Chhapra: सारण जिले में स्थित नैनी मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और जन-जन की आस्था का केंद्र बन गया है। विशेष अवसरों जैसे निर्जला एकादशी और जन्माष्टमी के दौरान यहाँ भारी भीड़ उमड़ती ही है, लेकिन अब यहां बारहमासी श्रद्धालुओं का जो सैलाब उमड़ रहा है, वह अपने आप में विशेष है।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर में जुटने लगती है। लोग परिवार सहित आते हैं, पूजन-अर्चन करते हैं और प्रसाद चढ़ाकर सुख-शांति की कामना करते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर वर्ग के लोगों में आस्था की वही तीव्रता देखने को मिल रही है।
स्थानीय और बाहरी श्रद्धालुओं का संगम
नैनी मंदिर केवल छपरा या सारण जिले तक ही सीमित नहीं है। यहां राज्य के लगभग सभी जिलों से लोग दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की महिमा और वातावरण ऐसा है कि यह केवल एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक समागम का भी प्रमुख स्थल बन गया है।
मंदिर निर्माण में एक भी लोहे की वस्तु का नहीं हुआ इस्तेमाल
नैनी मंदिर श्रद्धा और आस्था का केंद्र तो बना ही है, साथ ही यह अपनी अनोखी निर्माण शैली के कारण भी विशेष चर्चा में रहता है। गौरतलब है कि इस मंदिर का निर्माण बिना ईंट, सरिया, सीमेंट और बालू के किया गया है, जो इसे आधुनिकता के इस दौर में भी विशिष्ट बनाता है। द्वारकाधीश मंदिर के पत्थरों को जोड़ने के लिए विशेष प्रकार के केमिकल का उपयोग किया गया है, और पत्थरों को जोड़कर स्थिर बनाए रखने के लिए इंटरलॉकिंग तकनीक (Interlocking Technique) का प्रयोग किया गया है। बता दें कि पूरे मंदिर में एक भी लोहे की वस्तु का उपयोग नहीं किया गया है। दरवाजों और चौखटों के निर्माण में लकड़ी के कील और गोंद का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, घुमावदार स्थानों पर दो पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे और पीतल की क्लिप्स का प्रयोग किया गया है।
गुजरात के विशिष्ट पत्थर से निर्मित है भव्य मंदिर
इस भव्य मंदिर के शिलान्यास से लेकर प्राण प्रतिष्ठा तक कुल 14 वर्षों का समय लगा। मंदिर का शिलान्यास 11 मई 2005 को किया गया था, और इसका विधिवत उद्घाटन वर्ष 2019 में संपन्न हुआ। इस मंदिर को विशेष रूप से गुजरात में पाए जाने वाले एक विशिष्ट पत्थर से निर्मित किया गया है, जो अपनी मजबूती और सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। निर्माण कार्य की जिम्मेदारी गुजरात के संवेदक मफत भाई पटेल (एम. बी. पटेल) के नेतृत्व में कार्यरत कुशल कारीगरों द्वारा निभाई गई, जिन्होंने अपनी उत्कृष्ट शिल्पकला से इस मंदिर को एक कलात्मक स्वरूप प्रदान किया।
कैसे पहुचें नैनी मंदिर
नैनी मंदिर छपरा-जलालपुर मुख्य मार्ग पर छपरा शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। जहां पहुँचने के लिए सड़क मार्ग से व्यवसायिक वाहन हर समय उपलब्ध रहते हैं।