वाराणसी,06 जून (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में निर्जला एकादशी पर शुक्रवार को हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी में पुण्य की डुबकी लगाई और गंगाघाटों पर दानपुण्य किया। पर्व पर गंगा स्नान के लिए के लिए भोर से ही श्रद्धालु गंगाघाटों पर पहुंचने लगे। गंगा स्नान के लिए प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट सामनेघाट भारी भीड़ जुटी रही। स्नानार्थियों के चलते गौदोलिया से दशाश्वमेधघाट तक मेले जैसा नजारा रहा।

निर्जला एकादशी व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है

जिला प्रशासन ने गंगा तट से लेकर बाबा विश्वनाथ दरबार तक सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे। दशाश्वमेधघाट के तीर्थ पुरोहित राजू तिवारी ने बताया कि सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व है। यह दिन चराचर जगत के स्वामी भगवान विष्णु को समर्पित है । इसे साल की सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भक्तों को पुण्य लाभ मिलता है और पूरे साल के एकादशी व्रत का फल प्राप्त होता है।

एकादशी के दिन चावल नहीं खाते और न ही चावल दान करते है

पुरोहित ने बताया कि एकादशी के दिन सनातनी चावल नहीं खाते और न ही चावल दान करते है। इस दिन फल फूल आम, केला इत्यादि दान करते हैं। गगरी भरकर जल ब्राह्मण को दान करते हैं। ज्येष्ठ माह की एकादशी ‘निर्जला एकादशी ‘ को भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी में ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों का शमन करने की शक्ति होती है। इस दिन मन, कर्म, वचन द्वारा किसी भी प्रकार का पाप कर्म करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही तामसिक आहार, परनिंदा एवं दूसरों के अपमान से भी दूर रहना चाहिए। भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्रती को करोड़ों गायों को दान करने के समान फल प्राप्त होता है।

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—शाम को दशाश्वमेधघाट पर गंगा पूजन के साथ मां गंगा की होगी भव्य आरती

वाराणसी,05 जून (हि.स.)। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि गंगा दशहरा पर गुरूवार को काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी में लाखों श्रद्धालुओं ने उत्तरवाहिनी पुण्य सलिला गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई। और दान पुण्य के बाद देवगुरू बृहस्पति और श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई। भोर लगभग चार बजे से दिन चढ़ने तक श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के लिए घाटों पर पहुंचते रहे।

इस दौरान प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट, अस्सी, भैसासुर, खिड़किया घाट पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ जुटी रही। इसमें शहरियों की तुलना में ग्रामीणों की भीड़ ज्यादा रही। स्नानार्थियों के चलते गौदोलिया से दशाश्वमेधघाट तक मेले जैसा नजारा रहा। प्रशासन ने गंगा तट से लेकर बाबा विश्वनाथ दरबार तक सुरक्षा के कड़े इन्तज़ाम किए है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए गंगा की ओर जाने वाले मार्गो पर यातायात भी प्रतिबंधित किया गया है।

पुराणों के अनुसार मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि में वृष लग्न में हुआ था। आज ही के दिन हजारों साल पहले स्वर्ग की नदी गंगा धरती पर आईं थी और पापों का नाश कर प्राणियों का उद्धार करने के उद्देश्य से धरती पर ही रह गईं। तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। गौरतलब हो कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान से दस प्रकार के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

—मां गंगा की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार एवं षोडशोपचार विधी से पूजन, दुग्धाभिषेक

गंगा दशहरा पर प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की ओर से किशोरी रमण दूबे ‘बाबू महाराज’ की अगुवाई में मां गंगा के प्रतिमा का भव्य श्रृंगार कर विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच षोडशोपचार पूजन किया गया। बाबू महाराज के अनुसार गंगा दशहरा पर शाम को मां गंगा की भव्य महाआरती की जायेगी। गंगा सेवा निधि की ओर से सायंकाल दशाश्वमेधघाट पर भव्य गंगा दशहरा महोत्सव आयोजित किया गया है। मां भगवती के धरती पर अवतरण दिवस के पावन अवसर पर मां गंगा की वैदिक रीति रिवाज से पूजन,भव्य महाआरती के बाद घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा। निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की शुरूआत सायंकाल 06 बजे से होगी।

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Chhapra: विवाहित महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए वट सावित्री व्रत किया। सुबह से ही महिलाओं के द्वारा वट वृक्ष के पास पहुंच पूजन किया गया। शहर से लेकर गांव तक हर जगह महिलाओं के द्वारा व्रत किया गया और वट वृक्ष के पास जाकर पूजन किया गया।

वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है।

इस दिन महिलाएँ वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं, जो त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का प्रतीक माना जाता है।

व्रत का महत्व:
यह व्रत सावित्री और सत्यवान की कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों को अपने तप, श्रद्धा और बुद्धिमानी से वापस पाया था। इसलिए इसे सतीत्व, नारी शक्ति और पतिव्रता धर्म का प्रतीक माना जाता है।

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सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए वट सावित्री व्रत करतीं हैं।  वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को बड़ी मनाई जाती है। इस दीं सुहागन महिलायें वट यानी बड़ (बनयान) के पेड़ की पूजा करतीं हैं।

क्या है मान्यता?

वट सावित्री व्रत को लेकर मान्यता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान को इसी पेड़ के नीचे यमराज से वापस पाया था।

बड़ का पेड़ ना हो तो व्रत और पूजा कैसे करें?

वट सावित्री व्रत इस साल 26 मई 2025, सोमवार को मनाया जाएगा। बड़े शहरों में वटवृक्ष (Banyan Tree) उपलब्ध नहीं हो पाता है। ऐसे में व्रत करने वाली महिलाओं के मन में सवाल उठता है कि बड़ का पेड़ ना हो तो व्रत और पूजन कैसे करें? ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि वट वृक्ष ना हो तो वटवृक्ष की मिट्टी लाकर घर पर पूजा करें। इसे ही पूजा का स्थान मानकर पूरी श्रद्धा और विधि विधान के साथ व्रत करें। साथ ही गमले में वटवृक्ष की टहनी लगाकर पूजन किया जा सकता है। पेड़ का प्रतीक मानकर धागा बांधें और परिक्रमा करें, व्रत कथा सुनें। यदि ना वटवृक्ष, ना मिट्टी और ना ही टहनी उपलब्ध हो, तो आप तुलसी के पौधे के पास बैठकर भी पूजा कर सकती हैं।

व्रत में श्रद्धा और आस्था सबसे जरूरी

धार्मिक शास्त्रों  के अनुसार पूजा में स्थान या वस्तुओं से ज्यादा महत्व भावना और निष्ठा का होता है। सावित्री ने सिर्फ अपने संकल्प और भक्ति के बल पर यमराज जैसे देवता को भी झुका दिया था। इसीलिए अगर आप मन से सच्चे और श्रद्धा से पूर्ण होकर व्रत करती हैं, तो वटवृक्ष का न होना व्रत के फल में कमी नहीं लाता।

 

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426564 / 9545290847

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Chhapra: बंगाली बाबा घाट पर गंगा महाआरती 11 जून को होगी जिसमें सारणवासियों को बंगाली बाबा घाट पर काशी के दशाश्वमेध घाट का दर्शन होगा। आगामी 11 जून को चिरांद के गंगा तट स्थित बंगाला बाबा घाट पर इसका आयोजन किया जायेगा।

काशी के 11 बटुक करेंगे गंगा आरती
महाआरती में काशी के 11 बटुक गंगा आरती करेंगे। वही वाराणसी के पंडित पुरोहित शंख ध्वनि तथा भगवान शंकर के डमरू आकर्षण के केंद्र होगें। महाआरती के आयोजन से बंगाली बाबा घाट का दृश्य काशी जैसा दिखेगा ।

गंगा महाआरती के भव्य आयोजन को लेकर निर्णय लिया
चिरांद विकास परिषद तथा गंगा समग्र की बैठक चिरांद के तिवारी घाट स्थित श्रीराम तिवारी के आवासीय परिसर में परिषद के संरक्षक श्री श्री 1008कृष्ण गिरी उपाख्य नागा बाबा के अध्यक्षता में हुई। जिसमें गंगा महाआरती के भव्य आयोजन को लेकर निर्णय लिया गया कि देश और समाज के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले लोगों को चिरांद रत्न आदि से सम्मानित किया जाएगा जिसमें चिकित्सा सेवा पर्यावरण शिक्षा नारी सशक्तिकरण पर कार्य करने वाले लोग होंगे।

वही मातागंगा को अविरल, निर्मल पर कार्य करने वाले लोगों को भागीरथ पुरस्कार से भी नवाजा जाएगा, कार्यक्रम में वाराणसी, चित्रकूट, इलाहाबाद, अयोध्या, हरिद्वार आदि जगहों के संत महात्मा महाआरती का हिस्सा बनेंगे।

बंगाली बाबा घाट पर कलाकारों का भी होगा जमावड़ा
बंगाली बाबा घाट पर कलाकारों का भी होगा जमावड़ा जिसमें नृत्य संगीत का भी आयोजन होगा। समारोह के सफल आयोजन को ले कई उप समितियों का गठन किया गया।

उक्त अवसर पर हरिद्वार सिंह, रघुनाथ सिंह,राशेश्वर सिंह, शुशील पाण्डेय, हरिमोहन कुमार, सुमन साह राजकिशोर प्रसाद, मोहन पासवान, बीपीन बिहारी रमन,अमृत सागर, रूपेश कुमार पांडेय, अर्जुन कुमार, भरथ पासवान, जयदिनेश पाण्डेय, मुकेश कुमार सिंह, राजकिशोर चौरसिया,चंदन कुमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित हुए।

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रुद्रप्रयाग, 7 मई (हि.स.)। श्री केदारनाथ धाम में इस वर्ष की यात्रा को और भी भव्य एवं श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने एक अभिनव पहल की है। अब श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शनों के साथ-साथ उनकी दिव्यता और महिमा का साक्षात अनुभव मंदिर प्रांगण और आस्था पथ पर भी कर सकेंगे।

देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन हेतु केदारपुरी पहुंचते हैं। अक्सर मंदिर तक पहुंचने से पहले लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। ऐसे में श्रद्धालुओं की आस्था और धैर्य को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा एक विशेष योजना के तहत आस्था पथ और मंदिर प्रांगण में एलसीडी स्क्रीन लगाए गए हैं, जिन पर बाबा केदारनाथ के लाइव दर्शन दिखाए जा रहे हैं।

जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि आस्था पथ पर 50 इंच के 10 एलसीडी टीवी लगाए गए हैं। वहीं मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से एक विशाल 10×20 फीट का एलसीडी टीवी लगाया गया है, जिस पर बाबा केदार के लाइव दर्शन के साथ-साथ भगवान शिव से जुड़ी कथाएं, उनकी महिमा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी प्रसारित की जाएंगी।

यह पहल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक रूप से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास है।

इतना ही नहीं, इन टीवी स्क्रीनों के माध्यम से स्वास्थ्य एवं यात्रा मार्गदर्शिका से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाएं भी समय-समय पर प्रसारित की जाएंगी ताकि यात्रा के दौरान श्रद्धालु सुरक्षित और जागरूक रहें।

इसके साथ ही सोनप्रयाग में भी एक बड़ी स्क्रीन लगाने की तैयारी अंतिम चरण में है, जिससे यात्रा की शुरुआत करने वाले श्रद्धालुओं को भी बाबा केदार के दर्शन और आवश्यक जानकारी मिल सके।

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बदरीनाथ धाम, 4 मई (हि. स.)। विश्व प्रसिद्ध श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट रविवार सुबह सेना की गढ़वाल स्काउट रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच बैशाख मास शुक्ल पक्ष सप्तमी,पुष्य नक्षत्र में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।

श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा हुई

कपाट खुलते ही धाम जय बदरीविशाल के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा हुई। इस अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को 40 क्विंटल से अधिक फूलों से सजाया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित 15 हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट खुलने एवं अखंड ज्योति दर्शन के साक्षी रहे।

कपाट खुलने की प्रक्रिया के अंतर्गत रविवार प्रातः साढे चार बजे श्री कुबेर जी ने बामणी गांव से चल कर दक्षिण द्वार से श्रीबदरीनाथ मंदिर परिसर में प्रवेश किया। पांच बजे रावल अमरनाथ नंबूदरी, वेदपाठियों, हक-हकूकधारियों डिमरी पंचायत प्रतिनिधियों सहित अन्यों ने मंदिर परिसर में प्रवेश किया औऱ द्वार पूजा में सम्मिलित हुए। ठीक साढ़े पांच बजे से द्वार पूजा शुरू हो गई और ठीक छ: बजे बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिये गये।

इससे पहले माता लक्ष्मी ने बदरीनाथ मंदिर से अपने मंदिर परिक्रमा स्थित मंदिर में प्रवेश किया और श्रीउद्वव जी श्रीकुबेर जी, श्रीगरूड़ जी श्रीबदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह में विराजमान हो गये। इसके पश्चात भगवान बदरीविशाल को ओढाया गया और घृत कंबल को अलग किया गया । इस दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीविशाल के निर्वाण दर्शन किए।

कुछ देर में 10 बजे भगवान बदरीविशाल का अभिषेक शुरू हो जायेगा। बीकेटीसी की प्रदेश सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से भगवान बदरीविशाल की प्रथम महाभिषेक पूजा की जाएगी। विगत रविवार को श्रीगरूड़ जी, उद्धव जी, श्रीकुबेर जी और आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी सहित गाडू घड़ा तेल कलश श्री बदरीनाथ धाम पहुंच गया था।

दानीदाता श्रद्धालुओं ने और सेना, आईटीबीपी ने भंडारे आयोजित किए
दानीदाता श्रद्धालुओं ने और सेना, आईटीबीपी ने भंडारे आयोजित किए हैं। सीमांत गांव माणा और बामणी की महिलाओं ने परंपरागत भक्तिमय नृत्य संगीत प्रस्तुत किए। इस मौके पर भजनों का भी आयोजन हुआ। आसमान से हैलीकॉप्टर से मंदिर परिसर और श्रद्धालुओं पर फूलों की वर्षा की गई। मंदिर सिंह द्वार पर वेदवेदांग संस्कृत विद्यालय जोशीमठ के छात्रों ने स्वास्तिवाचन किया। इससे पहले 30 अप्रैल को यमुनोत्री, गंगोत्री धाम और 02 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुल चुके हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी देश विदेश के तीर्थयात्रियों को दी शुभकामनाएं
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी देश विदेश के तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं देते हुए चारधाम यात्रा पर आने का भी आमंत्रण दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड चारधाम यात्रा इस वर्ष नये कीर्तिमान स्थापित करेगी। तीर्थयात्रियों को यात्री सुविधाओं के लिए हर संभव कदम उठाये गए हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश और देश की समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण कराए हैं। यह आंकड़ा 25 लाख के करीब है।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) नवनियुक्त अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर सभी तीर्थयात्रियों से कहा कि प्रदेश सरकार तीर्थयात्रियों को बेहतर यात्रा सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। मंदिर समिति तीर्थयात्रियों के हित में बेहतर प्रबंधन करेगी। बीकेटीसी के नव नियुक्त उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती और नवनियुक्त उपाध्यक्ष विजय कपरवाण ने भी बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी है। पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने तीर्थयात्रियों को सरल- सुगम दर्शन करने के लिए मंदिर समिति के लिए पर्यटन विभाग को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। पंजीकरण की जांच एवं टोकन सिस्टम पर जोर दिया है।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि आज ही बदरीनाथ धाम मंदिर परिक्रमा स्थित सभी मंदिरों माता लक्ष्मी गणेश जी, घंटाकर्ण जी, आदि केदारेश्वर श्रीशंकराचार्य मंदिर सहित माता मूर्ति मंदिर माणा, भविष्य बदरी मंदिर सुभाई के कपाट भी खुल गए हैं। पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी ने माता मूर्ति मंदिर माणा तथा पुजारी संजय डिमरी ने भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन के कपाट खोले।

इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के भाई पंकज मोदी, स्वामी सविदानंद,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष/राज्य सभा सांसद महेंद्र भट्ट , जिलाधिकारी संदीप तिवारी, बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल पूर्व रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, राजपुरोहित कांता प्रसाद नौटियाल पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल वेदपाठी रविंद्र भट्ट,बदरीनाथ विधायक लखपत बुटोला,वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद अध्यक्ष रामचंद्र गौड़ एवं बीकेटीसी नवनियुक्त उपाध्यक्ष विजय कपरवाण,दायित्वधारी बलबीर घुनियाल , ठाकुर भवानी प्रताप सिंह,सहित बीकेटीसी पूर्व उपाध्यक्ष किशोर पंवार,सचिव हरिश चंद्र सेमवाल , पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार, उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ डिमरी पंचायत उपाध्यक्ष भास्कर डिमरी, पूर्व सदस्य वीरेंद्र असवाल,हरीश डिमरी ,कृपाराम सेमवाल,श्री बदरीनाथ धाम प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, नायब रावल सूर्यराग नंबूदरी,बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़,ईओ नगर पंचायत सुनील पुरोहित थाना प्रभारी नवनीत उनियाल प्रशासनिक अधिकारी कुलदीप भट्ट, राजेंद्र सेमवाल प्रबंधक अजय सती, संतोष तिवारी कर्मचारी संघ अध्यक्ष विजेंद्र बिष्ट, जगमोहन बर्त्वाल पीताम्बर मोल्फा,विनोद डिमरी पंकज डिमरी, चंडीप्रसाद थपलियाल,अमित बंदोलिया,केदार सिंह रावत, अनसूया नौटियाल आदि मौजूद रहे।

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रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड), 02 मई (हि.स.)। भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ के कपाट बृष लग्न पर सुबह सात बजे वि​धि-विधान के साथ खोल दिए गए।

इस मौके पर सेना की भ​क्तिमयी धुनों और भक्तों के जयकारों समुची केदारपुरी जयकारों से गूंज उठी। लगभग 15 हजार श्रद्धालु कपाटोद्घाटन के साक्षी बने।आज सुहावने मौसम और मंद-मंद हवा के बीच मेरू-सुमेरू पर्वत शृंखला की तलहटी पर मंदाकिनी और सरस्वती नदी के मध्य में विराजमान केदारनाथधाम में तड़के 3 बजे से ही श्रद्धालु जुटने लगे थे।

सुबह पांच बजे तक मंदिर परिसर भक्तों से सरोबार हो गया था। बाबा केदार के जयकारों के बीच सुबह 6ः30 बजे रावल भीमाशंकर और मुख्य पुजारी बागेश लिंग चांदी की प्रभा के साथ मंदिर के द​क्षिण द्वार पर पहुंचे। यहां पर श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्य​​धिकारी विजय प्रसाद थपलियाल और अन्य कार्मिकों ने उनकी अगवानी की।

इसके उपरांत बीकेटीसी के सीईओ ने मंदिर के कपाटोद्घाटन की प्रक्रिया से अवगत कराया। सभी धार्मिक औपचारिकताओं और परंपराओं के निर्वहन के उपरांत सुबह सात बजे बृष लग्न पर भगवान श्रीकेदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए।कपाटोद्घाटन के समय लगभग 15 हजार श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद रहे। इसके उपरांत मदिर के गर्भगृह में मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने भगवान केदारनाथ को समा​धि रूप से जागृत किया और अन्य परंपराओं का निर्वहन किया। लगभग साढ़े आठ बजे से भक्तों को गर्भगृह के दर्शन कराए गए।

इस मौके पर जिला​धिकारी डॉ. सौरभ गहरवार, पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंड़े, उप जिला​धिकारी अनिल कुमार शुक्ला सहित बीकेटीसी के अ​धिकारी और अन्य गण्यमान्य मौजूद रहे।

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उत्तरकाशी, 30 अप्रैल (हि.स.)। अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर बुधवार को उत्तराखण्ड के दो प्रमुख तीर्थ स्थलों — गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इसके साथ ही वर्ष 2025 की चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोनों धामों में कपाटोद्घाटन अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से पहली पूजा संपन्न की। साथ ही देश और प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। यह पहला अवसर था जब कोई मुख्यमंत्री यमुनोत्री धाम के कपाटोद्घाटन में सशरीर शामिल हुआ हो। इस पावन अवसर पर दोनों मंदिरों के ऊपर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी की गई।

धार्मिक परंपराओं के अनुसार, बुधवार सुबह मां गंगा की उत्सव डोली भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर से चलकर गंगोत्री धाम पहुंची। गंगोत्री धाम में विशेष पूजा-अभिषेक के साथ पूर्वाह्न 10 बजकर 30 मिनट पर गंगोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गये। वहीं मां यमुना की डोली शनिदेव महाराज की अगुवाई में शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से चलकर यमुनोत्री धाम पहुंची। धार्मिक विधि- विधान के साथ पूर्वाह्न 11 बजकर 55 मिनट पर यमुनात्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए। कपाट खुलने के अवसर पर देश विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं ने अखंड ज्योति के दर्शन किये तथा गंगा और यमुना में स्नान कर पुण्य अर्जित किया।

गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाटोद्घाटन समारोहों में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मॉं गंगा एवं यमुना के मंदिरों में शीश नवाया और विशेष पूजा-अर्चना की । श्री धामी ने दोनों धामों में पहॅुची लोक देवताओं की डोलियों से भी आशीष प्राप्त किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया है। उत्तराखण्ड के चारधाम देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए आस्था के प्रमुख केन्द्र हैं और इन धामों की यात्रा का सौभाग्य प्राप्त करने की आकांक्षा हर श्रद्धालु के मन में रहती है।मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षित और सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा के लिए राज्य में व्यापक प्रबंध किये गये हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा और सुगमता को ध्यान में रखते सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास किये गये हैं। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा में श्रद्धालु को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिथि देवो भवः की पंरपरा के अनुसार हमारा प्रयास है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालु देवभूमि उत्तराखण्ड से दिव्य धामों के शुभाशीष के साथ ही यात्रा का सुखद अनुभव लेकर जाएं। मुख्यमंत्री ने ग्रीन और क्लीन चारधाम यात्रा के आयोजन के लिए सभी लोगों से सहयोग की अपील भी की है।

गंगोत्री धाम में कपाटोद्घाटन के अवसर पर विधायक सुरेश चौहान, गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल, सचिव सुरेश सेमवाल, पूर्व विधायक विजय पाल सजवाण, भाजपा जिलाध्यक्ष नागेंद्र चौहान, किशोर भट्ट, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट, पुलिस अधीक्षक सरिता डोबाल, अपर जिलाधिकारी पीएल शाह, उपजिलाधिकारी शालीन नेगी, देवानंद शर्मा आदि मौजूद थे।

यमुनोत्री धाम में कपाटोद्घाटन के अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी उत्तरकाशी एस.एल सेमवाल, उप जिलाधिकारी बृजेश कुमार तिवारी, यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष संजीव उनियाल, सचिव सुनील उनियाल खंड विकास अधिकारी नौगांव प्रकाश पंवार भी मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि चार धाम यात्रा के अंतर्गत गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट आज खुल गए हैं। शेष केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को और बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खुलेंगे।

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Chhapra: रामनवमी के अवसर पर रविवार को शहर में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यतर का आयोजन प्रत्येक वर्ष श्री जन्मोत्सव शोभा यात्रा समिति न्यास के द्वारा किया जाता है। शोभायात्रा पंकज सिनेमा के समीप स्थित मंदिर से शुरू हुई। जो दहियावाँ, थन चौक, साहेबगंज, सरकारी बाजार, मौना चौक, कचहरी स्टेशन रोड, योगिनिया कोठी, नगरपालिका चौक, बस स्टैन्ड, दरोगा राय चौक, भगवान बाजार, गुदरी, दौलतगंज, धर्मनाथ मंदिर, कटरा होते हुए पुनः पंकज सिनेमा के समीप पहुँच कर सम्पन्न होगा।    

शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और कार्यकर्ता शामिल हैं। ढोल नगाड़ों के साथ आकर्षक झाँकियाँ भी शामिल की गई हैं। आयोजन समिति के द्वारा शोभायात्रा के लिए कई महीने पूर्व से ही तैयारियां की जातीं हैं। जिससे इसे भव्य स्वरूप मिल सके।

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राम नवमी, यानी वो पावन दिन जब अयोध्या के राजा दशरथ के घर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। हर साल की तरह इस साल भी चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, लेकिन 2025 में ये दिन कुछ ज्यादा ही खास है। क्योंकि इस साल राम नवमी पर 3 दुर्लभ योग बन रहे हैं, जिन्हें शास्त्रों में बेहद शुभ और फलदायी माना गया है।

राम नवमी 2025 कब है?
तिथि आरंभ: 5 अप्रैल 2025, शाम 7:27 बजे
तिथि समाप्त: 6 अप्रैल 2025, शाम 7:24 बजे
राम नवमी मनाने की तिथि: 6 अप्रैल 2025 (शनिवार)
इस दिन चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन भी होगा, यानी मां दुर्गा की पूजा का समापन और श्रीराम के स्वागत का दिन। शक्ति और शांति का अद्भुत संगम।


क्या हैं वो 3 दुर्लभ योग जो इस दिन को बना रहे हैं बेहद शुभ?
रवि पुष्य योग
समय: 6 अप्रैल सुबह 6:18 बजे से 7 अप्रैल सुबह 6:17 बजे तक
इस योग में किया गया कोई भी कार्य कभी विफल नहीं होता। शास्त्रों के अनुसार यह खरीदारी, नया व्यापार शुरू करने और मंत्र सिद्धि के लिए सर्वोत्तम होता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग
समय: 6 अप्रैल को पूरे दिन
यह योग सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। कोई भी शुभ कार्य इस दिन किया जाए, वह सफल और फलदायी होता है।

सुकर्मा योग
समय: 6 अप्रैल को सुबह से शाम 6:55 बजे तक
यह योग कर्म और परिणाम को जोड़ता है। यानी मेहनत करने वाले को उसका फल जरूर मिलता है। इस दिन पढ़ाई, नौकरी, धन निवेश या संकल्प लेना विशेष फल देता है।

राम नवमी के दिन क्या करें?
(पूजा-विधान और नियम)

सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
रामचरितमानस का बाल कांड पढ़ें या सुनें — विशेष रूप से श्रीराम जन्म की चौपाइयां।
तुलसी के पत्तों पर 108 बार “श्रीराम” लिखकर उन्हें भगवान को अर्पित करें — ये साधना भक्त को श्रीराम की कृपा के बहुत करीब लाती है।
घर में कीर्तन, भजन या रामायण पाठ का आयोजन करें।
कुछ ना कुछ दान जरूर करें — जैसे अन्न, वस्त्र या किसी जरूरतमंद की मदद।
इस दिन को आत्मचिंतन, मौन और ध्यान के साथ बिताएं। खुद से जुड़ने और श्रीराम के आदर्शों को समझने का यही दिन है।

इस राम नवमी नई शुरुआत का प्रतीक

राम नवमी सिर्फ जन्मोत्सव नहीं है, बल्कि मर्यादा, संयम और धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा है।
इस साल बन रहे शुभ योग हमें इशारा कर रहे हैं कि जो भी शुभ कार्य शुरू करना हो, यह उसका सबसे सही समय है। चाहे नई नौकरी हो, बिजनेस, पढ़ाई में संकल्प, शादी की बात, या आध्यात्मिक साधना ये दिन हर शुरुआत के लिए बेस्ट मुहूर्त लेकर आया है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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जम्मू, 2 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां वैष्णो देवी धाम पूरी तरह भक्तिमय हो गया है। भवन परिसर, यात्रा मार्ग और आधार शिविर कटड़ा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। भक्तजन मां के जयकारे लगाते हुए टोलियों में माता के दरबार की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड और प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं जिससे भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो।

मां वैष्णो देवी की यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है और बिना आरएफआईडी यात्रा कार्ड के यात्रा की अनुमति नहीं है। इसको लेकर श्राइन बोर्ड ने कटड़ा में सभी पंजीकरण केंद्रों को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया है। ये केंद्र सुबह 4:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुले रहते हैं जहां श्रद्धालु आसानी से अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। कटड़ा के मुख्य बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, अंतरराज्यीय बस अड्डा, निहारिका भवन और कटड़ा हेलीपैड सहित विभिन्न स्थानों पर यात्रा पंजीकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा रात के समय ऑनलाइन पंजीकरण करने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दर्शन ड्योढ़ी और ताराकोट मार्ग के प्रवेश द्वार पर भी पंजीकरण केंद्र बनाए गए हैं।

मां वैष्णो देवी की यात्रा में श्रद्धालु अपने अनुसार विभिन्न तरीकों से यात्रा कर रहे हैं। कुछ भक्त लेटकर या दंडवत प्रणाम करते हुए यात्रा कर रहे हैं जबकि अन्य पैदल, घोड़े, पिट्ठू, पालकी, बैटरी कार, हेलीकॉप्टर और रोपवे का सहारा ले रहे हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तों की भक्ति का अनोखा नजारा देखने को मिल रहा है।

भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए श्राइन बोर्ड ने सभी सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित किया है। इनमें घोड़ा, पिट्ठू, पालकी, बैटरी कार सेवा, हेलीकॉप्टर सेवा और भवन से भैरव घाटी तक चलने वाली रोपवे केबल कार सेवा शामिल हैं। मौसम भी साफ रहने से श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही है।

श्राइन बोर्ड और प्रशासन ने यात्रा के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। यात्रा मार्ग को छह सेक्टरों में विभाजित किया गया है जिनमें कटड़ा आधार शिविर, बाणगंगा, अर्धकुंवारी, सांझीछत, हिमकोटी और भवन परिसर शामिल हैं। हर सेक्टर में श्राइन बोर्ड के डिप्टी सीईओ स्तर के अधिकारी और पुलिस अधिकारी तैनात किए गए हैं ताकि सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद बनी रहे। भवन परिसर और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए भवन परिसर में लगातार अनाउंसमेंट की जा रही है कि जो भक्त मां वैष्णो देवी के दर्शन कर चुके हैं, वे कटड़ा की ओर प्रस्थान करें ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और बाकी श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन का अवसर मिले।

चैत्र नवरात्रि के पहले तीन दिनों में सवा लाख से अधिक श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के दर्शन कर चुके हैं। प्रतिदिन 45,000 से 50,000 श्रद्धालु यात्रा के लिए कटड़ा पहुंच रहे हैं। पहले नवरात्रि (30 मार्च) को 48,802 श्रद्धालु पहुंचे, दूसरे नवरात्रि (31 मार्च) को 45,780 भक्तों ने दर्शन किए, तीसरे नवरात्रि (1 अप्रैल) को शाम 4 बजे तक 24,800 से अधिक श्रद्धालु पंजीकरण करवा चुके थे और यह संख्या लगातार बढ़ रही थी।

चैत्र नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और भक्तिमय माहौल ने मां वैष्णो देवी धाम को पूरी तरह आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया है। प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किए गए बेहतर प्रबंधों के चलते यात्रा सुगम बनी हुई है।

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