के मरीजों में कमी लाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है ।

संक्रमित बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है जो संक्रमित बालू मक्खी के काटने से होता है । यह संक्रमित बालू मक्खी कालाजार रोग के कारक परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है। यह बालू मक्खी कम प्रकाश वाले, नम जगहों, मिट्टी की दीवारों, मवेशी बांधने के स्थान आदि पर पाए जाते हैं।

कालाजार उत्पन्न करने वाले परजीवी के संक्रमण से रोगी के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे वह अन्य दूसरे गंभीर रोगों से ग्रसित हो सकते हैं। ज़िले के किसी भी व्यक्ति में कालाजार से संबंधित लक्षण दिखे तो उसे अनिवार्य रूप से कालाजार की जांच करानी चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी की जानकारी मिल सके। इस मौके पर वीडीसीओ अनुज कुमार, सदर अस्पताल के डॉ हरेंद्र कुमार, लेखा पाल बंटी कुमार समेत अन्य मौजूद थे।

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नई दिल्ली, 15 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना भारत सरकार का दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम है। इसकी शुरुआत 10 करोड़ 74 लाख परिवारों से हुई यानी 55 करोड़ लोग शामिल थे। इस तरह से भारतीय आबादी के 40 प्रतिशत लोगों को स्वास्थ्य कवरेज मिला।

शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री नड्डा ने अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर जागरूकता दिवस के अवसर पर झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में एम्स में आयोजित ऑन्कोलॉजी कॉन्क्लेव 2025 का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग योजना की शुरुआत की गई थी।

आज यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम है। इस योजना से अब 36 लाख आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य को जोड़ा गया है। अब तीसरे कार्यकाल में इस योजना में 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिक को शामिल कर लिया गया है, फिर चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो। इस तरह अब वे पांच लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा कवरेज के लिए पात्र हैं। इसके साथ अब इस योजना का लाभ भारतीय आबादी का लगभग 40 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है। पीएमजेएवाई से लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है।

 

नड्डा ने कहा कि केवल छह वर्षों में एम्स झज्जर एक विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा संस्थान के रूप में उभरा है, जिसने चिकित्सा उत्कृष्टता में नए मानक स्थापित किए हैं। संकाय सदस्यों, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को हार्दिक बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इनके अथक प्रयासों ने इस संस्थान को प्रतिष्ठित और उच्च गुणवत्ता वाले स्वास्थ्य देखभाल केंद्र में बदल दिया है। उन्होंने स्टेट आफ आर्ट राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की सुविधाओं को निरीक्षण भी किया और बाढ़सा गांव स्थित एम्स-2 (राष्ट्रीय कैंसर संस्थान) में उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करते हुए कई नई सुविधाओं का शुभारंभ किया।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इन सेवाओं को जनता को समर्पित किया। इसके साथ नई स्वास्थ्य सेवाओं में बोन मैरो ट्रांसप्लांट इकाई की शुरुआत हुई। इससे रक्त कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा मिलेगी। उन्होंने नाभिकीय चिकित्सा विभाग के तहत कैंसर के आधुनिक इलाज के लिए रेडियो न्युक्लिड थेरेपी वार्ड का शुभारंभ किया। यह तकनीक कैंसर के प्रभावित अंगों को लक्षित कर इलाज में सहायता करेगी। इसके साथ एक निशुल्क जेनेरिक औषद्यालय की भी शुरुआत की गई है, जिससे कैंसर रोगियों और जरूरतमंदों के लिए एम्स-2 में मुफ्त जेनरिक दवाइयों की सुविधा मिलेगी। इससे गरीब और वंचित वर्ग के मरीजों को आर्थिक राहत मिलेगी।

 

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फुलवरिया आयुष्मान आरोग्य मंदिर को राष्ट्रीय गुणवत्ता आवश्वासन मानक के तहत मिला नेशनल प्रमाण-पत्र

·एनक्वास के तहत नेशनल सर्टिफाइड सारण का पहला आयुष्मान आरोग्य मंदिर बना फुलवरिया

· नेशनल रैंकिंग में मिला 90.45 प्रतिशत स्कोर

· प्रसव पूर्व देखभाल और शिशु स्वास्थ्य सहित कई बिन्दुओं पर मिला 100 प्रतिशत अंक

·ग्रामीण क्षेत्र में मरीजों को मिल रही है गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं

छपरा। ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को उत्कृष्ट और उच्च गुणवताापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले सारण जिले के मकेर प्रखंड के फुलवरिया पंचायत के आयुष्मान आरोग्य मंदिर (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) को राष्ट्रीय गुणवत्ता आवश्वासन मानक के तहत नेशनल प्रमाण पत्र हासिल हुआ है। राष्ट्रीय असेस्मेंट में आयुष्मान आरोग्य मंदिर को कुल 90.45 प्रतिशत अंक मिला है। इसके साथ हीं परिवार नियोजन, केयर इन प्रेग्नेंसी एंड चाइल्ड केयर, किशोर स्वास्थ्य में 100 प्रतिशत अंक हासिल हुआ है। यह सारण जिला का पहला हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर है जो राष्ट्रीय गुणवत्ता आवश्वासन मानक के तहत राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित हुआ है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण-पत्र प्रदान करने के पूर्व विशेषज्ञों की टीम द्वारा अस्पताल की सेवाओं और संतुष्टि स्तर का विभिन्न मानकों पर परीक्षण किया जाता है। इनमें उपलब्ध सेवाएं, मरीजों के अधिकार, इनपुट, सपोर्ट सर्विसेस, क्लिनिकल सर्विसेस, इन्फेक्शन कंट्रोल, गुणवत्ता प्रबंधन और आउटकम जैसे पैरामीटर शामिल हैं। इन कड़े मानकों पर खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र जारी किए जाते हैं। नेशनल असेसमेंट टीम द्वारा 8 कंसर्न एरिया के अंतर्गत 7 मैंडेटरी सर्विसेज का असेसमेंट किया गया था। जिसमे स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 90.45% स्कोर दिया गया है।

राज्य स्तर से मिल चुका है एनक़्यूएएस का प्रमाण पत्र:

सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि फुलवरिया आयुष्मान आरोग्य मंदिर पहले राज्य स्तर से राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के तहत सर्टिफाइड हो चुका है। राज्य स्तरीय रैंकिंग में इस सेंटर को कुल 91 प्रतिशत अंक प्राप्त हुआ था। राज्य स्तर से प्रमाणित होने के बाद नेशनल सर्टिफिकेशन के लिए अप्लाई किया गया था। जिसके बाद सेंट्रल टीम ने मूल्यांकन किया गया। नेशनल सर्टिफिकेशन के लिए कम से कम 70% अंक आवश्यक था। अब यह सेंटर 90.45% अंक के साथ नेशनल सर्टिफाइड हो गया है। यह सफलता जिला स्तरीय अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मियों और सभी सहयोगियों की मेहनत और समर्पण का परिणाम है। यह उपलब्धि साबित करती है कि जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को उच्च गुणवत्ता के साथ संचालित किया जा रहा है।

इस मान्यता से न केवल फुलवरिया आयुष्मान आरोग्य मंदिर की प्रतिष्ठा बढ़ी है, बल्कि यह जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बनेगा। इससे स्थानीय लोगों को बेहतर और अधिक विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त होंगी, जिससे संपूर्ण क्षेत्र के स्वास्थ्य मानकों में सुधार होगा।यह सफलता स्वास्थ्य विभाग की निरंतर प्रयासों और समर्पण का प्रमाण है, और इससे भविष्य में अन्य स्वास्थ्य केंद्रों को भी अपनी सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने की प्रेरणा मिलेगी।

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मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण के तहत टीकाकरण हुआ शुरू

पूर्वी चंपारण:  मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना के तहत सदर अस्पताल स्थित एमसीएच भवन में सोमवार को टीकाकरण शुरू हुआ। मौके पर डीएम सौरभ जोरवाल भी उपस्थित रहे। इस योजना के तहत 9 से 14 साल की लड़कियों को बच्चेदानी के मुँह के कैंसर से बचाव लिए मुफ्त में एचपीवी वैक्सीन दी जा रहीं है।आज वैक्सीन कस्तूरबा विधालय, नवोदय, एमजे के, जेएमएस छतौनी विद्यालय के छात्राओं को हेड नर्स मीरा सिन्हा, सुप्रिया कुमारी द्वारा दी जा रहीं है।

जिलाधिकारी ने कहा कि यह वैक्सीन 98 प्रतिशत तक सर्वाइकल कैंसर से बचाव करती है। बच्चियों को सर्वाइकल यानी बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से सुरक्षित करने के लिए इसे लेना आवश्यक है। वहीं सीएस डीआईओ, ने कहा की पहले राउंड में 740 लड़कियों को टीका दिया जाएगा।

मौके पर नोडल चिकित्सक डॉ मोहसिन हकीम ने बताया कि महिलाओं को होने वाले कैंसर में से 17 प्रतिशत को बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होता है। इससे मृत्युदर बहुत अधिक है। ऐसे में राज्य सरकार ने निशुल्क एचपीवी टीका लगवाने का निर्णय लिया है। एचपीवी की दो डोज देने से 98 प्रतिशत तक बचाव होता है। मौके पर सीएस डॉ रविभूषण श्रीवास्तव, डीआईओ डॉ शरत चंद्र शर्मा, डीएस डॉ विजय कुमार, नोडल डॉ मोहसिन हकीम व अन्य लोग उपस्थित थें।

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Chhapra: फाइलेरिया मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करने में जन समुदाय की भागीदारी जरूरी है। फाइलेरिया से बचाव के लिए सभी को दवा खाना है जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाना है। उक्त बातें सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने सदर अस्पताल में राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरूआत करते हुए कही। सबसे पहले जिलाधिकारी ने खुद फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया उसके बाद सभी उपस्थित पदाधिकारियों और कर्मियों को दवा खिलायी गयी।

इस दौरान डीएम ने हरी झंडी दिखाकर जागरूकता रथ को रवाना किया। 4 जागरूकता रथ के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में फाइलेरिया से बचाव तथा दवा सेवन के प्रति जागरूक किया जायेगा। डीएम अमन समीर ने कहा कि फाइलेरिया पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान शुरू किया। घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलायी जाएंगी। जिला को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि आम जनता को जागरूक किया जाए। जैसे पोलियों का उन्मूलन जागरूकता से हुआ।

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इसी तरह से इसका भी होगा। फाइलेरिया एक भयावह बीमारी है, जिसके लक्षण कई साल के बाद दिखाई देता है। जिसका कोई इलाज नहीं है। इस बीमारी का बचाव ही एक उपाय है, फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करें। डीएम ने कहा कि यदि इस अभियान में मीडिया अपनी सकारात्मक पहल से समाज में जागरूकता फैलाए तो निश्चित तौर पर ही सारण से फाइलेरिया का उन्मूलन पूरी तरह से संभव है। क्योंकि समाज के लोग जब जागरूक होंगे। तब यह बिलकुल संभव है कि 2027 तक जिले को फाइलेरिया मुक्त किया जा सकेगा। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह, डीएस डॉ. आरएन तिवारी, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीवीबीडीसी सुधीर कुमार, अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद, पिरामल के डिस्ट्रिक्ट लीड हरिशंकर कुमार, प्रोग्राम लीड अरविन्द पाठक, यूनिसेफ के एसएमसी आरती त्रिपाठी, सीफार के डीपीसी गनपत आर्यन, वीडीसीओ मीनाक्षी कुमारी, वीडीसीओ सुमन कुमारी समेत अन्य मौजूद थे।


37.92 लाख आबादी को खिलायी जायेगी फाइलेरिया से बचाव की दवा

जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि सारण में 37 लाख 92 हजार 159 लोगों को दवा खिलायी जायेगी। अभियान के दौरान जिले में 5 लाख 88 हजार 834 घरों को लक्षित किया गया है। दवा खिलाने के 1884 टीम गठित किया गया है। 3357 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर, 179 सुपरवाइजर लगाये गये है। 17 दिनों तक अभियान चलेगा, शुरूआती तीन दिनों तक बूथ लगाकर दवा खिलायी जायेगी। निजी और सरकारी विद्यालयों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, चौक-चौराहा, पंचायत भवन, सरकारी कार्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, पीएचसी, सीएचसी और स्वास्थ्य केंद्रों में बूथ लगाकर दवा खिलायी जायेगी।

खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि अभियान के दौरान दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन नहीं कराया जाएगा। इनके अलावा सभी उम्र के लाभुकों को उम्र और लंबाई के हिसाब से दवाओं का सेवन कराया जाएगा। डॉ. दिलीप ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन सभी लोगों के लिए लाभप्रद है। आम लोग खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें। कभी-कभी खाली पेट दवा खाने से भी कुछ समस्याएं होती हैं। आम लोगों में फाइलेरिया की दवा सेवन के साइड इफेक्ट के बारे में कुछ भ्रांतियां हैं, जिसे दूर करने की सख्त जरूरत है। फाइलेरिया की दवा सेवन से जी मतलाना, हल्का सिर दर्द व हल्का बुखार हो सकता है जो शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी के मरने के ही कारण होता है। इसलिए दवा सेवन से किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट मरीज के हित में ही है। हालांकि, इसके लिए जिले के सभी प्रखंडों में क्यूआरटी का गठन किया गया है।

प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन 

सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि इस अभियान में जन-सहभागिता जरूरी है। फाइलेरिया यानी हाथीपांव एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाये तो आपको जीवन भर के लिए दिव्यांग बना देती है। हाथी पांव का इलाज संभव नहीं है। ऐसे में सभी से अपील है कि दवा स्वयं खायें और अपने परिवार के सभी सदस्यों को खिलायें। तभी फाइलेरिया मुक्त जिला का सपना साकार हो सकेगा। सर्वजन दवा सेवन अभियान की मॉनिटरिंग मोबाइल ऐप के माध्यम से की जायेगी। इसके साथ हीं प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है, ताकि कहीं भी कोई प्रतिकूल प्रभाव सामने आने पर तुरंत रिस्पांस किया जायेगा। इसके साथ हीं सुपरविजन के लिए अलग-अलग टीम गठित की गयी है। जो क्षेत्र में जाकर अभियान के दौरान अनुश्रवण करेगी।

उम्र और हाइट के अनुसार खिलायी जायेगी दवा

अभियान के दौरान तीन तरह की दवा खिलायी जायेगी। जिसमें डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन की गोली शामिल है। आइवरमेक्टिन दवा हाइट के अनुसार देना है। 90 से 119 सेमी लंबाई वाले को एक गोली, 120 से 140 सेमी लंबाई वाले को 2 गोली, 141 से 158 सेमी वाले को 3 गोली और 159 सेमी से ज्यादा चाहे जितना भी हो उसे 4 गोली देनी है। वहीं 2 से 5 वर्ष आयु वर्ग को डीईसी की एक गोली और अल्बेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग को डीईसी की दो गोली और अल्बेंडाजोल की एक गोली, 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले 3 डीईसी और एक अल्बेंडाजोल की गोली देनी है।

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Chhapra: जिले की बेटियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए पहली बार एचपीवी का टीकाकरण का शुरूआत किया गया। मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना के तहत नि:शुल्क टीकाकरण की शुरूअता सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा के द्वारा किया गया। पहले दिन जिले गड़खा, तरैया, रिविलगंज प्रखंड के कस्तुरबा गांधी विद्यालय के बालिकाओं को टीका लगाया गया।

बिहार देश का पहला राज्य है जहां बालिका को कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी टीकाकरण योजना की शुरूआत हुई है। सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि यह टीकाकरण अभियान बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर से सुरक्षा करने में सार्थक सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के पहल पर इस अभियान की शुरूआत की गयी। जहां 9 से 14 साल तक बालिकाओं को टीकाकरण किया जा रहा है। बालिकाओं को सिंगल डोज वैक्सीन दिया जा रहा है जो कैंसर से सुरक्षा में सहायक है। सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) है।

इस वायरस के संक्रमण से महिलाओं में यह कैंसर का रूप ले सकता है। हालांकि सर्वाइकल कैंसर से बचाव संभव है, क्योंकि इसके लिए एक प्रभावी वैक्सिन एचपीवी उपलब्ध है। मालूम हो कि एचपीवी वैक्सीन कैंसर से 98 प्रतिशत तक बचाव कर सकती है और यह विशेष रूप से 09 से 14 साल की बालिकाओं पर प्रभावी रहती है। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, डीपीओ शिक्षा विभाग प्रियंका रानी, डीआईओ डॉ. सुमन कुमार, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीएमनई ब्रजेश कुमार, अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ. रंजितेश कुमार, यूनिसेफ एसएमसी आरती त्रिपाठी, सीफार के डीपीसी गनपत आर्यन, भीसीसीएम अंशुमान पांडेय, रवि कुमार समेत अन्य मौजूद थे।

टीकाकरण से सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम मिलेगी मदद
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सुमन कुमार ने कहा कि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) को लेकर राज्य में मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना के अंतर्गत 9 से 14 आयु वर्ग की बालिकाओं को एचपीवी टीका से टीकाकृत कराया जा रहा है। जिससे सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा या बच्चेदानी के मुंह का कैंसर) जैसी एक गंभीर बीमारी की रोकथाम में मदद मिलेगी। इसके लिए पहले ही टीकाकरण करने वाली नर्स और स्वास्थ्य कर्मी प्रशिक्षित किया जा चुका है। क्योंकि प्रशिक्षण प्राप्त कर्मी के द्वारा ही 09 से 14 आयुवर्ग की बालिकाओं को टीकाकृत करना है। जबकि टीकाकरण स्थल पर आवश्यक व्यवस्थाएं जैसे – प्रतिक्षा कक्ष में बैठने के लिए कुर्सी, टीकाकरण के अर्ब्जवेशन रूम, पीने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

टीकाकरण के बाद बालिकाओं को दिया जा रहा सर्टिफिकेट
डीपीएम अरविन्द कुमार ने बताया कि पहले जिले के रिविलगंज, गड़खा और तरैया कस्तुरबा गांधी विद्यालय के कुल 184 बालिकाओं को टीका लगाया गया। टीकाकरण के बाद सभी बालिकाओं को प्रमाण-पत्र भी दिया गया। टीकाकरण प्रथम चरण में सरकारी विद्यालयों के बच्चियों को टीकाकृत किया जाएगा। उसके बाद दूसरे चरण में जिले के निजी विद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाली 09 से 14 आयुवर्ग की बालिकाओं और तीसरे चरण में वैसी बालिकाओं को टीका दिया जाएगा जो किसी कारणवश स्कूल या कॉलेज नहीं जाती है और घर पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती है।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव संभव
सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) है। इस वायरस के संक्रमण से महिलाओं में यह कैंसर का रूप ले सकता है। हालांकि, सर्वाइकल कैंसर से बचाव संभव है क्योंकि इसके लिए एक प्रभावी वैक्सिन एचपीवी उपलब्ध है। ज्ञात हो कि एचपीवी वैक्सीन कैंसर से 98 प्रतिशत तक बचाव कर सकती है और यह विशेष रूप से 09 से 14 साल की बालिकाओं पर प्रभावी रहती है।

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सारण में 37.92 लाख आबादी को खिलायी जायेगी फाइलेरिया से बचाव की दवा: डॉ दिलीप
• अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर मीडिया कार्यशाला आयोजित
• सभी निजी और सरकारी विद्यालयों व कार्यालयों में लगेगा बूथ
• सीफार संस्था के सहयोग से आयोजित हुआ मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला
• हाथीपांव से बचाव के लिए तीन तरह की दवा खिलायी जायेगी

छपरा। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जिले में 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरूआत की जायेगी। अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर जिला मलेरिया कार्यालय में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह की अध्यक्षता में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्था के सहयोग कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि सारण में 37 लाख 92 हजार 159 लोगों को दवा खिलायी जायेगी। अभियान के दौरान जिले में 5 लाख 88 हजार 834 घरों को लक्षित किया गया है। सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम को सफल बनाने में मीडिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। मीडिया के माध्यम से इस अभियान को जन-सहभागिता में तब्दील कर सफल बना सके है। 10 फरवरी से अभियान की शुरूआत होगी। 17 दिनों तक अभियान चलेगा, शुरूआती तीन दिनों तक बूथ लगाकर दवा खिलायी जायेगी। निजी और सरकारी विद्यालयों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, चौक-चौराहा, पंचायत भवन, सरकारी कार्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, पीएचसी, सीएचसी और स्वास्थ्य केंद्रों में बूथ लगाकर दवा खिलायी जायेगी। स्कूलों में लंच समय खाना खाने के बाद बच्चों को दवा खिलाना है। ताकि बच्चें दवा खाने के बाद अपने घर के लोगों को भी इसके बारे में जागरूक कर सके। अभियान से पहले स्कूलों में फाइलेरिया कक्षा आयोजित किया जाये, जिसमें सभी बच्चों को फाइलेरिया बीमारी के बारे में तथा दवा खाने की जानकारी दी जाये। बच्चों के कॉपी पर एमडीए की दवा खाने का संदेश दिया जाये और परिजन से हस्ताक्षर कराकर उसे जमा करांए। उसके बाद 14 दिनों तक आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलायेंगी। शहरी क्षेत्र में स्वयंसेवक और आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा दवा खिलायी जायेगी। इस अभियान में जीविका, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, पंचायती राज, स्वास्थ्य विभाग की सहभागिता सुनिश्चित की गयी है। डॉ दिलीप ने कहा कि दवा खिलाने के 1884 टीम गठित किया गया है। 3357 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर, 179 सुपरवाइजर लगाये गये है।
किसी भी हाल में खाली पेट नहीं खानी है दवा:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि यह दवा किसी भी परिस्थिति में खाली पेट नहीं खाना है। कुछ खाने के बाद हीं दवा को खाना है, उसके बाद एक ग्लास पानी पीना है। अल्बेंडाजोल की दवा को चबाकर खाना है। फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने पहल की है। इस बार तीन तरह की दवा खिलायी जायेगी। जिसमें डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन शामिल है। ट्रीपल ड्रग थेरेपी के माध्यम से सारण जिला फाइलेरिया मुक्त होगा। सारण में दो प्रखंड मढौरा और अमनौर फाइलेरिया उन्मूलन की ओर अग्रसर है। यहां में माइक्रो फाइलेरिया का रेट 1 प्रतिशत से नीचे है। इसलिए इन दो प्रखंडों में दवा नहीं खिलायी जायेगी।
दवा खुद खायें और अपने परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं:
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने कहा कि इस अभियान में जन-सहभागिता जरूरी है। फाइलेरिया यानी हाथीपांव एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाये तो आपको जीवन भर के लिए दिव्यांग बना देती है। हाथी पांव का इलाज संभव नहीं है। ऐसे में सभी से अपील है कि दवा स्वयं खायें और अपने परिवार के सभी सदस्यों को खिलायें। तभी फाइलेरिया मुक्त जिला का सपना साकार हो सकेगा। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को दवा नहीं खिलायी जायेगी।आइवरमेक्टिन दवा हाइट के अनुसार देना है। 90 से 119 सेमी लंबाई वाले को एक गोली, 120 से 140 सेमी लंबाई वाले को 2 गोली, 141 से 158 सेमी वाले को 3 गोली और 159 सेमी से ज्यादा चाहे जितना भी हो उसे 4 गोली देनी है। वहीं 2 से 5 वर्ष आयु वर्ग को डीईसी की एक गोली और अल्बेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग को डीईसी की दो गोली और अल्बेंडाजोल की एक गोली, 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले 3 डीईसी और एक अल्बेंडाजोल की गोली देनी है।
सुक्रत्या मोबाइल ऐप से होगी निगरानी:
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने कहा कि सर्वजन दवा सेवन अभियान की मॉनिटरिंग मोबाइल ऐप के माध्यम से की जायेगी। इसके साथ हीं प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है, ताकि कहीं भी कोई प्रतिकूल प्रभाव सामने आने पर तुरंत रिस्पांस किया जायेगा। इसके साथ हीं सुपरविजन के लिए अलग-अलग टीम गठित की गयी है। जो क्षेत्र में जाकर अभियान के दौरान अनुश्रवण करेगी। इस मौके पर जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार, वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार, पीरामल के डिस्ट्रिक्ट लीड हरिशंकर कुमार, प्रोग्राम लीड अरविन्द पाठक, सीफार के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक गनपत आर्यन, प्रोग्राम एसोसिएट कृष्णा सिंह समेत अन्य मौजूद थे।
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• अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर मीडिया कार्यशाला आयोजित
• सभी निजी और सरकारी विद्यालयों व कार्यालयों में लगेगा बूथ
• सीफार संस्था के सहयोग से आयोजित हुआ मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला
• हाथीपांव से बचाव के लिए तीन तरह की दवा खिलायी जायेगी

Chhapra: फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जिले में 10 फरवरी से सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरूआत की जायेगी। अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर जिला मलेरिया कार्यालय में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह की अध्यक्षता में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्था के सहयोग कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि सारण में 37 लाख 92 हजार 159 लोगों को दवा खिलायी जायेगी। अभियान के दौरान जिले में 5 लाख 88 हजार 834 घरों को लक्षित किया गया है। सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम को सफल बनाने में मीडिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। मीडिया के माध्यम से इस अभियान को जन-सहभागिता में तब्दील कर सफल बना सके है। 10 फरवरी से अभियान की शुरूआत होगी। 17 दिनों तक अभियान चलेगा, शुरूआती तीन दिनों तक बूथ लगाकर दवा खिलायी जायेगी। निजी और सरकारी विद्यालयों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, चौक-चौराहा, पंचायत भवन, सरकारी कार्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, पीएचसी, सीएचसी और स्वास्थ्य केंद्रों में बूथ लगाकर दवा खिलायी जायेगी। स्कूलों में लंच समय खाना खाने के बाद बच्चों को दवा खिलाना है। ताकि बच्चें दवा खाने के बाद अपने घर के लोगों को भी इसके बारे में जागरूक कर सके। अभियान से पहले स्कूलों में फाइलेरिया कक्षा आयोजित किया जाये, जिसमें सभी बच्चों को फाइलेरिया बीमारी के बारे में तथा दवा खाने की जानकारी दी जाये। बच्चों के कॉपी पर एमडीए की दवा खाने का संदेश दिया जाये और परिजन से हस्ताक्षर कराकर उसे जमा करांए। उसके बाद 14 दिनों तक आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलायेंगी। शहरी क्षेत्र में स्वयंसेवक और आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा दवा खिलायी जायेगी। इस अभियान में जीविका, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, पंचायती राज, स्वास्थ्य विभाग की सहभागिता सुनिश्चित की गयी है। डॉ दिलीप ने कहा कि दवा खिलाने के 1884 टीम गठित किया गया है। 3357 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर, 179 सुपरवाइजर लगाये गये है।

किसी भी हाल में खाली पेट नहीं खानी है दवा
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि यह दवा किसी भी परिस्थिति में खाली पेट नहीं खाना है। कुछ खाने के बाद हीं दवा को खाना है, उसके बाद एक ग्लास पानी पीना है। अल्बेंडाजोल की दवा को चबाकर खाना है। फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने पहल की है। इस बार तीन तरह की दवा खिलायी जायेगी। जिसमें डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन शामिल है। ट्रीपल ड्रग थेरेपी के माध्यम से सारण जिला फाइलेरिया मुक्त होगा। सारण में दो प्रखंड मढौरा और अमनौर फाइलेरिया उन्मूलन की ओर अग्रसर है। यहां में माइक्रो फाइलेरिया का रेट 1 प्रतिशत से नीचे है। इसलिए इन दो प्रखंडों में दवा नहीं खिलायी जायेगी।

दवा खुद खायें और अपने परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने कहा कि इस अभियान में जन-सहभागिता जरूरी है। फाइलेरिया यानी हाथीपांव एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाये तो आपको जीवन भर के लिए दिव्यांग बना देती है। हाथी पांव का इलाज संभव नहीं है। ऐसे में सभी से अपील है कि दवा स्वयं खायें और अपने परिवार के सभी सदस्यों को खिलायें। तभी फाइलेरिया मुक्त जिला का सपना साकार हो सकेगा। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को दवा नहीं खिलायी जायेगी।आइवरमेक्टिन दवा हाइट के अनुसार देना है। 90 से 119 सेमी लंबाई वाले को एक गोली, 120 से 140 सेमी लंबाई वाले को 2 गोली, 141 से 158 सेमी वाले को 3 गोली और 159 सेमी से ज्यादा चाहे जितना भी हो उसे 4 गोली देनी है। वहीं 2 से 5 वर्ष आयु वर्ग को डीईसी की एक गोली और अल्बेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग को डीईसी की दो गोली और अल्बेंडाजोल की एक गोली, 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले 3 डीईसी और एक अल्बेंडाजोल की गोली देनी है।

सुक्रत्या मोबाइल ऐप से होगी निगरानी
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने कहा कि सर्वजन दवा सेवन अभियान की मॉनिटरिंग मोबाइल ऐप के माध्यम से की जायेगी। इसके साथ हीं प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है, ताकि कहीं भी कोई प्रतिकूल प्रभाव सामने आने पर तुरंत रिस्पांस किया जायेगा। इसके साथ हीं सुपरविजन के लिए अलग-अलग टीम गठित की गयी है। जो क्षेत्र में जाकर अभियान के दौरान अनुश्रवण करेगी। इस मौके पर जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार, वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार, पीरामल के डिस्ट्रिक्ट लीड हरिशंकर कुमार, प्रोग्राम लीड अरविन्द पाठक, सीफार के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक गनपत आर्यन, प्रोग्राम एसोसिएट कृष्णा सिंह समेत अन्य मौजूद थे।

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Chhapra: विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर सेहत केन्द्र व राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में एक व्याख्यान व सेहत संवाद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य प्रो. सुशील कुमार श्रीवास्तव ने किया।

सेहत केंद्र की डॉ. कुमारी नीतू सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने इस साल के विश्व कैंसर दिवस की थीम के बारे में बताया “यूनाइटेड बाय यूनिक”, कैंसर के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत, रोगी-केंद्रित देखभाल के महत्व पर प्रकाश डालता है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जंतु विज्ञान विभाग के डॉ. सोमनाथ घोष थे। अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य ने कहा कि कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ वैश्विक संघर्ष को मजबूत करने के लिए सभी एकजुट होते हैं।

हर साल की तरह इस दिन को मनाने का उद्देश्य कैंसर के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना और इस पर नियंत्रण पाने के लिए वैश्विक प्रयासों को गति देना है। जागरूक बनना व बनाना किसी समस्या के समाधान का प्रथम प्रयास माना जाता है। मुख्य वक्ता के द्वारा छात्रों को कैंसर के विषय में ज्ञानवर्धक जानकारी दी गई । कैंसर के प्रकार और उसके लक्षण, कारण और निदान के बारे में बताया गया।

उन्होंने कहा कि कैंसर आज एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बन चुका है और यह दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि, सही समय पर पहचान, उपचार, और जीवनशैली में सुधार के जरिए इस पर काबू पाया जा सकता है।

इस दिन का महत्व इस बात में है कि हम न केवल कैंसर के खतरे से अवगत होते हैं, बल्कि उन लाखों लोगों की संघर्षों और उम्मीदों को भी साझा करते हैं जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं।इस साल की थीम यह संदेश देती है कि जब हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो कैंसर से लड़ने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह संदेश हमें यह याद दिलाता है कि कैंसर की रोकथाम, निदान, और उपचार में सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ.कन्हैया प्रसाद के द्वारा किया गया।

एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी पदाधिकारी डॉ. देवेश रंजन, मनोविज्ञान के डॉ. अमरेंद्र कुमार डॉ. चंदा कुमारी ,रसायनशास्त्र से डॉ. रमन कुमार, छात्र सचिन, विशाल आदि समेत कई छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

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