Chhapra: सरस्वती पूजा को मनाने को लेकर उत्साह देखा जाता है. खासकर युवाओं में पूजा को लेकर उत्साह होता है. पूजा की तैयारियों में इन दिनों सभी जुटे है.

शिक्षण संस्थानों, पूजा पंडालों और घरों में सरस्वती पूजा को लेकर तैयारी की जा रही है. मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए है.

छपरा शहर के श्यामचक में मूर्तिकारों के यहाँ मूर्ति ख़रीदने और अपनी मूर्ति को ली जाने के लिए युवा अब जुटने लगे है. छपरा में निर्मित इन मूर्तियों को पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के बलिया, गोरखपुर आदि ज़िलों से लोग ख़रीदने पहुँचते है.

30 को मनायी जाएगी सरस्वती पूजा
इस साल सरस्वती पूजा 30 जनवरी को मनायी जाएगी. पूजा को लेकरशहर के बाज़ारों में भी रौनक़ देखने को मिल रही है. पूजा से जुड़े सामानों की दुकानों के साथ फल मंडी में लोग ख़रीदारी के लिए पहुँच रहे है.

स्कूलों और कोचिंग संस्थानों में ख़ास तैयारी
सरस्वती पूजा मनाने को लेकर स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों, कोचिंग में ख़ास तैयारी की जा रही है. कई स्कूलों के बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाती है. जिसे लेकर बच्चे तैयारी में जुटे है.

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Chhapra (Dharm Desk): माघ कृष्ण पंचमी बुधवार 15 जनवरी काे मकर संक्रांति पर 10 घंटे पुण्यकाल का संयाेग है. नए साल की शुरुअात भी बुधवार से हुई थी थी अाैर संक्रांति भी बुधवार काे है. बुधवार के अधिपति देव बुध हैं. बुध के अाधिपत्य में अाने वाले शिक्षा, सेना, श्रम, कला, शिल्प, साहित्य अाैर कृषि से जुड़े लाेगाें काे सफलता मिलेगी. मकर संक्रांति का संयाेग बनने से साैम्यायन संक्रांति का पुण्य काल सुबह 8.24 से 6.42 बजे तक रहेगा. अाठ घंटे में उत्तरायण हाे रहे सूर्य की पूजा, नदियाें में स्नान, देव दर्शन व दान-पुण्य से विशिष्ट फल मिलेगा.

ज्याेतिषाचार्याें के अनुसार मकर संक्रांति का वाहन खर, उप वाहन मेढ़क हाेने से सीमा पार युद्ध की स्थिति बन सकती है. इस बार एक संयाेग यह भी बन रहा है कि संक्रांति की अवस्था तरुण हाेने से युवाअाें में उत्साह रहेगा अाैर उन्हें राेजगार के नए अवसर मिलेंगे.

इस बार संक्रांति का राशियों पर असर

मेष: ज्ञान में बढ़ाेतरी,
वृषभ: लाभ के साथ घर में कलह भी,
मिथुन: शुभ फल की प्राप्ति, कर्क: सुख संताेष,
सिंह: धन लाभ,
कन्या: शारीरिक कष्ट,
तुला: व्यापार में लाभ,
वृश्चिक: इस्ट सिद्धि व संताेष, धनु: सम्मान प्राप्ति,
मकर: तनाव, यात्रा,
कुंभ: धन लाभ व सुख
मीन: असंताेष.

आचार्य हरेराम शास्त्री के अनुसार मकर संक्रांति के दिन काे तिला संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन से सूर्य उत्तरायण हाे जाते हैं अाैर देवताअाें का प्रात:काल भी अारंभ हाेता है. सत्यव्रत भीष्म ने भी बाणाें की शैय्या पर रहकर मृत्यु के लिए मकर संक्रांति की प्रतीक्षा की थी. मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में मृत्यु हाेने के बाद माेक्ष की प्राप्ति सुगम हाेती है. इसी दिन से प्रयाग में कल्पवास का भी अारंभ हाेता है. शास्त्राें में माता गायत्री की उपासना के लिए इससे बढ़कर अाैर काेई समय नहीं बताया गया है. तिल, गुड़ व वस्त्र दान से ग्रहाें का दुष्प्रभाव कम इस बार संक्रांति के हाथ में केतकी का फूल रहेगा. पुष्प दर्शाता है शिव अाराधना से लाभ हाेगा.

राजनीतिक हलचल तेजी हाेगी. तिल, गुड़ व वस्त्र दान से अनिष्ट ग्रहाें का दुष्प्रभाव कम हाेगा. 2019 में भी 15 जनवरी काे मकर संक्रांति थी. 2020 में भी 15 जनवरी काे मकर संक्रांति मनेगी. 2016 में संक्रांति 15 काे मनाई गई थी. संक्रांति माघ कृष्ण पक्ष की पंचमी पर सिंह में चंद्र, कुंभ लग्न व पूर्वा फाल्गुनी व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में मनेगी. 2021 में 14 जनवरी को मनेगी मकर संक्रांति आचार्य हरेराम शास्त्री की माने तो अगले साल यानि 2021 में 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनायी जायेगी. इस संवत में अधिकमास होने की वजह एवं खगोलीय ज्योतिष कालचक्र के कारण 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनेगी.

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Chhapra: मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा. जिसको लेकर शहर के विभिन्न बाजारों में लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं. तील-तिलकुट, दूध-दही की दुकानों पर खरीदारी के लिए काफी भीड़ हो रही है. कई दुकानों पर अभी सही सामान नहीं मिल रहा है.

शहर के मौना चौक, गुदरी बाजार, साहेबगंज चौक आदि जगहों पर चूड़ा, तिलकुट, गुड़ आदि की खरीदारी जमकर हो रही है. खरीदारी को लेकर हुई भीड़ से दिनभर जाम का नजारा देखने को मिल रहा है. वही शहर के विभिन्न इलाकों में ठेले पर भी लोग खरीदारी कर रहे हैं.

तिलकुट 130 रुपये से लेकर 220 रुपये तक मिल रहा है. वहीं तील दो सौ से लेकर 230 रुपये किलो तक मिल रहा है. गुड़ का तिलकुट 160 रुपये से लेकर 180 रुपये तक मिल रहा है. चूड़ा 30 रुपये किलो, गुड 40 रुपये किलो और बासमती का चूड़ा 100 रुपये किलो तक मिल रहा है.

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Chhapra: क्रिसमस को लेकर शहर के गिरजाघरों को सजाया गया है. क्रिसमस पर छपरा शहर के डाकबंगला रोड स्थित गिरजाघर में सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर प्रार्थना सभा का आयोजन होगा. इसको लेकर गिरजाघर में तैयारी पूरी कर ली गयी है. वही मिशन कंपाउंड स्थित गिरजाघर में भी तैयारी की गयी है.  

गिरजाघर को आकर्षक तरीके से सजाया गया है. प्रभु ईसा मसीह की जयंती को लेकर गिरजाघर में तैयारी की गयी है. प्रार्थना के लिए पहुँचाने वाले लोगों को झांकी भी एखाने को मिलेगी जिसके माध्यम से गौशाला में प्रभु ईसा मसीह के जन्म और माता मरियम को दिखाया गया है.

क्रिसमस या  बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है. यह 25 दिसम्बर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व मे अवकाश रहता है. क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है.

यहाँ देखिये गिरजाघर का आकर्षक VIDEO

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Chhapra: शहर के रामलीला मठिया स्थित श्रीचित्रगुप्त मंदिर के प्रांगण में रविवार को श्री इंद्र चित्रगुप्त ट्रस्ट का वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने कहा कि भारत के निर्माण में कायस्थ समाज का अतुनीय योगदान है. कायस्थ को अपने इतिहास को हमेशा याद रखना होगा. देश के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर भारत के निर्माण में कायस्थ समाज के लोगों ने निस्वार्थ भाव से कार्य किया है. लेकिन वर्तमान में राजनीति दल अपनी क्षमता के आधार पर राजनीति हक नहीं दे रही है. जिसका मुख्य कारण हमारी एकता में कमी है. अपनी प्रतिभा एवं नेतृत्व क्षमता का लाभ समाज के अंतिम आदमी तक नहीं पहुंच पा रहा है. अपनी एकता को मजबूत से पेश करने की जरूरत है.


कायस्थ समाज के आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े हुए लोगों को सहयोग करने की जरूरत है. देश के अन्य प्रदेशों में श्री चित्रगुप्त पूजा में सार्वजनिक अवकाश रहता है लेकिन बिहार में अवकाश नहीं होता है. राज्य सरकार को भी अवकाश की घोषणा करनी चाहिए.

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सामूहिक सह भोज का आयोजन किया गया. सम्मेलन की अध्यक्षता अध्यक्ष दुर्गेश नारायण सिन्हा ने की. इस मौके पर महासचिव विमल कुमार वर्मा, सुरेश प्रसाद श्रीवास्तव, नागेंद्र कुमार वर्मा, जर्नादन प्रसाद श्रीवास्तव, शिवशंकर वर्मा, सुभाष चंद्र श्रीवास्तव, राकेश नारायण सिन्हा, अभिषेक रंजन, अभय कुमार श्रीवास्तव, हरिकिशोर प्रसाद श्रीवास्तव, हरिशंकर प्रसाद श्रीवास्तव, गुंजेश्वर कुमार वर्मा, प्रमाेद रंजन सिन्हा, मनोज कुमार, अनिता कुमारी, योगेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे.

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Rivilganj: कार्तिक पूर्णिमा के दिन रिविलगंज के गंगा, सरयू नदी में स्नान का अलग ही महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर महर्षि गौतम और श्रृंगी की भूमि पर प्रत्येक वर्ष मेला लगता है. दिन प्रतिदिन मेले की ख्याति जरूर बढ़ी है साथ ही साथ इससे जुड़े तथ्यों के आधार पर लोगो की भीड़ भी बढ़ी है. लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस मेले का स्वरूप नही बदला.

प्रतिवर्ष उद्घाटन के दौरान जिला प्रशासन और राजनीतिक वक्ताओं द्वारा विकास को लेकर लाख दावे किए जाते है लेकिन बावजूद इसके यह मेला अब सिमटता जा रहा है.

गोदना-सेमरिया मेलें में दिखती है सामाजिक सांस्कृतिक झलक 
यहाँ आने वाले लोग और सामाजिक सांस्कृतिक की झलक गोदना-सेमरिया मेलें में ही देखने को मिलती है. मोक्ष दायिनी गंगा एवं मानस नंदिनी सरयू नदी के पावन पवित्र संगम तट पर अवस्थित नगर पंचायत रिविलगंज का इतिहास काफी पुराना है. इस क्षेत्र का वर्णन धार्मिक ग्रंथो में विद्यमान है.

रिविलगंज मुगलकाल एवं ब्रिटिश काल में प्रमुख व्यवसायिक केंद्र के रूप में चर्चित था. गोदना सेमरिया के नाम से प्रसिद्ध इस मेले के संदर्भ में अनेकों दंत कथा एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार न्याय शास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम ऋषि की पत्नी आहिल्या का उद्धार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम द्वारा जनकपुर जाने के क्रम में किया गया था. उसी दिन से यहाँ से जाने के साथ ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन से मेला लगता है.

स्थानीय बुजुर्ग बताते है कि यहां भगवान श्रीराम ने अपने चरण रज से आहिल्य्या का उद्धार किया था. जिसके कारण यहां की महत्ता आज भी बरकरार है. यह क्षेत्र हनुमान जी के ननिहाल से भी जाना जाता है. इसके अलावे भगवान श्री राम समेत तीनों भाईयो के अवतार से जुड़ी हुई है. राम चरित मानस में इसकी चर्चा है कि सरयू नदी के घाट पर ही वेदज्ञ महर्षि ऋषि राज श्रृंगी ऋषि ने पुत्रेश्टियज्ञ कराया था इस को लेकर भी यह मेला लगता है.

जिसके कारण लाखो श्रद्धालु मोक्ष की प्राप्ति हेतु पवित्र स्नान कर दान पुण्य एवं पूजा अर्चना करते है. कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पूर्व श्रद्धालु आकर यहाँ कल्पवास करते है तथा अगले दिन नदी में स्नान करते है.

जिला प्रशासन द्वारा नगर पंचायत के सौजन्य से यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रात्रि विश्राम, शौचालय, रौशनी की व्यवस्था की जाती है. लेकिन धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार ना होने से इसके प्रति लोगो का आकर्षण कम है.

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Chhapra: हजरत मोहम्मद साहब की जयंती के अवसर पर शहर में शांतिपूर्ण तरीके से नात शरीफ पढ़ते हुए जुलूस निकाली गई. जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए.

जुलूस शहर के खनुआ से निकलकर थाना चौक, महमूद चौक, हॉस्पिटल चौक, दरोगा राय चौक, भरत मिलाप चौक तक गयी.

जुलूस में मुख्य रूप से मोहम्मद गुलाम सरवर, रियाजुद्दीन, मोहम्मद तबरेज, नईमुद्दीन, जावेद, छोटू, राजा, नसीम, मोहम्मद परवेज आदि शामिल थे.

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Chhapra: ईद-मिलाद-उन-नबी 10 नवंबर को मनाया जाएगा. मुसलमानों के इस त्योहार को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म की खुशी में मनाया जाता है. पैगंबर हजरत मोहम्मद आखिरी संदेशवाहक और सबसे महान नबी माने जाते हैं, जिन को खुद अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल द्वारा कुरान का सन्देश दिया था.

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस्‍लाम के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख, 571 ईं. के दिन ही मोहम्मद साहेब जन्मे थे. पैगंबर मोहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था. उनका जन्म सऊदी अरब के मक्का शहर में हुआ. इनके पिता का नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब और माता का नाम बीबी अमिना था.

उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया. हजरत मोहम्मद ने 25 साल की उम्र में खदीजा नाम की विधवा से शादी की. उनकी एक बेटी बीवी फातिमा का अली हुसैन से निकाह हुआ.

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Chhapra: आस्था के महापर्व छठ उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ संपन्न हो गया . व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रख अर्घ्य दिया. उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद सभी ने पारण किया और प्रसाद वितरण किया.

 पारंपरिक लोक गीतों के साथ महिलाओं ने छठ घाटों पर कोशी भरा. अहले सुबह लोग छठ पूजा घाटों पर पहुंचे. पहले कोशी भरने की परंपरा को पूरा किया गया.

इस दौरान घाटों पर अलौकिक दृश्य देखने को मिला. सभी छठ महापर्व में लीन दिखे. व्रतियों को घाटों पर लाने उन्हें कोई कष्ट ना हो इसके लिए खास इंतजाम किये गए थे.

पूजन सामग्री का हुआ वितरण
शहर के पूजा घाटों पर दूध, पुष्प, अगरबत्ती आदि का वितरण भी पूजा समितियों के द्वारा किया गया.

खूब ली गयी सेल्फी
छठ पूजा में दूर दूर से अपने शहर पहुंचे लोगों ने घाटों पर अपनों के साथ खूब मस्ती की और इस दौरान सेल्फी का भी दौर चला.

सुरक्षा को लेकर पूजा समितियां रही सजग
महापर्व के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पूजा समितियों ने अपने स्तर से व्यापक इंतजाम किये थे. पूजा समितियों के स्वयंसेवक लगातार लोगों पर ध्यान दे रहे थे. लाउडस्पीकर के माध्यम से जरुरी निर्देश दिए जा रहे थे. वही घाटों पर गोताखोर और नाव की व्यवस्था भी की गयी थी.

छपरा टुडे डॉट कॉम की टीम भी शहर के विभन्न घाटों पर मौजूद रही और आपतक वीडियो, LIVE और तस्वीरों को पहुँचाया. हमारा यह प्रयाश आपको कैसा लगा बताइयेगा ज़रुर. अपने feedback आप हमें chhapratoday@gmail.com पर भेज सकते है.


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Chhapra: महापर्व छठ की अलौकिक छटा छपरा शहर समेत सभी पूजा घाटों पर देखने को मिली. छठ के पावन पर्व में शामिल होने अपने घर पहुँचे लोगों ने धूमधाम से छठ पूजा मनाया.

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घाटों को सजाया संवारा गया था. सिर पर दउरा लेकर लोग छठ घाटों पर पहुँचे. महापर्व की महिमा को देखते हुए आम से लेकर ख़ास लोगों ने छठ पूजा किया.

महाराजगंज के सांसद ने किया छठ
महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने छठ किया. वे लगातार कई वर्षों से महापर्व छठ करते आ रहे हैं. इस बार भी उन्होंने जलालपुर मेन छठ के अवसर पर अर्घ्य दिया. सांसद श्री सिग्रीवाल ने ट्विटर पर लिखा कि

“अपने पैतृक गाँव में अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया. छठी मईया से प्रार्थना है कि सभी देशवासियों को आशीर्वाद प्रदान करें। जय छठी मईया की.”

 


मेयर ने किया छठ
छपरा नगर निगम की मेयर प्रिया देवी ने भी महापर्व छठ किया. उन्होंने इस अवसर पर छपरा के लोगों को शुभकामनाएँ दी. साथ ही सभी के लिए आशीर्वाद माँगा.

इसके साथ ही कई और ख़ास लोगों ने छठ पर्व किया जिनमे छपरा बार एसोसिएशन के महामंत्री रविरंजन सिंह आदि प्रमुख रूप से शामिल है.

छठ एक ऐसा पर्व है जिसमे सभी मिल जुल के मनाते है. इस कारण से ही ये महापर्व है. छठ पूजा की महिमा अब सात समंदर पर तक पहुंच रही है. जो जहां है वहीं इस पर्व को अपनी शक्ति के अनुसार करता है.

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Chhapra: सूर्य उपासना के तीसरे दिन व्रतियों ने नदी घाट, तालाब एवं सरोवरों में खड़ा होकर अस्ताचलगामी भगवान को अर्घ्य दिया. व्रतियों ने पानी मे खड़ा होकर हाथ मे कलसुप और उसमे ईख, नारियल, नीबू, फल, फूल और ठेकुआ का भगवान का अर्घ्य दिया और परिवार को शुभ शांति एवं समृद्धि की कामना की.

अस्तचलगामी भगवान को अर्घ्य देने के लिए व्रतियों द्वारा सुबह में पकवान बनाया गया. दोपहर बाद व्रती परिवार के सदस्यों के साथ माथे पर दउरा लिए नदी घाट, सरोवर, तालाब पहुंचे. कइयों ने अपनी मन्नत के अनुसार लेट कर तथा गाजे बाजे के साथ नदी घाट पहुंचे और सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया.

महापर्व छठ को लेकर शहर से सटे सीढ़ी घाट, नेवाजी टोला, धर्मनाथ मंदिर, इनई, रिविलगंज, डोरीगंज और मांझी के दर्जनों घाट पर साफ सफाई और लाइटिंग की व्यवस्था आयोजकों द्वारा की गई थी.

महापर्व छठ में कोठयाँ के सूर्य नारांव मंदिर में हजारों व्रती भगवान को अर्घ्य देने पहुंचे.

व्रती चौथे दिन की उपासना में रविवार को भगवान भाष्कर को अर्घ्य देगी.

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Bihar: आस्था के महापर्व छठ की छटा आम से लेकर खास तक दिख रही है. बिहार में जन्मे बसे और लगाव रखने वाले हरएक के लिए यह पर्व खास होता है. इस पर्व को मनाने के लिए, देखने के लिए और इसमें शामिल होने के लिए देश ही नही विदेशों से भी लोग अपने आप खिंचे चले आते है. आस्था के इस महापर्व में हर कोई अपनी अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर सेवा भाव मे जुट जाता है.

पत्रकारिता जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले एक दर्जन से अधिक पत्रकार भी इस महापर्व में शामिल होने अपने घर आते है.

इस बार एनडीटीवी के रविश कुमार आपने घर पहुंचे है. लंबे अर्से बाद छठ में घर आने की कसक उनके सोशल मीडिया पर दिख रही है. लोगो से मिलना, गांव जवार की बाते, ठेठ देशी अन्दाज में बतियाने वाले रवीश कुमार का मिट्टी से अलग ही जुड़ाव देखने को मिल रहा है.

छठ पर्व के पहले अर्घ्य के दिन उन्हें दउरा उठाने का मौका मिला. लेकिन इसे उठाने के पहले ही उन्हें एक बार फिर अपने को साबित करना पड़ा. इस बात को लेकर रवीश कुमार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है कि “छठ में गाँव आया हूँ . घर के लोग मेरी परीक्षा ले रहे थे कि मैं दौरा उठाऊँगा की नहीं. नंगे पाँव चलूँगा कि नहीं. सबको ग़लत साबित कर दिया. कितनी निगाहों और इम्तहानों से मेरी ज़िंदगी गुज़रती है, ख़ुद को उन सबसे मुक्त रखता हूँ लेकिन नंगे पाँव चलकर लोगों की तकलीफ़ को महसूस किया और दौरा उठा कर उस भार को जी लिया जो सबके हिस्से आता है. लोक पर्व में लोक होना पड़ता है. बहुत आनंद आया. आप सभी को छठ की बधाई. मुझे ज़मीन पर रखने के लिए भी शुक्रिया.”.

बेशक इन शब्दों ने बिहार और बिहारियों की कर्मठता, छठ के प्रति आस्था और शारीरिक क्षमता को बल दिया है. वास्तव में यह महापर्व छठ देश के कुछ लोगो के लिए भले ही एक पर्व त्यौहार हो लेकिन इसका महत्व सिर्फ बिहार और बिहारी जान सकते है.

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