जम्मू: बाबा अमरनाथ की यात्रा 28 जून से शुरू होकर 22 अगस्त को संपन्न होगी। इस बीच बाबा अमरनाथ यात्रा के दौरान सबसे अधिक कुल 116 लंगर लगाए जाएंगे। 
यात्रा के दो मार्ग बालटाल और चंदनवाड़ी हैं। बालटाल में 25 और चंदनवाड़ी में 6 लंगर लगाए जाएंगे। यात्रा के दौरान लंगर यात्रा मार्ग पर लखनपुर से लेकर पवित्र गुफा तक लगेंगे। यात्रा के लिए एडवांस पंजीकरण एक अप्रैल से शुरू हो जाएगा। इसी बीच अमरनाथ यात्रा लंगर आर्गेनाइजेशन के महासचिव राजन गुप्ता ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर व अन्य राज्यों से शिव भक्त लंगर लगाते हैं। लंगर लगाने को लेकर भारी उत्साह बना रहता है। करीब पचास फीसदी लंगर लगाने वाले पंजाब होते हैं और अन्य राज्यों से भी लंगर लगाने के लिए बढ़ी संख्या में लोग आते हैं। 
उन्होंने कहा कि जैसे ही बोर्ड से लंगर वालों को अनुमति मिल जाएगी तो लंगर लगाने की तैयारियां शुरू हो जाएगी। हमने कुछ मांगे बोर्ड के समक्ष रखी हुई हैं जिसमें प्रतिबंधित किए गए लंगर वालों से प्रतिबंध हटाया जाए, बैलेंस शीट मांगने का नया नियम वापिस लिया जाए आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि लंगर वाले तो बोर्ड का काम कर रहे हैं। निस्वार्थ भाव से लंगर लगा रहे हैं। लंगर वाले श्रद्धालुओं को ठहराने और चिकित्सा सुविधा के भी प्रबंध करते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार

 

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Chhapra: डॉ एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रीय शांति अमन सेना व सारण इमाम काउंसिल के संयुक्त तत्वाधान में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समाज के बुद्धिजीवियों द्वारा वसीम रिजवी का पुतला दहन किया गया.

गुरुवार को शहर के नगरपालिका चौक पर आयोजित पुतला दहन कार्यक्रम में वसीम रिजवी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाकर उसे जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का आह्वान किया गया.

कार्यक्रम के संयोजन कर रहे एस रजा खान छपरहवी ने कहा कि वसीम रिजवी ने राष्ट्र की शांति भंग करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति से गुजारिश की है कि जल्द से जल्द शांति व्यवस्था बनाए रखने को लेकर वसीम रिजवी को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे किया जाए. पुतला दहन करने वालों में मुख्य रूप से सियाराम सिंह अधिवक्ता सहित कई अन्य शामिल थे.

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Chhapra: महाशिवरात्रि के अवसर पर जलाभिषेक को लेकर शिवभक्त शिवालयों में पहुंचे.

महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु अहले सुबह से ही जलाभिषेक को मंदिर में पहुंचने लगे थे.

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महाशिवरात्रि पर प्रभुनाथ नगर स्थित शिव शक्ति मंदिर, बाबा हरिहरनाथ मंदिर, बाबा मनोकामना नाथ मंदिर, सिल्हौरी मंदिर समेत तमाम शिवालयों में भक्तगण ने जलाभिषेक किया.

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Chhapra: महाशिवरात्रि के अवसर पर जिले के शिवालयों में जलाभिषेक को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक छपरा के बाबा धर्मनाथ धनी मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां की गई हैं. महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु आहले सुबह से ही जलाभिषेक को मंदिर में पहुंचते हैं जिससे भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. इसके मद्देनजर प्रशासन और मंदिर समिति के द्वारा तमाम तैयारियां की जा रही है.

प्रशासन के कोविड-19 दिशा निर्देशों के मद्देनजर मंदिर प्रशासन भक्तों के जलाभिषेक को लेकर तैयारी कर रहा है.

वहीं दूसरी ओर हर बार शहर में निकलने वाले शिव विवाह शोभा यात्रा को इस बार स्थगित कर दिया गया है. आयोजन समिति का कहना है कि प्रशासन के द्वारा जिस तरह के दिशा निर्देश शोभा यात्रा निकालने पर लगाए गए थे उसमें शोभायात्रा निकाल पाना संभव नहीं था. जिस कारण से इस आयोजन को इस साल स्थगित किया गया है. आने वाले साल में इसे और भव्य तरीके से किया जाएगा.

महाशिवरात्रि पर प्रभुनाथ नगर स्थित शिव शक्ति मंदिर, बाबा हरिहरनाथ मंदिर, बाबा मनोकामना नाथ मंदिर, सिल्हौरी मंदिर समेत तमाम शिवालयों में भक्तगण जलाभिषेक करने पहुंचेंगे.

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Chhapra: राधे कृष्ण हनुमत महादेव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा हेतु राधे, कृष्ण, महादेव, हनुमान जी की मूर्तियों को नगर भ्रमण कराया गया. इसमें आयोजन समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद राय और नगर भ्रमण प्रभारी अजय कुमार यादव सहित जनप्रतिनिधि और मीडिया प्रभारी अभय राय ‘मुनचुन’ और सुरक्षा प्रभारी मंटू राय, चंदन यादव और अन्य भारी संख्या में गांव समाज के लोग शामिल हुए.

राधे कृष्ण हनुमत महादेव मंदिर से शुरू हुए प्राण प्रतिष्ठा के भ्रमण हेतु देव मूर्तियों की नगर भ्रमण शोभायात्रा की शुरूआत राधे कृष्ण हनुमत महादेव मंदिर सह 11 दिवसीय महारुद्र यज्ञ के परिसर से ध्वज ध्वजा पूजन और साथ हुई. सबसे आगे धर्म ध्वजा, उसके पीछे धार्मिक धुनें गाता बैंड बाजा और फूल मालाओं और बेल पत्रों से सुशोभित वाहनों पर शिव परिवार, बजरंगबली हनुमान, राधा कृष्ण विराजमान रहे. इनके साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु नाचते गाते और कीर्तन करते हुए चल रहे थे. सबसे पीछे झाँकी की शानदार प्रस्तुति किया जा रहा था.
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Ayodhya: राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर है. आलम यह है कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा चलाए जा रहे समर्पण अभियान के दौरान लोग भारी मात्रा में दान कर रहे हैं. हालात ये हो गए हैं कि खुद मंदिर निर्माण का कार्य कर रही श्री राम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट ने लोगों से और दान करने के लिए मना कर दिया है. हालांकि, यह मनाही सिर्फ चांदी के ईंटों के लिए किया गया है.

रामभक्त चांदी के ईंटों को दान जमकर कर रहे हैं. अभी तक करीब 400 किलो चांदी की ईंटें मिल चुकी हैं. इसको लेकर ट्रस्‍ट के सदस्‍य डॉ. अनिल मिश्र का कहना है कि इतनी चांदी की ईंटें हो गई हैं कि उन्‍हें सुरक्षित रखने की समस्‍या खड़ी हो गई. बैंक लॉकर्स भर गए हैं. ऐसे हम अपील करते हैं कि और ईंट का दान न करें.

एक ओर जहां ट्रस्ट के पास चांदी की ईटें रखने की जगह नहीं है, तो वहीं अयोध्या से चांदी की शिला दान करने की खबर सामने आई है. जानकारी के मुताबिक, हाल ही में  आंबेडकर महासभा ट्रस्ट ने दलित समाज की ओर से राम मंदिर निर्माण के लिए चांदी की शिला का दान किया है.

राम मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश से दान दाताओं की संख्या बढ़ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,  पूरे देश से अबतक 1600 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिल चुका है. इसके लिए स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों से समर्पण राशि ले रहे हैं. वहीं, लोगों की सुविधा के लिए ऑनलाइन भी दान देने की सुविधा दी गई है. इसके अलावा निर्माण की बात करें, तो नींव की खुदाई का काम शुरू हो गया है. बताया जा रहा है कि 39 महीने में राम मंदिर निर्माण पूरा कर लिया जाएगा.

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Chhapra: विद्या की देवी सरस्वती के उपासना का त्योहार बसंत पंचमी धूमधाम से मनाया जाता है. बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्‍वती का जन्‍म हुआ था इसलिए इस दिन सरस्‍वती पूजा का विधान है. भारत में छह ऋतुएं होती हैं लेकिन बसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. इस दौरान मौसम सुहाना हो जाता है और पेड़-पौधों में नए फल-फूल पल्‍लवित होने लगते हैं.

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्‍योहार हर साल माघ मास शुक्‍ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी 2021 को है.

बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर युवाओं में खासा उत्साह देखने को मिलता है. सरस्वती पूजा के लिए मूर्तियों की खरीदारी से लेकर उसकी सजावट तक ले लिए युवा काफी उत्साहित दीखते है. पूजा के लिए शैक्षणिक संस्थानों समेत अन्य स्थानों पर मूर्ति स्थापित की जाती है और पंडाल का निर्माण भी होता है. पूजा की तैयारी में युवा काफी समां पहले से जुट जाते है. मूर्तियों की बुकिंग और फिर उन्हें स्थापित कर के पूजा आराधना करते है.

कड़कड़ाती ठंड के बाद प्रकृति की छटा देखते ही बनती है. बसंत पंचमी के दिन बसंत ऋ‍तु का आगमन होता है. ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्‍व है. हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को सुहाना बना देती है. यह ऋतु सेहत की दृष्टि से भी बहुत अच्‍छी मानी जाती है. मनुष्‍यों के साथ पशु-पक्ष‍ियों में नई चेतना का संचार होता है.

 

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 कुंभ मेले में गंगा स्नान करने चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए खास है. दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल तैयार है, जिसमें हरिद्वार आने वाले सभी श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन करना होगा, जिससे वो कुंभ मेले में शामिल हो सकें.

इस पोर्टल को जल्द ही विधिवत तौर पर लांच कर दिया जाएगा. इसके लिए एक कार्यालय भी बनाया जाएगा, जहां बैठे कर्मचारी दस्तावेज देखने के बाद अनुमति प्रदान करेंगे. रजिस्ट्रेशन के लिए कुंभ की ऑफिसियल वेबसाइट www.haridwarkumbhmela2021.com ऑनलाइन आवेदन प्रकिया को पूरा करना होगा. अनुमति मिलने के बाद ही हरिद्वार की सीमा से एंट्री हो सकेगी.

दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से एसओपी जारी की गई है, जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने कुंभ में आने वाले लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल तैयार किया गया है. वेबसाइट को खोलते ही राइट साइड में ट्रैवल रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करना होगा. इसके बाद अपनी पूरी डिटेल डालनी होगी.

इतना ही नहीं, पिछले 72 घंटे के बीच की कोविड-19 के आरटीपीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट भी अपलोड करनी होगी. इसके बाद एक पास बनकर आएगा और इसी को दिखाकर हरिद्वार की सीमा पर एंट्री की जाएगी. अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई एसओपी या दिशा निर्देश नहीं जारी किए गए हैं कि यह पोर्टल कब से शुरू किया जाएगा.

देने होगी ये जानकारी
ऑनलाइन प्रक्रिया में आपकों अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर, एड्रेस प्रूफ, आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट के अलावा आने और जाने का समय भी डालना होगा। होटल और धर्मशाला की डिटेल के अलावा वाहन का प्रकार और यात्रियों की संख्या भी बतानी होगी।

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दिल्ली. गणतंत्र दिवस की परेड में राजपथ पर दिखाई गई राम मंदिर की झांकी ने बाजी मार ली है. उत्तर प्रदेश द्वारा प्रस्तुत की गई झांकी को पहला स्थान मिला है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राम मंदिर की झांकी लिए यूपी सरकार को इनाम देंगे. बता दें कि पिछली बार गणतंत्र दिवस में यूपी की झांकी दूसरे स्थान पर रही थी.

गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल झांकियों को देश का गौरव समझा जाता है. इस बार यूपी की तरफ से क्या थीम हो. इस पर राज्य सरकार की तरफ से खूब माथा पच्ची हुई, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आयडिया ही सबको पसंद आया. झांकी में राम मंदिर के मॉडल का आइडिया सीएम योगी का ही था.

योगी ने एक बैठक में कहा था, “प्रधानमंत्री जी ने मंदिर का भूमिपूजन कर दिया. देश दुनिया के लिए लोग देखना चाहते हैं कि प्रभु राम का मंदिर कैसे होगा.” बस सीएम की इसी बात पर फैसला राम मंदिर के पक्ष में गया. केंद्र सरकार के अफसरों के साथ हुई बैठक में इस बात का प्रस्ताव रखा गया, जिसे मान लिया गया.

झांकी को तैयार करने में करीब 20 दिन लगे. इसे तैयार करने के लिए अयोध्या के कलाकार भी लगाए गए थे. सारा काम यूपी के सूचना निदेशक शिशिर की अगुवाई में हुआ. तैयार होने के बाद झांकी को दिल्ली भेजा गया. जिस दिन गणतंत्र दिवस परेड का रिहर्सल था, उसी दिन से अयोध्या मंदिर के झांकी की चर्चा शुरू हो गई. योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर की झांकी की तस्वीर ट्वीट की थी. उन्होंने इसे सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया.

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Chhapra: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए ढाई करोड़ रुपये संग्रह कर विश्व हिंदू परिषद भेजेगा। इस आशय की जानकारी अभियान प्रमुख व विहिप जिला मंत्री धनंजय कुमार ने दी।

आज आर एन सिंह इवनिंग कॉलेज में श्रीराम जन्म भूमि निधि संग्रह की जिला बैठक हुई। जिसमे आरएसएस, विहिप, बजरंग दल, विद्यार्थी परिषद, दुर्गा वाहिनी, मातृ शक्ति समेत अन्य सामाजिक संगठनों की बैठक हुई। जिसमें पंचायत से लेकर प्रखण्ड स्तर की टोली बनाई गई। यह धन संग्रह कार्यक्रम 15 जनवरी से शुरू होकर 27 फरवरी तक चलेगा। जिसमे हर परिवार तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। संग्रह का कार्यक्रम रसीद के माध्यम से घर-घर जाकर किया जाएगा।

बैठक की अध्यक्षता प्रो अरुण सिंह ने किया। संचालन आरएसएस के जिला कार्यवाह डॉ सरोज सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन विहिप जिलाध्यक्ष डॉ अश्विनी कुमार गुप्त ने किया।

बैठक में मुख्य रूप से डॉ चरण दास, राहुल मेहता, रंजीत हाथी, अवधेश रंजन, अमित राय, सोनू सिंह, आदित्य बजरंगी, संजय राय, प्रह्लाद चौरसिया, रजनीश सुधाकर, विशाल कनोडिया, शैलेश तिवारी आदि उपस्थित थे।

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Chhapra: शहर के श्री कामता सखी मठ के प्रांगण में देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के आध्यात्मिक गुरु कामता सखी का 135वाँ जन्मोत्सव बहुत ही धूम धाम से मनाया गया.

इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम समाधि स्थल पर भव्य आरती कर खीर पूरी का प्रसाद वितरण किया गया एवम सखी सम्प्रदाय के अनुवाईयों द्वारा सखी सम्प्रदाय की रचना शोहर, आरती एवम बधाइयां की प्रस्तुति की गई.

कार्यक्रम में मुख्य रूप से ब्रजमोहन प्रसाद वर्मा, राकेश कुमार वर्मा, श्रीप्रकाश वर्मा, सत्य प्रकाश, अंकुर श्रीवास्तव, पंडित रविन्द्र देव गोस्वामी, राजेश कुमार वर्मा, आदित्य कुमार, पंकज सिंह, रत्नेश सिंह, श्रीनाथ सिंह, नागेंद्र प्रसाद वर्मा, सरोज देवी, बिंदु श्रीवास्तव, नीलम वर्मा, पुन्नी देवी, आयुसी एवम अन्य स्थानीय भक्तगण उपस्थित होकर इस यज्ञ में शामिल हुए.

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Chhapra: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उमानाथ मंदिर दधिची आश्रम में देव दीपावली का आयोजन हुआ. जहाँ सैकड़ों की संख्या में श्रद्दालुओं ने दीप प्रज्वल्लित किया. 

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पन्द्रहवीं तिथि कार्तिक पूर्णिमा कही जाती है. इस दिन यदि कृत्तिका नक्षत्र हो तो यह ‘महाकार्तिकी’ होती है. भरणी नक्षत्र होने पर विशेष रूप से फलदायी होती है और रोहिणी नक्षण होने पर इसका महत्व बहुत ही अधिक बढ़ जाता है. विष्णु भक्तों के लिए यह दिन इसलिए अहम है क्योंकि इस दिन संध्याकाल में भगवान विष्णु का प्रथम अवतार मत्स्यावतार हुआ था.

साल की सबसे काली और लंबी अमावस्या की रात कार्तिक महीने की अमावस्या यानी दीपावली के दिन मनाई जाती है और इसके 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा पड़ती है. ऐसी मान्यता है कि यह संसार में फैले अंधेरे का सर्वनाश करती है.

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन ईश्वर की आराधना करने से मनुष्य के अंदर छिपी सभी तामसिक प्रवृत्तियों का नाश होता है. इस दिन भजन, भगवत स्मरण और गंगा स्नान को शुभ फलों को देनेवाला बताया गया है. इस तिथि को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि का दिन भी माना जाता है. इस दिन किए जाने वाले स्नान, दान, हवन, यज्ञ व उपासना का अनंत फल होता है पुराणों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चारों पुरुषार्थों को देने वाला दिन माना गया है और स्वयं विष्णु ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के दिन सर्वगुण सम्पन्न महात्म्य के रूप में बताया है.

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू करके प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत और जागरण करने से सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं. इस दिन श्रद्धालु स्नान, दान, हवन, यज्ञ और उपासना करते हैं ताकि उन्हें मनचाहे फल की प्राप्ति हो. इस दिन गंगास्नान और शाम के समय दीपदान करना भी बहुत शुभ माना गया है. इस दिन गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है. शास्त्रों के मुताबिक भरणी नक्षत्र में गंगा स्नान व पूजन करने से सभी तरह के ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान दान का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा स्नान कर लोग पूजा करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान का वैज्ञानिक महत्व है. इस दिन चंद्रमा की रोशनी का सबसे अधिक आकर्षण पानी में होता है. शरीर का अधिकतम भाग में पानी होता है. जब गंगा में स्नान करते हैं, तो चंद्रमा के किरणों का प्रवेश शरीर के समस्त अंगों में पड़ता है. इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है. इस दौरान जल में खड़े होकर स्नान करने से वैज्ञानिक दृष्टि से शरीर के लिए लाभदायक है.

कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन त्रिपुरा असुर का संहार भगवान शिव व विष्णु ने किया था. साथ ही मीन अवतार हुआ था. इसे पांच दिनों तक मनाया जाता है. एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक लोग पूजा पाठ कर इसे मनाते हैं. इसे पंचम व्रत कहा जाता है. इसमें पंचगव्य ग्रहण किया जाता है. इसके साथ ही कार्तिक पूर्णिमा पर सत्य नारायण स्वामी की पूजा का भी विधान है. गंगा घाटों, घरों व मंदिरों में लोग पूजा-पाठ करते हैं. इसे देव दीपावली के रुप में मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन जो भी दान किया जाता है उसका कई गुना पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन अन्ना, धन व वस्त्र दान का विशेष महत्व है. मान्यता तो यह भी है कि इस दिन व्यक्ति जो भी दान करता है वह मृत्युपरांत स्वर्ग में उसे पुन: प्राप्त होता है.

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