Chhapra: सावन की दूसरी सोमवारी पर छपरा के बाबा धर्मनाथ धनी मंदिर समेत जिले के तमाम शिवालयों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखीं जा रहीं।

सुबह से ही श्रद्धालु जल, बेलपत्र और फूल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने मंदिरों में उमड़ पड़े हैं। भक्तों में उत्साह और भक्ति का अद्भुत समर्पण देखने को मिल रहा है।

मंदिर प्रांगण में सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद दिखा। स्काउट गाइड के बच्चों ने भी भीड़ प्रबंधन में मदद की।

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देहरादून, 18 जुलाई (हि.स.)। 19,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित कैलाश पर्वत के मानसरोवर यात्रा के पहले दल ने आज भगवान शिव के दर्शन किए। कैलाश की पहली झलक से श्रद्धालुओं की आंखों से अश्रु बह निकले और वे ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष करने लगे। इस दल में देश के 11 राज्यों से आए कुल 49 श्रद्धालु शामिल हैं।

यात्रा की शुरुआत दिल्ली से हुई, जो पिथौरागढ़, गूंजी और लिपुलेख होते हुए चीन के तकलाकोट तक पहुंची। दर्शन के बाद यात्री आज भारत लाैट आएंगे और अपनी यात्रा के फोटो भी साझा किए। यात्री नरेंद्र ने बताया कि यात्रा भले ही कठिन रही, लेकिन हर कदम पर भगवान शिव की ओर बढ़ना सुखद अनुभव रहा। उन्होंने कहा कि डोल्मा पास की चढ़ाई बेहद चुनौतीपूर्ण थी, कईयों को थकान और ऑक्सीजन की कमी हुई, लेकिन भक्ति और आस्था ने उन्हें हिम्मत दी।

यात्री ऊं नमः शिवाय का जप करते हुए आगे बढ़ते रहे। यात्री नागपाल ने बताया कि कैलाश दर्शन के बाद मानसरोवर झील के दर्शन हुए, जहां पवित्र जल में उभरते दृश्यों ने ऐसा अहसास कराया मानो हिमालय भी शिव के समक्ष नतमस्तक हो। झील के किनारे हवन-यज्ञ, दीप प्रज्ज्वलन और भोलेनाथ का आह्वान किया गया, साथ ही देश की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना की गई।

प्रथम दल के लाइजनिंग ऑफिसर संजय गुज्याल ने बताया कि सभी यात्री दर्शन के बाद स्वस्थ्य हैं और भारत की ओर लौट रहे हैं। वे अपने को सौभाग्यशाली मानते हुए ‘शिव-शिव’ का जाप कर रहे हैं।

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Srinagar, 17 जुलाई (हि.स.)। गांदरबल जिले में अमरनाथ यात्रा के बालटाल मार्ग पर हुए भूस्खलन में एक महिला तीर्थयात्री की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य घायल हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा कारणों से यात्रा को आज गुरुवार के लिए स्थगित कर दिया गया है।

घायलों को बालटाल बेस कैंप अस्पताल ले जाया गया

अधिकारियों ने बताया कि ऊपरी रेलपथरी के पास जड-मोड़ पर भूस्खलन हुआ, जिससे कई तीर्थयात्री बालटाल मार्ग से नीचे की ओर बह गए जो पवित्र गुफा की ओर जाता है। घायलों को बालटाल बेस कैंप अस्पताल ले जाया गया, जहां पहुंचने पर एक महिला को मृत घोषित कर दिया गया। मृतक महिला की पहचान राजस्थान निवासी सोना बाई के रूप में हुई है। अधिकारियों ने बताया कि आज जम्मू से पवित्र गुफा की ओर जाने वाले तीर्थयात्रियों के किसी भी नए जत्थे को यात्रा की अनुमति नहीं दी गई है। यात्रा मार्ग पर भूस्खलन और भारी बारिश को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

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Jammu, 17 जुलाई (हि.स.)। पिछले दो दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण पहलगाम और बालटाल दोनों आधार शिविरों से अमरनाथ यात्रा आज यानी गुरुवार के लिए स्थगित कर दी गई है। यह रोक ऐसे समय में लगाई गई है जब अधिकारी भारी बारिश से प्रभावित तीर्थयात्रियों के मार्गों पर तत्काल मरम्मत कार्य करवाने में जुटे हैं।

यह पहला अवसर है जब जम्मू से तीर्थयात्रा एक दिन के लिए रोकी गई है

Jammu and Kashmir जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पिछले दो दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण दोनों मार्गों पर मरम्मत कार्य करना जरूरी हो गया है। सीमा सड़क संगठन ने 18 जुलाई को दोनों आधार शिविरों से यात्रा शुरू होने से पहले काम पूरा करने के लिए अपने कर्मियों और मशीनों की तैनाती की है। इस वर्ष यह पहला अवसर है जब जम्मू से तीर्थयात्रा एक दिन के लिए रोकी गई है।

तीर्थयात्रा 18 जुलाई को फिर से शुरू होने की उम्मीद है

संभागीय आयुक्त कश्मीर विजय कुमार बिधूड़ी ने भी यात्रा स्थगित होने की पुष्टि की और कहा कि मौसम की स्थिति के आधार पर तीर्थयात्रा 18 जुलाई को फिर से शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण दोनों मार्गों पर तत्काल मरम्मत और रखरखाव कार्य किए जाने की आवश्यकता है इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि आज दोनों आधार शिविरों से पवित्र गुफा की ओर किसी भी प्रकार की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि पिछली रात पंजतरणी शिविर में रुके यात्रियों को बीआरओ और पर्वतीय बचाव दलों की पर्याप्त तैनाती के तहत बालटाल जाने की अनुमति दी जा रही है। दिन के दौरान मौसम की स्थिति के आधार पर यात्रा कल फिर से शुरू होने की पूरी संभावना है।

तीन जुलाई को तीर्थयात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 2.35 लाख से अधिक तीर्थयात्री बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं।

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Ujjain (Madhya Pradesh), 14 जुलाई (हि.स.)। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सात दिन में (13 जुलाई तक) 11 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। इस अवधि में सुबह छह बजे से रात्रि पट बंद होने तक कुल 11,06,270 भक्तों ने भगवान महाकालेश्‍वर के दर्शन किए। साथ ही लगभग 26,996 भक्तों ने भस्म आरती के दर्शन किए। यह जानकारी श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर प्रथम कौशिक ने दी।

उन्‍होंने कहा कि आज श्रावण माह के प्रथम सोमवार पर 4,498 श्रद्धालुओं ने श्री महाकालेश्वर भगवान की भस्म आरती में दर्शन किये। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने दर्शनार्थियों के लिए सुगम दर्शन की व्यवस्था की है। कौशिक ने कहा कि दर्शन, अन्य जानकारी एवं शिकायत के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर टोल फ्री नंबर 18002331008 पर संपर्क किया जा सकता है।

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Chhapra: सावन माह की पहली सोमवारी के पावन अवसर पर आज देशभर के शिवालयों में आस्था का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला।सुबह होते ही ‘हर हर महादेव’ और ‘बोल बम’ के जयघोषों से मंदिर परिसर गूंज उठे। हजारों श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए शिवालयों में उमड़ पड़े।

श्रद्धालुओं ने गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक किया और अपने परिवार व समाज की सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिरों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं, लेकिन व्यवस्था चाक-चौबंद रही।

स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए थे। महिला श्रद्धालुओं के लिए अलग लाइनें लगाई गई थीं और चिकित्सा शिविर भी लगाए गए थे।

एक स्थानीय श्रद्धालु ने कहा, “सावन की सोमवारी का विशेष महत्व है। भगवान शिव इस दिन विशेष कृपा करते हैं। जलाभिषेक करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।”

सोमवारी पर जलाभिषेक और व्रत का विशेष पुण्यफल मिलता है।

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Sawan Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, खासकर जब यह व्रत श्रावण मास (सावन) में पड़ता है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और ऐसे में प्रदोष व्रत का पुण्य और भी ज्यादा बढ़ जाता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, चाहे वो कृष्ण पक्ष की हो या शुक्ल पक्ष की। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा खास तौर पर प्रदोष काल (संध्या समय) में की जाती है। मान्यता है कि इस समय शिवलिंग पर जलाभिषेक और मंत्रों के जाप से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं।

सावन प्रदोष व्रत 2025 की तारीखें

इस साल सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस दौरान दो प्रमुख प्रदोष व्रत पड़ेंगे- 22 जुलाई 2025 (मंगलवार)- कृष्ण पक्ष त्रयोदशी भौम प्रदोष व्रत, 6 अगस्त 2025 (बुधवार)- शुक्ल पक्ष त्रयोदशी बुध प्रदोष व्रत। बता दें कि जब प्रदोष व्रत सोमवार को हो तो उसे सोम प्रदोष, मंगलवार को भौम प्रदोष और शनिवार को शनि प्रदोष कहा जाता है।

प्रदोष व्रत कैसे रखें, जानिए आसान विधि

  • सुबह स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के मंदिर या शिवलिंग के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें।
  • दिन भर फलाहार या केवल जल से उपवास रखें। कुछ श्रद्धालु निर्जल व्रत भी रखते हैं।
  • शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग का अभिषेक करें।

पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री

  • बेल पत्र
  • गंगाजल
  • दूध, दही, शहद, घी
  • भस्म, चंदन, धतूरा
  • फूल, दीप, धूपबत्ती
  • नैवेद्य (भोग) आदि

जाप करने के लिए प्रमुख मंत्र

ॐ नमः शिवाय (शिव पंचाक्षरी मंत्र)

महा मृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा, रुद्राष्टक, लघु रुद्र पाठ आदि

प्रदोष व्रत कब और कैसे खोलें?

प्रदोष व्रत का पारण (व्रत खोलना) अगले दिन सुबह किया जाता है

  • पहले स्नान करें
  • फिर शिव जी की पूजा करें
  • किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं या गरीबों को दान दें
  • इसके बाद व्रत खोलें

सावन प्रदोष व्रत 2025 शिव भक्ति का एक दुर्लभ अवसर है। जो भी श्रद्धा से इस दिन व्रत रखता है और नियमपूर्वक पूजा करता है, उसे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि सुख-समृद्धि और मानसिक शांति भी देता है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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Sawan 2025: सावन यानी श्रद्धा, तपस्या और शिवभक्ति का महीना। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन या श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लाखों भक्त व्रत रखते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं और शिवलिंग पर जल व बेलपत्र चढ़ाते हैं। 2025 में भी सावन का महीना भक्तों के लिए कई शुभ संयोग लेकर आ रहा है।

कब से शुरू हो रहा है सावन 2025?

इस साल सावन का आरंभ 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से होगा, जब आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि लगेगी। यह पवित्र महीना 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। यानी पूरे 30 दिन तक शिवभक्ति का पर्व मनाया जाएगा।

अलग-अलग राज्यों में सावन शुरू होने की तिथि

11 जुलाई से: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश

16 जुलाई से: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड (स्थानीय पंचांग अनुसार)

25 जुलाई से: महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु (दक्षिण भारत)

सावन सोमवार 2025 की तिथियां

इस महीने शिव भक्तों के लिए सबसे खास दिन होते हैं सावन के सोमवार। इस बार सावन में कुल 4 सोमवार पड़ेंगे। 

  • पहला सावन सोमवार: 14 जुलाई 2025
  • दूसरा सावन सोमवार: 21 जुलाई 2025
  • तीसरा सावन सोमवार: 28 जुलाई 2025
  • चौथा सावन सोमवार: 4 अगस्त 2025

कुछ भक्त इस महीने सोलह सोमवार व्रत भी करते हैं, जो जीवन में सुख-शांति और मनोकामना पूर्ति के लिए बेहद फलदायी माने जाते हैं।

सावन में पूजा-पाठ कैसे करें?

सावन के महीने में शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करना सबसे शुभ माना जाता है। पंचामृत में दूध, दही, शहद, घी, शक्कर और गंगाजल का मिश्रण होता है। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, आक, धतूरा, भांग, सफेद फूल, अक्षत (साबुत चावल) और इत्र चढ़ाएं।

  • दिन की शुरुआत स्नान और घर की सफाई से करें।
    शिवलिंग को जल अर्पित करें (जलग्रहण का शुभ समय: सुबह 5:33 से दोपहर 12 बजे तक)।
    पूरे दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करते रहें।
    शिव मंदिर जाकर दर्शन करें और व्रत रखें।

क्यों खास है सावन?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला था, तब भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में समाहित कर लिया था। उस दिन से लेकर पूरे सावन मास तक उनका पूजन कर उन्हें शीतल करने की परंपरा शुरू हुई। यही वजह है कि यह महीना शिवभक्ति के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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आज से भगवान शिव का पवित्र महीना सावन शुरू हो गया है। सावन के आते ही शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है। हर मंदिर में भगवान शिव के लिए खास शृंगार और भोग की व्यवस्था की गई है। साथ ही, श्रद्धालुओं की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

इस बार वर्ष सावन का पावन महीना 11 जुलाई, शुक्रवार से आरंभ हो चुका है, और इसका समापन 09 अगस्त 2025, शनिवार को होगा। इस बार सावन की शुरुआत के साथ ही कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बना देते हैं।

सावन सोमवार और शिव अभिषेक का महत्व

सावन महीने के सोमवार भगवान शिव की पूजा के लिए बेहद खास माने जाते हैं। इन दिनों शिवजी का अभिषेक करना बहुत ही शुभ और फलदायी होता है। इस समय रुद्राष्टक, शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना भी पुण्यदायी माना जाता है।

सावन का पहला सोमवार इस बार 14 जुलाई 2025 को पड़ेगा। इस दिन धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र रहेंगे।

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भागलपुर, 10 जुलाई (हि.स.)। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरुवार को सुल्तानगंज में श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। भागलपुर, बांका, मुंगेर, नवगछिया, पूर्णिया, कटिहार के साथ-साथ झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत कई राज्यों से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचे।

श्रद्धालुओं ने यहां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और जल भरकर कंधे पर कांवर लेकर 105 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पर निकल पड़े। बाबा बैद्यनाथ धाम जल चढ़ाने के लिए पूरा सुल्तानगंज इलाका केसरिया रंग में रंग गया। चारों ओर हर हर महादेव और बोल बम के जयकारे गुंजायमान हो उठा।

श्रद्धालुओं के उत्साह और उमंग को देखते हुए भागलपुर जिला प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतज़ाम किए गए हैं। ड्रोन से निगरानी, मेडिकल कैंप, जलपान की व्यवस्था और हर चौराहे पर तैनात सुरक्षाकर्मी व्यवस्था को संभाल रहे हैं। नमामि गंगे घाट पर श्रद्धालुओं की आस्था देखते ही बन रही थी। लोग घंटों इंतजार के बाद भी पूरे जोश और भक्ति के साथ गंगाजल भरने में लगे रहे।

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Jammu, 8 जुलाई (हि.स.)। श्री अमरनाथ यात्रा के लिए 7,500 से अधिक तीर्थयात्रियों का एक नया जत्था मंगलवार सुबह जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से रवाना हुआ।

अब तक 94,000 से अधिक तीर्थयात्री पूजा-अर्चना कर चुके हैं

अधिकारियों ने बताया कि 38 दिवसीय तीर्थयात्रा 3 जुलाई को घाटी से दो मार्गों अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबे नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबे लेकिन अधिक खड़ी चढ़ाई वाले बालटाल मार्ग से शुरू हुई थी। यात्रा 9 अगस्त को समाप्त होगी। उन्होंने बताया कि यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 94,000 से अधिक तीर्थयात्री श्री अमरनाथ गुफा में प्राकृतिक रूप से निर्मित शिवलिंग (हिमलिंग) की पूजा-अर्चना कर चुके हैं।

309 वाहनों में सवार होकर कश्मीर स्थित दोनों आधार शिविरों के लिए रवाना हुआ।

अधिकारियों ने बताया कि 5,516 पुरुषों और 1,765 महिलाओं समेत 7,541 तीर्थयात्रियों का सातवां जत्था कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आज तड़के 2.55 से 4.05 बजे के बीच भगवती नगर आधार शिविर से 309 वाहनों में सवार होकर कश्मीर स्थित दोनों आधार शिविरों के लिए रवाना हुआ।

उन्होंने बताया कि पहला काफिला 148 वाहनों में 3,321 तीर्थयात्रियों को लेकर गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग के लिए रवाना हुआ। इसके बाद 161 वाहनों में 4,220 तीर्थयात्रियों का दूसरा काफिला अनंतनाग जिले में 48 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम मार्ग से यात्रा कर रहा है।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा 2 जुलाई को जम्मू में यात्रा को हरी झंडी दिखाने के बाद से अब तक कुल 47,902 तीर्थयात्री जम्मू आधार शिविर से घाटी के लिए रवाना हो चुके हैं। पंजीकरण के लिए काउंटरों पर भारी भीड़ है। अधिकारियों ने काउंटरों की संख्या 12 से बढ़ाकर 15 कर दी है और साथ ही भीड़ को कम करने के लिए दैनिक कोटा 4,100 कर दिया है।

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Jammu,6 जून (हि.स.)। लगातार बारिश के बीच, 7,200 से अधिक तीर्थयात्रियों का एक नया जत्था रविवार को तड़के दक्षिण कश्मीर हिमालय में अमरनाथ मंदिर के लिए यहां आधार शिविर से रवाना हुआ। 3 जुलाई को शुरू हुई 38 दिवसीय वार्षिक तीर्थयात्रा ने रविवार को 50,000 का आंकड़ा पार कर लिया।

1,587 महिलाओं और 30 बच्चों सहित 7,208 तीर्थयात्रियों का पांचवां जत्था जम्मू से रवाना

अधिकारियों ने बताया कि 1,587 महिलाओं और 30 बच्चों सहित 7,208 तीर्थयात्रियों का पांचवां जत्था कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह 3:35 बजे से 4:15 बजे के बीच भगवती नगर आधार शिविर से दो अलग-अलग काफिलों में रवाना हुआ। 2 जुलाई के बाद से यह तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा जत्था था, जब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यहां से यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी। इसके साथ ही कुल 31,736 तीर्थयात्री जम्मू आधार शिविर से घाटी के लिए रवाना हो चुके हैं।

अधिकारियों ने बताया कि 147 वाहनों में 3,199 तीर्थयात्रियों को लेकर पहला काफिला गंदरबल जिले में छोटे लेकिन 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग के लिए रवाना हुआ, जिसके बाद 160 वाहनों में 4,009 तीर्थयात्रियों का दूसरा काफिला अनंतनाग जिले में 48 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम मार्ग से यात्रा पर निकला। तीर्थयात्रियों ने रातभर जम्मू के बड़े हिस्सों में हुई भारी बारिश का सामना किया। अधिकारियों के मुताबिक 3 जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 50,000 से अधिक तीर्थयात्री 3,880 मीटर ऊंचे अमरनाथ गुफा मंदिर के दर्शन कर चुके हैं।

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